25-01-2021, 08:58 AM
आपने अब तक पढ़ा था कि पण्डित जी पूनम की जवानी को भोगने के चक्कर में उसको पूजा करवाने के लिए फंसा चुके थे. पण्डित जी पूनम की तारीफ़ करते हुए उस पर डोरे डाल रहे थे कि श्रृंगार के इतनी सुन्दर लगती हो.. तो श्रृंगार के पश्चात तो तुम बिल्कुल अप्सरा लगोगी.
अब आगे..
पण्डित- वेदों के अनुसार तुम्हारा श्रृंगार पवित्र हाथों से होना चाहिये.. अथवा तुम्हारा श्रृंगार मैं करूँगा.. इसमें तुम्हें कोई आपत्ति तो नहीं..?
पूनम- नहीं पण्डित जी..
पण्डित- पूनम.. मुझे याद नहीं रहा था.. लेकिन वेदों के अनुसार जो देवलिंग मैंने तुम्हें दिया था, उस पर पण्डित का चित्र होना चाहिये.. इसलिए इस देवलिंग पे मैं अपनी एक छोटी सी फोटो चिपका रहा हूँ.
पूनम- ठीक है पण्डित जी.
पण्डित- और हाँ.. रात को दो बार उठ कर इस देवलिंग को जय करना.. एक बार सोने से पहले.. और दूसरी बार मध्य रात्रि में.
पूनम- जी पण्डित जी..
पण्डित ने देवलिंग पर अपनी एक छोटी सी फोटो चिपका दी.. और पूनम को बांधने के लिए दे दिया.
पूनम ने पहले जैसे देवलिंग को अपनी टांगों के बीच बांध लिया..
आज की पूजा खत्म हुई और पूनम अपने कपड़े पहन के घर चली आई.. पण्डित से अपनी तारीफ़ सुन कर वो खुश थी.
सारे दिन देवलिंग पूनम की टांगों के बीच चुभता रहा.. लेकिन अब ये चुभन पूनम को अच्छी लग रही थी.
पूनम रात को सोने लेटी तो उसे याद आया कि देवलिंग को जय करना है..
उसने सलवार का नाड़ा खोल कर देवलिंग निकाला और अपने माथे से लगाया. वो देवलिंग पर पण्डित की फोटो को देखने लगी.
उसे पण्डित द्वारा की गई अपनी तारीफ़ याद आ गई.. अब उसे पण्डित अच्छा लगने लगा था.
कुछ देर तक पण्डित की फोटो को देखने के बाद उसने देवलिंग को वहीं अपनी टांगों के बीच में रख दिया और नाड़ा लगा लिया.
देवलिंग पूनम की चूत को टच कर रहा था.. पूनम ना चाहते हुए भी एक हाथ सलवार के ऊपर से ही देवलिंग पे ले गई.. और देवलिंग को अपनी चूत पे दबाने लगी. साथ साथ उसे पण्डित की तारीफ़ याद आ रही थी.
उसका दिल कर रहा था कि वो पूरा का पूरा देवलिंग अपनी चूत में डाल ले.. लेकिन इसे गलत मानते हुए और अपना मन मारते हुए उसने देवलिंग से हाथ हटा लिया.
आधी रात को उसकी आँख खुली तो उसे याद आया कि देवलिंग को जय करना है.
देवलिंग का सोचते ही पूनम को अपने हिप्स के बीच में कुछ लगा.. देवलिंग कल की तरह पूनम की हिप्स में फंसा हुआ था.
पूनम ने सलवार का नाड़ा खोला और देवलिंग बाहर निकाला.. उसने देवलिंग को जय किया. उस पर पण्डित की फोटो को देख कर दिल में कहने लगी..
ये क्या पण्डित जी.. पीछे क्या कर रहे थे..?
पूनम देवलिंग को अपनी हिप्स के बीच में ले गई और अपने गांड पे दबाने लगी. उसे मज़ा आ रहा था लेकिन डर की वजह से वो देवलिंग को गांड से हटा कर टांगों के बीच ले आई.. उसने देवलिंग को हल्का सा चूत पर रगड़ा.. फिर देवलिंग को अपने माथे पे रखा और पण्डित की फोटो को देख कर दिल में कहने लगी, ‘पण्डित जी.. क्या चाहते हो..? एक विधवा के साथ ये सब करना अच्छी बात नहीं..’
फिर उसने वापस देवलिंग को अपनी जगह बांध दिया.. और गरम चूत ही ले के सो गई.
अगले दिन..
पण्डित- पूनम.. शिव को सुन्दर स्त्रियाँ आकर्षित करती हैं अत: तुम्हें श्रृंगार करना होगा.. परन्तु वेदों के अनुसार ये श्रृंगार शुद्ध हाथों से होना चाहिये.. मैंने ऐसा पहले इसलिए नहीं कहा कि शायद तुम्हें लज्जा आये..
पूनम- पण्डित जी.. मैंने तो आपसे पहले ही कहा था कि मैं भगवान के काम में कोई लज्जा नहीं करूँगी.
पण्डित- तो मैं तुम्हारा श्रृंगार खुद अपने हाथों से करूँगा.
पूनम- जी पण्डित जी..
पण्डित- तो जाओ.. पहले दूथ से स्नान कर आओ.
पूनम दूध से नहा आई.
पण्डित ने श्रृंगार का सारा सामान तैयार कर रखा था.. लिपस्टिक, रूज़, आई-लाइनर, ग्लीमर, बॉडी आयल..
पूनम ने ब्लाउज और पेटीकोट पहना था.
पण्डित- आओ पूनम..
पण्डित और पूनम आमने सामने ज़मीन पर बैठ गए.. पण्डित पूनम के बिल्कुल पास आ गया.
पण्डित- तो पहले आँखों से शुरू करते हैं
पण्डित पूनम को आई-लाइनर लगाने लगा.
पण्डित- पूनम.. एक बात कहूँ..?
पूनम- जी कहिये पण्डित जी..
पण्डित- तुम्हारी आँखें बहुत सुन्दर हैं तुम्हारी आँखों में बहुत गहराई है.
पूनम शरमा गई..
पण्डित- इतनी चमकीली.. जीवन से भरी.. प्यार बिखेरती.. कोई भी इन आँखों से मन्त्र-मुग्ध हो जाए.
पूनम शर्माती रही.. वो कुछ बोली नहीं.. बस थोड़ा मुस्कुरा रही थी.. उसे अच्छा लग रहा था.
आई-लाइनर लगाने के बाद अब गालों पे रूज़ लगाने की बारी आई.
पण्डित ने पूनम के गालों पे रूज़ लगाते हुए कहा.
पण्डित- पूनम.. एक बात कहूँ.. ?
पूनम- जी.. कहिये पण्डित जी..
पण्डित- तुम्हारे गाल कितने कोमल हैं जैसे कि मखमल के बने हों.. इन पे कुछ लगाती हो क्या..?
पूनम- नहीं पण्डित जी.. अब श्रृंगार नहीं करती.. केवल नहाते वक्त साबुन लगाती हूँ.
पण्डित पूनम के गालों पे हाथ फेरने लगा. इससे पूनम शरमा रही थी.
पण्डित- पूनम.. तुम्हारे गाल छूने में इतने अच्छे हैं कि शिव का भी इन्हें.. इन्हें..
पूनम- इन्हें क्या पण्डित जी..?
पण्डित- शिव का भी इन गालों का चुम्बन लेने को दिल करे.
पूनम शरमा गई.. थोड़ा सा मुस्कुराई भी.. अन्दर से उसे बहुत अच्छा लग रहा था.
पण्डित- और एक बार चुम्बन ले तो छोड़ने का दिल ना करे.
गालों पर रूज़ लगाने के बाद अब लिप्स की बारी आई.
पण्डित- पूनम.. होंठ (लिप्स) सामने करो.
पूनम ने लिप्स सामने करे.
पण्डित- मेरे ख्याल से तुम्हारे होंठों पर गाढ़ा लाल रंग बहुत अच्छा लगेगा.
पण्डित ने पूनम के होंठों पे लिपस्टिक लगानी शुरू की.. पूनम ने शर्म से आँखें बंद कर रखी थीं.
पण्डित- पूनम.. तुम लिपस्टिक होंठ बंद करके लगाती हो क्या.. थोड़े होंठ खोलो..
पूनम ने होंठ खोले.. पण्डित ने एक हाथ से पूनम की ठोड़ी पकड़ी और दूसरे हाथ से लिपस्टिक लगाने लगा.
पण्डित- वाह.. अति सुन्दर..
पूनम- क्या पण्डित जी?
पण्डित- तुम्हारे होंठ.. कितने आकर्षक हैं तुम्हारे होंठ.. क्या बनावट है.. कितने भरे भरे.. कितने गुलाबी..
पूनम- आप मज़ाक कर रहे हैं पण्डित जी..
पण्डित- नहीं.. शिव की सौगंध.. तुम्हारे होंठ किसी को भी आकर्षित कर सकते हैं तुम्हारे होंठ देख कर तो शिव पार्वती के होंठ भूल जाएं.. वह भी ललचा जाएं.. तुम्हारे होंठों का सेवन करें.. तुम्हारे होंठों की मदिरा पिएं..
पूनम अन्दर से मरी जा रही थी.. उसे बहुत ही अच्छा फ़ील हो रहा था.
पण्डित- एक बात पूछू?
पूनम- पूछिए पण्डित जी..
पण्डित- क्या आज तक तुम्हारे होंठों का सेवन किसी ने किया है?
पूनम ये सुनते ही बहुत शर्मा गई.
पूनम- एक दो बार.. मेरे पति ने..
पण्डित- केवल एक दो बार..
पूनम- वो ज्यादातर बाहर ही रहते थे.
पण्डित- तुम्हारे पति के अलावा और किसी ने नहीं..!
पूनम- कैसी बातें कर रहे हैं पण्डित जी.. पति के अलावा और कौन कर सकता है? क्या वो पाप नहीं होता.
पण्डित- यदि विवश हो कर किया जाए तो पाप है, वरना नहीं.. लेकिन तुम्हारे होंठों का सेवन बहुत आनन्ददायक होगा.. ऐसे होंठों का रस जिसने नहीं पिया.. उसका जीवन अधूरा है.
पूनम अन्दर ही अन्दर ख़ुशी से पागल हुई जा रही थी.. अपनी इतनी तारीफ़ उसने पहले बार सुनने को मिल रही थी.
फिर पण्डित ने हेयर-ड्रायर निकाला. अब पण्डित ड्रायर से पूनम के बाल सुखाने लगा. पूनम के बाल बहुत लम्बे थे.
पण्डित- पूनम झूठ नहीं बोल रहा.. लेकिन तुम्हारे बाल इतने लम्बे और घने हैं कि शिव इनमें खो जाएंगे.
उसने पूनम का हेयर-स्टाइल चेंज कर दिया. उसके बाल बहुत पफी हो गए थे. आई-लाइनर, रूज़, लिपस्टिक और ड्रायर लगाने के बाद पण्डित ने पूनम को शीशा दिखाया.
पूनम को यकीन ही नहीं हुआ कि वह इतनी सुन्दर भी दिख सकती है.
पण्डित ने वाकयी ही पूनम का बहुत अच्छा मेकअप किया था. ऐसा मेकअप देख कर पूनम खुद में सनसनी सी फ़ील करने लगी. उसे पता ना था कि वो भी इतनी एरोटिक लग सकती है.
पण्डित- मैंने तुम्हारे लिए खास जड़ीबूटियों का तेल बनाया है.. इससे तुम्हारी त्वचा में निखार आयेगा.. तुम्हारी त्वचा बहुत मुलायम हो जाएगी. तुम अपने बदन पे कौन सा तेल लगाती हो?
पूनम ‘बदन’ का नाम सुन के थोड़ा शरमा गई.. सनसनी तो वो पहले ही फ़ील कर रही थी.. ‘बदन’ का नाम सुनके वो और अधिक सनसनी सी फ़ील करने लगी.
पूनम- जी.. मैं बदन पे कोई तेल नहीं लगाती.
पण्डित- चलो कोई नहीं.. अब ज़रा घुटनों के बल खड़ी हो जाओ.
पूनम अपने घुटनों के बल हो गई.
पण्डित- मैं तुम पर तेल लगाऊंगा.. लज्जा ना करना.
पूनम- जी पण्डित जी..
पूनम ब्लाउज-पेटीकोट में घुटनों पे थी..
पण्डित भी घुटनों पर हो गया. अब वो पूनम के पेट पे तेल लगाने लगा. फिर वो पूनम के पीछे आ गया.. और पूनम की पीठ और कमर पर तेल लगाने लगा.
पण्डित- पूनम तुम्हारी कमर कितनी लचीली है.. तेल के बिना भी कितनी चिकनी लगती है.
पण्डित पूनम के बिल्कुल पीछे आ गया.. वे दोनों घुटनों पे थे.
पूनम के हिप्स और पण्डित के लंड में मुश्किल से 1 इंच का फ़ासला था. पण्डित पीछे से ही पूनम के पेट पे तेल लगाने लगा.
वो उसके पेट पे लम्बे लम्बे हाथ फेर रहा था.
पण्डित- पूनम.. तुम्हारा बदन तो रेशमी है.. तुम्हारे पेट को हाथ लगाने में कितना आनन्द आता है.. ऐसा लग रहा है कि शनील की रजाई पे हाथ चला रहा हूँ.
पण्डित पीछे से पूनम के और पास आ गया.. उसका लंड पूनम के चूतड़ों की दरार को एकदम टच कर रहा था.
अब पण्डित पूनम की नाभि में उंगली घुमाने का लगा.
पण्डित- तुम्हारी नाभि कितनी चिकनी और गहरी है.. जानती हो यदि शिव ने ऐसी नाभि देख ली तो वह क्या करेगा?
पूनम- क्या पण्डित जी.?
पण्डित- सीधा तुम्हारी नाभि में अपनी जीभ डाले रखेगा.. इसे चूसता और चाटता रहेगा.
ये सुन कर पूनम मुस्कुराने लगी. शायद हर लड़की या नारी को अपनी तारीफ़ सुनना अच्छा लगता है.. चाहे तारीफ़ झूठी ही क्यों ना हो.
पण्डित एक हाथ पूनम के पेट पे फेर रहा था.. और दूसरे हाथ की उंगली पूनम की नाभि में घुमा रहा था.
पूनम के पेट पे लम्बे लम्बे हाथ मारते वक्त पण्डित दो तीन उंगलियां पूनम के पेट से ऊपर उठता हुआ ब्लाउज के अन्दर भी ले जाता.
तीन चार बार उसकी उंगलियां पूनम के मम्मों के निचले हिस्से पर टच हुईं.
पूनम गरम होती जा रही थी.
पण्डित- पूनम.. अब हमारी पूजा आखिरी चरण में है. वेदों के अनुसार शिव ने कुछ आसन बताए हैं.
पूनम- आसन.. कैसे आसन पण्डित जी..?
पण्डित- अपने शरीर को शुद्ध करने के पश्चात जो स्त्री उस आसन में लेट जाती है.. शिव उससे सदा के लिए प्रसन्न हो जाता है.. लेकिन ये आसन तुम्हें एक पण्डित के साथ लेने होंगे.. परन्तु हो सकता है मेरे साथ आसन लेने में तुम्हें लज्जा आए.
पूनम- आपके साथ आसन.. मुझे कोई आपत्ति नहीं है..!
पण्डित- तो तुम मेरे साथ आसन लोगी..?
पूनम- जी पण्डित जी..!
पण्डित- लेकिन आसन लेने से पहले मुझे भी बदन पे तेल लगाना होगा.. और ये तुम्हें लगाना है.
पूनम- जी पण्डित जी..
ये कह कर पण्डित ने तेल की बोतल पूनम को दे दी.. और वो दोनों आमने सामने आ गए. दोनों घुटनों के बल खड़े थे.
पूनम ने पण्डित की छाती पे तेल लगाना शुरू किया.
पण्डित ने छाती, पेट और अंडरआर्म्स शेव किये थे.. इसलिए उसकी स्किन बिल्कुल कोमल थी.
पूनम पहले भी पण्डित के बदन से आकर्षित हो चुकी थी. आज पण्डित के बदन पे तेल लगाने से उसका बदन और चिकना हो गया. वो पण्डित की छाती, पेट, बाँहें और पीठ पर तेल लगाने लगी.
वह खुद के अन्दर से पण्डित के बदन से लिपटना चाह रही थी. पूनम भी पण्डित के पीछे आ गई.. और उसकी पीठ पे तेल मलने लगी. फिर पीछे से ही उसके पेट और छाती पर तेल मलने लगी. पूनम के चूचे हल्के हल्के पण्डित की पीठ से टच हो रहे थे. पूनम ने भी पण्डित की नाभि में दो तीन बार उंगली घुमाई.
पण्डित- पूनम.. तुम्हारे हाथों का स्पर्श कितना सुखदायी है.
पूनम कहना चाह रही थी कि पण्डित जी.. आपके बदन का स्पर्श भी बहुत सुखदायी है.. लेकिन शर्म की वजह से ना कह पाई.
पण्डित- चलो.. अब आसन लेते हैं.. पहले आसन में हम दोनों को एक दूसरे से पीठ मिला कर बैठना है.
पण्डित और पूनम चौकड़ी मार के और एक दूसरे की तरफ़ पीठ कर के बैठ गए.. फिर दोनों पास पास आए जिससे कि दोनों कि पीठ मिल जाएं.
पण्डित की पीठ तो पहले ही नंगी थी क्योंकि उसने सिर्फ लुंगी पहनी थी. पूनम ब्लाउज और पेटीकोट में थी.. उसकी लोवर पीठ तो नंगी थी ही.. उसके ब्लाउज के हुक्स भी नहीं थे, इसलिए ऊपर की पीठ भी थोड़ी सी एक्सपोज्ड थी.
दोनों नंगी पीठ से पीठ मिला कर बैठ गए.
पण्डित- पूनम.. अब हाथ जोड़ लो..
पण्डित हल्के हल्के पूनम की पीठ को अपनी पीठ से रगड़ने लगा. दोनों की पीठ पे तेल लगा था.. इसलिए दोनों की पीठ चिकनी हो रही थी.
पण्डित- पूनम.. तुम्हारी पीठ का स्पर्श कितना अच्छा है.. क्या तुमने इससे पहले कभी अपनी नंगी पीठ किसी की पीठ से मिलाई है..?
पूनम- नहीं पण्डित जी.. पहली बार मिला रही हूँ.
पूनम भी हल्के हल्के पण्डित की पीठ पे अपनी पीठ रगड़ने लगी.
पण्डित- चलो.. अब घुटनों पे खड़े होकर पीठ से पीठ मिलानी है.
दोनों घुटनों के बल हो गए.
एक दूसरे की पीठ से चिपक गए.. इस पोजीशन में सिर्फ पीठ ही नहीं.. दोनों के हिप्स भी चिपक रहे थे.
पण्डित- अब अपनी बाँहें मेरी बांहों में डाल के अपनी तरफ़ हल्के हल्के खींचो.
दोनों एक दूसरे की बांहों में बांहें डाल के खींचने लगे. दोनों की नंगी पीठ और हिप्स एक दूसरे की पीठ और हिप्स से चिपक गईं.
पण्डित अपने हिप्स पूनम के हिप्स पे रगड़ने लगा. पूनम भी अपने हिप्स पण्डित के हिप्स पर रगड़ने लगी.
पूनम की चूत गरम होती जा रही थी.
पण्डित- पूनम.. क्या तुम्हें मेरी पीठ का स्पर्श सुखदायी लग रहा है..?
पूनम शरमाई.. लेकिन कुछ बोल ही पड़ी.
पूनम- हाँ पण्डित जी.. आपकी पीठ का स्पर्श बहुत सुखदायी है.
पण्डित- और नीचे का..?
पूनम समझ गई पण्डित का इशारा हिप्स की तरफ़ है.
पूनम- अ..ह्ह..हाँ पण्डित जी..
दोनों एक दूसरे के हिप्स को रगड़ रहे थे.
पण्डित- पूनम.. तुम्हारे चूतड़ भी कितने कोमल लगते हैं कितने सुडौल हैं. मेरे चूतड़ तो थोड़े कठोर हैं.
पूनम- पण्डित जी.. आदमियों के थोड़े कठोर ही अच्छे लगते हैं.
पण्डित- अब मैं पेट के बल लेटूंगा.. और तुम मेरे ऊपर पेट के बल लेट जाना.
पूनम- जी पण्डित जी.
पण्डित ज़मीन पर पेट के बल लेट गया और पूनम पण्डित के ऊपर पेट के बल लेट गई.
पूनम के चूचे पण्डित की पीठ पर चिपके हुए थे.
पूनम का नंगा पेट पण्डित की नंगी पीठ से चिपका हुआ था. पूनम खुद ही अपना पेट पण्डित की पीठ पे रगड़ने लगी.
पण्डित- पूनम.. तुम्हारे पेट का स्पर्श ऐसे लगता है जैसे कि मैंने शनील कि रजाई ओढ़ ली हो.. और एक बात कहूँ.
पूनम अब गर्म हो चली थी वो चुदास भरे स्वर में बोली- स्स.. कहिए ना पण्डित जी..
पण्डित- तुम्हारे स्तनों का स्पर्श तो..
पूनम अपने मम्मों को और भी मस्ती से पण्डित की पीठ पे रगड़ने लगी.
पूनम- तो क्या पण्डित जी?
पण्डित- मदहोश कर देने वाला है.. तुम्हारे स्तनों को हाथों में लेने के लिए कोई भी ललचा जाये.
पूनम- स्सह्ह..
पण्डित- अब मैं सीधा लेटूंगा और तुम मुझ पर पेट के बल लेट जाना.. लेकिन तुम्हारा मुँह मेरे चरणों की ओर और मेरा मुँह तुम्हारे चरणों की तरफ़ होना चाहिये.
पण्डित पीठ के बल लेट गया और पूनम पण्डित के ऊपर पेट के बल लेट गई.
पूनम की टांगें पण्डित के चेहरे की तरफ़ थीं. पूनम की नाभि पण्डित के लंड पर थी.. वह उसके सख्त लंड को गड़ता सा महसूस कर रही थी.
पण्डित पूनम की संगमरमरी टांगों पे हाथ फेरने लगा.
पण्डित- पूनम.. तुम्हारी टांगें कितनी अच्छी हैं.
पण्डित ने पूनम का पेटीकोट ऊपर चढ़ा दिया और उसकी जांघें मसलने लगा.
उसने पूनम की टांगें और फैला दीं. अब पूनम की पेंटी साफ़ दिख रही थी.
पण्डित पूनम की चूत के पास हल्के हल्के हाथ फेरने लगा.
पण्डित- पूनम.. तुम्हारी जांघें कितनी गोरी और मुलायम हैं.
चूत के पास हाथ लगाने से पूनम और भी गरम हो रही थी.
पण्डित- तुम्हें अब तक सबसे अच्छा आसन कौन सा लगा..?
पूनम- स्स.. वो.. घुटनों के बल.. पीठ से पीठ.. नीचे से नीचे वाला.
पण्डित- चलो.. अब मैं बैठता हूँ.. और तुम्हें सामने से मेरे कंधों पर बैठना है.. मेरा सिर तुम्हारी टांगों के बीच में होना चाहिये.
पूनम- जी..
पूनम ने पण्डित का सिर अपनी टांगों के बीच लिया और उसके कंधों पर बैठ गई.
इस पोजीशन में पूनम की नाभि पण्डित के होंठों पर आ रही थी.
पण्डित अपनी जीभ बाहर निकाल कर पूनम की नाभि में घुमाने लगा. इससे पूनम को बहुत मज़ा आ रहा था.
पण्डित- पूनम.. आँखें बंद करके बोलो.. स्वाहा..
पूनम- स्वाहा..
पण्डित- पूनम.. तुम्हारी नाभि कितनी मीठी और गहरी है.. क्या तुम्हें ये वाला आसन अच्छा लग रहा है?
पूनम- हाँ.. पण्डित जी.. ये आसन बहुत अच्छा है.. बहुत ही अच्छा अह..
पण्डित- क्या किसी ने तुम्हारी नाभि में जीभ डाली है?
पूनम- आह्ह.. नहीं पण्डित जी.. आप पहले हैं.
पण्डित- अब तुम मेरे कंधों पर रह कर ही पीछे की तरफ़ लेट जाओ.. अपने हाथों से ज़मीन का सहारा ले लो.
पूनम पण्डित के कंधों का सहारा लेकर लेट गई.
अब पण्डित के होंठों के सामने पूनम की चूत थी.
पण्डित धीरे से अपने हाथ पूनम के स्तन पे ले गया.. और ब्लाउज के ऊपर से ही दबाने लगा.
पूनम भी यही चाह रही थी.
पण्डित- पूनम.. तुम्हारे स्तन कितने भरे भरे हैं बहुत ही अच्छे हैं.
पूनम- आह्ह..
पूनम ने एक हाथ से अपना पेटीकोट ऊपर चढ़ा दिया और अपनी चूत को पण्डित के होंठों पे लगा दिया.
पण्डित कच्छी के ऊपर से ही पूनम की चूत पे जीभ मारने लगा.
पण्डित- पूनम.. अब तुम मेरी झोली में आ जाओ.
पूनम फ़ौरन पण्डित के लंड पे बैठ गई.. उससे लिपट गई.
पण्डित- अह्ह.. पूनम.. ये आसन अच्छा है?
पूनम- स्स..स..सबसे.अच्छा.. ऊओ पण्डित जी..
पण्डित- ऊह्ह.. पूनम.. आज तुम बहुत कामुक लग रही हो.. क्या तुम मेरे साथ काम करना चाहती हो..?
पूनम- हाँ पण्डित जी.. स्सस.. मेरी काम अग्नि को शांत कीजिये.. ह्हह्ह.. प्लीज़..पण्डित जी..
पण्डित पूनम के मम्मों को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा.. पूनम बार बार अपनी चूत पण्डित के लंड पे दबाने लगी.
पण्डित ने पूनम का ब्लाउज उतार कर फेंक दिया और उसके निप्पलों को अपने मुँह में ले लिया.
पूनम- आअह्ह.. पण्डित जी.. मेरा उद्धार करो.. मेरे साथ काम करो..
पण्डित- बहुत नहाई है मेरे दूध से.. सारा दूध पी जाऊंगा तेरी छातियों का..
पूनम- आअह्ह.. पी जाओ.. मैं क्क..कब मना करती हूँ.. पी लो पण्डित जी.. पी लो..
कुछ देर तक दूध पीने के बाद अब दोनों से और नहीं सहा जा रहा था.
पण्डित ने बैठे बैठे ही अपनी लुंगी खोल के अपने कच्छे से अपना लंड निकाला.. पूनम ने भी बैठे बैठे ही अपनी कच्छी थोड़ी नीचे कर दी.
पण्डित- चल जल्दी कर..
पूनम पण्डित के सख्त लंड पर बैठ गई.. लंड पूरा उसकी चूत में चला गया.
पूनम- आअह्हह्हह.. स्वाहा.. कर दो मेरा स्वाहा.. आ..
पूनम पण्डित के लंड पे ऊपर नीचे होने लगी. चुदाई ज़ोरों पर शुरू हो गई थी.
पण्डित- आह्हह.. मेरी रानी.. मेरी पुजारन.. तेरी योनि कितनी अच्छी है.. कितनी सुखदायी.. मेरी बांसुरी को बहुत मज़ा आ रहा है.
पूनम- पण्डित जी.. आपकी बांसुरी भी बड़ी सुखदायी है.. आपकी बांसुरी मेरी योनि में बड़ी मीठी धुन बजा रही है.
पण्डित- देवलिंग को छोड़.. पहले मेरे लिंग की जय कर ले.. बहुत मज़ा देगा ये तेरे को..
पूनम- ऊऊआअ.. प्प.. पण्डित जी.. रात को तो आपके देवलिंग ने न जाने कहां कहां घुसने की कोशिश की!
पण्डित- मेरी रानी.. आअ.. फिकर मत कर.. स्स.. तुझे जहाँ जहाँ घुसवाना है.. मैं घुसाऊंगा.
पूनम- आअह्हह्ह.. पण्डित जी.. एक विधवा को.. दिलासा नहीं.. मर्द का बदन चाहिए.. असली सुख तो इसी में है. क्यों.. आआ.. बोलिए ना पण्डित जी.. आऐई..
पण्डित- हांन..आ..
अब पूनम लेट गई और पण्डित उसके ऊपर आकर उसे चोदने लगा.
साथ साथ वो पूनम के मम्मों को भी दबा रहा था.
पण्डित- आअह्ह.. उस.. आज के लिए तेरा पति बन जाऊँ.. बोल..!
पूनम- आऐए.. स्सस.. ई.. हाअन्न.. बन जाओ..
पण्डित- मेरा लिंग आज तेरी योनि को चीर देगा.. मेरी प्यारी पूनम..
पूनम- आअह्हह.. चीर दो.. आअह्ह.. आह्हह्ह.. चीर दो ना.. आआह्ह..
पण्डित- आअह्हह.. ऊऊऊऊ..
दोनों एक साथ झड़ गए और पण्डित ने सारा वीर्य पूनम की चूत के ऊपर झाड़ दिया.
पूनम- आह्ह..
अब पूनम पण्डित से आँखें नहीं मिला पा रही थी.
पण्डित पूनम के साथ लेट गया और उसके गालों को चूमने लगा.
पूनम- पण्डित जी.. क्या मैंने पाप कर दिया है?
पण्डित- नहीं पूनम.. पण्डित के साथ काम करने से तुम्हारी शुद्धता बढ़ गई है.
कुछ देर दोनों मौन पड़े रहे और फिर पूनम कपड़े पहन कर और मेकअप उतार कर घर चली आई.
आज पण्डित ने उसे देवलिंग बांधने को नहीं दिया था.
रात को सोते वक्त पूनम देवलिंग को मिस कर रही थी.
उसे पण्डित के साथ हुई चुदाई याद आने लगी. वो मन ही मन में सोचने लगी कि पण्डित जी.. आप बड़े वो हैं, कब मेरे साथ क्या क्या करते चले गए..पता ही नहीं चला.. पण्डित जी.. आपका बदन कितना अच्छा है.. अपने बदन की इतनी तारीफ़ मैंने पहली बार सुनी है. आप यहाँ क्यों नहीं हैं.
पूनम ने अपनी सलवार का नाड़ा खोला और अपनी चूत को रगड़ने लगी.
‘पण्डित जी.. मुझे क्या हो रहा है’.. वो ये बुदबुदाते हुए सोचने लगी.
चूत से हाथ की उंगली गांड पे ले गई.. और गांड को रगड़ने लगी.
‘ये मुझे कैसा रोग लग गया है.. टांगों के बीच में भी चुभन.. हिप्स के बीच में भी चुभन.. ओह..’
अगले दिन रोज़ की तरह सुबह 5 बजे पूनम मन्दिर आई.. इस वक्त मन्दिर में और कोई नहीं हुआ करता था.
पण्डित ने पूनम को इशारे से मन्दिर के पीछे आने को कहा.
पूनम मन्दिर के पीछे आ गई.. आते ही पूनम पण्डित से लिपट गई.
पूनम- ओह.. पण्डित जी..
पण्डित- ओह्ह.. पूनम..
पण्डित पूनम को होंठों को चूमने लगा.. पूनम की गांड दबाने लगा.. पूनम भी कसके पण्डित के होंठों को चूम रही थी. तभी मन्दिर का घंटा बजा.. और दोनों अलग हो गए.
मन्दिर में कोई पूजा करने आया था.. पण्डित अपनी चूमा-चाटी छोड़ कर मन्दिर में आ गया.
जब मन्दिर फिर खाली हो गया तो पण्डित पूनम के पास आया.
पण्डित- पूनम.. इस वक्त तो कोई ना कोई आता ही रहेगा.. तुम वही अपने पूजा के समय पर आ जाना.
पूनम अपनी पूजा करके चली आई.. उसका पण्डित को छोड़ने का दिल नहीं कर रहा था.
खैर.. वो 12:45 बजे का इन्तजार करने लगी. ठीक 12:45 बजे वो पण्डित के घर पहुँची.. दरवाज़ा खुलते ही वो पण्डित से लिपट गई.
पण्डित ने जल्दी से दरवाज़ा बंद किया और पूनम को लेकर ज़मीन पर बिछी चादर पे ले आया.
पूनम ने पण्डित को कस के बांहों में ले लिया.. पण्डित के चेहरे पर किस पे किस किये जा रही थी. अब दोनों लेट गए थे और पण्डित पूनम के ऊपर था. दोनों एक दूसरे के होंठों को कस कस के चूमने लगे.
पण्डित पूनम के होंठों पे अपनी जीभ चलाने लगा.. पूनम ने भी मुँह खोल दिया.. अपनी जीभ निकाल कर पण्डित की जीभ को चाटने लगी.
पण्डित ने अपनी पूरी जीभ पूनम के मुँह में डाल दी.. पूनम पण्डित के दांतों पर जीभ चलाने लगी.
पण्डित- ओह.. पूनम.. मेरी रानी.. तेरी जीभ.. तेरा मुँह तो मिल्क शेक जैसा मीठा है.
पूनम- पण्डित जी.. आअ.. आपके होंठ बड़े रसीले हैं, आपकी जीभ शरबत है.. आआह्ह..
पण्डित- ओह्हह.. पूनम..
पण्डित पूनम के गले को चूमने लगा..
आज पूनम सफ़ेद साड़ी-ब्लाउज में आई थी.
पण्डित पूनम का पल्लू हटा कर उसके स्तनों को दबाने लगा.. पूनम ने खुद ही ब्लाउज और ब्रा को निकाल फेंका.
पण्डित उसके मम्मों पर टूट पड़ा.. उसके निप्पलों को कस कस के चूसने लगा.
पूनम- अह्हह्ह.. पण्डित जी.. आराम से.. मेरे स्तन आपको इतने अच्छे लगे हैं.. आऐईए..
पण्डित- हाँ.. तेरे स्तनों का जवाब नहीं रानी.. तेरा दूध कितनी मलाई वाला है.. और तेरे गुलाबी निप्पलों.. इन्हें तो मैं खा जाऊंगा.
पूनम- आअह्हह्ह.. अह.. उई.. तो खा जाओ ना.. मना कौन करता है..
पण्डित पूनम के निप्पलों को दाँतों के बीच में लेकर दबाने लगा.
पूनम- आऐई.. इतना मत काटो.. आह्ह.. वरना अपनी इस भैंस का दूध नहीं पी पाओगे.
पण्डित- ऊओ.. मेरी भैंस.. मैं हमेशा तेरा दूदू पीता रहूँगा.
पूनम- उई.. त..आआ.. तो..पी..अह्ह.. लो ना.. निकालो ना मेरा दूध.. खाली कर दो मेरे स्तनों को..
पण्डित कुछ देर तक पूनम के स्तनों को चूसता, चबाता, दबाता और काटता रहा.
फिर पण्डित नीचे की तरफ़ आ गया.. उसने पूनम की साड़ी और पेटीकोट उसके पेट तक चढ़ा दिए.. उसकी टांगें खोल दीं.
पण्डित- पूनम.. आज कच्छी पहनने की क्या ज़रूरत थी!
पूनम- पण्डित जी.. आगे से नहीं पहनूँगी.
पण्डित ने पूनम की कच्छी निकाल दी.
पण्डित- मेरी रानी.. अपनी योनि द्वार का सेवन तो करा दे..
ये कह कर पण्डित पूनम की चूत चाटने लगा.. पूनम के बदन में करंट सा दौड़ गया. पूनम पहली बार चूत चटवा रही थी.
पूनम- आआह्हह्ह.. म.. म्म..म.. मेरी योनि का सेवन कर लो पण्डित जी.. तुम्हारे लिए सारे द्वार खुले हैं.. अपनी शुद्ध जीभ से मेरी योनि का भोग लगा लो.. मेरी योनि भी पवित्र हो जाएगी.. आआह्हह्हह..
पण्डित- आअह्ह.. मज़ा आ गया..
पूनम- आअह.. हाँ.. हाँन.. ले लो मज़ा.. एक विधवा को तुमने गरम तो कर ही दिया है.. इसकी योनि चखने का मौका मत गंवाओ.. मेरे पण्डित जी.. आआईई..
पण्डित ने पूनम को पेट के बल लिटा दिया.. उसकी साड़ी और पेटीकोट उसके हिप्स के ऊपर चढ़ा दिये. अब वो पूनम के हिप्स पे किस करने लगा. पूनम के हिप्स थोड़े बड़े थे.. लेकिन बहुत मुलायम थे.
पण्डित- पूनम.. मैं तो तेरे चूतड़ पे मर जाऊं.
पूनम- पण्डित जी.. आह्ह.. मरना ही है तो मेरे चूतड़ों के असली द्वार पर मरो.. आपने जो देवलिंग दिया था, वो मेरे चूतड़ों के द्वार पे आकर ही फंसता था.
पण्डित- तू फिक्र मत कर.. तेरे हर एक द्वार का भोग लगाऊंगा.
यह कह कर पण्डित ने पूनम को घोड़ी बनाया.. और उसकी गांड चाटने लगा.
पूनम को इसमें बहुत अच्छा लग रहा था.. पण्डित पूनम की गांड के छेद को चाटने के साथ साथ उसकी फुद्दी को रगड़ रहा था.
पूनम- आअह्हह.. चलो.. पण्डित जी.. अब स्वाहा कर दो.. ऊस्सशह्ह ह्हह्ह..
पण्डित- चल.. अब मेरा प्रसाद लेने के लिए तैयार हो जा.
पूनम- आह्हह.. पण्डित जी.. आज मैं प्रसाद पीछे से लूँगी.
पण्डित- चल मेरी रानी.. जैसे तेरी मर्जी.
पण्डित ने धीरे धीरे पूनम की गांड में अपना पूरा लंड डाल दिया.
पूनम- आआअहह्ह..
पण्डित- आअह.. पूनम प्यारी.. बस कुछ सब्र कर ले.. आह्ह..
पूनम- आआह्हह्ह.. पण्डित जी.. मेरे पीछे.. आऐई.. के द्वार में.. आपका स्वागत है.. ऊई..
पण्डित- आअह्ह.. मेरे लंड को तेरा पिछला द्वार बहुत अच्छा लगा है.. कितना टाईट और चिकना है तेरा पीछे का द्वार..
पूनम- आअह्हह.. पण्डित जी.. अपने स्कूटर की स्पीड बढ़ा दो.. रेस दो ना.. आअह..
पण्डित ने गांड में धक्कों की स्पीड बढ़ा दी.
फिर पूनम की गांड से लंड निकाल कर उसकी फुद्दी में पेल दिया.
पूनम- आई माँअ.. कोई द्वार मत छोड़ना.. आआह.. आपकी बांसुरी मेरे बीच के.. आह्ह.. द्वार में क्या धुन बजा रही है..
पण्डित- मेरी पूनम.. मेरी रानी.. तेरे छेदों में मैं ही बांसुरी बजाऊंगा.
पूनम- आअह्हह्हह.. पण्डित जी.. मुझे योनि में बहुत.. आअह.. खुजली हो रही है.. अब अपना चाकू मेरी योनि पे चला दो.. मिटा दो मेरी खुजली.. मिटाओ ना..
पण्डित ने पूनम को लिटा दिया.. और उसके ऊपर आकर अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया. साथ साथ उसने अपनी एक उंगली पूनम की गांड में डाल दी.
पूनम- आअह्हह्हह.. पण्डित जी.. प्यार करो इस विधवा लड़की को.. अपनी बांसुरी से तेज़ तेज़ धुनें निकालो.. मिटा दो मेरी खुजली.. आहहह्हह्ह.. अ.आ..ए.ए..
पण्डित- आआह्हह्ह.. मेरी रानी..
पूनम- ऊऊह्ह्ह.. मेरे राज्जाअ.. और तेज़.. औऊर्रर तेज.. आआह्हह.. अन्दर.. और अन्दर आज्जजाआ.. आअह्ह.. प्पप.. स.स..स..
पण्डित- आह्हह.. ओह्हह.. पूनम.. प्यारी.. मैं छूटने वाला हूँ.
पूनम- आअहह्ह.. मैं भी.. आआ.. ई.. ऊऊऊ.. अन्दर ही.. गिरा.. द.. दो अपना.. प्रसाद..
पण्डित- आह्हह..
पूनम- आआह्हह्हह.. अ..अह.. अह.. अह.. अह..
स्वाहा.. चुद गई चुत और हो गया कल्याण.
अब आगे..
पण्डित- वेदों के अनुसार तुम्हारा श्रृंगार पवित्र हाथों से होना चाहिये.. अथवा तुम्हारा श्रृंगार मैं करूँगा.. इसमें तुम्हें कोई आपत्ति तो नहीं..?
पूनम- नहीं पण्डित जी..
पण्डित- पूनम.. मुझे याद नहीं रहा था.. लेकिन वेदों के अनुसार जो देवलिंग मैंने तुम्हें दिया था, उस पर पण्डित का चित्र होना चाहिये.. इसलिए इस देवलिंग पे मैं अपनी एक छोटी सी फोटो चिपका रहा हूँ.
पूनम- ठीक है पण्डित जी.
पण्डित- और हाँ.. रात को दो बार उठ कर इस देवलिंग को जय करना.. एक बार सोने से पहले.. और दूसरी बार मध्य रात्रि में.
पूनम- जी पण्डित जी..
पण्डित ने देवलिंग पर अपनी एक छोटी सी फोटो चिपका दी.. और पूनम को बांधने के लिए दे दिया.
पूनम ने पहले जैसे देवलिंग को अपनी टांगों के बीच बांध लिया..
आज की पूजा खत्म हुई और पूनम अपने कपड़े पहन के घर चली आई.. पण्डित से अपनी तारीफ़ सुन कर वो खुश थी.
सारे दिन देवलिंग पूनम की टांगों के बीच चुभता रहा.. लेकिन अब ये चुभन पूनम को अच्छी लग रही थी.
पूनम रात को सोने लेटी तो उसे याद आया कि देवलिंग को जय करना है..
उसने सलवार का नाड़ा खोल कर देवलिंग निकाला और अपने माथे से लगाया. वो देवलिंग पर पण्डित की फोटो को देखने लगी.
उसे पण्डित द्वारा की गई अपनी तारीफ़ याद आ गई.. अब उसे पण्डित अच्छा लगने लगा था.
कुछ देर तक पण्डित की फोटो को देखने के बाद उसने देवलिंग को वहीं अपनी टांगों के बीच में रख दिया और नाड़ा लगा लिया.
देवलिंग पूनम की चूत को टच कर रहा था.. पूनम ना चाहते हुए भी एक हाथ सलवार के ऊपर से ही देवलिंग पे ले गई.. और देवलिंग को अपनी चूत पे दबाने लगी. साथ साथ उसे पण्डित की तारीफ़ याद आ रही थी.
उसका दिल कर रहा था कि वो पूरा का पूरा देवलिंग अपनी चूत में डाल ले.. लेकिन इसे गलत मानते हुए और अपना मन मारते हुए उसने देवलिंग से हाथ हटा लिया.
आधी रात को उसकी आँख खुली तो उसे याद आया कि देवलिंग को जय करना है.
देवलिंग का सोचते ही पूनम को अपने हिप्स के बीच में कुछ लगा.. देवलिंग कल की तरह पूनम की हिप्स में फंसा हुआ था.
पूनम ने सलवार का नाड़ा खोला और देवलिंग बाहर निकाला.. उसने देवलिंग को जय किया. उस पर पण्डित की फोटो को देख कर दिल में कहने लगी..
ये क्या पण्डित जी.. पीछे क्या कर रहे थे..?
पूनम देवलिंग को अपनी हिप्स के बीच में ले गई और अपने गांड पे दबाने लगी. उसे मज़ा आ रहा था लेकिन डर की वजह से वो देवलिंग को गांड से हटा कर टांगों के बीच ले आई.. उसने देवलिंग को हल्का सा चूत पर रगड़ा.. फिर देवलिंग को अपने माथे पे रखा और पण्डित की फोटो को देख कर दिल में कहने लगी, ‘पण्डित जी.. क्या चाहते हो..? एक विधवा के साथ ये सब करना अच्छी बात नहीं..’
फिर उसने वापस देवलिंग को अपनी जगह बांध दिया.. और गरम चूत ही ले के सो गई.
अगले दिन..
पण्डित- पूनम.. शिव को सुन्दर स्त्रियाँ आकर्षित करती हैं अत: तुम्हें श्रृंगार करना होगा.. परन्तु वेदों के अनुसार ये श्रृंगार शुद्ध हाथों से होना चाहिये.. मैंने ऐसा पहले इसलिए नहीं कहा कि शायद तुम्हें लज्जा आये..
पूनम- पण्डित जी.. मैंने तो आपसे पहले ही कहा था कि मैं भगवान के काम में कोई लज्जा नहीं करूँगी.
पण्डित- तो मैं तुम्हारा श्रृंगार खुद अपने हाथों से करूँगा.
पूनम- जी पण्डित जी..
पण्डित- तो जाओ.. पहले दूथ से स्नान कर आओ.
पूनम दूध से नहा आई.
पण्डित ने श्रृंगार का सारा सामान तैयार कर रखा था.. लिपस्टिक, रूज़, आई-लाइनर, ग्लीमर, बॉडी आयल..
पूनम ने ब्लाउज और पेटीकोट पहना था.
पण्डित- आओ पूनम..
पण्डित और पूनम आमने सामने ज़मीन पर बैठ गए.. पण्डित पूनम के बिल्कुल पास आ गया.
पण्डित- तो पहले आँखों से शुरू करते हैं
पण्डित पूनम को आई-लाइनर लगाने लगा.
पण्डित- पूनम.. एक बात कहूँ..?
पूनम- जी कहिये पण्डित जी..
पण्डित- तुम्हारी आँखें बहुत सुन्दर हैं तुम्हारी आँखों में बहुत गहराई है.
पूनम शरमा गई..
पण्डित- इतनी चमकीली.. जीवन से भरी.. प्यार बिखेरती.. कोई भी इन आँखों से मन्त्र-मुग्ध हो जाए.
पूनम शर्माती रही.. वो कुछ बोली नहीं.. बस थोड़ा मुस्कुरा रही थी.. उसे अच्छा लग रहा था.
आई-लाइनर लगाने के बाद अब गालों पे रूज़ लगाने की बारी आई.
पण्डित ने पूनम के गालों पे रूज़ लगाते हुए कहा.
पण्डित- पूनम.. एक बात कहूँ.. ?
पूनम- जी.. कहिये पण्डित जी..
पण्डित- तुम्हारे गाल कितने कोमल हैं जैसे कि मखमल के बने हों.. इन पे कुछ लगाती हो क्या..?
पूनम- नहीं पण्डित जी.. अब श्रृंगार नहीं करती.. केवल नहाते वक्त साबुन लगाती हूँ.
पण्डित पूनम के गालों पे हाथ फेरने लगा. इससे पूनम शरमा रही थी.
पण्डित- पूनम.. तुम्हारे गाल छूने में इतने अच्छे हैं कि शिव का भी इन्हें.. इन्हें..
पूनम- इन्हें क्या पण्डित जी..?
पण्डित- शिव का भी इन गालों का चुम्बन लेने को दिल करे.
पूनम शरमा गई.. थोड़ा सा मुस्कुराई भी.. अन्दर से उसे बहुत अच्छा लग रहा था.
पण्डित- और एक बार चुम्बन ले तो छोड़ने का दिल ना करे.
गालों पर रूज़ लगाने के बाद अब लिप्स की बारी आई.
पण्डित- पूनम.. होंठ (लिप्स) सामने करो.
पूनम ने लिप्स सामने करे.
पण्डित- मेरे ख्याल से तुम्हारे होंठों पर गाढ़ा लाल रंग बहुत अच्छा लगेगा.
पण्डित ने पूनम के होंठों पे लिपस्टिक लगानी शुरू की.. पूनम ने शर्म से आँखें बंद कर रखी थीं.
पण्डित- पूनम.. तुम लिपस्टिक होंठ बंद करके लगाती हो क्या.. थोड़े होंठ खोलो..
पूनम ने होंठ खोले.. पण्डित ने एक हाथ से पूनम की ठोड़ी पकड़ी और दूसरे हाथ से लिपस्टिक लगाने लगा.
पण्डित- वाह.. अति सुन्दर..
पूनम- क्या पण्डित जी?
पण्डित- तुम्हारे होंठ.. कितने आकर्षक हैं तुम्हारे होंठ.. क्या बनावट है.. कितने भरे भरे.. कितने गुलाबी..
पूनम- आप मज़ाक कर रहे हैं पण्डित जी..
पण्डित- नहीं.. शिव की सौगंध.. तुम्हारे होंठ किसी को भी आकर्षित कर सकते हैं तुम्हारे होंठ देख कर तो शिव पार्वती के होंठ भूल जाएं.. वह भी ललचा जाएं.. तुम्हारे होंठों का सेवन करें.. तुम्हारे होंठों की मदिरा पिएं..
पूनम अन्दर से मरी जा रही थी.. उसे बहुत ही अच्छा फ़ील हो रहा था.
पण्डित- एक बात पूछू?
पूनम- पूछिए पण्डित जी..
पण्डित- क्या आज तक तुम्हारे होंठों का सेवन किसी ने किया है?
पूनम ये सुनते ही बहुत शर्मा गई.
पूनम- एक दो बार.. मेरे पति ने..
पण्डित- केवल एक दो बार..
पूनम- वो ज्यादातर बाहर ही रहते थे.
पण्डित- तुम्हारे पति के अलावा और किसी ने नहीं..!
पूनम- कैसी बातें कर रहे हैं पण्डित जी.. पति के अलावा और कौन कर सकता है? क्या वो पाप नहीं होता.
पण्डित- यदि विवश हो कर किया जाए तो पाप है, वरना नहीं.. लेकिन तुम्हारे होंठों का सेवन बहुत आनन्ददायक होगा.. ऐसे होंठों का रस जिसने नहीं पिया.. उसका जीवन अधूरा है.
पूनम अन्दर ही अन्दर ख़ुशी से पागल हुई जा रही थी.. अपनी इतनी तारीफ़ उसने पहले बार सुनने को मिल रही थी.
फिर पण्डित ने हेयर-ड्रायर निकाला. अब पण्डित ड्रायर से पूनम के बाल सुखाने लगा. पूनम के बाल बहुत लम्बे थे.
पण्डित- पूनम झूठ नहीं बोल रहा.. लेकिन तुम्हारे बाल इतने लम्बे और घने हैं कि शिव इनमें खो जाएंगे.
उसने पूनम का हेयर-स्टाइल चेंज कर दिया. उसके बाल बहुत पफी हो गए थे. आई-लाइनर, रूज़, लिपस्टिक और ड्रायर लगाने के बाद पण्डित ने पूनम को शीशा दिखाया.
पूनम को यकीन ही नहीं हुआ कि वह इतनी सुन्दर भी दिख सकती है.
पण्डित ने वाकयी ही पूनम का बहुत अच्छा मेकअप किया था. ऐसा मेकअप देख कर पूनम खुद में सनसनी सी फ़ील करने लगी. उसे पता ना था कि वो भी इतनी एरोटिक लग सकती है.
पण्डित- मैंने तुम्हारे लिए खास जड़ीबूटियों का तेल बनाया है.. इससे तुम्हारी त्वचा में निखार आयेगा.. तुम्हारी त्वचा बहुत मुलायम हो जाएगी. तुम अपने बदन पे कौन सा तेल लगाती हो?
पूनम ‘बदन’ का नाम सुन के थोड़ा शरमा गई.. सनसनी तो वो पहले ही फ़ील कर रही थी.. ‘बदन’ का नाम सुनके वो और अधिक सनसनी सी फ़ील करने लगी.
पूनम- जी.. मैं बदन पे कोई तेल नहीं लगाती.
पण्डित- चलो कोई नहीं.. अब ज़रा घुटनों के बल खड़ी हो जाओ.
पूनम अपने घुटनों के बल हो गई.
पण्डित- मैं तुम पर तेल लगाऊंगा.. लज्जा ना करना.
पूनम- जी पण्डित जी..
पूनम ब्लाउज-पेटीकोट में घुटनों पे थी..
पण्डित भी घुटनों पर हो गया. अब वो पूनम के पेट पे तेल लगाने लगा. फिर वो पूनम के पीछे आ गया.. और पूनम की पीठ और कमर पर तेल लगाने लगा.
पण्डित- पूनम तुम्हारी कमर कितनी लचीली है.. तेल के बिना भी कितनी चिकनी लगती है.
पण्डित पूनम के बिल्कुल पीछे आ गया.. वे दोनों घुटनों पे थे.
पूनम के हिप्स और पण्डित के लंड में मुश्किल से 1 इंच का फ़ासला था. पण्डित पीछे से ही पूनम के पेट पे तेल लगाने लगा.
वो उसके पेट पे लम्बे लम्बे हाथ फेर रहा था.
पण्डित- पूनम.. तुम्हारा बदन तो रेशमी है.. तुम्हारे पेट को हाथ लगाने में कितना आनन्द आता है.. ऐसा लग रहा है कि शनील की रजाई पे हाथ चला रहा हूँ.
पण्डित पीछे से पूनम के और पास आ गया.. उसका लंड पूनम के चूतड़ों की दरार को एकदम टच कर रहा था.
अब पण्डित पूनम की नाभि में उंगली घुमाने का लगा.
पण्डित- तुम्हारी नाभि कितनी चिकनी और गहरी है.. जानती हो यदि शिव ने ऐसी नाभि देख ली तो वह क्या करेगा?
पूनम- क्या पण्डित जी.?
पण्डित- सीधा तुम्हारी नाभि में अपनी जीभ डाले रखेगा.. इसे चूसता और चाटता रहेगा.
ये सुन कर पूनम मुस्कुराने लगी. शायद हर लड़की या नारी को अपनी तारीफ़ सुनना अच्छा लगता है.. चाहे तारीफ़ झूठी ही क्यों ना हो.
पण्डित एक हाथ पूनम के पेट पे फेर रहा था.. और दूसरे हाथ की उंगली पूनम की नाभि में घुमा रहा था.
पूनम के पेट पे लम्बे लम्बे हाथ मारते वक्त पण्डित दो तीन उंगलियां पूनम के पेट से ऊपर उठता हुआ ब्लाउज के अन्दर भी ले जाता.
तीन चार बार उसकी उंगलियां पूनम के मम्मों के निचले हिस्से पर टच हुईं.
पूनम गरम होती जा रही थी.
पण्डित- पूनम.. अब हमारी पूजा आखिरी चरण में है. वेदों के अनुसार शिव ने कुछ आसन बताए हैं.
पूनम- आसन.. कैसे आसन पण्डित जी..?
पण्डित- अपने शरीर को शुद्ध करने के पश्चात जो स्त्री उस आसन में लेट जाती है.. शिव उससे सदा के लिए प्रसन्न हो जाता है.. लेकिन ये आसन तुम्हें एक पण्डित के साथ लेने होंगे.. परन्तु हो सकता है मेरे साथ आसन लेने में तुम्हें लज्जा आए.
पूनम- आपके साथ आसन.. मुझे कोई आपत्ति नहीं है..!
पण्डित- तो तुम मेरे साथ आसन लोगी..?
पूनम- जी पण्डित जी..!
पण्डित- लेकिन आसन लेने से पहले मुझे भी बदन पे तेल लगाना होगा.. और ये तुम्हें लगाना है.
पूनम- जी पण्डित जी..
ये कह कर पण्डित ने तेल की बोतल पूनम को दे दी.. और वो दोनों आमने सामने आ गए. दोनों घुटनों के बल खड़े थे.
पूनम ने पण्डित की छाती पे तेल लगाना शुरू किया.
पण्डित ने छाती, पेट और अंडरआर्म्स शेव किये थे.. इसलिए उसकी स्किन बिल्कुल कोमल थी.
पूनम पहले भी पण्डित के बदन से आकर्षित हो चुकी थी. आज पण्डित के बदन पे तेल लगाने से उसका बदन और चिकना हो गया. वो पण्डित की छाती, पेट, बाँहें और पीठ पर तेल लगाने लगी.
वह खुद के अन्दर से पण्डित के बदन से लिपटना चाह रही थी. पूनम भी पण्डित के पीछे आ गई.. और उसकी पीठ पे तेल मलने लगी. फिर पीछे से ही उसके पेट और छाती पर तेल मलने लगी. पूनम के चूचे हल्के हल्के पण्डित की पीठ से टच हो रहे थे. पूनम ने भी पण्डित की नाभि में दो तीन बार उंगली घुमाई.
पण्डित- पूनम.. तुम्हारे हाथों का स्पर्श कितना सुखदायी है.
पूनम कहना चाह रही थी कि पण्डित जी.. आपके बदन का स्पर्श भी बहुत सुखदायी है.. लेकिन शर्म की वजह से ना कह पाई.
पण्डित- चलो.. अब आसन लेते हैं.. पहले आसन में हम दोनों को एक दूसरे से पीठ मिला कर बैठना है.
पण्डित और पूनम चौकड़ी मार के और एक दूसरे की तरफ़ पीठ कर के बैठ गए.. फिर दोनों पास पास आए जिससे कि दोनों कि पीठ मिल जाएं.
पण्डित की पीठ तो पहले ही नंगी थी क्योंकि उसने सिर्फ लुंगी पहनी थी. पूनम ब्लाउज और पेटीकोट में थी.. उसकी लोवर पीठ तो नंगी थी ही.. उसके ब्लाउज के हुक्स भी नहीं थे, इसलिए ऊपर की पीठ भी थोड़ी सी एक्सपोज्ड थी.
दोनों नंगी पीठ से पीठ मिला कर बैठ गए.
पण्डित- पूनम.. अब हाथ जोड़ लो..
पण्डित हल्के हल्के पूनम की पीठ को अपनी पीठ से रगड़ने लगा. दोनों की पीठ पे तेल लगा था.. इसलिए दोनों की पीठ चिकनी हो रही थी.
पण्डित- पूनम.. तुम्हारी पीठ का स्पर्श कितना अच्छा है.. क्या तुमने इससे पहले कभी अपनी नंगी पीठ किसी की पीठ से मिलाई है..?
पूनम- नहीं पण्डित जी.. पहली बार मिला रही हूँ.
पूनम भी हल्के हल्के पण्डित की पीठ पे अपनी पीठ रगड़ने लगी.
पण्डित- चलो.. अब घुटनों पे खड़े होकर पीठ से पीठ मिलानी है.
दोनों घुटनों के बल हो गए.
एक दूसरे की पीठ से चिपक गए.. इस पोजीशन में सिर्फ पीठ ही नहीं.. दोनों के हिप्स भी चिपक रहे थे.
पण्डित- अब अपनी बाँहें मेरी बांहों में डाल के अपनी तरफ़ हल्के हल्के खींचो.
दोनों एक दूसरे की बांहों में बांहें डाल के खींचने लगे. दोनों की नंगी पीठ और हिप्स एक दूसरे की पीठ और हिप्स से चिपक गईं.
पण्डित अपने हिप्स पूनम के हिप्स पे रगड़ने लगा. पूनम भी अपने हिप्स पण्डित के हिप्स पर रगड़ने लगी.
पूनम की चूत गरम होती जा रही थी.
पण्डित- पूनम.. क्या तुम्हें मेरी पीठ का स्पर्श सुखदायी लग रहा है..?
पूनम शरमाई.. लेकिन कुछ बोल ही पड़ी.
पूनम- हाँ पण्डित जी.. आपकी पीठ का स्पर्श बहुत सुखदायी है.
पण्डित- और नीचे का..?
पूनम समझ गई पण्डित का इशारा हिप्स की तरफ़ है.
पूनम- अ..ह्ह..हाँ पण्डित जी..
दोनों एक दूसरे के हिप्स को रगड़ रहे थे.
पण्डित- पूनम.. तुम्हारे चूतड़ भी कितने कोमल लगते हैं कितने सुडौल हैं. मेरे चूतड़ तो थोड़े कठोर हैं.
पूनम- पण्डित जी.. आदमियों के थोड़े कठोर ही अच्छे लगते हैं.
पण्डित- अब मैं पेट के बल लेटूंगा.. और तुम मेरे ऊपर पेट के बल लेट जाना.
पूनम- जी पण्डित जी.
पण्डित ज़मीन पर पेट के बल लेट गया और पूनम पण्डित के ऊपर पेट के बल लेट गई.
पूनम के चूचे पण्डित की पीठ पर चिपके हुए थे.
पूनम का नंगा पेट पण्डित की नंगी पीठ से चिपका हुआ था. पूनम खुद ही अपना पेट पण्डित की पीठ पे रगड़ने लगी.
पण्डित- पूनम.. तुम्हारे पेट का स्पर्श ऐसे लगता है जैसे कि मैंने शनील कि रजाई ओढ़ ली हो.. और एक बात कहूँ.
पूनम अब गर्म हो चली थी वो चुदास भरे स्वर में बोली- स्स.. कहिए ना पण्डित जी..
पण्डित- तुम्हारे स्तनों का स्पर्श तो..
पूनम अपने मम्मों को और भी मस्ती से पण्डित की पीठ पे रगड़ने लगी.
पूनम- तो क्या पण्डित जी?
पण्डित- मदहोश कर देने वाला है.. तुम्हारे स्तनों को हाथों में लेने के लिए कोई भी ललचा जाये.
पूनम- स्सह्ह..
पण्डित- अब मैं सीधा लेटूंगा और तुम मुझ पर पेट के बल लेट जाना.. लेकिन तुम्हारा मुँह मेरे चरणों की ओर और मेरा मुँह तुम्हारे चरणों की तरफ़ होना चाहिये.
पण्डित पीठ के बल लेट गया और पूनम पण्डित के ऊपर पेट के बल लेट गई.
पूनम की टांगें पण्डित के चेहरे की तरफ़ थीं. पूनम की नाभि पण्डित के लंड पर थी.. वह उसके सख्त लंड को गड़ता सा महसूस कर रही थी.
पण्डित पूनम की संगमरमरी टांगों पे हाथ फेरने लगा.
पण्डित- पूनम.. तुम्हारी टांगें कितनी अच्छी हैं.
पण्डित ने पूनम का पेटीकोट ऊपर चढ़ा दिया और उसकी जांघें मसलने लगा.
उसने पूनम की टांगें और फैला दीं. अब पूनम की पेंटी साफ़ दिख रही थी.
पण्डित पूनम की चूत के पास हल्के हल्के हाथ फेरने लगा.
पण्डित- पूनम.. तुम्हारी जांघें कितनी गोरी और मुलायम हैं.
चूत के पास हाथ लगाने से पूनम और भी गरम हो रही थी.
पण्डित- तुम्हें अब तक सबसे अच्छा आसन कौन सा लगा..?
पूनम- स्स.. वो.. घुटनों के बल.. पीठ से पीठ.. नीचे से नीचे वाला.
पण्डित- चलो.. अब मैं बैठता हूँ.. और तुम्हें सामने से मेरे कंधों पर बैठना है.. मेरा सिर तुम्हारी टांगों के बीच में होना चाहिये.
पूनम- जी..
पूनम ने पण्डित का सिर अपनी टांगों के बीच लिया और उसके कंधों पर बैठ गई.
इस पोजीशन में पूनम की नाभि पण्डित के होंठों पर आ रही थी.
पण्डित अपनी जीभ बाहर निकाल कर पूनम की नाभि में घुमाने लगा. इससे पूनम को बहुत मज़ा आ रहा था.
पण्डित- पूनम.. आँखें बंद करके बोलो.. स्वाहा..
पूनम- स्वाहा..
पण्डित- पूनम.. तुम्हारी नाभि कितनी मीठी और गहरी है.. क्या तुम्हें ये वाला आसन अच्छा लग रहा है?
पूनम- हाँ.. पण्डित जी.. ये आसन बहुत अच्छा है.. बहुत ही अच्छा अह..
पण्डित- क्या किसी ने तुम्हारी नाभि में जीभ डाली है?
पूनम- आह्ह.. नहीं पण्डित जी.. आप पहले हैं.
पण्डित- अब तुम मेरे कंधों पर रह कर ही पीछे की तरफ़ लेट जाओ.. अपने हाथों से ज़मीन का सहारा ले लो.
पूनम पण्डित के कंधों का सहारा लेकर लेट गई.
अब पण्डित के होंठों के सामने पूनम की चूत थी.
पण्डित धीरे से अपने हाथ पूनम के स्तन पे ले गया.. और ब्लाउज के ऊपर से ही दबाने लगा.
पूनम भी यही चाह रही थी.
पण्डित- पूनम.. तुम्हारे स्तन कितने भरे भरे हैं बहुत ही अच्छे हैं.
पूनम- आह्ह..
पूनम ने एक हाथ से अपना पेटीकोट ऊपर चढ़ा दिया और अपनी चूत को पण्डित के होंठों पे लगा दिया.
पण्डित कच्छी के ऊपर से ही पूनम की चूत पे जीभ मारने लगा.
पण्डित- पूनम.. अब तुम मेरी झोली में आ जाओ.
पूनम फ़ौरन पण्डित के लंड पे बैठ गई.. उससे लिपट गई.
पण्डित- अह्ह.. पूनम.. ये आसन अच्छा है?
पूनम- स्स..स..सबसे.अच्छा.. ऊओ पण्डित जी..
पण्डित- ऊह्ह.. पूनम.. आज तुम बहुत कामुक लग रही हो.. क्या तुम मेरे साथ काम करना चाहती हो..?
पूनम- हाँ पण्डित जी.. स्सस.. मेरी काम अग्नि को शांत कीजिये.. ह्हह्ह.. प्लीज़..पण्डित जी..
पण्डित पूनम के मम्मों को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा.. पूनम बार बार अपनी चूत पण्डित के लंड पे दबाने लगी.
पण्डित ने पूनम का ब्लाउज उतार कर फेंक दिया और उसके निप्पलों को अपने मुँह में ले लिया.
पूनम- आअह्ह.. पण्डित जी.. मेरा उद्धार करो.. मेरे साथ काम करो..
पण्डित- बहुत नहाई है मेरे दूध से.. सारा दूध पी जाऊंगा तेरी छातियों का..
पूनम- आअह्ह.. पी जाओ.. मैं क्क..कब मना करती हूँ.. पी लो पण्डित जी.. पी लो..
कुछ देर तक दूध पीने के बाद अब दोनों से और नहीं सहा जा रहा था.
पण्डित ने बैठे बैठे ही अपनी लुंगी खोल के अपने कच्छे से अपना लंड निकाला.. पूनम ने भी बैठे बैठे ही अपनी कच्छी थोड़ी नीचे कर दी.
पण्डित- चल जल्दी कर..
पूनम पण्डित के सख्त लंड पर बैठ गई.. लंड पूरा उसकी चूत में चला गया.
पूनम- आअह्हह्हह.. स्वाहा.. कर दो मेरा स्वाहा.. आ..
पूनम पण्डित के लंड पे ऊपर नीचे होने लगी. चुदाई ज़ोरों पर शुरू हो गई थी.
पण्डित- आह्हह.. मेरी रानी.. मेरी पुजारन.. तेरी योनि कितनी अच्छी है.. कितनी सुखदायी.. मेरी बांसुरी को बहुत मज़ा आ रहा है.
पूनम- पण्डित जी.. आपकी बांसुरी भी बड़ी सुखदायी है.. आपकी बांसुरी मेरी योनि में बड़ी मीठी धुन बजा रही है.
पण्डित- देवलिंग को छोड़.. पहले मेरे लिंग की जय कर ले.. बहुत मज़ा देगा ये तेरे को..
पूनम- ऊऊआअ.. प्प.. पण्डित जी.. रात को तो आपके देवलिंग ने न जाने कहां कहां घुसने की कोशिश की!
पण्डित- मेरी रानी.. आअ.. फिकर मत कर.. स्स.. तुझे जहाँ जहाँ घुसवाना है.. मैं घुसाऊंगा.
पूनम- आअह्हह्ह.. पण्डित जी.. एक विधवा को.. दिलासा नहीं.. मर्द का बदन चाहिए.. असली सुख तो इसी में है. क्यों.. आआ.. बोलिए ना पण्डित जी.. आऐई..
पण्डित- हांन..आ..
अब पूनम लेट गई और पण्डित उसके ऊपर आकर उसे चोदने लगा.
साथ साथ वो पूनम के मम्मों को भी दबा रहा था.
पण्डित- आअह्ह.. उस.. आज के लिए तेरा पति बन जाऊँ.. बोल..!
पूनम- आऐए.. स्सस.. ई.. हाअन्न.. बन जाओ..
पण्डित- मेरा लिंग आज तेरी योनि को चीर देगा.. मेरी प्यारी पूनम..
पूनम- आअह्हह.. चीर दो.. आअह्ह.. आह्हह्ह.. चीर दो ना.. आआह्ह..
पण्डित- आअह्हह.. ऊऊऊऊ..
दोनों एक साथ झड़ गए और पण्डित ने सारा वीर्य पूनम की चूत के ऊपर झाड़ दिया.
पूनम- आह्ह..
अब पूनम पण्डित से आँखें नहीं मिला पा रही थी.
पण्डित पूनम के साथ लेट गया और उसके गालों को चूमने लगा.
पूनम- पण्डित जी.. क्या मैंने पाप कर दिया है?
पण्डित- नहीं पूनम.. पण्डित के साथ काम करने से तुम्हारी शुद्धता बढ़ गई है.
कुछ देर दोनों मौन पड़े रहे और फिर पूनम कपड़े पहन कर और मेकअप उतार कर घर चली आई.
आज पण्डित ने उसे देवलिंग बांधने को नहीं दिया था.
रात को सोते वक्त पूनम देवलिंग को मिस कर रही थी.
उसे पण्डित के साथ हुई चुदाई याद आने लगी. वो मन ही मन में सोचने लगी कि पण्डित जी.. आप बड़े वो हैं, कब मेरे साथ क्या क्या करते चले गए..पता ही नहीं चला.. पण्डित जी.. आपका बदन कितना अच्छा है.. अपने बदन की इतनी तारीफ़ मैंने पहली बार सुनी है. आप यहाँ क्यों नहीं हैं.
पूनम ने अपनी सलवार का नाड़ा खोला और अपनी चूत को रगड़ने लगी.
‘पण्डित जी.. मुझे क्या हो रहा है’.. वो ये बुदबुदाते हुए सोचने लगी.
चूत से हाथ की उंगली गांड पे ले गई.. और गांड को रगड़ने लगी.
‘ये मुझे कैसा रोग लग गया है.. टांगों के बीच में भी चुभन.. हिप्स के बीच में भी चुभन.. ओह..’
अगले दिन रोज़ की तरह सुबह 5 बजे पूनम मन्दिर आई.. इस वक्त मन्दिर में और कोई नहीं हुआ करता था.
पण्डित ने पूनम को इशारे से मन्दिर के पीछे आने को कहा.
पूनम मन्दिर के पीछे आ गई.. आते ही पूनम पण्डित से लिपट गई.
पूनम- ओह.. पण्डित जी..
पण्डित- ओह्ह.. पूनम..
पण्डित पूनम को होंठों को चूमने लगा.. पूनम की गांड दबाने लगा.. पूनम भी कसके पण्डित के होंठों को चूम रही थी. तभी मन्दिर का घंटा बजा.. और दोनों अलग हो गए.
मन्दिर में कोई पूजा करने आया था.. पण्डित अपनी चूमा-चाटी छोड़ कर मन्दिर में आ गया.
जब मन्दिर फिर खाली हो गया तो पण्डित पूनम के पास आया.
पण्डित- पूनम.. इस वक्त तो कोई ना कोई आता ही रहेगा.. तुम वही अपने पूजा के समय पर आ जाना.
पूनम अपनी पूजा करके चली आई.. उसका पण्डित को छोड़ने का दिल नहीं कर रहा था.
खैर.. वो 12:45 बजे का इन्तजार करने लगी. ठीक 12:45 बजे वो पण्डित के घर पहुँची.. दरवाज़ा खुलते ही वो पण्डित से लिपट गई.
पण्डित ने जल्दी से दरवाज़ा बंद किया और पूनम को लेकर ज़मीन पर बिछी चादर पे ले आया.
पूनम ने पण्डित को कस के बांहों में ले लिया.. पण्डित के चेहरे पर किस पे किस किये जा रही थी. अब दोनों लेट गए थे और पण्डित पूनम के ऊपर था. दोनों एक दूसरे के होंठों को कस कस के चूमने लगे.
पण्डित पूनम के होंठों पे अपनी जीभ चलाने लगा.. पूनम ने भी मुँह खोल दिया.. अपनी जीभ निकाल कर पण्डित की जीभ को चाटने लगी.
पण्डित ने अपनी पूरी जीभ पूनम के मुँह में डाल दी.. पूनम पण्डित के दांतों पर जीभ चलाने लगी.
पण्डित- ओह.. पूनम.. मेरी रानी.. तेरी जीभ.. तेरा मुँह तो मिल्क शेक जैसा मीठा है.
पूनम- पण्डित जी.. आअ.. आपके होंठ बड़े रसीले हैं, आपकी जीभ शरबत है.. आआह्ह..
पण्डित- ओह्हह.. पूनम..
पण्डित पूनम के गले को चूमने लगा..
आज पूनम सफ़ेद साड़ी-ब्लाउज में आई थी.
पण्डित पूनम का पल्लू हटा कर उसके स्तनों को दबाने लगा.. पूनम ने खुद ही ब्लाउज और ब्रा को निकाल फेंका.
पण्डित उसके मम्मों पर टूट पड़ा.. उसके निप्पलों को कस कस के चूसने लगा.
पूनम- अह्हह्ह.. पण्डित जी.. आराम से.. मेरे स्तन आपको इतने अच्छे लगे हैं.. आऐईए..
पण्डित- हाँ.. तेरे स्तनों का जवाब नहीं रानी.. तेरा दूध कितनी मलाई वाला है.. और तेरे गुलाबी निप्पलों.. इन्हें तो मैं खा जाऊंगा.
पूनम- आअह्हह्ह.. अह.. उई.. तो खा जाओ ना.. मना कौन करता है..
पण्डित पूनम के निप्पलों को दाँतों के बीच में लेकर दबाने लगा.
पूनम- आऐई.. इतना मत काटो.. आह्ह.. वरना अपनी इस भैंस का दूध नहीं पी पाओगे.
पण्डित- ऊओ.. मेरी भैंस.. मैं हमेशा तेरा दूदू पीता रहूँगा.
पूनम- उई.. त..आआ.. तो..पी..अह्ह.. लो ना.. निकालो ना मेरा दूध.. खाली कर दो मेरे स्तनों को..
पण्डित कुछ देर तक पूनम के स्तनों को चूसता, चबाता, दबाता और काटता रहा.
फिर पण्डित नीचे की तरफ़ आ गया.. उसने पूनम की साड़ी और पेटीकोट उसके पेट तक चढ़ा दिए.. उसकी टांगें खोल दीं.
पण्डित- पूनम.. आज कच्छी पहनने की क्या ज़रूरत थी!
पूनम- पण्डित जी.. आगे से नहीं पहनूँगी.
पण्डित ने पूनम की कच्छी निकाल दी.
पण्डित- मेरी रानी.. अपनी योनि द्वार का सेवन तो करा दे..
ये कह कर पण्डित पूनम की चूत चाटने लगा.. पूनम के बदन में करंट सा दौड़ गया. पूनम पहली बार चूत चटवा रही थी.
पूनम- आआह्हह्ह.. म.. म्म..म.. मेरी योनि का सेवन कर लो पण्डित जी.. तुम्हारे लिए सारे द्वार खुले हैं.. अपनी शुद्ध जीभ से मेरी योनि का भोग लगा लो.. मेरी योनि भी पवित्र हो जाएगी.. आआह्हह्हह..
पण्डित- आअह्ह.. मज़ा आ गया..
पूनम- आअह.. हाँ.. हाँन.. ले लो मज़ा.. एक विधवा को तुमने गरम तो कर ही दिया है.. इसकी योनि चखने का मौका मत गंवाओ.. मेरे पण्डित जी.. आआईई..
पण्डित ने पूनम को पेट के बल लिटा दिया.. उसकी साड़ी और पेटीकोट उसके हिप्स के ऊपर चढ़ा दिये. अब वो पूनम के हिप्स पे किस करने लगा. पूनम के हिप्स थोड़े बड़े थे.. लेकिन बहुत मुलायम थे.
पण्डित- पूनम.. मैं तो तेरे चूतड़ पे मर जाऊं.
पूनम- पण्डित जी.. आह्ह.. मरना ही है तो मेरे चूतड़ों के असली द्वार पर मरो.. आपने जो देवलिंग दिया था, वो मेरे चूतड़ों के द्वार पे आकर ही फंसता था.
पण्डित- तू फिक्र मत कर.. तेरे हर एक द्वार का भोग लगाऊंगा.
यह कह कर पण्डित ने पूनम को घोड़ी बनाया.. और उसकी गांड चाटने लगा.
पूनम को इसमें बहुत अच्छा लग रहा था.. पण्डित पूनम की गांड के छेद को चाटने के साथ साथ उसकी फुद्दी को रगड़ रहा था.
पूनम- आअह्हह.. चलो.. पण्डित जी.. अब स्वाहा कर दो.. ऊस्सशह्ह ह्हह्ह..
पण्डित- चल.. अब मेरा प्रसाद लेने के लिए तैयार हो जा.
पूनम- आह्हह.. पण्डित जी.. आज मैं प्रसाद पीछे से लूँगी.
पण्डित- चल मेरी रानी.. जैसे तेरी मर्जी.
पण्डित ने धीरे धीरे पूनम की गांड में अपना पूरा लंड डाल दिया.
पूनम- आआअहह्ह..
पण्डित- आअह.. पूनम प्यारी.. बस कुछ सब्र कर ले.. आह्ह..
पूनम- आआह्हह्ह.. पण्डित जी.. मेरे पीछे.. आऐई.. के द्वार में.. आपका स्वागत है.. ऊई..
पण्डित- आअह्ह.. मेरे लंड को तेरा पिछला द्वार बहुत अच्छा लगा है.. कितना टाईट और चिकना है तेरा पीछे का द्वार..
पूनम- आअह्हह.. पण्डित जी.. अपने स्कूटर की स्पीड बढ़ा दो.. रेस दो ना.. आअह..
पण्डित ने गांड में धक्कों की स्पीड बढ़ा दी.
फिर पूनम की गांड से लंड निकाल कर उसकी फुद्दी में पेल दिया.
पूनम- आई माँअ.. कोई द्वार मत छोड़ना.. आआह.. आपकी बांसुरी मेरे बीच के.. आह्ह.. द्वार में क्या धुन बजा रही है..
पण्डित- मेरी पूनम.. मेरी रानी.. तेरे छेदों में मैं ही बांसुरी बजाऊंगा.
पूनम- आअह्हह्हह.. पण्डित जी.. मुझे योनि में बहुत.. आअह.. खुजली हो रही है.. अब अपना चाकू मेरी योनि पे चला दो.. मिटा दो मेरी खुजली.. मिटाओ ना..
पण्डित ने पूनम को लिटा दिया.. और उसके ऊपर आकर अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया. साथ साथ उसने अपनी एक उंगली पूनम की गांड में डाल दी.
पूनम- आअह्हह्हह.. पण्डित जी.. प्यार करो इस विधवा लड़की को.. अपनी बांसुरी से तेज़ तेज़ धुनें निकालो.. मिटा दो मेरी खुजली.. आहहह्हह्ह.. अ.आ..ए.ए..
पण्डित- आआह्हह्ह.. मेरी रानी..
पूनम- ऊऊह्ह्ह.. मेरे राज्जाअ.. और तेज़.. औऊर्रर तेज.. आआह्हह.. अन्दर.. और अन्दर आज्जजाआ.. आअह्ह.. प्पप.. स.स..स..
पण्डित- आह्हह.. ओह्हह.. पूनम.. प्यारी.. मैं छूटने वाला हूँ.
पूनम- आअहह्ह.. मैं भी.. आआ.. ई.. ऊऊऊ.. अन्दर ही.. गिरा.. द.. दो अपना.. प्रसाद..
पण्डित- आह्हह..
पूनम- आआह्हह्हह.. अ..अह.. अह.. अह.. अह..
स्वाहा.. चुद गई चुत और हो गया कल्याण.