26-03-2019, 03:13 PM
मैंने उसका लंड चाटना और चूसना शुरू कर दिया। पूरे कमरे में चुदाई का माहौल था। बाप अपनी बेटी को चोद रहा था। माँ अपने बेटे का लंड चूस रही थी और मैं उनके ड्राईवर का लंड चूस रही थी। यह सब देखकर मैं बहुत उत्तेजित हो चुकी थी। थोड़ी देर में बाप अपनी बेटी की चूत में झड़ गया। बेटी ने फिर से अपने बाप का लंड चाट कर साफ़ किया। फिर वो फर्श पर लेट गई और टांगों को मोड़ कर फैला दिया और अपने ड्राईवर को इशारे से बुलाया। ड्राईवर ने मेरे मुँह से अपना लंड निकाल लिया और अपनी छोटी मालकिन की चूत में अपना लंड घुसा दिया।
मैंने सोचा- यह तो साली मुझसे भी बड़ी चुदासी निकली। अपने भाई और बाप से चुदवाकर अब अपने ड्राईवर से चुदवा रही थी।
उसका ड्राईवर भी मज़े ले लेकर अपनी छोटी मालकिन को जोर जोर से धक्के मारकर चोदने लगा। इधर राजीव नीचे लेट गया और उसकी माँ उसके ऊपर चढ़ गई और उसने अपने बेटे का लंड अपनी चूत में घुसा लिया और धक्के मारने लगी। उसके मम्मों को उसका बेटा दबा दबा कर उसे और मजे दे रहा था।
अगले राउंड में मैं ड्राईवर से चुदी। इस तरह बारी बारी से तीनों मर्द हम औरतों को कई घंटों तक चोदते रहे। इस तरह शिल्पा ने अपनी चुदाई का किस्सा ख़त्म किया। थोड़ी देर में एक स्टेशन आने लगा तो हमने अपने कपड़े पहन लिए।
वो बोली- मैं बाथरूम जाकर अपनी सफाई करके और कपड़े बदलकर आती हूँ।
स्टेशन आया तो टीटी दो 40-45 साल के दो आदमियों को लेकर केबिन में आया और बोला- अगर आपको कोई परशानी न हो तो थोड़ी देर मैं इनको यहाँ बिठा दूँ? सीट मिलते ही मैं इनको ले जाऊँगा। इतने में शिल्पा गाउन पहन कर आ गई। उसने उसके नीचे ब्रा नहीं पहनी थी। उसकी चूचियाँ उसमें से बाहर चमक रही थी। वो दोनों उसको घूरने लगे।
मैंने शिल्पा से कहा- ये लोग अभी थोड़ी देर में सीट मिलने के बाद चले जायेंगे।
वो मेरे बगल में आकर बैठ गई। मुझसे कण्ट्रोल नहीं हो रहा था तो मैं एक कम्बल ऊपर से डालकर उसे छेड़ने लगा। मैंने केबिन की लाइट बंद कर दी। अब वहां सिर्फ हलकी सी नाईट बल्ब की रौशनी थी लेकिन उसमें भी बहुत कुछ चमक रहा था। मैंने कम्बल के नीचे ही उसके मम्मे दबाने शुरू कर दिए। हालांकि सामने से साफ़ पता चल रहा था कि मैं क्या कर रहा हूँ। वे दोनों भी उस नजारे का मज़ा लेने लगे।
फिर मैंने शिल्पा को सीट पर लिटा दिया और कम्बल ऊपर ले लिया। कम्बल के नीचे ही मैं उसका गाउन ऊपर उठाने लगा। इस प्रयास में कम्बल बीच बीच में ऊपर उठ जाता और उनको शिल्पा की टांगों के दर्शन हो जाते।
मैंने सोचा- यह तो साली मुझसे भी बड़ी चुदासी निकली। अपने भाई और बाप से चुदवाकर अब अपने ड्राईवर से चुदवा रही थी।
उसका ड्राईवर भी मज़े ले लेकर अपनी छोटी मालकिन को जोर जोर से धक्के मारकर चोदने लगा। इधर राजीव नीचे लेट गया और उसकी माँ उसके ऊपर चढ़ गई और उसने अपने बेटे का लंड अपनी चूत में घुसा लिया और धक्के मारने लगी। उसके मम्मों को उसका बेटा दबा दबा कर उसे और मजे दे रहा था।
अगले राउंड में मैं ड्राईवर से चुदी। इस तरह बारी बारी से तीनों मर्द हम औरतों को कई घंटों तक चोदते रहे। इस तरह शिल्पा ने अपनी चुदाई का किस्सा ख़त्म किया। थोड़ी देर में एक स्टेशन आने लगा तो हमने अपने कपड़े पहन लिए।
वो बोली- मैं बाथरूम जाकर अपनी सफाई करके और कपड़े बदलकर आती हूँ।
स्टेशन आया तो टीटी दो 40-45 साल के दो आदमियों को लेकर केबिन में आया और बोला- अगर आपको कोई परशानी न हो तो थोड़ी देर मैं इनको यहाँ बिठा दूँ? सीट मिलते ही मैं इनको ले जाऊँगा। इतने में शिल्पा गाउन पहन कर आ गई। उसने उसके नीचे ब्रा नहीं पहनी थी। उसकी चूचियाँ उसमें से बाहर चमक रही थी। वो दोनों उसको घूरने लगे।
मैंने शिल्पा से कहा- ये लोग अभी थोड़ी देर में सीट मिलने के बाद चले जायेंगे।
वो मेरे बगल में आकर बैठ गई। मुझसे कण्ट्रोल नहीं हो रहा था तो मैं एक कम्बल ऊपर से डालकर उसे छेड़ने लगा। मैंने केबिन की लाइट बंद कर दी। अब वहां सिर्फ हलकी सी नाईट बल्ब की रौशनी थी लेकिन उसमें भी बहुत कुछ चमक रहा था। मैंने कम्बल के नीचे ही उसके मम्मे दबाने शुरू कर दिए। हालांकि सामने से साफ़ पता चल रहा था कि मैं क्या कर रहा हूँ। वे दोनों भी उस नजारे का मज़ा लेने लगे।
फिर मैंने शिल्पा को सीट पर लिटा दिया और कम्बल ऊपर ले लिया। कम्बल के नीचे ही मैं उसका गाउन ऊपर उठाने लगा। इस प्रयास में कम्बल बीच बीच में ऊपर उठ जाता और उनको शिल्पा की टांगों के दर्शन हो जाते।
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!