26-03-2019, 01:30 PM
(This post was last modified: 26-03-2019, 01:31 PM by suneeellpandit. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
अपने मुँह के भीतर उसे भाई का लण्ड अद्वितीय प्रतीत हो रहा था अस्मा की आखे यद्यपि बन्द थी किन्तु पूरी तन्मयता से अपने भाई के लण्ड को चूस रही थी और ऐसा लग रहा था कि मानो उसके भाई का लण्ड गले में ठोकरे मार रहा था
यद्यपि समीर चाह रहा था कि यह चुसाई कुछ लम्बे समय तक चले किन्तु उसे अन्तसमीप नजर आया
ऐसा प्रतीत होता कि अस्मा को इसका अहसास हो गया था ऐसी हालत में वह सब तेजी से कर रही थी और तभी समीर ने उसके मुँह के भीतर ही अपना ढेर वीर्य छोड़ दिया जो उसके गले में जाकर विलीन हो गया
समीर ्के लण्ड ने तुरन्त सिकुड़्ना प्रारम्भ कर दिया
और धीरे धीरेनीचे बैठ्ने लगा जो बहन की चिन्ताका विषय था उसके हाथों ने नीचे जाते हुए लण्ड को पकड
लिया और उसे थपथपाने लगी उसके हाथो के कमाल ने उसमें जान डाल दी
वह जल्दी से उठ खडी हुई और उसके अच्छी तरह से फैले पैरों के बीच में भाई को पाकर वह रोमांचित थी समीर अपनी शरारती बहन को अपने लण्ड पर बैठा पाकर बहुत ही खुशः हुआ वह आगे पीछे हो रही थी
कामुक अन्दाज में अपने निचले होठ को चबाते हुए वह उसके लण्ड पर बहुत आहिस्ता से बैठी कि कम से कम एक इंच लण्ड उसकी चूत में अवश्य रहे
एक बार अपनी स्थिति सुनिश्चित कर लेने के बाद उसने इस तरह से चुदाई शुरू की कि लग्भग आधा लण्ड उसकी चूत में ही रहे अपनी बहन से इशारा पाकरउसने अपना धड़ उसकी चूत पर मधुर गति से मारने लगा
थोड़ी ही देर में ,उसकी चूतने लण्ड पर शिकंजा कस लिया और चूत के भीतर घर्षण महसूस किया
समीर स्वाभाविक रूप से दोनो में से मजबूत था और अब यह उसकी बारी थी कि कुछ प्रभाव दिखा सके उसका शरीर इस तरह से ऊपर नीचे हो रहा था कि मानो हाइड्रोलिक मशीन हो जो उसकी बहन को आन्नद से पागल करे जा रहा था l
उसने और त्तेजी से धक्के लगाने चालू कर दियेजिससे उसका शरीर गति से तारतम्य बनाने केलिये उछल रहा था इससे उसकी बहन के उरोज उछल -उछ्ल कर
उसके भाई के लिये अद्भुत नजारा प्रस्तुत कर रहे थे यद्यपि अस्मा के घुटने दर्द से दुखने लगे थे फ़िर भी उसने गति धीमी कर आन्नद मे कमी न आने दी
समीर की कमर की नसों मे धीमी सुरसुराहट शुरू हो गई थी जो मष्तिषक में पहुँचने से पहले उसके मेरु दण्ड तक जाती थी जिससे उसे यह आभास हो रहा था कि वह किसी भी पल स्खलित हो सकता है l
''समीर मेरे साथ ही स्खलित होना '' मैं लगभग झड़ने वाली हूँ! "वह परमानंद में चिल्लायी''
समीर ने मन ही मन कामना की कि वह इस स्वाभाविक क्रियाको धता बता सकेऔर अपनी बहन के चेअहरे पर उठने वाले कामोद्दीपक भावों पर नजर रखते हुए उसने अपनी गति और बढ़ा दी जिससे वह अपनी बहन के साथ ही स्खलित हो
वह समीर को इस तरह से धक्के मार रही थी कि मानो स्प्रिंग लगी हो ,कामोत्तेजना के अन्तिम क्षणों मे उसकी चीखें इतनी तीव्र थीं कि पड़ोसी भी जाग जाएं
वे जल्द ही कामोन्माद्जनित स्वर्गीय आन्नद के शिखर की अनुभुति कर एक दूसरे के शरीर मे नाखून पैबस्त कर दे रहे थे, तभी समीर उस चरम पर पहुँच गया और अस्मा की योनि के भीतर ही झड़्ने लगा और उसके गर्भ को अपने वीर्य से सीँच दिया
उसका सिर दायें से बायें झूमा और इस तरह से नीचे झुका कि उसके लंबे बाल पीछे से आ कर उसकी नग्न छातियों को ढक लें क्षण भर में उनके शरीर संभोग जनित श्रम से श्लथ व शांत हो गये l
उसने धीरे धीरे अपने सिर को उठाया और पूर्णता की अनुभूति कर मुस्करा दी यद्यपि उसके भाई का लण्ड अभी भी उसके भीतर वीर्य छोड़ रहा था जब तक उसके भाई ने वीर्य की अन्तिम बूँद उसके भीतर न छोड़ दी सिसकी लेती हुई बैठी रही और उसके हाथ उसके कन्धे पर विश्राम करते रहे शीघ्र ही वह निढाल होकर उस पर लुढ़्क गई और उसके आगोश में ही थोड़ी देर तक रही इस बीच वे दोनों चुप थे l
"समीर," वह फुसफुसाई" ”क्या नाश्ता पसन्द आया? ”
समीर उत्तर में उसके होठों को चूम लिया l
" अगर तुम आज काम छोड़ सको तो लंच भी हाजिर हो सकता है l”
समाप्त
यद्यपि समीर चाह रहा था कि यह चुसाई कुछ लम्बे समय तक चले किन्तु उसे अन्तसमीप नजर आया
ऐसा प्रतीत होता कि अस्मा को इसका अहसास हो गया था ऐसी हालत में वह सब तेजी से कर रही थी और तभी समीर ने उसके मुँह के भीतर ही अपना ढेर वीर्य छोड़ दिया जो उसके गले में जाकर विलीन हो गया
समीर ्के लण्ड ने तुरन्त सिकुड़्ना प्रारम्भ कर दिया
और धीरे धीरेनीचे बैठ्ने लगा जो बहन की चिन्ताका विषय था उसके हाथों ने नीचे जाते हुए लण्ड को पकड
लिया और उसे थपथपाने लगी उसके हाथो के कमाल ने उसमें जान डाल दी
वह जल्दी से उठ खडी हुई और उसके अच्छी तरह से फैले पैरों के बीच में भाई को पाकर वह रोमांचित थी समीर अपनी शरारती बहन को अपने लण्ड पर बैठा पाकर बहुत ही खुशः हुआ वह आगे पीछे हो रही थी
कामुक अन्दाज में अपने निचले होठ को चबाते हुए वह उसके लण्ड पर बहुत आहिस्ता से बैठी कि कम से कम एक इंच लण्ड उसकी चूत में अवश्य रहे
एक बार अपनी स्थिति सुनिश्चित कर लेने के बाद उसने इस तरह से चुदाई शुरू की कि लग्भग आधा लण्ड उसकी चूत में ही रहे अपनी बहन से इशारा पाकरउसने अपना धड़ उसकी चूत पर मधुर गति से मारने लगा
थोड़ी ही देर में ,उसकी चूतने लण्ड पर शिकंजा कस लिया और चूत के भीतर घर्षण महसूस किया
समीर स्वाभाविक रूप से दोनो में से मजबूत था और अब यह उसकी बारी थी कि कुछ प्रभाव दिखा सके उसका शरीर इस तरह से ऊपर नीचे हो रहा था कि मानो हाइड्रोलिक मशीन हो जो उसकी बहन को आन्नद से पागल करे जा रहा था l
उसने और त्तेजी से धक्के लगाने चालू कर दियेजिससे उसका शरीर गति से तारतम्य बनाने केलिये उछल रहा था इससे उसकी बहन के उरोज उछल -उछ्ल कर
उसके भाई के लिये अद्भुत नजारा प्रस्तुत कर रहे थे यद्यपि अस्मा के घुटने दर्द से दुखने लगे थे फ़िर भी उसने गति धीमी कर आन्नद मे कमी न आने दी
समीर की कमर की नसों मे धीमी सुरसुराहट शुरू हो गई थी जो मष्तिषक में पहुँचने से पहले उसके मेरु दण्ड तक जाती थी जिससे उसे यह आभास हो रहा था कि वह किसी भी पल स्खलित हो सकता है l
''समीर मेरे साथ ही स्खलित होना '' मैं लगभग झड़ने वाली हूँ! "वह परमानंद में चिल्लायी''
समीर ने मन ही मन कामना की कि वह इस स्वाभाविक क्रियाको धता बता सकेऔर अपनी बहन के चेअहरे पर उठने वाले कामोद्दीपक भावों पर नजर रखते हुए उसने अपनी गति और बढ़ा दी जिससे वह अपनी बहन के साथ ही स्खलित हो
वह समीर को इस तरह से धक्के मार रही थी कि मानो स्प्रिंग लगी हो ,कामोत्तेजना के अन्तिम क्षणों मे उसकी चीखें इतनी तीव्र थीं कि पड़ोसी भी जाग जाएं
वे जल्द ही कामोन्माद्जनित स्वर्गीय आन्नद के शिखर की अनुभुति कर एक दूसरे के शरीर मे नाखून पैबस्त कर दे रहे थे, तभी समीर उस चरम पर पहुँच गया और अस्मा की योनि के भीतर ही झड़्ने लगा और उसके गर्भ को अपने वीर्य से सीँच दिया
उसका सिर दायें से बायें झूमा और इस तरह से नीचे झुका कि उसके लंबे बाल पीछे से आ कर उसकी नग्न छातियों को ढक लें क्षण भर में उनके शरीर संभोग जनित श्रम से श्लथ व शांत हो गये l
उसने धीरे धीरे अपने सिर को उठाया और पूर्णता की अनुभूति कर मुस्करा दी यद्यपि उसके भाई का लण्ड अभी भी उसके भीतर वीर्य छोड़ रहा था जब तक उसके भाई ने वीर्य की अन्तिम बूँद उसके भीतर न छोड़ दी सिसकी लेती हुई बैठी रही और उसके हाथ उसके कन्धे पर विश्राम करते रहे शीघ्र ही वह निढाल होकर उस पर लुढ़्क गई और उसके आगोश में ही थोड़ी देर तक रही इस बीच वे दोनों चुप थे l
"समीर," वह फुसफुसाई" ”क्या नाश्ता पसन्द आया? ”
समीर उत्तर में उसके होठों को चूम लिया l
" अगर तुम आज काम छोड़ सको तो लंच भी हाजिर हो सकता है l”
समाप्त
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!