अपडेट 4-एक तहखाना
सोनाक्षी कि दास्तान खत्म करने के द्रोण कि तरफ देखा जो इस समय अपना लन्ड हिला रहा था । इसका कुछ नहीं हो सकता द्रोण ने मन में सोचा ।
माल्या-यार तूने तो मूड बना दिया ,कसम दोस्ती की मेरा काम करवा दे तो जो तू बोले वो तेरा ।
द्रोण-यार पहले खाना-वाना खा लेते हैं तुझे तो व्यापार और चुदाई के इलावा कुछ सूझता ही नही हैं ।
माल्या-सही कहा तूने यार मैं कमाता इसलिए हूँ के चोद सकूँ और चुदाई इसलिए करता हूँ कि पैसे खर्च कर सकूँ ।
द्रोण-यह सब तो ठीक है पर इस सब में अपनी बेटी को घसीटना सही है क्या ?
माल्या-इसकी माँ को मैंने कई करोडों का दहेज देकर पाया था ,इससे वसूल भी तो करना है। यार मैं बिवुड की राजधानी में एक आलीशान रंडीखाना खोलना चाहता हूँ तू इसके लिए मुझे इज़ाज़त दिलवा दे ।
द्रोण-पाटलिपुत्र में तो कोठे पहले ही बहुत है तू भी खोल ले मना कौन करता है ?
माल्या-रंडी खाने हैं पर उनमें जाता कौन है ? कोई अमीर और इज़्ज़त दार वँहा जाने से पहले दस बार सोचता है । मैं ऐसा रंडी खाना खोलूँगा जो सिर्फ़ अमीर लोगों के लिए होगा देश विदेश की रंडियां होंगी उसमें इसके साथ-साथ अगर किसी महिला को मर्द चाहिए तो एक से एक चौदु रखूँगा । और जो सिर्फ देखना चाहते हैं उनके लिए चुदाई के शो होंगे प्राइवेट कैबिन में बैठो और मज़े लो ।
द्रोण-इसमें दिक्कत क्या है ?
माल्या-पहली दिक्कत तो यह है कि राजा नहीं मान रहा दूसरी दिक्कत यह है कि मेरे पर कई करोड़ का कर्जा था राजा का जो मैं बिना दिए हीवुड चला गया ,इसलिए
मंजूरी नही मिल रही हालांकि अब मैं सारा कर्ज़ा चुकाने के लिये तैयार हूँ ।
द्रोण-तो इसमें मैं तो कुछ नहीं कर सकता ।
माल्या-यार सब तू ही कर सकता है , तेरा वो शिष्य जान राजा का आर्थिक सलाहकार जो है ।
द्रोण-नहीं यार मैं इस तरह किसी भी सरकारी बंदे पर दबाव नही डाल सकता ।
माल्या-यार तू बस काम शुरू करवा दे जिसको जो भी देना हो मैं दूँगा ।
द्रोण-देखते हैं क्या हो सकता है । मेरे अभी ध्यान लगाने का समय है रात में बात करते है ।
द्रोण उठकर अपने कक्ष में चले जाते हैं और माल्या वहीं बैठा सोचता रहता कि आगे क्या किया जाए ।
दूसरी तरफ सोनाक्षी एंजेला बेबी को आश्रम घुमा रही थी । दोनो अब तक अच्छी दोस्त बन चुकी थीं और अब सोनाक्षी एंजेला को आश्रम के पीछे बने एक बड़े से बगीचे में घुमा रही थी तभी उनकी नज़र बगीचे के बीचोबीच बैठे रिया ,महेश और दिनेश पर पड़ी जो आपस मे बातें कर रहे थे ।
एंजला-यह कौन है ?
सोनाक्षी-गुरु जी के शिष्य ।
एंजला-गुरु जी शिक्षा भी देते हैं ?
सोनाक्षी-हाँ ,वो हर विषय की शिक्षा देते हैं पर उन्हें ही जो उनके दिल को भाते हैं ,वरना सालों अकेले ही तप करते हैं ।
एंजला-अगर मैं भी व्यापारी की बेटी न होती तो इस आश्रम में रह जाती ।
सोनाक्षी- गुरु जी पर भरोसा रखो वो सब सही करेंगे । उनके पास आए हुए दुखियारे को अपनी बात कहने की भी ज़रूरत नहीं पढ़ती और वो सब समझ लेते हैं ।चलो तुम्हें इन तीनों से मिलवाती हूँ ।
एंजला-भगवान करे ऐसा ही हो ।
सोनाक्षी एंजला का परिचय रिया ,दिनेश और महेश से करवाती है । और उन तीनों का एंजला से ।
तभी रिया महेश के कान में कुछ कहती है ।"भई क्या फुसफुसाहट हो रही है ?" सोनाक्षी रिया को आँख मारते हुए पूछती है ।
"कुछ नहीं दीदी बस मुझे न पुस्तकालय से एक किताब लेनी थी ,मैं महेश से पूछ रही थी क्या वो मेरे साथ चलेगा ,इतने बड़े पुस्तकालय में अकेले जाते मुझे डर लगता है " रिया अटकते हुए जवाब देती है ।
"ठीक है महेश रिया का ध्यान रखना कहीं कोई साँप न इसे काट ले" सोनाक्षी महेश से कहती है ।
इस तरह रिया और महेश दिनेश को एंजला और सोनाक्षी के साथ पार्क में छोड़कर बाहर आ जाते हैं ।
महेश(पार्क से बाहर निकलने के बाद)- तुम्हें यकीन है कि गुरु जी ने अहिल्या की जो कहानी बताई है वो पूरी नहीं है ?
रिया-हाँ ,पक्का यकीन है ।
महेश-कैसे?
रिया -याद है ना कि कहानी में काम अहिल्या की इज़्ज़त नहीं लूट पाता ?
महेश-हाँ ,पर इससे यह कैसे साबित होता है कि गुरु जी ने हमें पूरी कहानी नहीं बताई ?
रिया-अरे बुद्धु याद नहीं कि आकाश वाणी में साफ-2 कहा गया कि जाओ और अहिल्या का शील उसे वापिस करो ।
महेश-हाँ यह तो है ।पर पूरी कहानी मिलेगी कंहाँ ?
रिया-प्रतिबंधित पुस्तकालय में।
महेश-जो तहखाने में है ?
रिया -हाँ ।
महेश -पर तहखाने पर तो ताला है अंदर कैसे जाएंगे?
रिया-ताला तो मैं जादू से खोल दूँगी ।
महेश-आश्रम में जादू करना मना है ।
रिया-पता ही नहीं चलेगा किसी को , तू डरपोकों वाली बात मत जल्दी चल इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा ।
महेश तहखाने में जाने से तो डर रहा था पर सफेद बटनों वाली कमीज और गुलाबी स्कर्ट से झाँकते उसके सुडौल अँगों को देखकर उसका मन बदल जाता है और फिर दिल में उसके यह बात भी थी कहीं रिया को वँहा कुछ हो न जाये इसलिए वो रिया के साथ जाने को त्यार हो जाता है ।
तहखाना आश्रम की तीन मंजिला इमारत के दो मंज़िल नीचे था । रिया और महेश किसी तरह तहखाने की तरफ जाने वाली सीढ़ी ढूंढते हैं और नीचे उतरते हैं । नीचे अंधकार ही अंधकार होता है रिया जादू का प्रयोग कर रोशनी करती है तो उन्हें वँहा तीन बन्द दरवाजे मिलते हैं पर ताला किसी पर नहीं होता ।"देख लो तुम ऐसे ही डर रहे थे यँहा तो कोई ताला नहीं है" रिया खुश होते हुए कहती है ।
महेश-मुझे तो डर लग रहा है यार चलो यँहा से चलते हैं ।
रिया(पहले दरवाजे को खोलते हुए) -तुम ऐसे ही डरते हो ।
महेश(हँसते हुए)-वाह दरवाजे के पीछे दीवार ,लो अब करो जादू दीवार पे ।
रिया(चिढ़ते हुए)- बातें मत करो जल्दी दूसरा दरवाजा खोलो ।
महेश दूसरे दरवाजे के पास जाता है और उसके हैंडिल को दोनों हाथों से पकड़ के दरवाजा खोलने की कोशिश करता है ,खटाक की जोरदार आवाज़ होती है पर दरवाजा खुलने के बजाए कहीं से दरवाजे पर एक हड्डियों का हाथ प्रकट हो जाता है और महेश के हाथों को जकड़ लेता है ।
"मरा रे मरा.... रिया पाप लगेगा तुझे ....तेरे कारण मैं कुँवारा ही मरने जा रहा हूँ " महेश चिल्लाता है ।
"डर मत यार अभी खोलती हूँ मैं इस हाथ को" रिया महेश के पास जाते हुए कहती है । वो ताकत से लेकर अपने सारे जादू लगा कर देख लेती है पर हड्डियों के हाथ से महेश के हाथ नहीं छुड़वा पाती है ।
"महेश यह पक्का पहेलियों वाला जादू है" रिया जैसे ही यह शब्द बोलती है दरवाजे पर कुछ शब्द उभर आते हैं ,रिया और महेश उन्हें एक साथ पढ़ते हैं -
"सोचो और खुल जाए दरवाजा इसलिए दो सही जवाब वरना कटेगा इसका सिर ताज़ा ताज़ा"
महेश-रिया मैं अभी मरना नहीं चाहता ,किस मुसीबत में फंसा दिया तूने ।
रिया आगे पढ़ती है " कौनसी है ऐसी चीज़ जो जाती तो स्त्री के मुख में है सख्त, पर सारा रस छोड़ हो जाती है नरम"
महेश-रिया मैं तुझे बता रहा हूँ आज मेरा सिर कट के रहेगा , ऐसी कोई चीज़ नहीं होती जो रस छोड़कर नरम हो जाती हो
रिया-चुप कर डफर मुझे सोचने दे ।
महेश-जल्दी कर न जंड देवी नहीं तो कट जाएगा मेरा सिर ।
रिया -क्या कहा तूने मुझे ?
महेश-देवी ।
रिया -उससे पहले यार।
महेश-जल्दी कर न।
रिया -नहीं उसके बाद
महेश-जंड।
रिया -वाह तूने तो मुझे जवाब दे दिया ।
महेश-जंड है जवाब?
रिया-नहीं लन्ड है जवाब ।
दरवाजे पर अगला सवाल उभरता है " एक आम ऐसा जो काटा न जाए, तोड़ा न जाए ,खाया न जाए और चूसो तो निकले दूध"
महेश(तपाक से जवाब देता है)-ऐसा फल है स्त्रियों के स्तन ।
रिया -बड़ी जल्दी जवाब दे दिया ,कैसे पता था तुझे इसका जवाब ।
महेश-इस सवाल का जवाब तो कोई बच्चा भी दे सकता था ।
रिया अगला सवाल पढ़ती है " बिना प्रयोग किए कोई मापक बताना है तुझे इसके लिंग का नाप " ।सवाल पढ़ने के बाद उसके सुंदर चेहरा शर्म से लाल हो जाता है । महेश और वो दोनों काफी देर तक एक दूसरे को घूरते रह जाते हैं ।
रिया(खामोशी तोड़ते हुए)-कितना लम्बा है तेरा लिंग ?
महेश-कभी नापा नहीं ।
रिया-कोई काम नहीं करता तू ।
महेश-लन्ड कौन नापता है यार ।
रिया-सोच क्या रहा बाहर निकाल ,मैं लम्बाई का अंदाज़ा लगाने की कोशिश करती हूँ।
महेश (अपने जकड़े हुए हाथों की तरफ इशारा करते हुए)-मैं कैसे निकालूँ ?
रिया बेचारी शर्म से लाल हो जाती है कि अब उसे महेश की पैंट खोलकर उसके लिंग को बाहर निकालना होगा ।अपने सपनों में उसने महेश के लम्बे चौड़े शरीर को सोचकर उसके लन्ड का आकार सोचा था पर आज वो सच में देखने जा रही थी उसकी दिल की धड़कनें तेज़ हो जाती हैं । वो शर्माते-2 और अपनी नज़रें झुकाए महेश के पास आती है ताकि उसकी और महेश की नजरें न मिल सकें । रिया की इतना डरता देख महेश को उस पर तरस आ जाता है वो सोचता है किसी मासूम लड़की यह काम कैसे करेगी "रिया रहने दे यार जो होगा देखा जाएगा" वो कहता है । महेश कि यह बात सुनकर रिया को खुद पर गुस्सा आने लगता यह सोचकर कि महेश उसके लिए मरने को भी तैयार है और वो उसके लिए उसका लन्ड नापने में भी झिझक रही है ।
रिया जल्दी से महेश की पैंट खोल उसका कच्छा नीचे सरका देती है । महेश का काला लन्ड आज़ाद होकर हवा में हिलने लगता है मुरझाई अवस्था में भी एक मध्यम आकार के केले जितना लम्बा और मोटा था । "कितना आकर्षक है इसका लिंग " रिया मन में सोचती है ।
रिया-खड़ा करो इसे ।
महेश-नहीं हो रहा वैसे तो तुमको देखते ही मेरा......।
रिया -अच्छा अच्छा ठीक है वो उसकी बात को बीच में काट देती है । कुछ कामुक सोचो यार तभी खड़ा होगा न ।
महेश-यँहा जान के लाले पड़े हैं , मैं मरने वाला हूँ तो कुछ दिमाग में आ ही नहीं रहा ।
रिया-कैसे खड़ा होगा यह ?
महेश-हिलाने से ।
रिया-उसके इलावा ।
महेश-कामुक ,नंगी तस्वीरों को देखने से ।
रिया -वो मैं कँहा से लाऊं यँहा । मुझे नंगा देखने से काम चल जाएगा ?
महेश(खुश होते हुए, रिया की बात सुनने भर से ही उसका लिंग आकार लेने लगा था)- हम्म ।
रिया आँखे बंद करती है और फिर अपनी शर्ट के बटन खोलती है ,और उसे उतार देती है अब उसके बदन पर केवल बनियान थी जिसमें से उसके गुबारों जैसे बड़े बड़े मम्में और उनकी उभरी हुई सख्त चुचियाँ साफ नजर आ रही थी "कितने बड़े और खूबसूरत हैं तुम्हारे स्तन रिया" महेश के मुँह से शब्द अनजाने में ही निकल पड़ते हैं ।रिया शर्म से लाल हो जाती है "बकवास मत करो यह बताओ कि काम हुआ या नहीं " वो दिखावटी गुस्सा करते हुए कहती है । "कुछ हुआ है" वो जवाब देता है पर रिया को केवल हुआ है सुनाई देता है वो जल्दी से आँखे खोलती है और अपने सामने महेश के आधे खड़े लन्ड को देखती है तो उसकि लम्बाई और मोटाई देखकर रिया का मुँह खुला का रह जाता है ।
रिया-चलो यह काम तो हुआ अब इसका नाप लेने का कोई तरीका खोजना होगा ।
महेश-अभी तो आधा ही खड़ा हुआ है यार ।
रिया(हैरानी से)-इससे बड़ा क्या होगा ।
महेश(उसको लगता है रिया समझ रही है कि वो झूठ बोल रहा है)-माँ कसम और बड़ा होगा ,तन के बिल्कुल सीधा हो जाता है अभी तो मुडा है ।
रिया-तंग आ गयी हूँ यार मैं । इस सब को जल्दी खत्म करना होगा आओ मैं इसे हिलाकर ही खड़ा करती हूँ ।
ठीक इसी समय सीढ़ियों पे किसी की आहट होती है रिया और महेश दोनों डर जाते हैं आवाज़ धीरे धीरे उनके पास आती जाती है रिया और महेश को लगता है कि आज हो न हो उनको यँहा इस अवस्था में पकड़ लिया जाएगा और उन्हें आश्रम से निकाल दिया जाएगा दोनों डर से जैसे जम ही जातें और आवाज़ पास आती जाती है ..।
सोनाक्षी कि दास्तान खत्म करने के द्रोण कि तरफ देखा जो इस समय अपना लन्ड हिला रहा था । इसका कुछ नहीं हो सकता द्रोण ने मन में सोचा ।
माल्या-यार तूने तो मूड बना दिया ,कसम दोस्ती की मेरा काम करवा दे तो जो तू बोले वो तेरा ।
द्रोण-यार पहले खाना-वाना खा लेते हैं तुझे तो व्यापार और चुदाई के इलावा कुछ सूझता ही नही हैं ।
माल्या-सही कहा तूने यार मैं कमाता इसलिए हूँ के चोद सकूँ और चुदाई इसलिए करता हूँ कि पैसे खर्च कर सकूँ ।
द्रोण-यह सब तो ठीक है पर इस सब में अपनी बेटी को घसीटना सही है क्या ?
माल्या-इसकी माँ को मैंने कई करोडों का दहेज देकर पाया था ,इससे वसूल भी तो करना है। यार मैं बिवुड की राजधानी में एक आलीशान रंडीखाना खोलना चाहता हूँ तू इसके लिए मुझे इज़ाज़त दिलवा दे ।
द्रोण-पाटलिपुत्र में तो कोठे पहले ही बहुत है तू भी खोल ले मना कौन करता है ?
माल्या-रंडी खाने हैं पर उनमें जाता कौन है ? कोई अमीर और इज़्ज़त दार वँहा जाने से पहले दस बार सोचता है । मैं ऐसा रंडी खाना खोलूँगा जो सिर्फ़ अमीर लोगों के लिए होगा देश विदेश की रंडियां होंगी उसमें इसके साथ-साथ अगर किसी महिला को मर्द चाहिए तो एक से एक चौदु रखूँगा । और जो सिर्फ देखना चाहते हैं उनके लिए चुदाई के शो होंगे प्राइवेट कैबिन में बैठो और मज़े लो ।
द्रोण-इसमें दिक्कत क्या है ?
माल्या-पहली दिक्कत तो यह है कि राजा नहीं मान रहा दूसरी दिक्कत यह है कि मेरे पर कई करोड़ का कर्जा था राजा का जो मैं बिना दिए हीवुड चला गया ,इसलिए
मंजूरी नही मिल रही हालांकि अब मैं सारा कर्ज़ा चुकाने के लिये तैयार हूँ ।
द्रोण-तो इसमें मैं तो कुछ नहीं कर सकता ।
माल्या-यार सब तू ही कर सकता है , तेरा वो शिष्य जान राजा का आर्थिक सलाहकार जो है ।
द्रोण-नहीं यार मैं इस तरह किसी भी सरकारी बंदे पर दबाव नही डाल सकता ।
माल्या-यार तू बस काम शुरू करवा दे जिसको जो भी देना हो मैं दूँगा ।
द्रोण-देखते हैं क्या हो सकता है । मेरे अभी ध्यान लगाने का समय है रात में बात करते है ।
द्रोण उठकर अपने कक्ष में चले जाते हैं और माल्या वहीं बैठा सोचता रहता कि आगे क्या किया जाए ।
दूसरी तरफ सोनाक्षी एंजेला बेबी को आश्रम घुमा रही थी । दोनो अब तक अच्छी दोस्त बन चुकी थीं और अब सोनाक्षी एंजेला को आश्रम के पीछे बने एक बड़े से बगीचे में घुमा रही थी तभी उनकी नज़र बगीचे के बीचोबीच बैठे रिया ,महेश और दिनेश पर पड़ी जो आपस मे बातें कर रहे थे ।
एंजला-यह कौन है ?
सोनाक्षी-गुरु जी के शिष्य ।
एंजला-गुरु जी शिक्षा भी देते हैं ?
सोनाक्षी-हाँ ,वो हर विषय की शिक्षा देते हैं पर उन्हें ही जो उनके दिल को भाते हैं ,वरना सालों अकेले ही तप करते हैं ।
एंजला-अगर मैं भी व्यापारी की बेटी न होती तो इस आश्रम में रह जाती ।
सोनाक्षी- गुरु जी पर भरोसा रखो वो सब सही करेंगे । उनके पास आए हुए दुखियारे को अपनी बात कहने की भी ज़रूरत नहीं पढ़ती और वो सब समझ लेते हैं ।चलो तुम्हें इन तीनों से मिलवाती हूँ ।
एंजला-भगवान करे ऐसा ही हो ।
सोनाक्षी एंजला का परिचय रिया ,दिनेश और महेश से करवाती है । और उन तीनों का एंजला से ।
तभी रिया महेश के कान में कुछ कहती है ।"भई क्या फुसफुसाहट हो रही है ?" सोनाक्षी रिया को आँख मारते हुए पूछती है ।
"कुछ नहीं दीदी बस मुझे न पुस्तकालय से एक किताब लेनी थी ,मैं महेश से पूछ रही थी क्या वो मेरे साथ चलेगा ,इतने बड़े पुस्तकालय में अकेले जाते मुझे डर लगता है " रिया अटकते हुए जवाब देती है ।
"ठीक है महेश रिया का ध्यान रखना कहीं कोई साँप न इसे काट ले" सोनाक्षी महेश से कहती है ।
इस तरह रिया और महेश दिनेश को एंजला और सोनाक्षी के साथ पार्क में छोड़कर बाहर आ जाते हैं ।
महेश(पार्क से बाहर निकलने के बाद)- तुम्हें यकीन है कि गुरु जी ने अहिल्या की जो कहानी बताई है वो पूरी नहीं है ?
रिया-हाँ ,पक्का यकीन है ।
महेश-कैसे?
रिया -याद है ना कि कहानी में काम अहिल्या की इज़्ज़त नहीं लूट पाता ?
महेश-हाँ ,पर इससे यह कैसे साबित होता है कि गुरु जी ने हमें पूरी कहानी नहीं बताई ?
रिया-अरे बुद्धु याद नहीं कि आकाश वाणी में साफ-2 कहा गया कि जाओ और अहिल्या का शील उसे वापिस करो ।
महेश-हाँ यह तो है ।पर पूरी कहानी मिलेगी कंहाँ ?
रिया-प्रतिबंधित पुस्तकालय में।
महेश-जो तहखाने में है ?
रिया -हाँ ।
महेश -पर तहखाने पर तो ताला है अंदर कैसे जाएंगे?
रिया-ताला तो मैं जादू से खोल दूँगी ।
महेश-आश्रम में जादू करना मना है ।
रिया-पता ही नहीं चलेगा किसी को , तू डरपोकों वाली बात मत जल्दी चल इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा ।
महेश तहखाने में जाने से तो डर रहा था पर सफेद बटनों वाली कमीज और गुलाबी स्कर्ट से झाँकते उसके सुडौल अँगों को देखकर उसका मन बदल जाता है और फिर दिल में उसके यह बात भी थी कहीं रिया को वँहा कुछ हो न जाये इसलिए वो रिया के साथ जाने को त्यार हो जाता है ।
तहखाना आश्रम की तीन मंजिला इमारत के दो मंज़िल नीचे था । रिया और महेश किसी तरह तहखाने की तरफ जाने वाली सीढ़ी ढूंढते हैं और नीचे उतरते हैं । नीचे अंधकार ही अंधकार होता है रिया जादू का प्रयोग कर रोशनी करती है तो उन्हें वँहा तीन बन्द दरवाजे मिलते हैं पर ताला किसी पर नहीं होता ।"देख लो तुम ऐसे ही डर रहे थे यँहा तो कोई ताला नहीं है" रिया खुश होते हुए कहती है ।
महेश-मुझे तो डर लग रहा है यार चलो यँहा से चलते हैं ।
रिया(पहले दरवाजे को खोलते हुए) -तुम ऐसे ही डरते हो ।
महेश(हँसते हुए)-वाह दरवाजे के पीछे दीवार ,लो अब करो जादू दीवार पे ।
रिया(चिढ़ते हुए)- बातें मत करो जल्दी दूसरा दरवाजा खोलो ।
महेश दूसरे दरवाजे के पास जाता है और उसके हैंडिल को दोनों हाथों से पकड़ के दरवाजा खोलने की कोशिश करता है ,खटाक की जोरदार आवाज़ होती है पर दरवाजा खुलने के बजाए कहीं से दरवाजे पर एक हड्डियों का हाथ प्रकट हो जाता है और महेश के हाथों को जकड़ लेता है ।
"मरा रे मरा.... रिया पाप लगेगा तुझे ....तेरे कारण मैं कुँवारा ही मरने जा रहा हूँ " महेश चिल्लाता है ।
"डर मत यार अभी खोलती हूँ मैं इस हाथ को" रिया महेश के पास जाते हुए कहती है । वो ताकत से लेकर अपने सारे जादू लगा कर देख लेती है पर हड्डियों के हाथ से महेश के हाथ नहीं छुड़वा पाती है ।
"महेश यह पक्का पहेलियों वाला जादू है" रिया जैसे ही यह शब्द बोलती है दरवाजे पर कुछ शब्द उभर आते हैं ,रिया और महेश उन्हें एक साथ पढ़ते हैं -
"सोचो और खुल जाए दरवाजा इसलिए दो सही जवाब वरना कटेगा इसका सिर ताज़ा ताज़ा"
महेश-रिया मैं अभी मरना नहीं चाहता ,किस मुसीबत में फंसा दिया तूने ।
रिया आगे पढ़ती है " कौनसी है ऐसी चीज़ जो जाती तो स्त्री के मुख में है सख्त, पर सारा रस छोड़ हो जाती है नरम"
महेश-रिया मैं तुझे बता रहा हूँ आज मेरा सिर कट के रहेगा , ऐसी कोई चीज़ नहीं होती जो रस छोड़कर नरम हो जाती हो
रिया-चुप कर डफर मुझे सोचने दे ।
महेश-जल्दी कर न जंड देवी नहीं तो कट जाएगा मेरा सिर ।
रिया -क्या कहा तूने मुझे ?
महेश-देवी ।
रिया -उससे पहले यार।
महेश-जल्दी कर न।
रिया -नहीं उसके बाद
महेश-जंड।
रिया -वाह तूने तो मुझे जवाब दे दिया ।
महेश-जंड है जवाब?
रिया-नहीं लन्ड है जवाब ।
दरवाजे पर अगला सवाल उभरता है " एक आम ऐसा जो काटा न जाए, तोड़ा न जाए ,खाया न जाए और चूसो तो निकले दूध"
महेश(तपाक से जवाब देता है)-ऐसा फल है स्त्रियों के स्तन ।
रिया -बड़ी जल्दी जवाब दे दिया ,कैसे पता था तुझे इसका जवाब ।
महेश-इस सवाल का जवाब तो कोई बच्चा भी दे सकता था ।
रिया अगला सवाल पढ़ती है " बिना प्रयोग किए कोई मापक बताना है तुझे इसके लिंग का नाप " ।सवाल पढ़ने के बाद उसके सुंदर चेहरा शर्म से लाल हो जाता है । महेश और वो दोनों काफी देर तक एक दूसरे को घूरते रह जाते हैं ।
रिया(खामोशी तोड़ते हुए)-कितना लम्बा है तेरा लिंग ?
महेश-कभी नापा नहीं ।
रिया-कोई काम नहीं करता तू ।
महेश-लन्ड कौन नापता है यार ।
रिया-सोच क्या रहा बाहर निकाल ,मैं लम्बाई का अंदाज़ा लगाने की कोशिश करती हूँ।
महेश (अपने जकड़े हुए हाथों की तरफ इशारा करते हुए)-मैं कैसे निकालूँ ?
रिया बेचारी शर्म से लाल हो जाती है कि अब उसे महेश की पैंट खोलकर उसके लिंग को बाहर निकालना होगा ।अपने सपनों में उसने महेश के लम्बे चौड़े शरीर को सोचकर उसके लन्ड का आकार सोचा था पर आज वो सच में देखने जा रही थी उसकी दिल की धड़कनें तेज़ हो जाती हैं । वो शर्माते-2 और अपनी नज़रें झुकाए महेश के पास आती है ताकि उसकी और महेश की नजरें न मिल सकें । रिया की इतना डरता देख महेश को उस पर तरस आ जाता है वो सोचता है किसी मासूम लड़की यह काम कैसे करेगी "रिया रहने दे यार जो होगा देखा जाएगा" वो कहता है । महेश कि यह बात सुनकर रिया को खुद पर गुस्सा आने लगता यह सोचकर कि महेश उसके लिए मरने को भी तैयार है और वो उसके लिए उसका लन्ड नापने में भी झिझक रही है ।
रिया जल्दी से महेश की पैंट खोल उसका कच्छा नीचे सरका देती है । महेश का काला लन्ड आज़ाद होकर हवा में हिलने लगता है मुरझाई अवस्था में भी एक मध्यम आकार के केले जितना लम्बा और मोटा था । "कितना आकर्षक है इसका लिंग " रिया मन में सोचती है ।
रिया-खड़ा करो इसे ।
महेश-नहीं हो रहा वैसे तो तुमको देखते ही मेरा......।
रिया -अच्छा अच्छा ठीक है वो उसकी बात को बीच में काट देती है । कुछ कामुक सोचो यार तभी खड़ा होगा न ।
महेश-यँहा जान के लाले पड़े हैं , मैं मरने वाला हूँ तो कुछ दिमाग में आ ही नहीं रहा ।
रिया-कैसे खड़ा होगा यह ?
महेश-हिलाने से ।
रिया-उसके इलावा ।
महेश-कामुक ,नंगी तस्वीरों को देखने से ।
रिया -वो मैं कँहा से लाऊं यँहा । मुझे नंगा देखने से काम चल जाएगा ?
महेश(खुश होते हुए, रिया की बात सुनने भर से ही उसका लिंग आकार लेने लगा था)- हम्म ।
रिया आँखे बंद करती है और फिर अपनी शर्ट के बटन खोलती है ,और उसे उतार देती है अब उसके बदन पर केवल बनियान थी जिसमें से उसके गुबारों जैसे बड़े बड़े मम्में और उनकी उभरी हुई सख्त चुचियाँ साफ नजर आ रही थी "कितने बड़े और खूबसूरत हैं तुम्हारे स्तन रिया" महेश के मुँह से शब्द अनजाने में ही निकल पड़ते हैं ।रिया शर्म से लाल हो जाती है "बकवास मत करो यह बताओ कि काम हुआ या नहीं " वो दिखावटी गुस्सा करते हुए कहती है । "कुछ हुआ है" वो जवाब देता है पर रिया को केवल हुआ है सुनाई देता है वो जल्दी से आँखे खोलती है और अपने सामने महेश के आधे खड़े लन्ड को देखती है तो उसकि लम्बाई और मोटाई देखकर रिया का मुँह खुला का रह जाता है ।
रिया-चलो यह काम तो हुआ अब इसका नाप लेने का कोई तरीका खोजना होगा ।
महेश-अभी तो आधा ही खड़ा हुआ है यार ।
रिया(हैरानी से)-इससे बड़ा क्या होगा ।
महेश(उसको लगता है रिया समझ रही है कि वो झूठ बोल रहा है)-माँ कसम और बड़ा होगा ,तन के बिल्कुल सीधा हो जाता है अभी तो मुडा है ।
रिया-तंग आ गयी हूँ यार मैं । इस सब को जल्दी खत्म करना होगा आओ मैं इसे हिलाकर ही खड़ा करती हूँ ।
ठीक इसी समय सीढ़ियों पे किसी की आहट होती है रिया और महेश दोनों डर जाते हैं आवाज़ धीरे धीरे उनके पास आती जाती है रिया और महेश को लगता है कि आज हो न हो उनको यँहा इस अवस्था में पकड़ लिया जाएगा और उन्हें आश्रम से निकाल दिया जाएगा दोनों डर से जैसे जम ही जातें और आवाज़ पास आती जाती है ..।
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