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घर के औरतों की कामुक वासना
#18
खिसका कर मेरी पैण्टी उतार दी थी।  अब व मेरे चूतड के दोनो गोलों को जकड़े हुये था अपनी तरफ दबा रहा था।  मेरी चूत से नदी बह रही थी।  उसके घुटना पूरा चिपचिपा हो गया था। सुकान्त ने मुझे इतने जोर से बाहों में भींचा कि मेरी हडडी चरमरा उठी। मैं आनन्द में भर गयी। उसने मेरी पीढ को दबाया।  मेरे कंधों को दबाया।  मेरी बगल को दबाया।  मेरे हरेक चूतड। के गोले को जोर से दबाया।  मेरा हर पोर खुल गया।  यह मेरे लिये ब्ल्किुल नया मजा था।  ऊसने मेरी टॉगों के बीच के पूरे उभरे हुये भाग को हथेली में भर कर एक बार दबोचा तो अन्दर तक मेरी चूत में तरंग सी उठ गयी।  दूसरी बार उसने मुइी मसली तो तन के रह गयी।  मेरी चूत जैसे उसकी मुठ्ठी में आ गयी थी। मुझे एक लम्बी चुदायी जैसा आनन्द आ रहा था।  लगता था कि वह मुझे इसी तरह करता रहे। पर सुकान्त ने मुझे चित कर दिया और उठ कर के मेरी टॉगों के बीच में बैठ गया। मैने कहा “सुकान्त तुम्हारी तबियत ठीक नहीं है। ये मत करो”। पर उसने अपना मुॅह मेरी टॉगों के बीच में रख दिया। मैने कहा “अच्छा तुम लेटे रहो।  मुझे करने दो”। 





मैने उठ कर उसकी कमीज बनियान उतार फेंकी।  अपने बोझ से उसे लिटा कर उसका पजामा और अण्डरवियर पैरों से नीचे खीच दिया। उसका सॉप जैसा लण्ड फन उठा के खड़ा हो गया। लण्ड अनिल जैसा ही था।  अनिल का कुछ लम्बा है उसका कुछ मोटा था।  मैने उसको मुठ्ठी में बॉध लिया। वह तप रहा था।  बुखार होने से लण्ड ज्यादा गरम था।  मैं उसके ऊपर लेट गयी।  उसके माथे पर गालों पर होठों पर ऑखों पर चूमती रही। फिर नीचे सरक कर उसके सीने को चूमने लगी।  उसके निपिल को होठों में भर लिया।  वह सिहर उठा।  उसने हाथ से अपना लण्ड पकड़ कर मेरे अन्दर घुसाने की कोशिश की पर मैने अपनी टॉगें बॉध रखीं थीं। मैं उसके ऊपर लेटी हुयी उसके निपिल को चूस रही थी।  उसने हाथ बॉध कर मुझे जकड़ रखा था। मैं इतने नीचे खिसक आयी थी कि मेरे रस कलस उसके लण्ड को छू रहे थे। मैने उसके लण्ड को अपनी दोनों गोलाइयों की दराज में दबा रखा था।  मैं सुकान्त के निपिल को चूसते हुये ऊपर नीचे हो रही थी जिससे उसका लण्द मेरे दोनो गोलों के बीच में  फॅसा हुआ चुदायी कर रहा था। मैने अपनी चूचियों को थोड़ा उठाया।  उसके निपल्सि को चूसती रही।  नीचे हाथ ले जा कर उसके लण्ड को मुठ्ठी में थाम कर उसका सुपाड़ा खोल कर अपनी बायी निपिल पर रगड़ा।  दोनों कोमल अंग में सहरन दौड़ गयी। सुकान्त भोल “ओ माई गॉड” मेरा निपिल एकदम तन कर के सख्त हो गये। अब मैं उसके लण्ड को पकड़े हुये सुपाड़ा सीधा निपिल्स की नोक पर टकरा रही थी। निपिल्स आधा इंच उठ कर लण्ड जैसे तन गये थे और सुकान्त के लण्ड के छेद पर बार कर रहे थे जैसे उसको चूत मिल गयी हो। मेरे निपिल्स का रोंया रोंया तन गया था। 



सुकान्त बुरी तरह से गरमा गया था।  वह चूतड़ उठा उठा कर मेरे निपिल्स को चोद रहा था।  उसने मेरे होठो पर अपने होठ बॉध रखे थे। मैने सुकान्त के लण्ड में कॅपकॅपी होती देखी। मैं अपने को खिसकाती हुयी सुकान्त की टॉगौं के बीच में बिल्ली सी आ गयी। मैने अपने दोनों हाथों में उसका लण्ड भर लिया। उसका सुपाड़ा लाल हो रहा था।  छेद पर बूॅद चमक रही थी। मैने उसके सुपाड़े को बड़े लाड़ से देखा और एक चुम्बन लगा दिया। उसका पानी मेरे होठों पर लग गया।  उसके वीर्य की गंध मेरी नाक में भर गयी।  मैं अनिल की गंध से बाकिफ थी। लेकिन कुॅआरे वीर्य की गंध अलग थी ज्यादा तेज।  मैने जीभ निकाल कर उसके छेद पर चलायी तो वह दुहरा हो गया।  मुॅह से निकल पड़ा “ओ भाभी ये क्या करती हो”। मैं बैसे ही दोनों हाथों में भरे  खोले हुये अपनी जीभ आगे पीछे कर बटरफ्लाई किस उसके सुपाड़े को देती रही। अब व्ह तड़पने लग गया था “ओ मेरी भाभी ओ मेरी भाभी”। मैने सुपाड़े की रिंग को अपने होठों में भर लिया तो सुकान्त की चीख निकल गयी।  उसने अपना धड़ हवा में उठा दिया।  अब मैं अकेले सुपाड़े को होठों में समेटे उसे बटरफ्लाई किस दे रही थी।  वह पूरा आनन्द में भर गया था।  मेरा आनन्द मेरे चूत के रास्ते से बह रहा था।  रानें गीली हो गयी थी। 



सुकान्त बेचैनी से हिल रहा था “ओ भाभी अब और नही सह सकता ऊपर आ जाऔ ना”। वह मुझे ऊपर खीचने की कोशिश कर रहा था साथ ही बड़बड़ाये जा रहा था। “भाभाी मेरा ले लो ना”। “भाभी इसको अन्दर लो ना”। “भााााभीीीीीीीीीीीीी हमेशा से तुम मुझे सताती हो।  ये ठीक बात नहीं है।  “अब आओ भी ना”। सुकान्त ने उठने की कोशिश की तो मैने उसके अंडकोशों को मुठ्ठी में भरा तो वह बैसा ही पड़ा रह गया। अब मैने उसके पूरे डंडे को मुॅह में भर लिया।  वह बैसा ही तड़प रहा था और मुझे अपने ऊपर खीचने की कोशिश कर रहा था।  मैने अपने पूरे बाल खोल कर उसके लण्ड के चारों ओर फैला लिये थे।  और अब बाकायदा उसके पूरे लण्ड के ऊपर मुॅह चला रही थी।  कभी मुॅह में भर लेती थी। कभी जीभ से चाटती थी।  कभी चाटती हुयी उसके अंड़ों को हौले से मुॅह में ले लेती थी। बुखार की बजह से उसका लण्ड ज्यादा गरम लग रहा था। वह लण्ड को उसकी असली जगह में डालने के लिये प्लीड कर रहा था।  मुझे खाीचने की कोशिश कर रहा था।  पर मैं जौंक की तरह चिपक गयी थी।  बाल उसके ऊपर छितराये हुये मैं उसे चूसती रही।  उसने भी अब अपना हाथ मेरे सिर पर जमा दिया था।  वह ऊपर से हाथ से दबा रहा था और नीचे चूतड़ उठा कर लण्ड से मुॅह में चोदने की कोशिश कर रहा था। एक बार उसने पेलने के लिये चूतड़ ऊपर उठाये तो वहीं तन कर रह गया।  मेरे मुॅह  में जैसे लावा भर गया हो। मैने झटे से मुॅह हटाया और मुठ्ठी में लण्ड भर कर जल्दी जल्दी मुठ्ठी चलायी। उसका कॉपता रहा और रूक रूक कर पिचकारी की तरह सफेदी उगलता रहा। धार ऊपर तक जा कर उसके पेट पर इकठ्ठी होती रही। सुकान्त ने मुझे टॉगौं के नीचे से बैसी ही हालत में अपने ऊपर खींच लिया।  उसका गरम गरम पदार्थ मेरी दोनों चूचियों और पैट पर फैल गया।  उसी तरह वह बडी  देर तक  अपनी बॉहों में बाधे रहा। मैं उस से अलग हुयी तो उसके वीर्य से लथपथ थी। मैं उठी तो मैने अपने बाल समेट कर ढीले से जूड़े में बॉध लिये।  मैं अपने कपड़े समेट कर बाथरूम  मैं भागी। ऐसे तौलिये से पौछ कर बगैर पैण्टी और ब्रेजियर के साड़ी ब्लाउज पहन कर जल्दी से बाहर गयी। सबसे पहले मैने सुकान्त को बुखाार के लिये दो टाइलेनौल की गोलियॉ दीं। 



उसकी तरफ वही ताौलिया फेकते हुये बोली “अब उठो मुझे बिस्तर ठीक करने दो। देखो तो क्या हालत बना रखी है। अपनी यह तीन दिन की दाढी उतारो।  जल्दी से फ्रेश हो जाओ तब तक मैं गरम गरम नास्ता बनाती हूॅ। सुकान्त को बाथरूम में धकेल कर मैने उसके चादर गिलाफ बदल डाले।  अभी मैं नास्ता तैयार भी नहीं कर पायी थी कि सुकान्त ने पीछे से आ कर मुझे जकड़ लिया। उसके चेहरे पर रौनक आ गयी थी।  वह हाल ही नहाने के बाद बड़ा हैण्डसम लग रहा था हॉलॉकि दाढी उसने अभी भी नहीं बनायी थी। दाढी मैं वह और भी सैक्सी हो उठा था। मैने कहा “अभी मुझे छोड़ो।  मैं नहा कर आती हूॅ फिर साथ में नास्ता करेंगे”। अपने को छुड़ा कर मैं बाथरूम की तरफ बढी।  उसने पकड़ने की कोशिस की पर मैं भाग कर बाथरूम में घुस गयी। मैने ठंडा गरम पानी मिला कर गुनगुने पानी का शॉवर खोला।  मेरा मन वहुत खुश था।  मैं गुनगुना रही थी। मैने शॉवर की धार अपनै निपिल्स और पेट के ऊपर की।  उसका गाढा चिपचिपा वीर्य चूत के ऊपर होता हुआ बह गया।  चूत पर गुनगुने पानी की धार पड़ी तो बहुत अच्छा लगा।  मैने टॉगें खोल कर चूट का मुॅह सीधा शॉवर के सामने कर दिया। प्रेसर से क्लिटोरी पर गिरती बूॅदें गुदगुदी कर रहीं थीं।  बैसे भी चूत को उसकी खुराक नही मिली थी।  चूत में कुछ खुजली सी होने लगी।  मैने साबुन का ढेर सारा झाग बनाया और उॅगलियों में भर कर छेद मैं गूसेड़ लिया। अच्छा लगा तो साबुन की बट्टी ही छेद में घुसा ली। मैं इतनी मगन हो गयी थी कि मुझे पता ही नहीं चला कि सुकान्त चाभी से दरवाजा खोल कर अन्दर घुस आया है। उसे देख कर मैं शर्मा गयी हॉलॉकि अभी हाल ही  उसके आगे नंगी हुयी थी। मैने अपनी बुर छिपाते हुये कहा “अभी तुम बाहर निकलो”। पर उसने मुझे आगे बढ कर जकड़ लिया। 
सुकान्त की जुबानी......शशि भाभी भाग तो गयीं पर जाते जाते मुॅह चिड़ा गयीं जिस से जाहिर था कि अगर पकड़ लो तो मुझे पाा लो। अन्दर से उनके मस्ती से गुनगुनाने की आवाज आ रही थी।  बहुत ही मधुर आवाज थी।  मैने चाभी से दरवाजा खोला तो धक से रह गया।  शॉवर की बौछार में वह आकृति जैसी लग रहीं थीं  लम्बी छहहरी देह चिकनी त्वचा और गोरा रंग। भरे हुये मस्त उरोज और उनके ऊपर फूली हुयी घुीण्डयॉ पानी में चम्क रहीं थीं।  उनके कूल्हे भरे हुये थे और नितम्ब के दोनों सुडौल गोले पीछे तक उभरे और उठे हुये थे उनमें बिल्कुल भी जुकाव नहीं था।  उन्होने  अपनी टॉगें खोल कर  चूत को शॉवर की धार के आगे कर रखाा था। देखते ही मेरा लण्ड एकदम तन गया। मुझे इस तरह देख कर वह कमसिन की तरह लजा गयीं।  मैने आगे बढ कर उनको बॉध लिया।  



भीगने की परवाह भी नहीं की। शशि भाभी ने मना किया “तुम्हारी तबियत ठीक नहीं है पानी में मत भीगो”। पर मैने अपनी हथेलियॉ पीछे से उनकी मस्त पहाड़ियों पर बॉध ली और उन्हें मसलने लगा। अपना मुॅह उनकी गरदन पर रख कर उसे चूमने लगा। भाभी ने हार कहा “अच्छा पानी तो बन्द कर दो”। मैने कहा “चलने दो तुम्हारे शरीर पर अच्छा लग रहा है”। हम लोग थोड़ी देर तक नहाते रहे।  मैं हथेलियों से उनके ऊपर के उभार दबाये हुये था और अपनी रानों के बीच में पीछे की गोलाइयों को दबाये हुये था।  मेरा लण्ड दोनों गोलाइयों के बीच में घसने की कोशिश कर रहा था। उनकी पतली देह एकदम तन गयी थी और पीछे से म्ुॉह घुमा कर मुझे चूम रहीं थीं। मैने उनको घुमा कर अपने सामने कर लिया और उनके सामने नीचे बैठ गया।   भाभी ने बड़े प्यार से मुझे देखा और मेरे भीगे कपड़े उतार फेके।मैने घुटने के बल बैठ कर उनकी पतली कमर को बाहों में भर लिया और अपने होठ उनकी नाभि पर जमा दिये।  मैं उनकी नाभि के गडढे में जीभ डाल कर चूसने लगा । भाभी ने बायॉ हाथ सिर पर रख कर अपने से और चिपका लिया और दायें हाथ मेरे बालों में फेरने लगीं। वह मुझे बड़े प्यार से देख रहीं थीं। मैने अपना मुॅह और नीचे सरकाया तो उन्होने टॉगें चौड़ी कर दीं। मैने उनकी बुर को चूम तो लिया पर टॉगों के बीच में छुपी होने के कारण पहुॅच न सका। मैने उठ कर उनको बाहों में उठाया और वहीं संगमरमर के फर्स पर लिटा दिया। भाभी बोली “ये क्या कर रहे हो”। पर जबाव देने की जगह मैने उनकी टॉगें चौड़ी कर के अपने कंधे पर रख लीं। मेरे सामने भरी भरी फाकों बाली बुर मुॅह खोले हुये  थी।  



अन्दर की कोमल पर्ते गहरी गुलाबी लिये हुये गहरायी तक दिख रहीं थी. जिनको मैं दूर से देख कर मदहोश हो गया था।  शॉवर का पानी उनकी बुर के छेद पर सीधा गिर रहा था.  उसके इम्पैक्ट से उनको सुख मिल रहा था।  वह टॉगें और चौड़ा कर धार के सामने कर रहीं थीं।  मैने अपना मुॅह उनकी चूत के ऊपर रख दिया तो वह सिहर उठीं “ओ मेरे सुकान्त”। मैने उसका चूत का दाना अपने होठों से चूसा तो वह अपने चूतड़ उठा उठी। मैने उसके दाने पर जीभ ऊपर नीच्ो कर के बटरफ्लाई किस करना शुरू कर दिया। अब शशि भाभी के तड़पने की बारी थी। वह चिल्लाने लगीं “ओ सुकान्त प्लीज ऐ मत करो।  मुझे कुछ भी कर लो”। मैं अपनी जीभ की नोक से जैसे बिल्ली दुध पीती है उनकी क्लिटोरी से खेल रहा था।  साथ ही एकाध बार अपनी उॅगली उनकी छेद में डाल कर घुमा देता था। वह दोहरी हो जाती थीं। अब वह गिगयाने लगीं थीं “सुकान्त और म्त तड़पाऔ प्लीज अन्दर डाल दो न”। शशि भाभी हाथ से लण्ड पकड़ कर मसल रहीं थीं  और अपनी चूत की तरफ खीचने की कोशिश कर रहीं थी। मैने गहरायी तक उॅगली डाली तो उठ कर बैठ गयी “सुकान्त इसको उॅगली की नहीं तुम्हारे इसकी जरूरत है। कस कस के ठोक दो इसको अब मैं नहीं सह सकती। मैने देखा कि शशि भाभी आपा खो चुकी थीक्त मैने अपना पूरा मॅुह उनकी चूत की गहरायी तक चिपका दिया। और चूसा तो वह सिर हिला कर ऊॅची आवाज मैं मोन करने लगीं थी। “उॅ है. उॅ हैं “उॅ है. उ ॅहैं उॅ हैं “उॅ है. उ ॅहैं उॅ हैं “उॅ है. उ ॅहैं मैं अपनी पुृी जीभ से छेद से लेकर क्लिटोरी तक चाट रहा था और जब क्लिटोरी तक पहुॅचता था तो होठों से उसे बरी तरह से खा रहा था। उसी समय शशि भाभी अपने दोनों हाथ मेरे मुॅह के दोनों तरफ जाघों पर बेचौनी से फेरती थीं साथ ही लगातार उनकी आवाज बढती जा रही थी “उॅ है. उॅ हैं “उॅ है. उ ॅहैं उॅ हैं “उॅ है. उ ॅहैं उॅ हैं “उॅ है. उ ॅहैं मैने उनको फिर चाटा “उॅ है. उॅ हैं “उॅ है. उ ॅहैं उॅ हैं “उॅ है. उ ॅहैं उॅ हैं “उॅ है. उ ॅहैं “उॅ है. उॅ हैं “उॅ है. उ ॅहैं उॅ हैं “उॅ है. उ ॅहैं उॅ हैं “उॅ है. उ ॅहैं मेने होंठ जोरो से गडाये “उॅ है. उॅ हैं “उॅ है. उ ॅहैं उॅ हैं “उॅ है. उ ॅहैं उॅ हैं “उॅ है. उ ॅहैं “उॅ है. उॅ हैं “उॅ है. उ ॅहैं उॅ हैं “उॅ है. उ ॅहैं उॅ हैं “उॅ है. उ ॅहैं “उॅ है. उॅ हैं “उॅ है. उ ॅहैं उॅ हैं “उॅ है. उ ॅहैं उॅ हैं “उॅ है. उ ॅहैं उनकी चूत में कम्पन मालूम पड़ने लगा था। मेरा लण्ड भी जमीन को रगड़ रहा था।  मैं पलट कर उनके ऊपर चढ बैठा।  



मेरा मुॅह उनकी चूत की तरफ था और लण्ड उनके दोनों जोवनों के बीच। मैने उनके दोनें जोवनों के बीच की दराज में ल्ण्ड पेलना चालू कर दिया साथ ही पूरी तरह मुॅह घुसा कर जीभ से उनकी चूत की चुदायी करने लगा। वह सिहर उठी”ो मेरे सुकान्त मैं तो गय्ईईईईईईईईईईईईईईईईईऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ य्ोएएएएए क्याााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााा कियााााााााााााााााााााााााााााााा।  बगैर डाले हीीीीीीीीीीीीीीीीीी झड।ााााााााााााााााााा दियाााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााा”। मैं भी अपने को नही रोक सका।  गाढा गाढा पानी उनकी छातियों पर उगलता रहा। मेरे वीर्य से उनकी गोलाइयॉ चूचिया6 बुरी तरह से सन गयीं थी। शशि भाभी ने शिकायत की” मैं नहा चुकी थी देखो ये क्या किया”। मैने उनको बॉधते हाये कहा “चलो अभी नहलाये देते है”। उन्होने कहा “नहीं तुम बाहर चलो मैं नहा के आती हूॅ”। नहा के आयी तो शशि भाभी बहुर प्यारी लग रहीं थी।  उन्होने बैस ही ढीला जूडा. बना रखा था।  आते ही उन्होंने नास्ता लगा दिया। उन्होने बड़े अधिकार से कहा “चलो अब नास्ता करो”। मैने कहा “मझे भूख नहीं है”। वह बोलीं “हॉ तुम्हें तो ओर ही चीज की भूख है।  मुझे पता होता कि तुम यह करोगे तो मैं आती ही नहीं”। मैने कहा “हॉ हॉ चहे मैं मर ही जाता”। शशि भाभी मेरे पास आकर मुझको चूमते हुये बोलीं’ तुम्हें मेरी कसम है  ऐसी बात फिर कभी मत कहना”। मैने उनको जकड़ लिया। वह बोलीं “नहीं पहले नास्ता करो।  ना जाने इतने दिनों से कुछ नहीं खाया है”। मैनै कहा “अच्छा यहीं बैठा”। उन्होंने बड़े लाड़ से मुझे खिलाया।  वह उठ कर किचिन में जाने लगीं तो मैने उन्हें सामने से बॉध लिया और होठों पर अपने होंठ चिपका दिये।  उन्होने अपनी बॉहें मेरे गले में डाल दीं। मेरी ऑखों में ऑखें डाल कर बोली “मेरे देवर जी।  अब मुझे छोड़ो मैं लंच के समय आउॅगी। मैने कहा “ना भाभी मैं जिसके लिये इतना तड़पा हूॅ।  ाभी तो पारी पूरी हुयी नही हैं। मैं उनको खींच कर बैडरूम में ले गया। 



शशि की जुबानी......... मैं झड़ चुकी थी।  पर लण्ड न लगने से थोड़ी कसमसहट रह गयी थी।  सुकान्त के मेरे उभारों पर मुॅह रखने से फिर से जग गयी।  मेरी चूचियॉ बहुत सेंसिटिव हैं। सुकान्त जकड़े हुये मुझे कमरे में ले आया।  मैक्त उसका भारी लण्ड अपने चूतड़ों पर महसूस कर रही थी।  दो बार झड़ने के बाद वह पत्थर की तरह सख्त हो गया था।  अनिल को दुबारा खड़े होने में समय लगता था वह भी मुझे लण्ड को जगाना पड़ताा था। सुकान्त बिस्तर पर बैठ गया।  मुझे अपनी टॉगों के बीच में खड़ा कर लिया।  उसने मेरे ब्लाउज के बटन खोल डाले.  ब्रेजियर का हुक खोल दिया।  मेरे बड़ी बडी.े लचकदार गेदें जम्प कर के बाहर आ गयी।  उसने सड़ी के ऊपर से ही नाड़ा खीच दिया तो साड़ी पेटीकोट समेत पैरों पर गिर गयी। मैने भी उसकी उतार डाली।  उसने मुॅह मेरी चूचियों की तरफ किया तो मैनै अपनी बायें जोवन को ञथ मैं भर कर खुड उसके मुॅह मैं दे दिया और दूसरा हाथ उसके सिर पर रख कर अपने उभार पर दबाया। उसने अपने गथ मेरे पीछे बॉध लिये थे।  वह सधे हाथ से मेरे कंधे।  मेरी पीठ और उभरे हुये कूल्हे दबा रहा था।  वह हाथ ऊपर से नीचे तक फेर रहा था।  नीचे आता तो चूतड़ो को दबाता हुआ हाथ दराार के अन्दर तक ले जाता था तो मैम् सिहर उठती थी।  मैने नीचे हाथ करके उसके पजामे का नाड़ा खोल दिया।  उसको सरकाया  तो वह खुद ऊपर उठ गया।  ाब मैने भी उसके मर्दानेपन को मुट्टी में बॉध लिया था ाौर उस पर हाथ चलाने लगी थी।  सुकान्त पीछे से उॅगलियॉ और नीचे से ले जाकर मेरी निजी चीज को छूने लगा था।  




मै तो उसके चूसने से ही गर्मा गयी थी।  मैने अपन िटॉगें और फैला दी जिससे कि वह आसानी से मेरे स्वर्गद्वार में प्रवेश कर सके।  जैसे ही उसकी उॅगलियों ने मेरे निजी मुॅह को  छुआ मुझ में आग लग गयी “उ ई ई ई ईईईई“ मैने भी कस के मुठ्ठी मे उसके तने को दबा लिया।  वह भी शीत्कार कर उठा “ओ मााााााााईईईईईईइ गॉडडडडडडडडडडड”। वह अपनी तर्जनी मेरे छेद में करने लगा।  मैं बेहद गरम थी।  चूत से पानी टपकने लगा था। उसने मेरे निपिल्स पर तॉत लगा दिये।  मैं और से चीखी और बाल खीच कर उसका मुॅह अलग कर दिया। सुकान्त बैड से उतर कर नीचे बैठ गया और मेरे दोनों कूल्हों को जकड़ कर अपना मुॅह मेरी केशरक्यारी पर रख दिया। बैसे तो मैं क्लीनशेव्ड रखती हूॅ पर अचानक हो जाने से मेरे छोटे छोटे से बाल थे।  उसने मुॅह केशरक्यारी पर रगड़ा तो मुझे बहुत अच्छा लगा। उसने अपना मुॅह और नीचे किया तो मैने ताना कसा “क्या बात है इतना बड़ा हथियार देखने के लिये है काम नही करता है”। सुकान्त को जोश आ गया बोला “अच्छा ऐसी बात है”। उसने मुझे घुमाकर बैड पर पटक दिया।  जॉघे पकड़ कर दोनों टॉगें खोली और एक झटके में पूरे बेग से अपना लण्द मेरी चूत में पेल दिया। बैड चरमरा उठा। मै खिसक कर बैड के दूसरे सिरे तक चली गयी। उसका लण्द मेरी चूत की गहरायी में अन्दर की दीबार पर कटाक से पड़ा। मेरे मुॅह से चीख निकाल गयी “ओ मेरी मॉऑऑऑ”। वह पूरे बेग से पिल गया।  उसका पूरा ड़ंडा बाहर निकलता था फिर उसी तेजी से अन्दर हो जाता था। मुझे परम आनन्द मिल रहा था। मैने अपने नाखून उसकी पीठ पर गद.ा दिये थो। मैं जोरोम् से मोन कर रही थी “ओह ओह ओह ओह ओह अअ‍ेह अअ‍ेह अओह”  वह भी जोश में कहे जा रहा था “ये लो ये लो ये लो ये और लो और और और लो”। पंदरह मिनट तक वह मेरी चूत को गूथता रहा। मैने कहा “अच्छा देवर जी मैं मान गयी हूॅ अब तो आराम से करो”। वह थम गया।  मैं बैड पर खिसक कर लेट गयी।  वह मेरे ऊपर आ गया।  मैने उसके लण्ड को थामा तो वह मेरे पाानी से लथपथ था। मैने बड़े प्यार से उसके सुपााड़े को चूमा और सुपााड़ा अपनी फैली हुयी चूत में बैठा दिया। सुकान्त अब आराम से अन्दर बाहर कर रहा था।  उसका पूरा लण्ड अन्दर जाता था फिर पूरा बाहर आ जाता था।  झाते समय और निकालते समय् वह मेरी चूत की दीवार से रगड़ता जाताा था।  मुझे बहुत सुख मिल रहा था। मेरी चूत तो आनन्द के लण्ड को चकती रहती थी।  पर उसको लण्ड का फरक पता चल रहा था।  चूत एक नया स्वाद महसूस कर रही थी बेहद स्वादिष्ट आनन्दमय। पूरी तबियत से लगबा रही थी। जब उसका लण्ड अन्दर पिलायी कर रहा था मैने पूछा “सुकान्त एक बात पूॅछूॅ सही सही बताना तुमने पहले किस की की है”। सुकान्त बोला “ मैं बताउॅगा अगर भाभी तुम भी बताऔ कि तुमने सबसे पहले किस पर निझाबर की है”। मैने हामी भर दी तो वह ऊपर से उतरने लगा “भाभी तुम लगाओ मैं सुनूॅगा”। मैने उसको पकड़ लिया “नही नही तुम ऐसे ही करते रहो और अपनी कहानी सुनाओ”। सुकान्त की जुबानी शशि भाभी को स्ट्रोक लगाते हुये मैने कहना शुरू किया।  मैने उनके दोनों रस कलस मुठ्ठियों में भर रखे थे और हर बार चोट करते हुये गूॅध रहा था।  वह बीच बीच में आनन्द से कराह उठती थी पर कहानी सुनने में मग्न हो गयी थीं। “मै एक किराये के मकान में रहता था। 



मकान की मालकिन बहुत ही खूबसूरत थी।  एकदम कोमल।  एकदम पारदर्शी कि अगर धूप में खड़ी हुयी तो झुलस जायेगी।  चेहरे पर संभ्रान्ता की छाप।  छोटे छोटे पतले फूल से होंठ। शशि भाभी बीच में बोली “तुम्हारी नजर हमेशा मकान मालकिन पर रहती है। भोलेपन का ढोंग करते हो”। मैने कहा “अगर बीच में टोकोगी तो मैं नहीं कहूॅगा”। मैने आगे चालू रखा “उनका बहुत अच्छा परिवार था।  फूल सी बच्ची थी।  मिलनसार हैंडसम पति था।  वह मिल कर बहुत खुश होते थे। पर मकान मालकिन मुझ से बेबजह खफा रहती थी।मैने एक दो बार बड़े आदर से उसको विश किया लेकिन उसकी साफ ब्ोरूखी देख कर सोच लिया कि आगे से बात नहीं करूॅगा शायद उनको अपने रूप का घमंड है।  पर बच्ची और उसके सास ससुर के कारण मेरा उनके यहॉ आना जाना शुरू हुआ तो मालूम हुआ कि वह तो बहुत नर्म और मृदुभाषिणी है। उसको तो घंमंड छू तक नही गया है। ये तो उसके पहले किरायेदार के कड़बे अनुभव के कारण है”। शशि भाभी समझ गयीं मेरे सीने पर मुक्के बरसाती हुयी बोली “ये तो तुम मेरे बारे में कह रहे हो”।  मैने कहा “तुम्ही ने तो पूछा था कि सबसे पहले मैने किस की की है”। शशि भाभी ने मेरी ऑखों में देखते हुये पूछा “सच कह रहे हो”। मैने जबाव दिया “हॉ भाभी”। वह उठ बैठी।  मुझे बार बार चूमती हुयी बोली “मैं बहुत गर्व महसूस कर रही हूॅ।  




अपना कोरे लण्ड का सुख तुम अपनी भाभी को दे रहे हो।  मैं जिन्दगी भर याद रखूॅगी”। मैने कहा’भाभी मुझे अपना काम तो करने दो”। मैने उनको बिस्तर पर दबाकर के कि वह हिल भी न पायें घुटनों के बल बैठ कर के गहरे गहरे स्पीड से चोटें दीं। वह भी जोस में आ गयीं थीं।  हर बार अपनी चूत ऊपर उठा देती थी। बड़बडा रहीं थीं ‘हॉ लगाओ.................……… और लगाओ……………।हॉ हॉ हॉ हॉ हॉ”।
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RE: घर के औरतों की कामुक वासना - by Dani Daniels - 03-02-2021, 06:00 PM



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