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Adultery कामुक हसीना
#5
दूसरा अपडेट

अगर उसे मारना ही था तो उसे पहले ही मार देता।

ऐसा क्या हुआ जो उसने ऐसा कदम उठाया… यह सब जानने के लिए आप कहानी के साथ जुड़े रहिए…



65 साल पहले।

वाराणसी के धूल भरी गंगा नदी के तट पर स्थित मणिकरणीका घाट इस शहर के जीवन और आत्मा हैं। मणिकर्णिका घाट मूल रूप से वह स्थान है जहां लाशों का अंतिम संस्कार किया जाता है। चूँकि वाराणसी एक पवित्र शहर है, जहाँ देश के कोने कोने से अपने पाप धोने आते है। घाट के दोनों किनारों मैं जीवन और मृत्यु का खेल देखा जा सकता है। एक तरफ चिता से धुआँ उठ रहा है, और दूसरी तरफ छोटे बच्चों नदी मैं खेल रहे है।

उन्ही चिता के पास पंडित मंत्र पढ़ रहे है और दूसरी तरफ गंगा नदी मैं खड़े होकर कुछ लोग सूर्य नमस्कार करते हुए अपने पापो की क्षमा मांग रहे है।। एक
क तरफ लोग खड़े होकर गंगा नदी के पवित्र जल को निहार रहे है और दूसरी तरफ कुछ लोग चिता के पास खड़े होकर विलाप कर रहे है।

और नियती इन सबको बड़े आराम से देख रहा है और सोचता है, हर इंसान को इसी घाट पे आना है। सबको सच्चाई पता है की दुनिया के बड़े से बड़े राजा महाराजा, नेता, मंत्री हर किसी को इस पवित्र नदी मैं बहना है। यह सब जानते हुए भी इंसान अपने आपको इस धरती का भगवान समझने लगता है। जैसे कि इस वक्त एक इंसान इन सबसे बेखबर नदी मैं डुबकी लगा रहा है। उसका नाम है विद्यासागर जिसकी उम्र लगभग 16 साल की है...

विद्यासागर अपने आदत के अनुसार हर सुबह मणिकरणीका घाट पर गंगा स्नान करने आये थे। वो रोज की तरह गंगा मैं डुबकी लगाते और लोटे मैं गंगा जल लेके अपने घर चले जाते थे।

उनके पिता एक गरीब ब्राहमण थे जो गंगा के किनारे बसे सरकारी कॉलेज मैं पड़ाकर अपने परिवार का पेट भरते थे। उनके घर मैं उनकी पत्नी के इलावा 3 लड़की और 1 लड़का था --- जिसका नाम विद्यासागर है।

रोज की तरह विद्यासागर गंगा जल लेके घर पहुँच गया और सुबह की पूजा करने के लिऐ बैठ गया। कुछ देर बाद विद्या सागर को उनके पिताजी ने आवाज़ दी और कहा चलो हमे गुप्ता जी के घर जाना है।

गुप्ता जी उस जमाने के व्यपारी हुआ थे और हर साल श्राद्ध के समय विद्या और उनके पिता को खाना खिलाकर कुछ पैसो भी दे दिया करते थे

इस बार विद्या खीर पूरी खाते हुए अपने पिता से पूछते हैं…

पिताजी— “श्राद्ध बस अपने पूर्वजों को याद करने के लिए होता हैं ना?

“हाँ बेटा ब्राहमणों को भोजन कराके लोग अपने पूर्वजों की आत्माओ को भोजन कराते हैं…

“तो एक दिन आप भी मर जायेंगे?” विद्या ने उदासी से पूछा

यह सुन वो मुस्करा दिये और सोचने लगे देखो मेरा बेटा मुझे कितना प्यार करता हैं, वो मन ही मन —मुस्कराते हुए कहा…

“हाँ बेटा एक दिन हर किसी को मरना हैं। मुझे भी”

विद्या दुखी हो गया और उसकी आँखों से आँसू बहने लगे, यह देख विद्या के पिताजी का गला बैठ गया, उन्होंने उसके दुःख कम करने की कोशिस करते हुए पूछा। अच्छा विद्या तुम यह सब क्यों पूछ रहे होहो और इन सबके बारे में क्या जानना चाहते हो?

“में सोच रहा था अगर आप मर गए तो क्या में गुप्ता जी के घर दोबारा खीर खाने के लिए आ सकता हूँ?”

यह सुन उसके पिताजी चोंक गए और विद्या को घूरते रहे। उन्हे अंदेशा हो चुका था की यह आगे चलकर किसी का भी सगा नही होगा, इसे रिश्तो से प्यार नही है। यह अपने हिसाब से रिश्तों को उपयोग करेगा।

विद्या के पिता ने कहीं से पैसे इकट्टा करके उसको प्राइवेट कॉलेज में दाखिला करवा दिया। विद्या पड़ने में अच्छा था और उसका दिमाग बाकी लड़को से तेज था।

एक दिन टीचर ने सवाल किया

“बताओ अमेरिका का पहला राष्ट्रपति कौन था?” टीचर ने पूछा

“जॉर्ज वॉशिंगटन” विद्या ने जवाब दिया

टीचर: उन्होंने अपने जीवन की बहुत बड़ी शरारत की थी, वो क्या है?

“उन्होंने अपने पिताजी का चेरी का पेड़ काट दिया था” विद्या ने कहा

टीचर: तो इतिहास यह भी कहता हैं की उस शरारत के लिए उसके पिता ने क्यों नही मारा?

“वॉशिंगटन के हाथ में कुल्हाड़ी थी” विद्या ने कहा

टीचर—तो तुम्हे लगता है की वो अपने पिता के ऊपर वार करते?

विद्या—हाँ ज़रुर, नही तो वो देश के राष्ट्रपति कैसे होते।

टीचर—मतलब?

विद्या—अगर देश पे शासन करना हैं तो तुम्हे भय, निष्ट, काम(sex), दया, इन सबको त्याग करना ही पड़ेगा।

टीचर—तो तुम्हे लगता है तुम आगे चलकर इस देश पे शासन करोगे?

“नही कभी नही” विद्या ने कहा

फिर क्या करोगे विद्या? टीचर ने चिढ़ते हुए पूछा

“मैं बता नही सकता वरना नियति को पता चल जायगा। विद्या ने कहा

कौन नियति तुम किसकी बात कर रहे हो? टीचर ने ध्यान से पूछा

“वोही नियति जो मुझे मेरी आगे की मंजिल पर ले जायेगी” विद्या ने कहा

टीचर अपना माथा पकड़ते हुए बोले… तुम कभी कोई स्पष्ट बात क्यों नही कहते विद्या?

“मैं हमेशा स्पष्ट ही कहता हूँ, आगे वाला इंसान ही उसे समझ नही पाता” विद्या ने सटीक जवाब दिया

“दरअसल नियति उसी टीचर की बेटी थी जो गर्ल्स कॉलेज के हाइ कॉलेज मैं पढ़ती है "
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RE: कामुक हसीना - by Prasant_xlover - 01-02-2021, 12:43 AM



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