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गाँव की डॉक्टर साहिबा ( पुरी कहनी )
#95
कुछ समय ऐसे ही सोचने के बाद काव्या ने सोचा की बाहर जा के सुलेमान को उठा दे की वो घर के अन्दर आ जाए | काव्या बाहर निकल कर सुलेमान की खाट के पास पहुची तो सुलेमान को देखते ही उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी | सुलेमान की धोती निकली हुयी थी और उसकी लंगोट भी खुल चुकी थी और उसका लंड एकदम कड़क हो सलामी दे रहा था | काव्या कुछ देर वही खड़ी सुलेमान के लंड को निहारती रही | न जाने कितने दिनों के बाद उसने लंड देखा था सुलेमान का लंड उसके पति से काफी मोटा और लम्बा था और किसी काले भुजंग जैसा दिखता था. काव्या कुछ देर बाद सुलेमान को बिना जगाये वापस घर में आ गयी पर अब उसने दृढ निश्चय किया था की वो सुलेमान का लंड अपनी चूत में लेके रहेगी | सुलेमान की नींद खुलती है तो आधी रात हो चुकी है । सुलेमान बिस्तर से उठता है तो उसे आभास होता है की उसकी लंगोट खुली हुई है और उसका लंड विकराल रूप लिए खड़ा है। सुलेमान जल्दी से इधर उधर देखते हुए अपनी लंगोट बंधता है और लुंगी लपेट के घर की तरफ बढ़ता है । घर के दरवाजे पे पहुँच के उसके पाँव ठिठक जाते हैं उसे घर के अंदर से पानी गिरने की आवाज आती है। सुलेमान हल्का सा दरवाजे को धकेलता है तो दरवाजा थोडा सा खुल जाता है । सुलेमान अंदर झाँक के देखता है तो अंदर का नाज़ारा देख के उसका लंड फट पड़ने को होने लगता है। अंदर काव्या कोने में एकदम नग्न अवस्था में नहा रही होती है खुद की आग को शान्त करने के लिये और गर्मी से बचने के लिये. काव्या को इतनी गर्मी सहन करने की आदत नहीं थी इसलिये वह आधी रात को ही नहा रही थी.


अब काव्या का शरीर सुलेमान के नजरो के सामने था और वो बस उसे देखे ही जा रहा था। उसका गौरा रंग , उसकी उभरी हुई चूचियां , उसके चूत का क्लीन शेव सब सुलेमान को पागल बना रहे थे । तभी उसने सामने पड़ी बाल्टी से एक लोटा पानी लिया और अपने सर के ऊपर से डाल लिया। सुलेमान की नजरें अब काव्या के शरीर के ऊपर से गुजरती हुई पानी की धार का पीछा करने लगी। वो धार पहले उसके चेहरे से होते हुए उसके सुर्ख लबों को चूमते हुए उसके सीने पे पड़ती है जहाँ पे वो दो शाखाओं में बंट जाती है और काव्या के वक्षो के उभारों पे चढ़ती हुई उसके तने हुई चूचियों के निपल से उसके पेट पे गिरती है जहाँ पे वे दोनों वापस मिलकर काव्या की चूत में गुम हो जाती है ।

सुलेमान ये सब देख के अत्यंत ही उत्तेजित हो जाता है और वो अपना लंड धोती के ऊपर से ही मसलने लगता है। अंदर काव्या ने अपने शरीर पर साबुन मलना शुरू कर दिया होता है फिर काव्या बॉडी क्रीम को लेकर अपने दो बड़े वक्षो पे जोर जोर से घिसती है जिससे वो लाल हो जाते हैं फिर वो अपने पेट पे साबुन लगाती हुई अपनी टांगो को फैलाते हुए अपनी चूत पे घिसने लगती है। सुलेमान से रहा नहीं जाता है वो अपने लंड को धोती से बाहर निकाल के हिलाने लगता है । अंदर काव्या के हाथ से साबुन फिसलके नीचे गिर जाता है और वो झुक के साबुन उठाने लगती है जिससे उसकी गांड एकदम से सुलेमान के सामने आ जाती है जिसके बीच से काव्या की चूत झांकते हुये उसे निमंत्रण दे रही होती है। सुलेमान के मष्तिष्क पे हवस सवार हो जाती है और वो काव्या के जात, धर्म और इज्जत की परवाह किये बगैर घर के अंदर घुस जाता है और काव्या को जाके पीछे से पकड़ लेता है। काव्या एकबार के लिए चौंक जाती है और ऊपर उठने की कोशिश करती है पर सुलेमान एक हाथ से उसकी पीठ पे दबाव डालके उसे और झुका देता है। काव्या फिर उसकी पकड़ से छुटने की कोशिश करती है पर सुलेमान उसे वैसे ही दबाये रखता है और अपना लंड उसकी चूत पे सेट करके एक धक्का देता है । काव्या की चूत पे लगे साबुन के कारण सुलेमान का लंड फिसलता हुआ आधा उसकी चूत में घुस जाता है। काव्या की चूत ने बहुत दिन बाद लंड का स्वाद चखा था और उसकी भूख भी बढ़ने लगती है। काव्या हलके हलके अपना लंड रुकसाना की चूत में अंदर बाहर करने लगता है। काव्या की चूत भी धीरे धीरे पनियाने लगती है सुलेमान मौका देख के एक और धक्का मारता है जिससे उसका पूरा लंड काव्या की चूत में समां जाता है । काव्या के मुँह से हलकी सी चीख निकल जाती है। सुलेमान धीरे धीरे काव्या की चूत में अपना लंड अंदर बाहर करने लगता है। काव्या को भी अब मजा आने लगता है उसकी चूत अब और जोर से पानी छोड़ने लगती है। सुलेमान अब अपने दोनों हाथों से काव्या की गांड को पकड़के अपना लंड काव्या की चूत में पेलने लगता है। काव्या असीम आनंद के सागर में गोते लगाने लगती है । सुलेमान को भी अब बहुत मजा आने लगता है और धीरे धीरे वो अपने चरम पे पहुचने लगता है। उधर काव्या को भी लगता है की उसका पानी निकलने वाला है तो वो भी जोर जोर से अपनी कमर आगे पीछे करने लगती है। दोनों के धक्कों की थाप से पूरा घर गूंजने लगता है। सुलेमान को लगता है जैसे किसी ने उसके अंडकोषों में आग लगा दी हो और उसके वीर्य का उबाल उसके लंड से निकालता हुआ काव्या की चूत को भरने लगता है। काव्या को महसूस होता है की खौलता हुआ वीर्य उसकी चूत में भर रहा है तो वो और उत्तेजित हो के झड़ जाती है उसके पैर जवाब दे देते है और वो जमीन पे ही पसर जाती है। सुलेमान को अब होश में आ चुका होता वो भी वहीं बैठ जाता है I


काव्या वापस खुद को सम्भाल कर सुलेमान की जांघो को दबाने लगती है तो सुलेमान के अंदर की इक्षायें फिर जागने लगती है और उसका लंड खड़ा होने लगता है। काव्या सुलेमान के खड़े लंड को देखती है तो उसके मन भी कुछ कुछ होने लगता है। धीरे धीरे सुलेमान का लंड विकराल रूप धर लेता है और उसकी धोती में तम्बू बना देता है। काव्या से रहा नहीं जाता वो ऊपर से ही सुलेमान के लंड को दबा देती है। रामलाल की अब सिसकी निकल जाती है और वो आंखे खोल सुलेमान की तरफ देखता है वो नशीली आँखों से उसकी तरफ देखती है जैसे आगे बढ़ने की इजाजत मांग रही हो सुलेमान भी अब उसको मौन सहमति दे देता है।सुलेमान तो खुद कई बार काव्या कि नाम की मूठ मार चुका था पर उसको यकीन नहीं हो रहा था कि शहर की पढ़ी लिखी समझदार डॉक्टर औरत में भी इतनी ताकत है कि मेरा मूसल लंड पकड़ रही है काव्या झट से सुलेमान की धोती और लंगोट में से उसके लंड को आजाद कर देती है । सुलेमान का कटा काला भुजंग फड़फड़ा के काव्या के सामने आ जाता है काव्या उसे हाथ में लेके सहलाने लगती है सुलेमान की आँखे आनन्द से बंद हो जाती हैं । सुलेमान सौच रहा था कि उसकी मेहनत आज रंग लायी. काव्या जैसी सेक्सी औरत को अपने नीचे ले आया .काव्या सुलेमान के लंड को देख के सम्मोहित सी हो जाती है वो सुलेमान के लंड को अपने मुँह में लेके चूसने लगी सुलेमान को झटका लगता है वो आँखे खोल के देखता है तो काव्या इसका लंड अपने होठों में लेके चूस रही होती है। सुलेमान के साथ ऐसा पहले किसी ने नहीं किया था वी असीम आनंद के सागर में डूबने लगता है। इधर काव्या अपनी चुसाई की रफ़्तार बढ़ा देती है और सुलेमान के अंडकोषों को हाथ में लेके कुरेदने लगती है। सुलेमान को और मजा आने लगता है और वो अपनी कमर उठा के अपना पूरा का पूरा लंड काव्या के मुँह में घुसा देता है । काव्या की साँस ही अटक जाती है और वो सुलेमान का लंड मुँह से निकाल जोर जोर से खांसने लगती है। सुलेमान हक्का बक्का होके उसे देखने लगता है वो कहता है " बहुत ठरक चढ़ गयी है मेरी बेगम को अभी इसे उतारने का इंतेजाम करता हूँ।" सुलेमान की बात सुन कर काव्या फिर अपने सारे कपडे उतार नंगी हो जाती है। सुलेमान उसके शारीर को देखता है जैसा उसने कल्पना भी नहीं कर पाया था उससे कहीं अधिक खूबसूरत थी काव्या । वो पहले ऑटो मैं इतना सही से वो काव्या को देख नहीं पाया था। सुलेमान काव्या के रूप और सौंदर्य में ही खोया हुआ था की काव्या उसके ऊपर आ जाती है और अपनी चूत को सुलेमान के काले मोटे और कटे लंड के मुँह पे रख देती है । काव्या धीरे धीरे अपना भार डालती है तो उसकी थूक से सना सुलेमान का लंड फिसलके उसकी चूत में घुस जाता है। अब काव्या अपनी कमर उठा उठा के सुलेमान के लंड की सवारी करने लगती है। सुलेमान को पहली बार अपने जीवन में बिना कुछ किये चुदाई का ऐसा सुख प्राप्त हो रहा था वो अपने दोनों हाथ काव्या की गांड पे रखके धीरे धीरे उन्हें मसलने लगता है। सुलेमान ने कभी किसी डॉक्टर मैडम या पढ़ी लिखी सेक्स की जानकर लड़की के साथ सेक्स नहीं किया था. उसके लिए ये सब कुछ अलग सा था वर्ना सुलेमान खुद ही औरत की कस के और दबा के चुड़ाई करत था काव्या की चूत सुलेमान के मूसल लंड को अपने में लेके खूब रस छोड़ने लगती है और काव्या भी आनंदविभोर होके सिस्कारिया लेने लगती है। सुलेमान अब अपने ऊपर चढ़ी काव्या के बदन को देखता है और उसकी तनी हुयी चूचियों को हाथ में पकड़कर मसलने लगता है। ऐसा करने से शायद काव्या के जैसे सब्र का बाँध का बाँध टूट जाता है और वो चीखते हुए झड़ जाती है। काव्या का निढाल शरीर सुलेमान के ऊपर पसर जाता है और उसकी तनी हुयी चुचिया उसके सीने में धंस जाती है। काव्या धीरे धीरे अपनी साँसों को संयमित करने लगती हैं इधर सुलेमान मिया का लंड अभी भी खड़ा रहता है। सुलेमान काव्या के चेहरे को अपने चेहरे के सामने लाता है और उसके होठो को चूसने लगता है। फिर सुलेमान काव्या को पलट के नीचे कर देता है और खुद उसके ऊपर आ जाता है। वो पागलो की तरह काव्या को चूमने लगता है धीरे धीरे काव्या भी उसका साथ देने लगती है । सुलेमान अपना लंड काव्या की चूत के मुँह पे लगाता है और धक्का देता है । काव्या की चूत पहले से ही झड़ने के कारण गीली हो चुकी थी सुलेमान का लंड फिसलते हुए उसकी चूत की गहराइयों में उतर जाता है । सुलेमान अब काव्या की चूत में धक्के पे धक्के पेलने लगता है। धीरे धीरे काव्या को फिर मजा आने लगता है वो अपने दोनों पाँव उठा के सुलेमान की कमर पे रख लेती है जिससे सुलेमान का लंड उसकी चूत में और अंदर तक चोट करने लगता है। सुलेमान को आभास होता है की जल्दी ही वो झड़ने वाला है तो वो अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा देता है। काव्या भी नीचे अपनी कमर हिला के उसका साथ देने लगती है । धीरे धीरे दोनों एकसाथ अपने चरम पे पहुँच कर झड़ जाते हैं। सुलेमान काव्या के ऊपर से उतरके उसके बगल में लेट जाता है। जब उसकी साँसे संयमित होती है तो वो काव्या पे नजर डालता है उसकी चूचियां अभी भी ऊपर नीचे हो रही होती हैं । सुलेमान उन्हें हाथ में पकड़के फिर भींच देता है। काव्या चौकते हुये कहती है " क्या हुआ सुलेमान मिया अभी मन नहीं भरा क्या ?" सुलेमान उसे खींच कर सीने से लगा लेता है और कहता है " अभी नहीं।" काव्या बोलती है अब नहीं मैं जा रही हूँ मुझको थोड़ा अजीब लग रहा है शायद सत्तू बाहर आ गया है रिक्शा की आवाज जो आ रही थी. काव्या खुद को ठीक करती है और अपनी साड़ी पहन कर ऊपर काला जैकेट पहन कर झोपड़ी से बाहर निकल जाती हैं. और रिक्शा में बैठ कर हवेली चली जाती हैं.

इधर सुलेमान गुस्से मे बोलता है मादरचोद ये सत्तू हमेशा गलत समय पर ही आता है.
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RE: गाँव की डॉक्टर साहिबा ( पुरी कहनी ) - by THANOS RAJA - 31-01-2021, 04:44 PM



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