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Gay/Lesb - LGBT जनवरी का जाड़ा, यार ने खोल दिया नाड़ा// By: हिमांशु बजाज
#3
तभी मेरी नज़र एक पान की दुकान के पास खड़े लड़के पर गई। देवेन्द्र था और वहाँ खड़ा होकर सिगरेट पी रहा था। मैं हैरान थी कि ये सिगरेट भी पीता है?





लड़कियाँ उसके पास से गुजर रही थीं और उसको देखती हुई जाती थी। वो भी उनको देखता और फिर मेरी और निशा की तरफ भी।

निशा ने देखा कि मैं भी देवेन्द्र को चोर नज़रों से देख रही हूं तो उसने मुझे कंधा मारकर पूछा- कौन है ये?

मैंने निशा को अन्जान बनते हुए जवाब दिया- मुझे क्या पता कौन है!

इतने में निशा के भाई की गाड़ी हमारे सामने आकर रुक गई। हम दोनों गाड़ी में बैठे और गाड़ी चल पड़ी। मैंने बहाने से पीछे मुड़कर देखा तो वो जा चुका था। मैं समझ गई कि मुकेश ने उसे बता दिया है कि मैं यहाँ पढ़ने आती हूं। लेकिन जिस तरह से वो बाकी लड़कियों को ताड़ रहा था, मैंने कभी कॉलेज में उसको ऐसी करते हुए नहीं देखा था।

निशा अपने घर उतर गई और मुकेश मुझे छोड़ने मेरे गांव की तरफ बढ़ चला। बीच रास्ते में उसने अचानक गाड़ी रोक ली। खेतों का एरिया था।

मैंने कुछ नहीं पूछा बल्कि वो खुद ही बोला- मैं 2 मिनट में आता हूँ।

मैं समझ गई कि लघुशंका के लिए गया होगा, मैं गाड़ी में बैठी हुई इंतज़ार करने लगी। वो पास के खेत में नीचे उतर गया। मुझे केवल उसका धड़ दिखाई दे रहा था। उसके दोनों हाथ आगे की तरफ थे जिनमें शायद वो अपने लिंग को पकड़ कर पेशाब कर रहा था।

मैंने नज़र वापस घुमा ली और सामने सड़क पर आते जाते इक्का दुक्का वाहनों को देखने लगी।

जब उसे गए हुए 3-4 मिनट हो गए तो मैंने फिर से देखा। वो सड़क के किनारे खड़ा होकर फोन पर किसी से बातें कर रहा था। मैंने नज़र दूसरी तरफ घुमा ली। दोबारा देखा तो वो मेरी तरफ ही देख रहा था। उसने ब्लैक रंग की जींस और सफेद शर्ट डाली हुई थी। वो अपनी जींस की जिप के पास बार-बार लिंग को खुजलाने के बहाने सहला देता था जैसे मुझे दिखाना चाह रहा हो कि उसका लिंग कैसा है … लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से।

वैसे भी लड़कों के चेहरे को देखकर ही पता चल जाता है कि उनके मन में क्या चल रहा है। देखने में वो ठीक-ठाक था लेकिन मैंने सेक्स की नज़र से कभी उसको नहीं देखा था। दिन की रोशनी में उसकी जींस में उसका लिंग मुझे भी अलग से दिखाई देने लगा था और शायद वो उसी का साइज़ दिखाने की कोशिश भी कर रहा था.




// सुनील पंडित // yourock
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
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RE: //जनवरी का जाड़ा, यार ने खोल दिया नाड़ा// By: हिमांशु बजाज - by suneeellpandit - 27-03-2019, 11:55 AM



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