22-01-2021, 02:36 PM
(This post was last modified: 17-09-2021, 04:28 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
जेठानी जी के सामने
और हम तीनो सीढ़ी से धड़धड़ नीचे।
गुड्डी के वो दो घंटे १२ मिनट पहले ख़त्म हो चके थे।
शरारत में मैंने गुड्डी के टॉप के स्ट्रिंग्स फिर नीचे खींच दिए और उसकी छलकती हुयी गोलाइयाँ आधी से ज्यादा बाहर आ गयी , और वो उसे ठीक कर पाती , उसके पहले ही हम तीनो नीचे ,
जेठानी जी के सामने।
……………………………………………..
" क्या हो रहा था " वो बोलीं
और जिस तरह से हम तीनो केमुंह से एक साथ निकला , कुछ भी तो नहीं, उससे साफ़ था बहुत कुछ हो रहा था।
जेठानी बिचारी ,
उनकी हालत एक ऐसे नेता की थी , जिसकी पार्टी की सरकार चली गयी हो , इलेक्शन में वो न खुद हार गया हो बल्कि उसकी जमानत भी जब्त हो गयी हो। लेकिन वो भूल नहीं पा रहा हो की कल तक उसकी तूती बोलती थी और सड़क चौराहे पर किसी ट्रैफिक कांस्टेबल पर धौंस जमाने की कोशिश कर रहा हो.
पर हारे हुए नेता और घिसी हुयी आइटम गर्ल को जैसे कोई नहीं सुनता , बस वही ,...
" मै सोच रही थी , अरे तुझे तो मालूम ही है की साढ़े चार बजे यहां सब लोग चाय,... इसीलिए तुझे आवाज दी। "
जेठानी ने मेरी आँख में आँख डाल कर बोला।
मुझे एकदम मालूम था ,सारा टाइम टेबल और मीनू भी ,
आखिर साढ़े सात महीने तक यही तो करती थी ,सुबह ठीक सवा छह बजे किचेन के अंदर ,वो भी नहा धो के , फिर सबकी बेड टी , सात बजे के पहले , फिर ब्रेकफास्ट , लंच , शाम साढ़े बजे इवनिंग टी ,शाम का नाश्ता , रात का खाना , और हर डिश के साथ नया नया ताना।
जेठानी जी भी आती थीं बीच बीच में सिर्फ ये बोलने के लिए ,
" तेरे मायके की तरह नहीं है यहाँ , हमारे यहां तो किचेन में लहसुन प्याज आना क्या कोई बात भी नहीं कर सकता ,... "
तो जेठानी जी का इशारा साफ़ था , मैं किचेन में जाऊं ,पुराने जमाने की तरह चाय बना के ले आऊं यहीं बरामदे में और वो अपने छुटके देवर और ननदी के साथ गप्पाष्टक करें और ये उन दोनों से उगलवाने की कोशिश करें की मैं क्या बात कर रही थी।
बिचारी दो दिनों से मैंने उन्हें कित्ते हिंट दिए थे की अब जमाना बदल चुका है , उनका देवर अब मेरी पति पहले है ,मेरा एकदम अच्छा वाला मीठा मीठा हबी।
मैं भी कौन कम थी अपनी मम्मी के कॉलेज की पढ़ी , हँसते हुए मैंने उन्हें गले लगा लिया और बोली ,
" एकदम दी , कैसे भूल सकती हूँ , अरे मैं खुद बहुत चयासी हो रही थी। ये तो आपके देवर न ,थोड़े बिजी थी , ... "
और मैंने जब मुस्करा के अपने उनको देखा तो बिचारे ऐसे शरमाये की लौंडिया मात।
" और दी , आपके देवर चाय बहुत अच्छी बनाते हैं , स्पेशली मसाला चाय। अभी बना के लाते हैं , "
और उनको चिढ़ाते और गुड्डी के गुलाब ऐसे गालों पर चिकोटी काटते मैंने उनको बोल दिया,
" और आज तो ये चिकनी भी आयी है स्पेशल मेहमान ,
ज़रा उसको भी तो अपने हाथ का जौहर दिखाओ न ,चाय के साथ वाय भी। "
वो किचेन की ओर मुड़ गए , और अब मैंने गुड्डी को भी उधर खदेड़ दिया जिससे जो बातें जेठानी जी के पेट में नहीं पच पा रही थी वो मुझसे कर लें वरना फ़ालतू में गैस की दवा ढूंढती फिरेंगी। "
" तू भी जा न ज़रा अपनी भैय्या की हेल्प करा दे ,कही चाय में चीनी की जगह नमक डाल दें , फिर उन्हें चाय के साथ वाय भी तो बनानी है ,अपनी पसंद की वाय बनवा लेना अपने भैय्या से। "
एकदम भाभी कह के ,मुस्कराती वो छोरी बड़ी शोख अदा से अपने कसे कसे नितम्ब मटकाती , मुझे दिखाती किचेन में चली गयी ,
और हम तीनो सीढ़ी से धड़धड़ नीचे।
गुड्डी के वो दो घंटे १२ मिनट पहले ख़त्म हो चके थे।
शरारत में मैंने गुड्डी के टॉप के स्ट्रिंग्स फिर नीचे खींच दिए और उसकी छलकती हुयी गोलाइयाँ आधी से ज्यादा बाहर आ गयी , और वो उसे ठीक कर पाती , उसके पहले ही हम तीनो नीचे ,
जेठानी जी के सामने।
……………………………………………..
" क्या हो रहा था " वो बोलीं
और जिस तरह से हम तीनो केमुंह से एक साथ निकला , कुछ भी तो नहीं, उससे साफ़ था बहुत कुछ हो रहा था।
जेठानी बिचारी ,
उनकी हालत एक ऐसे नेता की थी , जिसकी पार्टी की सरकार चली गयी हो , इलेक्शन में वो न खुद हार गया हो बल्कि उसकी जमानत भी जब्त हो गयी हो। लेकिन वो भूल नहीं पा रहा हो की कल तक उसकी तूती बोलती थी और सड़क चौराहे पर किसी ट्रैफिक कांस्टेबल पर धौंस जमाने की कोशिश कर रहा हो.
पर हारे हुए नेता और घिसी हुयी आइटम गर्ल को जैसे कोई नहीं सुनता , बस वही ,...
" मै सोच रही थी , अरे तुझे तो मालूम ही है की साढ़े चार बजे यहां सब लोग चाय,... इसीलिए तुझे आवाज दी। "
जेठानी ने मेरी आँख में आँख डाल कर बोला।
मुझे एकदम मालूम था ,सारा टाइम टेबल और मीनू भी ,
आखिर साढ़े सात महीने तक यही तो करती थी ,सुबह ठीक सवा छह बजे किचेन के अंदर ,वो भी नहा धो के , फिर सबकी बेड टी , सात बजे के पहले , फिर ब्रेकफास्ट , लंच , शाम साढ़े बजे इवनिंग टी ,शाम का नाश्ता , रात का खाना , और हर डिश के साथ नया नया ताना।
जेठानी जी भी आती थीं बीच बीच में सिर्फ ये बोलने के लिए ,
" तेरे मायके की तरह नहीं है यहाँ , हमारे यहां तो किचेन में लहसुन प्याज आना क्या कोई बात भी नहीं कर सकता ,... "
तो जेठानी जी का इशारा साफ़ था , मैं किचेन में जाऊं ,पुराने जमाने की तरह चाय बना के ले आऊं यहीं बरामदे में और वो अपने छुटके देवर और ननदी के साथ गप्पाष्टक करें और ये उन दोनों से उगलवाने की कोशिश करें की मैं क्या बात कर रही थी।
बिचारी दो दिनों से मैंने उन्हें कित्ते हिंट दिए थे की अब जमाना बदल चुका है , उनका देवर अब मेरी पति पहले है ,मेरा एकदम अच्छा वाला मीठा मीठा हबी।
मैं भी कौन कम थी अपनी मम्मी के कॉलेज की पढ़ी , हँसते हुए मैंने उन्हें गले लगा लिया और बोली ,
" एकदम दी , कैसे भूल सकती हूँ , अरे मैं खुद बहुत चयासी हो रही थी। ये तो आपके देवर न ,थोड़े बिजी थी , ... "
और मैंने जब मुस्करा के अपने उनको देखा तो बिचारे ऐसे शरमाये की लौंडिया मात।
" और दी , आपके देवर चाय बहुत अच्छी बनाते हैं , स्पेशली मसाला चाय। अभी बना के लाते हैं , "
और उनको चिढ़ाते और गुड्डी के गुलाब ऐसे गालों पर चिकोटी काटते मैंने उनको बोल दिया,
" और आज तो ये चिकनी भी आयी है स्पेशल मेहमान ,
ज़रा उसको भी तो अपने हाथ का जौहर दिखाओ न ,चाय के साथ वाय भी। "
वो किचेन की ओर मुड़ गए , और अब मैंने गुड्डी को भी उधर खदेड़ दिया जिससे जो बातें जेठानी जी के पेट में नहीं पच पा रही थी वो मुझसे कर लें वरना फ़ालतू में गैस की दवा ढूंढती फिरेंगी। "
" तू भी जा न ज़रा अपनी भैय्या की हेल्प करा दे ,कही चाय में चीनी की जगह नमक डाल दें , फिर उन्हें चाय के साथ वाय भी तो बनानी है ,अपनी पसंद की वाय बनवा लेना अपने भैय्या से। "
एकदम भाभी कह के ,मुस्कराती वो छोरी बड़ी शोख अदा से अपने कसे कसे नितम्ब मटकाती , मुझे दिखाती किचेन में चली गयी ,