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आकांक्षा की कहानी
#9
हम दोनों के बीच काफी बहस हुई लेकिन मैं हार कर उसकी बात मान गई। रितेश ने उस प्लान के लिये वो समय चुना जब कॉलेज का टूर जा रहा था। तो हम दोनों ने अपने-अपने घर में टूर के बारे में जो कि तीन से चार दिन का था, बता दिया और तय समय पर हम लोग घर से निकल गये और दिल्ली की ट्रेन पकड़कर दिल्ली स्टशन पहुँचे।

स्टेशन पर पहले से ही टोनी और मीना हम लोगों का इंतजार कर रहे थे। टोनी की लम्बाई और डील डौल बहुत ही अच्छा था और रितेश से बीस था और उसकी बीवी मीना बहुत ही खूबसूरत... उसके सामने मैं कुछ भी नहीं थी। उसके दूध जैसा रंग, बड़ी-बड़ी आँखें, आँखो में काजल, होंठों में हल्की गुलाबी लिपस्टिक, माथे के बीचोंबीच एक छोटी सी बिन्दी, बड़ी-बड़ी चूची जो उसके कपड़े से आजाद होने के लिये बेताब थी। टाईट जींस और उँची हील की सैन्डिल में वो जान मारू लग रही थी। रितेश ही नहीं हर लड़के की नजर उसके उपर थी। खैर सबसे बेपरवाह उन दोनों ने हम दोनों के गले लग कर स्वागत किया और फिर उनकी गाड़ी में बैठ कर उनके घर की तरफ चल दिये। रास्ते में टोनी ने मुझे आकांक्षा डार्लिंग कहकर सम्बोधित किया और पूछा डर तो नहीं लग रहा है? मैं कुछ नहीं बोली तो उसने गाड़ी एक किनारे लगाई और

मीना से बोला- तुम रितेश के पास बैठो और आकांक्षा, तुम मेरे पास आओ।

मैंने रितेश की तरफ देखा और उतर कर मैंने और मीना ने अपनी जगह बदल ली। मेरे लिये ये सब अजीब सा था और हिम्मत भी नहीं पड़ रही थी। तभी निसंकोच रूप से टोनी ने अपना हाथ को मेरी चूत पर रख दिया और सहलाते हुये

पूछा- डार्लिंग, अब तक केवल रितेश से ही चुदवाई करवाई है या किसी और से भी?

मैं चुप रही तो टोनी, जिसका हाथ मेरी चूत को ही सहला रहा था,

फिर बोला- आकांक्षा शर्म करने से कुछ नहीं होगा, पीछे देखो मीना ने रितेश के लंड को अपने हाथ में लिया है और चूस रही है, और रितेश मीना की चूत सहला रहा है।

दोनों अपने में मस्त मशगूल थे। मीना के लगभग कपड़े उतर ही चुके थे वो केवल पैन्टी में ही थी और रितेश के लंड पर झुकी हुई थी। मेरी नजर उन दोनों पर जब हटी जब मुझे एहसास हुआ कि मेरा हाथ जीन्स के ऊपर टोनी के लंड पर है। इतने ही पल में टोनी ने अपने लंड को अपने जींस से बाहर निकाल लिया और मेरे हाथ को लेजाकर उस पर टिका दिया। करीब आधे घंटे के बाद टोनी का बंगला आ गया। अपनी गाड़ी को पोर्च में खड़ी करके मीना नंगी ही उतर फिर उसने मेरी तरफ का दरवाजा खोला और मुझे लेकर अन्दर चली।

मैं उसे देख रही थी और वो मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी, फिर मेरी गांड में चिकोटी काटते हुये बोली- बिन्दास दो दिन सेक्स का मजा लो।

तभी फिर मुझे अपना वो ख्याल याद आया जब मैं सोचती थी कि शादी के बाद सुहागरात में मेरे साथ क्या-क्या होगा।

लेकिन मेरी सुहागरात तो शादी से काफी पहले हो चुकी है और अब मुझे रितेश के अलावा दूसरा मर्द चोदेगा। सोचते-सोचते मैं घर के अन्दर प्रवेश कर गई। थोड़ी ही देर में मीना ही हम सब के लिये चायले आई, मीना अभी भी नंगी ही थी और जब वो झुक कर चाय सर्व कर रही थी तो उसकी लटकी हुई गोल चूचियों पर से रितेश की नजर हट ही नहीं रही थी। हम सब की नजर रितेश पर थी पर ऐसा लग रहा था कि रितेश हम सब से अनजान था।

चाय का कप मैं उठा ही रही थी कि मेरे हाथ को पकड़ते हुए

टोनी बोला- देखो यहां पर कोई भी किसी बात का बुरा नहीं मानेगा और अपनी मर्जी की करने के लिये सभी स्वतंत्र होंगे। दूसरे कि हम लोग चाय ऐसे नहीं पियेंगे।

और बताने लगा कि आकांक्षा चाय सिप करेगी फिर उसका कप मेरे पास आयेगा, मेरा कप मीना के पास जायेगा, मीना का कप रितेश की पास और रितेश का कप आकांक्षा के पास जायेगा। कहकर हम लोग चाय पीने लगे। थोड़ी देर तक गपशप होती रही। इसी बीच टोनी ने भी अपने सभी कपड़े उतार दिये और अपने हाथ से लंड को मसलते हुये

बोला- तुम लोग नहा धो लो।

मुझे थोड़ी उलझन हो रही थी और संकोच से बाहर नहीं आ पा रही थी तो मैं ही उठी, बाथरूम में निपटने पहुँची और बाथरूम का दरवाजा बन्द ही कर रही थी कि टोनी वहां पहुँच गया,

बोला- यहां कुछ बन्द में नहीं होता सब कुछ खुले में होता है।

कह कर उसने दरवाजे को खोल दिया और वहीं पर कुर्सी लगा कर बैठ गया और मुझे आँख मारते हुये हवाई किस करने लगा। उसी समय रितेश आ गया और टोनी के कंधे पर हाथ रखते हुए

बोला- यार देखो, अब शर्माना छोड़ो और खुल कर मजा लो।

उसी समय मीना ने पीछे से रितेश को पकड़ा और उसके दोनों निप्पल को कस कर मसलने लगी और उसके गालों को किस करने लगी। हाँ, एक बात पर मेरा बहुत ज्यादा ध्यान गया वो ये कि मीना कपड़ो में नहीं थी पर हाई हील सेन्डिल पहनी हुई थी।

तभी रितेश मेरे कंधे के झटकते हुये बोला- क्या सोच रही हो? कह कर मेरी गांड में चपत लगाते हुए बोला- enjoy

मैं अपनी सोच से बाहर आते हुये अपने कपड़े उतारने लगी कि

मीना टोनी से बोली- डार्लिंग, जाकर उसके कपड़े उतारने में उसकी मदद करो।

टोनी उठा और मेरे कुर्ती, सलवार, ब्रा और पैन्टी एक एक करके सभी उतार दी और मेरी चूत की फांकों में उंगली करके मुझे कमोड में बैठा दिया। चूँकि मुझे प्रेशर बहुत ज्यादा मार रहा था तो बैठते ही पर्रर... रररर्र के साथ मैं फ्री होने लगी और इधर पर्रर्रर्र की आवाज सुन कर सभी हँस रहे थे। मेरी नजर उन सभी पर थी। हगने के बाद मैं धोने ही जा रही थी तो टोनी ने मुझसे मग ले लिया और मेरी गांड में हाथ लगा कर उसको धोने लगा। फिर मेरे खड़े होते ही कमोड में झांककर देखते हुए

बोला- यार आकांक्षा ने बहुत ज्यादा कर लिया।

बाकी दोनों भी आकर देखने लगे और हँसने लगे और एक एक चपत मेरी गांड में लगाते हुए बोले- बहुत ताकत है इसमें।

उसी समय रितेश मीना की तरफ देखते हुये बोला- मीना, हगने के बाद क्या तुम मेरी भी गांड धुलाओगी?

मीना बोली- रितेश, हम दोनों ने जब से शादी की है तो जब मैं टोनी के घर जाती हूँ या टोनी मेरे घर जाता है तभी हम लोग अपनी गांड खुद से साफ करते हैं। नहीं तो आज तक मैं टोनी की गांड साफ करती हूँ और ये मेरी गांड धोता है। इसलिये तुम चिन्ता मत करो केवल हगो... धो मैं दूंगी।

[Image: aakanksha-singh-15995782251.jpg]
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RE: आकांक्षा की कहानी - by संस्कृति शर्मा - 28-01-2021, 10:22 AM



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