26-03-2019, 03:18 PM
मैंने मन ही मन कहा- बहनचोद साली एक और चुदासा परिवार !
तभी मैंने महसूस किया कि अशोक मेरे पीछे नंगा खड़ा है। उसने मेरा गाउन उतार दिया और मुझे भी नंगा कर दिया। हम दोनों भी उस कमरे में चले गए।माधुरी के ससुर ने मुझे अपने पास बैठा लिया और मेरे मम्मे दबाने और चूसने लगा। फिर अपनी ऊँगली मेरी चूत पर ले गया और रगड़ने लगा। मुझे मज़ा आ रहा था उस बुड्ढे के खेल में। फिर उसने अपना लंडमाधुरी के मुँह से निकाल कर मुझे चूसने के लिए कहा। मैं उसके सामने बैठ कर उसका लंड चूसने लगी।
तभी मैंने देखा कि अशोक की माँ हमारे बगल में नीचे घुटनों के बल नंगी बैठी है और उसका लंड चूस रही है।माधुरी का ससुर मेरे मुँह में झड़ गया और उसके बाद उसने मुझे अपनी गोद में बिठा लिया और हम दोनों वहाँ का सीन देखने लगे।माधुरी अपने देवर से चुद रही थी और अशोक की माँ उसका लंड चूस रही थी। मैंमाधुरी के ससुर की गोद में उसके लंड से खेल रही थी। थोड़ी देर मेंमाधुरी का देवर उसकी चूत में झड़ गया, तब तक मैं उसके ससुर के लंड को तैयार कर चुकी थी।
अनु के ससुर नेमाधुरी के पीछे जाकर उसकी गांड में अपना लंड घुसेड़ दिया।माधुरी की आह निकल गई, वो बोली- भोंसड़ी के ! थोड़ा तो धीरे से घुसाया कर ! मेरी जान निकाल दी !
ससुर बोला- बहन की लौड़ी ! इतने दिनों से तेरी गांड मार रहा हूँ, अभी भी इतना दर्द होता है?
दूसरी तरफ तरफमाधुरी के देवर ने अपनी माँ के पीछे जाकर अपना लंड उसकी चूत में रगड़ना शुरू कर दिया। थोड़ी देर में उसका फिर खड़ा हो गया और उसने अपनी माँ को कुतिया की तरह चोदना शुरू कर दिया। मैं अकेले ही तड़प रही थी। पर उन लोगों ने मुझे ज्यादा तड़पने नहीं दिया, उसके बाद उन तीनों ने मुझे बारी बारी से चोदा।
कसम से,माधुरी के गांडू ससुर से अपनी गांड मरवाने में बहुत मज़ा आया। उस रात के बाद मैं कई दिनों तक उनके घर जाकर चुदवाती रही।
उसका किस्सा सुनकर मैं बोला- चल तू नीचे घुटनों पर बैठकर सीट पर औंधे मुँह लेट ! मैं फिर तेरी गांड मारूंगा।
उसने औंधे मुँह होकर दोनों हाथों से चूतड़ अलग करके अपनी गांड का छेद मेरे सामने खोल दिया, मैंने उसकी गांड में अपना लंड डाल दिया और उसकी गांड मारने लगा। तभी टी टी अपने दोस्त के साथ केबिन में घुसा। मैंने शिल्पा की गांड मारना जारी रखा। उन दोनों ने अपनी पैंट और अंडरवियर उतार कर अपने लंड बाहर निकाल लिए। फिर उसका दोस्त मेरे पीछे आया और मेरी गांड के छेद में उंगली डालने लगा। मैं चौंक कर रुक गया और कहने लगा- प्लीज़ यह मत करो।
वो बोला- भोंसडी के ! चुप कर, नहीं तो अश्लीलता के जुर्म में अन्दर करवा दूंगा।
फिर उसने मेरी गांड में अपना लंड घुसेड़ दिया और मेरी गांड मारने लगा। उसी धक्के से मेरा लंड शिल्पा की गांड के अंदर-बाहर होने लगा। थोड़ी देर में मुझे भी मज़ा आने लगा। मैं गांड मार भी रहा था और मरवा भी रहा था। थोड़ी देर में उसका लंड मेरी गांड में झड़ गया और दूसरा टीटी आकर मेरी गांड चाटने लगा। फिर उसने भी अपना लौड़ा मेरी गांड के छेद में घुसेड़ दिया। उसका लंड भी मेरी गांड में झड़ गया।
मेरा गांड मरवाने का यह पहला अनुभव था। मैं नहीं जानता था कि गांड मरवाने में भी इतना मज़ा आता है।
मैं भी तब तक शिल्पा की गांड में झड़ चुका था। मैं उठकर सीट पर बैठ गया। पहला टी टी मेरे सामने नीचे बैठ गया और मेरा लौड़ा उसने अपने हाथ में लेकर उसे चाटना और चूसना शुरू कर दिया। मैं पहली बार किसी आदमी से अपना लंड चुसवा रहा था। मुझे मज़ा आने लगा। उधर शिल्पा भी दूसरे टीटी का लंड चूसने लगी।
थोड़ी देर में मेरा खड़ा हो गया तो वो टीटी सीट पर उल्टा लेट गया। मैं समझ गया कि वो मुझसे अपनी गांड मरवाना चाहता है। मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसकी गांड के छेद में अपना लंड घुसेड़ दिया और उसकी गांड मारने लगा। दूसरी सीट पर शिल्पा दूसरे टीटी से अपनी गांड मरवा रही थी। हम लोग काफी देर तक एक दूसरे की गांड मारते रहे। फिर अगला स्टेशन आ गया और वो दोनों टीटी स्टेशन पर उतर गए।
पर अगले स्टेशन के बाद जो होने वाला था उसके लिए न तो मैं तैयार था और न ही शिल्पा।
अगले स्टेशन पर जैसे ही ट्रेन रुकी मैं पानी लेने के लिए नीचे उतरा। वहाँ पर काफी भीड़ थी शायद कोई रैली थी। मैं पानी लेकर डिब्बे में चढ़ा तो देखा कि शिल्पा एक कोने में बैठी है और पूरे डब्बे में लोग बैठे हुए हैं।
तभी धीरे से उनमें से एक बोला- लगता है साली का यार आ गया है !
और सब हँसने लगे।
मैं समझ गया कि अब शिल्पा की खैर नहीं ! वह भी डरी हुई बैठी थी। ट्रेन चलने लगी। थोड़ी देर तक कुछ नहीं हुआ तो मुझे लगा कि शायद शिल्पा की जान बच गई।
मैं भी सामने की सीट पर बैठ गया। पर शिल्पा बहुत देर तक खैर नहीं मना पाई। उसके बगल में जो लड़का बैठा था वो नींद का बहाना करके उसके ऊपर गिरने लगा।
पहले तो शिल्पा ने उसको अपने ऊपर से दो तीन बार हटाया फिर जब वो नहीं रुका तो पड़े रहने दिया।
उसने अपना सर शिल्पा की गोद में रख दिया। फिर धीरे से अपना हाथ उसकी जाँघों पर रखकर सहलाने लगा और उसकी जांघों को चूमने लगा।
शिल्पा ने सर पीछे किया और आँखें बंद कर ली।
मैं समझ गया कि अब शिल्पा का सामूहिक सम्भोग होने वाला है। यह सोचकर ही मैं उत्तेजित हो रहा था। उस लौंडे ने तब तक अपना हाथ उसके गाउन के अन्दर डाल दिया था और उसकी नंगी जांघ को सहला रहा था।
बाकी सब लोग भी अब यह नज़ारा देख रहे थे। सबके लंड खड़े होने लगे थे। उस डिब्बे में कम से कम 20-22 लोग थे और सबकी आँखों में भूख दिखाई दे रही थी।
वो लड़का अब शिल्पा का गाउन और ऊपर उठा रहा था और हमेशा की तरह शिल्पा ने पैंटी नहीं पहनी थी। उसने उसकी टांगें चौड़ी की और चूत चाटने लगा। शिल्पा अब उत्तेजित होने लगी और अपनी टाँगे और फैला दी।
लोगों ने अपने लंड निकाले और मुठ मारने लगे। एक और लड़का अपना लंड लेकर शिल्पा के मुँह के पास गया और उसे खोलकर उसमें अपना लंड घुसा दिया।
शिल्पा ने उसका लंड पकड़कर चूसना शुरू कर दिया। उसके बाद दो लड़के और शिल्पा के पास गए और उसका गाउन फाड़ दिया और उसे नंगा कर दिया. और उसकी चूचियाँ चूसने लगे।
पूरे डिब्बे में सब बेसब्रे और बेकाबू होकर शोर मचाने लगे और गालियाँ दे दे कर शिल्पा के साथ मस्ती करने लगे। फिर शिल्पा को नीचे लिटाया गया और उसकी टाँगे फैलाकर पहले लड़के ने उसको चोदना शुरू किया। बाकी लोग उसके शरीर को मसलते और कुचलते रहे। शिल्पा को भी आनन्द आ रहा था और उसने मजे में चिल्लाना शुरू कर दिया।
तो उन्होंने उसके मुँह में अपने लंड डाल डाल कर चोदना शुरू कर दिया। थोड़ी देर में शिल्पा पूरी तरह से वीर्य में नहा चुकी थी।
फिर उसको उल्टा लिटा कर लोगों ने उसकी गांड मारी। 2-3 घंटे तक उसकी लगातार चुदाई होती रही। वो कब बेहोश हो गई पता ही नहीं चला पर उन लोगों ने उसको चोदना जारी रखा जब तक उनका स्टेशन नहीं आ गया।
उसके बाद वो उसे अधमरा छोड़कर नीचे उतर गए। शिल्पा को करीब एक घंटे के बाद होश आया. उसके बाद वो बाथरूम में जाकर अपने को साफ़ करके कपड़े पहन कर आई और कई घंटे तक सोती रही। सुबह हम लोगों का स्टेशन आने वाला था तो मैंने उसको उठाया।
उसने आँख खोली और मुझ देखकर मुस्कुराने लगी। मैं आश्चर्यचकित था कि इतना होने के बाद भी वो कैसे मुस्कुरा सकती है।
उसने कहा- मुझे नहीं लगता था कि मैं इतने लोगों से चुदाई के बाद भी जिंदा बचूंगी। अब मुझे पता है कि मैं इतने लोगों को झेल सकती हूँ।
उसने मुझे अपनी ओर खींचा ओर मेर होठों पर एक प्रगाढ़ चुम्बन दिया और बोली- यह सफ़र मुझे हमेशा याद रहेगा !
Completed (समाप्त)
तभी मैंने महसूस किया कि अशोक मेरे पीछे नंगा खड़ा है। उसने मेरा गाउन उतार दिया और मुझे भी नंगा कर दिया। हम दोनों भी उस कमरे में चले गए।माधुरी के ससुर ने मुझे अपने पास बैठा लिया और मेरे मम्मे दबाने और चूसने लगा। फिर अपनी ऊँगली मेरी चूत पर ले गया और रगड़ने लगा। मुझे मज़ा आ रहा था उस बुड्ढे के खेल में। फिर उसने अपना लंडमाधुरी के मुँह से निकाल कर मुझे चूसने के लिए कहा। मैं उसके सामने बैठ कर उसका लंड चूसने लगी।
तभी मैंने देखा कि अशोक की माँ हमारे बगल में नीचे घुटनों के बल नंगी बैठी है और उसका लंड चूस रही है।माधुरी का ससुर मेरे मुँह में झड़ गया और उसके बाद उसने मुझे अपनी गोद में बिठा लिया और हम दोनों वहाँ का सीन देखने लगे।माधुरी अपने देवर से चुद रही थी और अशोक की माँ उसका लंड चूस रही थी। मैंमाधुरी के ससुर की गोद में उसके लंड से खेल रही थी। थोड़ी देर मेंमाधुरी का देवर उसकी चूत में झड़ गया, तब तक मैं उसके ससुर के लंड को तैयार कर चुकी थी।
अनु के ससुर नेमाधुरी के पीछे जाकर उसकी गांड में अपना लंड घुसेड़ दिया।माधुरी की आह निकल गई, वो बोली- भोंसड़ी के ! थोड़ा तो धीरे से घुसाया कर ! मेरी जान निकाल दी !
ससुर बोला- बहन की लौड़ी ! इतने दिनों से तेरी गांड मार रहा हूँ, अभी भी इतना दर्द होता है?
दूसरी तरफ तरफमाधुरी के देवर ने अपनी माँ के पीछे जाकर अपना लंड उसकी चूत में रगड़ना शुरू कर दिया। थोड़ी देर में उसका फिर खड़ा हो गया और उसने अपनी माँ को कुतिया की तरह चोदना शुरू कर दिया। मैं अकेले ही तड़प रही थी। पर उन लोगों ने मुझे ज्यादा तड़पने नहीं दिया, उसके बाद उन तीनों ने मुझे बारी बारी से चोदा।
कसम से,माधुरी के गांडू ससुर से अपनी गांड मरवाने में बहुत मज़ा आया। उस रात के बाद मैं कई दिनों तक उनके घर जाकर चुदवाती रही।
उसका किस्सा सुनकर मैं बोला- चल तू नीचे घुटनों पर बैठकर सीट पर औंधे मुँह लेट ! मैं फिर तेरी गांड मारूंगा।
उसने औंधे मुँह होकर दोनों हाथों से चूतड़ अलग करके अपनी गांड का छेद मेरे सामने खोल दिया, मैंने उसकी गांड में अपना लंड डाल दिया और उसकी गांड मारने लगा। तभी टी टी अपने दोस्त के साथ केबिन में घुसा। मैंने शिल्पा की गांड मारना जारी रखा। उन दोनों ने अपनी पैंट और अंडरवियर उतार कर अपने लंड बाहर निकाल लिए। फिर उसका दोस्त मेरे पीछे आया और मेरी गांड के छेद में उंगली डालने लगा। मैं चौंक कर रुक गया और कहने लगा- प्लीज़ यह मत करो।
वो बोला- भोंसडी के ! चुप कर, नहीं तो अश्लीलता के जुर्म में अन्दर करवा दूंगा।
फिर उसने मेरी गांड में अपना लंड घुसेड़ दिया और मेरी गांड मारने लगा। उसी धक्के से मेरा लंड शिल्पा की गांड के अंदर-बाहर होने लगा। थोड़ी देर में मुझे भी मज़ा आने लगा। मैं गांड मार भी रहा था और मरवा भी रहा था। थोड़ी देर में उसका लंड मेरी गांड में झड़ गया और दूसरा टीटी आकर मेरी गांड चाटने लगा। फिर उसने भी अपना लौड़ा मेरी गांड के छेद में घुसेड़ दिया। उसका लंड भी मेरी गांड में झड़ गया।
मेरा गांड मरवाने का यह पहला अनुभव था। मैं नहीं जानता था कि गांड मरवाने में भी इतना मज़ा आता है।
मैं भी तब तक शिल्पा की गांड में झड़ चुका था। मैं उठकर सीट पर बैठ गया। पहला टी टी मेरे सामने नीचे बैठ गया और मेरा लौड़ा उसने अपने हाथ में लेकर उसे चाटना और चूसना शुरू कर दिया। मैं पहली बार किसी आदमी से अपना लंड चुसवा रहा था। मुझे मज़ा आने लगा। उधर शिल्पा भी दूसरे टीटी का लंड चूसने लगी।
थोड़ी देर में मेरा खड़ा हो गया तो वो टीटी सीट पर उल्टा लेट गया। मैं समझ गया कि वो मुझसे अपनी गांड मरवाना चाहता है। मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसकी गांड के छेद में अपना लंड घुसेड़ दिया और उसकी गांड मारने लगा। दूसरी सीट पर शिल्पा दूसरे टीटी से अपनी गांड मरवा रही थी। हम लोग काफी देर तक एक दूसरे की गांड मारते रहे। फिर अगला स्टेशन आ गया और वो दोनों टीटी स्टेशन पर उतर गए।
पर अगले स्टेशन के बाद जो होने वाला था उसके लिए न तो मैं तैयार था और न ही शिल्पा।
अगले स्टेशन पर जैसे ही ट्रेन रुकी मैं पानी लेने के लिए नीचे उतरा। वहाँ पर काफी भीड़ थी शायद कोई रैली थी। मैं पानी लेकर डिब्बे में चढ़ा तो देखा कि शिल्पा एक कोने में बैठी है और पूरे डब्बे में लोग बैठे हुए हैं।
तभी धीरे से उनमें से एक बोला- लगता है साली का यार आ गया है !
और सब हँसने लगे।
मैं समझ गया कि अब शिल्पा की खैर नहीं ! वह भी डरी हुई बैठी थी। ट्रेन चलने लगी। थोड़ी देर तक कुछ नहीं हुआ तो मुझे लगा कि शायद शिल्पा की जान बच गई।
मैं भी सामने की सीट पर बैठ गया। पर शिल्पा बहुत देर तक खैर नहीं मना पाई। उसके बगल में जो लड़का बैठा था वो नींद का बहाना करके उसके ऊपर गिरने लगा।
पहले तो शिल्पा ने उसको अपने ऊपर से दो तीन बार हटाया फिर जब वो नहीं रुका तो पड़े रहने दिया।
उसने अपना सर शिल्पा की गोद में रख दिया। फिर धीरे से अपना हाथ उसकी जाँघों पर रखकर सहलाने लगा और उसकी जांघों को चूमने लगा।
शिल्पा ने सर पीछे किया और आँखें बंद कर ली।
मैं समझ गया कि अब शिल्पा का सामूहिक सम्भोग होने वाला है। यह सोचकर ही मैं उत्तेजित हो रहा था। उस लौंडे ने तब तक अपना हाथ उसके गाउन के अन्दर डाल दिया था और उसकी नंगी जांघ को सहला रहा था।
बाकी सब लोग भी अब यह नज़ारा देख रहे थे। सबके लंड खड़े होने लगे थे। उस डिब्बे में कम से कम 20-22 लोग थे और सबकी आँखों में भूख दिखाई दे रही थी।
वो लड़का अब शिल्पा का गाउन और ऊपर उठा रहा था और हमेशा की तरह शिल्पा ने पैंटी नहीं पहनी थी। उसने उसकी टांगें चौड़ी की और चूत चाटने लगा। शिल्पा अब उत्तेजित होने लगी और अपनी टाँगे और फैला दी।
लोगों ने अपने लंड निकाले और मुठ मारने लगे। एक और लड़का अपना लंड लेकर शिल्पा के मुँह के पास गया और उसे खोलकर उसमें अपना लंड घुसा दिया।
शिल्पा ने उसका लंड पकड़कर चूसना शुरू कर दिया। उसके बाद दो लड़के और शिल्पा के पास गए और उसका गाउन फाड़ दिया और उसे नंगा कर दिया. और उसकी चूचियाँ चूसने लगे।
पूरे डिब्बे में सब बेसब्रे और बेकाबू होकर शोर मचाने लगे और गालियाँ दे दे कर शिल्पा के साथ मस्ती करने लगे। फिर शिल्पा को नीचे लिटाया गया और उसकी टाँगे फैलाकर पहले लड़के ने उसको चोदना शुरू किया। बाकी लोग उसके शरीर को मसलते और कुचलते रहे। शिल्पा को भी आनन्द आ रहा था और उसने मजे में चिल्लाना शुरू कर दिया।
तो उन्होंने उसके मुँह में अपने लंड डाल डाल कर चोदना शुरू कर दिया। थोड़ी देर में शिल्पा पूरी तरह से वीर्य में नहा चुकी थी।
फिर उसको उल्टा लिटा कर लोगों ने उसकी गांड मारी। 2-3 घंटे तक उसकी लगातार चुदाई होती रही। वो कब बेहोश हो गई पता ही नहीं चला पर उन लोगों ने उसको चोदना जारी रखा जब तक उनका स्टेशन नहीं आ गया।
उसके बाद वो उसे अधमरा छोड़कर नीचे उतर गए। शिल्पा को करीब एक घंटे के बाद होश आया. उसके बाद वो बाथरूम में जाकर अपने को साफ़ करके कपड़े पहन कर आई और कई घंटे तक सोती रही। सुबह हम लोगों का स्टेशन आने वाला था तो मैंने उसको उठाया।
उसने आँख खोली और मुझ देखकर मुस्कुराने लगी। मैं आश्चर्यचकित था कि इतना होने के बाद भी वो कैसे मुस्कुरा सकती है।
उसने कहा- मुझे नहीं लगता था कि मैं इतने लोगों से चुदाई के बाद भी जिंदा बचूंगी। अब मुझे पता है कि मैं इतने लोगों को झेल सकती हूँ।
उसने मुझे अपनी ओर खींचा ओर मेर होठों पर एक प्रगाढ़ चुम्बन दिया और बोली- यह सफ़र मुझे हमेशा याद रहेगा !
Completed (समाप्त)
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!