22-01-2021, 07:59 AM
देवर संग मस्ती
लेकिन उन दोनों से ज्यादा मैं गरमा रही थी और मैं जानती थी अपने ससुराल वाले लड़कों को कैसे गरम किया जाता है ,
उनकी बहनों का नाम लेकर , और मैंने बंटू और मंटू दोनों की बहनों का नाम ले ले कर , ...
मैं तुमसे पूछूं , हे मंटू भैया , हे बंटू भैया , तोहरी बहिनी क कारोबार कैसे चले , उनके रातों क रोजगार कैसे चले
अरे तोहरी बेबी क जोबना का ब्यौपार कैसे चले अरे तोहरी मीता क जोबना क रोजगार कैसे चले ,
,,,,
अरे तोहरी बहिना ने एक किया दो किया , साढ़े तीन किया , हिन्दू * किया , कोरी चमार
नौ सौ भंडुए कालीन गंज के ( हमारी ससुराल का रेड लाइट एरिया )
अच्छा इसके पहले होली में किसका दबाते थे , खाली अपनी अपनी बहनों का या एक दूसरे की बहनों का भी चोली में हाथ डाल डाल के , तभी तो मेरी ननदों की इतनी जबरदस्त दबवाने मिजवाने की प्रैक्टिस है ,
बंटू भैया तेरी दोनों के उभार तो इसलिए मस्त आये हैं न बचपन से अपनी बहनों का खूब दबाते थे इसलिए इन सबों का उभार , हाईकॉलेज में ही , सिर्फ कपडे के ऊपर से ही दबाते थे या अंदर से भी , ...
बस इतना कहना काफी था , ऊपर से चोली के अंदर बंटू ने , नीचे से चोली के अंदर मंटू ने हाथ डाल दिया , ...
मैं फिर चिल्लाई तुम दोनों एक साथ ,
तो दोनों ने साथ साथ जवाब दिया ,
" नहीं भाभी , दाएं वाला मेरा है देखिये मैं सिर्फ बैंगनी रंग लगा रहा हूँ आप जब नहाइयेगा तो देख लीजियेगा। "
बंटू बोला।
" अरे नहाने का इन्तजार करने की क्या जरूरत , भौजी को अबहिंये खोल के दिखा देते हैं , मेरा वाला पक्का नीला है , मंटू बोला और बंटू को उकसाया , खोल दे न , ...
जब तक मैं मना करती चोली का नीचे वाला बटन , बंटू ने खोल दिया और ऊपर वाला मंटू ने ,
एक बटन पहले ही दोनों के हाथ डालने से टूट चुका था , कुल चार बटनों में से सिर्फ एक बचा था , इसलिए चोली जोबन पर से अलग तो नहीं हुयी लेकिन अब मेरे दोनों देवर के हाथ खुल के मेरे उभार पे ,
लगा रहा था सैकड़ों बिच्छू मेरे जोबन पर डोल रहे हैं , एक तो भांग का नशा ऊपर से दोनों जवान होते लड़कों का हाथ सीधे उभारों पर , दोनों बदमाश
कभी बस हलके हलके सहलाते , बस जैसे छू रहे हों , हवा की तरह सहला रहे हों , मेरे उभार पथरा रहे थे , आँखे मुंदी पड़ रही थी , और बंटू सहलाते सहलाते जब मेरे निप्स को को फ्लिक करता तो बस , ... जैसे जान नहीं निकली ,
मन कर रहा था , ये स्साले चिकने , कस के क्यों नहीं दबाते , जोर से क्यों नहीं मसलते , मस्ती से क्यों नहीं रगड़ते ,
और पहले मंटू ने फिर बंटू ने जैसे मेरे मन की बात सुन ली और अब दोनों एक साथ कस कस के , खूब जोर से रगड़ रहे थे मसल रहे थे ,
कभी कभी दर्द भी हो रहा था मीठा मीठा , कभी कभी अच्छा भी लग रहा था , ... ऊपर से तो मैं बोल रही थी , छोड़ न , छोड़ बहुत हो गया , ... पर मन कर रहा था , और कस के , .. ओह्ह , ...
दोनों के एक एक हाथ खाली थे , असल में खाली नहीं थे , दोनों ने कस के मुझे उन्ही हाथों से दबोच भी रखा था और मेरे चिकने पेट पर रंग लगा रहे थे , मुझे लग रहा था पेट से सरक कर और नीचे , और नीचे ,
लेकिन दोनों ऊपर की मंजिल पर ही बिजी थे , और उन दोनों की जोबन रगड़ाई से मेरी भी हालत खराब थी , मैं हिल डुल नहीं सकती थी , पर हाथ तो मेरे दोनों खाली ही थे ,
….
Hoमैं सोच रही की बंटू मंटू को जरा जवाब दूँ , हाथ तो मेरे दोनों खाली ही थे और सबसे बड़ी बात ये थी की अनुज थोड़ी देर के लिए कहीं चला गया था , उसका कोई फोन आ गया था ,
लेकिन जिस तरह बंटू मंटू के हाथ मेरे उभारो पर सरक रहे थे , सहला रहे थे , छू रहे थे , . एकदम मस्ती छ रही थी , मैं समझ सकती थी ये सब कितना ललचा रहे होंगे , जैसे कोई बच्चा कैंडी की दूकान के बाहर खड़े होकर ललचाता रहे , ... कोई हलवाई की दुकान में रखे मोतीचूर के लड्डू देखता रहे और सोचता रहे ये तो उसे मिलना नहीं ,
और अचानक उसे मिल जाए , ...
दोनों एक साथ , कभी कस के दबाते मसलते , कभी साथ साथ मेरा निपल्स फ्लिक करते , मैं गीली हो रही थी लेकिन हालत उन दोनों लड़कों की कम ख़राब नहीं थी , मैं जान बूझ कर अपने हिप्स कस कस के रगड़ रही थी , मंटू ने मुझे कस के पकड़ रखा था , और उस का खूंटा सीधे मेरे पेटीकोट पर , मेरे हिप्स के बीच , ... वो तो उन के आते ही मैंने समझ लिया थी की दोनों ने बारमूडा के नीचे कुछ नहीं पहन रखा है , बस एक स्लीवलेस टी शर्ट , बनाययिन ऐसी और बारमूडा ,.. लेकिन आज मैंने भी कौन सी ब्रा और पैंटी पहन रखी थी , तो सीधे जैसे उसका बरमूडा फाड़कर मेरे पेटीकोट में सेंध लगाकर , मेरे देवर का खूंटा ,...
बस वहीँ मैंने घात लगायी ,
और इसी लिए देवर भाभी की होली में हरदम जीत भाभी की होती है , ... मर्द के शरीर के एक एक हिस्से की हालचाल का अंदाजा भाभियों को रहता है और देवर तो बस भीगी चोली में झलकते जोबन को द्केहकर ललचाते ही रहते हैं और भाभी थोड़ी दिलदार हुयी तो चोली के अंदर हाथ डाल लिया ,
सीधे ' वहीँ ' और मुट्ठी में पकड़ लिया , हाथ तो मेरे खाली थे ही , खूंटा इतने जोर से मेरे पिछवाड़े गाड़ रहा था वो , उसकी मोटाई लम्बाई और कहाँ है सब अंदाजा था मुझे
लेकिन उन दोनों से ज्यादा मैं गरमा रही थी और मैं जानती थी अपने ससुराल वाले लड़कों को कैसे गरम किया जाता है ,
उनकी बहनों का नाम लेकर , और मैंने बंटू और मंटू दोनों की बहनों का नाम ले ले कर , ...
मैं तुमसे पूछूं , हे मंटू भैया , हे बंटू भैया , तोहरी बहिनी क कारोबार कैसे चले , उनके रातों क रोजगार कैसे चले
अरे तोहरी बेबी क जोबना का ब्यौपार कैसे चले अरे तोहरी मीता क जोबना क रोजगार कैसे चले ,
,,,,
अरे तोहरी बहिना ने एक किया दो किया , साढ़े तीन किया , हिन्दू * किया , कोरी चमार
नौ सौ भंडुए कालीन गंज के ( हमारी ससुराल का रेड लाइट एरिया )
अच्छा इसके पहले होली में किसका दबाते थे , खाली अपनी अपनी बहनों का या एक दूसरे की बहनों का भी चोली में हाथ डाल डाल के , तभी तो मेरी ननदों की इतनी जबरदस्त दबवाने मिजवाने की प्रैक्टिस है ,
बंटू भैया तेरी दोनों के उभार तो इसलिए मस्त आये हैं न बचपन से अपनी बहनों का खूब दबाते थे इसलिए इन सबों का उभार , हाईकॉलेज में ही , सिर्फ कपडे के ऊपर से ही दबाते थे या अंदर से भी , ...
बस इतना कहना काफी था , ऊपर से चोली के अंदर बंटू ने , नीचे से चोली के अंदर मंटू ने हाथ डाल दिया , ...
मैं फिर चिल्लाई तुम दोनों एक साथ ,
तो दोनों ने साथ साथ जवाब दिया ,
" नहीं भाभी , दाएं वाला मेरा है देखिये मैं सिर्फ बैंगनी रंग लगा रहा हूँ आप जब नहाइयेगा तो देख लीजियेगा। "
बंटू बोला।
" अरे नहाने का इन्तजार करने की क्या जरूरत , भौजी को अबहिंये खोल के दिखा देते हैं , मेरा वाला पक्का नीला है , मंटू बोला और बंटू को उकसाया , खोल दे न , ...
जब तक मैं मना करती चोली का नीचे वाला बटन , बंटू ने खोल दिया और ऊपर वाला मंटू ने ,
एक बटन पहले ही दोनों के हाथ डालने से टूट चुका था , कुल चार बटनों में से सिर्फ एक बचा था , इसलिए चोली जोबन पर से अलग तो नहीं हुयी लेकिन अब मेरे दोनों देवर के हाथ खुल के मेरे उभार पे ,
लगा रहा था सैकड़ों बिच्छू मेरे जोबन पर डोल रहे हैं , एक तो भांग का नशा ऊपर से दोनों जवान होते लड़कों का हाथ सीधे उभारों पर , दोनों बदमाश
कभी बस हलके हलके सहलाते , बस जैसे छू रहे हों , हवा की तरह सहला रहे हों , मेरे उभार पथरा रहे थे , आँखे मुंदी पड़ रही थी , और बंटू सहलाते सहलाते जब मेरे निप्स को को फ्लिक करता तो बस , ... जैसे जान नहीं निकली ,
मन कर रहा था , ये स्साले चिकने , कस के क्यों नहीं दबाते , जोर से क्यों नहीं मसलते , मस्ती से क्यों नहीं रगड़ते ,
और पहले मंटू ने फिर बंटू ने जैसे मेरे मन की बात सुन ली और अब दोनों एक साथ कस कस के , खूब जोर से रगड़ रहे थे मसल रहे थे ,
कभी कभी दर्द भी हो रहा था मीठा मीठा , कभी कभी अच्छा भी लग रहा था , ... ऊपर से तो मैं बोल रही थी , छोड़ न , छोड़ बहुत हो गया , ... पर मन कर रहा था , और कस के , .. ओह्ह , ...
दोनों के एक एक हाथ खाली थे , असल में खाली नहीं थे , दोनों ने कस के मुझे उन्ही हाथों से दबोच भी रखा था और मेरे चिकने पेट पर रंग लगा रहे थे , मुझे लग रहा था पेट से सरक कर और नीचे , और नीचे ,
लेकिन दोनों ऊपर की मंजिल पर ही बिजी थे , और उन दोनों की जोबन रगड़ाई से मेरी भी हालत खराब थी , मैं हिल डुल नहीं सकती थी , पर हाथ तो मेरे दोनों खाली ही थे ,
….
Hoमैं सोच रही की बंटू मंटू को जरा जवाब दूँ , हाथ तो मेरे दोनों खाली ही थे और सबसे बड़ी बात ये थी की अनुज थोड़ी देर के लिए कहीं चला गया था , उसका कोई फोन आ गया था ,
लेकिन जिस तरह बंटू मंटू के हाथ मेरे उभारो पर सरक रहे थे , सहला रहे थे , छू रहे थे , . एकदम मस्ती छ रही थी , मैं समझ सकती थी ये सब कितना ललचा रहे होंगे , जैसे कोई बच्चा कैंडी की दूकान के बाहर खड़े होकर ललचाता रहे , ... कोई हलवाई की दुकान में रखे मोतीचूर के लड्डू देखता रहे और सोचता रहे ये तो उसे मिलना नहीं ,
और अचानक उसे मिल जाए , ...
दोनों एक साथ , कभी कस के दबाते मसलते , कभी साथ साथ मेरा निपल्स फ्लिक करते , मैं गीली हो रही थी लेकिन हालत उन दोनों लड़कों की कम ख़राब नहीं थी , मैं जान बूझ कर अपने हिप्स कस कस के रगड़ रही थी , मंटू ने मुझे कस के पकड़ रखा था , और उस का खूंटा सीधे मेरे पेटीकोट पर , मेरे हिप्स के बीच , ... वो तो उन के आते ही मैंने समझ लिया थी की दोनों ने बारमूडा के नीचे कुछ नहीं पहन रखा है , बस एक स्लीवलेस टी शर्ट , बनाययिन ऐसी और बारमूडा ,.. लेकिन आज मैंने भी कौन सी ब्रा और पैंटी पहन रखी थी , तो सीधे जैसे उसका बरमूडा फाड़कर मेरे पेटीकोट में सेंध लगाकर , मेरे देवर का खूंटा ,...
बस वहीँ मैंने घात लगायी ,
और इसी लिए देवर भाभी की होली में हरदम जीत भाभी की होती है , ... मर्द के शरीर के एक एक हिस्से की हालचाल का अंदाजा भाभियों को रहता है और देवर तो बस भीगी चोली में झलकते जोबन को द्केहकर ललचाते ही रहते हैं और भाभी थोड़ी दिलदार हुयी तो चोली के अंदर हाथ डाल लिया ,
सीधे ' वहीँ ' और मुट्ठी में पकड़ लिया , हाथ तो मेरे खाली थे ही , खूंटा इतने जोर से मेरे पिछवाड़े गाड़ रहा था वो , उसकी मोटाई लम्बाई और कहाँ है सब अंदाजा था मुझे