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Adultery Hindi my best stories
#55
पड़ोसन आंटी के साथ सेक्स का मजा
******************************





हाय फ्रेंड्स, मैं मोहित मेरी पड़ोसन आंटी के साथ सेक्स की मेरे जीवन की सच्ची कहानी आपके सामने लेकर आया हूँ. जो है. मैं कुचामन का रहने वाला हूँ. मेरे परिवार में हम 4 लोग हैं. मैं, मेरी छोटी बहन और मम्मी पापा.

हमारे घर के पास वाले घर में एक परिवार रहता है. मैं उनको अंकल आंटी ही बोलता हूं. अंकल आंटी की शादी को अभी 7 साल ही हुए थे और उनके एक 3 साल का लड़का भी है।

हमारे घर अगल बगल में ही है, तो हमारा उनसे संबंध घर जैसा ही है. आंटी हमारे घर आती जाती रहती हैं. आंटी एक बहुत ही सुन्दर शरीर की मालकिन है आंटी का फिगर 34-32-36 है आंटी जब चलती है तो उनकी गांड और बोबे हर किसी को अपना दीवाना बना लेती है।

मैं शुरू से ही आंटी को बहुत पसंद करता हूँ आंटी हमारे घर आती जाती रहती थी इस कारण मेरी भी उनसे अच्छी बात-चीत होती थी. आंटी को मेरी गर्लफ्रेंड के बारे में भी पता था. आंटी बहुत खुले विचारों की थी तो मैं कभी-कभी आंटी के गर्दन और गांड पर हाथ फेर देता था जो मुझे बहुत अच्छा लगता था।

एक दिन आंटी का फोन खराब हो गया था तो वो हमारे घर आ गई और हमारे घर के लैंडलाइन वाले फोन से फोन लगाने लगी. लेकिन आंटी से फोन नहीं लगा तो उन्होंने मेरे को फोन लगाने के लिए बोला. मैं फोन लगाने के बहाने आंटी की गांड से टच होकर फोन मिलाने लग गया और अपने लन्ड को उपर से ही आंटी की गांड पर सेट करके फोन लगाने लग गया। मैंने आंटी को फोन लगा के दे दिया.

जब तक आंटी बात कर रही थी तब तक मैं बाथरूम में जाके आंटी के नाम की मुठ मार के आ गया।

मैं अपने रूम में आके बैठ गया और आंटी भी मेरे पास आके बैठ गई और हम दोनों बातें करने लग गए बातों ही बातों में हम सेक्स की बातें करने लग गए. मैंने आंटी से उनकी सेक्स लाइफ के बारे में पूछ लिया.
तब आंटी ने बताया- तुम्हारे अंकल सेक्स करते ही नहीं हैं, पूरे दिन बस अपने काम में लगे रहते हैं. वे मेरे को साल में बस 10-12 बार ही चोदते हैं. आजकल तो सेक्स करते ही नहीं है.

तभी मैंने मजाक में आंटी को बोल दिया- मैं आपकी हेल्प कर दूँ?
इस बात पर आंटी एक कातिल मुस्कुराहट देकर अपने घर चली गई।

फिर थोड़ी देर बाद जब मैं आंटी के घर गया, तब आंटी का बेबी सो रहा था और आंटी दूसरे रूम में बेडशीट सही कर रही थी. मैंने आंटी के पीछे से जाकर आंटी को पकड़ लिया.
तो आंटी मेरे को बोलने लगी- यह सही नहीं है, कोई आ जायेगा.

इतने में ही आंटी घूम गई और आंटी के घूमते ही मेरे होंठ आंटी के होंठ से मिल गए. मैं तो किस करने लग गया लेकिन आंटी दिखावटी रूप से छुड़ाने की कोशिश करने लग गई।

और जब मैंने नहीं छोड़ा तो आंटी भी मेरा साथ देने लग गई. अब मैं आंटी की कुर्ते के ऊपर से ही बोबे दबाने लग गया और आंटी आह उम्ह की सीत्कार निकालने लग गई. इतने में ही मेरी मम्मी का फोन आ गया तो मेरे को जाना पड़ा और मैं आंटी को किस करके आ गया और उनको बोला- तुम सलवार कुर्ते में बहुत अच्छी लगती हो।

फिर दूसरे दिन वापस आंटी अपने बेबी के साथ फोन करने आयी. तब वो काले रंग के सलवार कुर्ते में आयी थी. उस ड्रेस में वो क्या कयामत लग रही थी कि क्या बताऊं दोस्तो!

उस समय मेरे घर पर कोई नहीं था और आंटी ने मेरे को फोन लगाने के लिए बोला.
तो मैंने फोन लगा दिया और फोन आंटी को दे दिया. और आज मैं भी आंटी के पास ही बैठ गया और आंटी के जिस्म के साथ खेलने लग गया. मैं कभी उनके होंठ पर अपनी उंगली फेरता तो कभी गर्दन पर फिर धीरे धीरे मैंने अपने हाथ को आंटी के कुर्ते के अंदर डाल दिया और उनके बोबे को दबा दिया. उनके बोबे को दबाते-दबाते मैंने आंटी की ब्रा के हुक खोल दिए और अब मैंने कुर्ते के ऊपर से ही आंटी के बोबे को मेरे होंठों से काटने लग गया।

फिर धीरे-धीरे मैं नाभि पर हाथ फेरते हुए नाभि को चाटने लग गया और आंटी भी अब धीरे-धीरे गर्म होने लग गई थी और वो भी मेरी टी-शर्ट में हाथ डालने लग गई थी.
फिर मैंने धीरे से आंटी की सलवार का नाड़ा खोल दिया और आंटी की चूत को पैंटी के ऊपर से ही सहलाने लग गया।

मैंने देखा कि आंटी की चूत पानी-पानी हो गई थी. फिर मैंने धीरे से एक उंगली चूत में डाल के अपने मुंह में ले ली और फिर वही उंगली आंटी के मुंह में दे दी. अब मैंने आंटी की पैंटी भी उतार दी और उनकी चूत को देखने लग गया।

इतने में ही आंटी ने फोन काट दिया और मेरे होंठों को जोर जोर से चूमने लग गई. आंटी मेरा पूरा साथ देने लग गई और धीरे-धीरे मेरे सारे कपड़े उतार दिए.
आंटी मेरे 6 इंच लंबे व 3 इंच मोटे लन्ड को देखते ही रह गई, फिर वो बोली- मेरे पति का बस 4 इंच का ही है.
और वो मेरे लन्ड को हाथ में लेकर सहलाने लग गई।

फिर आंटी को मैं गोदी में लेकर अपने बेड पर ले आया और उनको बेड लेटा कर हम दोनों एक दूसरे को चूमने लग गए.

मगर किस्मत ने हमारा साथ नहीं दिया. इतने में ही आंटी का बेटा रोने लग गया और किसी ने बाहर डोरबेल बजा दी.
तो मैंने जल्दी से कपड़े पहने और मैं बाहर देखने गया तो बाहर पोस्टमैन पोस्ट देने आया था. मैं पोस्ट लेकर वापस आ गया.
पर तब तक भाभी ने भी अपने कपड़े सही कर लिए और वो मेरे को एक किस करके सॉरी बोल के अपने घर चली गई क्योंकि आंटी को अपनी ननद को लेने जाना था तो वो चली गई।

अब उसकी ननद आने के कारण अब मैं उसके घर नहीं जा सकता था।

फिर 2 दिन बाद मेरे परिवार वाले 5 दिन के लिए हमारे गाँव चले गए. वहां किसी की शादी थी. मैं उनके साथ नहीं गया था। तो मम्मी आंटी को मेरा ध्यान रखने के लिए बोल के चली गई।
अंकल भी अपने किसी बिजनेस के काम से बाहर गए हुए थे. इसी कारण आंटी की ननद आंटी के घर आयी हुई थी।

तो मैं घर पर अकेला था तो आंटी ने खाना खाने के लिए मेरे को अपनी घर बुला लिया. मैं चला गया. इस समय आंटी काले रंग के गाउन में क्या मस्त लग रही थी. मन तो कर रहा था कि अभी पकड़ के चोद दूँ … पर आंटी की ननद होने के कारण ऐसा नहीं कर सकता था।

फिर हमने साथ बैठ कर खाना खाया और थोड़ी देर बातें की.
तब आंटी ने बोला- तुम भी यहीं सो जाओ. हम दोनों घर पर अकेली हैं.
इसलिए मैं भी वहीं रुक गया.

तब आंटी और आंटी की ननद व उनका बेबी एक रूम में सो गए और मैं दूसरे रूम में सो गया।

मेरे को नींद आ नहीं रही थी, मैं मोबाइल में अन्तर्वासना की कहानियां पढ़ कर आंटी के नाम की मुठ मार ही रहा था कि तभी आंटी मेरे रूम में आ गई।

तो मैं आंटी को मेरी बांहों में लेकर जोर-जोर से चूमने लग गया. वो भी मेरा साथ दे रही थी. फिर मैं किस करते करते आंटी की गाउन के ऊपर से ही उनके बोबे को दबाने लग गया.

फिर मैंने आंटी की गाउन को उतार दिया और उनके 34″ के मम्मों को ब्रा के ऊपर से ही दबाने और चाटने लग गया. उस समय आंटी काली ब्रा पैंटी में बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। फिर मैंने आंटी की ब्रा पैंटी को उतार दिया.
आंटी ने भी मेरे सारे कपड़े उतार दिए और हम एक दूसरे के नंगे बदन को देखने लग गए। अब मैं और आंटी सेक्स के लिए तैयार थे.

और फिर से हम दोनों एक दूसरे को किस करने लग गए. अब मैं आंटी के बोबे को हाथों से मसलने लग गया, एक हाथ से आंटी के बोबे को दबाता तो दूसरे बोबे को मुंह में लेकर चूसता. मैं ऐसे बारी-बारी करने लग गया और आंटी भी जोर जोर से सिसकारियां लेने लेने लग गई।

अब मैंने मेरे एक हाथ से आंटी की चूत को सहलाना शुरू कर दिया. आंटी की चूत पानी पानी हो गई थी. अब मैं आंटी की चूत को चाटने लग गया. वो मेरे बालों में हाथ डाल कर अपनी चूत पर जोर जोर से दबाने लग गई और जोर जोर से आह उहउह की सिसकारियां लेने हुए झड़ गई.
मैंने उनकी चूत को चाट चाट के साफ़ कर दिया।

फिर आंटी भी मेरे लन्ड को मुंह में लेकर चाटने लग गई. वो पोर्न वीडियो की तरह मेरे लन्ड को चाट रही थी, कभी मेरे लन्ड के टॉप पर जीभ चलाती तो कभी पूरे लन्ड को मुंह में ले लेती. आंटी जब मेरा लन्ड चाट रही थीं तब मैं तो जन्नत में ही चला गया था.

थोड़ी ही देर में आंटी के मुंह में ही मेरा वीर्य छोड़ दिया ओर आंटी ने चाट चाट के मेरे लन्ड को साफ़ कर दिया।

फिर हम दोनों ने दोबारा किस करना शुरू कर दिया. अब मैं आंटी के एक बोबे को हाथ से मसलने लगा और दूसरे बोबे को मुंह में लेकर चूसने लग गया.
तभी आंटी बोलने लग गई- अब और नहीं सहन होता. जल्दी से चोद दे!

फिर मैंने आंटी की चूत पर थोड़ा तेल लगाया और थोड़ा तेल मेरे लन्ड पर लगा कर आंटी की चूत में डालने लगा। लेकिन आंटी ने बहुत दिनों से सेक्स नहीं किया था, इस कारण उनकी चूत टाइट थी.
तो मैंने एक हाथ से लन्ड को टाइट पकड़ के जोर से धक्का लगा दिया. मेरे लन्ड का टोपा आंटी की चूत में चला गया और वो जोर जोर से चिल्लाने लग गई उम्म्ह … अहह … हय … ओह … और वो लन्ड बाहर निकालने के लिए बोलने लग गई.

मैंने आंटी के होंठों पर अपने होंठ रख दिए और थोड़ी देर तक किस करने लग गया. जब आंटी नॉर्मल हुई तो वो अपनी गान्ड को आगे पीछे करने लग गई।

फिर मैंने धीरे धीरे धके लगाने चालू किए. फिर एकदम से एक जोर का धक्का लगाया जिससे मेरा लन्ड आंटी की चूत में जड़ तक चला गया और आंटी की आंखों में से आंसू आने लग गए. फिर मैं थोड़ी देर रुका और आंटी को किस करने लगा.

जब वो नॉर्मल हुई तो मैं उन्हें धीरे धीरे चोदने लगा. इसी बीच आंटी जोर जोर की सिसकारियों के साथ एक बार झड़ गई. अब आंटी के झड़ने के कारण चूत में से पच पच की आवाजें आने लग गई जो पूरे कमरे में गूंज रही थी.

और अब मैंने भी धक्कों की स्पीड तेज कर दी जिससे अब मेरा लन्ड सीधा आंटी की बच्चेदानी को ठोकर मार रहा था जिससे आंटी को और मज़ा आने लग गया.
अब मेरा होने वाला था तो मैंने आंटी से पूछा- कहाँ डालूँ अपना रस?
तो वो बोली- मेरी चूत में ही डाल दो, बहुत दिनों से प्यासी है यह!
फिर कुछ मिनट की धकापेल चुदाई के साथ मैं और आंटी दोनों एक साथ ही झड़ गए.

फिर थोड़ी देर मैं आंटी के ऊपर ही लेटा रहा।

मैं आंटी को किस करते हुए साइड में लेट गया और आंटी से बात करने लगा.
फिर मैंने उनको उनकी ननद की चुदाई के लिए बोला तो वो बोली- मैं उससे बात करूंगी.

इतने में ही मेरी नजर गेट पर पड़ी। गेट पर उसकी ननद खड़ी हमें देख रही थी और अपने बोबे दबा रहा थी.

मैंने उनकी ननद को अनदेखा कर दिया और आंटी को ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा. पूरे कमरे में फ़च फ़च की आवाज़ गूँज रही थी. आंटी कराह रही थीं, जब मैं आंटी को चोद रहा था.

आंटी अपनी टांगें खोल कर बोलीं- आह मजा आ रहा है … और चोदो और ज़ोर से चोदो!

जब मेरा वीर्य निकलने वाला हुआ, तो उसी टाइम आंटी ने भी अपना पानी छोड़ दिया. मेरा सारा वीर्य उनकी चुत में ही निकल गया.

अब आंटी को डर लगा कि कहीं वो पेट से ना हो जाएं, तो उन्होंने अगले दिन अपने पति से भी चुदवा लिया था और आंटी प्रेगनेंट हो गईं.
मेरी चुदाई से उनको एक बेटा हुआ, जो बाद में उन्होंने मुझे बताया कि ये मेरा ही बच्चा है. बच्चा पेट में आ जाने के बाद आंटी वहां से चली गई थीं.

खैर वो बाद का किस्सा है, उसे फिर कभी सुनाऊंगा.

अभी तो आंटी ने पहले तो अपनी गांड को पूरे मजे लेकर मस्त तरीके से चुदवाया. फिर जब मैंने उनको बताया कि आपकी ननद भी चुदासी है.
उन्होंने मुझसे पूछा- तुमको कैसे मालूम है?

मैंने उस खिड़की की तरफ आंटी का चेहरा कर दिया, जिधर खड़ी होकर अपने मम्मे मसल रही थी.
आंटी एक पल के लिए तो सकपका गईं, फिर उन्होंने अपनी ननद को कमरे में आने को कहा, वो गर्म लौंडिया कमरे में आ गई.

फिर हम दोनों ने मिल कर आंटी की ननद को सेक्स का मज़ा चखाया. चूंकि उनकी ननद अभी सील पैक माल थी, इसलिए आंटी को लगा कि इसकी चूत की ओपनिंग जरूरी है, वरना ये उनकी बदनामी कर सकती थी.

मैंने उसको अपनी बांहों में भर लिया और उसको चूमने लगा. कुछ ही देर में आंटी ने उसको पूरा नंगी कर दिया. मैंने उसे अपने लंड के नीचे ले लिया.

जैसा कि मैंने लिखा कि उसका ये पहली बार का सेक्स था, तो जैसे ही मैंने लंड पेला, वो बहुत जोर से चिल्लाने लगी थी. आंटी ने उसके मुँह को दबा लिया और मुझे फुल स्पीड से चुदाई करने के लिए कह दिया. कुछ ही देर में उनकी ननद की सील टूट गई और वो भी चुदाई का मजा लेने लगी.

मैंने दो ही दिन में उसकी गांड से लेकर चूत और मुँह सभी छेदों को चोद दिया.

अब हम तीनों मस्ती से चुदाई का मजा ले रहे थे.

पांच दिन बाद मुझे जानकारी हुई कि मम्मी को अभी दो तीन दिन और लगेंगे. बस मस्ती की ये घड़ियां मुझे और कुछ दिन के लिए मिल गई थीं.

आंटी मेरी रखैल जैसी बन गई थीं, उनके साथ मैंने हर तरह की चुदाई के मजे लिए.






चन्दा भाभी का दूध
***************

मैं लखनऊ का रहने वाला हूँ, मेरी उम्र 25 साल है, घर पर सब मुझे रोहित कह कर बुलाते हैं।

मैं बचपन से ही चोदू किस्म का इन्सान हूँ, गर्म लड़कियाँ और औरतें मेरी कमजोरी हैं। मेरा लण्ड 7 इँच लम्बा और 3 इंच मोटा है, जिसकी प्यास बुझती ही नहीं !

यह मेरी पहली कहानी है, जिसे मैं आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ, मेरा पहला अनुभव आपके सामने हाजिर है ।

बात उस समय की है जब मैं नया नया लखनऊ आया था, मैं मूलत: हरदोई का रहने वाला हूँ, जब मैं लखनऊ आया तो मैंने कटरा, हुसैनगँज में कमरा लिया।

जिस घर में मैं रहता था उसी घर में एक और परिवार रहता था, जिसमें पति पत्नी और उनके 2 बच्चे थे, पति बैंक में चपरासी थे और एक लड़का जो लगभग 2 साल का और लड़की 8 महीने की थी।

उन बच्चों की मम्मी जिनका नाम चन्दा था, मैं उन्हें भाभी कहता था, भाभी की उम्र लगभग 28 साल होगी और उनके पति की उम्र लगभग 36 साल होगी।

वो मुझसे किसी ना किसी बहाने बाते करने की कोशिश किया करती थी।

उन्हें देख कर ऐसा लगता था कि वो जवानी की आग में जल रही हैं और वो आग उनके पतिदेव बुझा नहीं पा रहे हैं, पर एक पतिव्रता नारी होने के कारण वो किसी और से अपने इस दर्द को कह नहीं पा रही हों, पर मैं उनके इस दर्द को महसूस कर रहा था।

मैं अकेला रहता था तो शाम के समय वो मुझे चाय देने आया करती थी और इस तरह से मैं किसी ना किसी बहाने उनके कमरे में भी जाया करता था।

धीरे धीरे उनसे मेरी अच्छी दोस्ती हो गई। मैं भाभी से वो सारी बातें कर लिया करता था जो एक पति पत्नी के बीच होती हैं।

उनके पति बैंक से शाम को देर से आते थे, मेरे पास दिन में पूरा समय होता था भाभी से अकेले में बातें करने का और उनकी तारीफ़ करने का।

वो बहुत सेक्सी लगती थी, वो हमेशा साड़ी पहना करती थी और चोली कट ब्लाउज में क्या लगती थी !

एक दिन भाभी ने लाल रँग की साड़ी और काले रँग का ब्लाउज पहना और मुझे आवाज लगाई।

उनकी आवाज सुन कर मैं तुरन्त उनके पास पहुँच गया।

भाभी बोली- रोहित, मेरा पँखा खराब हो गया है जरा इसे देख लो।

मैंने उनसे स्टूल माँगा और उसे पकड़ने को कहा।

उनकी साड़ी का पल्लू नीचे लटक रहा था और उनकी चूचियाँ उभरी हुई साफ़ दिखाई दे रही थी। मैं उन्हें घूरे जा रहा था पर वो उसे अनदेखा कर रही थी और मुझे देख कर मुस्करा रही थी।

उस दिन मैं पंखा ठीक करके चला आया।

फिर दूसरे दिन दोपहर में मैं टी वी देखने के बहाने उनके कमरे के पास जाकर दरवाजा खोला तो वो अपनी बच्ची को अपनी चूची से दूध पिला रही थी।

श्रुति उनकी बच्ची का नाम था, मैंने मजाक में कहा- भाभी, श्रुति को दूध पिला रही हो?

तो वो हंसते हुए अनजाने में बोल गई- तुम्हें भी पीना है क्या?

मैंने कहा- मेरे भाग्य में यह कहाँ है?

वो बोली- रुको, अभी तुमको मैं भाग्यशाली बनाती हूँ।

थोड़ी देर में श्रुति दूध पीते पीते सो गई, भाभी ने उसे पलंग पे लेटा दिया।

और सोफ़े में मेरे पास उसी हालत में आकर बैठ गई, मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा था कि आज मुझे उनकी गोल गोल दूध से भरी चूचियाँ पीने को मिलेंगी।

फिर उन्होंने मेरा सिर अपने हाथों से पकड़ कर अपनी चूचियों की ओर झुकाया और उन्हें चूसने को कहा। मैं भी उनकी चूचियाँ मुँह में भर कर पीने लगा, अभी भी मीठा मीठा दूध निकल रहा था।

काफ़ी देर तक मैंने उनकी चूचियाँ पी, फिर उन्होंने मुझसे खड़े होने को कहा, मैं खड़ा हो गया। उन्होंने मेरे सारे कपड़े उतार दिये और मुझे पूरा नंगा कर दिया और अपने हाथ से मेरे लण्ड को सहलाने लगी और अचानक उसे मुँह में लेकर चूसने लगी।

काफ़ी देर तक वो मेरे लण्ड को चूसती रही, मुझे बहुत मजा आ रहा था।

तभी वो थोड़ा रुकी और अपने भी सारे कपड़े उतार दिये पर अपनी ब्रा और पैन्टी नहीं उतारी, बोली- रोहित, जानू सब कुछ मैं ही उतार दूँगी तो तू क्या करेगा।

वो काले रंग की ब्रा और पैन्टी पहने हुये थी, क्या सेक्सी माल लग रही थी।

चंदा भाभी ने अपने होठों को मेरे होठों में रख दिया और चूसने लगी। वो जिस तरह से मेरे होठों को चूस रही थी, लग रहा था कि जन्मों की प्यासी थी वो।

फिर मैंने उन्हे नँगी किया उनकी ब्रा और पैन्टी को उतार दिया और उनकी चूचियोँ को हाथो से सहलाने लगा और थोड़ी देर बाद हम 69 अवस्था में लेट गये।

मैं उनकी चूत चाटने लगा और वो मेरे लण्ड को जोर जोर से चूस रही थी, हम दोनों इस तरीके से काफ़ी देर तक करते रहे।

भाभी बोली- जानते हो रोहित, मेरी शादी को सात साल हो गये पर मुझे तेरे भैया के लण्ड में इतना कड़कपन नहीं दिखा, तेरा तो बहुत सख्त है और मोटा भी, मेरे पति से मुझे बच्चे मिले पर सन्तुष्टि नहीं, पर लगता है कि आज मेरी प्यास बुझ जायेगी !

15 से 20 मिनट तक लगातार चूसने के बाद मैं भाभी के मुँह में ही झड़ गया, मेरे वीर्य को भाभी ने पूरा पी लिया और उनकी भी चूत से पानी निकल रहा था जिसे मैंने पिया।

और फिर मैंने उन्हें सीधा किया और अपने लण्ड को उनकी चूत पर रखा और धीरे से अन्दर की ओर धकेला। मेरा लण्ड लगभग 4 इँच चूत में घुस चुका था, उनके मुखसे उफ़्फ़ और सीसी की आवाजें निकल रही थी।

मेरा भी जोश परवान चढ़ रहा था, मैंने भी मौके की नजाकत को समझा, एक जोर का धक्का लगाया और 7 इंच के लण्ड को पूरा पूरा अन्दर घुसेड़ दिया।

भाभी ने भी मेरा साथ दिया और जोर जोर से अपने चूतड़ हिलाने लगी और तेज तेज चोदने को कहने लगी।

मैं भी तेजी से धक्के लगाने लगा।

चन्दा भाभी बोली- ओह ! आह ! नहीं ! मैं तो मेरे पति से चुदवाती हूँ पर उनका इतना बड़ा और मोटा नहीं है।

अब उसे भी मजा आने लगा था तो मैंने अपने गति बढ़ा दी।

फ़िर से चन्दा भाभी आहें भरने लगी और सिसकारियाँ तेज़ होने लगी, वो बोल रही थी- ओ रोहित कमीने… ऊऊह्ह्ह… आअ… ह्ह्ह… अहहहः… स्स्स्स्स… मादरचोद… चोद दे मुझे !

और गालियाँ सुनते ही मैं पूरे जोश में आ गया और जोर जोर से चोदने लगा। अब मैं भी चालू हो गया, मैं बोला- ले मेरी रण्डी… ले मेरा लवड़ा खा जा… ले और जोर से ले… ले तेरी माँ की चूत…

और मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी, पूरे कमरे में सिर्फ गालियों की और फक फक फक और फच फच की आवाजें आ रही थी।

चन्दा भाभी ने अपने दोनों टांगों से मुझे कस कर पकड़ रखा था और भाभी पूरे जोश में थी, बोल रही थी- बहिनचोद और जोर से चोद मुझे… फाड़ दे मेरी चूत को… आआअ… स्स्स अहः… अहहः… ओह होह….. ले… ले माँ के लवडे… भोसड़ा बना दे मेरी चूत को… आज से चन्दा की चूत तुम्हारी है… जब चाहे इसे चोदना तू !

अब भाभी चरमसीमा पर थी, वो अपने चूतड़ जोर जोर से हिला रही थी, चन्दा भाभी बोली- रोहित, पूरी ताकत से चोद मुझे ! मैं आने वाली हूँ !

मैं भी पूरी तेजी से उसे चोदे जा रहा था। भाभी का शरीर अब अकड़ने लगा था, उसने मुझे कस कर पकड़ा और ह्ह्ह्हह…. अहहः …….ह्ह्ह…. अह्हह…. स्सस्सस करते हुए वो झड़ गई।

पर मैं अब तक नहीं झड़ा था, अब मैं कहाँ रुकने वाला था, मैं शॉट पे शॉट मारता गया और लगभग दस मिनट के बाद मैं झड़ने वाला था तो चन्दा भाभी से कहा- मैं आ रहा हूँ, मैं अपना लण्ड बाहर निकाल लूँ?

तो भाभी बोली- नहीं पूरा माल अंदर ही डाल दे !
फ़िर क्या था, मैंने ऐसे जोर के धक्के लगाये कि भाभी भी चरमरा उठी और उसकी चूत मैंने अपने वीर्य से भर दी। फ़िर थोड़ी देर तक मैं उस पर ही लेटा रहा।

बाद में मैंने पूछा- भाभी, आपने मेरा माल अन्दर डलवा लिया? कुछ हो गया तो?

तो भाभी ने बताया- डरो मत मेरा वाच्चा नही होगा मैं माला डी लेती हूँ।
मे वहुत खुश हुआ ।










मेरी सगी मॉम के साथ सेक्स
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दोस्तो, मेरा नाम रोशन है, मैं 21 साल का हो गया हूँ. आज मैं अपने घर की सच्ची कहानी बताने जा रहा हूं.

मेरे घर में मेरी मॉम मीना देवी, मेरी 23 साल की सुमन दीदी, छोटी बहन 19 साल की चांदनी है और पापा हैं, जो अक्सर बिजनेस के सिलसिले में बाहर रहते हैं.

एक दिन की बात है. रात लगभग 12:30 बजे मेरी नींद खुली. मैं पानी पीने के लिए रसोई की ओर गया गया, तो देखा मॉम के कमरे में लाइट जल रही थी. जब मैंने खिड़की से झांक कर देखा, तो अन्दर का नजारा देखकर मैं दंग रह गया.

मॉम ने अपनी नाइटी को कमर तक उठा रखी थी और अपने और अपने एक हाथ से अपनी चूत को सहला रही थीं. वे अपने दूसरे हाथ से मम्मों को दबा रही थीं.

ये नजारा देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया और मैं अपने लंड को सहलाने लगा. मैं समझ गया कि पापा को बाहर गए हुए 2 महीना से अधिक हो गए हैं, इसलिए मॉम का यह हाल है.

लंड सहलाते सहलाते मैं यह भूल गया कि मैं मॉम के कमरे के बाहर खड़ा हूं और वो कभी भी मुझे देख सकती हैं. मैंने खिड़की के बाहर लंड का पानी निकाल दिया. झड़ने के बाद मुझे होश आया, तो मैंने देखा मॉम खिड़की से मुझे देख रही थीं. हम दोनों की नजरें मिलीं, फिर मैं वहां से भाग कर अपने रूम में चला गया.

पहले तो मुझे डर लग रहा था; लेकिन फिर दिमाग में आया कि अगर मॉम ने मुझसे कुछ पूछा, तो मैं भी बोल दूंगा कि आप क्या कर रही थीं.
यही सोचते-सोचते मुझे नींद आ गई.

जब मैं सुबह उठा और अपने कमरे से बाहर आया, तो मॉम रसोई में खाना बना रही थीं. सुमन दीदी मॉम के काम में साथ दे रही थीं और चांदनी अपने रूम में पढ़ाई कर रही थी.

मॉम ने मेरी तरफ देखा और हल्की सी मुस्कान दी. आज मॉम मुझे कुछ ज्यादा ही सेक्सी लग रही थीं. मैं रसोई में पानी लेने के लिए गया और दीदी से नजर बचाकर मॉम की कमर पर मैंने एक च्यूंटी काट ली.

मॉम ने कुछ नहीं कहा.

मैं समझ गया कि अगर मैं मॉम को कुछ करूं, तो वह गुस्सा नहीं होगीं, भले ही वह करने नहीं दें.

फिर मैं अपने रोज का काम में लग गया. थोड़ी देर बाद दीदी कॉलेज चली गईं और चांदनी ने भी अपने कॉलेज चली गई. आज मैं घर पर ही रुक गया.

मॉम घर का काम खत्म खत्म करके नहाने चली गईं, बाथरूम से निकल कर जब वो अपने रूम में जा रही थीं, तो मैं भी पीछे पीछे उनके रूम में चला गया.
मैंने मॉम को पीछे से पकड़ लिया. उस समय मॉम ने साड़ी पहनी हुई थी और मेरा हाथ मॉम की नंगी कमर पर था.

इससे पहले कि मॉम कुछ बोलतीं, मैं अपना हाथ उनके मम्मों की ओर बढ़ाने लगा.
मॉम ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोलीं- क्या कर रहे हो … यह गलत है.

लेकिन वे मुझे छूटने की कोशिश नहीं कर रही थीं जिससे मेरी हिम्मत और बढ़ गई, मैंने कहा- मॉम इसमें गलत क्या है? मैं तो इससे बचपन में पहले भी खेल चुका हूं.
मॉम ने कहा- बेटा वो बचपन की बातें थीं, अब तुम बड़े हो गए हो.
मैंने कहा- तो क्या हुआ … हूँ तो मैं तुम्हारा ही बेटा ना.

मेरा हाथ अभी भी मॉम की चूची पर जमा हुआ था और मैं उसे दबा भी रहा था.
इससे मॉम की अन्दर की आग धधक उठी थी. मॉम थोड़ी देर चुप रहीं, फिर बोलीं- मुझे भूख लगी है, चलो पहले चलो खाना खाते हैं.
मैं समझ गया कि मॉम को सोचने के लिए थोड़ा सा वक्त चाहिए. लेकिन मुझे यकीन था कि अगर मॉम मना भी करेंगी, तब मैं उन्हें मना लूंगा.

फिर हम दोनों खाना खाने चले गए. खाना खाने के बाद मॉम अपने रूम में गईं और मैं भी पीछे पीछे उनके रूम में आ गया.
मैंने पूछा- तो मॉम, क्या सोचा है?
तो मॉम ने हल्की सी मुस्कान दी और बोलीं- तो तुम मानोगे नहीं.

मैंने ना में सर हिलाया, तो मॉम ने कहा कर लो बेटा, जो करना है, लेकिन आज भर ही बस … ये सब रोज रोज नहीं होगा.

मॉम का उत्तर सुनते ही मैंने मॉम को जकड़ लिया और उनके होंठों पर जोर से किस करने लगा. मॉम भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं. मेरा एक हाथ मॉम की चूची पर था और दूसरा हाथ उनकी कमर को सहला रहा था.

दस मिनट बाद हम दोनों की चूमाचाटी खत्म हो गई. मैंने मॉम को बेड पर लिटा दिया और गर्दन को चूमते हुए उनकी भरी हुई चूचियों पर आ गया. मैं ब्लाउज के ऊपर से ही उनकी चूची को काटने लगा. मॉम की आंखें बंद थीं और होंठ थोड़े से खुले हुए थे. वह मस्ती में पूरा मजा ले रही थीं.

मॉम के ब्लाउज के बटन मैंने खोल दिए. उन्होंने अन्दर ब्रा नहीं पहनी थीं. उनकी पहाड़ जैसी बड़ी बड़ी चूचियां मेरे सामने नंगी थीं, जिन्हें देखकर मैं पागल हो रहा था.
मैंने कहा- आपकी चूचियां तो बहुत बड़ी और भारी हैं … इसे कैसे छोटे पिंजरे में बंद करके रखती हो.
मॉम- क्या करूं बेटा … अगर इनको खुला छोड़ दूँ, तो सारा मोहल्ले के लौंडे इनका दूध पीने चले आएंगे.
उनकी इस बात पर हम दोनों हंसने लगे.

फिर मैं मॉम की चुचियों को ऐसे चूसने लगा जैसे कोई छोटा बच्चा दूध पीता है. कभी एक चूची को पीता, तो दूसरी को मसलता और जब दूसरी को पीता, तो पहली को खींचता.
मॉम मेरे सर पर हाथ फेर रही थीं और अपने चूची की ओर मेरे सर को दबा रही थीं. मॉम बोल रही थीं- आह पी जा मेरा सारा का सारा दूध … आह पी जा.

मैं भी जोश में आकर जोर जोर से उनकी चूचियों को चूस रहा था. अब मैं अपना एक हाथ नीचे ले गया और उनकी साड़ी को कमर तक उठा दिया.
मैंने देखा कि मॉम ने तो आज पेंटी भी नहीं पहनी थी.

मैंने पूछा- मॉम आप पेंटी नहीं पहनती हो?
तो मॉम बोलीं- मैं उसी वक्त समझ गई थी कि यह सब होने वाला है, जब तुम बहाना करके कॉलेज नहीं गए थे.
मैंने कहा- तो आप शुरू में मना क्यों कर रही थीं.
उन्होंने जवाब दिया- बेटा एक औरत को मनाने के लिए तुम्हें थोड़ी तो मेहनत करनी ही पड़ेगी, भले हो वो तुम्हारी मॉम ही क्यों ना हो.

मॉम की चूत पर बड़े बड़े बाल थे. मैंने कहा- मॉम आप अपनी बुर को साफ नहीं करती हो क्या?
तो मॉम ने कहा- हां करती हूं, पर अभी कुछ दिनों से नहीं की है.
मैंने कहा- मॉम मैं साफ कर दूँ?
मॉम बोलीं- बेटा आज ऐसे ही कर ले, बुर साफ करने लगेगा … तो देरी होगी और सुमन, चांदनी आ जाएंगी.

फिर मैं अपने काम में लग गया. मैं मॉम की चूची को चूसने लगा और हाथ से उनकी बुर को सहलाने लगा.

मॉम की कामुक सिसकारियां निकलने लगी थीं. मॉम अपनी आंखें बंद किए हुए पड़ी थीं और ‘आह आह …’ कर रही थीं.

थोड़ी देर बाद मैं थोड़ा रुक गया.
मॉम बोलीं- क्या हुआ बेटा … रुक क्यों गया?
मैंने कहा- मॉम … अब तुम नंगी हो ही गई हो … तो शरीर पर पड़े बेकार के कपड़ों को पूरी तरह से हटा दो.

मॉम ने उठकर अपने सारे कपड़े हटा दिए और बिल्कुल नंगी होकर बेड पर लेट गईं.

उन्हें नंगी अवस्था में देख कर मुझे ऐसा लग रहा था मानो कोई जन्नत की परी मेरे सामने लेटी हो.

फिर मैं उनके दोनों टांगों के बीच में आ गया और उनकी चुत को पीने लगा.
मॉम बोलीं- बेटा, सारा मजा तुम ही करोगे कि मुझे भी कुछ करने दोगे.
मैंने कहा- मैंने कब मना किया है.

ये सुनकर मॉम उठ कर बैठ गईं और मुझे अपने पास बुलाया. मैं उनके पास गया, तो उन्होंने मेरे सारे कपड़े खोल कर मुझे नंगा कर दिया. मेरा मोटा लंबा लंड मॉम के सामने खड़ा था.

मॉम ने पहले मेरे लंड को हिलाया, फिर उसे मुँह में लेकर ऐसे चूसने लगीं, जैसे कोई लॉलीपॉप हो.

लंड चूसने के मजे से मेरे आनन्द का कोई ठिकाना नहीं था. मैं जन्नत की सैर कर रहा था. फिर हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए. अब मॉम मेरे लंड को चूस रही थीं और मैं मॉम की बुर को जीभ से चाट रहा था.

थोड़ी देर की चुसाई चटाई के बाद हम दोनों झड़ने वाले थे. पहले मैंने मॉम के मुँह में अपना सारा रस निकाल दिया. मॉम सारा का सारा वीर्य की गईं. फिर मॉम ने भी अपना अमृत रस छोड़ दिया. जिसे मैंने भी बेकार नहीं जाने दिया.

हम दोनों थोड़ी देर के लिए शांत हो गए. फिर मैं उठकर मॉम की बुर को चाटने लगा. जीभ उनकी बुर के अन्दर करने लगा, दाने को काटने लगा. मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया था और मॉम भी जोश में आ गई थीं.

वह मेरे सर पकड़ कर अपनी प्यासी बुर में दबा रही थीं और बोल रही थीं- खा जा इसे …
मैं भी जोश में आकर जोर जोर से चुत चाट रहा था. थोड़ी देर बाद मॉम बोलीं- बेटा, अब नहीं रहा जा रहा है … अब तू मुझे चोद डाल दे … अपना लंड मॉम की चुत में पेल दे … और ना तड़पा.
मैं रुक गया और बोला- मॉम पहले एक वादा करो, तुम रोज़ मुझसे चुदवाओगी.

मैं जानता था कि मॉम इस वक्त किसी चीज के लिए मना नहीं करेंगी.
मॉम ने कहा- हां बेटा मैं तुझसे ही चुदवाऊंगी … जब तुम्हारे पापा नहीं रहेंगे, तो मैं तुम्हारी रंडी बनकर रहूंगी. तुम रोज चोदना मुझे.

मैंने मॉम की दोनों टांगों को फैलाकर उनके बीच में आ गया और लंड को उनकी बुर पर सैट कर दिया. फिर एक जोरदार झटका मार दिया, जिससे मेरा आधा लंड मॉम की बुर में चला गया.
मॉम मचल उठीं और उनकी हल्की सी चीख निकल गई उम्म्ह… अहह… हय… याह…

मैंने कहा- मॉम तुम तो इतनी बार चुदवा चुकी हो … फिर तुम्हें क्यों दर्द हो रहा है?
मॉम बोलीं- अभी दो-तीन महीने से नहीं चुदवाई हूं ना … इसलिए.

फिर मैंने दूसरा झटका दिया और मेरा पूरा लंड मॉम की बुर में चला गया.

दोस्तो, यह मेरी पहली चुदाई थी. मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि पहली बार में ही मैं अपनी मॉम को चोद दूंगा.

अब मैं तुझे झटके मारने लगा और मॉम भी नीचे से कमर हिला हिला कर मेरा पूरा साथ दे रही थीं. वे सेक्सी सिसकारियां ले रही थीं और धीमी आवाज में बोल रही थीं- चोद दे मादरचोद … अपनी मॉम को चोद दे … और जोर से चोद … साले रंडी बना कर चोद … आह अपनी मॉम की चूत को फाड़ दे … आह मेरी चूत को बना दे भोसड़ा.

मैं भी उन्हें मजे में चोद रहा था और बोल रहा था- हां मॉम … मेरी रंडी
मेरी रंडी मॉम … मैं तुम्हें इसी तरह रोज चोदूंगा, तुझे अपनी रंडी बनाकर रखूंगा.

थोड़ी देर बाद मैं थक गया और मॉम को भी पता लग गया, तो मॉम ने मुझे रुकने का इशारा किया.
फिर मैं नीचे बेड पर लेट गया और मॉम मेरे ऊपर आ गईं, मॉम ने लंड को अपनी बुर में सैट किया और उस पर बैठकर चुदवाने लगीं.

मॉम मेरे लंड पर ऐसे कूद रही थीं, जैसे वह घोड़े की सवारी कर रही हों. इस घुड़सवारी से मुझे मॉम को घोड़ी बना कर चोदने का ख्याल आया. मैंने मॉम को रुकने के लिए कहा और उन्हें घोड़ी बना दिया. मैं उनके पीछे जाकर लंड को बुर में पेल कर चोदने लगा.

दस मिनट बाद मॉम का बदन अकड़ने लगा था. वह बोल रही थीं- आह और जोर से चोदो बेटा … और जोर से चोदो.
थोड़ी देर बाद मॉम ने अपना पानी छोड़ दिया. उनका शरीर ढीला पड़ गया और वो बेड पर लेट गईं.

मैंने मॉम को सीधा करके अपना काम जारी रखा. अब मेरा भी पानी निकलने वाला था, मैंने मॉम से बोला- रस कहां निकालूं?
तो मॉम ने कहा- बेटा अन्दर ही अपना पानी निकाल दो, डारो मत कुछ नही होगा ।

थोड़ी देर बाद मैंने अपना सारा पानी मॉम की चुत में निकाल दिया. हम दोनों थोड़ी थोड़ी देर ऐसे ही लेटे रहे.
फिर मैं बोला- मॉम एक बार और हो जाए.
मॉम हंस कर झिड़की देकर बोलीं- पागल हो गए हो क्या … इतनी चुत चुदाई करने के बाद तुम्हारा मन नहीं भरा.
मैंने प्लीज़ बोला, तो मॉम बोलीं- बेटा तुम्हारी बहनों के आने का समय हो गया है … और मैं कौन सी भागी जा रही हूँ जब समय मिले, चोद लेना मुझे.

मैं मॉम की बात मान गया.

रात को मैंने मॉम के कमरे में जाकर उनकी चूत बजाई.।
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