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घर के औरतों की कामुक वासना
#38
ऊपर से ही उसका लण्ड कचनार की टॉगों को नहीं रोक सकी। वह जल्दी ही अपनी चूत भरी महसूस करना चाहती थी। उसने उसका ल्ण्ड पकड़ कर खर अपनी चूत पर बैठाया तो बायाग्ररा और उसकी उत्तेजना का असर यह हुआ कि उसका लण्ड हिलने लगा और उसने सफेदी छोड़ दी। कचनार की दायीं हथेली चिपचिपे गाढे तरल पदार्थ से सन गयी। वह चुपचाप पड़ गयी। रात भर बैसी ही नंगी पड़ी रही। 



विलम ने दो बार कोशिश और की। एक बार उसका सुपाड़ा थोड़ा घुसा पर इसके आगे कुछ ना हो स्का।कचनार बड़े सबेरे अपने आप उठ कर नीचे आ गयी। सुबह जब कंचन कमरे में गयी तो विमल सिर पकड़े हुये बैठा था। कंचन ने पलंग के किनारे जा कर अपना हाथ उसके बाजू पर रखा तो व्मिल ने सिर उठा कर देखा। उसकी ऑखों में ऑसू थे। कंचन के हाथ थामने में अपनापन था। व्मिल ने अपना सिर कंचन से चिपका दिया। उसका सिर कंचन की जाघों पर चिपका था ठीक चूत के ऊपर। कंचन ने उसके बालों में हाथ फेरते हुये कहा “कोई बात नहीं। तुम्हारी भाभी तुम्हारे साथ है । तुम घबड़ा कर डाक्टर बाक्टर के चक्कर में मत पड़ जाना। और देखो हथलस मत करना” फिर नीचे आकर अकेले में वह कचनार से मिली। “मुझे पता है क्या हुआ है” कचनार उससे चिपक कर रोने लग गयी “जीजी”। उसका शरीर गरम हो रहा था। “देख सब ठीक हो जायेगा।तू अपने तन और मन को काबू में रखना। किसी और के साथ मत बहक जाना.। जानती हूॅ तेरी भाभियॉ उकसा कर किसी को लगा देंगी” फिर उसने अपने पति कमल से कहा “आप शहर जाइये। मुझे यहॉ काम निपटाना है। मैं बाद में आउॅगी”। सॉप का बिल और सॉप सास ससुर नीचे सोते थे। 




कमल और विमल के कमरे ऊपर थे। ज्यादातर म्ोहमान जा चुके थे। रात में जब सब लोग सो गये तो कंचन व्मिल के कमरे में आयी। हाथ में गरम तेल की कटोरी थी जिसमें कुछ जड़ी बूटियॉ डाल रखी थी। “देवर जी तुम्हारी मालिस करूॅगी। चलो कपड़े उतारो” विमल ने ऊपर बाले कपड़े उतार दिये। उसने उसके पजामा के नाड़े पर हाथ डाला “इसको पहन कर कैसे मालिस होगी” “भाभी तुम भी तो कपड़े पहने हो” “चलो मैं साड़ी उतारे देती हूॅ” उसने अपनी साड़ी खींच कर पलंग के नीचे डाल दी। ब्लाउज और पेटीकोट में वह गजब की सैक्सी लग रही थी। विमल की निगाहें उस पर अटक गयीं। “इसीलिये मैं साड़ी नहीं उताात रही थी। चलो दूसरी तरफ मुॅह रखो” उसने गरम तेल में उॅगलियॉ डुबो कर उसके पैर के पंजे पर हाथ फेरा। 




विमल् को बहुत अच्छा लगा। वह उसकी पिंडलियों पर तेल भरे हाथ फेरती रही। उसके हाथ विमल की रानों तक बढ गये। विमल के लण्ड में सख्ती आ गयी। उसने अपना हाथ लण्द के ऊपर रख लिया। “कोई बात नहीं तुमने तो मेरी नंगी फोटो पर सब कुछ कर लिया है” रानों पर हाथ फेरते फेरते उसका हाथ अण्डरवियर में घुसने लगा और उसके अण्डकोशों को और लण्ड को छूने लगा। उसका लण्ड एकदम कड़क हो गया। 





उसने हथेलियों में ढेर सारा तेल मल कर उसका लण्ड अपनी मुट्टी में जकड़ लिया। अच्छा खासा मोटा तगड़ा लम्बा लण्ड था। कमल से ज्यादा ही बड़ा होगा. उस पर हाथ चलाने लगी. । विमल आनन्द में भर गया। पर दूसरे ही छण लौंकने लगा और सफेदी उगलना चालू कर दी। विमल रूआसा होगया “भाभी मेरे संग यही हो रहा है। मैं किसी काबिल नहीं रह गया हूॅ” “तुमने हाथ का ज्यादा इस्तेमाल कर लिया है। हाथ से और औरत के साथ करने में फरक होता है” “तो भाभी अब क्या होगा?” “कोई बात नहीं है। तुम पूरी तरह ठीक हो। 




तुम ज्यादा उॅत्तेजित हो जाते हो। तुम्हारे भइया का भी कई बार ऐसा हो जाता है जब वे ज्यादा उतााबले हो जाते हैं। उसने बड़े प्यार से तौलिया से उसको साफ कर दिया। फिर हाथों की सीने की मालिस करती रही।दुबारा कड़ा करने की कोशिश नहीं की. दिन का समय मेहमानों के संग निकल गया। रात में कंचन भाभी फिर आयीं। बोलीं ‘तुम चुपचाप ऑख बन्द करके पड़े रहो तो मैं मालिस करूॅगी। तुम्हारे देखने से मैं ठीक से मालिस नहीं कर पाती हूॅ। मालिस करते समय मेरा पेटीकोट अपनी जगह नहीं रहता है। 




मुझे तुम्हारी नीयत पर भरोसा नहीत्त् विमल ऑख को मूॅद कर मालिस कराने में बड़ा आ रहा था। रानों पर मालिस के समय उसे लगा कि उसके अण्डरवियर का नाड़ा खोला जा रहा है। उसने ऑखें खोल कर देखा तो कंचन भाभी ने डपट दिया “ऑखें बन्द रखो” उसको अपने लण्ड पर तेल भरी मुट्टी चलने की सुखद अनुभूति हुयी और उसकी ऑख सी लग गयी। अचानक उसको लगा कि उसके लण्ड पर मॉसपेशियों का दबाव है। उसने ऑखें खोली तो देखा कि उसका लण्ड कंचन भाभी की चूत में पूरा का पूरा घुसा है। पता न्हीं कब कंचन भाभी अपना पेटी कोट उठा कर उसके लण्ड पर बैठ गयीं थीं। 




उसको अपनी ओर देख वह मुस्करा दीं। विमल से रहा नहीं गया। उसने उत्तेजित हो कर अपने चूतड उठा कर नीचे से ऊपर चोटें मारना शुरू कर दीम्। चार पॉच स्टो्रक लगाये होंगे कि उसकी पिचकारी छूट गयी। उसने कंचन भाभी की की गहरायी को अपने वीर्य से भर दिया। “भाभी सारी ए तो आपके अन्दर ही डिसचार्ज हो गया” “चलो कोई बात नहीं अगर बच्चा रह गया तो मैं तुम्हारे भइया को छोड़ कर तुमसे व्याह कर लूॅगी” फिर उसके मुॅह पर हवाइयॉ उड़ती देख कर हॅस पड़ी “मैं पिल्स पर हूॅ तुम्हारे भइया को अभी एक साल और बच्चा नहीं चहिये” विमल ने रोकना चाहा पर कंचन भाभी बोली “कल तक के लिये सब्र रखो। मन मै गलत खयाल ना लाना”। 




अगली रात में मालिस शुरू करते हुये बोली “तुम औखें मूॅद कर रिलैक्स हो जाओ और आज मैं स्पेसल मालिस करूॅगी । ध्यान में कुछ और ही सोचो पर आज कुछ करने के बारें में खयाल ना लाना। विमल के ऑखें बन्द करते ही उन्होंने उसका अण्डरवियर और बनियान उतार दिया। उसने ऑखों की झिरी से देखा कि उन्होंने साड़ी के साथ अपना पेटी कोट भी उतार दिया है। ‘चीटिंग नहीं. ऑखें बन्द रखो”। पैरों के पंजों से मालिस श्ुारू हुयी और अब गरम तेल से भरा उनका हाथ उसके लण्ड के ऊपर चलने लगा था। बोलती जा रहीं थीं “रिलैक्स अपनी पढायी के बारे में सोचो” विमल ने महसूस किया कि उसका लण्ड एक मुलायम सुरंग में घुस रहा है। वह अपनी कच्छी उतार कर उसके लण्ड के ऊपर बैठ गयीं थीं। 



उसके लम्बे तगड़े लण्ड से उतनी चूत भर गयी थी। उनको बड़ा सुकून मिल रहा था। लेकिन वह अपने को भी कंट्रोल में रखे थीं। विमल ने ऑखें खोली। “रिलैक्स। मन में पक्का करो झड़ना नहीं है। तुम को कुछ भी नहीं करना है बस ऐसे ही लेटे रहो. । बस तुमको झड़ना नहीं है। वह उसका लण्ड अन्दर डाले बैठी रहीं और यहॉ बहॉ की बातें करती रहीं। कम्पटीशन की तैयारी कैसी चल रही है। कितना समय लगेगा। आगे क्या बन जायेगा। 



साहब बन जायेगा तो अपनी भाभी को भूल तो नहीं जायेगा। अब वह धीरे धीरे उसको लण्ड के ऊपर उठने बैठने लगी थी साथ ही बातें भी किये जा रहीञ् थी. बीच बीच में “देखो झ्ड़ना नहीं है। इस ओर ध्यान मत दो” अब उनकी स्पीड अच्छी खासी तेज हो गयी थी “देखो जब तक मैं ना कहूॅ झड़ना नहीं है” विमल को रोक रहीं थी “झड़ना नहीं है” पर उनकी अपनी बुदबुदाहट चालू हो गयी। अब विमल ने भी अपने चूतड़ उठा कर उनको जबाव देना शुरू कर दिया था। कंचन भाभी आनन्द में भर कर अपनी चूत को उसके लण्ड के ऊपर घपाघप ठोक रहीं थी.। विमल भी मैचिंग स्ट्रोक नीचे से लगा रहा था। 




झ ड़ ना न हीं झ ड़ ना न हीं झ ड़ ना न हीं “ उनकी उखद.ी सॉसों में बदल गया था। विमल भी ‘भा भी लो लो लो भा भी लो लो लो भा भी लो लो लो “ नीचे से भरपूर चोटें दे रहा था। उन्होंने ब्लाउज भी नहीं उतारा था। एक चोट ऐसी पड़ी कि लण्ड झेल ना सका और उसने पानी छोड़ दिया। कंचन भाभी उसके लंड पर पिल पड़ीं जैसे चक्की चला रहीं हों और उन्होनें भी मंजिल पाली। 



वह विमल के ऊपर ढेर हो गयीं। “तुम तो अच्छी खासी करते हो” विमल को सुन कर अच्छा लगा। उसने खुशामद की ‘भाभी आज की रात मत जाओ” बोलीं “अच्छा अब दुबारा करने की बात मन में नहीं लाना. और नंगे नहीं सोयेंगे उससे मन भटका रहता है और पूरी तरह सॅभल नहीं पाता है। विमल अण्डरवियर और बनियान और कंचन भाभी ब्लाउज और पेटी कोट पहिने एक दीसरे से चिपक कर सो गये। रात में कंचन की ऑख खुली तो उसे टॉगों के बीच में कुछ चुभता महसूस हुआ । सॅबछ गयी कि व्मिल का लण्ड दस्तक दे रहा है. 



उसने अपनी चूत च्पिकायी तो तो वह और बढ गया ाौर फूल गया. उसने हाथ लगाया तो लोहे का सख्त डंडा सामने से अड़ा था। वह जान गयी कि यह घुसने की स्थिति में है। बस डर था कि ज्यादा उत्तेजित हो कर यह उगलना चालू ना कर दे। वह विमल का अण्डरवियर उतारा तो उसने ऑखें खोल दी। वह जगा हुआ था और चाहता भी यही था। जब तक कंचन सॅभले वह उसकी टॉगों के बीच में आ गया। कंचन चॉन्स नहीं लेना चाहती थी। उसने झट से अपना पेटीकोट उलट लिया। उसका लण्ड अपने हाथ में नहीं पकड़ा। अपनी उॅगलियों से चूत की फॉके खोलती हुयी उससे बोली “आहिस्ता से इसको इसमें उतार दो। पूरा घुसा के मेरे ऊपर लेट जाओ। कुछ मत करना। 



कंचन की चूत भर गयी तो पूरा शरीर मस्त हो उठा । बोली “निश्चय कर लो किजब तक मैं ना कहूॅ झड़ना नहीं है” कंचन ज्यादा ही एतिहात बरत रही थी। उनको ज्यादा देर ठहरने की जरूरत नहीं पड़ी। लण्ड ने आगे पीछे होना चालू कर दिया। “आााााआााााााााआाााााााााााााााााााााााउहूहूहूउउउऊऊउ आााााहिस्तााााााााााााा से मेरे राजाााा झड़नान् ाईई है“ कंचन ने उसकी बनियान उतार दी तो विमल मे उसके ब्लाउज और अ‍ॅगिया को उतार फेंका। उसका पेटी कोट सिर की तरफ से उतार डाला। उसने उसके दोनों जोवन मुट्टी में दबोचे और सही माने में चुदायी चालू कर दी। “आााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााओ मेरीईईईईईइ मॉाॉ।ओ मााॉ बहुत अच्च्छा लग रहा है।लगाते जाओ। झड़ना नई है” “लो ये लो ये लो और लो“ वह और कस के पेलने लगा “ओ मॉाााा । आराम से मेरे राजा धीरे धीरे पेले जाओ। ये भागे थोड़.े जा रही है। जल्दी करोगे तो झड़ जाओगे” “ नई अब नईं झड़ूॅगा। जब तक नहीं कहोगी नहीं झड़ूगा” ‘हॉ हॉ हॉ हॉ लगाये जाओ। साथ ही बातें भी करते जाओ। तुम और तुम्हारे भइया दोनों एक से हैं मूसलचन्द।मैं तो पूरी तरह भर गयी हूॅ” विमल हॅसने लगा । कंचन ने पूछा “हॅस क्यों रहे होऋ “भाभी एक बात बताऊॅऋ “बोलो मेरे देवरराजा” “तुम्हारे मूसल कहने से याद आया। हम लोगों ने नाम रख छोड़े हैं” “काहे के नाम रख छोड़े हैं?” “चारों भाभियों के फोटो के” “क्या भाभियों के अपने नाम नहीं हंै ?” विमल उनके सीने में सिर चिपकाता हुआ बोला “नहीं भाभी फोटो में उनकी चूतों के” “हाय दइया तुम लोग बहुत बदमास हो”। ‘पंकज की भाभी की ओखली. अजय की भाभी की कुऑ. सुरेश की भाभी भट्टी और और तुम्हारी सॉप का बिल। “सॉप का बिल क्योंऋ “देखने में बिल्कुल बिल जैसी लगती है। गोल सकरा मुॅह। 



पंकज की भाभी आपसे छोटी हैं पर ओखली जैसी फैल गयी है।अजय की भाभी का आगे पीछे दोनों तरफ का हिस्सा मोटा गया है। कुयें की तरह गहरी हो गयी है। और सुरेश की भाभी हरदम गरम रहतीं हैं लोहा लेने के लिये। “वे सब अपनी भाभियों से लगे है?” ‘सिबा सुरेश के और कोई नहीं। बस भाभियों के फोटो और अपना हाथ जगन्नाथ। जब मिलते हैं तो बतलाते हैं किसने कुयें में डुबकी लगायी। 



किसने ओखली में मूसल चलाये। किसने बिल में सॉप समाया। सुरेश भट्टी में लोहा तपाने के अलाबा दूसरा मजा भी करता है। एक रात में दो दो बार भी करते है” “
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RE: घर के औरतों की कामुक वासना - by Dani Daniels - 06-02-2021, 04:35 PM



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