28-01-2021, 11:39 AM
(This post was last modified: 20-09-2021, 02:18 PM by komaalrani. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
भइया बहिनी
भइया बहिनी मिल के टेबल सेट कर रहे थे।
जेठानी ने झट से स्कर्ट उठा के गुड्डी के छोटे छोटे नितम्बों को दबोच लिया।
उनके अनपूछे सवाल का गुड्डी की ओर से मैंने जवाब भी दे दिया ,
" अरे दी , नीचे वाली चिरैया को भी धूप हवा चाहिए न , आखिर अब उसके चारा घौंटने के दिन आ गए है। "
और साथ ही गुड्डी को एक काम भी पकड़ा दिया।
उसके भैय्या गरम गरम पकौड़े लाने किचेन में चले गए थे , मैं गुड्डी से बोली ,
" सुन यार ,तेरे चक्कर में तेरे भैय्या तो आज से आम खाने लगे हैं न "
गुड्डी की मीठी मीठी निगाहें मुस्कराने लगीं।
" तो अब आज ज़रा उनसे कहो न एक प्लेट आम ताजा काट के , बड़ी बड़ी फांके ,... और हाँ तू मत काटना अपने भैय्या से ही कटवाना। "
गुड्डी किचेन की ओर मुड़ चुकी थी , किचेन के दरवाजे के पास से मेरी ओर देखते हुए वो सारंग नयनी ,हँसते हुए बोली।
" एकदम भाभी ,पक्का ,भैय्या से ही कटवाउंगी। "
डबल मीनिंग डायलॉग बोलने में अब मेरी ननद भी हम लोगो के टक्कर में आने की कोशिश कर रही थीं।
जेठानी जी ने भी पूँछ जोड़ दी ,
" सही है ,भैय्या से कटवाने का मजा ही और है। "
लेकिन अपनी जेठानी को रगड़ने का ये मौका मैं क्यों छोड़ती , मैंने ऊँगली पे कुछ जोड़ा ,फिर उन्हें छेड़ा ,
" सच में दी सिर्फ दो दिन बचे है आपकी छुट्टी खतम होने में बस आज और कल फिर परसों उसके भैय्या आपको काटे बिना नहीं छोड़ेंगे। देवर का तो बैसे ही हक़ होता है और फिर तो जेठ जी के नहीं होने पर तो सेन्ट परसेंट दूकान उनकी "
तब तक वो और गुड्डी बाकी सामान लेके ,
चाय
बैंगन के पकोड़े ताज़ी चटनी ,
और हाँ फ्रेश कटे आम भी थे।
"जियत रहे यह जोड़ी , जल्द ही गाभिन हो ,नौवें महीने में सोहर हो ,"
अब मेरी जेठानी जी भी मूड में आ गयीं ,उस एलवल वाली को चिढ़ाने में
गुड्डी के गाल गुलाबी ,नैन शराबी ,... हलके से वो ब्लश कर रही थी , मेरी जेठानी की बात पे।
" एकदम भाभी आप के मुंह में घी शक्कर "
हँसते हुए मैंने अपनी जेठानी का साथ दिया, लेकिन मेरे मन में मम्मी की बात याद आ रही थी ,
" बस किसी तरह उसे पटा के यहाँ ले आ , और फिर उसे गाभिन कराने की जिम्मेदारी मेरी। "
मन मेरा भी यही कर रहा था की किसी तरह ये सोन चिरैया पट जाय और हम लोगों के साथ चल दे , एकबार मेरे घर पहुँच गयी तो फिर तो ,
मम्मी और उससे भी बढ़कर मंजू बाई ,उसकी बिटिया गीता ,... लेकिन कैसे चलेगी हम लोगों के साथ मेरे मन में यही सवाल साल रहा था।
वो और गुड्डी मिल के टेबल लगा रहे थे , बैंगन के पकौड़े ,चाय ,बहुत कुछ ,...
मैंने उन्हें देखते हुए अपनी जेठानी को चढ़ाया ,
" अरे आज आपके देवर ने पहली बार रसोई छूई है , इसका कोई नेग वेग तो दीजिये इनको। "
( नयी बहु घर में आने के दो चार दिन बाद जब पहली बार रसोई में कुछ बनाती है तो उसके ससुराल वाले ,सास ,उसकी जेठानी सब नेग देते हैं )
" एकदम " चहक के वो बोलीं।
फिर उनके बगल में बैठी गुड्डी की ओर इशारा कर के अपने देवर से बोली ,
" चल ये मेरी ननद तेरा नेग, पसंद हैं न , बस ले लो। "
मैं क्यों मौक़ा चुकती ,
" अरे दीदी ,इससे अच्छा नेग तो हो ही नहीं सकता , बिचारे कब से इसे देख के ,... " मैं जेठानी से बोली और फिर उनको छेड़ते हुए कहा ,
" ले लो , ले लो ,अब तो तुम्हारी भौजाई की भी इजाजत मिल गयी है ,मौसी भी राजी बंसती भी राजी। "
उनका बायां हाथ तो वैसे ही गुड्डी के कंधे पर था ,गुड्डी के टॉप से झांकती गोलाइयों से बस जरा सा दूर ,
और उन्होंने और गुड्डी को खींच के अपनी ओर ,.
लेकिन उनसे ज्यादा खुद ही गुड्डी सरक के एकदम अपने भैय्या से सट के , टेबल के एक तरफ वो और गुड्डी और सामने मैं और जेठानी जी।
चाय एकदम परफेक्ट ,चाय दूध ,शुगर क्यूब्स सब अलग अलग।
गुड्डी झुक के जब जेठानी जी के कप में दूध डाल रही थी , तो लो कट टॉप से न सिर्फ उसकी गोरी गोरी टेनिस बाल साइज की कड़ी कड़ी दूधिया गोलाइयाँ बल्कि मिल्क टीटस भी साफ साफ़ दिख रहे थे।
छोटे छोटे लेकिन एकदम खड़े शहद के रंग के,...
" दी ,दूध बताइयेगा। "
मुस्कराते मैंने अपनी जेठानी को उकसाया,पर उसकी कोई जरूरत नहीं थी।
उनकी निगाहें गुड्डी के छलकते नए नए आये जुबना को सहला रही थीं।
" हो गयी है एकदम दूध देने लायक। " वो मुस्करा के बोलीं।
गुड्डी पहले तो एकदम चिढ जाती , गुस्सा हो जाती पर अब सिर्फ हलके से शरमाते मुस्कराते ,और प्याले में ,
" भैय्या दूध कित्ता "
" जित्ता दे दो ,... " वो भी एकदम मूड में थे आज।
पर मैंने जेठानी जी की बात का जवाब दिया ,
"दीदी एकदम और अगर जो नयी नयी बछेड़ी दुह्वाने में उछल कूद करती है न उसका तो पैर छान के जबरन दुहना पड़ता है ,लेकिन एक बात का हल दीदी आप को देना पडेगा "
मैंने एक सवाल जेठानी जी की ओर उछाल दिया।
और न सिर्फ वो बल्कि गुड्डी और ये भी मेरी ओर देख रहे थे सवाल का इन्तजार करते।
" दीदी ,अरे सिर्फ दूध देने लायक होने से थोड़े ही दूध देना कोई शुरू कर देगा ,कुछ और करना पड़ता है उसके लिए "
अपनी जेठानी को मैंने थोड़ा और चढ़ाया।
बस वो अपने लेवल पर आ गयीं। बोलीं ,
" अरे ये सांड ६ फिट का बैठा तो है बगल में ,बस एक दिन चढ़ जाओ ,शर्तिया गाभिन कर दोगे। बस नौ महीने बाद दूध सप्लाई शुरू। "
उनका हाथ न गुड्डी के कंधे पर था ,बल्कि उँगलियाँ गुड्डी की खुली दूधिया गोलाइयों के ऊपरी भाग को छु रही थीं ,सहला रही थीं .
गुड्डी ने जैसे अपनी भाभी की बात पे हामी जताते , उनकी उस के जोबन को सहलाती उँगलियों को खुद खींच के थोड़ा और नीचे।
भइया बहिनी मिल के टेबल सेट कर रहे थे।
जेठानी ने झट से स्कर्ट उठा के गुड्डी के छोटे छोटे नितम्बों को दबोच लिया।
उनके अनपूछे सवाल का गुड्डी की ओर से मैंने जवाब भी दे दिया ,
" अरे दी , नीचे वाली चिरैया को भी धूप हवा चाहिए न , आखिर अब उसके चारा घौंटने के दिन आ गए है। "
और साथ ही गुड्डी को एक काम भी पकड़ा दिया।
उसके भैय्या गरम गरम पकौड़े लाने किचेन में चले गए थे , मैं गुड्डी से बोली ,
" सुन यार ,तेरे चक्कर में तेरे भैय्या तो आज से आम खाने लगे हैं न "
गुड्डी की मीठी मीठी निगाहें मुस्कराने लगीं।
" तो अब आज ज़रा उनसे कहो न एक प्लेट आम ताजा काट के , बड़ी बड़ी फांके ,... और हाँ तू मत काटना अपने भैय्या से ही कटवाना। "
गुड्डी किचेन की ओर मुड़ चुकी थी , किचेन के दरवाजे के पास से मेरी ओर देखते हुए वो सारंग नयनी ,हँसते हुए बोली।
" एकदम भाभी ,पक्का ,भैय्या से ही कटवाउंगी। "
डबल मीनिंग डायलॉग बोलने में अब मेरी ननद भी हम लोगो के टक्कर में आने की कोशिश कर रही थीं।
जेठानी जी ने भी पूँछ जोड़ दी ,
" सही है ,भैय्या से कटवाने का मजा ही और है। "
लेकिन अपनी जेठानी को रगड़ने का ये मौका मैं क्यों छोड़ती , मैंने ऊँगली पे कुछ जोड़ा ,फिर उन्हें छेड़ा ,
" सच में दी सिर्फ दो दिन बचे है आपकी छुट्टी खतम होने में बस आज और कल फिर परसों उसके भैय्या आपको काटे बिना नहीं छोड़ेंगे। देवर का तो बैसे ही हक़ होता है और फिर तो जेठ जी के नहीं होने पर तो सेन्ट परसेंट दूकान उनकी "
तब तक वो और गुड्डी बाकी सामान लेके ,
चाय
बैंगन के पकोड़े ताज़ी चटनी ,
और हाँ फ्रेश कटे आम भी थे।
"जियत रहे यह जोड़ी , जल्द ही गाभिन हो ,नौवें महीने में सोहर हो ,"
अब मेरी जेठानी जी भी मूड में आ गयीं ,उस एलवल वाली को चिढ़ाने में
गुड्डी के गाल गुलाबी ,नैन शराबी ,... हलके से वो ब्लश कर रही थी , मेरी जेठानी की बात पे।
" एकदम भाभी आप के मुंह में घी शक्कर "
हँसते हुए मैंने अपनी जेठानी का साथ दिया, लेकिन मेरे मन में मम्मी की बात याद आ रही थी ,
" बस किसी तरह उसे पटा के यहाँ ले आ , और फिर उसे गाभिन कराने की जिम्मेदारी मेरी। "
मन मेरा भी यही कर रहा था की किसी तरह ये सोन चिरैया पट जाय और हम लोगों के साथ चल दे , एकबार मेरे घर पहुँच गयी तो फिर तो ,
मम्मी और उससे भी बढ़कर मंजू बाई ,उसकी बिटिया गीता ,... लेकिन कैसे चलेगी हम लोगों के साथ मेरे मन में यही सवाल साल रहा था।
वो और गुड्डी मिल के टेबल लगा रहे थे , बैंगन के पकौड़े ,चाय ,बहुत कुछ ,...
मैंने उन्हें देखते हुए अपनी जेठानी को चढ़ाया ,
" अरे आज आपके देवर ने पहली बार रसोई छूई है , इसका कोई नेग वेग तो दीजिये इनको। "
( नयी बहु घर में आने के दो चार दिन बाद जब पहली बार रसोई में कुछ बनाती है तो उसके ससुराल वाले ,सास ,उसकी जेठानी सब नेग देते हैं )
" एकदम " चहक के वो बोलीं।
फिर उनके बगल में बैठी गुड्डी की ओर इशारा कर के अपने देवर से बोली ,
" चल ये मेरी ननद तेरा नेग, पसंद हैं न , बस ले लो। "
मैं क्यों मौक़ा चुकती ,
" अरे दीदी ,इससे अच्छा नेग तो हो ही नहीं सकता , बिचारे कब से इसे देख के ,... " मैं जेठानी से बोली और फिर उनको छेड़ते हुए कहा ,
" ले लो , ले लो ,अब तो तुम्हारी भौजाई की भी इजाजत मिल गयी है ,मौसी भी राजी बंसती भी राजी। "
उनका बायां हाथ तो वैसे ही गुड्डी के कंधे पर था ,गुड्डी के टॉप से झांकती गोलाइयों से बस जरा सा दूर ,
और उन्होंने और गुड्डी को खींच के अपनी ओर ,.
लेकिन उनसे ज्यादा खुद ही गुड्डी सरक के एकदम अपने भैय्या से सट के , टेबल के एक तरफ वो और गुड्डी और सामने मैं और जेठानी जी।
चाय एकदम परफेक्ट ,चाय दूध ,शुगर क्यूब्स सब अलग अलग।
गुड्डी झुक के जब जेठानी जी के कप में दूध डाल रही थी , तो लो कट टॉप से न सिर्फ उसकी गोरी गोरी टेनिस बाल साइज की कड़ी कड़ी दूधिया गोलाइयाँ बल्कि मिल्क टीटस भी साफ साफ़ दिख रहे थे।
छोटे छोटे लेकिन एकदम खड़े शहद के रंग के,...
" दी ,दूध बताइयेगा। "
मुस्कराते मैंने अपनी जेठानी को उकसाया,पर उसकी कोई जरूरत नहीं थी।
उनकी निगाहें गुड्डी के छलकते नए नए आये जुबना को सहला रही थीं।
" हो गयी है एकदम दूध देने लायक। " वो मुस्करा के बोलीं।
गुड्डी पहले तो एकदम चिढ जाती , गुस्सा हो जाती पर अब सिर्फ हलके से शरमाते मुस्कराते ,और प्याले में ,
" भैय्या दूध कित्ता "
" जित्ता दे दो ,... " वो भी एकदम मूड में थे आज।
पर मैंने जेठानी जी की बात का जवाब दिया ,
"दीदी एकदम और अगर जो नयी नयी बछेड़ी दुह्वाने में उछल कूद करती है न उसका तो पैर छान के जबरन दुहना पड़ता है ,लेकिन एक बात का हल दीदी आप को देना पडेगा "
मैंने एक सवाल जेठानी जी की ओर उछाल दिया।
और न सिर्फ वो बल्कि गुड्डी और ये भी मेरी ओर देख रहे थे सवाल का इन्तजार करते।
" दीदी ,अरे सिर्फ दूध देने लायक होने से थोड़े ही दूध देना कोई शुरू कर देगा ,कुछ और करना पड़ता है उसके लिए "
अपनी जेठानी को मैंने थोड़ा और चढ़ाया।
बस वो अपने लेवल पर आ गयीं। बोलीं ,
" अरे ये सांड ६ फिट का बैठा तो है बगल में ,बस एक दिन चढ़ जाओ ,शर्तिया गाभिन कर दोगे। बस नौ महीने बाद दूध सप्लाई शुरू। "
उनका हाथ न गुड्डी के कंधे पर था ,बल्कि उँगलियाँ गुड्डी की खुली दूधिया गोलाइयों के ऊपरी भाग को छु रही थीं ,सहला रही थीं .
गुड्डी ने जैसे अपनी भाभी की बात पे हामी जताते , उनकी उस के जोबन को सहलाती उँगलियों को खुद खींच के थोड़ा और नीचे।