26-03-2019, 02:57 PM
मुझसे अपनी गांड मरवाने के बाद वो मेरी गोद में आकर बैठ गई और मेरे लंड से खेलने लगी, मैं भी दोनों हाथों से उसकी दोनों चूचियां दबा रहा था।
मैंने पूछा- फिर क्या हुआ शिल्पा?
वो बोली- बहार के दिन ज्यादा नहीं थे। कुछ दिनों के बाद पापा का वहाँ से दिल्ली तबादला हो गया और मुझे वहाँ से जाना पड़ा। जाने से पहली रात मैं सुनील के घर बहाने से गई, वहाँ सुनील और उसके दोस्तों से मैंने पूरी रात चुदवाया। उसके बाद हम दिल्ली आ गए।
दिल्ली में हम एक अपार्टमेन्ट में रहने लगे। कई दिनों तक लंड के बिना मैं तड़पने लगी।
भड़ास निकालने के लिए कभी इन्टरनेट का सहारा लेती थी कभी भीड़ वाली बस में घुस कर लोंडों से दबवाती थी पर मेरी चूत की प्यास नहीं बुझ रही थी।
मेरे घर के बगल में एक बाहरवीं कक्षा का लड़का शम्पी रहता था। उसके पापा ने मेरे पापा से विनती की कि मैं उसे अंग्रेजी पढ़ा दूं, नहीं तो फिर से वो फेल हो जाएगा। मुझे कुछ उम्मीद की किरण दिखाई दी।
मैंने उसको कहा कि वो तीन से पाँच बजे के बीच आ सकता है। मैंने जानबूझ कर उसे तब बुलाया जब कोई घर में नहीं होता था।
मैंने देखा कि वो बहुत शर्मीला है। एक दो दिन के बाद मैंने सोचा इसकी शर्म निकालनी होगी। मैंने अब टी-शर्ट के ऊपर बटन खोलकर उसको थोड़े थोड़े अपने मम्मे दिखाने शुरू किये। स्कर्ट भी अब मैं अब घुटनों के ऊपर तक पहनने लगी। उस पर कुछ कुछ यह असर होने लगा था कि उसका लंड मुझे देखकर खडा होने लगा था। वो बहुत शर्मीला था, मुझे लगा कि मुझे ही कुछ करना पड़ेगा।
मैं एक दिन लेट हो गई तो देखा वो फ्लैट के बाहर मेरा इंतज़ार कर रहा है। मैंने उसको अपने कमरे में बैठाया और किताब निकालने को कहा। मुझे तभी एक शरारत सूझी- मैं कमरे में ड्रेसिंग टेबल के सामने गई और उसके सामने ही कपड़े बदलने लगी। मैंने शर्ट उतार दी और अलमारी में से टी-शर्ट ढूँढने लगी। मैंने शीशे में देखा कि वो मुझे ब्रा में देख कर लगातार घूर रहा था। मैंने टी-शर्ट पहनी और अपनी जींस उतार दी और उसे अपनी टांगों के दर्शन कराये।
फिर मैं अपनी मिनी स्कर्ट पहन कर उसके पास आ गई। मैंने देखा कि उसका लंड पूरी तरह खड़ा हो गया है, मैंने सोचा आज लोहा गरम है, मार देती हूँ हथौडा !
मैंने उससे पूछा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?
वो बोला- नहीं !
“कभी किसी को किस किया है”
“नहीं”
मैंने मन में सोचा- बहनचोद ! तूने ज़िन्दगी में किया क्या है !
फिर मैंने कहा- तुम्हारा किसी लड़की को किस करने का मन नहीं करता?
वो बोला- करता तो है !
“कभी कॉलेज में किसी लड़की को गलत जगह पर छुआ है”
“हाँ, एक बार राजीव के उकसाने पर प्रैक्टिकल की क्लास में !”
क्या यहाँ छुआ था? मैंने अपनी छाती को अपनी उंगली से छूकर कहा।
नहीं पीछे छुआ था ! उसने मेरे चूतड़ों की तरफ इशारा करके कहा।
“मज़ा आया था?”
“हाँ”
“तुम अपने आप को खुद संतुष्ट करते हो कभी?”
“समझा नहीं ?”
मैंने उसके लंड की तरफ इशारा करके कहा- इसे रगड़कर मज़ा लेते हो?
“हाँ”
“दिन में कितनी बार?”
“2-3 बार”
“किसके बारे में सोचते हो जब उसे रगड़ते हो?”
“क्लास की लड़कियों के बारे में !”
“मेरे बारे में सोचकर रगड़ा है कभी?”
वो थोड़ा हिचकिचाकर बोला- नहीं !
मैंने मुस्कुराकर कहा- झूट बोल रहे हो !
उसने कुछ जवाब नहीं दिया। मैंने अपनी चूचियों की तरफ इशारा करके कहा- कभी किसी के देखे हैं?
“नहीं”
“मेरे देखोगे?”
“पर आप तो मेरी दीदी हैं !”
मैंने कहा- वो सब भूल जाओ ! बस यह बताओ कि देखने हैं या नहीं !
“हाँ”
मैंने अपनी टी-शर्ट उतार दी, फिर पीछे से ब्रा के हुक खोलकर वो भी उतार दी और उसको अपने गोरे मम्मे दिखाए।
मैंने पूछा- छूकर देखेगा?
“हाँ”
मैंने उसका हाथ अपने मम्मे पर रख दिया वो उसे धीरे धीरे मसलने लगा।
मैंने कहा- मज़ा आ रहा है?
“हाँ”
मैंने पूछा- फिर क्या हुआ शिल्पा?
वो बोली- बहार के दिन ज्यादा नहीं थे। कुछ दिनों के बाद पापा का वहाँ से दिल्ली तबादला हो गया और मुझे वहाँ से जाना पड़ा। जाने से पहली रात मैं सुनील के घर बहाने से गई, वहाँ सुनील और उसके दोस्तों से मैंने पूरी रात चुदवाया। उसके बाद हम दिल्ली आ गए।
दिल्ली में हम एक अपार्टमेन्ट में रहने लगे। कई दिनों तक लंड के बिना मैं तड़पने लगी।
भड़ास निकालने के लिए कभी इन्टरनेट का सहारा लेती थी कभी भीड़ वाली बस में घुस कर लोंडों से दबवाती थी पर मेरी चूत की प्यास नहीं बुझ रही थी।
मेरे घर के बगल में एक बाहरवीं कक्षा का लड़का शम्पी रहता था। उसके पापा ने मेरे पापा से विनती की कि मैं उसे अंग्रेजी पढ़ा दूं, नहीं तो फिर से वो फेल हो जाएगा। मुझे कुछ उम्मीद की किरण दिखाई दी।
मैंने उसको कहा कि वो तीन से पाँच बजे के बीच आ सकता है। मैंने जानबूझ कर उसे तब बुलाया जब कोई घर में नहीं होता था।
मैंने देखा कि वो बहुत शर्मीला है। एक दो दिन के बाद मैंने सोचा इसकी शर्म निकालनी होगी। मैंने अब टी-शर्ट के ऊपर बटन खोलकर उसको थोड़े थोड़े अपने मम्मे दिखाने शुरू किये। स्कर्ट भी अब मैं अब घुटनों के ऊपर तक पहनने लगी। उस पर कुछ कुछ यह असर होने लगा था कि उसका लंड मुझे देखकर खडा होने लगा था। वो बहुत शर्मीला था, मुझे लगा कि मुझे ही कुछ करना पड़ेगा।
मैं एक दिन लेट हो गई तो देखा वो फ्लैट के बाहर मेरा इंतज़ार कर रहा है। मैंने उसको अपने कमरे में बैठाया और किताब निकालने को कहा। मुझे तभी एक शरारत सूझी- मैं कमरे में ड्रेसिंग टेबल के सामने गई और उसके सामने ही कपड़े बदलने लगी। मैंने शर्ट उतार दी और अलमारी में से टी-शर्ट ढूँढने लगी। मैंने शीशे में देखा कि वो मुझे ब्रा में देख कर लगातार घूर रहा था। मैंने टी-शर्ट पहनी और अपनी जींस उतार दी और उसे अपनी टांगों के दर्शन कराये।
फिर मैं अपनी मिनी स्कर्ट पहन कर उसके पास आ गई। मैंने देखा कि उसका लंड पूरी तरह खड़ा हो गया है, मैंने सोचा आज लोहा गरम है, मार देती हूँ हथौडा !
मैंने उससे पूछा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?
वो बोला- नहीं !
“कभी किसी को किस किया है”
“नहीं”
मैंने मन में सोचा- बहनचोद ! तूने ज़िन्दगी में किया क्या है !
फिर मैंने कहा- तुम्हारा किसी लड़की को किस करने का मन नहीं करता?
वो बोला- करता तो है !
“कभी कॉलेज में किसी लड़की को गलत जगह पर छुआ है”
“हाँ, एक बार राजीव के उकसाने पर प्रैक्टिकल की क्लास में !”
क्या यहाँ छुआ था? मैंने अपनी छाती को अपनी उंगली से छूकर कहा।
नहीं पीछे छुआ था ! उसने मेरे चूतड़ों की तरफ इशारा करके कहा।
“मज़ा आया था?”
“हाँ”
“तुम अपने आप को खुद संतुष्ट करते हो कभी?”
“समझा नहीं ?”
मैंने उसके लंड की तरफ इशारा करके कहा- इसे रगड़कर मज़ा लेते हो?
“हाँ”
“दिन में कितनी बार?”
“2-3 बार”
“किसके बारे में सोचते हो जब उसे रगड़ते हो?”
“क्लास की लड़कियों के बारे में !”
“मेरे बारे में सोचकर रगड़ा है कभी?”
वो थोड़ा हिचकिचाकर बोला- नहीं !
मैंने मुस्कुराकर कहा- झूट बोल रहे हो !
उसने कुछ जवाब नहीं दिया। मैंने अपनी चूचियों की तरफ इशारा करके कहा- कभी किसी के देखे हैं?
“नहीं”
“मेरे देखोगे?”
“पर आप तो मेरी दीदी हैं !”
मैंने कहा- वो सब भूल जाओ ! बस यह बताओ कि देखने हैं या नहीं !
“हाँ”
मैंने अपनी टी-शर्ट उतार दी, फिर पीछे से ब्रा के हुक खोलकर वो भी उतार दी और उसको अपने गोरे मम्मे दिखाए।
मैंने पूछा- छूकर देखेगा?
“हाँ”
मैंने उसका हाथ अपने मम्मे पर रख दिया वो उसे धीरे धीरे मसलने लगा।
मैंने कहा- मज़ा आ रहा है?
“हाँ”
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!