26-03-2019, 03:15 PM
Update 7
मैंने शिल्पा से कहा- ये लोग अभी थोड़ी देर में सीट मिलने के बाद चले जायेंगे।
वो मेरे बगल में आकर बैठ गई। मुझसे कण्ट्रोल नहीं हो रहा था तो मैं एक कम्बल ऊपर से डालकर उसे छेड़ने लगा। मैंने केबिन की लाइट बंद कर दी। अब वहां सिर्फ हलकी सी नाईट बल्ब की रौशनी थी लेकिन उसमें भी बहुत कुछ चमक रहा था। मैंने कम्बल के नीचे ही उसके मम्मे दबाने शुरू कर दिए। हालांकि सामने से साफ़ पता चल रहा था कि मैं क्या कर रहा हूँ। वे दोनों भी उस नजारे का मज़ा लेने लगे।
फिर मैंने शिल्पा को सीट पर लिटा दिया और कम्बल ऊपर ले लिया। कम्बल के नीचे ही मैं उसका गाउन ऊपर उठाने लगा। इस प्रयास में कम्बल बीच बीच में ऊपर उठ जाता और उनको शिल्पा की टांगों के दर्शन हो जाते।
वो दोनों अपने अपने लंड को पैंट के बाहर से ही सहलाने लगे। फिर मैंने शिल्पा का गाउन उसके मम्मों के ऊपर तक उठा दिया। इस बार फिर उन्होंने एक पल के लिए उसके पूरे नंगे बदन के दर्शन कर लिए। मैंने अपना पजामा खोलकर अपना लंड निकाल लिया। उसकी टाँगे मोड़कर फैला दी और उसके ऊपर चढ़ गया और चोदने लगा। चुदाई का सीन देखकर उन दोनों से रहा न गया और अपना लंड निकालकर हमारे पास आ गए।
पहले ने अपना लंड शिल्पा के मुँह में घुसा दिया और उसका मुँह चोदने लगा, दूसरे ने हमारे ऊपर से कम्बल हटा दिया और नीचे बैठकर शिल्पा के मम्मे दबाने लगा। थोड़ी देर में मैं झड़ गया और
शिल्पा के ऊपर से हट गया। फिर उन दोनों ने एक एक करके शिल्पा को चोदा। तभी मैंने देखा कि टी टी भी पीछे खड़ा है और उसने भी अपना लंड निकाल लिया है। फिर वो भी शिल्पा के ऊपर चढ़ कर उसे चोदने लगा।
तभी उन दोनों का स्टेशन आ गया और वो उतर गए। टी टी भी झड़ गया था। उसका लंड शिल्पा ने चाटकर साफ किया।
वो जाते हुए बोला- मैं फिर आऊंगा।
शिल्पा बोली- साथ में कोई और भी हो तो उसे भी ले आना ! मेरी चूत तुम्हारा इंतज़ार करेगी।
टीटी के जाने के बाद शिल्पा नंगी ही मेरे बगल में लेट गई, मैंने एक ऊपर से चादर डाल ली और उसके मम्मे दबाने लगा। उसने भी मेरा लंड हाथ में लिया और सहलाने लगी। उसके बाद शिल्पा ने अपनी चुदाई का अगला किस्सा सुनाया। वह बोली कि उसके बाद मैं राजीव के घर अक्सर जाकर उसके बाप और ड्राईवर से चुदवाने लगी।
अब आगे शिल्पा के ही शब्दों में !
एक दिन मुझे बाज़ार में अपनी एक पुरानी सहेलीमाधुरी मिली।माधुरी की शादी दिल्ली में हो गई थी और अपने पति और परिवार के साथ रहती थी।
उसने मुझे कहा- एक दिन तुम घर आओ और मेरे साथ रुको ! तुम्हारे साथ बहुत सारी बातें करनी हैं।
एक दिन मैं छुट्टी लेकर उसके घर गई। वह घर में अकेली थी। हम दोनों ने पहले बहुत बातें की। फिर मैंने उसको अपने चुदाई के किस्से भी सुनाये।
वह बोली- तूने तो बहुत एश की है।
फिर मैंने उसके पति के बारे में पूछा।
वह बोली- बहुत अच्छे हैं।
मैंने कहा- तुझे हर तरह से खुश रखते हैं?
वह बोली- हाँ, यहाँ परिवार में सब अच्छे हैं।
मैंने फिर शरारत से पूछा- और तेरे पति बिस्तर में कैसे हैं?
वह बोली- बहुत मज़ा आता है ! मस्त चुदाई करते हैं।
मैंने कहा- अच्छा ! पर मैं कैसे मान लूं कि वह मेरी दोस्त को भरपूर मज़ा देते हैं।
तो वो बोली- थोड़ी ही देर में वो आते होंगे, अभी घर में कोई नहीं है तू परदे के पीछे छुप जाना फिर देखना।
मेरे अन्दर उस ख़याल से ही झुरझुरी उठ गई। थोड़ी देर में उसका पति अशोक घर आ गया। मैं परदे के पीछे छिप गई। अशोक को देखकर मेरी आह निकल गई, वह एक लम्बा चौड़ा मस्त आदमी था। उसने घर में घुसते हीमाधुरी को बाहों में लेकर चूमा।
मैं माधुरी से जल कर रह गई कि साली को कैसा मस्त आदमी मिला है। मैं बेसब्री से उनके बीच कुछ होने का इंतज़ार करने लगी। मैं उस आदमी को नंगा देखना चाहती थी। थोड़ी ही देर में वह दोनों मस्त होने लगे और एक दूसरे को चूमने लगे।
फिर अशोकमाधुरी के सामने खड़ा हो गया औरमाधुरी ने उसकी पैंट और अंडरवियर दोनों नीचे कर दिए, उसका लंड बाहर निकल आया। उसको देखकर मेरी आह निकल गई।
मैंने शिल्पा से कहा- ये लोग अभी थोड़ी देर में सीट मिलने के बाद चले जायेंगे।
वो मेरे बगल में आकर बैठ गई। मुझसे कण्ट्रोल नहीं हो रहा था तो मैं एक कम्बल ऊपर से डालकर उसे छेड़ने लगा। मैंने केबिन की लाइट बंद कर दी। अब वहां सिर्फ हलकी सी नाईट बल्ब की रौशनी थी लेकिन उसमें भी बहुत कुछ चमक रहा था। मैंने कम्बल के नीचे ही उसके मम्मे दबाने शुरू कर दिए। हालांकि सामने से साफ़ पता चल रहा था कि मैं क्या कर रहा हूँ। वे दोनों भी उस नजारे का मज़ा लेने लगे।
फिर मैंने शिल्पा को सीट पर लिटा दिया और कम्बल ऊपर ले लिया। कम्बल के नीचे ही मैं उसका गाउन ऊपर उठाने लगा। इस प्रयास में कम्बल बीच बीच में ऊपर उठ जाता और उनको शिल्पा की टांगों के दर्शन हो जाते।
वो दोनों अपने अपने लंड को पैंट के बाहर से ही सहलाने लगे। फिर मैंने शिल्पा का गाउन उसके मम्मों के ऊपर तक उठा दिया। इस बार फिर उन्होंने एक पल के लिए उसके पूरे नंगे बदन के दर्शन कर लिए। मैंने अपना पजामा खोलकर अपना लंड निकाल लिया। उसकी टाँगे मोड़कर फैला दी और उसके ऊपर चढ़ गया और चोदने लगा। चुदाई का सीन देखकर उन दोनों से रहा न गया और अपना लंड निकालकर हमारे पास आ गए।
पहले ने अपना लंड शिल्पा के मुँह में घुसा दिया और उसका मुँह चोदने लगा, दूसरे ने हमारे ऊपर से कम्बल हटा दिया और नीचे बैठकर शिल्पा के मम्मे दबाने लगा। थोड़ी देर में मैं झड़ गया और
शिल्पा के ऊपर से हट गया। फिर उन दोनों ने एक एक करके शिल्पा को चोदा। तभी मैंने देखा कि टी टी भी पीछे खड़ा है और उसने भी अपना लंड निकाल लिया है। फिर वो भी शिल्पा के ऊपर चढ़ कर उसे चोदने लगा।
तभी उन दोनों का स्टेशन आ गया और वो उतर गए। टी टी भी झड़ गया था। उसका लंड शिल्पा ने चाटकर साफ किया।
वो जाते हुए बोला- मैं फिर आऊंगा।
शिल्पा बोली- साथ में कोई और भी हो तो उसे भी ले आना ! मेरी चूत तुम्हारा इंतज़ार करेगी।
टीटी के जाने के बाद शिल्पा नंगी ही मेरे बगल में लेट गई, मैंने एक ऊपर से चादर डाल ली और उसके मम्मे दबाने लगा। उसने भी मेरा लंड हाथ में लिया और सहलाने लगी। उसके बाद शिल्पा ने अपनी चुदाई का अगला किस्सा सुनाया। वह बोली कि उसके बाद मैं राजीव के घर अक्सर जाकर उसके बाप और ड्राईवर से चुदवाने लगी।
अब आगे शिल्पा के ही शब्दों में !
एक दिन मुझे बाज़ार में अपनी एक पुरानी सहेलीमाधुरी मिली।माधुरी की शादी दिल्ली में हो गई थी और अपने पति और परिवार के साथ रहती थी।
उसने मुझे कहा- एक दिन तुम घर आओ और मेरे साथ रुको ! तुम्हारे साथ बहुत सारी बातें करनी हैं।
एक दिन मैं छुट्टी लेकर उसके घर गई। वह घर में अकेली थी। हम दोनों ने पहले बहुत बातें की। फिर मैंने उसको अपने चुदाई के किस्से भी सुनाये।
वह बोली- तूने तो बहुत एश की है।
फिर मैंने उसके पति के बारे में पूछा।
वह बोली- बहुत अच्छे हैं।
मैंने कहा- तुझे हर तरह से खुश रखते हैं?
वह बोली- हाँ, यहाँ परिवार में सब अच्छे हैं।
मैंने फिर शरारत से पूछा- और तेरे पति बिस्तर में कैसे हैं?
वह बोली- बहुत मज़ा आता है ! मस्त चुदाई करते हैं।
मैंने कहा- अच्छा ! पर मैं कैसे मान लूं कि वह मेरी दोस्त को भरपूर मज़ा देते हैं।
तो वो बोली- थोड़ी ही देर में वो आते होंगे, अभी घर में कोई नहीं है तू परदे के पीछे छुप जाना फिर देखना।
मेरे अन्दर उस ख़याल से ही झुरझुरी उठ गई। थोड़ी देर में उसका पति अशोक घर आ गया। मैं परदे के पीछे छिप गई। अशोक को देखकर मेरी आह निकल गई, वह एक लम्बा चौड़ा मस्त आदमी था। उसने घर में घुसते हीमाधुरी को बाहों में लेकर चूमा।
मैं माधुरी से जल कर रह गई कि साली को कैसा मस्त आदमी मिला है। मैं बेसब्री से उनके बीच कुछ होने का इंतज़ार करने लगी। मैं उस आदमी को नंगा देखना चाहती थी। थोड़ी ही देर में वह दोनों मस्त होने लगे और एक दूसरे को चूमने लगे।
फिर अशोकमाधुरी के सामने खड़ा हो गया औरमाधुरी ने उसकी पैंट और अंडरवियर दोनों नीचे कर दिए, उसका लंड बाहर निकल आया। उसको देखकर मेरी आह निकल गई।
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!