27-03-2019, 12:51 PM
मेने मौका सही समझा और पीछे से उसको पकड़ा और पहले जैसे वो और शेखर थे उसी तरह से अब मैं उसके साथ था वो बोली जीजू छोड़ दो ना कोई आ जायेगा। मेने कुछ नहीं कहा और उसका टॉप उठा कर उसके बूब्स को दबाने लगा .
मेने मौका सही समझा और पीछे से उसको पकड़ा और पहले जैसे वो और शेखर थे उसी तरह से अब मैं उसके साथ था वो बोली जीजू छोड़ दो ना कोई आ जायेगा। मेने कुछ नहीं कहा और उसका टॉप उठा कर उसके बूब्स को दबाने लगा .
उसको तो यही लग रहा था की उसका जीजा है, मैं नहीं। मेने उसके दोनों बूब्स अपने हाथो में पकडे हुए थे उसके बूब्स एकदम परफेक्ट तरीके से मेरे हाथ में समाये थे मानो एक दुसरे के लिए ही बने हो। मेने पहले तो धीरे धीरे दबाया फिर एक बूब को जोर से दबोच दिया इससे उसके मुह से जोर से सिसकारी एह्ह्ह्ह्हआह्ह्ह्ह्ह्ह निकल गयी। अब वो पीछे की और खिसक गयी और अपनी गांड मेरे लंड से घिसने लगी, मुझे बहुत अच्छा लग रहा था उसका गांड घिसना। मेने उसके दोनों निप्पलो को एक एक उंगली से हल्का हल्का छेड़ना शुरू कर दिया। वो मेरी हरकत से पूरी तरह गरमा गयी ये बात उसके बदन में आये करंट के झटके ने बता दी। मेने भी उसके निप्पलो को जैसे मंदिर के घंटे बजाते है वैसे ही अपनी ऊँगली के टिप से बजाना चालू रखा। उसने तभी अपना हाथ पीछे किया और झटके से मेरे पजामे में डाल दिया, अंडरवियर तो जैसे था ही नहीं या वो इतनी चालू थी की अंडरवियर का होना नहीं होना मामूली सा था। अब मेरा लंड उसके हाथ में था। जैसे ही उसने मेरा लंड पकड़ा वो रुक गयी उसको समझ में आ गया ये शिखर नहीं कोई और है, अब मेरे भी हाथ रुक गए। उसने अपना मुह पीछे घुमाया और फिर बिना नज़र मिलाये सीधा कर लिया। और दुसरे हाथ से मेरे हाथ जो उसके बूब पर था उसपे रख कर दबाया। मैं समझ गया हरी झंडी मिल गयी है और मेने मेरी हरकत फिर से शुरू कर दी। वो भी मेरे लंड को सहलाने लगी।
उसने मुझसे से पूछा : वाह तू तो बड़ा हो गया और तेरा और भी (यह कहते हुए उसने मेरा लंड जोर से दबा दिया)
मैं : आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह तुझे कैसा लगा??
प्रियंका : चूतिये। अगर अच्छा नहीं लगता तो तुझे करने देती।
मैं : तुझे कैसे पता चला की शेखर की जगह कोई और है?
प्रियंका : तेरा लंड जो है वो साइज़ में तो शेखर जितना ही है पर मोटा है, मेरे पति का मादरचोद का लंड नहीं खिलौना है।
मैं : वाह रे मेरी रंडी। तेरे तो हाथ में भी xray है।
अब मेने उसके निप्पल के चारो और ऊँगली फेरना शुरू कर दिया और वो उत्तेजित होती जा रही थी उसका हाथ मेरे लंड पे दवाब दे कर बता रहा था। तभी मेने उसके दोनों निप्पलो को हाथ में ले कर जोर से मसल दिया, उसकी चीख निकलने लगी जिसे उसने बड़ी मुश्किल से होठो को दांतों में डाल कर दबाया। मेरी इस हरकत पे उसने मेरा लंड छोड़ा और मेरे दोनों हाथ निचे खीचे पर मैं भी तो हरामी हु न मेने झट से एक हाथ उसके पयामे में डाल कर उसकी चूत को भींच लिया। वो फिर से चीखी इस बार वो अपनी आवाज दबा नहीं पाई। अन्दर से आंटी ने आते हुए कहा क्या हुआ? और प्रियंका ने मुझे धक्का दे कर जमीन पर गिरा दिया।
आंटी के पीछे शेखर और दिव्यंका भी थे।
आंटी : क्या हुआ? और बेटा तू निचे कैसे गिर गया?
प्रियंका : वो मम्मी वो मम्मी .....
मैं : कुछ नहीं आंटी इसको डरा रहा था और इसने मुझे डर के मारे निचे गिर दिया
सभी हसने लगे और प्रियंका मुझे घूर के देखने लगि.
आंटी: चलो सब अन्दर पहले कुछ खा लो।
सभी अन्दर जाने लगे।
मैं : प्रियंका मेम उठा तो दो।
वो घूम कर आई और बोली अब मुझसे 10 कदम दूर रहना
मैं : क्यों? मेरी होली तो अधूरी है ?
प्रियंका : तो किसी और के साथ मना मादरचोद
मैं : क्यों तू कल रात की तरह शेखर से चुदवायेगी?
प्रियंका का चेहरा फीका पड गया वो बोली : तू माहिर खिलाडी है तू मेरी चीख निकला देता है, शाम को तू कार ले आना कही और चलके मजे ले लेना।
मैं : ठीक है
अब हम दोनों अन्दर गए और सब ने खाना खाया। फिर शेखर ने कहा चलो होली खेलते है तो प्रियंका और दिव्यंका ने मना कर दिया और वो अपने कमरे में नहाने चली गयी , मैं भी उधर रुक कर क्या करता मैं भी बहार आ गया। बहार आ कर मेने देखा ......
बहार आ कर मेने देखा तीन लोग कनिका के घर में घुस रहे है और सभी होली के रंगों से सराबोर है। मैं भी उनके पीछे हो लिया और छुपकर सब देखने लगा। उन्होंने घंटी बजाई तो कनिका गेट पे आई।
पहला आदमी : गेट खोलो।
कनिका : हम होली नहीं खेल रहे है आप लोग कल आएगा।
दूसरा आदमी : ओह्ह हम तो भूल ही गए थे सॉरी बेटी। हम लोग जाते है।
पहला आदमी : क्या हमको पानी मिलेगा पीने के लिए?
कनिका : अभी लायी और यह कह कर वो घर में चली गई।
कनिका एक जग में पानी लायी और जैसे ही उसने गेट खोल कर कदम बाहर निकला। पहले आदमी ने उसका हाथ पकड लिया और उसके हाथ से जग ले लिया। दूसरा उसके पीछे पहुच गया और उसको पकड़ लिया, तीसरे आदमी ने गेट को बाहर से बंद कर दिया। कनिका को समझ आ गया की वो फँस गई है और वो गिदगिदाने लगी।
कनिका : प्लीज अंकल मुझे छोड़ दो मेरे पति को गुजरे हुए कुछ ही महीने हुए है मैं होली नहीं खेल सकती ......
पहला आदमी : तुम मत खेलो तुम हमको मत लगाना रंग ..... हम तो खेल सकते है हम ही लगा देते है।
कनिका : अंकल पापा मुझे मार डालेगे मुझे छोड़ दो प्लीजज्ज्ज्ज्ज्ज ......
पहला आदमी : अगर ऐसी बात है तो हम तुमको सिर्फ गुलाल लगा देते है।
कनिका ने जैसे ही चीखने की कोशिश की दुसरे आदमी ने उसका मुह बंद कर दिया।
तीसरा आदमी : साली नहीं मान रही तेरी इच्छा।
मेने मौका सही समझा और पीछे से उसको पकड़ा और पहले जैसे वो और शेखर थे उसी तरह से अब मैं उसके साथ था वो बोली जीजू छोड़ दो ना कोई आ जायेगा। मेने कुछ नहीं कहा और उसका टॉप उठा कर उसके बूब्स को दबाने लगा .
उसको तो यही लग रहा था की उसका जीजा है, मैं नहीं। मेने उसके दोनों बूब्स अपने हाथो में पकडे हुए थे उसके बूब्स एकदम परफेक्ट तरीके से मेरे हाथ में समाये थे मानो एक दुसरे के लिए ही बने हो। मेने पहले तो धीरे धीरे दबाया फिर एक बूब को जोर से दबोच दिया इससे उसके मुह से जोर से सिसकारी एह्ह्ह्ह्हआह्ह्ह्ह्ह्ह निकल गयी। अब वो पीछे की और खिसक गयी और अपनी गांड मेरे लंड से घिसने लगी, मुझे बहुत अच्छा लग रहा था उसका गांड घिसना। मेने उसके दोनों निप्पलो को एक एक उंगली से हल्का हल्का छेड़ना शुरू कर दिया। वो मेरी हरकत से पूरी तरह गरमा गयी ये बात उसके बदन में आये करंट के झटके ने बता दी। मेने भी उसके निप्पलो को जैसे मंदिर के घंटे बजाते है वैसे ही अपनी ऊँगली के टिप से बजाना चालू रखा। उसने तभी अपना हाथ पीछे किया और झटके से मेरे पजामे में डाल दिया, अंडरवियर तो जैसे था ही नहीं या वो इतनी चालू थी की अंडरवियर का होना नहीं होना मामूली सा था। अब मेरा लंड उसके हाथ में था। जैसे ही उसने मेरा लंड पकड़ा वो रुक गयी उसको समझ में आ गया ये शिखर नहीं कोई और है, अब मेरे भी हाथ रुक गए। उसने अपना मुह पीछे घुमाया और फिर बिना नज़र मिलाये सीधा कर लिया। और दुसरे हाथ से मेरे हाथ जो उसके बूब पर था उसपे रख कर दबाया। मैं समझ गया हरी झंडी मिल गयी है और मेने मेरी हरकत फिर से शुरू कर दी। वो भी मेरे लंड को सहलाने लगी।
उसने मुझसे से पूछा : वाह तू तो बड़ा हो गया और तेरा और भी (यह कहते हुए उसने मेरा लंड जोर से दबा दिया)
मैं : आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह तुझे कैसा लगा??
प्रियंका : चूतिये। अगर अच्छा नहीं लगता तो तुझे करने देती।
मैं : तुझे कैसे पता चला की शेखर की जगह कोई और है?
प्रियंका : तेरा लंड जो है वो साइज़ में तो शेखर जितना ही है पर मोटा है, मेरे पति का मादरचोद का लंड नहीं खिलौना है।
मैं : वाह रे मेरी रंडी। तेरे तो हाथ में भी xray है।
अब मेने उसके निप्पल के चारो और ऊँगली फेरना शुरू कर दिया और वो उत्तेजित होती जा रही थी उसका हाथ मेरे लंड पे दवाब दे कर बता रहा था। तभी मेने उसके दोनों निप्पलो को हाथ में ले कर जोर से मसल दिया, उसकी चीख निकलने लगी जिसे उसने बड़ी मुश्किल से होठो को दांतों में डाल कर दबाया। मेरी इस हरकत पे उसने मेरा लंड छोड़ा और मेरे दोनों हाथ निचे खीचे पर मैं भी तो हरामी हु न मेने झट से एक हाथ उसके पयामे में डाल कर उसकी चूत को भींच लिया। वो फिर से चीखी इस बार वो अपनी आवाज दबा नहीं पाई। अन्दर से आंटी ने आते हुए कहा क्या हुआ? और प्रियंका ने मुझे धक्का दे कर जमीन पर गिरा दिया।
आंटी के पीछे शेखर और दिव्यंका भी थे।
आंटी : क्या हुआ? और बेटा तू निचे कैसे गिर गया?
प्रियंका : वो मम्मी वो मम्मी .....
मैं : कुछ नहीं आंटी इसको डरा रहा था और इसने मुझे डर के मारे निचे गिर दिया
सभी हसने लगे और प्रियंका मुझे घूर के देखने लगि.
आंटी: चलो सब अन्दर पहले कुछ खा लो।
सभी अन्दर जाने लगे।
मैं : प्रियंका मेम उठा तो दो।
वो घूम कर आई और बोली अब मुझसे 10 कदम दूर रहना
मैं : क्यों? मेरी होली तो अधूरी है ?
प्रियंका : तो किसी और के साथ मना मादरचोद
मैं : क्यों तू कल रात की तरह शेखर से चुदवायेगी?
प्रियंका का चेहरा फीका पड गया वो बोली : तू माहिर खिलाडी है तू मेरी चीख निकला देता है, शाम को तू कार ले आना कही और चलके मजे ले लेना।
मैं : ठीक है
अब हम दोनों अन्दर गए और सब ने खाना खाया। फिर शेखर ने कहा चलो होली खेलते है तो प्रियंका और दिव्यंका ने मना कर दिया और वो अपने कमरे में नहाने चली गयी , मैं भी उधर रुक कर क्या करता मैं भी बहार आ गया। बहार आ कर मेने देखा ......
बहार आ कर मेने देखा तीन लोग कनिका के घर में घुस रहे है और सभी होली के रंगों से सराबोर है। मैं भी उनके पीछे हो लिया और छुपकर सब देखने लगा। उन्होंने घंटी बजाई तो कनिका गेट पे आई।
पहला आदमी : गेट खोलो।
कनिका : हम होली नहीं खेल रहे है आप लोग कल आएगा।
दूसरा आदमी : ओह्ह हम तो भूल ही गए थे सॉरी बेटी। हम लोग जाते है।
पहला आदमी : क्या हमको पानी मिलेगा पीने के लिए?
कनिका : अभी लायी और यह कह कर वो घर में चली गई।
कनिका एक जग में पानी लायी और जैसे ही उसने गेट खोल कर कदम बाहर निकला। पहले आदमी ने उसका हाथ पकड लिया और उसके हाथ से जग ले लिया। दूसरा उसके पीछे पहुच गया और उसको पकड़ लिया, तीसरे आदमी ने गेट को बाहर से बंद कर दिया। कनिका को समझ आ गया की वो फँस गई है और वो गिदगिदाने लगी।
कनिका : प्लीज अंकल मुझे छोड़ दो मेरे पति को गुजरे हुए कुछ ही महीने हुए है मैं होली नहीं खेल सकती ......
पहला आदमी : तुम मत खेलो तुम हमको मत लगाना रंग ..... हम तो खेल सकते है हम ही लगा देते है।
कनिका : अंकल पापा मुझे मार डालेगे मुझे छोड़ दो प्लीजज्ज्ज्ज्ज्ज ......
पहला आदमी : अगर ऐसी बात है तो हम तुमको सिर्फ गुलाल लगा देते है।
कनिका ने जैसे ही चीखने की कोशिश की दुसरे आदमी ने उसका मुह बंद कर दिया।
तीसरा आदमी : साली नहीं मान रही तेरी इच्छा।
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!