06-02-2021, 11:17 AM
दोस्तों, मैं अपने आप को माँ का लाडला या माँ का लौड़ा समझता हूँ /
मैंने बचपन से ही मम्मी पापा को रोजाना सेक्स सुख लेते देखा है / ये मेरी स्कूल की उम्र थी / दोस्तों आप तो जानते हो की इस उम्र में लुंड कितना टाइट होता है / और जब लंड खड़ा होता है तो फिर बैठने का नाम नहि लेता है / मैं इस उम्र में जब मम्मी पापा को सेक्स करते देखता था तो मेरा लंड इतना टाइट हो जाता था कि बैठने का नाम नहीं लेता था / उस उम्र में ये भी नहीं पता था की मुठ मर कर भी लंड को शांत कर लेते हैं क्योंकि मेरे दोस्तों की ऐसी सोसाइटी नहीं थी / तभी मैं मम्मी की सलवार का नाडा निकल कर अपनी कमर पर बांध कर और अपने लंड को बाँध कर सीधा कर लेते था ताकि मेरे टाइट लंड किसी को नज़र न आये / फिर काफी देर बाद मेरा लंड ढीला होता था /
धीरे धीरे मम्मी पापा का रोज़ रोज़ का सेक्स देख कर और गन्दी गन्दी किताबे पड़कर पता चला की मुठ कैसे मरी जाती है /
मैं मम्मी पापा का प्यार देख कर मुठ मरता था / और अपना पानी निकल देता था और पानी साफ़ कर देता था ताकि मम्मी पापा को पता न चले /
धीरे धीर मैंने मम्मी की ब्रा और पेंटी ( जो की मम्मी नहाने के बाद बाथरूम के अंदर पुराने मैले कपड़ों के नीचे रख कर आते थे ) डाल कर नहाता था / ब्रा के अंदर कुछ पुराने कपडे दल लेता था / कभी एक हाथ ब्रा के एक कप पे और कभी ब्रा के दुसरे कप पर दबा कर लंड मसलता था / लंड मसलते हुए मम्मी के मोटे मोटे मुम्मे और मस्त गांड के साथ उनकी बिना झांटों वाली चूत का ख्याल करता था / सोचता था की पापा की जगा मैं मम्मी की चूत और गांड मार रहा हूँ / तब कहीं काफी देर बाद जा कर मेरा पानी मम्मी की पेंटी में निकल जाता था /
ये सब कर के मुझे जो सुख मिलता था वो तो सिर्फ वो ही जान सकते हैं जो ये कर चुके हैं /
बाकि फिर दोस्तों
आपका अपना
सुनील पंडित
मैंने बचपन से ही मम्मी पापा को रोजाना सेक्स सुख लेते देखा है / ये मेरी स्कूल की उम्र थी / दोस्तों आप तो जानते हो की इस उम्र में लुंड कितना टाइट होता है / और जब लंड खड़ा होता है तो फिर बैठने का नाम नहि लेता है / मैं इस उम्र में जब मम्मी पापा को सेक्स करते देखता था तो मेरा लंड इतना टाइट हो जाता था कि बैठने का नाम नहीं लेता था / उस उम्र में ये भी नहीं पता था की मुठ मर कर भी लंड को शांत कर लेते हैं क्योंकि मेरे दोस्तों की ऐसी सोसाइटी नहीं थी / तभी मैं मम्मी की सलवार का नाडा निकल कर अपनी कमर पर बांध कर और अपने लंड को बाँध कर सीधा कर लेते था ताकि मेरे टाइट लंड किसी को नज़र न आये / फिर काफी देर बाद मेरा लंड ढीला होता था /
धीरे धीरे मम्मी पापा का रोज़ रोज़ का सेक्स देख कर और गन्दी गन्दी किताबे पड़कर पता चला की मुठ कैसे मरी जाती है /
मैं मम्मी पापा का प्यार देख कर मुठ मरता था / और अपना पानी निकल देता था और पानी साफ़ कर देता था ताकि मम्मी पापा को पता न चले /
धीरे धीर मैंने मम्मी की ब्रा और पेंटी ( जो की मम्मी नहाने के बाद बाथरूम के अंदर पुराने मैले कपड़ों के नीचे रख कर आते थे ) डाल कर नहाता था / ब्रा के अंदर कुछ पुराने कपडे दल लेता था / कभी एक हाथ ब्रा के एक कप पे और कभी ब्रा के दुसरे कप पर दबा कर लंड मसलता था / लंड मसलते हुए मम्मी के मोटे मोटे मुम्मे और मस्त गांड के साथ उनकी बिना झांटों वाली चूत का ख्याल करता था / सोचता था की पापा की जगा मैं मम्मी की चूत और गांड मार रहा हूँ / तब कहीं काफी देर बाद जा कर मेरा पानी मम्मी की पेंटी में निकल जाता था /
ये सब कर के मुझे जो सुख मिलता था वो तो सिर्फ वो ही जान सकते हैं जो ये कर चुके हैं /
बाकि फिर दोस्तों
आपका अपना
सुनील पंडित
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!