26-03-2019, 02:12 PM
राज कांपते हाथ पैरो से रिया के पास पंहुचा और पानी का मघा उठा कर अपनी बहिन की गांड धोने लगा,
वो अपनी दीदी के टट्टी से सनी गांड हो सहलाते सहलाते पानी डाल कर धोता जारहा था, दीदी के गांड का छेद और उस की टट्टी को अपनी हथेली से मसल कर वो बहुत गरम हो रहा था, उस की नाक से निकलती गरम सांसो से रिया का चेहरा जल रहा था, वो भी मस्ती के नशे में भरी सांसे लेती अपने भाई के हाथ को अपने गांड के छेद पर महसूस कर रही थी,गांड धोने के बाद वो फुब्बारे के नीचे खड़ी हो गई और अपने कामुक नग्न बदन पर साबुन मल मल कर राज को अपनी जबानी के जलबे दिखा दिखा कर नहाने लगी,
राज के लिए आज का दिन उस की जिंदगी का सब से हसीन दिन था आज उस की महबूबा रिया ने पुरे दिन उस के साथ मस्ती की थी, बो दोनों ने मॉल में जाके मूवी देखी रेस्टोरेंट जाके खाना खाया, राज दिन भर रिया के साथ घूमता रहा, रिया भी उस के साथ उस की गर्ल फ्रेंड जैसा बिहेव कर रही थी, दोनों ने दिन भर मौज मस्ती की,
रात को राज ने केक कटा और अपने हातो से रिया को खिलाया रिया ने भी अपने हाथ से राज को केक खिलाया और उस के चेहरे पर भी मल दिया,
दीदी अब मेरा गिफ्ट तो दो तुम तो कह रही थी आज मुझे बहुत तोफे दोगी लेकिन तुम ने तो बस एक ही तोहफा दिया ,
रुक जा बच्चे अभी देते हु तुझे तेरे गिफ्ट,और रिया अपने कमरे में जाके तीन गिफ्ट बॉक्स ले आई,एक बहुत छोटा बॉक्स था दूसरा थोड़ा बड़ा था तीसरा बॉक्स बहुत बड़ा था,
बाह दीदी तीन तीन गिफ्ट, देखु तो मेरी प्यारी दीदी ने क्या गिफ्ट दिए है,
राज छोटा बॉक्स खोलता है ,
बाओ यू आर ग्रेट दीदी दो लाख रूपए की राडो की गोल्ड की घडी,ओफो इतना महगा गिफ्ट देने की क्या जरूरत थी दीदी ,
अरे यार तू मेरा एकलोता भाई है तुझे क्या में ऐसा बेसा गिफ्ट दूगी चल दूसरा बॉक्स खोल,
राज दूसरा बॉक्स खोलता है,
ओहो मेरी तोबा आप ने तो कमल कर दिया दीदी यह तो 19वीं शताब्दी की जॉनी वॉकर कंपनी की 'द जॉन वॉकर' शराब की बोतल है यह तो चार लाख की आती है,क्या कर रहे हो दीदी इतनी महगी शराब क्यों गिफ्ट की मेने तो कही शराब को हाथ भी नहीं लगाया फिर आप ने मुझे यह क्यों गिफ्ट की,
भाई मेने भी कभी किसी नशे की बस्तु को हाथ नहीं लगाया लेकिन आज हम दोनों इस को पीकर तेरी जनम दिन की पार्टी को एन्जॉय करेगे,
आज जाने तुझे क्या हो गया है दीदी इतने महज गिफ्ट दे रही हो और यह तो बहुत पड़ा बॉक्स है इस में जाने क्या होगा,राज तीसरा बड़ा बाला बॉक्स खोलता है,
उफ़ दीदी यह क्या है आप पागल तो नहीं हो गये,आप यह सब क्यों लेकर आए हो,
यह किसी दुल्हन का लाल जोड़ा यह मंगलसूत्र यह सिंदूर यह दूल्हे की शेरवानी,
यह सब किस लिए है क्या आज किसी की शादी होने वाली है?
हा आज किसी की शादी होने बाली है,आज मेरी शादी होने बाली है, आज तुम्हारी शादी होने बाली है, आज हम दोनों की शादी होने बाली है, आज रिया और राज की शादी होने बाली है ,
उफ़ राज की हैरानी की कोई सीमा न रही, बो बुत बना रिया को देखने लगा उस की आखो से खुसी के आंसू बहने लगे ,उस के प्यार ने उस को अपना लिया था रिया ने उस के प्यार को स्वीकार कर लिया था,
उस की बचपन की मुहबब्त उस के सामने मंगलसूत्र लेकर खड़ी थी, और कह रही थी अपने नाम का मंगलसूत्र मेरे गले में पहना दो ,उस की जान से प्यारी दीदी उस के सामने खड़ी थी और कह रही थी उस की मांग में अपने नाम का सिंदूर भर दो,उस की प्रेमिका उस के लिए दूल्हे के कपडे लाई थी और कह रही थी इन को पहन लो और बन जाओ मेरे दूल्हे,
राज अपनी प्रेमिका के इस रूप को देख कर प्रेम के एक दूसरे रूप करुणा से भर गया उस की आखो से खुशियो की बारिस होने लगी उस का गाला रुंद गया वो सिसकने लगा,
रिया ने उस को अपने बहो में भर कर अपने गले से लगा लिया दोनों प्रेमी एक दूसरे को बाहों में समाये खुशियो के आंसू बहाते जा रहे थे ,
रिया का कमरा फूलो से महक रहा था,पुरे कमरे में प्रेम के प्रतीक गुलाब की कलियाँ लड़ियो में बंधी लटकी हुई थी,पूरा बेड गुलाब की पखुडियो से सजा था,दीवारों पर गुलाब के फूलो की मालाये लटक रही थी,
और बेड के बीचो बीच एक दुल्हन घुघट ओढे बैठी थी,घुघट में से केबल उस के दो सुर्ख लाल लब नजर आ रहे थे उस के हाथो में सुर्ख लाल चूड़ियाँ थी,वो दुल्हन सुहाग के लाल जोड़े में सजी सिकुड़ी सी बैठी थी,
कमरे का माहौल बेहद रूहानी लग रहा था हलकी अबाज में मुकेश का गीत,
कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है, के जैसे तुझ को बनाया गया है मेरे लिए, बज रहा था,
दूल्हा कमरे में आता है दुल्हन के शरीर में सनसनी सी फेल जाती है ,वो थोड़ा और सिकुड़ जाती है ,चूडियो के अबाज से कमरा गुज जाता है,
दूल्हा आके उस के पास में बैठ जाता है, दूल्हा बेहद प्र्यारी नजरो से अपनी दुल्हन को देकने लगता है,
वो लाल जोड़े में सजी सुहाग सेज पर बैठी अपनी अर्धांग्नी के मनमोहनी सौन्दर्य को निहारता जाता है,
दुल्हन भी अपनी सांस रोके आने वाले पलों का इंतजार करती है ,
दूल्हा जैसे ही दुलहाल का घुंघट उठता है मनो कमरे में सूरज निकल आता है,दुल्हन इतनी ज्यादा सुन्दर थी के मेनका रम्भा भी देखती तो जल जाती,दूध में एक चुटकी केसर मिले रंग जैसा रंग, बेहद हसीं चेहरा,
शर्म से थर थर्राते सुर्ख लब, सागर जैसी गहरी नीली आँखे, काजल लगी अमावस की रात जैसी काली पलके,
हीरे जड़ी लोग से सजी सुतुबा नाक,
घुंघट के उठाये जाते ही मुकेश की अबाज गूजती है,
सुहाग रात है घुंघट उठा रहा हु में ,
सिमट रही है तू शरमा के अपनी बाहों में,
राज अपनी प्रेम की देवी के इस बेमिसाल रूप को देख कर हैरान हो जाता है, उस की प्रेमिका उस की कल्पना से भी ज्यादा सुन्दर थी, वो रिया की ख़ूबसूरती पर मोहित हो जाता है ,वो रिया को अपनी बाहों में लेकर वो अपने लबो को रिया के लबो पर रख देता है,
रिया भी अपने प्रेमी के लबो के लिए अपने लब खोल देती है,
दोनों के जबान लब एक दूसरे का रास पीने लगते है,
वो अपनी दीदी के टट्टी से सनी गांड हो सहलाते सहलाते पानी डाल कर धोता जारहा था, दीदी के गांड का छेद और उस की टट्टी को अपनी हथेली से मसल कर वो बहुत गरम हो रहा था, उस की नाक से निकलती गरम सांसो से रिया का चेहरा जल रहा था, वो भी मस्ती के नशे में भरी सांसे लेती अपने भाई के हाथ को अपने गांड के छेद पर महसूस कर रही थी,गांड धोने के बाद वो फुब्बारे के नीचे खड़ी हो गई और अपने कामुक नग्न बदन पर साबुन मल मल कर राज को अपनी जबानी के जलबे दिखा दिखा कर नहाने लगी,
राज के लिए आज का दिन उस की जिंदगी का सब से हसीन दिन था आज उस की महबूबा रिया ने पुरे दिन उस के साथ मस्ती की थी, बो दोनों ने मॉल में जाके मूवी देखी रेस्टोरेंट जाके खाना खाया, राज दिन भर रिया के साथ घूमता रहा, रिया भी उस के साथ उस की गर्ल फ्रेंड जैसा बिहेव कर रही थी, दोनों ने दिन भर मौज मस्ती की,
रात को राज ने केक कटा और अपने हातो से रिया को खिलाया रिया ने भी अपने हाथ से राज को केक खिलाया और उस के चेहरे पर भी मल दिया,
दीदी अब मेरा गिफ्ट तो दो तुम तो कह रही थी आज मुझे बहुत तोफे दोगी लेकिन तुम ने तो बस एक ही तोहफा दिया ,
रुक जा बच्चे अभी देते हु तुझे तेरे गिफ्ट,और रिया अपने कमरे में जाके तीन गिफ्ट बॉक्स ले आई,एक बहुत छोटा बॉक्स था दूसरा थोड़ा बड़ा था तीसरा बॉक्स बहुत बड़ा था,
बाह दीदी तीन तीन गिफ्ट, देखु तो मेरी प्यारी दीदी ने क्या गिफ्ट दिए है,
राज छोटा बॉक्स खोलता है ,
बाओ यू आर ग्रेट दीदी दो लाख रूपए की राडो की गोल्ड की घडी,ओफो इतना महगा गिफ्ट देने की क्या जरूरत थी दीदी ,
अरे यार तू मेरा एकलोता भाई है तुझे क्या में ऐसा बेसा गिफ्ट दूगी चल दूसरा बॉक्स खोल,
राज दूसरा बॉक्स खोलता है,
ओहो मेरी तोबा आप ने तो कमल कर दिया दीदी यह तो 19वीं शताब्दी की जॉनी वॉकर कंपनी की 'द जॉन वॉकर' शराब की बोतल है यह तो चार लाख की आती है,क्या कर रहे हो दीदी इतनी महगी शराब क्यों गिफ्ट की मेने तो कही शराब को हाथ भी नहीं लगाया फिर आप ने मुझे यह क्यों गिफ्ट की,
भाई मेने भी कभी किसी नशे की बस्तु को हाथ नहीं लगाया लेकिन आज हम दोनों इस को पीकर तेरी जनम दिन की पार्टी को एन्जॉय करेगे,
आज जाने तुझे क्या हो गया है दीदी इतने महज गिफ्ट दे रही हो और यह तो बहुत पड़ा बॉक्स है इस में जाने क्या होगा,राज तीसरा बड़ा बाला बॉक्स खोलता है,
उफ़ दीदी यह क्या है आप पागल तो नहीं हो गये,आप यह सब क्यों लेकर आए हो,
यह किसी दुल्हन का लाल जोड़ा यह मंगलसूत्र यह सिंदूर यह दूल्हे की शेरवानी,
यह सब किस लिए है क्या आज किसी की शादी होने वाली है?
हा आज किसी की शादी होने बाली है,आज मेरी शादी होने बाली है, आज तुम्हारी शादी होने बाली है, आज हम दोनों की शादी होने बाली है, आज रिया और राज की शादी होने बाली है ,
उफ़ राज की हैरानी की कोई सीमा न रही, बो बुत बना रिया को देखने लगा उस की आखो से खुसी के आंसू बहने लगे ,उस के प्यार ने उस को अपना लिया था रिया ने उस के प्यार को स्वीकार कर लिया था,
उस की बचपन की मुहबब्त उस के सामने मंगलसूत्र लेकर खड़ी थी, और कह रही थी अपने नाम का मंगलसूत्र मेरे गले में पहना दो ,उस की जान से प्यारी दीदी उस के सामने खड़ी थी और कह रही थी उस की मांग में अपने नाम का सिंदूर भर दो,उस की प्रेमिका उस के लिए दूल्हे के कपडे लाई थी और कह रही थी इन को पहन लो और बन जाओ मेरे दूल्हे,
राज अपनी प्रेमिका के इस रूप को देख कर प्रेम के एक दूसरे रूप करुणा से भर गया उस की आखो से खुशियो की बारिस होने लगी उस का गाला रुंद गया वो सिसकने लगा,
रिया ने उस को अपने बहो में भर कर अपने गले से लगा लिया दोनों प्रेमी एक दूसरे को बाहों में समाये खुशियो के आंसू बहाते जा रहे थे ,
रिया का कमरा फूलो से महक रहा था,पुरे कमरे में प्रेम के प्रतीक गुलाब की कलियाँ लड़ियो में बंधी लटकी हुई थी,पूरा बेड गुलाब की पखुडियो से सजा था,दीवारों पर गुलाब के फूलो की मालाये लटक रही थी,
और बेड के बीचो बीच एक दुल्हन घुघट ओढे बैठी थी,घुघट में से केबल उस के दो सुर्ख लाल लब नजर आ रहे थे उस के हाथो में सुर्ख लाल चूड़ियाँ थी,वो दुल्हन सुहाग के लाल जोड़े में सजी सिकुड़ी सी बैठी थी,
कमरे का माहौल बेहद रूहानी लग रहा था हलकी अबाज में मुकेश का गीत,
कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है, के जैसे तुझ को बनाया गया है मेरे लिए, बज रहा था,
दूल्हा कमरे में आता है दुल्हन के शरीर में सनसनी सी फेल जाती है ,वो थोड़ा और सिकुड़ जाती है ,चूडियो के अबाज से कमरा गुज जाता है,
दूल्हा आके उस के पास में बैठ जाता है, दूल्हा बेहद प्र्यारी नजरो से अपनी दुल्हन को देकने लगता है,
वो लाल जोड़े में सजी सुहाग सेज पर बैठी अपनी अर्धांग्नी के मनमोहनी सौन्दर्य को निहारता जाता है,
दुल्हन भी अपनी सांस रोके आने वाले पलों का इंतजार करती है ,
दूल्हा जैसे ही दुलहाल का घुंघट उठता है मनो कमरे में सूरज निकल आता है,दुल्हन इतनी ज्यादा सुन्दर थी के मेनका रम्भा भी देखती तो जल जाती,दूध में एक चुटकी केसर मिले रंग जैसा रंग, बेहद हसीं चेहरा,
शर्म से थर थर्राते सुर्ख लब, सागर जैसी गहरी नीली आँखे, काजल लगी अमावस की रात जैसी काली पलके,
हीरे जड़ी लोग से सजी सुतुबा नाक,
घुंघट के उठाये जाते ही मुकेश की अबाज गूजती है,
सुहाग रात है घुंघट उठा रहा हु में ,
सिमट रही है तू शरमा के अपनी बाहों में,
राज अपनी प्रेम की देवी के इस बेमिसाल रूप को देख कर हैरान हो जाता है, उस की प्रेमिका उस की कल्पना से भी ज्यादा सुन्दर थी, वो रिया की ख़ूबसूरती पर मोहित हो जाता है ,वो रिया को अपनी बाहों में लेकर वो अपने लबो को रिया के लबो पर रख देता है,
रिया भी अपने प्रेमी के लबो के लिए अपने लब खोल देती है,
दोनों के जबान लब एक दूसरे का रास पीने लगते है,
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!