22-01-2021, 02:50 PM
(This post was last modified: 17-09-2021, 08:03 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मैं और मेरी जेठानी
जेठानी जी ने उगल दिया ,
और जेठानी जी ने मेरे गले को सहलाते हुए बड़े शाक और दुख भरी आवाज में कहा ,
" हे तेरा गला बड़ा सूना लग रहा है। "
मैं उनका मतलब समझ रही थी लेकिन जान बूझ के नहीं बोली।
अब मैं भी ये सब ट्रिक सीख गयी थी , मैं जो वो चाहती थीं की मैं अपने मुंह से बोलूं , वो सुख उन्हें नहीं देना चाहती थी।
बस मैं उनकी ओर देख के मीठा मीठा मुस्करा रही थी।
आखिर उनसे नहीं रहा गया , वो बिचारी ,बोलना ही पड़ा उन्हें।
" हे वो गुड्डी ,वो हार ,बाजी तो तूने न , फिर ,... " रुकते रुकते वो बोल रही थीं।
कुछ देर मैं चुप रही ,फिर मुस्कराकर ,किसी बड़े दिल वाली की तरह मैं बोली ,
" अरे दी ,इनकी एकलौती छोटी बहन है ,सगी तो कोई है नहीं जो है वही ,और हमारी भी छोटी ननद। उसका दिल आ गया था , तो बस , बाजी वाजी क्या वो तो बस ऐसे ही मज़ाक में और चलिए इसी बहाने आपके देवर ने आपके सामने आम खाना शुरू कर दिया। "
वो कुछ बोलती उस के पहले मैंने अगले तीर चला दिए ,
" वैसे भी दीदी ,अबकी मेरी बर्थडे पे ये मेरे लिए कुंदन का हार दिया है ,बीच में पन्ना ,मैं भूल गयी थी दिखाना आपको , साथ में मैचिंग झुमके और हाँ जो प्रमोशन हुआ था न उनका , उस समय मैंने तो बहुत मना किया पर आप तो जानती है न मेरी सुनते हैं क्या के जड़ाऊ सात लड़ वाला हार , और मम्मी भी आयी थी मेरी , अभीहम लोगों के यहाँ आने के एक दिन पहले तो गयी वापस , वो भी अब मैं एकलौती लड़की ,...यूरोप गयी थीं वो तो एक बसरा पर्ल्स का हार , ... वो वाला तो मैं नहीं लायी हूँ पर आपको व्हॉट्सेएप कर दूंगी। आप को अपने व्हाट्सएप ग्रुप में ऐड कर देती हूँ , ... व्हाट्सऐप है न आपके पास ,... "
आखिरी तीर चला के मैं चल दी।
अब मैं एकदम सीख गयी थी ,शिकार को कब घायल कर के छोड़ देना चाहिए ,जिससे खूब धीरे धीरे खून रिसे , और उसे अपनी चोट याद आती रहे।
गुड्डी तो खैर टीनेजर थी और किशोरियां कुछ ज्यादा ही चबड चबड करती हैं , लेकिन उसे कंट्रोल करना गाइड करना तो मेरी जेठानी का , और अब मैं समझ गयी कित्ती बार तो उसके कंधो पर रख के वो बन्दूक चलाती थीं।
बिना मुड़े मैंने कनखियों से ,... वो ,... मेरी जेठानी एकदम आग बबूला,... टेंशनियाइ ,...
यही तो मैं चाहती थी।
मैं किचेन में
गुड्डी को मैंने बोला था न की जा अपने भैय्या के हाथों का जौहर देख ,किचेन में।
उनके हाथ सच में जौहर दिखा रहे थे ,सीधे गुड्डी की कच्ची अमिया पे ,एक उस कसे बहुत ही लो कट टॉप के अंदर और दूसरा ऊपर से ही ,...
और मेरी छुटकी ननदिया भी कम नहीं थी , उस शोख परी ने अपने नाजुक हाथों से उनकी झलकौवा शार्ट के ऊपर से उनके खड़े खूंटे को कस कस के रगड़ मसल रही थी , और उन्हें चिढ़ा रही थी।
उधर चूल्हे पर दूध उबल रहा था।
यही तो मैं चाहती थी।
जब तक उन दोनों ने अहसास किया की मैं किचेन के अंदर हूँ , दूध उबल रहा है , और वो लपक कर चूल्हे की ओर बढे , पर मुस्कराते हुए मैंने पहले दूध उतार दिया।
झेंप कर वो बेसन फेंटने में लग गए और मैं उनकी माल कम बहन के पास।
उन्हें झेंपते हुए देखा मैं और गुड्डी दोनों मुस्कराने लगे। .
" गुड्डी क्या बनवा रही हो ,अपने भैय्या से " गुड्डी को चिढ़ाते मैंने पूछा।
" पकौड़ी " बेसन फेंटते हुए जवाब उन्होंने दिया।
" भाभी आपने भैय्या को ट्रेनिंग बहुत अच्छी दी है ,एकदम परफेक्ट कुक "
गुड्डी के गालों को मरोड़ते मैंने उसे छेड़ा,
" अरे मेरी ननद रानी आज की रात रुक जाओ न तो बस बाकी उन्होंने ये क्या क्या सीखा है ,ये भी दिखा देंगे ,आगे से ,पीछे से.क्यों है न ,दिखा दोगे न गुड्डी को। "
वो और गुड्डी दोनों झेंप गए।
जेठानी जी ने उगल दिया ,
और जेठानी जी ने मेरे गले को सहलाते हुए बड़े शाक और दुख भरी आवाज में कहा ,
" हे तेरा गला बड़ा सूना लग रहा है। "
मैं उनका मतलब समझ रही थी लेकिन जान बूझ के नहीं बोली।
अब मैं भी ये सब ट्रिक सीख गयी थी , मैं जो वो चाहती थीं की मैं अपने मुंह से बोलूं , वो सुख उन्हें नहीं देना चाहती थी।
बस मैं उनकी ओर देख के मीठा मीठा मुस्करा रही थी।
आखिर उनसे नहीं रहा गया , वो बिचारी ,बोलना ही पड़ा उन्हें।
" हे वो गुड्डी ,वो हार ,बाजी तो तूने न , फिर ,... " रुकते रुकते वो बोल रही थीं।
कुछ देर मैं चुप रही ,फिर मुस्कराकर ,किसी बड़े दिल वाली की तरह मैं बोली ,
" अरे दी ,इनकी एकलौती छोटी बहन है ,सगी तो कोई है नहीं जो है वही ,और हमारी भी छोटी ननद। उसका दिल आ गया था , तो बस , बाजी वाजी क्या वो तो बस ऐसे ही मज़ाक में और चलिए इसी बहाने आपके देवर ने आपके सामने आम खाना शुरू कर दिया। "
वो कुछ बोलती उस के पहले मैंने अगले तीर चला दिए ,
" वैसे भी दीदी ,अबकी मेरी बर्थडे पे ये मेरे लिए कुंदन का हार दिया है ,बीच में पन्ना ,मैं भूल गयी थी दिखाना आपको , साथ में मैचिंग झुमके और हाँ जो प्रमोशन हुआ था न उनका , उस समय मैंने तो बहुत मना किया पर आप तो जानती है न मेरी सुनते हैं क्या के जड़ाऊ सात लड़ वाला हार , और मम्मी भी आयी थी मेरी , अभीहम लोगों के यहाँ आने के एक दिन पहले तो गयी वापस , वो भी अब मैं एकलौती लड़की ,...यूरोप गयी थीं वो तो एक बसरा पर्ल्स का हार , ... वो वाला तो मैं नहीं लायी हूँ पर आपको व्हॉट्सेएप कर दूंगी। आप को अपने व्हाट्सएप ग्रुप में ऐड कर देती हूँ , ... व्हाट्सऐप है न आपके पास ,... "
आखिरी तीर चला के मैं चल दी।
अब मैं एकदम सीख गयी थी ,शिकार को कब घायल कर के छोड़ देना चाहिए ,जिससे खूब धीरे धीरे खून रिसे , और उसे अपनी चोट याद आती रहे।
गुड्डी तो खैर टीनेजर थी और किशोरियां कुछ ज्यादा ही चबड चबड करती हैं , लेकिन उसे कंट्रोल करना गाइड करना तो मेरी जेठानी का , और अब मैं समझ गयी कित्ती बार तो उसके कंधो पर रख के वो बन्दूक चलाती थीं।
बिना मुड़े मैंने कनखियों से ,... वो ,... मेरी जेठानी एकदम आग बबूला,... टेंशनियाइ ,...
यही तो मैं चाहती थी।
मैं किचेन में
गुड्डी को मैंने बोला था न की जा अपने भैय्या के हाथों का जौहर देख ,किचेन में।
उनके हाथ सच में जौहर दिखा रहे थे ,सीधे गुड्डी की कच्ची अमिया पे ,एक उस कसे बहुत ही लो कट टॉप के अंदर और दूसरा ऊपर से ही ,...
और मेरी छुटकी ननदिया भी कम नहीं थी , उस शोख परी ने अपने नाजुक हाथों से उनकी झलकौवा शार्ट के ऊपर से उनके खड़े खूंटे को कस कस के रगड़ मसल रही थी , और उन्हें चिढ़ा रही थी।
उधर चूल्हे पर दूध उबल रहा था।
यही तो मैं चाहती थी।
जब तक उन दोनों ने अहसास किया की मैं किचेन के अंदर हूँ , दूध उबल रहा है , और वो लपक कर चूल्हे की ओर बढे , पर मुस्कराते हुए मैंने पहले दूध उतार दिया।
झेंप कर वो बेसन फेंटने में लग गए और मैं उनकी माल कम बहन के पास।
उन्हें झेंपते हुए देखा मैं और गुड्डी दोनों मुस्कराने लगे। .
" गुड्डी क्या बनवा रही हो ,अपने भैय्या से " गुड्डी को चिढ़ाते मैंने पूछा।
" पकौड़ी " बेसन फेंटते हुए जवाब उन्होंने दिया।
" भाभी आपने भैय्या को ट्रेनिंग बहुत अच्छी दी है ,एकदम परफेक्ट कुक "
गुड्डी के गालों को मरोड़ते मैंने उसे छेड़ा,
" अरे मेरी ननद रानी आज की रात रुक जाओ न तो बस बाकी उन्होंने ये क्या क्या सीखा है ,ये भी दिखा देंगे ,आगे से ,पीछे से.क्यों है न ,दिखा दोगे न गुड्डी को। "
वो और गुड्डी दोनों झेंप गए।