05-02-2021, 01:51 PM
अनिल बैसा ही मेरे ऊपर लेट गया। बैसे ही बाहों में बात्धे रखा। मैने झपकी लेली। फिर बड़े आहिस्ता से थोड़ा थोड़ा करके उसने आगे पीछे किया। मुझे तकलीफ तो हो रही थी पर उतनी नहीं। कुछ ही बार आगे पीछे कर के वह छड़ गया। छड़ने के पहले उसने अपना लण्ड बाहर खींच लिया। ठेर साराा गरम गरम सफेद पदार्थ मेरे पेट पर इकठ्ठा हो गया। रागिनी भाभी ने मुझे अकेले में बताया था कि बुर के अन्दर का पहला वीर्य प्रसाद की तरह होता है। मैने उसको थोड़ा सा ले कर चख लिया। अनिल मेरे उभारों पर सिर रख कर ल्ोट गया। उसने मुझे बताया कि इस बार वह मुझे चोदने का प्लान बना के आया था। नीलम भाभी को सामिल कर लिया था। भजियों में भॉग मिला दी गयी थी जो नीलम भाभी उसे लाड़ से खिला रहीं थी जिससे कि वह चुदबाने के लिये तैयार हो जाये”। मैने कहा “पकोड़े में भॉग होती या नहीं मै तो पहले से ही मन बनाके आयी थी कि चूत ब्ी बेचैनी मिटा के ही जाउॅगी”। बातों में आनन्द आ रहा था।
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अनिल अब हाथ से मेरी दूसरी चूची दबाने लगा था और चूत पर भी फेरने लगा था। मैं भी उसल लण्ड सहलाने लगी थी जो खड़ा हो गया था। उसने उठ कर के मेरी चूत पर इस तरह से चूमा कि मेरी चूत में कॅपकॅपी भर गयी। मेरा वदन तन गया था। मैं फिर से उत्तेजित हो गयी थी पर डर रही थी। अनिल ने तसल्ली दी। उसने मुझे नीचे खड़ा कर के उकडूॅ कर दिया। मेरे जोवन बिस्तर पर दब गये। उसने मेरी टॉगें जितनी खुल सकती थीं खोल दी। नीचे हाथ डाल कर मेरे दोनों गोले थाम लिये और पीछे से लण्ड धीरे धीरे पेलने लगा। थोड़ी देर में मुझे ही बहुत आनन्द आने लगा था। मैं अपने चूतड़ आगे पीछे करके खुद चुदबा रही थी। कण्ट्रोल मेरे हाथ मे था। मैने देखा मैं बहुत तेजी से अपने को उसके लण्ड के ऊपर पेल रही थी।
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चूत पूरी बाहर खीच ल्ोती फिर पीछे धकेल कर पूरा लण्ड समा ल्ोती। मुझे बेहद मजा आ रहा था। मुजे ऐसा ल्गा कि मेरे अन्दर कुछ होने बाला है। मैने कहा “हाय अनिल मुझे लगा दो”। उसने मेरी कमर पकडी और इतनी जोरों से पिल पड़ा कि मैं आगे पीछे नहीं हो पा रही थी। बिस्तर पर चिपक कर रह गयी थी। मैं बहुत आनन्द में भर कर “हॉ हॉ हॉ हॉ हॉ हॉ हॉ हॉ हॉ” कहे जा रही थी। मैरी चूत ने कॉप कर पानी छोड़ दिया। अनिल झटके लगाये जा रहा था। आखिर उसने लण्ड बाहर खींच कर अपना भी उगलना चालू कर दिया। दूसरी बार की चुदायी में मेरा मन आनन्द से भर गया था। मैने उससे कहा “मैने सब कुछ पा लिया मैं सब तरह से तुम्हारी हो गयी हूॅ”। अनिल ने कहा “हॉ तुम्हें पाने के लिये कितने पापड़ बेलने पड़े हैं। अब नीलम भाभी का कर्ज चुकाने का समय आ गया है। तुम कहो तो उनको भी बुला लें”। मैने पूछा “मेरे सामने किसी और ओरत को चोदोगे”। अनिल बोला”नहीं तुम्हारे साथ ही किसी और औरत को चोदूॅगा। आखिर तुम्हें पाने की कीमत जो है ”। मैं जब घर पहुॅची तो रात के दो बजे थे।
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बड़े तड़के ही रागिनी भाभी मेरे कमरे में आ गयीं। वह खेली खायीं हुयी थी। देखते ही सब समझ गयीं। बड़ी मक्कारी से हॅसते हुये बोली “बिन्नू भरतपुर लुट गया है”। मैने कहा “हॉ भाभी”। उन्होने पूछा “कितनी बार”। मैने कहा “तीन बार”। मेरी चूत पर हाथ मलते हुये बोली “फिर तो आज तो चलने के काबिल भी नहीं होगी। कहो तो सिकायी कर दूॅ”। कहानी सुनाते सुनाते मैं पूृरे जोश मै आ गयी थी। सुकान्त के ऊपर इतनी तेजी से और इतने ऊपर उठ उठ कर के अपनी चूत उसके लण्ड पर पम्प कर रही थी कि वह “ओ शशि ओ शशि माई गॉड ओ मेरी शशि ओ ओ ओ ओ शशि मेरी शशि ओ माईईईईईइ गॉाााााड” कर रहा था। वह उत्तेजना में भाभी भी नहीं कह रहा था। अचानक वह बोला “ओ मेरी शशि रानी मैं झड़ने बाला हूॅ”। मैने कहा “सुकान्त मुझे झड़ाये बगैर नहीं झड़ना”। सुकान्त एकदम पलटा। मुझे अपने नीचे ले लिया। मेरे ऊपर जारों से पिल पड़ा। मैं उठ नहीं पा रही थी फिर भी चूत के मसल्स हिला हिला कर ले रही थी। धुॅआधार चुदायी हो रही थी। दोनों जोरों जोरों से आवाजें निकाल रहे थै। आखिर झड़ने के पहले उसने मुझे झड़ा दिया। दोनों बैसे ही पड़े रहे। मैं तृप्ति से उसके बालों मैं हाथ फेरने लगी। सुकान्त उठा । मैं बैड पर बैठ कर अपने बाल का जूड़ा बना रही थी जो एकदम बिखर गये थे। सुकान्त ने मेरे गले में हीरे का हार डाल दिया। हार पचास हजार से कम का तो नहीं होगा। वह मेरे नंगे वदन पर चमक रहा था। दोनों उभारों को छू रहा था। मैने कहा”सुकान्त ये तो बेहद कीमती है”। उसने कहा “उसने ज्यादा कीमती तो नहीं जो तुमने मुझे दी है”। मैने कहा “तो कीमत चुका रहे हो”। उसने भाव में भर कर कहा “भाभी मैं जिन्दगी भर भी कीमत नहीं चुका सकता”। कंचन भाभी की ट्रेनिंग कमल कस्वेनुमा शहर के मध्यवर्गीय परिवार से था। पर उसने IIT से शिक्षा समाप्त की तो सब कुछ बदल गया। उसको बड़े शहर में ऊॅची नौकरी मिल गयी.। एक सम्पन्न परिवार में रिस्ता हो गया। उसकी बीवी कंचन काया से भी कंचन थी। गदराया हुआ यौवन. खरबूजे से उभार पतली कमर और कसे फैले नितम्ब और पुष्ट जंघायें। घुॅघराले लम्बे बाल काली ऑखें लम्बा सुर्ख चेहरा सुराहीदार गर्दन। सब मिला के एक खूबसूरत पूरी औरत। दो साल की चुदायी में और तीस वर्ष की उमर में जिस जगह मॉस आ जाना चाहिये था भर गया था।
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कमल की शादी देर में हुयी थी। वह उससे पॉच साल बढा था। घर में मॉ बाप के अलावा एक बहिन थी कंचन की उम्र की ही और एक भाई था विमल 25 वर्ष के आसपास। सब लोग कमल के साथ शहर आ गये थे। पर उसके मॉ भाप को फ्लेट नुमा मकान में रहना पसंद नहीं आया था और वह बापिस अपने कस्बे के बड़े मकान में चले गये थे। बहिन की शादी हो गयी थी। बस भाई विमल साथ रहता था। उसने ग्रेजुयेशन कर लिया था और पढाने के साथ साथ सिविल सर्विस की तैयारी कर रहा था। विमल और कंचन में खूब पटती थी। कमल में मैनेजर दायित्व की बजह से सीरियस आ गयी थी। पर विमल और कंचन में मस्ती भरी अल्हड़ता थी। दोनों की आदतेत्त् और शौक मिलते थे। शुरू में विमल में भाभी के लिये सैक्स की भावना नहीं थी। मजाक करते थे पर ऊपर ऊपर से। लेकिन कुछ अरसे से विमल की भावना कंचन की ओर बदल गयी थी। शुरूआत हुयी थी उसके दोस्तों से। उसके तीन अच्छे दोस्त थे। एक का तो अपनी भाभी से रिस्ता था। बाकी दो ने अपनी भाभियों के नंगे और चूत के फोटो निकाल लिये थे जिसको देख कर वह मूठ मारते थे। वह विमल को भी उकसाते थे। फिर एक दिन कंचन भाभी की एक सहेली आयी जो एकदम खुली हुयी थी। विमल की तरफ मक्कारी से देखती हुयी बोली “क्यों देवर जी अपनी भाभी का मजा लिया है या ऐसे मस्त माल को सूखा ही छोड़ रखा है?” कंचन उसको धकियाते हुये बोली “चल हट सबको अपना जैसा समझ रखा है” फिर वह और कंचन भाभी फुसफुसा कर बातें करते रहे और उसको देख कर हॅसते रहे। जाते जाते तिरछी नजर से बोली “हाय तेरी भाभी तेरी कदर ही नहीं जानती” और रही सही कसर उस समय पूरी हो गयी जब कंचन भाभी उसको कुछ समझा रहीं थीं। विमल की मैथ कमजोर थी जिसमें कंचन भाभी उसकी सहायता करती थीत्त् कमल भइया च्ल्लिये जा रहे थे “कंचन आओ ना” कंचन ये कहती हुयी उठ गयी ‘आज तेरे भइया ज्यादा उताबले हो रहे हैं” विमल समझ गया कि काहे के लिये उताबले हो रहे हैं। उसका लण्ड खड़ा हो गया। उसका कमरा दूर पड़ता था। पर बगल में गेस्टरूम था। वह उसमें घुस गया। “क्योंजी आज इतने उताबले क्यों हो रहे हो?” “मेरी जान कितने दिनों से तुमने दी ही नहीं” “चलिये मैने कब मना किया है आप को ही अपनी मीटिगों से फुरसत न्हीं मिलती। आते हैं और सो जाते हैं। हफ्ते से ऊपर हो जाता है” “तो तुम्ही याद दिला दिया करो”ऋ “क्या कहूॅ ?” “मुझे अपनी चूत का उदघाटन कराना है” “हाय राम कैसे बोलते हो शरम नहीं आती “इसमें शरम काहे की। अपनी बीवी को ही तो चोद रहा हूॅ। फिर दो साल से ले रही हो या नहीं” “तुम बहुत खराब हो। आह आआ। आाााााााााराम। उई माअअअअअअअआााा” लगता था कि उन्होनें डाल दिया था। “आााााआााााााााआाााााााााााााााााााााााञ्हूहूहू हू “ ‘धीरे करो राज अभी तो सारी रात बाकी है” ‘कंचन याद है जब रोज रात रात भर चोदते थे?” ‘खूब याद है पहली ही रात मूसल ठोक दिया था। मुझ से चलते भी नहीं बनता था। भाभियों ने कितना मजाक बनाया था”। भइया के हॅसने की आवाज आयी। “अब हॅस क्यों रहे हो?” “कुछ नहीं तुम्हारी वो भाभी जो चुदने के लिये तैयार हो गयीं थीं” “आह आह। मर गयी। ऊओह आाा। भाभी के नाम से कैसा जोश आ गया। आह आाााााााााााा” “कंचन अपनी टॉगें और खोलो। तुम्हारी चूत कितनी अच्छी है” “लो हॉ थोड़ा और जोर से। मैं जानती हूॅ आज इसका भुरता बन के रहेगा” “किसका?” “ओह हो तो मेरे मुॅह से गन्दी बात सुनना चाहते हैं न” ‘बोलो ना म्ोरी जान तुम्हारे मुॅह से सुनकर मेरे लण्ड में और जोश भर जाता है” “अच्छा बाबा बोलती हूॅ। मेरी चूत को कूट दो” “आााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााइतनी जोर से नर्र्ईईईईईईईईईईईईङईईईई।ओ मााॉ बहुत अच्च्छा लग रहा है। क्यों इतना इंतजार कराते हो” भाभी की जोर जोर से कराहने की आवाज के साथ फच्च फच्च की आवाज आ रही थी।पहली बार था जब उसने कंचन भाभी का नाम लेते हुये बही खड़े खड़े मूठ मारी। उस रात सारी रात वह भाभी के बारे में सोचता रहा। सारी रात सो ना सका। पहली बार भाभी के नाम पर लण्ड खड़ा हुआ था। बस तब से यह सोच कर कि भाभी कैसी कैसी मुद्रा में चुदती होंगी। नंगी भाभी लण्ड डलबाते समय कैसी लगती होंगीं। यह सोच कर रोज रात में झड जाता। इस बारे में भाभी से अनजाने में उसे मदद मिल रही थी। जब से वह विमल उन्हें वासना की दृष्टि से देखने लगा था उसकी निगाह उनकी चूचियों और टॉगों के बीच में रहती थी। ये नहीं था कि कंचन को विमल की बदली नजर का पता न्हीं चला था या उसके टॉगों के बीच घूरने से अनजान थी। उसको अच्छा ही लगा था। सिहरन सी महसूस हुयी थी। वह विमल के मूठ मारने से भी परिचित हो गयी थी. आखिर वही बिस्तर सॅभालती थी। म्ुासी हुयी चादर और झड़े हुये वीर्य के निशान सब कुछ कह देते थे। और एक दिन जब उसने तकिया हटाया तो अपनी दबी हुयी कच्छी पायी.। उठाया तो सूखा हुआ वीर्य का धब्बा। उसकी टॉगों के बीच में हलचल हो गयी। वह हॅस दी। उसे कच्छी के बारे में विमल से पूछने में झिझक लगी। अब आये दिन उसे तार पर सूखती अपनी एक कच्छी नहीं दिखती और दूसरे दिन सूखती मिल जाती। उस को पहिनने में उसे मजा आता। अब विमल अपना बिस्तर खुद लगाता था। एक दिन चादर बदलते समय गद्दे के नीचे से औरत की फोटो मिली जिसकी चूत खुली हुयी थी। कंचन ने मन बनाया कि जब वह किसी की चूत को देख कर झड़ता है तो क्यों ना उसी की चूत को देख कए झडे। उसने जब तक चुदायी .नहीं करबाती देवर को इतना मजा देने में कोई बुरायी नहीं समझी। उस रात उसको चुदबाने में दुगना मजा आया। झड़ी तो ध्यान में विमल भी था। इसी सिलसिले में उसने अपना निजी एल्बम बाहर छूट जाने के बहाने विमल को अपनी नंगी फोटो ले जाने का मौका दे दिया जिसमें वह टॉगें खोले पड़ी थी पर मुॅह पर हाथ रख छोड़ा था। कंचन की अपनी चुदायी तो रोज हो नहीं पाती थी। लेकिन रोज अपनी फोटो से छेड़छाड जिस पर विमल के वीर्य के दाग पडं गये थे सूखती कच्छी और मुसी चादर को देख कर उसे सैक्स का मजा आ जाता था। वह आनन्द में भरी रहती थी। वह तबियत से चुदबाती थी।
बगैर गैर से चुदबाये वह दो सैक्स का मजा ले रही थी। वह और आगे बढ गयी थी। विमल ने देखा कि भाभी जब समझाने बैठतीं हैं तो अपनी टॉगों की तरफ से अनजान रहतीं हैं. वह टॉगें खोल कर घुटने मोड़ लेती हैं। उनके अन्दर तक का सब कुछ दिखायी देता है। वह छोटी कच्छी पहनती हैं जो बहुत टाइट होती है। उसमें से उनकी भूली चूत उभर आती है। कच्छी कुछ कुछ पारदर्शी होने से उनकी चूत की झॉई दिखती है। चुदायी की रात के बाद तो उनकी खुली चूत में कच्छी के सामने का कम चौड़ा हिस्सा उनके दराज में घ्ुास जाता है और उसके दोनों तरफ की फॉकें भरे हुये संतरे सी उभर आती हैं। वह मुश्किल में अपना लण्ड दबाये बैठा रहता है। इतना उसके लिये झड़ने के लिये काफी है। उसने कुछ आगे बढने की कोशिश की पर भाभी की तरफ से रिसपौन्स न मिलने से उसकी हिम्मत नहीं पड़ी।
और एक दिन तो हद हो गयी। रात में उनकी चुदायी हुयी थी। वह अपनी कच्छी पहनन ही भूल गयीं थीं। जब टॉगें मुड़ी तो झन्नत सामने थी। उस समय तो विमल अपने पर काबू नहीं कर पाया बाथरूम का कह कर के और उठ कर के कमरे में चला गया। उसने पहले मूठ मारी फिर पढने बैठा। फिर ऐसा अक्सर होने लगा.। चारों दोस्त सैक्स में पूरी तरह रम गये थे। गंदी मूवी देखते थे। किताबें पढते थे। वह एक दूसरे की भाभियों के बारे में सोच कर और फोटों को अदल बदल कर दो दो तीन तीन बार मूठ मार लिया करते थे। और ड्रग लेना भी चालू कर दिया था। खुशी खुशी कंचन भाभी ने एक दिन उसका बिस्तर झाड़ा तो उनके होश उड़ गये। उन्हें ड्रग का पैकेट मिला। बगैर कमल को बताये उन्होंने विमल को घेरा “मैं तुम्हारी शादी कर रही हूॅ” “नहीं भाभी उसकी क्या जरूरत है? मैं तो अभी कम्पटीशन की तैयारी कर रहा हूॅ” “तुम कैसी तैयारी कर रहे हो मुझे पता है। तुम समझते हो भाभी कुछ नहीं जानती है?” विमल हड़बड़ा गया “भाभी क्या पता है?” “रोज मेरी नंगी फोटो के साथ क्या करते हो? रोज मेरी कच्छी खराब करते हो” “भाभी पर मैं शादी नहीं करना चाहता.। मुझे अपना कैरियर बनाने दीजिये?” “और जो रोज चादर गंदी करते हो। साफ करते करते मेरे हाथ घिस गये हैं”
वह अपनी हथेलियॉ दिखाती हुयी बोलीं वह हथेलियॉ चूमता हुआ बोला “पर आप हैं फिर शादी की क्या जरूरत है” “जरूरत है। तुमको जो चाहिये मैं नहीं दे सकती” “मुझे तो आपकी ही चाहिये” “क्याााााााााााा मैं तुम्हारे भइया से कहूॅगी कि उनका छोटा भाई भाभी से क्या चाहता है”। विमल सकपका गया “मेरा मतलब है कि मुझे तो आपके जैसी लड़की ही चाहिये” कंचन हॅसती हुयी बोली “हॉ तुम अपनी भाभी के इतने दीवाने हो तो मैं अपनी जैसी ही ढूॅड़ूॅगी” वह उसकी खराब आदत से डर गयीं थी और जल्दी से जल्दी शादी कर देना चाहतीं थीं। उन्होंने अपने ही रिस्ते में एक लड़की ढूॅड़ निकाली। कचनार बिलकुल कचनार की कली की तरह थी। विमल ने उसे देखा तो मना नहीं कर सका। कचनार की कली खिली नहीं कस्बे के मकान में हो कर शादी हुयी। जिसमें औरतों ने खाासकर बड़ी उमर की औरतों ने सैक्स भरी गारियॉ गा कर अपनी मन की भड़ास निकाल ली। फिर आई सुहागरात। ऊपर का कमरा सजाया गया जिसमें कंचन भाभी का ज्यादातर हाथ था। नये र्गद्दे तकिये चादर। फूलों की सेज। विमल को उसके दोस्तों ने सिखा पढा दिया था। वह पहले से कमरे में इंतजार बेचैनी से इंतजार कर रहा था। वह गरमाया हुआ था।
जितनी दे हो रही थी उतना ही उसका तनाव बढ रहा था। कमरे में आने की आहट आयी तो उठ कर खड़ा हो गया। कंचन भाभी थीं। वह पास आयीं और बोली “देवर जी सब्र रखो। इंतजार का फल मीठा होता है। फिर एक दूध का गिलास और नारियल रखती हुयी बोलती ही गयीं “जब काम हो जाये तो इस नरियल को फोड़ देना और दूध पी लेना ये रीत है” “मैं सुबह आउॅगी और कचनार को ले जाउॅगी जिसस्ो वो औरतों के इकट्टे होने के पहले अपने को ठीक कर ले” ‘और खून भरी चादर भी ले जाउॅगी। बाद में औरतें कमरे में घुस आयेंगी” वह बाहर जाने लगीं फि लौट कर उसकी ऑखों में देखती हुयी बोली “उसकी ऐसी हालत मत कर देना कि उठने लायक भी ना रह पाये जैसी तुम्हारे भइया ने कर दी थी” और हॅसती हुयी बाहर निकल गयीं। उसके बाद काफी समय गुजर गया।
उसको एक एक पल भारी पड़ रहा था लेकिन औरतें नई बहू को छोड़ती ही नहीं थीं। गयी रात में नाते रिस्ते की भाभियॉ कचनार को कमरे में ढकेल गयीं और खिलखिलाती हुयीं दरवाजा बन्द कर दिया।कुछ बहींबंद कमरे के बाहर खड़ी हो कर बातें सुनने लगीं। कचनार धीरे चल कर पलंग के पास आ कर खड़ी हो गयी। विमल ने उसको बाहों में बॉध लिया और चूमने लग गया।
वह सकुची हुयी खड़ी रहीं। फिर उसने उसे गिरा लिया और ऊपर चढ़ कर होठों को चूसता रहा। वह मना न्हीं कर रही थी पर अपनी तरफ से कुछ नहीं कर रही थी। विमल गरमाया हुआ था। ऊपर से ही उसका लण्ड कचनार की टॉगों
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अनिल अब हाथ से मेरी दूसरी चूची दबाने लगा था और चूत पर भी फेरने लगा था। मैं भी उसल लण्ड सहलाने लगी थी जो खड़ा हो गया था। उसने उठ कर के मेरी चूत पर इस तरह से चूमा कि मेरी चूत में कॅपकॅपी भर गयी। मेरा वदन तन गया था। मैं फिर से उत्तेजित हो गयी थी पर डर रही थी। अनिल ने तसल्ली दी। उसने मुझे नीचे खड़ा कर के उकडूॅ कर दिया। मेरे जोवन बिस्तर पर दब गये। उसने मेरी टॉगें जितनी खुल सकती थीं खोल दी। नीचे हाथ डाल कर मेरे दोनों गोले थाम लिये और पीछे से लण्ड धीरे धीरे पेलने लगा। थोड़ी देर में मुझे ही बहुत आनन्द आने लगा था। मैं अपने चूतड़ आगे पीछे करके खुद चुदबा रही थी। कण्ट्रोल मेरे हाथ मे था। मैने देखा मैं बहुत तेजी से अपने को उसके लण्ड के ऊपर पेल रही थी।
![[Image: 20210205-134434.jpg]](https://i.ibb.co/Q6k3Tw1/20210205-134434.jpg)
चूत पूरी बाहर खीच ल्ोती फिर पीछे धकेल कर पूरा लण्ड समा ल्ोती। मुझे बेहद मजा आ रहा था। मुजे ऐसा ल्गा कि मेरे अन्दर कुछ होने बाला है। मैने कहा “हाय अनिल मुझे लगा दो”। उसने मेरी कमर पकडी और इतनी जोरों से पिल पड़ा कि मैं आगे पीछे नहीं हो पा रही थी। बिस्तर पर चिपक कर रह गयी थी। मैं बहुत आनन्द में भर कर “हॉ हॉ हॉ हॉ हॉ हॉ हॉ हॉ हॉ” कहे जा रही थी। मैरी चूत ने कॉप कर पानी छोड़ दिया। अनिल झटके लगाये जा रहा था। आखिर उसने लण्ड बाहर खींच कर अपना भी उगलना चालू कर दिया। दूसरी बार की चुदायी में मेरा मन आनन्द से भर गया था। मैने उससे कहा “मैने सब कुछ पा लिया मैं सब तरह से तुम्हारी हो गयी हूॅ”। अनिल ने कहा “हॉ तुम्हें पाने के लिये कितने पापड़ बेलने पड़े हैं। अब नीलम भाभी का कर्ज चुकाने का समय आ गया है। तुम कहो तो उनको भी बुला लें”। मैने पूछा “मेरे सामने किसी और ओरत को चोदोगे”। अनिल बोला”नहीं तुम्हारे साथ ही किसी और औरत को चोदूॅगा। आखिर तुम्हें पाने की कीमत जो है ”। मैं जब घर पहुॅची तो रात के दो बजे थे।
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बड़े तड़के ही रागिनी भाभी मेरे कमरे में आ गयीं। वह खेली खायीं हुयी थी। देखते ही सब समझ गयीं। बड़ी मक्कारी से हॅसते हुये बोली “बिन्नू भरतपुर लुट गया है”। मैने कहा “हॉ भाभी”। उन्होने पूछा “कितनी बार”। मैने कहा “तीन बार”। मेरी चूत पर हाथ मलते हुये बोली “फिर तो आज तो चलने के काबिल भी नहीं होगी। कहो तो सिकायी कर दूॅ”। कहानी सुनाते सुनाते मैं पूृरे जोश मै आ गयी थी। सुकान्त के ऊपर इतनी तेजी से और इतने ऊपर उठ उठ कर के अपनी चूत उसके लण्ड पर पम्प कर रही थी कि वह “ओ शशि ओ शशि माई गॉड ओ मेरी शशि ओ ओ ओ ओ शशि मेरी शशि ओ माईईईईईइ गॉाााााड” कर रहा था। वह उत्तेजना में भाभी भी नहीं कह रहा था। अचानक वह बोला “ओ मेरी शशि रानी मैं झड़ने बाला हूॅ”। मैने कहा “सुकान्त मुझे झड़ाये बगैर नहीं झड़ना”। सुकान्त एकदम पलटा। मुझे अपने नीचे ले लिया। मेरे ऊपर जारों से पिल पड़ा। मैं उठ नहीं पा रही थी फिर भी चूत के मसल्स हिला हिला कर ले रही थी। धुॅआधार चुदायी हो रही थी। दोनों जोरों जोरों से आवाजें निकाल रहे थै। आखिर झड़ने के पहले उसने मुझे झड़ा दिया। दोनों बैसे ही पड़े रहे। मैं तृप्ति से उसके बालों मैं हाथ फेरने लगी। सुकान्त उठा । मैं बैड पर बैठ कर अपने बाल का जूड़ा बना रही थी जो एकदम बिखर गये थे। सुकान्त ने मेरे गले में हीरे का हार डाल दिया। हार पचास हजार से कम का तो नहीं होगा। वह मेरे नंगे वदन पर चमक रहा था। दोनों उभारों को छू रहा था। मैने कहा”सुकान्त ये तो बेहद कीमती है”। उसने कहा “उसने ज्यादा कीमती तो नहीं जो तुमने मुझे दी है”। मैने कहा “तो कीमत चुका रहे हो”। उसने भाव में भर कर कहा “भाभी मैं जिन्दगी भर भी कीमत नहीं चुका सकता”। कंचन भाभी की ट्रेनिंग कमल कस्वेनुमा शहर के मध्यवर्गीय परिवार से था। पर उसने IIT से शिक्षा समाप्त की तो सब कुछ बदल गया। उसको बड़े शहर में ऊॅची नौकरी मिल गयी.। एक सम्पन्न परिवार में रिस्ता हो गया। उसकी बीवी कंचन काया से भी कंचन थी। गदराया हुआ यौवन. खरबूजे से उभार पतली कमर और कसे फैले नितम्ब और पुष्ट जंघायें। घुॅघराले लम्बे बाल काली ऑखें लम्बा सुर्ख चेहरा सुराहीदार गर्दन। सब मिला के एक खूबसूरत पूरी औरत। दो साल की चुदायी में और तीस वर्ष की उमर में जिस जगह मॉस आ जाना चाहिये था भर गया था।
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कमल की शादी देर में हुयी थी। वह उससे पॉच साल बढा था। घर में मॉ बाप के अलावा एक बहिन थी कंचन की उम्र की ही और एक भाई था विमल 25 वर्ष के आसपास। सब लोग कमल के साथ शहर आ गये थे। पर उसके मॉ भाप को फ्लेट नुमा मकान में रहना पसंद नहीं आया था और वह बापिस अपने कस्बे के बड़े मकान में चले गये थे। बहिन की शादी हो गयी थी। बस भाई विमल साथ रहता था। उसने ग्रेजुयेशन कर लिया था और पढाने के साथ साथ सिविल सर्विस की तैयारी कर रहा था। विमल और कंचन में खूब पटती थी। कमल में मैनेजर दायित्व की बजह से सीरियस आ गयी थी। पर विमल और कंचन में मस्ती भरी अल्हड़ता थी। दोनों की आदतेत्त् और शौक मिलते थे। शुरू में विमल में भाभी के लिये सैक्स की भावना नहीं थी। मजाक करते थे पर ऊपर ऊपर से। लेकिन कुछ अरसे से विमल की भावना कंचन की ओर बदल गयी थी। शुरूआत हुयी थी उसके दोस्तों से। उसके तीन अच्छे दोस्त थे। एक का तो अपनी भाभी से रिस्ता था। बाकी दो ने अपनी भाभियों के नंगे और चूत के फोटो निकाल लिये थे जिसको देख कर वह मूठ मारते थे। वह विमल को भी उकसाते थे। फिर एक दिन कंचन भाभी की एक सहेली आयी जो एकदम खुली हुयी थी। विमल की तरफ मक्कारी से देखती हुयी बोली “क्यों देवर जी अपनी भाभी का मजा लिया है या ऐसे मस्त माल को सूखा ही छोड़ रखा है?” कंचन उसको धकियाते हुये बोली “चल हट सबको अपना जैसा समझ रखा है” फिर वह और कंचन भाभी फुसफुसा कर बातें करते रहे और उसको देख कर हॅसते रहे। जाते जाते तिरछी नजर से बोली “हाय तेरी भाभी तेरी कदर ही नहीं जानती” और रही सही कसर उस समय पूरी हो गयी जब कंचन भाभी उसको कुछ समझा रहीं थीं। विमल की मैथ कमजोर थी जिसमें कंचन भाभी उसकी सहायता करती थीत्त् कमल भइया च्ल्लिये जा रहे थे “कंचन आओ ना” कंचन ये कहती हुयी उठ गयी ‘आज तेरे भइया ज्यादा उताबले हो रहे हैं” विमल समझ गया कि काहे के लिये उताबले हो रहे हैं। उसका लण्ड खड़ा हो गया। उसका कमरा दूर पड़ता था। पर बगल में गेस्टरूम था। वह उसमें घुस गया। “क्योंजी आज इतने उताबले क्यों हो रहे हो?” “मेरी जान कितने दिनों से तुमने दी ही नहीं” “चलिये मैने कब मना किया है आप को ही अपनी मीटिगों से फुरसत न्हीं मिलती। आते हैं और सो जाते हैं। हफ्ते से ऊपर हो जाता है” “तो तुम्ही याद दिला दिया करो”ऋ “क्या कहूॅ ?” “मुझे अपनी चूत का उदघाटन कराना है” “हाय राम कैसे बोलते हो शरम नहीं आती “इसमें शरम काहे की। अपनी बीवी को ही तो चोद रहा हूॅ। फिर दो साल से ले रही हो या नहीं” “तुम बहुत खराब हो। आह आआ। आाााााााााराम। उई माअअअअअअअआााा” लगता था कि उन्होनें डाल दिया था। “आााााआााााााााआाााााााााााााााााााााााञ्हूहूहू हू “ ‘धीरे करो राज अभी तो सारी रात बाकी है” ‘कंचन याद है जब रोज रात रात भर चोदते थे?” ‘खूब याद है पहली ही रात मूसल ठोक दिया था। मुझ से चलते भी नहीं बनता था। भाभियों ने कितना मजाक बनाया था”। भइया के हॅसने की आवाज आयी। “अब हॅस क्यों रहे हो?” “कुछ नहीं तुम्हारी वो भाभी जो चुदने के लिये तैयार हो गयीं थीं” “आह आह। मर गयी। ऊओह आाा। भाभी के नाम से कैसा जोश आ गया। आह आाााााााााााा” “कंचन अपनी टॉगें और खोलो। तुम्हारी चूत कितनी अच्छी है” “लो हॉ थोड़ा और जोर से। मैं जानती हूॅ आज इसका भुरता बन के रहेगा” “किसका?” “ओह हो तो मेरे मुॅह से गन्दी बात सुनना चाहते हैं न” ‘बोलो ना म्ोरी जान तुम्हारे मुॅह से सुनकर मेरे लण्ड में और जोश भर जाता है” “अच्छा बाबा बोलती हूॅ। मेरी चूत को कूट दो” “आााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााइतनी जोर से नर्र्ईईईईईईईईईईईईङईईईई।ओ मााॉ बहुत अच्च्छा लग रहा है। क्यों इतना इंतजार कराते हो” भाभी की जोर जोर से कराहने की आवाज के साथ फच्च फच्च की आवाज आ रही थी।पहली बार था जब उसने कंचन भाभी का नाम लेते हुये बही खड़े खड़े मूठ मारी। उस रात सारी रात वह भाभी के बारे में सोचता रहा। सारी रात सो ना सका। पहली बार भाभी के नाम पर लण्ड खड़ा हुआ था। बस तब से यह सोच कर कि भाभी कैसी कैसी मुद्रा में चुदती होंगी। नंगी भाभी लण्ड डलबाते समय कैसी लगती होंगीं। यह सोच कर रोज रात में झड जाता। इस बारे में भाभी से अनजाने में उसे मदद मिल रही थी। जब से वह विमल उन्हें वासना की दृष्टि से देखने लगा था उसकी निगाह उनकी चूचियों और टॉगों के बीच में रहती थी। ये नहीं था कि कंचन को विमल की बदली नजर का पता न्हीं चला था या उसके टॉगों के बीच घूरने से अनजान थी। उसको अच्छा ही लगा था। सिहरन सी महसूस हुयी थी। वह विमल के मूठ मारने से भी परिचित हो गयी थी. आखिर वही बिस्तर सॅभालती थी। म्ुासी हुयी चादर और झड़े हुये वीर्य के निशान सब कुछ कह देते थे। और एक दिन जब उसने तकिया हटाया तो अपनी दबी हुयी कच्छी पायी.। उठाया तो सूखा हुआ वीर्य का धब्बा। उसकी टॉगों के बीच में हलचल हो गयी। वह हॅस दी। उसे कच्छी के बारे में विमल से पूछने में झिझक लगी। अब आये दिन उसे तार पर सूखती अपनी एक कच्छी नहीं दिखती और दूसरे दिन सूखती मिल जाती। उस को पहिनने में उसे मजा आता। अब विमल अपना बिस्तर खुद लगाता था। एक दिन चादर बदलते समय गद्दे के नीचे से औरत की फोटो मिली जिसकी चूत खुली हुयी थी। कंचन ने मन बनाया कि जब वह किसी की चूत को देख कर झड़ता है तो क्यों ना उसी की चूत को देख कए झडे। उसने जब तक चुदायी .नहीं करबाती देवर को इतना मजा देने में कोई बुरायी नहीं समझी। उस रात उसको चुदबाने में दुगना मजा आया। झड़ी तो ध्यान में विमल भी था। इसी सिलसिले में उसने अपना निजी एल्बम बाहर छूट जाने के बहाने विमल को अपनी नंगी फोटो ले जाने का मौका दे दिया जिसमें वह टॉगें खोले पड़ी थी पर मुॅह पर हाथ रख छोड़ा था। कंचन की अपनी चुदायी तो रोज हो नहीं पाती थी। लेकिन रोज अपनी फोटो से छेड़छाड जिस पर विमल के वीर्य के दाग पडं गये थे सूखती कच्छी और मुसी चादर को देख कर उसे सैक्स का मजा आ जाता था। वह आनन्द में भरी रहती थी। वह तबियत से चुदबाती थी।
बगैर गैर से चुदबाये वह दो सैक्स का मजा ले रही थी। वह और आगे बढ गयी थी। विमल ने देखा कि भाभी जब समझाने बैठतीं हैं तो अपनी टॉगों की तरफ से अनजान रहतीं हैं. वह टॉगें खोल कर घुटने मोड़ लेती हैं। उनके अन्दर तक का सब कुछ दिखायी देता है। वह छोटी कच्छी पहनती हैं जो बहुत टाइट होती है। उसमें से उनकी भूली चूत उभर आती है। कच्छी कुछ कुछ पारदर्शी होने से उनकी चूत की झॉई दिखती है। चुदायी की रात के बाद तो उनकी खुली चूत में कच्छी के सामने का कम चौड़ा हिस्सा उनके दराज में घ्ुास जाता है और उसके दोनों तरफ की फॉकें भरे हुये संतरे सी उभर आती हैं। वह मुश्किल में अपना लण्ड दबाये बैठा रहता है। इतना उसके लिये झड़ने के लिये काफी है। उसने कुछ आगे बढने की कोशिश की पर भाभी की तरफ से रिसपौन्स न मिलने से उसकी हिम्मत नहीं पड़ी।
और एक दिन तो हद हो गयी। रात में उनकी चुदायी हुयी थी। वह अपनी कच्छी पहनन ही भूल गयीं थीं। जब टॉगें मुड़ी तो झन्नत सामने थी। उस समय तो विमल अपने पर काबू नहीं कर पाया बाथरूम का कह कर के और उठ कर के कमरे में चला गया। उसने पहले मूठ मारी फिर पढने बैठा। फिर ऐसा अक्सर होने लगा.। चारों दोस्त सैक्स में पूरी तरह रम गये थे। गंदी मूवी देखते थे। किताबें पढते थे। वह एक दूसरे की भाभियों के बारे में सोच कर और फोटों को अदल बदल कर दो दो तीन तीन बार मूठ मार लिया करते थे। और ड्रग लेना भी चालू कर दिया था। खुशी खुशी कंचन भाभी ने एक दिन उसका बिस्तर झाड़ा तो उनके होश उड़ गये। उन्हें ड्रग का पैकेट मिला। बगैर कमल को बताये उन्होंने विमल को घेरा “मैं तुम्हारी शादी कर रही हूॅ” “नहीं भाभी उसकी क्या जरूरत है? मैं तो अभी कम्पटीशन की तैयारी कर रहा हूॅ” “तुम कैसी तैयारी कर रहे हो मुझे पता है। तुम समझते हो भाभी कुछ नहीं जानती है?” विमल हड़बड़ा गया “भाभी क्या पता है?” “रोज मेरी नंगी फोटो के साथ क्या करते हो? रोज मेरी कच्छी खराब करते हो” “भाभी पर मैं शादी नहीं करना चाहता.। मुझे अपना कैरियर बनाने दीजिये?” “और जो रोज चादर गंदी करते हो। साफ करते करते मेरे हाथ घिस गये हैं”
वह अपनी हथेलियॉ दिखाती हुयी बोलीं वह हथेलियॉ चूमता हुआ बोला “पर आप हैं फिर शादी की क्या जरूरत है” “जरूरत है। तुमको जो चाहिये मैं नहीं दे सकती” “मुझे तो आपकी ही चाहिये” “क्याााााााााााा मैं तुम्हारे भइया से कहूॅगी कि उनका छोटा भाई भाभी से क्या चाहता है”। विमल सकपका गया “मेरा मतलब है कि मुझे तो आपके जैसी लड़की ही चाहिये” कंचन हॅसती हुयी बोली “हॉ तुम अपनी भाभी के इतने दीवाने हो तो मैं अपनी जैसी ही ढूॅड़ूॅगी” वह उसकी खराब आदत से डर गयीं थी और जल्दी से जल्दी शादी कर देना चाहतीं थीं। उन्होंने अपने ही रिस्ते में एक लड़की ढूॅड़ निकाली। कचनार बिलकुल कचनार की कली की तरह थी। विमल ने उसे देखा तो मना नहीं कर सका। कचनार की कली खिली नहीं कस्बे के मकान में हो कर शादी हुयी। जिसमें औरतों ने खाासकर बड़ी उमर की औरतों ने सैक्स भरी गारियॉ गा कर अपनी मन की भड़ास निकाल ली। फिर आई सुहागरात। ऊपर का कमरा सजाया गया जिसमें कंचन भाभी का ज्यादातर हाथ था। नये र्गद्दे तकिये चादर। फूलों की सेज। विमल को उसके दोस्तों ने सिखा पढा दिया था। वह पहले से कमरे में इंतजार बेचैनी से इंतजार कर रहा था। वह गरमाया हुआ था।
जितनी दे हो रही थी उतना ही उसका तनाव बढ रहा था। कमरे में आने की आहट आयी तो उठ कर खड़ा हो गया। कंचन भाभी थीं। वह पास आयीं और बोली “देवर जी सब्र रखो। इंतजार का फल मीठा होता है। फिर एक दूध का गिलास और नारियल रखती हुयी बोलती ही गयीं “जब काम हो जाये तो इस नरियल को फोड़ देना और दूध पी लेना ये रीत है” “मैं सुबह आउॅगी और कचनार को ले जाउॅगी जिसस्ो वो औरतों के इकट्टे होने के पहले अपने को ठीक कर ले” ‘और खून भरी चादर भी ले जाउॅगी। बाद में औरतें कमरे में घुस आयेंगी” वह बाहर जाने लगीं फि लौट कर उसकी ऑखों में देखती हुयी बोली “उसकी ऐसी हालत मत कर देना कि उठने लायक भी ना रह पाये जैसी तुम्हारे भइया ने कर दी थी” और हॅसती हुयी बाहर निकल गयीं। उसके बाद काफी समय गुजर गया।
उसको एक एक पल भारी पड़ रहा था लेकिन औरतें नई बहू को छोड़ती ही नहीं थीं। गयी रात में नाते रिस्ते की भाभियॉ कचनार को कमरे में ढकेल गयीं और खिलखिलाती हुयीं दरवाजा बन्द कर दिया।कुछ बहींबंद कमरे के बाहर खड़ी हो कर बातें सुनने लगीं। कचनार धीरे चल कर पलंग के पास आ कर खड़ी हो गयी। विमल ने उसको बाहों में बॉध लिया और चूमने लग गया।
वह सकुची हुयी खड़ी रहीं। फिर उसने उसे गिरा लिया और ऊपर चढ़ कर होठों को चूसता रहा। वह मना न्हीं कर रही थी पर अपनी तरफ से कुछ नहीं कर रही थी। विमल गरमाया हुआ था। ऊपर से ही उसका लण्ड कचनार की टॉगों