31-01-2021, 03:58 PM
अब इधर सुलेमान काव्या की कोई बात नही सुन रहा था उसने ठान लिया था आज तो वो काव्या की चुदाई करके ही रहेगा. पर यहा समस्या यह थी कि वो काव्या को चोदने के साथ साथ काव्या से निकाह भी करना चाहता था. उसका मकसद तो काव्या को अपनी बेगम बना कर रोज चोदना था और एक तरफ रणधीर का खौफ भी था इसलिये वो जबरदस्ती ज्यादा नहीं कर सकता था. पर काव्या को यहा से जाने भी नहीं देना चाहता था.
सुलेमान - ठीक है काव्या जी मैं सत्तू को फोन लगाता हु और अभी बोलता हु की जल्दी से जल्दी आ जा.
काव्या - बिलकुल सही आप कॉल करिये सत्तू जी को.
यह सुनते ही सुलेमान अपने पैर को जोर जोर से कूट कर फोन पर हैलो बोल कर झोपड़ी से बाहर चला जाता है और फिर कुछ 5 मिनट बाद अन्दर आता है.
सुलेमान - काव्या जी बहुत बड़ी गडबड हो गयी है.
काव्या - क्या गडबड हुई है बोलो सुलेमान जी.......?
सुलेमान - अरे वो सत्तू चुतिये का बेकार रिक्शा खराब हो गया है और अभी इस समय तो कोई कारीगर भी नहीं मिलेगा. इसलिये वो नहीं आ पायेगा.
काव्या - क्या बोल रहे है सुलेमान जी आप..... ऐसा नहीं हो सकता मुझको अभी ने अभी हवेली जाना है. आप कुछ भी कीजिये.
सुलेमान - मैं कुछ नहीं कर सकता काव्या जी आपकी हवेली यहां से काफी दूर है और रास्ते में ज्यादा रोशनी भी नहीं है. एक दम अंधेरा होगा और हो भी सकता है जंगली जानवर भी मिल जाये.
काव्या - मुझको यह सब नहीं पता आप चलो मेरे साथ अभी मुझको घर छोड़ने.
अब सुलेमान थोड़ा गुस्से में आकर बोलता है काव्या यह कोई तेरा शहर नहीं है यह गाँव है गाँव. यहा कोई रिक्शा नहीं मिलने वाला और ना ही पैदल जा सकते हैं.
इधर तो जैसे काव्या को यह सब सुन कर एक बड़ा झटका सा लग गया हो. एक तो यह कि वो यहा से निकलेगी कैसे....? और दूसरा की अब सुलेमान के हाव भाव बदल रहे थे अब सुलेमान सीधे नाम से बुला रहा था. और काफी गुस्सा भी दिखा रहा था.
सुलेमान - देखो काव्या जी आप मेरी बात मानो तो आज की रात यही निकाल दो. सुबह होते ही सत्तू आ जायेगा और आपको हवेली छोड़ देगा. यह आपके लिये बहुत अच्छा होगा.
अब काव्या को काफी गुस्सा भी आता है यह सुन कर की उसको क्या अब रात यहा झोपड़ी मे गुजारनी पड़ेगी वो भी इस सुलेमान के साथ......?
काव्या मन में .... मैं कहा फस गयी. यहां से कैसे निकला जाये. और यहा गर्मी कितनी है यहां कोई कैसे रह सकता है.
अब काव्या थोड़ी देर ऐसे ही पास वाले खटिया पर बैठ कर सोचती है. सुलेमान काव्या को गुरे जा रहा था. अब काव्या भी गर्मी से काफी परेशान हो कर अपना काले कलर का जैकेट निकालती है और जैकेट को एक कोने में रख देती है. और खड़ी हो कर सुलेमान से बोलती है
काव्या - सुलेमान जी अगर मुझको यहा रुकना पड़ा तो आप कहा जायेंगे.
सुलेमान तो मैं तो जैसे कोई जानवर ही जाग गया हो वो काव्या को ऐसे देख रहा था कि अभी उसको खा जाये. सुलेमान का लंड तो उसकी फटी लुंगी में ही तेजी से खड़ा हो रहा था काव्या को देखते हुये. काव्या क्या कमाल लग रही थी जैकेट निकालने के बाद. काव्या के बिना आस्तीन का ब्लाउज में उसका पूरा गौरा बदन चमक रहा था.
अब सुलेमान काव्या के पास जाता है और काव्या के पीछे जाकर काव्या के ब्लाउज पर अपने दोनों काले हाथ रखता है और अपने हाथो को घुमाता है और बोलता है
सुलेमान - बस इतनी सी समस्या है तेरे को काव्या कोई नहीं तु ऊपर खटिया पर सो जाना में नीचे सो जाऊँगा.
सुलेमान की इन हरकतों से जैसे काव्या के शरीर के सभी रोंगटे खडे हो जाते हैं उसको भरी गर्मी की रात में अपने शरीर एक ठंड सी महसूस होती है पर इसके साथ काव्या को अपनी चुत में गर्मी और हल्का सा पानी आता मेहसूस होता है. अब काव्या को थोड़ा थोड़ा मजा भी आ रहा था सुलेमान की इन हरकतों से. पर वो एक शादी शुदा औरत है इसका भी ध्यान था.
अब काव्या सुलेमान को खुद से अलग करती है और पलट कर बोलती है
काव्या - सुलेमान जी आप यह क्या कर रहे.....? मुझको यह सब पसन्द नहीं. और मुझको यहां चार दीवार में आपके साथ कोई रात नहीं गुजारनी है कोई देख लेगा तो गलत समझेगा. वेसे भी मैं शादी शुदा हू आप प्लीज कोई और तरीका निकालिये.
सुलेमान - ( हस्ते हुए ) बस इतनी सी बात काव्या. कोई नहीं तुझको कोई मुसीबत है तो मैं बाहर जा कर अपनी रात गर्मी में काट लेता हूं. मुझको लगा तू रि बड़ी शहर की है तुझको इन सब से कोई फर्क़ नहीं पढ़ता होगा. चलो कोई नहीं मै बाहर चला जाता हूँ.
अब सुलेमान यह बोल कर बाहर वाली खटिया पर चाला जाता है सोने. पर साथ ही खुद की किस्मत को कोसता है और सोचता है कोई नहीं अब मैं मेरा खेल आधी रात को शुरू करूँगा. देखता हूं कैसे बचती है मेरी काव्या रानी. मैं भी सुलेमान हू तेरी चीख तो निकाल के रहूँगा.
पर इस कलूटै को क्या पता कि वो असली गेम तो अभी काव्या के साथ खेल कर जा रहा है.......!
सुलेमान - ठीक है काव्या जी मैं सत्तू को फोन लगाता हु और अभी बोलता हु की जल्दी से जल्दी आ जा.
काव्या - बिलकुल सही आप कॉल करिये सत्तू जी को.
यह सुनते ही सुलेमान अपने पैर को जोर जोर से कूट कर फोन पर हैलो बोल कर झोपड़ी से बाहर चला जाता है और फिर कुछ 5 मिनट बाद अन्दर आता है.
सुलेमान - काव्या जी बहुत बड़ी गडबड हो गयी है.
काव्या - क्या गडबड हुई है बोलो सुलेमान जी.......?
सुलेमान - अरे वो सत्तू चुतिये का बेकार रिक्शा खराब हो गया है और अभी इस समय तो कोई कारीगर भी नहीं मिलेगा. इसलिये वो नहीं आ पायेगा.
काव्या - क्या बोल रहे है सुलेमान जी आप..... ऐसा नहीं हो सकता मुझको अभी ने अभी हवेली जाना है. आप कुछ भी कीजिये.
सुलेमान - मैं कुछ नहीं कर सकता काव्या जी आपकी हवेली यहां से काफी दूर है और रास्ते में ज्यादा रोशनी भी नहीं है. एक दम अंधेरा होगा और हो भी सकता है जंगली जानवर भी मिल जाये.
काव्या - मुझको यह सब नहीं पता आप चलो मेरे साथ अभी मुझको घर छोड़ने.
अब सुलेमान थोड़ा गुस्से में आकर बोलता है काव्या यह कोई तेरा शहर नहीं है यह गाँव है गाँव. यहा कोई रिक्शा नहीं मिलने वाला और ना ही पैदल जा सकते हैं.
इधर तो जैसे काव्या को यह सब सुन कर एक बड़ा झटका सा लग गया हो. एक तो यह कि वो यहा से निकलेगी कैसे....? और दूसरा की अब सुलेमान के हाव भाव बदल रहे थे अब सुलेमान सीधे नाम से बुला रहा था. और काफी गुस्सा भी दिखा रहा था.
सुलेमान - देखो काव्या जी आप मेरी बात मानो तो आज की रात यही निकाल दो. सुबह होते ही सत्तू आ जायेगा और आपको हवेली छोड़ देगा. यह आपके लिये बहुत अच्छा होगा.
अब काव्या को काफी गुस्सा भी आता है यह सुन कर की उसको क्या अब रात यहा झोपड़ी मे गुजारनी पड़ेगी वो भी इस सुलेमान के साथ......?
काव्या मन में .... मैं कहा फस गयी. यहां से कैसे निकला जाये. और यहा गर्मी कितनी है यहां कोई कैसे रह सकता है.
अब काव्या थोड़ी देर ऐसे ही पास वाले खटिया पर बैठ कर सोचती है. सुलेमान काव्या को गुरे जा रहा था. अब काव्या भी गर्मी से काफी परेशान हो कर अपना काले कलर का जैकेट निकालती है और जैकेट को एक कोने में रख देती है. और खड़ी हो कर सुलेमान से बोलती है
काव्या - सुलेमान जी अगर मुझको यहा रुकना पड़ा तो आप कहा जायेंगे.
सुलेमान तो मैं तो जैसे कोई जानवर ही जाग गया हो वो काव्या को ऐसे देख रहा था कि अभी उसको खा जाये. सुलेमान का लंड तो उसकी फटी लुंगी में ही तेजी से खड़ा हो रहा था काव्या को देखते हुये. काव्या क्या कमाल लग रही थी जैकेट निकालने के बाद. काव्या के बिना आस्तीन का ब्लाउज में उसका पूरा गौरा बदन चमक रहा था.
अब सुलेमान काव्या के पास जाता है और काव्या के पीछे जाकर काव्या के ब्लाउज पर अपने दोनों काले हाथ रखता है और अपने हाथो को घुमाता है और बोलता है
सुलेमान - बस इतनी सी समस्या है तेरे को काव्या कोई नहीं तु ऊपर खटिया पर सो जाना में नीचे सो जाऊँगा.
सुलेमान की इन हरकतों से जैसे काव्या के शरीर के सभी रोंगटे खडे हो जाते हैं उसको भरी गर्मी की रात में अपने शरीर एक ठंड सी महसूस होती है पर इसके साथ काव्या को अपनी चुत में गर्मी और हल्का सा पानी आता मेहसूस होता है. अब काव्या को थोड़ा थोड़ा मजा भी आ रहा था सुलेमान की इन हरकतों से. पर वो एक शादी शुदा औरत है इसका भी ध्यान था.
अब काव्या सुलेमान को खुद से अलग करती है और पलट कर बोलती है
काव्या - सुलेमान जी आप यह क्या कर रहे.....? मुझको यह सब पसन्द नहीं. और मुझको यहां चार दीवार में आपके साथ कोई रात नहीं गुजारनी है कोई देख लेगा तो गलत समझेगा. वेसे भी मैं शादी शुदा हू आप प्लीज कोई और तरीका निकालिये.
सुलेमान - ( हस्ते हुए ) बस इतनी सी बात काव्या. कोई नहीं तुझको कोई मुसीबत है तो मैं बाहर जा कर अपनी रात गर्मी में काट लेता हूं. मुझको लगा तू रि बड़ी शहर की है तुझको इन सब से कोई फर्क़ नहीं पढ़ता होगा. चलो कोई नहीं मै बाहर चला जाता हूँ.
अब सुलेमान यह बोल कर बाहर वाली खटिया पर चाला जाता है सोने. पर साथ ही खुद की किस्मत को कोसता है और सोचता है कोई नहीं अब मैं मेरा खेल आधी रात को शुरू करूँगा. देखता हूं कैसे बचती है मेरी काव्या रानी. मैं भी सुलेमान हू तेरी चीख तो निकाल के रहूँगा.
पर इस कलूटै को क्या पता कि वो असली गेम तो अभी काव्या के साथ खेल कर जा रहा है.......!