28-01-2021, 11:37 AM
(This post was last modified: 19-09-2021, 04:08 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
ननद की पैंटी
और एक बार फिर हँसते हँसते मैं और गुड्डी दोनों दुहरे।
पकौड़ी छानने के लिए उन्होंने कड़ाही चढ़ा दी थी लेकिन कान उनके इधर ही ,
" हे क्या बात कर रही हो तुम दोनों " सुनने को बेताब वो , नहीं रहा गया।
लेकिन माकूल जवाब उनके माल ने ही दिया।
" तुझसे मतलब ,गर्ली टाक ,ओनली फॉर गर्ल्स , क्यों भाभी ,... "
" एकदम " मैंने अपनी ननद का समर्थन किया।
और अबकी गुड्डी के होंठों ने पहल की और जबरदस्त किस मेरे होंठों पे।
लेकिन मैंने उसे फिर अपने सैंया के लिए छोड़ दिया ,
" हे चल जरा अपने भैय्या की हेल्प कर ,... "
और चलने के पहले एक बार कस के मुट्ठी में मैंने गुड्डी की खुली चूत जोर जोर से रगड़ कर भींच ली ,
और जब मैं किचेन से बाहर निकली तो गुड्डी की पैंटी मेरी मुट्ठी में थी ,
और गुड्डी अपने भैय्या के पास।
हाँ उसकी निगाह मेरी ओर ही लगी थी ,गुड्डी को दिखा के एक बार उसके चूत के रस से भीनी पैंटी पहले मैंने सूंघ ली फिर चूम ली।
बजाय झिझकने के गुड्डी ने मुस्कराते हुए ,मेरी ओर एक फ़्लाइंग किस उछाल दिया।
बिचारी मेरी जेठानी भुकुसी अपने कमरे में बैठी टीवी से जंग लड़ रही थीं ,
"इस समय कोई सीरियल भी ढंग का नहीं आता। "
" देखिये दी ,आपकी देवरानी आपके लिए क्या चीज जीत के लायी है "
कमरे में घुसते ही मुस्करा के मैंने उन्हें उकसाया।
थोड़ा उनका मूड भी हल्का हुआ , उठ बैठीं , बोलीं ,
" बोल न ,.. पहेली क्यों बुझा रही है। "
और मैंने मुट्ठी खोल के उन्हें दिखा दिया ,
हम दोनों के ननद की पैंटी।
;;;;;;;
एकदम चेहरे पर ४०० वाट का बल्ब जल गया।
ख़ुशी से वो मेरे पास आगयीं और अपनी उत्सुकता दबाती , पूछ बैठीं ,
" हे उसकी ,... है ?"
मैंने सर हिला के हाँ बोल दिया।
अब तो वो ख़ुशी के मारे ,...
मैंने बोला था न ,गुड्डी पहले एकदम,... जबरदस्ती अच्छी बच्ची बनी फिरती थी , और हमारी मेरी और मेरी जेठानी दोनों की ,मजबूरी
एकलौती ननद , तो गारी भी तो उसी के नाम से और छेड़ेंगी भी तो उसी को न , और गारियाँ हम दोनों को एकदम खुल्ल्मखुल्ला वाली पसंद थी ,
वरना गारी क्या , और वो भी ननद भौजाई के बीच.
जेठानी जी ने बताया था , फागुन का महीना था ,होली की मस्ती और अब वो छोटी भी नहीं थी ,हाईकॉलेज में पहुँच गयी थी। मजाक मजाक में जेठानी जी ने उसकी स्कर्ट जरा सा छू दी बस वो ऐसे बिफर गयी ,क्या क्या सीन नहीं बनाया उसने।
मैंने जेठानी जी को दिलासा भी दिलाया और वादा भी किया ,दी जाने दीजिये ,एक दिन इसी घर में आपके सामने , उसकी पैंटी उतार दूंगी। "
और मैंने वो जीत की ट्राफी मैंने उनके हवाले कर दी।
" तू भी न , ...एकदम उस्ताद है " ख़ुशी से पैंटी पकड़ते वो बोलीं और मुझे भींच लिया।
मैंने भी कस के अँकवार में उन्हें दबाते हुए कबूल किया ,
" दी आखिर आप की देवरानी हूँ कुछ तो असर होगा न। "
और हम दोनों कमरे से बाहर आगये ,
भइया बहिनी मिल के टेबल सेट कर रहे थे।
और एक बार फिर हँसते हँसते मैं और गुड्डी दोनों दुहरे।
पकौड़ी छानने के लिए उन्होंने कड़ाही चढ़ा दी थी लेकिन कान उनके इधर ही ,
" हे क्या बात कर रही हो तुम दोनों " सुनने को बेताब वो , नहीं रहा गया।
लेकिन माकूल जवाब उनके माल ने ही दिया।
" तुझसे मतलब ,गर्ली टाक ,ओनली फॉर गर्ल्स , क्यों भाभी ,... "
" एकदम " मैंने अपनी ननद का समर्थन किया।
और अबकी गुड्डी के होंठों ने पहल की और जबरदस्त किस मेरे होंठों पे।
लेकिन मैंने उसे फिर अपने सैंया के लिए छोड़ दिया ,
" हे चल जरा अपने भैय्या की हेल्प कर ,... "
और चलने के पहले एक बार कस के मुट्ठी में मैंने गुड्डी की खुली चूत जोर जोर से रगड़ कर भींच ली ,
और जब मैं किचेन से बाहर निकली तो गुड्डी की पैंटी मेरी मुट्ठी में थी ,
और गुड्डी अपने भैय्या के पास।
हाँ उसकी निगाह मेरी ओर ही लगी थी ,गुड्डी को दिखा के एक बार उसके चूत के रस से भीनी पैंटी पहले मैंने सूंघ ली फिर चूम ली।
बजाय झिझकने के गुड्डी ने मुस्कराते हुए ,मेरी ओर एक फ़्लाइंग किस उछाल दिया।
बिचारी मेरी जेठानी भुकुसी अपने कमरे में बैठी टीवी से जंग लड़ रही थीं ,
"इस समय कोई सीरियल भी ढंग का नहीं आता। "
" देखिये दी ,आपकी देवरानी आपके लिए क्या चीज जीत के लायी है "
कमरे में घुसते ही मुस्करा के मैंने उन्हें उकसाया।
थोड़ा उनका मूड भी हल्का हुआ , उठ बैठीं , बोलीं ,
" बोल न ,.. पहेली क्यों बुझा रही है। "
और मैंने मुट्ठी खोल के उन्हें दिखा दिया ,
हम दोनों के ननद की पैंटी।
;;;;;;;
एकदम चेहरे पर ४०० वाट का बल्ब जल गया।
ख़ुशी से वो मेरे पास आगयीं और अपनी उत्सुकता दबाती , पूछ बैठीं ,
" हे उसकी ,... है ?"
मैंने सर हिला के हाँ बोल दिया।
अब तो वो ख़ुशी के मारे ,...
मैंने बोला था न ,गुड्डी पहले एकदम,... जबरदस्ती अच्छी बच्ची बनी फिरती थी , और हमारी मेरी और मेरी जेठानी दोनों की ,मजबूरी
एकलौती ननद , तो गारी भी तो उसी के नाम से और छेड़ेंगी भी तो उसी को न , और गारियाँ हम दोनों को एकदम खुल्ल्मखुल्ला वाली पसंद थी ,
वरना गारी क्या , और वो भी ननद भौजाई के बीच.
जेठानी जी ने बताया था , फागुन का महीना था ,होली की मस्ती और अब वो छोटी भी नहीं थी ,हाईकॉलेज में पहुँच गयी थी। मजाक मजाक में जेठानी जी ने उसकी स्कर्ट जरा सा छू दी बस वो ऐसे बिफर गयी ,क्या क्या सीन नहीं बनाया उसने।
मैंने जेठानी जी को दिलासा भी दिलाया और वादा भी किया ,दी जाने दीजिये ,एक दिन इसी घर में आपके सामने , उसकी पैंटी उतार दूंगी। "
और मैंने वो जीत की ट्राफी मैंने उनके हवाले कर दी।
" तू भी न , ...एकदम उस्ताद है " ख़ुशी से पैंटी पकड़ते वो बोलीं और मुझे भींच लिया।
मैंने भी कस के अँकवार में उन्हें दबाते हुए कबूल किया ,
" दी आखिर आप की देवरानी हूँ कुछ तो असर होगा न। "
और हम दोनों कमरे से बाहर आगये ,
भइया बहिनी मिल के टेबल सेट कर रहे थे।