27-03-2019, 12:38 PM
महिमा ने साड़ी के पल्लू से अपना हाथ और मंटू का लंड पोंछ कर, साफ किया.
अब ये, रोज़ की बात हो गई थी.
मंटू नहाते वक़्त, नंगा हो जाता.
महिमा को भी ये ही लगता था क्यूंकि मंटू खुश था.
मंटू को अपनी सोच पर, बहुत अफ़सोस होने लगा.
वो सोचता था की महिमा को परेशान करेगा, पर पहले दिन से ही महिमा उसकी सब बात मानती थी.
मंटू ने सोच लिया की वो महिमा को बहुत प्यार देगा पर एक दोस्त की तरह, वो कभी “माँ” का दर्जा नहीं दे पाएगा.
एक दिन रात में, मंटू को नींद नहीं आ रही थी.
मंटू, उसका बाप और महिमा साथ ही एक ही कमरे में सोते हे.
मंटू ने देखा की चादर की अंदर, नवरंग महिमा के ऊपर सोया हुआ है और ज़ोर ज़ोर से हिल रहा है.
कमरे की खिड़की से स्ट्रीट लाइट की रोशनी, सीधे उन पर आ रही थी.
मंटू, ध्यान से देखने लगा.
थोड़ी देर में चादर साइड में हो गई और दोनों का “नंगा बदन” सामने आ गया.
नवरंग, चोदने में लगा हुआ था.
महिमा, धीरे धीरे चिल्ला रही थी.
महिमा की नज़र, मंटू पर पड़ी.
पर वो, कुछ ना बोली.
मंटू, चुप चाप देख रहा था.
थोड़ी देर बाद, नवरंग ने महिमा को “डॉगी स्टाइल” में चोदना चालू किया.
नवरंग ने जब मंटू को जागते हुए देखा तो ज़ोर से मंटू पर चिल्लाया – ओय, सोया नहीं अभी तक… चल, मुंह उधर कर के सो… नहीं तो टाँगे तोड़ दूँगा…
मंटू डर गया और डर के मारे, सो गया.
अगले दिन, मंटू ने नहाते वक़्त महिमा से पूछा की रात मैं क्या चल रहा था…
महिमा, कुछ नहीं बोली.
मंटू के बार बार पूछने पर महिमा ने कहा की ये सब बड़े लोगों का खेल है… तुम नहीं समझोगे…
मंटू ने कहा की उसे भी ये “खेल” खेलना है…
महिमा डाँट कर बोली की ऐसा, ये सब नहीं बोलना चाहिए वरना वो शिकायत करेगी, नवरंग से…
मंटू चुप हो गया पर उसके दिमाग़ में कुछ चल रहा था.
मंटू, रोज़ खाना खाते खाते मूठ मरवाता.
इस कहानी को कैसे आगे बढ़ाऊं कुछ समझ नहीं आ रहा है.
अब, बाप बेटा दोनों खुश थे.
महिमा, बेटे और पति को खुश रखने की कोशिश में जुटी थी.
नवरंग ने कहा था की मंटू को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए और जो कहे, जो माँगे, दे देना.
अपने पति की आग्या का पालन कर रही थी और मंटू की कभी शिकायत नहीं की.
नवरंग रात को आता और खाना खा कर सो जाता.
मंटू दिन भर खेलता कूदता और बाप के आते ही, किताब ले कर बैठ जाता.
महिमा, सुबह मंटू को संभालती और शाम को नवरंग को.
3-4 महीनो बाद नवरंग की रिश्तेदार, मंटू की चाची आई.
सब की खबर, लेने के लिए.
पम्मी की शादी नहीं हुए थी और उमर बढ़ने के कारण, वो “वर्जिन एंड अनमॅरीड” ही रह गई.
पम्मी (चाची) को लग रहा था की सब कुशल मंगल है, सब खुश लग रहे थे.
वो कुछ दिनों के लिए, आई थी.
अगले दिन, सुबह उठ कर वो पहले संडास करने के लिए खेतो में गई.
उसके बाद वापस आ कर, घर के कामो में महिमा का हाथ बटाने लगी.
महिमा ने फिर कुछ देर बाद, मंटू को उठाया.
मंटू का लंड, सुबह की ठंडी में कड़क हो गया था.
पम्मी ने देखा की उसकी पतलून में उभार है, और समझ गई की लड़का अब जवान हो गया है.
मंटू, संडास करके आया और कुए (वेल) के पास जाकर कपड़े निकालने लगा.
तब तक महिमा, गरम पानी बाल्टी में लेकर आई.
पम्मी, दोनों को देख रही थी.
पम्मी को होश तब आया जब महिमा, मंटू के सिर पर पानी डाल कर साबुन लगाने लगी.
पम्मी यूही देखती रही और सोचने लग गई की ये तो “जवान लड़का” है, थोड़ी तो शरम आनी चाहिए.
महिमा ने सारे बदन पर साबुन लगा दिया और एक पत्थर से, बदन घिसने लगी.
मंटू महिमा से बोला – चाची को यहाँ से हटाओ… मुझे शरम आती है…
महिमा हँसते हुए पम्मी से बोली – आप ज़रा रसोई में जाइए… मेरे मुन्ना को, शरम आ रही है…
चाची बोली – काहे की शरम… मैं तो तेरी माँ जैसी हूँ ना…
मंटू ज़िद करने लगा.
महिमा के फिर से कहने पर चाची अंदर गई और हँसते हुए बोली – कितना शरमाता है… शादी के बाद, क्या होगा तेरा…
मंटू महिमा से कहता है – नुन्नि को भी सॉफ कर दो…
महिमा कहती है – तू अब बड़ा हो गया है… ये सब, खुद से करना चाहिए… चाची देखेगी तो क्या बोलेगी…
मंटू बोला – चाची तो एक दो दिनों के लिए है…
महिमा ने फिर एक हाथ से एलास्टिक खींचा और दूसरे हाथ को अंदर डाल कर नुन्नि को मुट्ठी में पकड़ लिया.
मंटू बोला – अच्छे से सॉफ करो… इसमें से, बदबू आती है…
महिमा, मंटू के लंड पर साबुन लगा कर हिलाने लगी.
मंटू भी मज़े ले रहा था.
अब ये, रोज़ की बात हो गई थी.
मंटू नहाते वक़्त, नंगा हो जाता.
महिमा को भी ये ही लगता था क्यूंकि मंटू खुश था.
मंटू को अपनी सोच पर, बहुत अफ़सोस होने लगा.
वो सोचता था की महिमा को परेशान करेगा, पर पहले दिन से ही महिमा उसकी सब बात मानती थी.
मंटू ने सोच लिया की वो महिमा को बहुत प्यार देगा पर एक दोस्त की तरह, वो कभी “माँ” का दर्जा नहीं दे पाएगा.
एक दिन रात में, मंटू को नींद नहीं आ रही थी.
मंटू, उसका बाप और महिमा साथ ही एक ही कमरे में सोते हे.
मंटू ने देखा की चादर की अंदर, नवरंग महिमा के ऊपर सोया हुआ है और ज़ोर ज़ोर से हिल रहा है.
कमरे की खिड़की से स्ट्रीट लाइट की रोशनी, सीधे उन पर आ रही थी.
मंटू, ध्यान से देखने लगा.
थोड़ी देर में चादर साइड में हो गई और दोनों का “नंगा बदन” सामने आ गया.
नवरंग, चोदने में लगा हुआ था.
महिमा, धीरे धीरे चिल्ला रही थी.
महिमा की नज़र, मंटू पर पड़ी.
पर वो, कुछ ना बोली.
मंटू, चुप चाप देख रहा था.
थोड़ी देर बाद, नवरंग ने महिमा को “डॉगी स्टाइल” में चोदना चालू किया.
नवरंग ने जब मंटू को जागते हुए देखा तो ज़ोर से मंटू पर चिल्लाया – ओय, सोया नहीं अभी तक… चल, मुंह उधर कर के सो… नहीं तो टाँगे तोड़ दूँगा…
मंटू डर गया और डर के मारे, सो गया.
अगले दिन, मंटू ने नहाते वक़्त महिमा से पूछा की रात मैं क्या चल रहा था…
महिमा, कुछ नहीं बोली.
मंटू के बार बार पूछने पर महिमा ने कहा की ये सब बड़े लोगों का खेल है… तुम नहीं समझोगे…
मंटू ने कहा की उसे भी ये “खेल” खेलना है…
महिमा डाँट कर बोली की ऐसा, ये सब नहीं बोलना चाहिए वरना वो शिकायत करेगी, नवरंग से…
मंटू चुप हो गया पर उसके दिमाग़ में कुछ चल रहा था.
मंटू, रोज़ खाना खाते खाते मूठ मरवाता.
इस कहानी को कैसे आगे बढ़ाऊं कुछ समझ नहीं आ रहा है.
अब, बाप बेटा दोनों खुश थे.
महिमा, बेटे और पति को खुश रखने की कोशिश में जुटी थी.
नवरंग ने कहा था की मंटू को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए और जो कहे, जो माँगे, दे देना.
अपने पति की आग्या का पालन कर रही थी और मंटू की कभी शिकायत नहीं की.
नवरंग रात को आता और खाना खा कर सो जाता.
मंटू दिन भर खेलता कूदता और बाप के आते ही, किताब ले कर बैठ जाता.
महिमा, सुबह मंटू को संभालती और शाम को नवरंग को.
3-4 महीनो बाद नवरंग की रिश्तेदार, मंटू की चाची आई.
सब की खबर, लेने के लिए.
पम्मी की शादी नहीं हुए थी और उमर बढ़ने के कारण, वो “वर्जिन एंड अनमॅरीड” ही रह गई.
पम्मी (चाची) को लग रहा था की सब कुशल मंगल है, सब खुश लग रहे थे.
वो कुछ दिनों के लिए, आई थी.
अगले दिन, सुबह उठ कर वो पहले संडास करने के लिए खेतो में गई.
उसके बाद वापस आ कर, घर के कामो में महिमा का हाथ बटाने लगी.
महिमा ने फिर कुछ देर बाद, मंटू को उठाया.
मंटू का लंड, सुबह की ठंडी में कड़क हो गया था.
पम्मी ने देखा की उसकी पतलून में उभार है, और समझ गई की लड़का अब जवान हो गया है.
मंटू, संडास करके आया और कुए (वेल) के पास जाकर कपड़े निकालने लगा.
तब तक महिमा, गरम पानी बाल्टी में लेकर आई.
पम्मी, दोनों को देख रही थी.
पम्मी को होश तब आया जब महिमा, मंटू के सिर पर पानी डाल कर साबुन लगाने लगी.
पम्मी यूही देखती रही और सोचने लग गई की ये तो “जवान लड़का” है, थोड़ी तो शरम आनी चाहिए.
महिमा ने सारे बदन पर साबुन लगा दिया और एक पत्थर से, बदन घिसने लगी.
मंटू महिमा से बोला – चाची को यहाँ से हटाओ… मुझे शरम आती है…
महिमा हँसते हुए पम्मी से बोली – आप ज़रा रसोई में जाइए… मेरे मुन्ना को, शरम आ रही है…
चाची बोली – काहे की शरम… मैं तो तेरी माँ जैसी हूँ ना…
मंटू ज़िद करने लगा.
महिमा के फिर से कहने पर चाची अंदर गई और हँसते हुए बोली – कितना शरमाता है… शादी के बाद, क्या होगा तेरा…
मंटू महिमा से कहता है – नुन्नि को भी सॉफ कर दो…
महिमा कहती है – तू अब बड़ा हो गया है… ये सब, खुद से करना चाहिए… चाची देखेगी तो क्या बोलेगी…
मंटू बोला – चाची तो एक दो दिनों के लिए है…
महिमा ने फिर एक हाथ से एलास्टिक खींचा और दूसरे हाथ को अंदर डाल कर नुन्नि को मुट्ठी में पकड़ लिया.
मंटू बोला – अच्छे से सॉफ करो… इसमें से, बदबू आती है…
महिमा, मंटू के लंड पर साबुन लगा कर हिलाने लगी.
मंटू भी मज़े ले रहा था.
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!