Thread Rating:
  • 0 Vote(s) - 0 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
घर के औरतों की कामुक वासना
#10
ऑखें जलने लगीं। उसका इतना लाल चेहरा मैने कभी नहीं देखा था। वह बुदबुदाने लगा। “भाभी इट इज नॉट फेयर। तुम ठीक नहीं कर रही हो”। दूसरे दोनों पार्टनर को समझ नहीं आया कि मैनै क्या ठीक नहीं खेला। 


मुझको महसूस हुआ कि मैं इसको ज्यादा ही छेड़ रही हूॅ। सुकान्त की जुबानी शशि भाभी सीधा छोड़खानी पर उतर आयीं थीं। उनकी सेक्सभरी हरकतें बहुत आगे बढ गयीं थीं। मैं हमेशा तनाव में रहता था सैक्स से भरा हुआ। ब््िराज में वह हमेशा मेरी पार्टनर बनतीं थीं। उस दिन शशि भाभी मेरे सामने टिक कर के बैठ गयीं थी। घुटने मोड़ कर उन्होने पैर सामने कर लिये थे। टॉगें फैला ली थीं। सामने साड़ी खींच ली थी जो टॉगें अलग होने से एकदम तन गयी थी। वह मेरी डमी थी। सामने उनके पत्ते फैले हुये थे। मैंने सामने देखा तो जैसे पर्दा ऊपर उठता है उनकी साड़ी ऊपर उठती गयी। उनका अन्दर तक सामने दिख रहा था। उन्होने कुछ भी नही पहन रखा था। टॉगें चौड़ा रखी थीं। सामने दोनों टॉगों के अन्दर का सब कुछ दिख रहा था। वह भाग स्पंज सा फूला हुआ था। बुर उनके रंग से थोड़ी काली थी। मूझको देखते हुये देख कर भाभी ने टॉगें और चौड़ा दीं। बुर का मुॅह खुल गया। दोनों संतरे सी फॉकें अलग हो गयी। एकदम रस से सराबोर । उनके बीच से उनकी लाल उठे हुये दानें सी क्लिटोरी आगे तक आ गयी थी। चूत के अन्दर की नाजुक लाल परतं फैल गयीं थीं। छेद के अन्दर तक लालामी नजर आ रही थी। उसमे से रस की बूॅदें चमक रहीं थी। पानी मोती सा चमक रहा था।ऊपर का हिस्सा बिल्कुल साफ था। पूरा भाग बेमिसाल था डबलरोटी की तरह से भरा हुआ। पूरा जन्नत का नजारा था। अमृत की वर्षा हो रही थी। मेरे लण्ड में उसी क्षण हरकत हुयी जैसे करैंट सा लग गया हो। मेरा तो दिमाग सुन्न हो गया। समझ नहीं आया क्या करूॅ। यह पल भर के लिये हो गया दूसरे क्षण उनकी साड़ी खिच चुकी थी। वह बड़ी मक्कारी से मुस्करा रहीं थीं । मैं अपने को जब्त नहीं कर पाया। मैने ताश फैक दिये। साथ के पेयर ने कहा “क्या हुआ। तुम तो जीत रहे हो”। मैने कहा “अब नहीं खेलूॅगा”। उसी समय किसी ने कहा “चलो लेक में चलते हैं”। शशि भाभी बोलीं “मैं नहीं जाती मुझे तैरना नहीं आता है”। एक ने कहा “तो क्या हुआ पानी ज्यादा नहीं है”। वह बोलीं “नहीं मैं स्वीमिग कस्टयूम ले कर नहीं आयी हूॅ”। उस सहेली ने जो मोटी थी कहा “मेरे पास और है मैं दे दूॅगी”। भाभी बोलीं “नहीं मैं कस्टयूम नहीं पहनूॅगी”। एक दूसरी सहेली ने कहा “मेरे पास एक कुर्ता सूट है। उसको पहन लो”। मुझे उन्होनें बुरी तरह भड़का दिया था। मै उनका हाथ पकड़ कर खींचते हुये बोला “नही तुम्हें चलना पड़ेगा”। दूसरे लोग भी जुट गये। वह ना ना कहती रही। और हम लोग उनको बैसा ही पानी में खीच ले गये। पानी में पहुॅच कर मैने उन पर पानी उछालना चालू कर दिया। सब लोग भी उन पर और एक दूसरे पर पानी उछालने लगे। वह घबड़ा सी गयीं थीं और अपने को हाथ उठा कर बचा सा रहीं थीं। शशि भाभी ने पतली साड़ी और झीना ब्लाउज पहन रखा था। वह उनके वदन से चिपक गया था। भीग कर पारदर्शी हो गया था। उनके भरे हुये उरोजों का पूरा आकार दिख रहा था। अन्दर से उनका रंग झॉक रहा था। गोलों के चारों ओर के काले चकत्ते ऊभर आये थे। ठंड से उनके निपिल्ल्स कील की तरह खड़े हो गये थे। वह ब्लाउज से आधा इंच ऊपर निकल आये थे। यही नहीं उनकी साड़ी और पेटीकोट उनके चूतड़ों और रानों पर चिपक गये थे। उन्होने पंण्टी उतार रखी थी। पेटीकोट उनके क्रेक में घुस गया था। आगे से चूत पर चिपक गया था। दोनों टॉगों के बीच का गडढा दिखायी दे रहा था। चूत का आकार दिख रहा था। उनकी एक सहेली ने उनके कान में कुछ कहा तो वह अपने उभारों को देख कर छुपााने की बेकाम कोशिश कर रहीं थी। वह कॉप भी रहीं थीं। उन्होने पानी से बाहर आने की कोशिश की। उनकी सहेली ने मदद भी करना चाही। पर मैने नहीं निकलने दिया। मैने और दूसरे लोगों ने उन्हें करीब करीब नंगा देखा। आखिर अनिल उनका हाथ पकड़ कर ले गया। 


उन्होने बाथरूम में जा कर दिया हुआ कुर्ता सूट पहन लिया। पर ब्रा न होने के कारण उनके गोले गेंद से उछलते बड़े ही मादक लगते थे। जैसे जैसे गोले हिलते थे मेरे लण्ड में भी हरकत होती थी। उनको पकड़ने के लिये मैं बेकाबू हो रहा था। शशि भाभी का मूड उखड़ गया था। उसके बाद वह ज्यादा देर नहीं ठहरीं। रास्ते में मैने बात करना चाही तो बड़ी बेरूखी से वह बोलीं “ंमै अब तुमसे बात नहीं करना चाहती”। अनिल हॅस कर रह गया। उनकी वह बेरूखी क्षणिक नहीं थी। उन्होने मुझ से बात करना छौड़ दिया था। ना ऊपर आतीं थीं और ना खाने पर बुलातीं थीं। शशि की जुबानी मेरी सहेली ने कान में कहा “शशि तुम नंगी जैसी दिख रही हो”। मैं शर्म से गड़ गयी। कुछ भी तो नहीं कर पा रही थी। 




बाहर आने की कोशिश की तो सुकान्त ने रोक दिया। सुकान्त ने इतने सारे लोगों के बीच मेरा तमाशा बनाया। इतने सारे लोगों ने मुझे नंगा देखा। कोई अपनों की दूसरे लोगों के सामने इस तरह नुमायश करता है। मैं सुकान्त से बेहद नाराज हूॅ। मेरी नाराजी देख कर वह भी सहम गया था। अभी दो दिन से वह हजरत भी दिखायी नहीं पड़े। ना ही उनकी कार आती जाती दिखी। अपना मुॅह छुपा रहे हैं। आखिर जब तीसरे दिन सुबह भी सुकान्त नहीं दिखाायी दिया तो मुझ से नहीं रहा गया। मैने स्वीटी से कहा “देख तो तेरे चाचा क्या कर रहे है”। स्वीटी बोली “मॉ वह तो तीन दिन से बुखार में पड़े हैं”। स्वीटी को मालूम था लेकिन मेरी उस से नाराजी को जानते हुये उसने नहीं बताया था। स्वीटी को स्कूल भेज कर मैं उसी दम ऊपर जा पहॅची। सुकान्त लेटा हुआ था। उसका चेहरा उतर गया था। तीन दिन की दाढी बढी हुयी थी। मुझे देखा तो उसकी ऑखों में चमक आ गयी। मैने उसके माथे पर हाथ रखा तो तप रहा था। मैने कहा “तीन दिन से बीमार पड़े हो और मुझे याद तक नहीं किया”। वह धीमे से बोला “आप तो नाराज थीं”। मैं उसके पास जाकर उसके उलझे हुये बालों मैं हाथ करती हुयी हॅसती हुयी बोली “तुम बुद्धू ही नहीं महा बुद्धू हो”। मैं इतने नजदीक थी कि उसने अपना सिर मेरे उरोजों के बीच में छुपा लिया। मैं बिस्तर पर बैठ गयी और उसका चेहरा हाथों में लेकर उसके तपते होठों पर अपने होंठ सटा दिये। वह बोला “भाभी मुझे फ्लू है मैने कहा “क्या होगा अगर मैं बीमार पड़ जाउॅगी तो तुम सेवा कर देना”। 




सुकान्त मुझे खीच कर अपने बगल में लिटाते हुये बोला “वह तो मैं जिन्दगी भर करने के लिये तैयार हूॅ”। उसने मुझे खींच कर अपने सामने करबट कर लिटा लिया और कसके बॉहो में भीच लिया। अपना सिर मेरे दोनों उभारो की गहराइयों में छिपा लिया। अपनी बायीं टॉग घुटनों से मौड़ कर मेरी दोनों टॉगों के बीच में डाल दी। अपनी टॉग से मेरी साड़ी पेटीकोट समेत उठाता गया। उसका घुटना अब पैण्टी के ऊपर से मेरी चूत को दबा रहा था। उसने अपने गरम गरम होंठ दोनों उरोजों की गहराइयों में चिपका कर चूसा साथ ही अपना घुटना चूर के ऊपर रगड़ा। मैं सिहर उठी। मैने भी अपनी बाहें उसकी पीठ पर बॉध लीं। उसने हाथ बॉधे हुये ही मेरे ब्लाउज के बटन और ब्रा के हुक खोल दिये। मुॅह से दोनों को अलग कर अपना मुॅह मेरे दाये जोवन पर रख कर कसके दवाया साथ ही अपना घुटना ज्तिनी जोर से दबा सकता था दबाया। 



मैं उसका तना हुआ लण्ड अपनी जॉघ पर चुभता हुआ महसूस कर रही थी। मेरे शरीर में बिजली जैसी दौड़ गयी। मैने उसे और कसके बॉध लिया साथ ही अपनी दायीं टॉग उसकी कमर पर बॉध ली। वह कभी मेरे दायें जोवल् पर मुॅह रखता था कभी बायें पर। साथ ही मेरे तने हुये निपिल को होठों में भ्र लेता था।मेरी चूत में इतनी जोर की झुरझुरी हो रही थी कि मै भी अपनी तरफ से अपने उरोजों को जितने जोरों से हो सकता था उसके मुञ् में डालने की कोशिश कर रही थी। अपनी टॉग उठा कर के उसकी कमर पर जितना बॉध सकती थी अपनी टॉगों में जकड़ कर अपनी और खीच रही थी। साथ ही अपनी चूत भी रगड़ रही थी। मुॅह से शी शी निकल रही थी सॉसें खींच रही थी। बड़ी देर तक हम दोनों एक दूसरे की पीठ पर हाथ बाधे इसी तरह पड़े रहे। सुकान्त मेरी दोनों गोलाइयों से तरह तरह से खेल रहा था। ऊपर से ही मेरी जॉघ पर ही लण्ड दबा कर ऊपर नीचे हो रहा था। सथ ही बुदबुदाये जा रहा था “भाभी मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूॅ”। मैं भी उसको बुरी तरह से चूम कर प्यार जता रही थी। उसके लण्ड पर हाथ फेर रही थी। अपनी चूत उसके घ्ुाटने पर रगड़ रही थी। मैं पूरी तरह गरम हो चुकी थी। सुकान्त ने एक हाथ आगे ले जा कर मेरा नाड़ा खीच ढीला कर मेरी साड़ी और पेटीकोट एक ओर पालंग के नीचे फेंक दिया था। खिसका.......?
[+] 3 users Like Dani Daniels's post
Like Reply


Messages In This Thread
RE: घर के औरतों की कामुक वासना - by Dani Daniels - 02-02-2021, 11:59 PM



Users browsing this thread: 10 Guest(s)