28-01-2021, 10:20 AM
इन दो चुदाई में इतनी तो बात समझ में आ गई थी कि लंड की पूरी ताकत उसके टाईट होने पर है, अगर ढीला है तो फिर वो किसी काम का नहीं। रितेश अपने हाथ में अपने सिकुड़े हुए लंड को लिये था और हंस रहा था।.मैं पलटी और घुटने के बल बैठ कर उसके लंड को अपने मुंह में ले लिया। जैसे ही मैंने उसके लंड को अपने मुंह में लिया तो मेरे और उसके मिलन का जो रस था, उसका स्वाद मेरे मुंह में था। मैं उसके लंड को चूस रही थी। तभी रितेश ने अपने लंड को मेरे मुंह से बाहर निकाला और उसके खाल को पीछे करते हुए लंड के टोपे को दिखाते हुए मुझे उस हिस्से पर अपनी जीभ फिराने के लिये बोला। रितेश जैसे जैसे बोलता गया, मैं उसके टोपे को चाटती गई और रितेश के मुंह से सी-सी की आवाज आती गई। कुछ ही देर में उसका लंड खड़ा हो गया। रितेश ने मुझसे कम्प्यूटर की तरफ मुंह करके झुकने के लिये बोला। मेरे दिल मैं तो एक ही बात थी कि जो रितेश कहे उसे करते जाओ। इसलिये मैं कम्प्यूटर की तरफ मुंह करके झुक गई और रितेश मेरी कमर को पकड़ के अपने लंड को मेरी चूत में सेट किया और एक धक्का दिया। इस बार लंड सीधे मेरी चूत के अन्दर था। अब मैं और उस फिल्म की लड़की एक ही पोजिशन में थे और रितेश उसी तरह धक्के मार रहा था जैसे उस फिल्म का लड़का कर रहा था। जिस-जिस पोजिशन में वो लड़का उस लड़की की चुदाई कर रहा था उसी पोजिशन में रितेश मेरी भी चुदाई करता।
उस लड़के ने लड़की को दीवार से सटा कर खड़ा कर दिया और उसकी एक टांग को पकड़ कर हवा में उठाकर उसको चोद रहा था तो रितेश ने भी मुझे उसी तरह की पोज में कर दिया और अपनी कार्यवाही शुरू कर दी। उसकी नजर भी स्क्रीन पर थी। फिर चार-पांच धक्के मारने के बाद रितेश ने मुझे डायनिंग टेबल पर बैठाया और अपना लंड मेरी चूत में डालने के बाद मुझे गोदी में उठा कर उछल कूद करने लगा। अब इस समय मैं अपनी तो कुछ नहीं कह सकती पर रितेश को खूब मजा आ रहा था। कुछ दस पन्द्रह शॉट लगाने के बाद एक बार फिर रितेश ने मुझे उसी तरह लेकर एक कुर्सी पर बैठ गया। दूसरे ही पल लगा कि रितेश एक बार फिर अपनी गर्मी को मेरे अन्दर उतार दिया। ठीक उसी समय उस लड़के ने लड़की को नीचे बैठा कर अपने लंड को उसके मुंह में लगा दिया और कुछ सफेद सा उसके मुंह में डालने लगा जिसको लड़की ने पूरा गटक लिया और फिर मुंह से लड़के का लंड चाट कर उसकी मलाई को साफ कर दिया।
ऐसा देख कर मैंने रितेश से पूछा- तुम अपनी मलाई मेरे अन्दर क्यों डाल देते हो?
वो बोला- मुझे अच्छा लगता है।
तीन चार घंटे बीत चुके थे तो मैंने रितेश को चूम कर बाय किया और अपने घर चली आई। इसके बाद जब भी मौका मिलता तो मैं और रितेश अपनी जिस्म की आग को बुझाते और नई स्टाईल से मजा लेती। और अब तो मुझे भी गाली देने की आदत सी हो गई थी।
एक दिन मुझे उल्टी सी महसूस हुई और उसके बाद लगातार होने लगी और मन खट्टा होने लगा तो मेरी मम्मी मुझे डॉक्टर के यहां ले गई। डॉक्टर ने चेक अप करने के बाद मुझे बताया कि मेरे पेट में बच्चा है, तो मेरे पैरो के नीचे से जमीन खिसक गई। डॉक्टर जाकर मेरी मम्मी को बताने वाली थी लेकिन मेरे रिक्वेस्ट करने पर न बताने को बोली और जल्दी ही ऑर्बशन कराने के लिये बोली। मुझे एक लम्बा चौड़ा सा लेक्चर पिला दिया। लेकिन एक बात डॉक्टर ने बताई कि खूब खुल कर मजा लो लेकिन अगर बच्चा नहीं चाहती हो तो कुछ प्रिकॉशन लो और कोशिश करो कि लड़के का पानी तुम्हारे अन्दर न जाये। मेरे लिये अब चिन्ता की बात यह थी कि इस बात को कैसे छुपाया जाये। तो डॉक्टर से छुटने के बाद मैं सीधा रितेश से मिली और जो जो डॉक्टर ने बताया सब बात रितेश को बता दी। किसी तरह घर से बहाना बना कर ऑबोर्शन कराने पहुँची। इस समय रितेश ने मेरा खूब साथ दिया और जैसे-जैसे डॉक्टर ने कहा उस तरह मेरा ध्यान रखा। धीरे-धीरे दोनों लोगों का एक-दूसरे के यहां आना जाना शुरू हो चुका था। रितेश मेरे परिवार एक एक-एक सदस्य से मिल चुका था और मैं रितेश के परिवार के एक-एक सदस्य से मिल चुकी थी। हलाँकि रितेश के परिवार में ज्यादा लोग नहीं थे, उसके एक जीजा, जो काफी हैण्डसम थे और सिक्युरिटी में थे, उसकी मम्मी थी, पापा थे जो 55 की उम्र में भी काफी हट्टे कट्टे जवान को मात करते थे और दो छोटे भाई थे दोनों ही अब तक बालिग हो चुके थे। हम दोनों के परिवार को हम दोनों के रिश्ते को मंजूरी भी मिल चुकी थी पर शर्त इतनी थी कि अच्छी सी जॉब मिलने के बाद हम दोनों की शादी कर दी जायेगी। लेकिन किसी को यह नहीं मालूम था कि हम दोनों जिस्म की आग को बुझा रहे हैं।
खैर आओ फिर से कहानी पर लौटते हैं। अब वो कहानी यहां से शुरू होती है जब एक-एक करके कई लंड मेरी चूत में जा चले गये। शुरू शुरू में मेरी चूत में जो भी लंड गया, उसमें रितेश भी शामिल था पर बाद में लंड मिलते गये और मैं लेती गई।
इसी क्रम में एक दिन रितेश मेरे पास आया और बटरिंग करने लगा तो मैंने बोल दिया- यार तेरे को जब भी मेरी चूत चाहिये होती है तो मैं तो तैयार ही हूँ ना फिर मेरी बटरिंग करने का क्या फायदा?
'आज कुछ नया करना है।'
मुझे लगा वो मेरी गांड मारने की बात कर रहा है तो मैं बोली- यार, एक चीज तो सुहागरात के लिये छोड़ दो, नहीं तो सुहागरात में क्या करोगे। कुछ तो कुवांरा रहने दो, मैं सुहागरात में तुमसे अपनी गांड ही मरवाऊँगी, यह वादा है।
तभी वो बोला- यार, मैं तेरी गांड सुहागरात का उदघाटन सुहागरात पर ही करूंगा पर अभी कुछ नया हो।
(कह कर वो चुप हो गया और फिर)
बोला- देख, तू मेरी होने वाली बीवी है, मैं तुझसे कुछ छिपा कर नहीं करना चाहता, जो भी मैं करूँ तेरे साथ ही करूँ।
मैं उसकी बात को काटते हुये बोली- बता, तू क्या चाहता है।
तो उसने एक बार फिर टोनी और मीना की बात बताई कि टोनी तुम्हें चोदना चाहता है और मीना मुझसे चुदवाना चाहती है। खैर इतने दिनों सेक्स का खेल खेलते हुए एक बात तो समझ में आ गई कि रितेश मुझसे बहुत प्यार करता है और सिवाय मेरे वो किसी भी और लड़की को देखता नहीं है, जबकि कई लड़कियाँ उससे चुदने को तैयार हैं। फिर भी पता नहीं टोनी और मीना के लिये ये इतना परेशान क्यों हो रहा था।
मैंने उससे कहा- क्या तुम मुझे रंडी बनाना चाहते हो?
वो गुस्से से बोला- देख तू मेरी बीवी है और जब मुझे ऐतराज नहीं है तो तू क्यों चिन्ता करती है। क्या तू मेरे लिये इतना नहीं कर सकती?
उस लड़के ने लड़की को दीवार से सटा कर खड़ा कर दिया और उसकी एक टांग को पकड़ कर हवा में उठाकर उसको चोद रहा था तो रितेश ने भी मुझे उसी तरह की पोज में कर दिया और अपनी कार्यवाही शुरू कर दी। उसकी नजर भी स्क्रीन पर थी। फिर चार-पांच धक्के मारने के बाद रितेश ने मुझे डायनिंग टेबल पर बैठाया और अपना लंड मेरी चूत में डालने के बाद मुझे गोदी में उठा कर उछल कूद करने लगा। अब इस समय मैं अपनी तो कुछ नहीं कह सकती पर रितेश को खूब मजा आ रहा था। कुछ दस पन्द्रह शॉट लगाने के बाद एक बार फिर रितेश ने मुझे उसी तरह लेकर एक कुर्सी पर बैठ गया। दूसरे ही पल लगा कि रितेश एक बार फिर अपनी गर्मी को मेरे अन्दर उतार दिया। ठीक उसी समय उस लड़के ने लड़की को नीचे बैठा कर अपने लंड को उसके मुंह में लगा दिया और कुछ सफेद सा उसके मुंह में डालने लगा जिसको लड़की ने पूरा गटक लिया और फिर मुंह से लड़के का लंड चाट कर उसकी मलाई को साफ कर दिया।
ऐसा देख कर मैंने रितेश से पूछा- तुम अपनी मलाई मेरे अन्दर क्यों डाल देते हो?
वो बोला- मुझे अच्छा लगता है।
तीन चार घंटे बीत चुके थे तो मैंने रितेश को चूम कर बाय किया और अपने घर चली आई। इसके बाद जब भी मौका मिलता तो मैं और रितेश अपनी जिस्म की आग को बुझाते और नई स्टाईल से मजा लेती। और अब तो मुझे भी गाली देने की आदत सी हो गई थी।
एक दिन मुझे उल्टी सी महसूस हुई और उसके बाद लगातार होने लगी और मन खट्टा होने लगा तो मेरी मम्मी मुझे डॉक्टर के यहां ले गई। डॉक्टर ने चेक अप करने के बाद मुझे बताया कि मेरे पेट में बच्चा है, तो मेरे पैरो के नीचे से जमीन खिसक गई। डॉक्टर जाकर मेरी मम्मी को बताने वाली थी लेकिन मेरे रिक्वेस्ट करने पर न बताने को बोली और जल्दी ही ऑर्बशन कराने के लिये बोली। मुझे एक लम्बा चौड़ा सा लेक्चर पिला दिया। लेकिन एक बात डॉक्टर ने बताई कि खूब खुल कर मजा लो लेकिन अगर बच्चा नहीं चाहती हो तो कुछ प्रिकॉशन लो और कोशिश करो कि लड़के का पानी तुम्हारे अन्दर न जाये। मेरे लिये अब चिन्ता की बात यह थी कि इस बात को कैसे छुपाया जाये। तो डॉक्टर से छुटने के बाद मैं सीधा रितेश से मिली और जो जो डॉक्टर ने बताया सब बात रितेश को बता दी। किसी तरह घर से बहाना बना कर ऑबोर्शन कराने पहुँची। इस समय रितेश ने मेरा खूब साथ दिया और जैसे-जैसे डॉक्टर ने कहा उस तरह मेरा ध्यान रखा। धीरे-धीरे दोनों लोगों का एक-दूसरे के यहां आना जाना शुरू हो चुका था। रितेश मेरे परिवार एक एक-एक सदस्य से मिल चुका था और मैं रितेश के परिवार के एक-एक सदस्य से मिल चुकी थी। हलाँकि रितेश के परिवार में ज्यादा लोग नहीं थे, उसके एक जीजा, जो काफी हैण्डसम थे और सिक्युरिटी में थे, उसकी मम्मी थी, पापा थे जो 55 की उम्र में भी काफी हट्टे कट्टे जवान को मात करते थे और दो छोटे भाई थे दोनों ही अब तक बालिग हो चुके थे। हम दोनों के परिवार को हम दोनों के रिश्ते को मंजूरी भी मिल चुकी थी पर शर्त इतनी थी कि अच्छी सी जॉब मिलने के बाद हम दोनों की शादी कर दी जायेगी। लेकिन किसी को यह नहीं मालूम था कि हम दोनों जिस्म की आग को बुझा रहे हैं।
खैर आओ फिर से कहानी पर लौटते हैं। अब वो कहानी यहां से शुरू होती है जब एक-एक करके कई लंड मेरी चूत में जा चले गये। शुरू शुरू में मेरी चूत में जो भी लंड गया, उसमें रितेश भी शामिल था पर बाद में लंड मिलते गये और मैं लेती गई।
इसी क्रम में एक दिन रितेश मेरे पास आया और बटरिंग करने लगा तो मैंने बोल दिया- यार तेरे को जब भी मेरी चूत चाहिये होती है तो मैं तो तैयार ही हूँ ना फिर मेरी बटरिंग करने का क्या फायदा?
'आज कुछ नया करना है।'
मुझे लगा वो मेरी गांड मारने की बात कर रहा है तो मैं बोली- यार, एक चीज तो सुहागरात के लिये छोड़ दो, नहीं तो सुहागरात में क्या करोगे। कुछ तो कुवांरा रहने दो, मैं सुहागरात में तुमसे अपनी गांड ही मरवाऊँगी, यह वादा है।
तभी वो बोला- यार, मैं तेरी गांड सुहागरात का उदघाटन सुहागरात पर ही करूंगा पर अभी कुछ नया हो।
(कह कर वो चुप हो गया और फिर)
बोला- देख, तू मेरी होने वाली बीवी है, मैं तुझसे कुछ छिपा कर नहीं करना चाहता, जो भी मैं करूँ तेरे साथ ही करूँ।
मैं उसकी बात को काटते हुये बोली- बता, तू क्या चाहता है।
तो उसने एक बार फिर टोनी और मीना की बात बताई कि टोनी तुम्हें चोदना चाहता है और मीना मुझसे चुदवाना चाहती है। खैर इतने दिनों सेक्स का खेल खेलते हुए एक बात तो समझ में आ गई कि रितेश मुझसे बहुत प्यार करता है और सिवाय मेरे वो किसी भी और लड़की को देखता नहीं है, जबकि कई लड़कियाँ उससे चुदने को तैयार हैं। फिर भी पता नहीं टोनी और मीना के लिये ये इतना परेशान क्यों हो रहा था।
मैंने उससे कहा- क्या तुम मुझे रंडी बनाना चाहते हो?
वो गुस्से से बोला- देख तू मेरी बीवी है और जब मुझे ऐतराज नहीं है तो तू क्यों चिन्ता करती है। क्या तू मेरे लिये इतना नहीं कर सकती?