27-03-2019, 12:48 PM
// होली पे मनाई दिवाली //
दोस्तों में होली के शुभ मौके पर एक और शानदार कहानी लेकर आया हूँ। यह कहानी मेरी एक कल्पना है और किरदार असली ........ तो मजा लीजिये एक और लंड खड़ा कर देने वाली कहानी का।
किरदार
1) रिक्की - यानि के मैं खुद। एक आम लड़का जो दिखने में बहुत खुबसूरत तो नहीं पर गुड लूकिंग है। कद काठी से आम सा दिखने वाला 20 वर्षीय युवक
2) प्रियंका - रिक्की की पड़ोसन। शक्ल तो कुछ ख़ास नहीं पर रंग दूध से भी ज्यादा गोरा और रिक्की को जो सबसे ज्यादा पसंद है वो उसकी पतली सी कमर और कमर के ख़त्म होते ही एकदम परफेक्ट गांड। उम्र -24 साल शादी हो चुकी है अभी कोई तीन महीने पहले ही
3) दिव्या - प्रियंका की छोटी बहन और रिक्की की पड़ोसन। दिखने में नार्मल पर हलकी सी सांवली और एकदम परफेक्ट बूब्स ......36 साइज़ और फिर भी गोल सख्त और हमेशा सीधे तने हुए
4) आनंद - प्रियंका का पति। दिखने में ढीला डाला सा इंसान जो कभी भी एक्टिव नहीं हो सकता (बिस्तर पे भी नहीं इतनी हॉट बीवी होने के बाद भी नहीं )
5) मयंका - प्रियंका और दिव्या की बड़ी बहन। दिखने में एकदम आंटी, मोटी और दो बच्चो की माँ
6) शेखर - मयंका का पति। दिखने में ठीक ठाक पर बड़ा दिलफेंक इंसान।
7) शर्मा अंकल और शर्मा आंटी - मयंका, प्रियंका और दिव्या के माँ बाप।
8) कनिका - इसके बारे में बाद में बात करेगे
तो कहानी शुरू करते है मार्च का महिना चल रहा था और होली आने वाली थी। मेरे मोहल्ले के लोगो ने इस बार होली पर मथुरा जाने का प्रोग्राम बनाया। मैं बहुत खुश था की वह पर विदेशी भी होगे मैं होली के बहाने उन पर हाथ फेर लुगा। घर पर शाम को खाना खाने के बाद हम बैठे हुए थे तभी शर्मा अंकल और आंटी घर पर आये। शर्मा अंकल ने पापा को बोला - ये प्रोग्राम भी इस बार ही बनाना था सबको?
मैं - क्यों अंकल क्या हुआ ?
अंकल - बेटा, आनंद जी और प्रियंका आ रहे है पहली होली मानाने अब हम जा भी नहीं सकते और होली पर आप सब लोग चले जायेगे तो सुना सुना सा रहेगा। मजा ही नहीं आएगा।
पापा- अगर ऐसा है तो भाई साहब हम भी नहीं जायेगे।
पापा की बात सुनकर मुझे मेरे सारे अरमान ख़त्म होते नजर आये। पर फिर एक ख्याल आया जो होता है अच्छे के लिए होता है पापा मम्मी नहीं जायेगे तो मैं खुले सांड सा घूम सकुगा।
मैं - पापा आप लोग नहीं जा रहे तो मैं चला जाता हु।
अंकल- बेटा तुम किधर जाने की बात कर रहे हो, कही नहीं जा रहे तुम भी। तुम्हारे दीदी जीजाजी आ रहे है और तुम ........ (मैं मन ही मन में - मादरचोद पहले तो अपनी हॉट बेटी चूतिये से ब्याह दी फिर ये चाह रहा है चूतिये का स्वागत करने के लिए मेरे खड़े लंड पर हथोडा मार लू )
मैं - पर अंकल ....
पापा - बेटा शर्मा जी सही कह रहे है हम सब यही रुकेगे।
मैं मुह लटका कर अपने रूम में चला गया। मैं उदास हो गया था और ये भी जनता था की शर्मा अंकल की बात पापा नहीं टालने वाले ......
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!