28-01-2021, 11:04 AM
(This post was last modified: 19-09-2021, 04:02 PM by komaalrani. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
गुड्डी
" गुड्डी क्या बनवा रही हो ,अपने भैय्या से " गुड्डी को चिढ़ाते मैंने पूछा।
" पकौड़ी " बेसन फेंटते हुए जवाब उन्होंने दिया।
" भाभी आपने भैय्या को ट्रेनिंग बहुत अच्छी दी है ,एकदम परफेक्ट कुक "
गुड्डी के गालों को मरोड़ते मैंने उसे छेड़ा,
" अरे मेरी ननद रानी आज की रात रुक जाओ न तो बस बाकी उन्होंने ये क्या क्या सीखा है ,ये भी दिखा देंगे ,आगे से ,पीछे से.क्यों है न ,दिखा दोगे न गुड्डी को। "
वो और गुड्डी दोनों झेंप गए।
वो गुड्डी की ऊपर वाली मंजिल की हाल चाल पूछ रहे थे तो मैंने निचली मंजिल में सेंध लगायी।
क्या मस्त रसीली फ़ांके थी ,स्साली की।
एकदम रस छलक रहा था।
कुछ देर तो उसकी चुनमुनिया छोटी सी लेसी पेंटी के ऊपर सहलाती रही मैं , फिर पैंटी सरका के सीधे एक फांक के किनारे किनारे ,मेरी ऊँगली ,...
गुड्डी एकदम मस्ता रही थी।
उधर से उसके भैय्या ललचायी निगाहों से हम दोनों को देख रहे थे ,कनखियों से।
मैंने जो उन्हें देखा और उनकी चोरी पकड़ी गयी तो वो फिर झेंप गए लेक्किन हम दोनों उन्हें कहाँ छोड़ने वाले थे।
मैंने एक जबरदस्त आँख मार दी , और
गुड्डी ने एक मीठी सी तगड़ी फ़्लाइंग किस उछाल दी उनकी ओर ,
बात टालने के लिए उन्होंने गुड्डी से पूछा ,
" सुन बैंगन की पकौड़ी पसंद है न तुझे बनाऊं ?"
" एकदम भैय्या ,बैंगन तो मुझे बहुत पसंद है " मुस्कराती चिढ़ाती वो शोख बोली।
और बैगन थाली से निकाल के उनकी ओर बढ़ा दिए।
" हे जो बैगन कुछ देर पहले पकड़ के रगड़ मसल रही थी वो ज्यादा जोरदार थे ,या जो तूने अभी दिए? "
उसकी पैंटी पूरी तरह सरकाते मैंने पूछा।
" जो कुछ देर पहले पकड़ी थी , न तो कोई उत्ता लम्बा और न उत्ता मोटा , भाभी उसकी तो बात ही अलग है मेरा वाला। "
और अब मेरी ऊंगली गुड्डी की चुनमुनिया की दोनों फांको के बीच घुस गयी थी।
" मतलब, आपका। "
गुड्डी ने कोर्स करेक्शन किया
लेकिन जवाब में मैंने गचाक , पूरी ताकत से अपनी मंझली ऊँगली निचली दोनो फांको के बीच ,
" न न , न तेरा न मेरा हम दोनों का ,जैसे कॉलेज में किसी सहेली के साथ मिल के लॉलीपॉप चूसा होगा न एकदम वैसे। "
उसके गाल पर हलके से चुम्मी लेते मैंने बोला।
पर ऊँगली मेरी घुसी नहीं ,एक पोर भी नहीं। बस ज़रा सी टिप। बहुत ज्यादा ही कसी चूत थी स्साली की।
मैं अपनी ननद की चूत की दरार में अब खुल के ऊँगली से रगड़ घिस कर रही थी और वो बिचारी सिसक रही थी।
निप्स उसकी कच्ची अमिया के एकदम टनाटन
" हे कभी मैरिनेटेड बैगन की पकौड़ी खाई है ?" गुड्डी के गाल कचकचा के काटते मैंने पूछा।
" नहीं भाभी , कभी सुना भी नहीं ये क्या होता है "उस नादाँ कमसिन ने अपनी भोली भोली आँखे नचा के पूछा।
मैंने पास ही रखी थाली में से एक मोटा सा बैगन ,खूब लंबा उठाया दूसरे हाथ से अपनी छुटकी ननदिया की पैंटी खोल दी।
बैगन की टिप अभी जहाँ मेरी ऊँगली थी ,उसकी हलकी हलकी गीली रसीली चूत की फांको के बीच.
" ननद रानी अगर तू चुद गयी होती न तो मैं तुझे करवा के सीखा देती , लेकिन जिस दिन मेरे सैंया से चुद जायेगी न बस उसके अगले दिन ये स्पेशल रेसिपी तुझे सीखा दूंगी "
कस कस के बैगन की टिप उसकी हलकी खुली चूत पर रगड़ते हुए मैंने चिढ़ाया।
पर वो छिनार कौन कम थी ,थी तो मेरी ननद , खिलखिलाते बोली।
" भाभी , उसके लिए अपने सैयां केकाण पकड़िए , मैंने तो कभी नहीं मना किया था वही शरमा जाते थे। लेकिन चलिए प्रैक्टिकल न सही थ्योरी ही ,प्रैक्टिकल बाद में कर लुंगी। "
" ऐसा खूब मोटा और लम्बा बैगन, हलके हलके चूत में घुसेड़ लो ,कम से कम ६ इंच और फिर जोर से चूत भींचती रहो। कम से कम ४ घंटे , दुहरा बल्कि तिहरा फायदा , एक तो चूत की मसल्स टाइट ,दूसरे चूत में लम्बे मोटे का मजा ,... और जो रस निकलता रहेगा उससे बैगन मैरीनेट हो जाएगा। और उसके पकौड़े बना के जिस लौंडे को खिला देगी न एकदम तेरे आगे पीछे दुम हिलाते ,... "
" दुम ,... भाभी " हँसते ,लोटपोट होते वो बोली।
" अरे यार पीछे वाली नहीं तो आगे वाली ,... " मैं भी उस के साथ हंसती बोली।
"हे जानती है ,एक बार तेरे भैय्या को , ऐसे गाजर डाल के अपनी बुर में ,उसका हलवा बना के खिलाया ,और वो बिचारे सीधे बुध्दू ,समझ नहीं पाए ,बोले ये तो बड़ा स्पेशल है ,मीठा भी और टैंगी भी। "
और एक बार फिर हँसते हँसते मैं और गुड्डी दोनों दुहरे।
पकौड़ी छानने के लिए उन्होंने कड़ाही चढ़ा दी थी लेकिन कान उनके इधर ही ,
" गुड्डी क्या बनवा रही हो ,अपने भैय्या से " गुड्डी को चिढ़ाते मैंने पूछा।
" पकौड़ी " बेसन फेंटते हुए जवाब उन्होंने दिया।
" भाभी आपने भैय्या को ट्रेनिंग बहुत अच्छी दी है ,एकदम परफेक्ट कुक "
गुड्डी के गालों को मरोड़ते मैंने उसे छेड़ा,
" अरे मेरी ननद रानी आज की रात रुक जाओ न तो बस बाकी उन्होंने ये क्या क्या सीखा है ,ये भी दिखा देंगे ,आगे से ,पीछे से.क्यों है न ,दिखा दोगे न गुड्डी को। "
वो और गुड्डी दोनों झेंप गए।
वो गुड्डी की ऊपर वाली मंजिल की हाल चाल पूछ रहे थे तो मैंने निचली मंजिल में सेंध लगायी।
क्या मस्त रसीली फ़ांके थी ,स्साली की।
एकदम रस छलक रहा था।
कुछ देर तो उसकी चुनमुनिया छोटी सी लेसी पेंटी के ऊपर सहलाती रही मैं , फिर पैंटी सरका के सीधे एक फांक के किनारे किनारे ,मेरी ऊँगली ,...
गुड्डी एकदम मस्ता रही थी।
उधर से उसके भैय्या ललचायी निगाहों से हम दोनों को देख रहे थे ,कनखियों से।
मैंने जो उन्हें देखा और उनकी चोरी पकड़ी गयी तो वो फिर झेंप गए लेक्किन हम दोनों उन्हें कहाँ छोड़ने वाले थे।
मैंने एक जबरदस्त आँख मार दी , और
गुड्डी ने एक मीठी सी तगड़ी फ़्लाइंग किस उछाल दी उनकी ओर ,
बात टालने के लिए उन्होंने गुड्डी से पूछा ,
" सुन बैंगन की पकौड़ी पसंद है न तुझे बनाऊं ?"
" एकदम भैय्या ,बैंगन तो मुझे बहुत पसंद है " मुस्कराती चिढ़ाती वो शोख बोली।
और बैगन थाली से निकाल के उनकी ओर बढ़ा दिए।
" हे जो बैगन कुछ देर पहले पकड़ के रगड़ मसल रही थी वो ज्यादा जोरदार थे ,या जो तूने अभी दिए? "
उसकी पैंटी पूरी तरह सरकाते मैंने पूछा।
" जो कुछ देर पहले पकड़ी थी , न तो कोई उत्ता लम्बा और न उत्ता मोटा , भाभी उसकी तो बात ही अलग है मेरा वाला। "
और अब मेरी ऊंगली गुड्डी की चुनमुनिया की दोनों फांको के बीच घुस गयी थी।
" मतलब, आपका। "
गुड्डी ने कोर्स करेक्शन किया
लेकिन जवाब में मैंने गचाक , पूरी ताकत से अपनी मंझली ऊँगली निचली दोनो फांको के बीच ,
" न न , न तेरा न मेरा हम दोनों का ,जैसे कॉलेज में किसी सहेली के साथ मिल के लॉलीपॉप चूसा होगा न एकदम वैसे। "
उसके गाल पर हलके से चुम्मी लेते मैंने बोला।
पर ऊँगली मेरी घुसी नहीं ,एक पोर भी नहीं। बस ज़रा सी टिप। बहुत ज्यादा ही कसी चूत थी स्साली की।
मैं अपनी ननद की चूत की दरार में अब खुल के ऊँगली से रगड़ घिस कर रही थी और वो बिचारी सिसक रही थी।
निप्स उसकी कच्ची अमिया के एकदम टनाटन
" हे कभी मैरिनेटेड बैगन की पकौड़ी खाई है ?" गुड्डी के गाल कचकचा के काटते मैंने पूछा।
" नहीं भाभी , कभी सुना भी नहीं ये क्या होता है "उस नादाँ कमसिन ने अपनी भोली भोली आँखे नचा के पूछा।
मैंने पास ही रखी थाली में से एक मोटा सा बैगन ,खूब लंबा उठाया दूसरे हाथ से अपनी छुटकी ननदिया की पैंटी खोल दी।
बैगन की टिप अभी जहाँ मेरी ऊँगली थी ,उसकी हलकी हलकी गीली रसीली चूत की फांको के बीच.
" ननद रानी अगर तू चुद गयी होती न तो मैं तुझे करवा के सीखा देती , लेकिन जिस दिन मेरे सैंया से चुद जायेगी न बस उसके अगले दिन ये स्पेशल रेसिपी तुझे सीखा दूंगी "
कस कस के बैगन की टिप उसकी हलकी खुली चूत पर रगड़ते हुए मैंने चिढ़ाया।
पर वो छिनार कौन कम थी ,थी तो मेरी ननद , खिलखिलाते बोली।
" भाभी , उसके लिए अपने सैयां केकाण पकड़िए , मैंने तो कभी नहीं मना किया था वही शरमा जाते थे। लेकिन चलिए प्रैक्टिकल न सही थ्योरी ही ,प्रैक्टिकल बाद में कर लुंगी। "
" ऐसा खूब मोटा और लम्बा बैगन, हलके हलके चूत में घुसेड़ लो ,कम से कम ६ इंच और फिर जोर से चूत भींचती रहो। कम से कम ४ घंटे , दुहरा बल्कि तिहरा फायदा , एक तो चूत की मसल्स टाइट ,दूसरे चूत में लम्बे मोटे का मजा ,... और जो रस निकलता रहेगा उससे बैगन मैरीनेट हो जाएगा। और उसके पकौड़े बना के जिस लौंडे को खिला देगी न एकदम तेरे आगे पीछे दुम हिलाते ,... "
" दुम ,... भाभी " हँसते ,लोटपोट होते वो बोली।
" अरे यार पीछे वाली नहीं तो आगे वाली ,... " मैं भी उस के साथ हंसती बोली।
"हे जानती है ,एक बार तेरे भैय्या को , ऐसे गाजर डाल के अपनी बुर में ,उसका हलवा बना के खिलाया ,और वो बिचारे सीधे बुध्दू ,समझ नहीं पाए ,बोले ये तो बड़ा स्पेशल है ,मीठा भी और टैंगी भी। "
और एक बार फिर हँसते हँसते मैं और गुड्डी दोनों दुहरे।
पकौड़ी छानने के लिए उन्होंने कड़ाही चढ़ा दी थी लेकिन कान उनके इधर ही ,