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Adultery मासूम दरिंदा // by सोफिया आलम नकवी
#1
Heart 
दोस्तों में "सोफिया आलम नकवी" फिर हाजिर हु आप की बारगाह में एक और कहानी लेकर उम्मीद करती हू आप को पसंद आएगी. 



यह कहानी भाई बहिन के रिस्तो के ऊपर आधारित हैं जिस में थोड़ा जज़्बात का तड़का और खून की खुसबू भी शामिल हैं अपनी तरफ से पूरी कोशिस की हैं कुछ नयी तरह की कहानी बन जाये बाकि अच्छी हैं बुरी हैं फैसला करना आप लोगो के हाथ में हैं.  

मेरी कहानिया पढ़ कर कुछ लोगो ने चैट पर कहा के में जब प्रोन स्टोरी लिखती हू तो फालतू की सामाजिक बातें और ब्यंग क्यों करती हू सीधा सीधा प्रोन क्यों  नहीं लिखती .

इस बात पर में आप सभी लोगो से कहना चाहुगी में कहानी  दिल से लिखती हू दिमाक से नहीं क्या लिखना चाहिए और क्या नहीं में इस बारे में नहीं सोचती जो मेरे मन में आता जाता हैं में वो लिखती जाती हू.आप यह भी कह सकते हो प्रोन में आप के लिए लिखती हू और कहानी अपने लिए.

चलिए कहानी सुरु करते हैं .रिया और राज की कहानी ,


दीदी आप समीर से बात मत किया करो वो अच्छा लड़का नहीं है. 

भाई तू मुझसे छोटा है न फिर क्यों मुझे अच्छा बुरा  सिखाता हैतू बीस का है में चौबीस  की में तुझसे ज्यादा जानती हु अच्छा क्या है और बुरा क्या और वो मेरा दोस्त है बस हम लोग साथ पड़ते है तो में उस से थोड़ा बहुत  हसी मज़ाक कर लेती हु इस में बुरा क्या है. 

दीदी जब तुम किसी लड़के से बात करती हो तो  मुझे अच्छा नहीं लगता तुम मेसे सिबाय किसी और लड़के से बात मत किया करो तुम को जैसी भी बातें करना हो मेरे से किया करो. 

तू पागल हो गया है तू मेरा सागा माँ जाया भाई है में तुझसे लड़को बाली बातें करू ?

तुम मुझे हमेसा केबल भाई क्यों समझती हो कभी तो  मुझे भी कोई आम  लड़का समझो ना  वो लड़का जो तुम से दिलो जान से मुहब्बत करता है वो लड़का जो अपनी दीदी के लिए जान दे सकता है वो लड़का जिस के साथ तुम अपने दुःख सुख बांट सकती हो.

राज  तू पागल हो गया है, अपनी बहिन से कोई ऐसी बातें करता है?तू मेरा सागा भाई है कोई बॉय फ्रेंड नहीं जो में तेरे से फालतू बातें करू और आज तू भी सुन ले में समीर से प्यार करती हु और जल्दी है शादी भी करने वाली हु समीर ही मेरी दुनिया है मेरी मुहब्बत है .जल्दी ही उस के मम्मी पापा हमारे घर शादी की बात करने आने बाले है.कुछ है दिनोंमें में  समीर की दुल्हन बन जाउंगी. 

नहीं दीदी ऐसा नहीं हो सकता मेरे जीते जी तुम किसी और की दुल्हन नहीं बन सकती तुम केबल मेरी हो  मेरी मुझ से ज्यादा प्यार तुम्हे कोई नहीं कर सकता, में बचपन से तुम से बेपनाह मुहब्बत करता हु, तुम को पूजता हु , तुम केबल मेरी दुल्हन बनोगी, तुम्हारी शादी मुझ से होगी, तुम्हारी मांग में मेरा सिन्दूर होगा, तुम केबल मेरे नाम का मंगलसूत्र पहनोगी.

चुप हो जा कमीने तू मेरा भाई नहीं हो सकता, कितनी गंदगी भरी है तेरे दिमाक में, बीस सालो तक मेने तुझे अपना भाई नहीं बच्चा समझा अपनी जान से भी ज्यादा प्यार किया, और तू मेरे ऊपर ही गन्दी नजर रखता है

यही सीखा तूने दिनभर इंटरनेट चला चला के, तू अपनी सगी बहिन के साथ शादी  करेगा छी कितना नीच है तू मुझे तो सोचकर  भी शर्म आती है के तू मेरा भाई है हमारे देश में हमारी संस्कृति में बहिन की इज्जत के लिए भाई अपनी जान कुर्बान कर देते है ,और एक तू है जो खुद अपनी सगी बहन की इज्जत लूटना कहता है, चला जा यह से और आज के बाद मुझसे कभी बात मत  करना आज से अभी से तेरे लिए  मर गई तेरी बहिन तू भाई नहीं एक दरिंदा है जो अपनी बहिन पर गन्दी नजर रखता है

कहते हुए रिया हाफने लगी उस की आखो से आँसू बहने लगे जिस मासूम  भाई को उस ने बच्चो के जैसे प्यार किया आज पता चला बो मासूम भाई तो उस के जिस्म का भूखा है, जिस भाई को उसकी रक्षा करनी चाहिये बही उस की इज्जत के लिए सब से बड़ा खतरा है, रिया  बेसुध सी हो गई जब कोई अपना दिल तोड़ता है, तो इंसान को मौत से भी ज्यादा कष्ट होता है, राज  की बात से राखी को बहुत बड़ा सदमा लगा वो जोर जोर से रोने लगी अपने जान से भी प्यारा भाई आज उसे एक दरिंदा लग रहा था. 

रिया की बात अपनी जगह 100 % सही थी उस का कहा एक एक शब्द सच था, लेकिन  राज 

लेकिन राज  के दिल का हाल वो कहाँ जानती थी राज  ने दस साल की उम्र से रिया  को अपनी दीदी, अपनी माँ ,और अपनी प्रेमिका मान लिया था, उस ने रिया  के साथ अपनी एक अलग दुनिया बसा ली थी, जहाँ केबल वो था और रिया थी, उस का रियाके प्रति प्रेम निश्छल था, उस के प्रेम में कोई स्वार्थ नहीं था, कोई छल कपट नहीं थी, जो जब केबल दस साल का था तब से वो रिया  को ही  अपना सब कुछ मानने लगा था, उस का प्यार "डिवाइन लव" था, उसे रिया  से कुछ नहीं चाहिए था, वो रिया  को कभी अपने प्यार के बारे में नहीं बताता, अगर उस ने रिया  को समीर के साथ हॅसते हॅसते  बात करते नहीं देखा होता, वो अपना प्यार दिल में छुपा सकता था, लेकिन अपने प्यार को किसी और के पास जाता नहीं देख सकता था, आज बो बीस साल का हो गया था पिछले दस सालो से उस के हर सपने में केबल और केबल रिया ही थीउस की बनाई हर तस्वीर में रिया का ही चेहरा था, आज यह रिस्ता गलत हो सकता है, लेकिन जब उस ने रिया से प्यार किया था तब बो नहीं जनता था के समाज के नियम क्या है, जाती धर्म क्या है, उस समय उस को इन बातो की समझ नहीं थी, आज वो समझता था लेकिन दस साल का प्यार दस साल की पूजा आज दीवानगी में बदल  गई, थी अब उसके दिलो दिमाक से रिया  को कोई नहीं निकाल सकता था, बेसे  बो कही अच्छा लड़का था पढ़ाई में होशियार था, समाज में सभी उस को एक अच्छा लड़का समझते थे, वो अंतर मुखी था अपने मन की बात किसी से कहता नहीं था ,आज अगर मज़बूरी ना होती तो सायद वो आज भी चुप रहता, लेकिन अपने प्यार को किसी और के साथ हसता खेलता देख उस को सहन ना हुआ, और उस ने आज रिया से यह सब कह दिया,.अब उस के जस्बातो की आग भड़क चुकी थी ,लेकिन वो समझ गया था रास्ता इतना आसान नहीं है, वो जनता था प्यार का रास्ता मुसीबतो से भरा होता है, लेकिन अब उस ने आगे बढ़ने का फैसला कर लिया था, अब चाहे जो भी करना पड़े वो हर कीमत पर अपने प्रेम को हासिल करके रहेगा, चाहे उसे अपने प्यार की खातिर मासूम से  दरिंदा  भी क्यों ना बनना पड़े वो बनेगा .अब वो दिमाक से खेल खेलेगा
अब वो " मासूम दरिंदा "  बनेगा. 

दीदी आप रोओ मत में आप को दुखी नहीं देखा सकता प्लीज़ आप चुप हो जाओ में मुझ से गलती हो गई मुझे माफ़ कर दो प्लीज़.
मैंने कहा ना मर गई तेरी दीदी चले जाओ यह से मुझे अकेला छोड़ दो नहीं तो में मम्मी को बतादूगी.

राज समझ गया अभी कुछ कहने से बात बड़ेगी सो वो चुप चाप वह से चला गया.

वो अपने कमरे में पंहुचा तो उस की आखे गुस्से से जल रही थी, प्यार की इंतहा अब उस को एक मासूम से दरिंदा बना रही थी, उस के नथुनों से भेड़िया जैसी गर्ग गरम सांसे निकाल रही थी, उस का प्यार अब नफरत में बदलने लगा था, अब उसे रिया से प्यार नहीं करना था, अब उसका मकसद रिया को हासिल करना था, अब वो रिया को अपनी दुल्हन नहीं अपनी रंडी बनाना चाहता था, रिया की बातो ने उस को दरिंदा बना दिया था, अब वो दरिंदा बन  कर रिया की जिंदगी बर्बाद करने वाला था.,अब रिया उस को माँ बहिन दुल्हन नहीं एक बाजारू रंडी लग रही थी, प्रेम की अधिकता से नफरत का जनम हो चुका था.  
कुछ दिन बाद सब नार्मल हो गया राज एक अच्छे भाई की तरह बिहेब करने लगा पहले की तरह उस की  नजरे रिया  दीदी की छाती पर नहीं होती थी अब वो नजर झुकाये रिया दीदी के पैरो की तरफ देखता था.

 
रिया को भी लगने लगा सायद अब बो सुधर गया अब उस का गुस्सा  भी काम होने लगा दोनों में  थोड़ी बहुत बातचीत भी होने लगी.

लेकिन राज क्या सच में बदल गया था? हा राज बदल गया था लेकिन अब बो एक मासूम भाई नहीं था अब बो मासूम भाई  से मासून दरिंदा बन गया था.





// सुनील पंडित // yourock
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
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मासूम दरिंदा // by सोफिया आलम नकवी - by suneeellpandit - 26-03-2019, 01:35 PM



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