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गाँव की डॉक्टर साहिबा ( पुरी कहनी )
#98
काव्या ने चौंक कर पीछे मुड़ कर देखा तो पाया कि उसकी चूत में लण्ड घुसेड़ने वला और कोई नही बल्कि अफजल है। चलो आपको अफजल के बारे में थोड़ा सा बता देते हैं अफजल एक 46 साल का बेहद गंदा दिखने वाला आदमी है. अफजल का पैट आगे और काला मोटा आदमी है. अफजल की निगाह हमेशा बड़े घर की औरतों और बहुओं को चोदने में रहती. सुमन मिश्रा तो मानो अफजल का क्रश यानी सपनों की रानी थी. अफजल ने कई कोशिशे करी पर सुमन ने अफजल को भाव तो देना दूर की बात कभी देखा भी नहीं. अफजल एक कब्रिस्तान में कब्रों के लिये गढ़ा खोदने का काम करता था. आज अफजल के काव्या के रूम में होने का कारण अफजल के कब्रिस्तान में किसी का देहान्त नहीं हुआ था और इसलीये वो सीधा नजमा को चोदने के लिये आ गया. अफजल अब तक काव्या कि बदन से उसकी तौलिया हटा कर अपना तन्नाया हुअ लण्ड काव्या कि चूत में डाल चुका था और काव्या की कमर को पकड़ के काव्या की चूत में अपने लण्ड की ठोकर मारना शुरु हो गया था। अफजल जोर जोर से काव्या कि चूत अपने लण्ड से चोद रहा था और अपने हाथों से काव्या कि चूंची को मसल रहा था। रहीम इस समय नजमा को जोरदार धक्को के साथ चोद रहा था और उसने अपना सिर घुमा कर जब काव्या कि चुदाई अफजल के साथ होते देखा तो और ज्यादा गुस्से में आ गया और अफजल से बोला, “देख मादरचोद देख, तू मेरे ही घर में और मेरे ही समने मेरी काव्या को चोद रहा है। घर यहा काव्या का था पर रहीम की हिम्मत देखो वो खुले आम काव्या के सामने गुस्से में कुछ भी बोल रहा था तु यहां से निकल जा ” यह सुनकर अफजल बोला कि मादरचोद ये हवेली कब से तेरा घर हो गयी भिकारी और तेरा कब निकाह हुआ हमारी डॉक्टर मैडम के साथ, काव्या को तो यकीन ही नहीं हो रहा था यह सब उसके सामने हो रहा है फिर अफजल डरी और ख़यालों में खोई काव्या को चूमते और उसकि चूंची को मलते हुए रहीम से बोला, “अबे मादरचोद रहीम तू क्या नजमा को चोद रहा है। अरे मेरी नजमा तो पुरानी हो गई है उसकि चूत मैं पिछले कई सालों से चोद रहा हूं। नजमा कि चूत तो अब काफ़ी फैल चुकी है। अबे तू देख मैं तेरे सामने डॉक्टर काव्या इस घर की मालकिन और गांव के सेठ की बेटी काव्या रानी को कुतिया कि तरह झुका कर उसकी टाईट चूत में अपना लण्ड डाल कर चोद रहा हूं। अब बोल किसे ज्यादा मज़ा मिल रहा है। सही में यार रहीम, काव्या मैडम कि चूत बहुत ही टाईट है देख देख कैसे काव्या कि चूत ने मेरा लण्ड पकड़ रखा है।” फिर अफजल काव्या कि चूंची को मसालते हुए काव्या से बोला, “ओह! ओह! मुझे काव्या कि चूत चोदने में बहुत मज़ा मिल रहा है। अह! काव्या रानी और जोर से अपनी गाण्ड हिला कर मेरे लण्ड पर धक्का मार। मैं पीछे से तेरी चूत पर धक्का मार रहा हूं। काव्या रानी बोल, बोल कैसा लग रहा मेरे लण्ड से अपनी चूत चुदवना। बोल मज़ा मिल रहा कि नही?” तब काव्या अपनी गाण्ड को जोर जोर से हिला कर अफजल का लण्ड अपनी चूत को खिलाते हुए अफजल से बोली, “चोदो मेरे राजा और जोर से चोदो। मुझे तुम्हारी चुदाई से बहुत मज़ा मिल रहा है। तुम्हारा लण्ड मेरे चूत की आखरी छोर तक घुस रहा है। ऐसा लग रहा कि तुम्हारा लण्ड का धक्का मेरी चूत से होकर मेरी मुंह से निकल पड़ेगा। और जोर से चोदो, और नजमा और रहीम को दिखा दो कि चूत की चुदाई कैसे कि जाती है।” अब काव्या भी काफी मजे ले रही थी अफजल से ! इसके साथ ही काव्या को अफजल के लण्ड से काफी दर्द भी हो रहा था अफजल और काव्या कि चुदाई देखते हुए नजमा काव्या से बोली, “क्यों छिनाल काव्या, अफजल का लण्ड पसन्द आया कि नही? मैं ना बोल रही थी कि अफजल का लण्ड बहुत ही शानदार है और अफजल बहुत अच्छी तरह से चोदता है? अब जी भर मस्त चुदवा ले अपनी चूत अफजल के लण्ड से। मैं भी अपनी चूत रहीम से चुदवा रही हूं।” रहीम जोरदार धक्को के साथ नजमा को चोदते हुए बोला, “यार अफजल, यह दोनो औरत बड़ी चुदासी है, चल आज दिन भर इनकी चूत चोद चोद कर इनकी चूतों को भोसड़ा बना देते हैं। तभी इनकी चूतों कि खुजली मिटेगी।” इतना कह कर रहीम नजमा कि चूत पर पिल पड़ा और दना दन चोदने लगा। 

अफजल भी पीछे नही था, वो अपना हाथों से काव्या कि दोनो चूंची पकड़ कर अपनी कमर के झटकों से काव्या कि चूत चोदना चालू रखा। थोड़ी देर तक ऐसे ही चुदाई चलती रही और दोनो अपने अपने साथियों की जम कर चुदाई चालू रखी और थोड़ी देर के बाद दोनो लोडे साथ ही झड़ गये। जैसे ही रहीम चाचा और अफजल नजमा और काव्या कि चूत के अन्दर झड़ने के बाद अपना अपना लण्ड बाहर निकाला तो दोनो का लण्ड सफ़ेद सफ़ेद पानी से सना हुआ था और उधर नजमा और काव्या कि चूतों से भी सफ़ेद सफ़ेद गाढा पानी निकल रहा था।

झट से नजमा और काव्या उठ कर पहले तो रहीम के पास गयी और रहीम के लण्ड को दोनों ने अपने मुंह में भर कर चूस चूस कर साफ़ किया l यह देख अफजल रह नहीं पाया और वो काव्या और नजमा के बीच में चला गया जहाँ दोनों घुटनों के बल बैठी रहीम का काला लण्ड चाट रही थी फिर अफजल रहीम को हटा कर खुद का लण्ड दोनों के मुँह के होठों पर रख दिया. एक तरफ नजमा थी एक दम काली मोटी साधारण औरत और दूसरी और काव्या थी गोरी सुन्दर लाल होंठ के साथ. जैसे ही दोनों ने अफजल का लण्ड चाटना शुरू किया मानो दोनों में होड़ या प्रतिस्पर्धा सी लग गयी हो कोन पहले साफ़ करती है पर यह नज़ारा ही इतना कामुक था कि अफजल अब एक और बार जड गया. अब अफजल का सारा सफेद गाढ़ा माल काव्या के गोरे सफेद सेक्सी मुह पर गिर जाता है अब नजमा ज्यादा देर ना लगा कर सीधा काव्या का मुह, गाल और होठों को चाटने लगती है और सारा अफजल का सफेद गाढ़ा माल चाट चाट कर अपने मुह में भर लेती है फिर काव्या का मुह पकड़ कर काव्या के गुलाबी लाल होठों से अपने काले होठों को लगा देती हैं और किस करना शुरू कर देती. नजमा अपने मुह में भरा सारा अफजल का सफेद गाढ़ा माल काव्या के होठों से काव्या के मुह के अन्दर तक उतार देती हैं अब सारा अफजल का वीर्य या गाढ़ा माल काव्या के मुह के अन्दर भर गया था और काव्या को कोई शोक नहीं था अफजल का गंदा वीर्य अपने अन्दर गले से पेट में उतारने का. अब काव्या सीधा नजमा के दोनों हाथों को पकड़ती है और नजमा की गोदी में बैठ कर उसके मुह पर अपना मुह रख कर नजमा के काले होठों पर अपने लाल गुलाबी होठों को रखती है और फिर से किस करना शुरु कर देती हैं. अब काव्या और नजमा एक दूसरे को किस करते करते चाट रहे होते है फिर काव्या अपने मुह मै भरा सारा अफजल का वीर्य या सफेद गाढ़े माल को नजमा के मुह में थूक देती है. और अब नजमा भी सारा वीर्य अपने अन्दर यानी पेट में उतार देती हैं फिर काव्या लास्ट टाइम् नजमा को चूमती है और नजमा से अलग होती हैं. अब नजमा काव्या की चूत में मुंह लगा कर अफजल का वीर्य चाट चाट कर साफ़ किया। थोड़ी देर के बाद रहीम और अफजल का सांस नोरमल हुआ और उठ कर एक दूसरे से बोले। “यार ये काव्या को चोदने का मज़ा ही कुछ अलग है। अब जब तक हमलोग एक साथ ही काव्या को अदल बदल करके ही चोदेंगे।” थोड़ी देर के बाद नजमा और काव्या अपनी कुरसी से उठ कर खड़ी हो गई और तौलिया से अपनी चूत और जांघे पोंछ कर नंगी ही किचन कि तरफ़ चल पड़ी। उनको नंगी जाते देख कर रहीम और अफजल का लण्ड खड़े होना शुरु कर दिया। थोड़ी देर के बाद नजमा और काव्या नंगी ही किचन से चाय और नाश्ता ले कर कमरे में आई और कुर्सी पर बैठ गई। रहीम और अफजल भी नंगे ही कुरसी पर बैठ गये। थोड़ी देर के बाद नजमा झुक कर प्याली में चाय पलटने लगी। नजमा के झुकने से उसकि सावली चूंची दोनो हवा ने झूलने लगे। यह देख कर रहीम ने आगे बढ कर नजमा कि चूंचियों को पकड़ लिया और उन्हे दबाने लगा। यह देख कर अफजल ने काव्या को कुछ इशारा किया फिर काव्या अपनी कुरसी से उठ कर खड़ी हो गई और अफजल के नंगे गोद पर जा कर बैठ गई। जैसे ही काव्या गोद में बैठी अफजल ने अपने हाथों से काव्या को जकड़ लिया और उसकी चूंची को दबाने लगा। काव्या झुक कर अफजल के लण्ड को पकड़ कर सहलाने लगे और थोड़ी देर के अफजल के लण्ड को अपने मुंह में भर लिया। यह देख कर नजमा चाय बनना छोड़ कर रहीम के पैरो के पास बैठ गई उसने भी रहीम का लण्ड अपने मुंह में भर लिया। थोड़ी देर के बाद रहीम ने अपने हाथों से नजमा को खड़े किया और उसको टेबल के सहारे झुका कर नजमा कि चूत में पीछे से जाकर अपना लण्ड घुसेड़ दिया। नजमा एक हल्की से सिसकरी भर कर अपने चूतड़ हिला हिला अपनी चूत में रहीम का लण्ड पिलवती रही और वो खुद काव्या और अफजल को देखने लगी। रहीम और नजमा को फिर से चुदाई शुरु करते देख अफजल भी अपने आप को रोक नही पाया और उसने काव्या को अपनी गोद से उठा कर फिर से उसके दोनो पैर अपने दोनो तरफ़ करके बैठा लिया। इस तरीके से काव्या की चिकनी गुलाबी चूत ठीक अफजल के लण्ड के सामने थी। काव्या ने अपने हाथों से अफजल के लण्ड को पकड़ कर अपनी चूत से भिड़ा कर अफजल के गोद पर झटके के साथ बैठ गई और अफजल का लण्ड काव्या कि चूत के अन्दर चला गया। काव्या अब अफजल के गोद पर बैठ कर अपनी चूतड़ उठा उठा कर अफजल के लण्ड का धक्का अपनी चूत पर लेने लगी। कमरे सिर्फ़ फस्सह, फस्सह का आवाज गूंज रही थी और उसके साथ साथ नजमा और काव्या की सिसकियां। रहीम थोड़ी देर तक नजमा कि चूत पीछे से लण्ड डाल कर चोदता रहा। थोड़ी देर के बाद उसने अपनी एक अंगुली में थूक लग कर नजमा कि गाण्ड में अंगुली करने लगा। अपनी गाण्ड में रहीम कि अंगुली घुसते ही नजमा ओह! ओह! है! कर उठी। उसने रमेश से बोली, “क्या बात है, अब मेरी गाण्ड पर भी तुम्हारी नज़र पड़ गई है। अरे पहले मेरी चूत कि आग को शान्त करो फिर मेरी गाण्ड कि तरफ़ देखना।” लेकिन रहीम चाचा अपनी अंगुली नगमा की गाण्ड के छेद पर रख कर धीरे धीरे घुमाने लगा। थोड़ी देर के बाद रहीम ने अपनी अंगुली नजमा कि गाण्ड में घुसेड़ दिया और धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा। अन्दर बाहर करते करते अब रहीम ने अपना लण्ड नजमा की गाण्ड के छेद पर रखा और सीधा घुसा दिया. यह सब देखते हुए अफजल के दिमाग में शैतानी खयाल आने शुरू हो गये काव्या के लिये और ज्यादा देर ना करते हुए काव्या को अपनी गोदी से उठाया और घोड़ी बनने को बोला अब काव्या भी अफजल की बात मानते हुए डॉगी स्टाईल में खड़े होकर काव्या भी अपना हाथ नीचे ले जाकर अपनी चूत कि घुण्डी को सहलाने लगी। जब अपनी थूक और अंगुली से अफजल ने काव्या कि गाण्ड कि छेद काफ़ी गीली कर ली तब अफजल ने अपने लण्ड पर थूक लगाकर काव्या कि गाण्ड की छेद पर रखा। अपनी गाण्ड में अफजल का लण्ड छूते ही काव्या बोल पड़ी, “अरे अरे क्या कर रहे हो। मुझे अपनी ऐस या गाण्ड नही चुदवाना है। मुझे मालूम है कि गाण्ड मरवाने से बहुत तकलीफ़ होती है। हटो, अफजल हटो अपना लण्ड मेरी गाण्ड से हटा लो।” लेकिन तब तक अफजल ने अपना खड़े हुअ लण्ड काव्या कि गाण्ड के छेद पर रख कर दबाने लगा था और थोड़ी से देर के बाद अफजल का लण्ड का सुपारा काव्या कि गाण्ड कि छेद में घुस गया। काव्या चिल्ला पड़ी, “अर्रर्रीईए माआर्रर्र डालाआआ, ओह! ओह! अफजस्सास्सह्हह निकल्लल्लल्ल लूऊ अपनाआ म्मूस्सास्साअर्रर ज्जजाआईस्सास्साअ लण्ड्दद्दद म्ममीर्ररीई गाआनद्दद सीई। मैईई मार्रर्र जौनगीईए।” लेकिन अफजल कहना सुनने वाला था। वो अपना कमर घुमा कर के और अपना लण्ड को हाथ से पकड़ के एक धक्का मारा तो उसका आधा लण्ड काव्या कि गाण्ड में घुस गया। काव्या छटपटाने लगी। थोड़ी देर के बाद अफजल थोड़ा रुक कर एक धक्का और मारा तो उसका पूरा का पूरा लण्ड काव्या कि गाण्ड में घुस गया और वो झुक कर एक हाथ से काव्या की चूंची सहलने लगा और दूसरे हाथ से काव्या की चूत में अंगुली करने लगा। लेकिन काव्या मारे दर्द के छटपटा रही थी. यही देख नजमा बोल रही थी, “अबे साले भड़ुवे रहीम बूढे , देखो तुम्हारे सामने तुम्हारि काव्या कि गाण्ड कैसे तुम्हारा दोस्त जबरदस्ती से मार रहा है। तुम कुछ करते क्यों नही। आज तो लगता है काव्या की गाण्ड आज फट जायेगी। लग रहा है आज इस चोदु काव्या की गाण्ड मार मार कर गाण्ड और बुर एक कर देगा। तुम अफजल दरिन्दे से इसको बचाओ।” तब अफजल अपने अंगुलियों से काव्या की चूत में अंगुली करते हुए काव्या से बोला, “अरे काव्या रानी, बस थोड़ी देर तक सबर करो, फिर देखना आज गाण्ड मरवाने ने तुम्हे कितना मज़ा मिलता है। आज मैं तुम्हारी गाण्ड मार कर तुम्हारी चूत का पानी निकालूगा। बस तुम ऐसे ही झुक कर खड़ी रहो।” अफजल मिया की बात सुन कर रहीम अपना लण्ड से नजमा कि चूत चोदता हुआ काव्या से बोला, “रानी, आज मुझको इस अफजल का मोटा लण्ड तुम्हारी गाण्ड में डला हुआ बिलकुल भी अच्छा नहीं लग रहा. तुम्हारी यह कोमल दूध जैसी गोरी गुलाबी गाण्ड मुझको चोदनी थी मुझको इसका उद्घाटन करना था पर ये बीच में आ गया. मैं भी अभी अपना लण्ड नजमा कि गाण्ड में घुसेड़ता हूं और फिर तुम्हारी गाण्ड मारता हूं। मैं तुम्हारी गाण्ड मार कर रणधीर मादरचोद ने जो मेरी बेज्जती करी थी उसका बदला निकलता हूं।” नजमा जैसे ही रहीम की बात सुनी तो बोल पड़ी, “अरे वाह क्या हिसाब है, अफजल आज मौका पा कर काव्या कि गाण्ड मार रहा है और उसकी कीमत मुझे अपनी गाण्ड मारवा कर चुकनी पड़ेगी। नही मैं तो अपनी गाण्ड में लण्ड नही पिलवती। रहीम तुम मेरी गाण्ड के बजाय काव्या कि गाण्ड मार कर अपना बदला निकालो।” रहीम तब नजमा से बोला, “नहीं मेरी चुद्दकड़ रानी, जिस तरह से अफजल ने मेरी काव्या कि गाण्ड में अपना लण्ड घुसेड़ कर मेरी काव्या की गाण्ड मार रहा है, मैं भी उसी तरह से रमेश काव्या की गाण्ड में अपना लण्ड घुसेड़ कर काव्या मेरी जान कि गाण्ड मारुंगा और तभी मेरा बदला पूरा होगा।” इतना कह कर रहीम ने अपना लण्ड नजमा कि चूत से निकाल लिया. अब रहीम ने गुस्से में आकर अफजल को धक्का मार कर काव्या को अफजल से अलग करके. रहीम बोलता है हट मादरचोद अफजल कबसे तू ही मेरी काव्या रानी की गाँड मार रहा है और मैं इस काली बुढ़िया नजमा की मार रहा हू अब मैं काव्या की गाँड मरूंगा. फिर अब रहीम अपने लंड पर थोड़ा थूक लगा कर काव्या कि गाण्ड से भिड़ा दिया। काव्या दर्द से अपनी कमर इधर उधर घुमाने लगी लेकिन रहीम चाचा ने अपने हाथों से काव्या की गोरी कमर पकड़ कर अपना काला लण्ड का आधा सुपारा काव्या कि गाण्ड कि छेद में डाल दिया। काव्या दर्द के मारे छटपटाने लगी। काव्या अपनी गाण्ड से रहीम का लण्ड को निकालने कि कोशिश कर रही थी और रहीम अपने लण्ड को काव्या कि गाण्ड में घुसेड़ने कि कोशिश कर रहा था.

इसी दौरान अफजल ने एक बार काव्या कि कमर को कस कर पकड़ लिया और अपनी कमर हिला करके एक धक्का मारा तो उसके लौड़े का सुपारा काव्या कि गाण्ड कि छेद में घुस गया। फिर रहीम ने जलदी से एक और जोरदार धक्का मारा तो उसका पूरा का पूरा लण्ड काव्या की गाण्ड में घुस गया और रहीम की झांटे काव्या कि चूतड़ को छूने लगी। अपनी गाण्ड में रहीम का लण्ड के घुसते ही काव्या जोर से चीखी और चिल्ला कर बोली, “साले रहीम चाचा, दूसरे कि बीवी कि गाण्ड मुफ़्त में मिल गया तो क्या उसको चोदना जरूरी है? रहीम चाचा आह आह आह निकाल अपना मूसल जैसा लण्ड मेरी गाण्ड से और जा अपना लण्ड अपनी नजमा कि गाण्ड में या उसकी बुर में घुसा दे। अरे अफजल तुमहे दिख नही रहा है, तुम्हारा दोस्त मेरी गाण्ड फाड़ रहा है? अरे कुछ करो भी, रोको रहीम को, नही तो रहीम मेरी गाण्ड मार मार कर मुझे रंडी बना देगा फिर तुम भी मेरी चूत छोड़ कर के मेरी गाण्ड ही मारना।” अब अफजल अपना लण्ड नजमा की गाण्ड के अन्दर बाहर करते काव्या से बोला, “अरे रानी, क्यों चिल्ला रही हो। रहीम तुम्हे अभी छोड़ देगा और एक-दो गाण्ड मारवने से कोइ रंडी नही बन जाता है। देखो ना मैं भी कैसे नजमा कि गाण्ड में अपना लण्ड अन्दर बहर कर रहा हूं। तुमको अभी थोड़ी देर के बाद गाण्ड मारवने में भी बहुत मज़ा मिलेगा। बस चुपचाप अपनी गाण्ड में रहीम का लण्ड पिलवाती जाओ और मज़ा लूटो। इतना सुनते ही रहीम ने अपना हाथ आगे बढा कर काव्या कि एक चूंची पकड़ कर मसलने लगा और अपना कमर हिला हिला कर अपना लण्ड काव्या कि गाण्ड के अन्दर बाहर करने लगा। थोड़ी देर के काव्या को भी मज़ा आने लगा और वो अपनी कमर चला चला कर रहीम का लण्ड अपनी गाण्ड से खाने लगी। थोड़ी देर के बाद अफजल और रहीम दोनो ही नजमा और काव्या कि गाण्ड में अपना लण्ड के पिचकारी से भर दिया और सुस्त हो कर सोफ़ा में लेट गये।
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RE: गाँव की डॉक्टर साहिबा ( पुरी कहनी ) - by THANOS RAJA - 31-01-2021, 11:33 PM



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