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गाँव की डॉक्टर साहिबा ( पुरी कहनी )
#77
अब रिक्शा हवेली की और बढ़ रहा था. काव्या सुलेमान से काफी दूरी बना कर बैठी थी. इधर सुलेमान भी जानता था कि दस मिनट में हवेली आ जायेगी. इसलिये उसने अपना खेल खेलना शुरू कर दिया. अब वह पहले की तरह काव्या से चिपकने की कोशिश नहीं कर रहा था. सुलेमान रिक्शा के एक कोने में चुपचाप बैठा हुआ काव्या को देख कर रोने की कोशिश करता है और अजीब से मुह बनाता है. काव्या अब समझ गयी थी कि सुलेमान कुछ कहना चाहता है पर बोल नहीं पा रहा...

काव्या - सुलेमान जी क्या आपकी हेल्थ कुछ अच्छी नहीं लग रही. आपको कुछ हुआ है क्या आपकी पत्नी ठीक तो है क्या नाम है अपनी वाइफ का यानी पत्नी का.

सुलेमान - ( मगरमच्छ के आसु निकालते हुए ) सलमा नाम है मैडम ! का बताये आपको कल वो अपने मायके जा रही है शायद हमेशा के लिये.

काव्या - क्यों ऐसा क्या हुआ.......?

सुलेमान - मैडम उसको लगता है कि मैं उसकी बीमारी का इलाज नहीं करवा सकता. क्योंकि मैं गरीब हू हमको कोण देखेगा कोण डॉक्टर इलाज करेगा.

काव्या - अरे इतनी सी बात आप को मैंने बोला तो था कि मैं अपनी पत्नी का इलाज कर दूंगी तो फिर इतना बड़ा फैसला क्यों ले रही है सलमा. देख लीजिये आप मैं तो तैयार हु.

सुलेमान - क्या मैडम जी सही मै. मुझको तो यकीन नहीं हो रहा आप करेगी ईलाज वो भी मुफ्त में.

काव्या - हाँ आपको यह बात मैंने कल भी बोली थी और आज भी बोल रही हूँ.

तभी सुलेमान सत्तू को बोलता है अबे ओये सत्तू सुना नहीं क्या तूने मैडम ने क्या बोला वो मेरी बेगम का इलाज करने को तैयार है तू चल ऑटो अपनी झोपड़ी की तरफ गुमा ले. चल जल्दी कर

यह सुनते ही काव्या को तो जैसे कोई शौक लग गया हो.

काव्या - नहीं नहीं सुलेमान जी मेरे कहने का मतलब यह नहीं था कि मैं अभी के अभी ही आपकी पत्नी का इलाज करुँगी. अभी तो मुझको घर पहुंचना है जल्दी से जल्दी.

सुलेमान - मैडम नहीं आपको अभी ही चलना होगा मेरे साथ वरना कल तक तो मेरी बेगम जोरु निकल जायेगी.

काव्या - सुलेमान जी आप समझ क्यों नहीं रहे है कि मुझको अभी हवेली पहुंचना पड़ेगा. मेरी दादी ने मुझको एक निश्चित समय दिया हुआ है उस पर अगर मैं नहीं पहुंची तो समस्या खड़ी हो सकती है. दादी रणधीर अंकल को बोल सकती है.

रणधीर का नाम सुनते ही सुलेमान और सत्तू का मुह उतर जाता है. सुलेमान की तो सारी गर्मी ही निकल जाती है.

अब सुलेमान थोड़ा ज्यादा रोने का नाटक करता हुआ काव्या के थोड़ा पास जाकर उसका एक हाथ पकड़ लेता है. यह देख काव्या को बहुत अजीब लगता है पर वो एक डॉक्टर भी थी इसलिये उसने इसका विरोध नहीं किया.

सुलेमान - मैडम अगर आज आप नहीं आयेगी तो कल सुबह तक तो मेरी जोरु उसके मायके हमेशा के लिये चली जायेगी.

अब सुलेमान काव्या के बिना आस्तीन वाले ब्लाउज पर अपने काले हाथ को फेरता हुआ एक अलग सी आवाज में बोला आप समझ रही है मैं क्या बोल रहा हू.

अब तो जैसे काव्या के शरीर के सारे रोंगटे खड़े हो जाते है सुलेमान के ऐसा करते हुए. काव्या के पूरे शरीर में आग सी दोड़ जाती है यह आग क्या थी वो उसको नहीं मालूम पर अब काव्या खुद को शांत करती है और सुलेमान को अपने पास से थोड़ा अलग करती है और एक दम कोने में चली जाती है.

काव्या - देखो सुलेमान जी आप एक काम करो अपनी पत्नी को आप शाम को हवेली ले आओ. मैं वहां उसका ईलाज कर लुंगी.

सुलेमान - नहीं मैडम जी हमरा और गाँव के किसी भी आदमी का हवेली में आना मना है. और मेरी बेगम इतनी समस्या में कहीं बाहर जा भी नहीं सकती. आप ही को घर आना पड़ेगा.

काव्या अब सुलेमान की चिकनी छुपाती बातों को कुछ कुछ समझ रही थी पहले सलमा का उसके मायके जाना कल के कल. और आज कहीं घर से बाहर निकलने जैसी स्थिति भी नहीं होना. अब काव्या को लगता है जरूर कुछ ना कुछ गडबड है. सुलेमान जी कुछ छुपा रहे है शायद. पर काव्या एक डॉक्टर है उसको हमेशा खुद से ज्यादा अपने पेशेंट यानी मरीजों की चिन्ता रहती है इसलिये अब काव्या किसी भी बात का विरोध नहीं कर रही थी.

काव्या - सुलेमान जी अब आप ही देख लीजिये मैं क्या कर सकती हूं आपके लिये. आप ही कोई तरीका बता दीजिये.

अब सुलेमान तो जैसे किसी पागल की तरह खुश हो जाता है उसको लगता है कि उसने काव्या को अपनी बातों में रख लिया. अब सुलेमान काव्या के सामने एक प्रस्ताव रखता है पर इस बार वह पहले से भी ज्यादा काव्या के पास जाकर उसके गोरे और कोमल हाथो को कस के पकड़ कर बोलता है

सुलेमान - मैडम मेरे पास एक तरीका है मेरी समस्या का अगर आप बुरा नहीं माने और ना नहीं बोले तो आपको बताउ...?

काव्या को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि सुलेमान बार बार उसका हाथ क्यों पकड़ रहा. इस बार तो कुछ ज्यादा ही जोर से पकड़ कर रखा था. इसलिए काव्या ने जल्दी से बोला हा बताओ में बुरा नहीं मानूगी. आप बोलो.

अब सुलेमान गंदी हसी निकालते हुए बोलता है

सुलेमान - मैडम एक तरीका है आप क्यों ना आज रात को मेरी खोली में आ जाओ मेरी बेगम को देखने और इलाज करने के वास्ते.....

सुलेमान के पजामे में टेंट बनता देख और उसकी रात में आने वाली बात सुनते अब काव्या की गर्मी और बढ़ जाती है उसको अब अपनी चुत मैं कुछ पानी जैसा महसूस हो रहा था. और साथ ही सुलेमान के काले हाथो को अपने गोरे कलाई और भुजा पर घूमते देख कर तो हालत अब बिगड़ रही थी. उसको आज तक किसी पराये या दूसरे मर्द ने ऐसे नहीं सहलाया था. पर अब काव्या खुद को होश में लाती है ईन सब वाक्यों के बीच कहीं ना कहीं अब काव्या को भी हल्का हल्का मजा आ रहा था. पर साथ ही काव्या को गिल्टी भी फिल् हो रहा था.

पर अब काव्या यह सब छोड़ सुलेमान की बात का जवाब देती है

काव्या - क्या सुलेमान जी आप क्या बोल रहे हो यह असंभव है मैं रात को नहीं आ सकती. दादी जी नहीं मानेगी और वेसे भी मुझको रात को हवेली छोड़ने की इजाजत नहीं मिलेगी. मुझको रात को नहीं आना.

सुलेमान - मैडम जी सिर्फ मेरी बेगम के वास्ते आधे घण्टे के लिये आप आ जाओ. ये सत्तू आपको लेने आ जायेगा और छोड़ भी देगा.

काव्या - सुलेमान जी आप समझ नहीं रहे है मुझको रात को कहीं भी जाने की इजाजत नहीं मिलेगी दादी से. मैं नहीं आ सकती. प्लीज समझिये.

सुलेमान - फिर तो एक ही तरीका है कि मै सलमा को हमेशा के लिये जाने दु. और मेरा घर परिवार उजड़ जाये. आप को तो काफी खुशी मिलेगी यह देख कर. मुझको सब पता है आप अमीर घर की हो कहा मेरे जैसे गरीब की झोपड़ी मैं आएगी. वो भी एक गैर धर्मी के यहा.

काव्या - देखो सुलेमान जी आप जो बोल रहे है वैसी कोई बात नहीं है मैं आपकी सिर्फ मदद ही करना चाहती हूं. पर मैं मजबूर हू आपको समझना पड़ेगा.

सुलेमान अब थोड़ा गुस्से में आता है अपना खेल बिगाड़ते देख कर. और थोड़ी तेज आवाज में बोलता है क्या मजबूरी है आपकी आप आधा घंटा नहीं निकाल सकती मेरे लिये..... मैं पराया हू क्या......?

सुलेमान - आप एक काम करो अगर आप सही में मेरी मदद करना चाहती हो तो आप रात को 9 बजे जब सब सो जाएंगे तब आप आपकी हवेली के पीछे वाले गेट से बाहर आ जाना किसी को भी बिना बताये. मैं सत्तू के साथ रिक्शा ले कर खड़ा रहूँगा. आप जल्दी से मेरी बेगम को देख लेना इलाज कर देना और मैं आपको वापस छोड़ दूँगा हवेली में. किसी को भी नहीं पता चलेगा और आपकी दादी भी कुछ नहीं बोलेगी.

काव्या को अब बहुत कुछ समझ में आ रहा था कि सुलेमान आज ही इतना जोर क्यों दे रहा है. पर हो सकता है सुलेमान जी सच भी बोल रहे हो. और यह तरीका भी सही है किसी को पता भी नहीं चलेगा और मुझको सुलेमान जी से छुटकारा भी मिल जायेगा. साथ ही सलमा का इलाज भी हो जायेगा.

अब काव्या काफी कुछ सोच कर और एक डर के साथ सुलेमान को हाँ बोल देती है पर एक शर्त के साथ की सुलेमान इसके बारे में किसी को नहीं बतायेगा. सुलेमान भी हाँ बोल देता है. फिर हवेली आ जाती है और काव्या तुरंत ही रिक्शा से उतर कर सत्तू को कुछ रुपये दे कर हवेली में चली जाती है.

अब सुलेमान और सत्तू काव्या को हवेली जाने देख पीछे से देखते है और काव्या की गांड को देख कर सत्तू अपने लण्ड में हाथ डालकर हिलाने लगता है और बोलता है वाह सुलेमान भाईजान मान गए आपको क्या फंसाया है आपने इस डॉक्टरीया को.

सुलेमान - देख मादरचोद मेरी किस्मत कैसे चमकने वाला है तू देखता जा बस. पहले तू यहा से निकल कोई देख लेगा तो सब गडबड हो जायेगा.

और दोनों कलूटै वहां से निकल जाते है.
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RE: गाँव की डॉक्टर साहिबा ( पुरी कहनी ) - by THANOS RAJA - 27-01-2021, 12:17 PM



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