25-01-2021, 07:45 PM
देवर भाभी की होली
देवर भाभी की होली में हरदम जीत भाभी की होती है , ... मर्द के शरीर के एक एक हिस्से की हालचाल का अंदाजा भाभियों को रहता है और देवर तो बस भीगी चोली में झलकते जोबन को देखकर ललचाते ही रहते हैं
और भाभी थोड़ी दिलदार हुयी तो चोली के अंदर हाथ डाल लिया ,
मैंने सीधे ' वहीँ ' और मुट्ठी में पकड़ लिया , हाथ तो मेरे खाली थे ही , खूंटा इतने जोर से मेरे पिछवाड़े गाड़ रहा था वो , उसकी मोटाई लम्बाई और कहाँ है सब अंदाजा था मुझे पर मंटू को अंदाजा नहीं था की मैं ये भी कर सकती हूँ ,
और चौंक कर वो एकदम पीछे , ... पर मैं छोड़ने वाली नहीं थी , साथ साथ मैंने गुदगुदी भी लगानी शुरू की , बस वो छुड़ाने के लिए पीछे हटा ,
बचा बंटू ,
तो उसके खुले पैरों पर मैंने एक पैर को मोड़ कर पीछे क्र सुरसुरी करने लगी , बस वो भी , ...
और मैंने जोर का झटका आगे की और दिया , देवर तो दोनों दूर हो गए पर मेरे स्लीवलेस बैकलेस चोली की रही सही एक बटन भी खेत रही ,
पर मुझे कुछ फरक नहीं पड़ रहा था ,
चोली एकदम खुली थी पर देह से अलग नहीं हुयी थी देह में अटकी थीं हाँ रंगे पुते उभार अब एकदम साफ़ साफ दिख रहे थे
आंगन के एक कोने में खड़ी मैं बस हंस रही थी , खिलखिला रही थी
भांग के नशे का यही असर होता है , जो करो करते रहे बस उसी में मजा आता है ,
डेढ़ डबल भांग वाली गुझिया तो कम्मो ने और डेढ़ इन मेरे देवरों ने , ऊपर से पलट कर जबरन वो जो जबरदस्त भांग वाली ठंडाई मैंने बनायी थी , देवरों ने आधी से ज्यादा मुझे ही पिला दी थी , अच्छी तरह से मेरे ऊपर भांग चढ़ गयी थी ,
लेकिन थोड़ी बहुत तो मैंने इन दोनों के मुंह में भांग वाली गुझिया ठेली ही थी , ...
और वो दोनों भी आंगन के दुसरे कोने में खड़े होकर हंस रहे थे , जोर जोर से खिलखिला रहे थे ,
एकदम मेरी तरह ,
मैंने मंटू को चिढ़ाना शुरू किया , ... और वो दोनों भी मेरी पूरी खुली चोली से झांकते रंगे पुते उभारों की और इशारा कर के चिढ़ा रहे थे
भाभी देखिये , जिस पर लाल रंग लगा है वो बंटू का और जिसपर बैंगनी है वो मेरा , ... एकदम बाँट कर ,...
लेकिन मैं रीतू भाभी की ननद , अब उन्ही की लेवल पर आ गयी
" क्या लाल , बैगनी कर रहे हो , ...मैं सही कह रही थी , सफ़ेद रंग तो सब गाढ़ा वाला अपनी बहिनों के साथ खर्च कर के चले आये , एक बूँद भी मेरी नंदों ने नहीं छोड़ा न , ... सब छिनारों ने निचोड़ लिया ,... "
जवाब मंटू ने कोई रंग निकाल के अपनी हथेली पर लगाकर , ...लेकिन सूखा रंग बिना पानी के कैसे ,... मुझे और चिढ़ाने का बहाना मिल गया , ...
" अरे तुम लोगों की बहनों ने कुछ सिखाया नहीं , सूखे रगड़ रहे हो ,... थोड़ा तो गीला कर लो , ... कुछ नहीं हो तो तुम्हारे ही ' बम्बे ' से रगड़ रगड़ के मैं पानी निकाल दूँ , ..अरे नल लगा तो है ,... " मैंने आँगन के कोने में लगे एक नल की ओर इशारा किया।
वो उधर झुका हुआ था और मुझे मौका मिल गया ,
मैंने अपने कोंछे में से पुड़िया निकाली , सबसे तेज रंग , कड़ाही के पेंदे की कालिख और साथ में उसी पुड़िया में एक छोटी सी शीशी में से कडुआ तेल , अब ये कालिख होली तक तो छूटने वाली नहीं थी ,
बस दोनों हाथों में कालिख अच्छी तरह रगड़ के , ... मैं सीधे मंटू के पीछे , और जब तक वो सम्हले सम्हले सीधे उसके दोनों चिक्कन गाल मेरे हाथों के बीच ,
और साथ में वार्निंग , "
" हे आँख मत खोलना , अगर आँख में चला गया न तो जल्दी निकलेगा नहीं , और बहुत जोर से लगेगा मिर्चे से भी तेज , ... आँख बंद ,... "
और मेरे दोनों हाथ पहले आँख के ऊपर से ही
बस पहली पारी मेरे हाथ में ,
मारे घबड़ाहट के उसने कस के आँखे बंद की और दोनों हाथों से मेरे हाथ छुड़ाने की कोशिश की ,
बस मैं यही चाहती थी , मेरे ब्लाउज के सारे बटन तोड़े थे न इन दोनों ने , अब बताती हूँ , ...
वो एक स्लीवलेस टी शर्ट बिना बांह की बनियाइन की तरह पहन के आया था , बस मैंने दोनों हाथों से एक झटके से उसे पकड़ के ,...
और वो आँगन दूसरे कोने में , देवर पूरा टॉपलेस ,
अब मेरे दोनों हाथ सीधे उसके सीने पर , मेल टिट्स पर ,
और साथ साथ मैंने अपनी दोनों टाँगे उसकी टांगों के बीच में घुसा के फंसा दी , अब न वो पीछे मुड़ सकता था न छूट सकता था , दोनों हाथों से कस के मैंने उसे जकड़ रखा ही था
हाँ उस का चेहरा छूट गया था पर मैंने कस के बोला ,
" हे आंख मत खोलना पांच मिनट तक , मिरचाहवा रंग है आँख में अगर चला गया ,... "
उस के टिट्स जम के रगड़ते मैंने चिढ़ाया ,
" हे तुम दोनों मिल के मुझे टॉपलेस कर रहे थे न , सिर्फ खोल लेने से थोड़ी होता है , ऐसे करते हैं टॉपलेस जैसे मैंने अभी तुझे किया है और कहो तो इसे भी खिंच के अलग कर दूँ , ... "
देवर भाभी की होली में हरदम जीत भाभी की होती है , ... मर्द के शरीर के एक एक हिस्से की हालचाल का अंदाजा भाभियों को रहता है और देवर तो बस भीगी चोली में झलकते जोबन को देखकर ललचाते ही रहते हैं
और भाभी थोड़ी दिलदार हुयी तो चोली के अंदर हाथ डाल लिया ,
मैंने सीधे ' वहीँ ' और मुट्ठी में पकड़ लिया , हाथ तो मेरे खाली थे ही , खूंटा इतने जोर से मेरे पिछवाड़े गाड़ रहा था वो , उसकी मोटाई लम्बाई और कहाँ है सब अंदाजा था मुझे पर मंटू को अंदाजा नहीं था की मैं ये भी कर सकती हूँ ,
और चौंक कर वो एकदम पीछे , ... पर मैं छोड़ने वाली नहीं थी , साथ साथ मैंने गुदगुदी भी लगानी शुरू की , बस वो छुड़ाने के लिए पीछे हटा ,
बचा बंटू ,
तो उसके खुले पैरों पर मैंने एक पैर को मोड़ कर पीछे क्र सुरसुरी करने लगी , बस वो भी , ...
और मैंने जोर का झटका आगे की और दिया , देवर तो दोनों दूर हो गए पर मेरे स्लीवलेस बैकलेस चोली की रही सही एक बटन भी खेत रही ,
पर मुझे कुछ फरक नहीं पड़ रहा था ,
चोली एकदम खुली थी पर देह से अलग नहीं हुयी थी देह में अटकी थीं हाँ रंगे पुते उभार अब एकदम साफ़ साफ दिख रहे थे
आंगन के एक कोने में खड़ी मैं बस हंस रही थी , खिलखिला रही थी
भांग के नशे का यही असर होता है , जो करो करते रहे बस उसी में मजा आता है ,
डेढ़ डबल भांग वाली गुझिया तो कम्मो ने और डेढ़ इन मेरे देवरों ने , ऊपर से पलट कर जबरन वो जो जबरदस्त भांग वाली ठंडाई मैंने बनायी थी , देवरों ने आधी से ज्यादा मुझे ही पिला दी थी , अच्छी तरह से मेरे ऊपर भांग चढ़ गयी थी ,
लेकिन थोड़ी बहुत तो मैंने इन दोनों के मुंह में भांग वाली गुझिया ठेली ही थी , ...
और वो दोनों भी आंगन के दुसरे कोने में खड़े होकर हंस रहे थे , जोर जोर से खिलखिला रहे थे ,
एकदम मेरी तरह ,
मैंने मंटू को चिढ़ाना शुरू किया , ... और वो दोनों भी मेरी पूरी खुली चोली से झांकते रंगे पुते उभारों की और इशारा कर के चिढ़ा रहे थे
भाभी देखिये , जिस पर लाल रंग लगा है वो बंटू का और जिसपर बैंगनी है वो मेरा , ... एकदम बाँट कर ,...
लेकिन मैं रीतू भाभी की ननद , अब उन्ही की लेवल पर आ गयी
" क्या लाल , बैगनी कर रहे हो , ...मैं सही कह रही थी , सफ़ेद रंग तो सब गाढ़ा वाला अपनी बहिनों के साथ खर्च कर के चले आये , एक बूँद भी मेरी नंदों ने नहीं छोड़ा न , ... सब छिनारों ने निचोड़ लिया ,... "
जवाब मंटू ने कोई रंग निकाल के अपनी हथेली पर लगाकर , ...लेकिन सूखा रंग बिना पानी के कैसे ,... मुझे और चिढ़ाने का बहाना मिल गया , ...
" अरे तुम लोगों की बहनों ने कुछ सिखाया नहीं , सूखे रगड़ रहे हो ,... थोड़ा तो गीला कर लो , ... कुछ नहीं हो तो तुम्हारे ही ' बम्बे ' से रगड़ रगड़ के मैं पानी निकाल दूँ , ..अरे नल लगा तो है ,... " मैंने आँगन के कोने में लगे एक नल की ओर इशारा किया।
वो उधर झुका हुआ था और मुझे मौका मिल गया ,
मैंने अपने कोंछे में से पुड़िया निकाली , सबसे तेज रंग , कड़ाही के पेंदे की कालिख और साथ में उसी पुड़िया में एक छोटी सी शीशी में से कडुआ तेल , अब ये कालिख होली तक तो छूटने वाली नहीं थी ,
बस दोनों हाथों में कालिख अच्छी तरह रगड़ के , ... मैं सीधे मंटू के पीछे , और जब तक वो सम्हले सम्हले सीधे उसके दोनों चिक्कन गाल मेरे हाथों के बीच ,
और साथ में वार्निंग , "
" हे आँख मत खोलना , अगर आँख में चला गया न तो जल्दी निकलेगा नहीं , और बहुत जोर से लगेगा मिर्चे से भी तेज , ... आँख बंद ,... "
और मेरे दोनों हाथ पहले आँख के ऊपर से ही
बस पहली पारी मेरे हाथ में ,
मारे घबड़ाहट के उसने कस के आँखे बंद की और दोनों हाथों से मेरे हाथ छुड़ाने की कोशिश की ,
बस मैं यही चाहती थी , मेरे ब्लाउज के सारे बटन तोड़े थे न इन दोनों ने , अब बताती हूँ , ...
वो एक स्लीवलेस टी शर्ट बिना बांह की बनियाइन की तरह पहन के आया था , बस मैंने दोनों हाथों से एक झटके से उसे पकड़ के ,...
और वो आँगन दूसरे कोने में , देवर पूरा टॉपलेस ,
अब मेरे दोनों हाथ सीधे उसके सीने पर , मेल टिट्स पर ,
और साथ साथ मैंने अपनी दोनों टाँगे उसकी टांगों के बीच में घुसा के फंसा दी , अब न वो पीछे मुड़ सकता था न छूट सकता था , दोनों हाथों से कस के मैंने उसे जकड़ रखा ही था
हाँ उस का चेहरा छूट गया था पर मैंने कस के बोला ,
" हे आंख मत खोलना पांच मिनट तक , मिरचाहवा रंग है आँख में अगर चला गया ,... "
उस के टिट्स जम के रगड़ते मैंने चिढ़ाया ,
" हे तुम दोनों मिल के मुझे टॉपलेस कर रहे थे न , सिर्फ खोल लेने से थोड़ी होता है , ऐसे करते हैं टॉपलेस जैसे मैंने अभी तुझे किया है और कहो तो इसे भी खिंच के अलग कर दूँ , ... "