24-01-2021, 11:07 PM
पहली बार चाची के साथ
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मित्रो, यह मेरी पहली कहानी है जो मैं लिखने जा रहा हूँ। मैं कई सालों से चुदाई का कहानियाँ पढ़ रहा हूँ और उनको पढ़ कर मुठ मारता हूँ। मेरी ज़िंदगी में भी काफ़ी सारी लड़कियाँ आई हैं जिनको मैंने जी भर के चोदा है। मैं अहमदाबाद का रहने वाला हूँ पर एक उत्तर भारतीय परिवार से हूँ। बचपन से ही मैं बहुत कामुक किस्म का मर्द हूँ।
मुझे याद है बहुत छोटी उम्र में ही मुझे अपने लंड को मुठ मारने का पता चल गया था। शायद मैं जब दूसरी या तीसरी क्लास में था, तबसे मेरा लंड खड़ा होने लगा था। पूर्ण युवा होने के बाद जब-जब भी किसी की लेने के मौके मिले, मैंने मौका नहीं जाने दिया।
हमारे पड़ोस में एक गुजराती परिवार रहता था, उनके दो लड़के और एक लड़की थी। लड़की मुझसे कुछ छोटी थी। उसको जब मैं छोटा था, तबसे मैं उस लड़की को होंठों पर चुम्बन वग़ैरह करता था लेकिन कभी हिम्मत नहीं हुई कि उसको चोद दूँ।
खैर किशोर-वय तो ऐसे ही बीते जा रही थी, तभी मेरी ज़िंदगी में एक कमाल की घटना घटी। मैं आपसे वही घटना शेयर करना चाहता हूँ। मेरे पिताजी के एक छोटे भाई हैं जो उस वक्त दादा-दादी के साथ एक ‘चाल’ में रहते थे।
चाचा ने दो शादियाँ की थीं। पहली वाली चाची मेरी चचेरी बहन को जन्म दे कर गुजर गई थीं। उसके कुछ साल बाद दादा ने उनके गाँव से दूसरी शादी करवा दी।
दूसरी वाली चाची, चाचा से 10-12 साल छोटी हैं यानी मुझसे 10 साल बड़ी थीं। उनका रंग बहुत गोरा और बदन गदराया हुआ नॉर्थ-इंडियन औरतों की तरह था। दो बच्चे हो गये थे इसीलिए शरीर थोड़ा मोटा हो गया था, पर लगती वो कमाल थीं।
जिस वक़्त की मैं बात कर रहा हूँ तब तक चाचा और चाची के दो लड़के हो चुके थे। अब तक के कुछ सालों में मैंने कभी चाची की तरफ ग़लत नज़र से नहीं देखा था। दरअसल करीब दो साल पहले जब चाची को दूसरा लड़का हुआ, तब उन्होंने बच्चेदानी का ऑपरेशन भी करवा लिया था।
मुझे याद है मैं दादी के साथ उनको देखने अस्पताल गया था। तब ग़लती से खड़े होते हुए उनका पेटीकोट नीचे सरक गया और मुझे उनको चूत दिखाई दी थी। सच बताऊँ तो बहुत घटिया लगी थी ऑपरेशन के बाद। हालाँकि इस घटना को किसी ने भी ज़्यादा तवज्जो नहीं दी और साल बीत गये।
मैंने अभी जवान होना शुरू ही किया था, फिर भी चाची मुझसे काफ़ी हँसी-मज़ाक करती थीं। ज़ुबानी छेड़खानी कभी-कभी हाथों तक पहुँच जातीं। खैर… मैं इन सब बातों पर कोई ख़ास ध्यान नहीं देता था।
एक दिन दोपहर में मैं भी चाची के कमरे में सो रहा था और चाची साथ लेटी थीं। हम बातें कर रहे थे और वो मेरा सर सहला रही थीं। उनसे बातें करते-करते मैंने उनकी तरफ करवट ली और मेरा हाथ उनके कंधे पर लग गया। उन्होंने कुछ नहीं कहा।
फिर मज़ाक करते-करते मैंने अपना सर उनकी गोद में रख दिया। वे बैठ गईं, उन्होंने भी खुश हो कर मेरा सर अपनी गोद में ले लिया और मेरा सर सहलाने लगीं।
यह पहली बार था कि कोई औरत मुझे ऐसे कर रही थी। आप समझ सकते हैं कि मेरे मन पर क्या गुजर रही होगी। खैर मैंने ख्याली पुलाव बनाना शुरू कर दिए कि चाची को कैसे चोदा जाए। मैंने अंजाने में ही अपना हाथ उनके मम्मों पर लगा दिया। वो फिर भी कुछ नहीं बोली। इसके बाद मेरी हिम्मत खुल गई।
मैंने बोला- आप भी लेट जाओ और मैं आपके पेट पर सर रख कर सो जाऊँगा।
वो इस पर भी मान गईं और ज़मीन पर लेट गईं। मैंने भी अपना सर उनके पेट पर रख दिया और धीरे-धीरे सरकने लगा। अब तक मुझे लग रहा था कि मैं अकेला मज़े ले रहा हूँ, पर जब चाची ने मेरे इतना करने पर भी कुछ नहीं कहा तो मैं सोचने लगा कि शायद चाची भी चुदासी हैं।
मैंने बात करने के बहाने अपना सर उनको मम्मों पर रख दिया।
अरे क्या जन्नत महसूस हुई थी!!
मैं आपको बता नहीं सकता। उनके बड़े-बड़े मम्मे इतने सॉफ्ट लग रहे थे जैसे मलाई के ढेर लगे हों।
चाची को हंसता हुआ देख मुझे बहुत खुशी हुई। मेरा तो लंड महाराज खुशी के मारे पैन्ट फाड़ने को तैयार हो गया।
खैर दोपहर का वक़्त था और चाचा कभी भी आ सकते थे इसीलिए मैंने अपने आप पर काबू किया। फिर मुझे यह भी तो देखना था कि चाची किस हद तक मुझे चान्स लेने देंगी। उस दिन तो मैंने सिर्फ़ अपने सर से उनके मम्मों को दबा कर ही खुश रहना सही समझा।
उस दिन के बाद मुझे इसकी आदत लग गई। जब भी मौका मिलता मैं किसी ना किसी बहाने से चाची के बदन को छू लेता। वो भी ज़्यादा ऐतराज नहीं करती थीं।
एक दिन दोपहर के वक़्त मैंने उसके गालों पर चूम लिया, तो वो गुस्सा हो गईं और बोलीं- हमारा रिश्ता माँ-बेटे के बराबर है और यह सब करना ठीक नहीं है।
मैं अन्दर से तो डर गया लेकिन मैंने सोचा कि इतने दिनों से यह मुझे इतना सब करने दे रही है तो यह ज़्यादा कुछ नहीं बोलेगी, थोड़ा प्रेशर करके देखा जाए, यह सोच कर मैंने पीछे हटने की बात छोड़ दी।
और उसको बोला- इतना सब तो किया चाची ! अब क्यूँ मना कर रही हो।
मुझे साफ़ नज़र आ रहा था कि वो भी चाहती है कि मैं आगे बढ़ूँ। मैंने मौका सही समझा और उसके होंठों पर एक चुम्मा रख दिया।
पहली बार मैं एक मैच्योर औरत को चूम रहा था। उसने पहले तो अपने होंठ बंद रखे और मुझे ही उसके होंठों को चूमने दिया। उसके बाद मैंने अपने हाथ उसके मम्मों पर रख दिए और उनको दबा दिया। कसम से कह रहा हूँ कि मेरी तब तक की ज़िंदगी का वो सबसे हसीन लम्हा था।
मैं अपने आप पर और भी खुश था कि बात यहाँ तक पहुँच गई है। उस दिन के बाद धीरे-धीरे हम दोनों और भी ज़्यादा बोल्ड होते गए। मैंने चाची के स्तनों को रोज़ दबाना शुरू कर दिया। अब वो भी मुझे बड़े जोश के साथ चूमने लगी थी। मेरे लंड महाशय भी उम्मीद कर रहे थे कब उनका कुंवारापन जाए।
इसी तरह कुछ और दिन भी बीत गये। मुझे डर लगने लगा कि चाची को चोदने से पहले ही छुट्टियों खत्म ना हो जाएँ। खैर तक़दीर ने साथ दिया। चाचा मिल में काम करते थे और उनकी नाइट-पाली आ गई।
मैं वैसे भी अंदर के कमरे में सोता था। चाचा और मेरी खटिया साथ लगी रहती और हम दोनों रोज़ टीवी देखते हुए सो जाते थे। चाची बाहर वाले रूम में दोनों बच्चो के साथ सोती थीं।
अब आज से मैं अकेला सोने वाला था अंदर के कमरे में। मैं सारा दिन रात के आने का इंतज़ार करता रहा। रात को सब खाना खा कर करीब दस बजे सोने के लिए चले गए। मैं अंदर के कमरे में टीवी देख रहा था और चाची बाहर बच्चों को सुला रही थीं।
करीब साढ़े ग्यारह बजे मुझे लगा कि सब सो गए हैं। तब मैं चुपके से उठ कर चाची के पास गया और उनको हिलाया। चाची भी शायद मेरी राह देख कर जाग रही थीं।
उसने आँखें खोलीं तब मैंने इशारा किया कि अंदर आ जाओ। उसने झूठ-मूठ का बहाना बनाया कि बच्चे हैं यहाँ।
पर मैंने कहा- बच्चे सो रहे हैं और उसका हाथ पकड़ कर हल्के से खींचा।
वो तुरंत उठी, पर्दे वग़ैरह चैक किए और अंदर मेरे कमरे में आ गई। हमने कमरे का दरवाजा आधा बंद किया ताकि अगर बच्चे जाग जाएँ तो पता चले। फिर हम दोनों खटिया पर बैठ गए। मैंने तुरंत ही उसको चूमना शुरू कर दिया और उसने भी मेरा साथ दिया।
आज पहली बार हमें पूरा एकांत मिला था, बिना किसी समय की पाबंदी के। अब तक तो हम कुछ पल के लिए एक-दूसरे के साथ खेल कर अलग हो जाते थे। आज तो सारी रात हमारी थी। मैंने ब्लाउज के ऊपर से ही उसके मम्मों को सहलाना शुरू कर दिया।
फिर मेरा हाथ उसके ब्लाउज अंदर टटोलने लगा। उसने खुद ही ब्लाउज के बटन खोल दिए। मैंने पहली बार ज़िंदगी में किसी औरत की ब्रा को खोला। दोनों स्तन गोरे-गोरे खरगोशों की तरह लग रहे थे। मैं तो उन पर भूखे शेर की तरह टूट पड़ा। वो भी खुश होने लगी।
अब हम दोनों खटिया पर लेट गए। वो नीचे और मैं ऊपर। उसके दोनों मम्मे मैं ज़ोर-ज़ोर से दबा रहा था और उनको चूस भी रहा था। चाची भी गर्म हो गई और उसने मेरे बालों में उंगली फेरना शुरू कर दिया। मैं कभी उसके मम्मों को काटता तो कभी दबाता रहा।
अचानक ही चाची ने अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया। मेरा लंड पूरे जोश में था। चाची ने मेरा बरमूडा हटा दिया और इनर भी हटा दिया। फनफनाता हुआ मेरा 7 इंच का लंड बाहर आ गया। आज तक इस लंड ने किसी चूत को नहीं चखा था और आज वो पूरी तरह से तैयार था।
चाची ने अपनी साड़ी और पेटीकोट ऊपर कर दिए, उसने पैन्टी नहीं पहनी थी। मैंने उसकी चूत को छुआ तो जैसे बाढ़ आई हुई थी। उसकी चूत से रस नदी के बहाव की तरह बह रहा था।
मैंने उसको बोला- मैंने आज तक कभी नहीं चोदा।
चाची बोली- आज तू चोदेगा बेटा।
उसने मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ा और बोली- वाह राजा, क्या मस्त कड़क लंड है तेरा !
चाची ने मेरे लंड को अपने चूत के ऊपर रखा। मैंने तुरंत ही एक धक्के में पूरा का पूरा पेल दिया।
वो तकरीबन चीख पड़ी, बोली- धीरे से डाल नालायक !
मैंने कहा- सॉरी, अब आराम से करूँगा।
मेरा लंड तो पहली बार चूत में जाकर पागल हो गया था। मैंने ज़ोर-ज़ोर से अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया।
चाची बोली- आराम से कर ना !
पर मैं कहाँ रुकने वाला था। ज़िंदगी में पहली बार एक चूत मिली थी। मेरे लंड बाबू ने पूरा दम लगा दिया और ज़ोर-ज़ोर से चाची की चुदाई शुरू कर दी। चाची ने भी अपने चूतड़ उछाल कर मेरा साथ देना शुरू कर दिया। मेरा लंड हर झटने में खुशी की ऐंठन ले रहा था।
चाची ने मेरे होंठों को चूसना शुरू कर दिया और अपना मुँह खोल कर मुझे फ्रेंच किस करने लगी। मुझे बड़ा आनन्द आया कि मैं चाची को इतनी खुशी दे पा रहा था। मैंने और जोश लगा कर चुदाई शुरू कर दी। चाची ऐंठने लगी उसने अपने ही बाजू पर काट लिया ताकि चिल्ला ना दे।
करीब 5 मिनट बाद चाची झड़ गई, पर मेरा तो अभी तक खड़ा था, मैं चोदता रहा। पूरे 15 मिनट बाद मैं भी क्लाइमैक्स तक पहुँच गया। मैंने चाची के अन्दर ही अपना सारा माल उड़ेल दिया।
चाची ने ऑपरेशन करवा रखा था इसीलिए गर्भ ठहरने का कोई डर नहीं था।
इतनी देर में चाची तीन बार झड़ चुकी थीं, वो बहुत ही खुश थीं, मुझे बोली- आई लव यू।
मैंने भी कह दिया- आई लव यू टू।
हमने सारी रात चुदाई की।
इसके बाद तो पूरे 20 दिन तक मैं रोज़ चाची को चोदता रहा। मेरी ज़िंदगी का नया पहलू शुरू हो चुका था और इसके बाद मैंने कई सारी लड़कियों को चोदा है। लेकिन आज भी मैं जब भी मौका मिलता है अपनी चाची को ज़रूर चोदता हूँ।
पड़ोसन भाभी ने आधी रात में अपने घर बुलाया
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मेरा नाम राहुल है. मैं छत्तीसगढ़ के दुर्ग सिटी से हूँ. मैं अभी इंजीनियरिंग के दूसरे साल का स्टूडेंट हूँ, मेरी उम्र 20 साल है, देखने में थोड़ा स्लिम हूँ लेकिन गुड लुकिंग हूँ. मेरा कद पांच फीट छह इंच है, रंग और कद काठी सामान्य है.
ये कहानी अभी 4 महीने पहले की है. मैं यहाँ दुर्ग में एक पी जी में किराये पर रहता हूँ. हमारे पी जी के सामने एक सेक्सी सी भाभी रहती हैं, उन का नाम किरण है.
किरण भाभी के 2 बच्चे हैं लेकिन उनको देखने से बिल्कुल नहीं लगता कि वो 2 बच्चों की माँ हैं. क्या बॉडी है उनकी, उम्र भी उनकी 28 करीब होगी. फिगर 36-30-36 का है. कद लगभग 5 फीट 4 इंच होगा. उन के पति एक फैक्ट्री में जॉब करते हैं, उनकी ड्यूटी की शिफ्ट बदलती रहती है, कभी दिन में तो कभी रात को.
मुझे यहाँ रहते हुए 2 साल हो गए थे. जब से मैंने किरण भाभी को देखा था, उनको चोदने की ही सोचता रहता था. बस ऐसे ही टाइम निकलता गया, लेकिन भाभी मुझे कोई भाव नहीं देती थीं क्योंकि उनकी लव मैरिज हुई थी.. फैमिली भी उनकी अच्छी थी. उनसे कोई जुगाड़ ही फिट नहीं हो पा रहा था.. टाइम निकलता गया और मैं बस भाभी के नाम की मुठ मारता रहता, सोचता कब इनके नग्न बदन के दर्शन होंगे.
एक दिन मेरे कुछ फ्रेंड्स आए हुए थे तो हमने पार्टी की… दारू शारू पी, तो मुझे थोड़ा ओवर नशा हो गया. मैं छत पर जाकर वॉक करने लगा. मैंने सामने देखा कि किरण भाभी भी अपनी छत पर हैं. दारू के नशे की वजह से मुझ में हिम्मत आ गई और मैंने भाभी की तरफ देख कर एक स्माइल कर दी.
लेकिन भाभी ने कोई जवाब ना देते हुए गुस्से से मुझे देखा और वहां से चली गईं.
अब मेरी गांड फटने लगी कि कहीं ये अपने पति को मेरी शिकायत ना कर दें क्योंकि भाभी पहले से जानती थीं कि मैं उन को लाइन मारता हूँ.
अगले दिन जब सुबह सो कर उठा और छत पर गया तो देखा कि भाभी गीले कपड़े सुखा रही थीं. मैंने डरते डरते भाभी की तरफ देखा तो पहले उन्होंने कोई रिएक्शन नहीं दिया, पर जाते वक़्त भाभी ने भी प्यारी सी स्माइल दे दी.
मैं तो जैसे ख़ुशी के मारे पागल हो गया था.. जैसे जन्नत मिल गई हो.
फिर ऐसे ही इशारों इशारों में मैंने उन को अपना नम्बर दिया और हमारी बातें शुरू हो गईं फोन पर! कुछ ही दिनों में हम दोनों अब काफ़ी क्लोज़ आ चुके थे, फोन सेक्स चैट भी करते थे. लेकिन मिलना हमारे लिए बहुत ज़्यादा मुश्किल था क्योंकि अगर किसी को पता चलता या कोई हमें बात करते हुए देख भी लेता, तो बहुत समस्या हो जाती. इसलिए हमने कुछ दिन ऐसे ही निकाल दिए.
फिर वो एक रात यानि हम दोनों के मधुर प्रेम मिलन की रात आ ही गई. उनके पति को नाइट ड्यूटी करनी थी और बच्चे तो छोटे थे तो उनका कोई उतना इश्यू नहीं था. हम दोनों फोन पे बात करते रहते थे तो इस मौके का फायदा उठाने की सोच ली थी. उस रात 12 बजे भाभी का फोन पर मैसेज आया- तुम्हारे भैया जा चुके हैं… तुम आ सकते हो!
मैं चुपचाप छुपते छुपाते उन के कमरे तक गया, भाभी ने दरवाज़ा खोला तो मैं तो उन्हें देखता ही रह गया. क्या कमाल का सेक्सी माल लग रही थीं भाभी यारो… भाभी ने मेरून कलर की साड़ी मेरून ब्लाउज.. वाउ.
भाभी ने कहा- यार देखते ही रहोगे कि अन्दर भी आओगे, कोई देख लेगा जल्दी अन्दर आओ.
मैं अन्दर आया तो देखा एक बेड पे बच्चे सोए हैं और एक खाली सेज भी हमारी रास लीला के लिए सजी थी.
जैसे ही भाभी ने दरवाज़ा बंद किया, मैंने उन्हें पीछे से पकड़ लिया और उनकी साड़ी के पल्लू के नीचे उनके नंगे पेट पर हाथ रख कर उस को सहलाने लगा, उनके गाल और गले, कानों पर पागलों की तरह किस करने लगा. भाभी तो कामुकता से जैसे पागल सी होने लगीं, उनके मुख से बस ये आवाज़ें निकलने लगीं ‘आमम्म.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… उम्म.. आहह..’
मैं भाभी को अपनी तरफ़ घुमा कर सीधा किया और उनको दीवार से सटा कर उन के होंठ को चूसने लगा. भाभी भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं- आअहह.. राहुल… उम्म.. अम्माह मम्मह…
मैंने भाभी को बेड पर लिटा दिया और उनकी साड़ी का पल्लू ऊपर को सरका दिया और उन की गहरी नाभि पर किस करने लगा, उसमें जीभ डाल कर चाटने लगा. ब्लाउज के ऊपर से ही उनके मम्मों को दबाने लगा. भाभी कामुक सिसकारियाँ लेने लगीं- आआहह… आहह… एम्म… उह… ओह…
वो तो चुदास से बस सी पागल होने लगी थीं.
मैंने धीरे धीरे एक के कर के उन के ब्लाउज के हुक खोलने लगा, साथ साथ मैं भाभी की चूची भी दबा रहा था. भाभी का ब्लाउज मैंने पूरा उतार दिया तो मैंने देखा कि भाभी ने अन्दर भी मेरून कलर की ब्रा पहन रखी थी. ये मुझे बहुत अच्छा लगा. उनका गोरा बदन और डार्क कलर की ब्रा.. वाउ.. क्या लग रही थीं.
मैंने भाभी की ब्रा के ऊपर से ही भाभी का एक दूध चूसना शुरू किया और उनकी साड़ी भी मैंने हटा दी थी. वो अब बस ब्रा और पेटीकोट में थीं. मैं उनको लगातार किस करते जा रहा था. भाभी और पागल होती जा रही थीं ‘आह राहुल.. जल्दी करो अब बर्दाश्त नहीं हो रहा.’
मैंने भाभी का पेटीकोट भी निकाल दिया अब वो मेरून ब्रा और ब्लैक पेंटी में थीं. मैं भाभी की फुद्दी को पेंटी के ऊपर से ही उंगली से रब करने लगा, भाभी की चूत पहले ही गीली हो चुकी थी. भाभी के मम्मों को भी मैंने ब्रा से अलग कर दिया और दीवानों की तरह उन्हें चूसने लगा और उनकी चुत को रब करने लगा.
भाभी ने भी मेरे सारे कपड़े उतार दिए थे और एक हाथ से मेरे 8 इंच के लंड से खेलने लगी थीं. मैंने भाभी के मम्मों को खूब चूसा.. लाल कर दिया. फिर किस करते हुए मैं भाभी के नीचे की तरफ आया और भाभी की पेंटी को बड़े प्यार से नीचे किया.
आह.. क्या चुत थी यार.. उनकी.. एकदम पिंक.. क्लीन शेव्ड.. चिकनी चूत…
मैंने भाभी से पूछा तो उन्होंने बताया कि उन्होंने चुत को मेरे लिए ही साफ की है. मैं खुश होकर पागलों की तरह उनकी चुत चाटने लगा. भाभी की मादक सिसकारियाँ अब तेज़ होने लगी थीं ‘आअम्म्म्मम.. राहुल्ल.. आआहह.. आआहह..’
भाभी मेरा सर पकड़ कर अपनी चुत में दबाने लगीं. मैं भी अपने काम में लगा रहा.
भाभी ‘बस..’ कहने लगीं- प्लीज़.. राहुल और मत तड़पाओ.. जल्दी से करो वरना मैं पागल हो जाऊंगी आअहह..
मैं उठा और अपने फनफनाते लंड को भाभी के मुँह पर ले गया और उन्हें लंड चूसने को कहा, तो भाभी ने मना कर दिया कि ऐसा उन्होंने पहले कभी नहीं किया. पर मेरे बहुत जोर देने पर वो मान गईं और मेरा लंड अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगीं.
भाभी कहने लगीं- बाप रे, ये तो कितना बड़ा है.. मेरे मुँह में ही मुश्किल से जा रहा है.. चुत में कैसे जाएगा, मैं तो मर ही जाऊंगी.
मैंने कहा- भाभी आप पहले मिल जाती तो ये नहीं होता.. आपकी याद में मुठ मारते मारते इतना बड़ा हो गया.
भाभी ने स्माइल किया और बस मेरा लंड चूसने में लगी रहीं. दस मिनट लंड चुसाने के बाद मैंने भाभी को बेड पे सीधा लिटाया और उनके ऊपर लेट कर किस करते, उनके मम्मों को दबाते और चूसते हुए हौले से लंड को भाभी की चुत पे रखा कर धक्का लगा दिया. भाभी की तो जैसे आँखें ही बाहर आ गई थीं. इसलिए मैं उनको किस करता रहा ताकि उनकी चीख बाहर ना आए.
भाभी कहने लगीं- आह.. मुझ से नहीं होगा बहुत दर्द हो रहा है.
मैंने भाभी को समझाया कि बस एक दो मिनट ही दर्द होगा, सहन कर लो… और भाभी के रसीले होंठों का चुम्बन करते हुए फिर एक शॉट लगाया. इस बार लंड भाभी की चूत में आधा अन्दर जा चुका था. भाभी को फिर दर्द हुआ और उन की आँखों में से आँसू आने लगे, लेकिन मैं नहीं रुका और तीसरे झटके में अपना पूरा का पूरा लंड भाभी की गीली चिकनी चूत में पेल दिया.
भाभी दर्द के मारे तड़पने सी लगी थीं लेकिन मैंने उन के होंठ अपने होंठों से सटा रखे थे ताकि उन की आवाज़ बाहर ना आए.
थोड़ा देर वेट करने के बाद जब भाभी नॉर्मल हो गईं, तब मैंने फिर से अपना काम चालू किया और भाभी की चूत में लंड के झटके मारने लगा. अब भाभी को भी चुत चुदाई का मजा आने लगा था, वो मेरा पूरा साथ दे रही थीं- आआहह.. जान.. आअहह.. और ज़ोर से प्लीज़.. आअहह.. राहुल.. आआहह..
भाभी की ये कामुक आवाज़ें सुन कर मैं और ज़ोर से उन्हें चोदने लगा.
करीब दस मिनट तक ऐसे ही चोदने के बाद मैंने उन्हें घोड़ी बनने को कहा. भाभी बिस्तर पर अपने घुटने और हाथ टिका कर घोड़ी बन गईं तो अब मेरे सामने उनके गोर चिकने चूतड़ उठे हुए थे, मैंने भाभी के चूतड़ों को चूमा, उन पर हाथ फिराया, सहलाया, चूतड़ों की दरार ने उंगली फिराई. फिर मैं उन को पीछे से लंड लगा कर चोदने लगा. साथ ही आगे हाथ बढ़ा कर उनके मम्मों को दबाने लगा और धपाधप उन्हें चोदने लगा- भाभी.. आहह.. आपको अच्छा लग रहा है ना?
“हाँ मेरी जान, ऐसा लग रहा है.. जैसे जन्नत में हूँ.. इनके पापा ने तो आज तक ऐसे नहीं किया.. मैं कब से तुमसे बात करना चाहती थी लेकिन डरती थी.”
“कोई बात नहीं भाभी.. अब सब ठीक है..”
“भभी मेरा लंड पूरा अंदर तक जा रहा है ना?”
“हां राहुल… पूरा अंदर है! बस तुम मुझे चोदते जाओ!”
कोई दस मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ने वाला था और इस बीच भाभी भी एक झड़ चुकी थीं.
अब मैं भी चरम सीमा पर था तो मैंने भाभी को पूछा कहा निकालु? ????????
तो उन्होंने बताया कि वो {माला डी} खाती हैं, कोई डर नहीं है, अन्दर ही झड़ने को कहा..
सो मैंने वैसा ही किया. मैं झड़ कर भाभी के ऊपर कुछ पल तो ऐसे ही लेटा रहा.
फिर मैं भाभी के ऊपर से हटा और हम दोनों अगल बगल लेट गए. मेरी आँख लग गई.. और मैं ऐसे ही सो गया.
जब एक घंटे के बाद नींद खुली तो मैंने फिर भाभी को किस करते हुए उन्हें और कई तरह के आसनों में चोदा और देखा तो सुबह का टाइम हो गया था, सो मुझे अपने रूम पर आना पड़ा.
इसी तरह हम कई बार मिले. दिन में कभी मेरे रूम पर, कभी उनके घर में.. यूं ही चुदाई का सिलसिला आज भी चल रहा है.
दिल्ली वाली भाभी की चूत चुदाई
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हाय दोस्तो, कैसे हैं आप सब.. शिव राज का आप सभी हसीन चूत वालियों को मेरा प्यार भरा चुम्मा.. और खड़े लण्ड वालों को जापानी तेल..
मैं अपनी कहानी आप सब लोगों के लिए लेकर आया हूँ जो आज से दो साल पहले की है।
एक दिन मैंने अपने ऑफिस में बैठकर एक नई नेटवर्किंग साईट पर अपनी प्रोफाइल बनाई और इधर-उधर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजने लगा।
कुछ ही देर में एक भाभी ने मेरी रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर ली.. तो मैं उनसे चैट करने लगा। कुछ देर तक इधर-उधर की बातें हुई।
उनका नाम नीलू था, वो 33 साल की थी.. उसके दो बच्चे थे और वो दिल्ली में अकेली रहती थी। उसके हसबैंड कोलकता में रहते थे।
फिर मैंने उनको अपना नंबर दिया। दो दिन बाद उनका कॉल आया और हमारी बातें शुरू हो गईं।
उन्होंने बताया- उन्हें ‘वाइल्ड सेक्स’ बहुत पसंद है.. उनके पति का लंड बहुत छोटा है.. और चुदे हुए बहुत दिन हो गए हैं।
इस तरह की बातचीत से हम दोनों बहुत खुल कर एक-दूसरे से अपनी चुदास साझा करने लगे थे।
एक बार मैं उनके ऑफिस गया.. उनसे मिला.. हाय.. क्या मस्त माल लग रही थी वो.. गुलाबी सूट में..
थोड़ी देर उससे बात करने के बाद मैं चला गया.. उनको मैं बहुत पसंद आया।
रात को बात करते हुए उन्होंने मेरे लण्ड का साइज़ पूछा.. तो मैंने उन्हें बताया- मेरा 7.5 इंच का है।
तो वो बोली- मेरे पति का तो 5 इंच का ही है.. तुमसे चुदवाने में मजा आएगा..
यह कह कर वो हँसने लगी.. तो मैंने भी कहा- बोलो तो अभी आ जाऊँ तुम्हारे घर.. रात भर तुम्हें चोद-चोद कर मस्त मजा दूँगा।
तो वो बोली- आज फ़ोन से चोद लो.. कल मैं मिलूँगी.. तब जम कर चोदना।
फिर हमने फ़ोन सेक्स किया और अगले दिन 11 बजे मिलने का फाइनल हुआ।
मैं उनको लेने बाराखम्भा मेट्रो स्टेशन पहुँच गया।
वो सजधज कर आई.. तो मैं देखता ही रह गया। जींस और टॉप में वो एकदम मस्त माल लग रही थी।
उसको देख कर ही मेरा लण्ड खड़ा हो गया.. फिर मैंने बाइक पर बिठाया और अपने कमरे की तरफ चल पड़ा। रास्ते में वो बोली- कॉन्डोम है या नहीं.. वरना इधर से ही ले लो..
मैंने दस कंडोम वाला बड़ा पैक खरीद लिया और उसे लेकर अपने कमरे पर पहुँच गया।
जैसे ही मैंने दरवाजा अन्दर से बंद किया.. तो देखा कि वो काफी डरी हुई लग रही थी।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो बोली- अजीब सा लग रहा है.. कहीं तुम मेरे साथ कुछ गलत तो नहीं करोगे?
मैंने कहा- तुम्हें ऐसा क्यों लग रहा है.. ऐसा कुछ भी नहीं है.. अगर तुम्हें कोई प्रॉब्लम है.. तो चलो मैं तुम्हें वापस छोड़ देता हूँ..
यह कह कर मैंने उसे गले से लगा लिया।
मैंने कस कर नीलू को अपनी बांहों में जकड़ लिया.. वो मेरे से 5 साल बड़ी थी फिर भी लग नहीं रही थी कि वो दो बच्चों की माँ है।
मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और चुम्बन करने लगा।
मैं अपनी जीभ से उसकी जीभ को टच करने लगा.. तो वो भी जोश में आ गई और कस कर चुम्बन करने लगी।
दस मिनट तक हम दोनों एक-दूसरे से चिपके हुए चुम्बन करते रहे।
वो थोड़ा सा नार्मल हुई और पैन्ट के ऊपर से मेरा लंड पकड़ने लगी।
मैंने उसका टॉप निकाल दिया। वो अन्दर लाल रंग की ब्रा में क्या मस्त आइटम लग रही थी।
मैं उसे बिस्तर पर ले गया और लिटा दिया और ऊपर चढ़ कर उसकी चूची दबाने लगा और चुम्बन करने लगा।
वो बस ‘इस्स्स्स्स्स्स.. आआईईई..’ की आवाज निकालती रही।
मैं उसको किस करता हुआ जींस के ऊपर से अपना मुँह उसकी चूत पर रगड़ने लगा.. तो वो मेरा सर कस कर चूत में दबाने लगी।
मैंने जींस का बटन खोल दिया.. तो उसने अपनी गाण्ड उठा दी.. जिससे मैंने जींस नीचे खिसका दी.. तथा उसी के साथ उसकी पैन्टी भी उतर गई।
अब वो मेरे सामने अपनी आँखें बंद किए हुए बिल्कुल नंगी लेटी हुई थी। मैंने थोड़ी टाँगें फैलाईं.. और अपने हाथ से चूत का जायजा लेने लगा।
उसकी चूत बिलकुल चिकनी थी.. शायद आज ही अपनी झांटें साफ़ की होगीं.. चूत पूरी तरह से रस से भरी हुई थी।
मैंने चूत रस पीने के लिए अपनी जीभ जैसे ही चूत से लगाई.. वो मुझे पकड़ने लगी। मैंने उसका हाथ हटा कर चूत को फैला कर चाटने लगा.. उसकी सिसकारी निकल गई।
जब मैं उसकी चूत चाट रहा था.. तब उसने अपनी दोनों टाँगें खोल कर हवा में उठा दीं.. वो मादक सिसकारियां ले रही थी, उसकी आंखें बंद थीं.. मानो वो जन्नत की सैर कर रही हो।
मैं दस मिनट तक उसकी चूत का रस पीता रहा।
फिर वो बोली- शिव.. अब मत तड़पाओ जल्दी अपना लंड मेरी चूत में डाल कर इसको फाड़ दो.. अब सहन नहीं हो रहा..
मैंने कहा- इतनी जल्दी क्या है जानेमन..
तो वो उठ कर बैठ गई और मेरे कपड़े उतारने लगी।
अब मैं अंडरवियर में था.. जिसमें मेरा लंड तम्बू की तरह तना हुआ था। उसने चड्डी नीचे खिसकाई और मेरे लंड को हाथ से पकड़ कर सहलाने लगी।
मैं खड़ा था.. वो बैठी थी और मेरे लंड से खेल रही थी। उसने मेरे लंड पर एक चुम्बन किया और चाटते हुए लौड़े को मुँह के अन्दर ले लिया और चूसने लगी।
ओह्ह.. आह.. क्या मस्त चूस रही थी। मैं अपनी आँखें बंद किए हुए लौड़ा चुसवाने का मजा ले रहा था।
वो मेरा लंड चूस रही थी और एक हाथ से अपनी चूत रगड़ रही थी। तो मैंने उसे लिटाया और 69 की पोजीशन में आ गया।
अब मैं नीचे लेटा था और वो मेरे ऊपर अपनी चूत मेरे मुँह में रख कर मेरा लंड चूसने लगी।
मैं भी उसकी चूत में पूरी जीभ अन्दर डालकर चोदने लगा.. तभी मुझे ऐसा लगा कि उसने ‘सुसू’ कर दी हो.. वो झड़ने लगी थी.. मैंने भी बुर चुसाई चालू रखी।
अब वो बिलुकल शांत हो गई.. पर उसने अपने मुँह से मेरा लंड बाहर नहीं निकाला।
मैंने उसे अपने ऊपर से हटाया और पूछा- कैसा लगा?
तो वो बिना कुछ बोले मुझे चुम्बन करने लगी।
फिर उसकी आंखों में आंसू आ गए, मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो बोली- आज चुदाई का सच्चा सुख मिल रहा है मुझे..
मैंने कहा- अभी सुख किधर मिला है.. और मेरा क्या होगा.. मेरा लंड तो अभी भी खड़ा है?
तो वो बोली- आ जाओ.. डाल दो न.. इसे मेरी चूत में.. और जम कर चोदो मुझे..
मैंने लंड उसकी चूत की गहराई में उतार दिया। मेरा लंड एक ही झटके में अन्दर घुस गया था।
वो बोली- ओह्ह.. मेरे राजा.. जरा आराम से चोदो.. मैं तुम्हारी ही हूँ..
मैंने चुदाई की रफ़्तार धीरे-धीरे बढ़ा दी।
उसकी कमर नीचे से लगातार लौड़े की थापों की संगत दे रही थी.. उसकी मस्त नारंगियाँ मेरे होंठों में दबी थीं।
धकापेल चुदाई हुई वो शायद इस चुदाई में झड़ चुकी थी उसके रस की गर्मी पाकर अब मेरा भी निकलने ही वाला था।
मैंने कहा- कंडोम पहनना तो भूल ही गया.. क्या कंडोम लगा लूँ?
वो बोली- मत पहनो.. मेरा ऑपरेशन हो चुका है.. तुम कितना भी चोदो मुझे.. और अपना माल मेरी चूत के अन्दर ही डालना.. कन्डोम तो बीमारी से बचने के लिए कह रही थी।
मैंने बीस मिनट तक जम कर आसन बदल-बदल कर उसकी चूत की चुदाई की फिर मैं उसके अन्दर ही झड़ गया।
वो भी झड़ गई.. हम दोनों इस चुदाई से थक चुके थे.. सो थोड़ी देर आराम करने लगे।
मुझे नींद आने लगी.. मगर नीलू की आँखों में नींद नहीं थी.. वो मेरा लंड मुँह में लेकर फिर से चूसने लगी.. जिससे मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा।
दस मिनट तक वो मेरा लौड़ा चूसती रही। क्या जबरदस्त तरीके से चूसती थी.. मेरा दावा है कि वो अपनी जुबान से अस्सी साल के बुड्डे का भी लण्ड खड़ा कर सकती है।
फिर हमारी चुदाई का दूसरा दौर चला। अब वो मेरे लंड के ऊपर बैठ गई मेरा पूरा लंड उसकी चूत के अन्दर था और मस्त उछल-उछल कर वो मुझे चोद रही थी।
आधा घंटे तक चली चुदाई में वो फिर से दो बार झड़ी..
वो बहुत खुश लग रही थी.. उसने मुझे इस चुदाई के लिए ‘थैंक्स’ कहा और एक हजार रूपये भी दिए.. तो मैंने मना कर दिया।
वो बोली- मेरी तरफ से गिफ्ट है.. प्लीज मना मत करो.. इसे ले लो।
उनका नाम नीलू था।
फिर मैंने उसे मेट्रो स्टेशन छोड़ दिया।
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मित्रो, यह मेरी पहली कहानी है जो मैं लिखने जा रहा हूँ। मैं कई सालों से चुदाई का कहानियाँ पढ़ रहा हूँ और उनको पढ़ कर मुठ मारता हूँ। मेरी ज़िंदगी में भी काफ़ी सारी लड़कियाँ आई हैं जिनको मैंने जी भर के चोदा है। मैं अहमदाबाद का रहने वाला हूँ पर एक उत्तर भारतीय परिवार से हूँ। बचपन से ही मैं बहुत कामुक किस्म का मर्द हूँ।
मुझे याद है बहुत छोटी उम्र में ही मुझे अपने लंड को मुठ मारने का पता चल गया था। शायद मैं जब दूसरी या तीसरी क्लास में था, तबसे मेरा लंड खड़ा होने लगा था। पूर्ण युवा होने के बाद जब-जब भी किसी की लेने के मौके मिले, मैंने मौका नहीं जाने दिया।
हमारे पड़ोस में एक गुजराती परिवार रहता था, उनके दो लड़के और एक लड़की थी। लड़की मुझसे कुछ छोटी थी। उसको जब मैं छोटा था, तबसे मैं उस लड़की को होंठों पर चुम्बन वग़ैरह करता था लेकिन कभी हिम्मत नहीं हुई कि उसको चोद दूँ।
खैर किशोर-वय तो ऐसे ही बीते जा रही थी, तभी मेरी ज़िंदगी में एक कमाल की घटना घटी। मैं आपसे वही घटना शेयर करना चाहता हूँ। मेरे पिताजी के एक छोटे भाई हैं जो उस वक्त दादा-दादी के साथ एक ‘चाल’ में रहते थे।
चाचा ने दो शादियाँ की थीं। पहली वाली चाची मेरी चचेरी बहन को जन्म दे कर गुजर गई थीं। उसके कुछ साल बाद दादा ने उनके गाँव से दूसरी शादी करवा दी।
दूसरी वाली चाची, चाचा से 10-12 साल छोटी हैं यानी मुझसे 10 साल बड़ी थीं। उनका रंग बहुत गोरा और बदन गदराया हुआ नॉर्थ-इंडियन औरतों की तरह था। दो बच्चे हो गये थे इसीलिए शरीर थोड़ा मोटा हो गया था, पर लगती वो कमाल थीं।
जिस वक़्त की मैं बात कर रहा हूँ तब तक चाचा और चाची के दो लड़के हो चुके थे। अब तक के कुछ सालों में मैंने कभी चाची की तरफ ग़लत नज़र से नहीं देखा था। दरअसल करीब दो साल पहले जब चाची को दूसरा लड़का हुआ, तब उन्होंने बच्चेदानी का ऑपरेशन भी करवा लिया था।
मुझे याद है मैं दादी के साथ उनको देखने अस्पताल गया था। तब ग़लती से खड़े होते हुए उनका पेटीकोट नीचे सरक गया और मुझे उनको चूत दिखाई दी थी। सच बताऊँ तो बहुत घटिया लगी थी ऑपरेशन के बाद। हालाँकि इस घटना को किसी ने भी ज़्यादा तवज्जो नहीं दी और साल बीत गये।
मैंने अभी जवान होना शुरू ही किया था, फिर भी चाची मुझसे काफ़ी हँसी-मज़ाक करती थीं। ज़ुबानी छेड़खानी कभी-कभी हाथों तक पहुँच जातीं। खैर… मैं इन सब बातों पर कोई ख़ास ध्यान नहीं देता था।
एक दिन दोपहर में मैं भी चाची के कमरे में सो रहा था और चाची साथ लेटी थीं। हम बातें कर रहे थे और वो मेरा सर सहला रही थीं। उनसे बातें करते-करते मैंने उनकी तरफ करवट ली और मेरा हाथ उनके कंधे पर लग गया। उन्होंने कुछ नहीं कहा।
फिर मज़ाक करते-करते मैंने अपना सर उनकी गोद में रख दिया। वे बैठ गईं, उन्होंने भी खुश हो कर मेरा सर अपनी गोद में ले लिया और मेरा सर सहलाने लगीं।
यह पहली बार था कि कोई औरत मुझे ऐसे कर रही थी। आप समझ सकते हैं कि मेरे मन पर क्या गुजर रही होगी। खैर मैंने ख्याली पुलाव बनाना शुरू कर दिए कि चाची को कैसे चोदा जाए। मैंने अंजाने में ही अपना हाथ उनके मम्मों पर लगा दिया। वो फिर भी कुछ नहीं बोली। इसके बाद मेरी हिम्मत खुल गई।
मैंने बोला- आप भी लेट जाओ और मैं आपके पेट पर सर रख कर सो जाऊँगा।
वो इस पर भी मान गईं और ज़मीन पर लेट गईं। मैंने भी अपना सर उनके पेट पर रख दिया और धीरे-धीरे सरकने लगा। अब तक मुझे लग रहा था कि मैं अकेला मज़े ले रहा हूँ, पर जब चाची ने मेरे इतना करने पर भी कुछ नहीं कहा तो मैं सोचने लगा कि शायद चाची भी चुदासी हैं।
मैंने बात करने के बहाने अपना सर उनको मम्मों पर रख दिया।
अरे क्या जन्नत महसूस हुई थी!!
मैं आपको बता नहीं सकता। उनके बड़े-बड़े मम्मे इतने सॉफ्ट लग रहे थे जैसे मलाई के ढेर लगे हों।
चाची को हंसता हुआ देख मुझे बहुत खुशी हुई। मेरा तो लंड महाराज खुशी के मारे पैन्ट फाड़ने को तैयार हो गया।
खैर दोपहर का वक़्त था और चाचा कभी भी आ सकते थे इसीलिए मैंने अपने आप पर काबू किया। फिर मुझे यह भी तो देखना था कि चाची किस हद तक मुझे चान्स लेने देंगी। उस दिन तो मैंने सिर्फ़ अपने सर से उनके मम्मों को दबा कर ही खुश रहना सही समझा।
उस दिन के बाद मुझे इसकी आदत लग गई। जब भी मौका मिलता मैं किसी ना किसी बहाने से चाची के बदन को छू लेता। वो भी ज़्यादा ऐतराज नहीं करती थीं।
एक दिन दोपहर के वक़्त मैंने उसके गालों पर चूम लिया, तो वो गुस्सा हो गईं और बोलीं- हमारा रिश्ता माँ-बेटे के बराबर है और यह सब करना ठीक नहीं है।
मैं अन्दर से तो डर गया लेकिन मैंने सोचा कि इतने दिनों से यह मुझे इतना सब करने दे रही है तो यह ज़्यादा कुछ नहीं बोलेगी, थोड़ा प्रेशर करके देखा जाए, यह सोच कर मैंने पीछे हटने की बात छोड़ दी।
और उसको बोला- इतना सब तो किया चाची ! अब क्यूँ मना कर रही हो।
मुझे साफ़ नज़र आ रहा था कि वो भी चाहती है कि मैं आगे बढ़ूँ। मैंने मौका सही समझा और उसके होंठों पर एक चुम्मा रख दिया।
पहली बार मैं एक मैच्योर औरत को चूम रहा था। उसने पहले तो अपने होंठ बंद रखे और मुझे ही उसके होंठों को चूमने दिया। उसके बाद मैंने अपने हाथ उसके मम्मों पर रख दिए और उनको दबा दिया। कसम से कह रहा हूँ कि मेरी तब तक की ज़िंदगी का वो सबसे हसीन लम्हा था।
मैं अपने आप पर और भी खुश था कि बात यहाँ तक पहुँच गई है। उस दिन के बाद धीरे-धीरे हम दोनों और भी ज़्यादा बोल्ड होते गए। मैंने चाची के स्तनों को रोज़ दबाना शुरू कर दिया। अब वो भी मुझे बड़े जोश के साथ चूमने लगी थी। मेरे लंड महाशय भी उम्मीद कर रहे थे कब उनका कुंवारापन जाए।
इसी तरह कुछ और दिन भी बीत गये। मुझे डर लगने लगा कि चाची को चोदने से पहले ही छुट्टियों खत्म ना हो जाएँ। खैर तक़दीर ने साथ दिया। चाचा मिल में काम करते थे और उनकी नाइट-पाली आ गई।
मैं वैसे भी अंदर के कमरे में सोता था। चाचा और मेरी खटिया साथ लगी रहती और हम दोनों रोज़ टीवी देखते हुए सो जाते थे। चाची बाहर वाले रूम में दोनों बच्चो के साथ सोती थीं।
अब आज से मैं अकेला सोने वाला था अंदर के कमरे में। मैं सारा दिन रात के आने का इंतज़ार करता रहा। रात को सब खाना खा कर करीब दस बजे सोने के लिए चले गए। मैं अंदर के कमरे में टीवी देख रहा था और चाची बाहर बच्चों को सुला रही थीं।
करीब साढ़े ग्यारह बजे मुझे लगा कि सब सो गए हैं। तब मैं चुपके से उठ कर चाची के पास गया और उनको हिलाया। चाची भी शायद मेरी राह देख कर जाग रही थीं।
उसने आँखें खोलीं तब मैंने इशारा किया कि अंदर आ जाओ। उसने झूठ-मूठ का बहाना बनाया कि बच्चे हैं यहाँ।
पर मैंने कहा- बच्चे सो रहे हैं और उसका हाथ पकड़ कर हल्के से खींचा।
वो तुरंत उठी, पर्दे वग़ैरह चैक किए और अंदर मेरे कमरे में आ गई। हमने कमरे का दरवाजा आधा बंद किया ताकि अगर बच्चे जाग जाएँ तो पता चले। फिर हम दोनों खटिया पर बैठ गए। मैंने तुरंत ही उसको चूमना शुरू कर दिया और उसने भी मेरा साथ दिया।
आज पहली बार हमें पूरा एकांत मिला था, बिना किसी समय की पाबंदी के। अब तक तो हम कुछ पल के लिए एक-दूसरे के साथ खेल कर अलग हो जाते थे। आज तो सारी रात हमारी थी। मैंने ब्लाउज के ऊपर से ही उसके मम्मों को सहलाना शुरू कर दिया।
फिर मेरा हाथ उसके ब्लाउज अंदर टटोलने लगा। उसने खुद ही ब्लाउज के बटन खोल दिए। मैंने पहली बार ज़िंदगी में किसी औरत की ब्रा को खोला। दोनों स्तन गोरे-गोरे खरगोशों की तरह लग रहे थे। मैं तो उन पर भूखे शेर की तरह टूट पड़ा। वो भी खुश होने लगी।
अब हम दोनों खटिया पर लेट गए। वो नीचे और मैं ऊपर। उसके दोनों मम्मे मैं ज़ोर-ज़ोर से दबा रहा था और उनको चूस भी रहा था। चाची भी गर्म हो गई और उसने मेरे बालों में उंगली फेरना शुरू कर दिया। मैं कभी उसके मम्मों को काटता तो कभी दबाता रहा।
अचानक ही चाची ने अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया। मेरा लंड पूरे जोश में था। चाची ने मेरा बरमूडा हटा दिया और इनर भी हटा दिया। फनफनाता हुआ मेरा 7 इंच का लंड बाहर आ गया। आज तक इस लंड ने किसी चूत को नहीं चखा था और आज वो पूरी तरह से तैयार था।
चाची ने अपनी साड़ी और पेटीकोट ऊपर कर दिए, उसने पैन्टी नहीं पहनी थी। मैंने उसकी चूत को छुआ तो जैसे बाढ़ आई हुई थी। उसकी चूत से रस नदी के बहाव की तरह बह रहा था।
मैंने उसको बोला- मैंने आज तक कभी नहीं चोदा।
चाची बोली- आज तू चोदेगा बेटा।
उसने मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ा और बोली- वाह राजा, क्या मस्त कड़क लंड है तेरा !
चाची ने मेरे लंड को अपने चूत के ऊपर रखा। मैंने तुरंत ही एक धक्के में पूरा का पूरा पेल दिया।
वो तकरीबन चीख पड़ी, बोली- धीरे से डाल नालायक !
मैंने कहा- सॉरी, अब आराम से करूँगा।
मेरा लंड तो पहली बार चूत में जाकर पागल हो गया था। मैंने ज़ोर-ज़ोर से अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया।
चाची बोली- आराम से कर ना !
पर मैं कहाँ रुकने वाला था। ज़िंदगी में पहली बार एक चूत मिली थी। मेरे लंड बाबू ने पूरा दम लगा दिया और ज़ोर-ज़ोर से चाची की चुदाई शुरू कर दी। चाची ने भी अपने चूतड़ उछाल कर मेरा साथ देना शुरू कर दिया। मेरा लंड हर झटने में खुशी की ऐंठन ले रहा था।
चाची ने मेरे होंठों को चूसना शुरू कर दिया और अपना मुँह खोल कर मुझे फ्रेंच किस करने लगी। मुझे बड़ा आनन्द आया कि मैं चाची को इतनी खुशी दे पा रहा था। मैंने और जोश लगा कर चुदाई शुरू कर दी। चाची ऐंठने लगी उसने अपने ही बाजू पर काट लिया ताकि चिल्ला ना दे।
करीब 5 मिनट बाद चाची झड़ गई, पर मेरा तो अभी तक खड़ा था, मैं चोदता रहा। पूरे 15 मिनट बाद मैं भी क्लाइमैक्स तक पहुँच गया। मैंने चाची के अन्दर ही अपना सारा माल उड़ेल दिया।
चाची ने ऑपरेशन करवा रखा था इसीलिए गर्भ ठहरने का कोई डर नहीं था।
इतनी देर में चाची तीन बार झड़ चुकी थीं, वो बहुत ही खुश थीं, मुझे बोली- आई लव यू।
मैंने भी कह दिया- आई लव यू टू।
हमने सारी रात चुदाई की।
इसके बाद तो पूरे 20 दिन तक मैं रोज़ चाची को चोदता रहा। मेरी ज़िंदगी का नया पहलू शुरू हो चुका था और इसके बाद मैंने कई सारी लड़कियों को चोदा है। लेकिन आज भी मैं जब भी मौका मिलता है अपनी चाची को ज़रूर चोदता हूँ।
पड़ोसन भाभी ने आधी रात में अपने घर बुलाया
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मेरा नाम राहुल है. मैं छत्तीसगढ़ के दुर्ग सिटी से हूँ. मैं अभी इंजीनियरिंग के दूसरे साल का स्टूडेंट हूँ, मेरी उम्र 20 साल है, देखने में थोड़ा स्लिम हूँ लेकिन गुड लुकिंग हूँ. मेरा कद पांच फीट छह इंच है, रंग और कद काठी सामान्य है.
ये कहानी अभी 4 महीने पहले की है. मैं यहाँ दुर्ग में एक पी जी में किराये पर रहता हूँ. हमारे पी जी के सामने एक सेक्सी सी भाभी रहती हैं, उन का नाम किरण है.
किरण भाभी के 2 बच्चे हैं लेकिन उनको देखने से बिल्कुल नहीं लगता कि वो 2 बच्चों की माँ हैं. क्या बॉडी है उनकी, उम्र भी उनकी 28 करीब होगी. फिगर 36-30-36 का है. कद लगभग 5 फीट 4 इंच होगा. उन के पति एक फैक्ट्री में जॉब करते हैं, उनकी ड्यूटी की शिफ्ट बदलती रहती है, कभी दिन में तो कभी रात को.
मुझे यहाँ रहते हुए 2 साल हो गए थे. जब से मैंने किरण भाभी को देखा था, उनको चोदने की ही सोचता रहता था. बस ऐसे ही टाइम निकलता गया, लेकिन भाभी मुझे कोई भाव नहीं देती थीं क्योंकि उनकी लव मैरिज हुई थी.. फैमिली भी उनकी अच्छी थी. उनसे कोई जुगाड़ ही फिट नहीं हो पा रहा था.. टाइम निकलता गया और मैं बस भाभी के नाम की मुठ मारता रहता, सोचता कब इनके नग्न बदन के दर्शन होंगे.
एक दिन मेरे कुछ फ्रेंड्स आए हुए थे तो हमने पार्टी की… दारू शारू पी, तो मुझे थोड़ा ओवर नशा हो गया. मैं छत पर जाकर वॉक करने लगा. मैंने सामने देखा कि किरण भाभी भी अपनी छत पर हैं. दारू के नशे की वजह से मुझ में हिम्मत आ गई और मैंने भाभी की तरफ देख कर एक स्माइल कर दी.
लेकिन भाभी ने कोई जवाब ना देते हुए गुस्से से मुझे देखा और वहां से चली गईं.
अब मेरी गांड फटने लगी कि कहीं ये अपने पति को मेरी शिकायत ना कर दें क्योंकि भाभी पहले से जानती थीं कि मैं उन को लाइन मारता हूँ.
अगले दिन जब सुबह सो कर उठा और छत पर गया तो देखा कि भाभी गीले कपड़े सुखा रही थीं. मैंने डरते डरते भाभी की तरफ देखा तो पहले उन्होंने कोई रिएक्शन नहीं दिया, पर जाते वक़्त भाभी ने भी प्यारी सी स्माइल दे दी.
मैं तो जैसे ख़ुशी के मारे पागल हो गया था.. जैसे जन्नत मिल गई हो.
फिर ऐसे ही इशारों इशारों में मैंने उन को अपना नम्बर दिया और हमारी बातें शुरू हो गईं फोन पर! कुछ ही दिनों में हम दोनों अब काफ़ी क्लोज़ आ चुके थे, फोन सेक्स चैट भी करते थे. लेकिन मिलना हमारे लिए बहुत ज़्यादा मुश्किल था क्योंकि अगर किसी को पता चलता या कोई हमें बात करते हुए देख भी लेता, तो बहुत समस्या हो जाती. इसलिए हमने कुछ दिन ऐसे ही निकाल दिए.
फिर वो एक रात यानि हम दोनों के मधुर प्रेम मिलन की रात आ ही गई. उनके पति को नाइट ड्यूटी करनी थी और बच्चे तो छोटे थे तो उनका कोई उतना इश्यू नहीं था. हम दोनों फोन पे बात करते रहते थे तो इस मौके का फायदा उठाने की सोच ली थी. उस रात 12 बजे भाभी का फोन पर मैसेज आया- तुम्हारे भैया जा चुके हैं… तुम आ सकते हो!
मैं चुपचाप छुपते छुपाते उन के कमरे तक गया, भाभी ने दरवाज़ा खोला तो मैं तो उन्हें देखता ही रह गया. क्या कमाल का सेक्सी माल लग रही थीं भाभी यारो… भाभी ने मेरून कलर की साड़ी मेरून ब्लाउज.. वाउ.
भाभी ने कहा- यार देखते ही रहोगे कि अन्दर भी आओगे, कोई देख लेगा जल्दी अन्दर आओ.
मैं अन्दर आया तो देखा एक बेड पे बच्चे सोए हैं और एक खाली सेज भी हमारी रास लीला के लिए सजी थी.
जैसे ही भाभी ने दरवाज़ा बंद किया, मैंने उन्हें पीछे से पकड़ लिया और उनकी साड़ी के पल्लू के नीचे उनके नंगे पेट पर हाथ रख कर उस को सहलाने लगा, उनके गाल और गले, कानों पर पागलों की तरह किस करने लगा. भाभी तो कामुकता से जैसे पागल सी होने लगीं, उनके मुख से बस ये आवाज़ें निकलने लगीं ‘आमम्म.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… उम्म.. आहह..’
मैं भाभी को अपनी तरफ़ घुमा कर सीधा किया और उनको दीवार से सटा कर उन के होंठ को चूसने लगा. भाभी भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं- आअहह.. राहुल… उम्म.. अम्माह मम्मह…
मैंने भाभी को बेड पर लिटा दिया और उनकी साड़ी का पल्लू ऊपर को सरका दिया और उन की गहरी नाभि पर किस करने लगा, उसमें जीभ डाल कर चाटने लगा. ब्लाउज के ऊपर से ही उनके मम्मों को दबाने लगा. भाभी कामुक सिसकारियाँ लेने लगीं- आआहह… आहह… एम्म… उह… ओह…
वो तो चुदास से बस सी पागल होने लगी थीं.
मैंने धीरे धीरे एक के कर के उन के ब्लाउज के हुक खोलने लगा, साथ साथ मैं भाभी की चूची भी दबा रहा था. भाभी का ब्लाउज मैंने पूरा उतार दिया तो मैंने देखा कि भाभी ने अन्दर भी मेरून कलर की ब्रा पहन रखी थी. ये मुझे बहुत अच्छा लगा. उनका गोरा बदन और डार्क कलर की ब्रा.. वाउ.. क्या लग रही थीं.
मैंने भाभी की ब्रा के ऊपर से ही भाभी का एक दूध चूसना शुरू किया और उनकी साड़ी भी मैंने हटा दी थी. वो अब बस ब्रा और पेटीकोट में थीं. मैं उनको लगातार किस करते जा रहा था. भाभी और पागल होती जा रही थीं ‘आह राहुल.. जल्दी करो अब बर्दाश्त नहीं हो रहा.’
मैंने भाभी का पेटीकोट भी निकाल दिया अब वो मेरून ब्रा और ब्लैक पेंटी में थीं. मैं भाभी की फुद्दी को पेंटी के ऊपर से ही उंगली से रब करने लगा, भाभी की चूत पहले ही गीली हो चुकी थी. भाभी के मम्मों को भी मैंने ब्रा से अलग कर दिया और दीवानों की तरह उन्हें चूसने लगा और उनकी चुत को रब करने लगा.
भाभी ने भी मेरे सारे कपड़े उतार दिए थे और एक हाथ से मेरे 8 इंच के लंड से खेलने लगी थीं. मैंने भाभी के मम्मों को खूब चूसा.. लाल कर दिया. फिर किस करते हुए मैं भाभी के नीचे की तरफ आया और भाभी की पेंटी को बड़े प्यार से नीचे किया.
आह.. क्या चुत थी यार.. उनकी.. एकदम पिंक.. क्लीन शेव्ड.. चिकनी चूत…
मैंने भाभी से पूछा तो उन्होंने बताया कि उन्होंने चुत को मेरे लिए ही साफ की है. मैं खुश होकर पागलों की तरह उनकी चुत चाटने लगा. भाभी की मादक सिसकारियाँ अब तेज़ होने लगी थीं ‘आअम्म्म्मम.. राहुल्ल.. आआहह.. आआहह..’
भाभी मेरा सर पकड़ कर अपनी चुत में दबाने लगीं. मैं भी अपने काम में लगा रहा.
भाभी ‘बस..’ कहने लगीं- प्लीज़.. राहुल और मत तड़पाओ.. जल्दी से करो वरना मैं पागल हो जाऊंगी आअहह..
मैं उठा और अपने फनफनाते लंड को भाभी के मुँह पर ले गया और उन्हें लंड चूसने को कहा, तो भाभी ने मना कर दिया कि ऐसा उन्होंने पहले कभी नहीं किया. पर मेरे बहुत जोर देने पर वो मान गईं और मेरा लंड अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगीं.
भाभी कहने लगीं- बाप रे, ये तो कितना बड़ा है.. मेरे मुँह में ही मुश्किल से जा रहा है.. चुत में कैसे जाएगा, मैं तो मर ही जाऊंगी.
मैंने कहा- भाभी आप पहले मिल जाती तो ये नहीं होता.. आपकी याद में मुठ मारते मारते इतना बड़ा हो गया.
भाभी ने स्माइल किया और बस मेरा लंड चूसने में लगी रहीं. दस मिनट लंड चुसाने के बाद मैंने भाभी को बेड पे सीधा लिटाया और उनके ऊपर लेट कर किस करते, उनके मम्मों को दबाते और चूसते हुए हौले से लंड को भाभी की चुत पे रखा कर धक्का लगा दिया. भाभी की तो जैसे आँखें ही बाहर आ गई थीं. इसलिए मैं उनको किस करता रहा ताकि उनकी चीख बाहर ना आए.
भाभी कहने लगीं- आह.. मुझ से नहीं होगा बहुत दर्द हो रहा है.
मैंने भाभी को समझाया कि बस एक दो मिनट ही दर्द होगा, सहन कर लो… और भाभी के रसीले होंठों का चुम्बन करते हुए फिर एक शॉट लगाया. इस बार लंड भाभी की चूत में आधा अन्दर जा चुका था. भाभी को फिर दर्द हुआ और उन की आँखों में से आँसू आने लगे, लेकिन मैं नहीं रुका और तीसरे झटके में अपना पूरा का पूरा लंड भाभी की गीली चिकनी चूत में पेल दिया.
भाभी दर्द के मारे तड़पने सी लगी थीं लेकिन मैंने उन के होंठ अपने होंठों से सटा रखे थे ताकि उन की आवाज़ बाहर ना आए.
थोड़ा देर वेट करने के बाद जब भाभी नॉर्मल हो गईं, तब मैंने फिर से अपना काम चालू किया और भाभी की चूत में लंड के झटके मारने लगा. अब भाभी को भी चुत चुदाई का मजा आने लगा था, वो मेरा पूरा साथ दे रही थीं- आआहह.. जान.. आअहह.. और ज़ोर से प्लीज़.. आअहह.. राहुल.. आआहह..
भाभी की ये कामुक आवाज़ें सुन कर मैं और ज़ोर से उन्हें चोदने लगा.
करीब दस मिनट तक ऐसे ही चोदने के बाद मैंने उन्हें घोड़ी बनने को कहा. भाभी बिस्तर पर अपने घुटने और हाथ टिका कर घोड़ी बन गईं तो अब मेरे सामने उनके गोर चिकने चूतड़ उठे हुए थे, मैंने भाभी के चूतड़ों को चूमा, उन पर हाथ फिराया, सहलाया, चूतड़ों की दरार ने उंगली फिराई. फिर मैं उन को पीछे से लंड लगा कर चोदने लगा. साथ ही आगे हाथ बढ़ा कर उनके मम्मों को दबाने लगा और धपाधप उन्हें चोदने लगा- भाभी.. आहह.. आपको अच्छा लग रहा है ना?
“हाँ मेरी जान, ऐसा लग रहा है.. जैसे जन्नत में हूँ.. इनके पापा ने तो आज तक ऐसे नहीं किया.. मैं कब से तुमसे बात करना चाहती थी लेकिन डरती थी.”
“कोई बात नहीं भाभी.. अब सब ठीक है..”
“भभी मेरा लंड पूरा अंदर तक जा रहा है ना?”
“हां राहुल… पूरा अंदर है! बस तुम मुझे चोदते जाओ!”
कोई दस मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ने वाला था और इस बीच भाभी भी एक झड़ चुकी थीं.
अब मैं भी चरम सीमा पर था तो मैंने भाभी को पूछा कहा निकालु? ????????
तो उन्होंने बताया कि वो {माला डी} खाती हैं, कोई डर नहीं है, अन्दर ही झड़ने को कहा..
सो मैंने वैसा ही किया. मैं झड़ कर भाभी के ऊपर कुछ पल तो ऐसे ही लेटा रहा.
फिर मैं भाभी के ऊपर से हटा और हम दोनों अगल बगल लेट गए. मेरी आँख लग गई.. और मैं ऐसे ही सो गया.
जब एक घंटे के बाद नींद खुली तो मैंने फिर भाभी को किस करते हुए उन्हें और कई तरह के आसनों में चोदा और देखा तो सुबह का टाइम हो गया था, सो मुझे अपने रूम पर आना पड़ा.
इसी तरह हम कई बार मिले. दिन में कभी मेरे रूम पर, कभी उनके घर में.. यूं ही चुदाई का सिलसिला आज भी चल रहा है.
दिल्ली वाली भाभी की चूत चुदाई
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हाय दोस्तो, कैसे हैं आप सब.. शिव राज का आप सभी हसीन चूत वालियों को मेरा प्यार भरा चुम्मा.. और खड़े लण्ड वालों को जापानी तेल..
मैं अपनी कहानी आप सब लोगों के लिए लेकर आया हूँ जो आज से दो साल पहले की है।
एक दिन मैंने अपने ऑफिस में बैठकर एक नई नेटवर्किंग साईट पर अपनी प्रोफाइल बनाई और इधर-उधर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजने लगा।
कुछ ही देर में एक भाभी ने मेरी रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर ली.. तो मैं उनसे चैट करने लगा। कुछ देर तक इधर-उधर की बातें हुई।
उनका नाम नीलू था, वो 33 साल की थी.. उसके दो बच्चे थे और वो दिल्ली में अकेली रहती थी। उसके हसबैंड कोलकता में रहते थे।
फिर मैंने उनको अपना नंबर दिया। दो दिन बाद उनका कॉल आया और हमारी बातें शुरू हो गईं।
उन्होंने बताया- उन्हें ‘वाइल्ड सेक्स’ बहुत पसंद है.. उनके पति का लंड बहुत छोटा है.. और चुदे हुए बहुत दिन हो गए हैं।
इस तरह की बातचीत से हम दोनों बहुत खुल कर एक-दूसरे से अपनी चुदास साझा करने लगे थे।
एक बार मैं उनके ऑफिस गया.. उनसे मिला.. हाय.. क्या मस्त माल लग रही थी वो.. गुलाबी सूट में..
थोड़ी देर उससे बात करने के बाद मैं चला गया.. उनको मैं बहुत पसंद आया।
रात को बात करते हुए उन्होंने मेरे लण्ड का साइज़ पूछा.. तो मैंने उन्हें बताया- मेरा 7.5 इंच का है।
तो वो बोली- मेरे पति का तो 5 इंच का ही है.. तुमसे चुदवाने में मजा आएगा..
यह कह कर वो हँसने लगी.. तो मैंने भी कहा- बोलो तो अभी आ जाऊँ तुम्हारे घर.. रात भर तुम्हें चोद-चोद कर मस्त मजा दूँगा।
तो वो बोली- आज फ़ोन से चोद लो.. कल मैं मिलूँगी.. तब जम कर चोदना।
फिर हमने फ़ोन सेक्स किया और अगले दिन 11 बजे मिलने का फाइनल हुआ।
मैं उनको लेने बाराखम्भा मेट्रो स्टेशन पहुँच गया।
वो सजधज कर आई.. तो मैं देखता ही रह गया। जींस और टॉप में वो एकदम मस्त माल लग रही थी।
उसको देख कर ही मेरा लण्ड खड़ा हो गया.. फिर मैंने बाइक पर बिठाया और अपने कमरे की तरफ चल पड़ा। रास्ते में वो बोली- कॉन्डोम है या नहीं.. वरना इधर से ही ले लो..
मैंने दस कंडोम वाला बड़ा पैक खरीद लिया और उसे लेकर अपने कमरे पर पहुँच गया।
जैसे ही मैंने दरवाजा अन्दर से बंद किया.. तो देखा कि वो काफी डरी हुई लग रही थी।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो बोली- अजीब सा लग रहा है.. कहीं तुम मेरे साथ कुछ गलत तो नहीं करोगे?
मैंने कहा- तुम्हें ऐसा क्यों लग रहा है.. ऐसा कुछ भी नहीं है.. अगर तुम्हें कोई प्रॉब्लम है.. तो चलो मैं तुम्हें वापस छोड़ देता हूँ..
यह कह कर मैंने उसे गले से लगा लिया।
मैंने कस कर नीलू को अपनी बांहों में जकड़ लिया.. वो मेरे से 5 साल बड़ी थी फिर भी लग नहीं रही थी कि वो दो बच्चों की माँ है।
मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और चुम्बन करने लगा।
मैं अपनी जीभ से उसकी जीभ को टच करने लगा.. तो वो भी जोश में आ गई और कस कर चुम्बन करने लगी।
दस मिनट तक हम दोनों एक-दूसरे से चिपके हुए चुम्बन करते रहे।
वो थोड़ा सा नार्मल हुई और पैन्ट के ऊपर से मेरा लंड पकड़ने लगी।
मैंने उसका टॉप निकाल दिया। वो अन्दर लाल रंग की ब्रा में क्या मस्त आइटम लग रही थी।
मैं उसे बिस्तर पर ले गया और लिटा दिया और ऊपर चढ़ कर उसकी चूची दबाने लगा और चुम्बन करने लगा।
वो बस ‘इस्स्स्स्स्स्स.. आआईईई..’ की आवाज निकालती रही।
मैं उसको किस करता हुआ जींस के ऊपर से अपना मुँह उसकी चूत पर रगड़ने लगा.. तो वो मेरा सर कस कर चूत में दबाने लगी।
मैंने जींस का बटन खोल दिया.. तो उसने अपनी गाण्ड उठा दी.. जिससे मैंने जींस नीचे खिसका दी.. तथा उसी के साथ उसकी पैन्टी भी उतर गई।
अब वो मेरे सामने अपनी आँखें बंद किए हुए बिल्कुल नंगी लेटी हुई थी। मैंने थोड़ी टाँगें फैलाईं.. और अपने हाथ से चूत का जायजा लेने लगा।
उसकी चूत बिलकुल चिकनी थी.. शायद आज ही अपनी झांटें साफ़ की होगीं.. चूत पूरी तरह से रस से भरी हुई थी।
मैंने चूत रस पीने के लिए अपनी जीभ जैसे ही चूत से लगाई.. वो मुझे पकड़ने लगी। मैंने उसका हाथ हटा कर चूत को फैला कर चाटने लगा.. उसकी सिसकारी निकल गई।
जब मैं उसकी चूत चाट रहा था.. तब उसने अपनी दोनों टाँगें खोल कर हवा में उठा दीं.. वो मादक सिसकारियां ले रही थी, उसकी आंखें बंद थीं.. मानो वो जन्नत की सैर कर रही हो।
मैं दस मिनट तक उसकी चूत का रस पीता रहा।
फिर वो बोली- शिव.. अब मत तड़पाओ जल्दी अपना लंड मेरी चूत में डाल कर इसको फाड़ दो.. अब सहन नहीं हो रहा..
मैंने कहा- इतनी जल्दी क्या है जानेमन..
तो वो उठ कर बैठ गई और मेरे कपड़े उतारने लगी।
अब मैं अंडरवियर में था.. जिसमें मेरा लंड तम्बू की तरह तना हुआ था। उसने चड्डी नीचे खिसकाई और मेरे लंड को हाथ से पकड़ कर सहलाने लगी।
मैं खड़ा था.. वो बैठी थी और मेरे लंड से खेल रही थी। उसने मेरे लंड पर एक चुम्बन किया और चाटते हुए लौड़े को मुँह के अन्दर ले लिया और चूसने लगी।
ओह्ह.. आह.. क्या मस्त चूस रही थी। मैं अपनी आँखें बंद किए हुए लौड़ा चुसवाने का मजा ले रहा था।
वो मेरा लंड चूस रही थी और एक हाथ से अपनी चूत रगड़ रही थी। तो मैंने उसे लिटाया और 69 की पोजीशन में आ गया।
अब मैं नीचे लेटा था और वो मेरे ऊपर अपनी चूत मेरे मुँह में रख कर मेरा लंड चूसने लगी।
मैं भी उसकी चूत में पूरी जीभ अन्दर डालकर चोदने लगा.. तभी मुझे ऐसा लगा कि उसने ‘सुसू’ कर दी हो.. वो झड़ने लगी थी.. मैंने भी बुर चुसाई चालू रखी।
अब वो बिलुकल शांत हो गई.. पर उसने अपने मुँह से मेरा लंड बाहर नहीं निकाला।
मैंने उसे अपने ऊपर से हटाया और पूछा- कैसा लगा?
तो वो बिना कुछ बोले मुझे चुम्बन करने लगी।
फिर उसकी आंखों में आंसू आ गए, मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो बोली- आज चुदाई का सच्चा सुख मिल रहा है मुझे..
मैंने कहा- अभी सुख किधर मिला है.. और मेरा क्या होगा.. मेरा लंड तो अभी भी खड़ा है?
तो वो बोली- आ जाओ.. डाल दो न.. इसे मेरी चूत में.. और जम कर चोदो मुझे..
मैंने लंड उसकी चूत की गहराई में उतार दिया। मेरा लंड एक ही झटके में अन्दर घुस गया था।
वो बोली- ओह्ह.. मेरे राजा.. जरा आराम से चोदो.. मैं तुम्हारी ही हूँ..
मैंने चुदाई की रफ़्तार धीरे-धीरे बढ़ा दी।
उसकी कमर नीचे से लगातार लौड़े की थापों की संगत दे रही थी.. उसकी मस्त नारंगियाँ मेरे होंठों में दबी थीं।
धकापेल चुदाई हुई वो शायद इस चुदाई में झड़ चुकी थी उसके रस की गर्मी पाकर अब मेरा भी निकलने ही वाला था।
मैंने कहा- कंडोम पहनना तो भूल ही गया.. क्या कंडोम लगा लूँ?
वो बोली- मत पहनो.. मेरा ऑपरेशन हो चुका है.. तुम कितना भी चोदो मुझे.. और अपना माल मेरी चूत के अन्दर ही डालना.. कन्डोम तो बीमारी से बचने के लिए कह रही थी।
मैंने बीस मिनट तक जम कर आसन बदल-बदल कर उसकी चूत की चुदाई की फिर मैं उसके अन्दर ही झड़ गया।
वो भी झड़ गई.. हम दोनों इस चुदाई से थक चुके थे.. सो थोड़ी देर आराम करने लगे।
मुझे नींद आने लगी.. मगर नीलू की आँखों में नींद नहीं थी.. वो मेरा लंड मुँह में लेकर फिर से चूसने लगी.. जिससे मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा।
दस मिनट तक वो मेरा लौड़ा चूसती रही। क्या जबरदस्त तरीके से चूसती थी.. मेरा दावा है कि वो अपनी जुबान से अस्सी साल के बुड्डे का भी लण्ड खड़ा कर सकती है।
फिर हमारी चुदाई का दूसरा दौर चला। अब वो मेरे लंड के ऊपर बैठ गई मेरा पूरा लंड उसकी चूत के अन्दर था और मस्त उछल-उछल कर वो मुझे चोद रही थी।
आधा घंटे तक चली चुदाई में वो फिर से दो बार झड़ी..
वो बहुत खुश लग रही थी.. उसने मुझे इस चुदाई के लिए ‘थैंक्स’ कहा और एक हजार रूपये भी दिए.. तो मैंने मना कर दिया।
वो बोली- मेरी तरफ से गिफ्ट है.. प्लीज मना मत करो.. इसे ले लो।
उनका नाम नीलू था।
फिर मैंने उसे मेट्रो स्टेशन छोड़ दिया।