Thread Rating:
  • 0 Vote(s) - 0 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Misc. Erotica हमारा छोटा सा परिवार(hamara chotasa pariwar)
#6
नीलम भाभी की वासना भरी आवाज़ ने मेरे मस्तिष्क को कामंगना से भर दिया. मेरा पूरा शरीर में एक अजीब किस्म की एंठन होने लगी. मेरी सांस मानो रुक गयी. में भैया के लंड को भाभी की चूत के अंदर जाते हुए देखने के लिए कुछ भी कर सकती थी.
मेरा सारा ध्यान अंदर के दृश्य पर था. मुझे पता भी नहीं चला कि एक बहुत लम्बा चौड़ा पुरुष मेरे पीछे काफी देर से खड़ा था. अचानक उसने मुझे अपनी मज़बूत बाज़ू में जकड़ लिया और दुसरे हाथ से मेरा मूंह बंद कर दिया. मेरा सर उसके सीने तक भी मुश्किल से पहुच रहा था.
"श..श..श...चुप रहो," उसकी धीमे भरी आवाज़ मुझे बिलकुल भी पहचान नहीं आई.
मैं काफी डर गयी. पर नानाजी के घर के किसी भी नौकर की घर की स्त्रियों के साथ इस तरह व्यवहार करने की हिम्मत नहीं थी. उसने मुझे या तो कोई नौकरानी अन्यथा किसी नौकर की बेटी या बहिन समझा होगा.
उस अजनबी पुरुष का एक हाथ मेरे दोनों उरोज़ों पर था. उसके हाथ के दवाब ने मेरे चूचियों को और भी संवेदनशील बना दिया. मेरा बदन अब बुरी तरह से कामान्गनी में जल रहा था. मेरी उत्तेजना और भी बड़ गयी और मेरी वासना ने मेरे डर और दिमाग पर काबू पा लिया. मेरा सिर अपने आप उस वृहत्काय आदमी की मज़बूत सीने से लग गया. मेरे शरीर की प्रतिक्रिया ने उस आदमी की, यदि कोई भी झिझक बची हुई थी तो वो भी दूर कर दी.
उसने मेरे मूंह से अपना हाथ हटा लिया. उसने दोनों हाथों से मेरे दोनों उरोज़ों कमीज़ के ऊपर से ही सहलाना शुरू कर दिया. मेरी सांसों में तूफ़ान आ गया. मेरी गले में सिसकारियां भर गयीं जो मैंने बड़ी मुश्किल से दबा दीं. उसके हाथों ने मेरे निप्पल को बहुत संवेदनशील और सख्त बना दिया. मैं और पीछे होकर अपने शरीर को उसके विशाल काया से चिपका दिया. हम दोनों की निगाहें अंदर कमरे में भैया-भाभी के बीच हो रहे सहवास पर एकटक लगी हुईं थीं.
मेरे भैया ने अपनी मज़बूत बाँहों में नीलम भाभी को ऊठा कर बड़े प्यार से बिस्तर पर लिटा दिया था. नीलम भाभी ने अपने दोनों गुदाज़ मांसल जांघें मोड़ कर पूरी चौड़ा दीं. उनकी रेशमी घने घुंगराले काले बालों से ढकी गीली चूत मेरे भैया को मानों अमिन्त्रित कर रही थी,"मनू, अब मुझसे और नहीं बर्दाश्त होता. मेरे पिताजी के िज़द की वजह से मेरा कौमार्य तुम्हरे लंड से इतने अरसे से दूर रहा.अब तुम अपने घोड़े जैसे लंड से मारी चूत का कुंवारापन मिटा दो."
भैया जल्दी से मेरी भाभी की खुली टांगों के बीच में बैठ गए. भाभी के गले से एक हल्की चीख निकल गयी. भैया ने अपना लंड भाभी के चूत में डालना शुरू कर दिया था. भैया ने अपना विशाल महाकाय शरीर से भाभी की मांसल कोमल काया को ढक दिया. भैया के बलवान हृष्ट-पुष्ट नितम्ब ने मेरी किशोरी वासना को और भी उत्तेजित कर दिया.
भैया के नितम्बो की मांसपेशिया थोड़ी संकुचित होई और भैया ने बड़े ज़ोर से अपने कूल्हों को नीचे धक्का दिया. कमरे की दीवारें नीलम भाभी की दर्द भरी चीख से गूँज ऊंथी. मेरी सांस रुक गयी. मेरी चूत अपने आप संकुचित हो गयी. भाभी की चीख ने मुझे उनकी चूत पर भैया के लंड के प्रभाव का अन्दाज़ा दे दिया था.
अजनबी आदमी ने मेरा एक बड़ा कोमल स्तन अपने बड़े हाथ में जितना भर सकता था भर कर दुसरे हाथ की उँगलियों से मेरी भगशिश्निका [क्लाइटॉरिस] को सहलाने लगा. यदि मेरे सामने भैया-भाभी की चुदाई नहीं होती तो मेरे आँखें उन्मत्तता की मदहोशी से बंद हो गयीं होतीं.
भैया ने, मुझे लगा, बड़ी बेदर्दी से नीलम भाभी के चीखों को नज़रअंदाज़ कर के अपने ताकतवर नितम्बों की मदद से अपना लंड भाभी की चूत में घुसाते रहे. अब भाभी के रोने की आवाज़ भी उनकी चीखों के साथ मिल गयी,"आँ.. आँ ..आह..मनू..ऊ...ऊ...मेरी चूत फट गयी. अपना लंड बहर निकाल लो प्लीज़," नीलम भाभी सिस्कारियां मेरे दिल में सुइओं की तरह चुभ रहीं थीं. मेरा मन अंदर जा कर नीलम भाभी को सान्तवना देने के लए उत्सुक हो रहा था. उसी वक़्त मेरे भग-शिश्न पर उस आदमी की उँगलियों ने मेरी मादकता को और परवान चड़ा दिया.
मनू भैया ने या तो भाभी का रोना और चीखें नहीं सुनी अथवा उनकी बिलकुल उपेक्षा कर दी.
भैया के गले से एक गुरगुराहट के आवाज़ निकली और उनकी कमर की मांसपेशियां और भी स्पष्ट हो गयी कि वो अपनी विशाल शरीर की ताकत से भाभी की चूत में अपना लंड डालने का प्रयास कर रहे थे.
भैया ने अपना लंड थोडा बहर निकला और कुछ देर रुक कर, बिलखती हुई नीलम भाभी की चूत में निर्दर्दी के साथ अपना लंड पूरा जड़ तक धकेल दिया. नीलम भाभी की चीख से लगा जैसे भैया के लंड ने उनकी चूत फाड़ दी हो.
"आं...आँ...आँ...मई मर गयी....ई..ई...ई. मेरी चूत फट गयी मनू..ऊ..ऊ.बहुत दर्द कर रहे हो.मेरी चूत तुम्हारा लंड नहीं ले सकती. प्लीज़ निकल लो बाहर. हाय माँ मुझे बचा लो." नीलम भाभी की दिल से निकली दर्दभरी पुकार सुन कर भी मेरी काम-वासना में कोई कमी नहीं आई. मेरी चूत में अब आग लगी होई थी. उस वक़्त यदी मुझे कोई मौका देता तो मैं एक क्षण में नीलू भाभी से स्थान बदल लेती.
मेरे अजनबी प्रेमी ने मेरे भगांकुर [क्लित] को तेज़ी से रगड़ना शुरू कर दिया. मेरी सांस अब अनियमित हो गयी थी. उसका हाथ मेरी बड़े कोमल उरोंज़ को मसल रहा था और उसकी उंगलियाँ मेरे चूचुक को मरोड़ रही थीं. मुझे अब लगाने लगा कि, किसी दुसरे के स्पर्श से, मेरा पहला रति-निष्पत् होने वाला था.
मैं धीरे से फुफुसाई,"आह..आह..और मैं आने वाली हूँ. प्लीज़ मुझे झाड़ दो."
उस आदमी ने मेरे सिर पर चुम्बन किया और उसकी उँगलियों ने मेरे भंगाकुर को तेज़ी से सहलाना शुरू कर दिया. मेरी चूत और चूची, दोनों में एक अजीब सी जलन हो रही थी. उस जलन को बुझाने की दवा उस आदमी के हाथों में थी. कुछ क्षणों में ही मेरा शरीर अकड़ गया. मेरी सांस मुश्किल से चल रही थी. मेरे चूत के बहुत अंदर एक विचित्र सा दर्द जल्दी ही बहुत तीव्र हो गया. मेरे अजनबी प्रेमी ने मुझे अपने शरीर से भींच लिया. मेरी चूत झड़ने लगी और मेरे बदन में बिजली सी दौड़ गयी. मुझे काफी देर तक कोई होश नहीं रहा. मुझे काफी देर में अपनी अवस्था का अहसास हुआ. मैंने अपना शरीर पूरा ढीला अपने अपरिचित प्रेमी के शरीर पर छोड़ दिया.
Like Reply


Messages In This Thread
RE: हमारा छोटा सा परिवार(hamara chotasa pariwar) - by kick789 - 25-03-2019, 02:41 PM



Users browsing this thread: 1 Guest(s)