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Adultery Hindi my best stories
#53
चस्का चाची की चूत चुदाई का
************************



यह कहानी मेरे एक मित्र की सच्ची कहानी है और इसमें थोड़ा सा रोल मेरा भी है।

मैं और पवन दोनों बहुत सालों से दोस्त हैं। आज तो यह भी याद नहीं कि हम दोनों पहली बार कब और कैसे मिले थे। पर दोस्ती पक्की थी तो बस अभी तक हम दोनों एक साथ जिंदगी के मज़े ले रहे थे। बस पवन की एक ही बात मुझे पसंद नहीं थी। वो थोड़ा डरपोक किस्म का लड़का था। ज्यादातर उसने मेरे पटाये हुए माल के साथ ही मज़ा किया था। लड़की से बात करने में भी फटती थी साले की।

यह कहानी तब की है जब वो और मैं उसकी रिश्तेदारी में एक शादी में शामिल होने गए। उसका सारा परिवार शादी में था। शादी लड़की की थी। मैं सच कहूँ तो बहुत बोर हो रहा था। तभी पवन मेरे पास आया और एक अधेड़ लेकिन खूबसूरत औरत की तरफ इशारा करके बोला– यार राज… वो सामने जो औरत है वो मेरी चाची है।

‘तो?’ मैंने पूछा।
‘तो क्या यार… देख ना क्या जालिम औरत है… साली को जब भी देखता हूँ कण्ट्रोल करना मुश्किल हो जाता है।’
‘साले तेरी चाची है वो…’

‘तो क्या हुआ यार… जब तुम अपनी चाची को चोद सकते हो तो मुझे क्यों यह शिक्षा दे रहे हो यार… जरा उसके चुच्चे तो देख, कितने बड़े बड़े हैं और उसके चूतड़ तो देख क्या गोल गोल और उभरे हुए हैं यार!’

उसकी बात सुन कर मेरा भी लण्ड खड़ा हो गया। तभी पवन को किसी ने बुला लिया पर साले ने मुझे काम पर लगा दिया था। वैसे तो मुझे वो पहले भी अच्छी लग रही थी पर पवन से बात होने के बाद तो मेरी नजर ही उस औरत पर टिक गई थी। मैंने उसके बदन के हर अंग को बड़े ध्यान से देखा तो महसूस किया कि वो सच में बेहद मस्त माल थी। उसको देख कर बार बार यही बात मन में आ रही थी कि जवानी में पवन की चाची क्या गजब की कयामत रही होगी।

करीब आधे घंटे बाद पवन मेरे पास आया।
‘आया कोई आईडिया दिमाग में?’
‘नहीं यार अभी तो नहीं।’
‘सोच साले सोच! अगर पट गई तो दोनों मज़ा करेंगे।’
‘साले चाची है तेरी… हा हा हा!’

ऐसे ही मजाक करते करते हम दोनों पवन की चाची की चूत के सपनों में खोये हुए थे। शादी में और जवान जवान लड़कियाँ और भाभियाँ भी थी पर हम दोनों तो बस चाची में ही खोये हुए थे।

पवन ने चाची से मेरा परिचय करवाया। फिर तो मैं चाची से चिपक ही गया, खूब बातें की, बातों बातों में ही समझ में आ गया कि चाची भी कुछ कम नहीं है। चाची के तीन बच्चे है दो बेटी और एक बेटा। चाचा पिछले चार साल से दुबई में है और चार साल में सिर्फ एक बार ही चाची से मिलने आये थे।

समझ में आ गया था कि चाची भी प्यासी हो सकती है बशर्ते चाची ने कोई और पप्पू ना पटा रखा हो।

पर दोस्त के लिए चांस तो लेना ही था। मैं बातों ही बातों में चाची की तारीफ के पूल बांधता रहा और चाची को यह एहसास करवाता रहा की मैं तो हूँ ही पर पवन तो मुझ से भी ज्यादा दीवाना है उसका।

चाची बस बनावटी गुस्सा दिखाती रही पर उसके होंठों की मुस्कान चाची के दिल हाल बयाँ कर रही थी। मैंने बातों ही बातों में बोल दिया कि चाची आप जैसी औरत के तो हर जवान लड़का सपना देखता है।

तो चाची ने तपाक से पूछ लिया- क्या तुम भी…?

मामला पटने के नजदीक लग रहा था पर मुझे तो चाची को पवन के लिए पटाना था।

‘चाची… पवन तो तुम पर दिलोजान से फ़िदा है और तुम्हारा दीवाना बना घूम रहा है।’ मैंने चाची को टटोलने के लिए बोला तो चाची कुछ नहीं बोली पर मुझे चाची की आँखों में कुछ नशा सा महसूस हुआ।

तभी पवन हमारे पास आया तो चाची ने पवन को कहा– पवन… जरा मेरे साथ तो चल जरा… मुझे कपड़े बदल कर आना है…’

‘पर चाची मेरे पास गाड़ी नहीं है।’
‘तो ले ले ना किसी की…’
पवन ने मेरी तरफ देखा तो मैंने आँख मार दी।

पवन ने मेरी तरफ देख कर कहा– राज… तुम ही क्यों नहीं चलते अपनी गाड़ी लेकर?

मैंने भी हाँ करने में देर नहीं की। मैंने गाड़ी निकाली। चाची मेरे साथ अगली सीट पर थी और पवन पीछे बैठा था। रास्ते भर ना चाची ने कुछ कहा और ना ही पवन ने। मैं जरूर बीच बीच में चाची की तरफ देख रहा था। चाची कुछ बेचैन सी महसूस हो रही थी। करीब दस मिनट के बाद चाची का घर आ गया।

चाची और पवन दरवाजा खोल कर घर के अंदर चले गए। मैं भी गाड़ी साइड में लगा कर घर के अंदर गया तो मुझे पवन नजर आया जो दरवाजे की दरार से अंदर झाँक रहा था। मैंने भी जब वहाँ जाकर देखा तो मेरा भी लण्ड खड़ा हो गया। चाची कपड़े बदल रही थी।

मौका सही था। मैंने पवन के कान पर एक चपत लगाईं और उसको अंदर जाने के लिए कहा पर पवन की डर के मारे फट रही थी।

मैंने उसको थोड़ा गुस्से में देखा तो वो डरता डरता अंदर घुस गया। अंदर से चाची के चिल्लाने की आवाज आई। मैंने अंदर झाँक कर देखा तो पवन ने पीछे से चाची की चूचियाँ पकड़ रखी थी, चाची छूटने का प्रयास कर रही थी। चाची पवन से छूटने का प्रयास तो जरूर कर रही थी पर चाची के चेहरे के भाव जरा भी ऐसे नहीं थे कि उसको पवन के ऐसा करने से बुरा लग रहा था।

‘छोड़ पवन… छोड़ दे बेटा… छोड़ मुझे…छोड़…’ चाची गुस्सा दिखाते हुए पवन को अपने से दूर करने का प्रयास कर रही थी।

पवन ने चूचियाँ दबाते दबाते चाची की ब्रा उतार कर एक तरफ फेंक दी। पवन चाची की गर्दन पर किस कर रहा था और चाची की गोल गोल चूचियाँ मसल रहा था। चाची गर्म होने लगी थी और अब चाची धीमी आवाज में पवन को छोड़ देने की प्रार्थना कर रही थी।

‘छोड़ दे बेटा… अपनी चाची के साथ भी कोई ऐसा करता है क्या… छोड़ दे राज आ जाएगा… छोड़ पवन…’

‘राज नहीं आएगा चाची… मैं उसको आने से मना करके आया हूँ… उसको पता है कि मैं तुम्हारे पास हूँ और क्या कर रहा हूँ।’

चाची अवाक् रह गई। तभी पवन ने चाची के पेटीकोट की डोर भी खोल दी और चाची अब सिर्फ पैंटी में पवन की बाहों में लिपटी हुई थी। चाची ने अब छूटने की कोशिश भी बंद कर दी थी। पवन ने चाची को अपनी तरफ किया और चाची के होंठो पर अपने होंठ रख दिए। मैंने देखा चाची भी अब पवन का लण्ड पैंट के ऊपर से ही सहला रही थी।

उन दोनों की रास लीला देख कर बाहर मेरी भी हालत खराब हो रही थी। लण्ड पूरा अकड़ चुका था और बेकाबू होता जा रहा था पर मैं उन दोनों का मज़ा खराब नहीं करना चाहता था।

अंदर देखा तो अब चाची पवन के कपड़े उतार रही थी। पवन भी चाची की बड़ी बड़ी चूचियों को मुँह में ले लेकर चूस रहा था। चाची के मुँह से सिसकारियाँ फ़ूट रही थी। थोड़ी ही देर बाद दोनों के नंगे बदन एक दूसरे से उलझे हुए थे। पवन ने चाची को बेड पर लेटा दिया था और अपना लण्ड चाची के होंठों से रगड़ रहा था पर चाची लण्ड चूसने से मना कर रही थी।

‘प्लीज… चाची चूसो ना बहुत मज़ा आएगा…’

पर चाची मान ही नहीं रही थी। जब नहीं मानी तो पवन चाची की टाँगों के बीच आ गया और चाची की पनियाई हुई चूत पर अपने होंठ रख दिए। जीभ निकाल कर वो चाची की चूत चाटने लगा।

चाची तो मस्ती के मारे लगभग चीखने लगी थी। ‘आह्ह्ह… ओह्ह्ह… उईईई आह…’ इसके सिवा चाची कुछ भी नहीं बोल पा रही थी।

चाची ने पवन का सर अपनी जांघों के बीच में दबा रखा था और खुद मस्ती के मारे अपना सर बेड पर इधर उधर पटक रही थी। पवन ज्यादा देर नहीं रुक सकता था। वो सीधा चाची के ऊपर आया और अपने लण्ड को चाची की चूत के छेद पर रख कर घुसाने लगा।
‘धीरे से डालना बेटा… चार साल से लण्ड नसीब नहीं हुआ है…’

पवन का लण्ड की मोटाई कम थी सो पवन को लण्ड चूत में घुसाने में कोई दिक्कत नहीं हुई और दो धक्को में ही पूरा लण्ड चाची की चूत में था। पवन की तमन्ना पूरी हो गई थी तो वो मस्त होकर चाची की चूत चोद रहा था और चाची भी चार साल बाद लण्ड का मज़ा लेकर मस्त हुई जा रही थी।

वो लोग मस्त हो रहे थे पर अब मुझ से कण्ट्रोल नहीं हो रहा था। अपने आप को बहुत रोका पर अब रुकना मुश्किल हो रहा था। आखिरकार मैं दरवाजा खोल कर कमरे में घुस गया। वो दोनों मस्ती में डूबे हुए थे और उनको तो पता भी नहीं चला की कब मैं आकर उन दोनों के पास खड़ा हो गया था।

मैंने अपना लण्ड जो की पवन के लण्ड से ज्यादा लम्बा और मोटा भी था निकाल कर चाची के मुँह के पास करा दिया। जब मेरा लण्ड चाची के होंठों से टकराया तो चाची ने नजर उठा कर मेरी तरफ देखा और घबरा गई। चाची ने कुछ बोलने के लिए जैसे ही मुँह खोला मैंने तपाक से लण्ड चाची के मुँह में घुसा दिया। चाची घूं-घूं करके रह गई।

उसने हाथ से पकड़ कर मेरा लण्ड अपने मुँह से बाहर निकाल दिया। मेरा लण्ड अब पवन की चाची के हाथों में था। गर्म गर्म लण्ड पकड़ कर चाची कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं थी। पवन ने भी अपना काम रोका नहीं था वो पूरी मस्ती से चाची की चूत में धक्के लगाने में व्यस्त था।

‘चूसो ना चाची जी… प्लीज…’ मैंने चाची की आँखों में देखते हुए दुबारा से लण्ड चाची के होंठों से लगा दिया। चाची हल्के से मुस्कुराई और फिर बिना कुछ बोले मेरा लण्ड चूसने लगी।

‘साली मेरा लण्ड तो चूसने में तेरी गांड में दर्द हो रहा था और राज का लण्ड देख कैसे चूस रही है।’ पवन झल्लाते हुए बोला।

‘चाची-चोद… आज जो तू मेरी चूत मार रहा है वो राज के ही कारण है…आह्ह्ह.. चुपचाप चुदाई कर और थोड़े तेज तेज धक्के लगा… ओह्ह्ह… मैं झड़ने वाली हूँ अब… जल्दी जल्दी चोद… और वीर्य अंदर मत डालना।’

तभी चाची का बदन अकड़ने लगा और वो मेरा लण्ड जोर जोर से चूसने लगी और फिर वो दोनों एक साथ झड़ गए। पवन ने सारा माल चाची की चूत और गांड के ऊपर उड़ेल दिया था।

चाची ठंडी हो गई थी पर अब मेरा लण्ड पूरे शवाब पर था। चाची कुछ देर ऐसे ही लेटी रही और फिर उठ कर अपनी चूत साफ़ करने लगी। पवन भी साइड में थक कर लेटा हुआ था। एक बस मैं ही था जो अब चूत मारने के लिए बेचैन हो रहा था।

मैंने चाची का सर पकड़ा और दुबारा से लण्ड चाची के होंठों से लगा दिया। चाची ने मुस्कुरा कर मेरी तरफ देखा और फिर बिना कुछ बोले मेरा लण्ड चूसने लगी। मैं भी चाची की गोल गोल मस्त चूचियों को मसल रहा था।

चाची ने पवन का सर पकड़ा और अपनी जांघों के बीच दबा लिया और पवन को चूत चाटने के लिए कहने लगी। पवन चुदाई करके थक चुका था पर फिर भी वो धीरे धीरे चाची की चूत चाटने लगा।

करीब पाँच मिनट चुसाई का मज़ा लेने के बाद पवन का लण्ड भी खड़ा हो चुका था और चाची भी दूसरी चुदाई के लिए तैयार थी। मैं तो पहले ही चुदाई करने के लिए मरा जा रहा था।

मैंने चाची को सीधा किया और अपना मोटा लण्ड चाची की चूत पर रख कर एक जोरदार धक्का लगा दिया। चाची की चूत धक्का नहीं झेल पाई और चाची की चीख निकल गई। पवन ने अब अपना लण्ड चाची के मुँह में दे दिया था।

दो धक्कों में लण्ड चूत में घुसाने के बाद मैं अब पूरी मस्ती में चाची की चूत का मजा ले रहा था। हर धक्का चाची की बच्चेदानी तक पहुँच रहा था।

कुछ देर की चुदाई के बाद मैंने चाची को अपने ऊपर ले लिया और खुद चाची के नीचे आ गया। चाची उछल उछल कर मेरा लण्ड चूत में ले रही थी और पवन का लण्ड चूस रही थी। मस्ती अपने चरम पर थी। तीनों में से कोई भी कुछ भी नहीं बोल रहा था। बस बेड पर भूचाल आया हुआ था। फिर मैंने चाची को घोड़ी बना कर लण्ड पीछे से चाची की चूत में घुसा दिया।

करीब दस मिनट की जबरदस्त चुदाई चली। चाची बीच में एक बार झड़ चुकी थी और उसके हावभाव बता रहे थे कि वो एक बार फिर झड़ने वाली है।

मैं भी अब झड़ने वाला था। मैंने कहा चाची कहा निकालु? ??????
चाची ने एक बार फिर वीर्य चूत में डालने से मन कर दिया।

आठ दस धक्कों के बाद ही चाची एक बार फिर से झड़ने लगी और मेरा भी छूटने वाला हो गया तो मैंने लण्ड चूत से निकाला और लण्ड चाची के मुँह के आगे कर दिया। पवन और मैं दोनों एक साथ झड़ गए। चाची का पूरा चेहरा मेरे और पवन के वीर्य से लथपथ हो गया। चाची चुदवा कर मस्त हो गई थी।

हमें आये एक घंटे से ज्यादा हो गया था। मूड तो अभी और चुदाई का भी था पर चाची बोली- शादी में चलो, नहीं तो सबको शक हो जाएगा।

सबने कपड़े पहने और फिर से शादी में पहुँच गए पर उस दिन के बाद तो चाची की चुदाई का ऐसा चस्का लगा की पवन और मैं जब भी फ्री होते चाची के पास पहुँच जाते और फिर चाची घंटों हम दोनों के बीच नंगी पड़ी चुदाई का भरपूर आनन्द लेती।

पवन और मैंने भी चाची को हर तरह का मज़ा दिया, चूत-गाण्ड मार मार कर निहाल कर दी थी।

करीब चार महीने बाद चाचा एक महीने की छुट्टी आये तो हमारा चाची के यहाँ आना जाना बंद हो गया। उसके बाद मैंने चाची के यहाँ जाना छोड़ दिया पर पवन आज भी चाची के साथ भरपूर मज़ा ले रहा है। चाची बहुत बार मुझे बुलाती है पर आज मेरी जिन्दगी इतनी व्यस्त हो गई है कि चाची के लिए समय निकालना मेरे लिए संभव नहीं है।








शादीशुदा गर्लफ्रेंड मस्ती से चुदी
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मैरिड गर्ल सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि एक शादीशुदा लड़की से मेरी दोस्ती हो गयी, मैंने उसको पटा लिया. फिर मैंने उसको चुदाई के लिए कैसे तैयार किया?

दोस्तो, कैसे हो आप सभी?
उम्मीद करता हूं कि आप सभी ठीक होंगे और चुदाई का मज़ा ले रहे होंगे।

मैं हरजिंदर सिंह रोपड़ (पंजाब) से हूं ।
आज की यह मैरिड गर्ल सेक्स स्टोरी मेरी और मेरी गर्लफ्रैंड कुलदीप कौर की है। इसलिए अब मैं आपको सीधे स्टोरी की ओर ले चलता हूं.

कुलदीप की उम्र 34 साल है. वो एक शादीशुदा लड़की है.
उसके बूब्स 36, कमर 32 और गांड 36 की है. उसकी गांड पीछे की तरफ पूरी उठी हुई है। कुलदीप का कद 5.3 फीट है। उसका रंग दूध के जैसा सफेद है।

मेरी उससे 6 साल से दोस्ती है। वो मुझे एक शादी के फंक्शन में मिली थी. उस टाइम उसकी उम्र 28 साल थी।
मैं उसको देखकर ही उसका दीवाना हो गया था।

मुझे उसको पटाने में काफी मेहनत करनी पड़ी। आखिरकार वो फ्रेंडशिप के लिए राज़ी हो ही गई।

उसके दो बच्चे हैं- एक लड़का और एक लड़की।
वो दोनों कॉलेज जाते हैं।

उसके सास ससुर उनसे अलग रहते हैं और उसके हस्बैंड विदेश में हैं। उसका पति दो साल में दो महीने के लिए ही आता है.

आप भी समझ गये होंगे कि वो दोपहर तक अकेली रहती होगी क्योंकि उसके बच्चे उस वक्त तक कॉलेज में ही रहते हैं.
इसलिए जब भी मेरा मन होता है मैं उसको चुदाई के लिए बुला लेता हूं।

अब मैं आपको अपनी गर्लफ्रेंड की चुदाई की कहानी बताता हूं कि कैसे मैंने उसकी चूत मारी थी.

हमारी पहली मुलाकात के समय हमने अपने कांटेक्ट नंबर एक्सचेंज कर लिए थे।

हमारी हर रोज़ ही बात होने लगी और व्हाट्सएप्प पर मैसेज का सिलसिला चालू हो गया।
कुछ दिन तक नार्मल बातों के बाद हमारी डबल मीनिंग बातें होने लगीं।

एक दिन मैंने उसको चुदाई के बारे में बोला.
तो वो बोली कि वो सेक्स नहीं करेगी।

उससे मैंने कारण पूछा तो वो कहने लगी कि चुदाई के बाद हमारा रिश्ता फीका पड़ जायेगा. एक बार चूत मिल जाने के बाद मर्द को औरत में रूचि कम होना शुरू हो जाती है.

मैंने उसको विश्वास दिलाया कि ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला है.
मगर वो मान ही नहीं रही थी.

फिर मैं उसको मनाता रहा और उसको चुदाई के लिए मनाने में मुझे 15 दिन लग गये.
आखिरकार वो चुदवाने के लिए राजी हुई.

फिर उसने मुझे आने वाले सोमवार मिलने को बोला।
सोमवार को मैंने उसको उसके बताई हुई जगह से 9:30 पर पिक किया।

वो बोली कि मुझे दोपहर दो वजे तक घर वापस आना है क्योंकि बच्चे कॉलेज से 2 बजे आ जाएंगे।
मैं गाड़ी सीधे एक होटल में ले गया और उसको गाड़ी में बैठाकर ही रूम बुक करने चला गया।

कमरा बुक करके मैं वापस गाड़ी के पास आया और हम दोनों रूम में चले गये।

रूम में जाते ही मैंने दरवाजा बंद किया और उसको पकड़ कर उसके लिप्स पर किस करने लगा।
वो भी मेरा साथ देने लगी क्योंकि आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी.
इसलिए हमने बहुत जल्दी एक दूसरे के कपड़े उतार दिये।

कपड़े उतारने के साथ ही हम बेड पर आ गए और मैंने उसके बूब्स को मुंह में भर लिया और उसके बूब्स को हल्के हल्के बाइट्स से काटने लगा.
अब मैंने उसके बूब्स छोड़े और उसके गले पर किस करने लगा.

यह उसके जिस्म की बहुत संवेदनशील जगह है.
वो एकदम से उत्तेजित हो गयी और उसने मुझे पीछे धकेल दिया.
उसका चेहरा एकदम से लाल हो गया था.

उसने मुझे पीछे धकेल दिया और वो कुछ इस तरह से लेट गयी कि हम 69 की पोजीशन में आ गये.
इस पोजीशन में मेरा लंड उसके मुंह के पास आ गया था.

मेरा लन्ड मुंह में डालकर वो लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी और मैं उसकी चूत को हाथों से खोलकर पूरा अंदर तक जीभ से चाटने लगा।
वो पूरी मस्ती में अपनी गांड ऊपर नीचे करने लगी और अपनी चूत चुसवाने का मजा लेने लगी.

उसकी चूत लगातार मेरे मुंह पर धक्के लगा रही थी. उसकी उत्तेजना बहुत ज्यादा हो गयी.
और फिर कुछ देर के बाद उसकी चूत ने एकदम से अमृतरस छोड़ दिया.

मैंने उसकी चूत को चाटकर साफ कर दिया.

वो भी किसी भूखी शेरनी की तरह लंड को पूरी तरह मुंह में ले रही थी.

मैंने उसकी चूत को चाटना जारी रखा।

पांच मिनट बाद मेरे लन्ड का सुपारा फूलने लगा.
मैंने उसका सिर पकड़ा और लन्ड बाहर निकाल लिया.
मगर उसने लन्ड को फिर से मुंह में भर लिया.

मेरे लन्ड से वीर्य की पांच छह पिचकारी निकली और उसका मुंह मेरे वीर्य से भर गया.
वो पूरा वीर्य निगल गई।

मेरे स्खलित होने के बाद भी उसने मेरा लन्ड मुंह से नहीं निकाला और वो और भी मज़े से लन्ड चूसती रही।
वो मेरे अंडकोषों को हाथ में लेकर सहलाने लगी।

मेरे लंड में गुदगुदी होती रही लेकिन उसने लंड नहीं छोड़ा.
मैं तड़प रहा था और उसका साथ देने की कोशिश कर रहा था.

कभी वो मेरी छाती पर हाथ फेरती थी तो कभी मेरे जांघों पर. कभी मेरी निप्पल्स को छेड़ती थी तो कभी अंडकोषों को सहलाने लगती थी.

इस तरह से दस मिनट तक बिना रुके वो मेरे लंड को चूसती रही और एक बार फिर से मेरा लौड़ा तन गया.
मेरा लन्ड पूरा टाइट हो गया था।

मैंने उसको सीधा लेटने को बोला तो वो अपनी टाँगें फैलाकर लेट गई।
मैं उठा और अपना लन्ड उसकी चूत के द्वार पर सेट किया और बहुत आराम से धीरे धीरे पूरा उसकी चूत में उतार दिया।

पूरा लन्ड उसकी चूत में डालने के बाद मैं उसकी चूत की गर्मी महसूस करने लगा।
वो भी मज़े से आंखें बंद करके लन्ड की गर्मी को महसूस करने लगी और आनंद में आ गयी.

मैंने उसके होंठों से अपने होंठ सटा दिए और उसके होंठों का रस पीने लगा।
मैं बहुत आराम आराम से लन्ड अंदर बाहर करने लगा।

मैंने उसके बूब्स पकड़े और उसके गुलाबी निप्पल्स को दबाने लगा।
वो गांड ऊपर नीचे करने लगी मगर मैंने झटकों की स्पीड तेज़ नहीं की। मैं उसी स्पीड से चोदता रहा.

शायद वो जोर से चुदना चाह रही थी लेकिन मैं प्यार से चोदे जा रहा था.

उसने गुस्से से मेरी ओर देखा और बोली- तेज़ तेज़ करो!
मैंने उसको बोला- मैं तो इसी स्पीड से चुदाई करूँगा।
वो बोली- तो हटो फिर, मैं ही ऊपर आती हूं।

यह मेरी पसंदीदा पोजीशन थी. मैं मन ही मन खुश हो गया और मैंने बिना देरी किये खुद नीचे लेटकर उसको ऊपर आने दिया।

वो टांगें फैलाकर लन्ड पर चूत सेट करके बैठ गई और बिना वक्त गंवाये फुल स्पीड में ऊपर नीचे होने लगी।

उसके मुंह से आह … आह … की आवाज़ें आने लगी।
पांच मिनट में ही उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.
जब उसकी चूत झड़ने वाली थी तो वो पूरा लन्ड चूत में लेकर मेरे ऊपर लेट गई।

उसकी चूत के होंठ मेरे लन्ड पर कभी कसने और कभी ढीले होने लगे।
मुझे बहुत अच्छा फील हो रहा था।
लगभग 2 से तीन मिनट तक उसने इस अनुभव को महसूस किया.

फिर वो उठी और धीरे धीरे ऊपर नीचे होने लगी।
मैंने उसको तेज़ करने को बोला तो वो बोली- अभी मैं इससे ज्यादा तेज नहीं कर सकती हूं, तुम खुद ही कर लो।

अब मैंने उसे नीचे लेटाया और उसके ऊपर आकर फुल स्पीड से उसे चोदने लगा।
वो हर झटके के साथ आह आह … की आवाज़ें निकालने लगी।

उसकी चूत से बहता पानी मेरे अंडकोषों को भिगो रहा था।
चूतरस से भीगा हुआ लन्ड अब पूरी फिसलन के साथ उसकी चूत में जा रहा था।
कमरे में उसकी आह आह … के साथ फच-फच की आवाज़ें भी आ रही थीं।

हम दोनों पसीने से पूरी तरह भीग चुके थे। वो भी कमर उठा उठाकर ताल से ताल मिलाते हुए चुदने लगी।

लगभग 20 मिनट बाद मेरा पानी निकलने वाला था;
मैंने उसको पूछा- कहां निकालूं?
वो बोली- अंदर मत गिराना. मेरे बूब्स पर गिरा दो।

मैंने लन्ड उसकी चूत से निकाला और उसके बूब्स के पास ले गया.
मैं लंड को मुठ मारते हुए तेजी से रगड़ने लगा.

उसके चेहरे पर वीर्य की एक प्यास दिखाई दे रही थी. उसकी नजर मेरे सुपारे पर ही बनी हुई थी.

उसने अपनी चूचियों को दोनों हाथों से दबाकर लंड की ओर उठा रखा था. वो मेरा वीर्य गिरवाने के लिए तैयार थी.

एक मिनट के बाद मेरे लन्ड ने वीर्य की पहली पिचकारी छोड़ी जो उसके मुंह पर गालों के पास होंठों पर गिरी।
उसके बाद एक पिचकारी उसके गले पर गिरी और अंत में पीछे का गाढ़ा वीर्य उसके चूचों पर बूंद बूंद करके गिरा.

पूरा वीर्य निचोड़ कर मैं उसकी बगल में वहीं पर लेट गया.

उसने अपने दोनों बूब्स पर वीर्य को फैला दिया और उसकी मालिश करने लगी.
जब वो बूब्स की मालिश कर रही थी तो उसकी आँखें बंद थीं.

वो वीर्य स्नान का मजा ले रही थी. उसकी जीभ उसके होंठों पर घूम रही थी. होंठों वाला वीर्य उसने जीभ से चाट लिया. फिर उसने कुछ सेकेंड के बाद नीचे थूक दिया.

फिर वो बाथरूम में चली गई और लगभग 10 मिनट बाद वापस आई।
वो आकर मेरे साथ लेट गई।
मैं उसको फिर से किस करने लगा।

थोड़ी देर बाद वो भी मेरा साथ देने लगी।
हमारे होंठ एक दूसरे के होंठों से ऐसे चिपक चुके थे जैसे किसी बहुत ज्यादा प्यासे को पानी मिल गया हो।
लन्ड में भी हल्का कड़कपन आ चुका था।

वो अपना हाथ नीचे ले गई और लन्ड को पकड़ कर ऊपर नीचे करने लगी।
मैंने भी अपना हाथ नीचे ले जाकर उसकी चूत में दो उंगली एक साथ डाल दीं।

मैं उंगली अंदर बाहर करने लगा.
वो भी उसी स्पीड से अपना हाथ चलाने लगी जिस स्पीड से मैं उसको उंगली से चोद रहा था।

जब लन्ड पूरा टाइट हो गया तो मैंने उसको मेरी तरफ गांड करके लेटने को बोला.
वो मेरी तरफ गांड करके लेट गई।

मैंने पीछे से उसकी चूत में लन्ड लगाया और एक झटके में ही उसकी चूत में पूरा लन्ड डाल दिया।

मैं उसको तेज़ तेज़ चोदने लगा।
लगभग पांच मिनट बाद मैंने उसको डॉगी स्टाइल में आने को बोला.

वो इस पोजीशन में आ गई।
मैं उठा और पीछे से उसकी चूत में लन्ड डाल कर उसको चोदने लगा।

उसको मैंने उसकी कमर के पास से पकड़ा और पूरे जोर से झटके लगाने लगा।
वो आह आह … करने लगी।

लगभग दस मिनट तक इस पोजीशन में उसको चोदने के बाद मैंने लन्ड कुलदीप की चूत से बाहर निकाला और उसको ऊपर आने को बोलकर बेड पर लेट गया।

वो उठी और लन्ड पकड़ कर अपनी चूत के मुख पर सेट करके बैठ गई।

पूरा लन्ड चूत में जाने के बाद वो ऊपर नीचे होने लगी।

मैंने उसके झूलते हुए एक बूब्स को हाथ में लेकर उसके निप्पल को जोर से दबा दिया।

उसके मुख से हल्की चीख निकली मगर वो बिना रुके निरंतर ऊपर नीचे होती रही।
मैं कभी उसके लेफ्ट बूब को पकड़ लेता तो कभी राइट वाले चूचे को पकड़ लेता.
मगर वो आंखें बंद करके चुदाई का मज़ा ले रही थी।

लगभग दस मिनट बाद उसके मुख से आने वाली आवाज़ें तेज़ हो गईं और उसके झटके लगाने की स्पीड भी तेज होती गई।

उसकी सांसें उखड़ने लगीं और एक जोरदार झटके के साथ वो निढाल सी होकर मेरे ऊपर लेट गई.

उसका लेटने का अंदाज कुछ इस तरह लग रहा था जैसे किसी तूफान के बाद में सन्नाटा छा जाता है।
बस कमरे में मेरी और उसकी सांसों की आवाज़ ही आ रही थी।

जब उसकी सांसें नार्मल हो गई तो वो उठी और नीचे लेट गई।
मैंने उसकी टांगों को पकड़ कर ऊपर उठाया और उनके नीचे एक तकिया लगा दिया।

मैं उसकी टांगों के बीच में आ गया और लन्ड को चूत पर सेट किया और जोर से झटका लगा दिया।
मेरा लंड उसकी चूत में जा घुसा और मैं उसे चोदने लगा. मैंने बिना रुके लन्ड अंदर बाहर करना जारी रखा।

लन्ड का सुपारा उसकी बच्चेदानी पर जाकर चोट करने लगा था।
वो अपने नाखून से मेरी पीठ कुरेदने लगी।

हमारी चुदाई को चलते लगभग 25 मिनट हो चुके थे।
लन्ड की नसें भी फूलने लगी थी।

मैंने आठ से दस झटके ज़ोर से लगाये और वीर्य निकलने से ठीक पहले लन्ड उसकी चूत से निकाल लिया और वीर्य उसकी चूत के मुंह पर गिरा दिया।

उसने मुझे पूरी ताकत से बांहों में भर लिया और पागलों की तरह इधर उधर किस करने लगी।

मैंने भी उसके मुंह को पकड़ा और अपने होंठ उसके होंठों से सटा दिये।

लगभग 5 मिनट तक हमारी यह किस चली। फिर हम अलग हो गये.

उसके बाद हम दोनों फ्रेश हुए और होटल से बाहर आ गए। मैंने उसको जहां से सुबह पिक किया था वहीं ड्राप कर दिया।

उसके बाद तो फिर मैंने उसको बहुत बार चोदा.

मेरी और उसकी चुदाई चलते हुए छह साल हो चुके हैं।
ऐसा कोई भी तरीका नहीं है जिससे मैंने कुलदीप को न चोदा हो।
वो भी मेरे साथ इस रिलेशन से बहुत खुश है।
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