22-01-2021, 07:58 AM
बंटू और मंटू
अनजाने में मेरी आँखों के सामने मंटू का खूंटा नजर आ रहा था ,
एक तो दोनों बारमूडा पहने थे वो कर बंटू , और बंटू का भी , हाथ से स्साला छिपाने की कोशिश कर रहा था
पर इश्क , मुश्क और खड़ा लंड कहीं छिपाने से छिपता है , और कैसे ललचायी नजर से वो सब मेरे उभार देख रहे थे ,
और मेरा हाथ खुद अपने उभारों पर टहल रहा था , हलके हलके छू रहा था , सहला रहा था , मैंने कस के एक बार दबा दिया ,
जैसे वो लड़के दबा रहे हों , ... मैंने अपनी ऊँगली से निप्स खुद दो चार बार फ्लिक किये और वो एकदम टनाटन , ... एक तो आज मैंने ब्रा भी नहीं पहनी थी , घर में कोई था भी नहीं , ... बस थोड़ी मस्ती , और ब्लाउज भी ऐसा दो साल पहले भी मुझे टाइट होता था , ... लो कट था , लाल रंग का ,
और साडी भी एकदम ट्रांसपैरेंट वाली , ... झलकौवा , ... मुझे क्या मालूम था की ये सब आ जाएंगे , अनुज ने कोई फोन वोन भी नहीं किया था वरना मैं , ...
मैं ठंडाई बना रही थी लेकिन मेरा एक हाथ बार खुद मेरे उभारों पर , और अब मैं चुटकी में लेकर निप्स को बार बार , ...
और लग रहा था की वो फिल्म वाले , .. और उन लड़कों की जगह बंटू और मंटू नजर आ रहे थे , ...
लेकिन बार बार मैं ये भी सोच रही थी जैसे हम लोगों ने अनुज को टुन्न करके , भांग वाली गुझिया और ठण्डाई , ... बस वही ट्रिक , ..और एक बार वो तीनों टुन्न हो हाय तो मैं अकेले ही झेल लुंगी , ...
और जैसे अनुज की ज्यादा हिम्मत नहीं पड़ती वैसे ही ये भी होंगे ,...
उन सबके पास जाने के पहले मैंने एक जग में खूब गाढ़ा लाल रंग भी भर लिया , होली की शुरुआत मैंने समझ लिया था भाभी को ही करनी पड़ती है , और ढेर सारे रंग की पुड़िया , पेण्ट अपने पेटीकोट में खोंस ली थी ,
हो जाय होली , साले देवरों की ले लुंगी आज , ...
और मैंने एक बार आँचल ठीक कर लिया , मतलब बस एक पतले छल्ले की तरह दोनों उभारों के बीच में और पीछे , पेटी कोट में खोंस लिया जिससे ब्लाउज टाइट रहे और आँचल खुल के नीचे न गिरे , ... पर इसका असर ये हुआ , की मेरे दोनों चोली फाड़ते उभार अब एकदम साफ़ दिख रहे थे और उभार ही नहीं निप्स भी , ...
मैंने बस वही अनुज के साथ की हुयी ट्रिक ट्राई की ,
ट्रे झुक के उन तीनो के सामने रखा और एक गुझिया बंटू को खिलाने की कोशिश करते बोली
" देखो भाभी के रहते हुए देवर अपने हाथ का इस्तेमाल करें , ... आज तो तुम सबको मेरे हाथ से खाना होगा , ... "
पर काठ की हांडी एक बार ही चढ़ती है , और मेरी ट्रिक उन सबों को पता चल गयी थीं ,
बंटू बोला ,
" भाभी आप एकदम सही कहती हैं , लेकिन तीन तीन देवरों के सामने रहते हुए भाभी को अपने हाथ का इस्तेमाल करना पड़े , ये भी तो हम देवरों के लिए शर्म की बात है , हम लोग खाएंगे , ... लेकिन पहले आप ,...
मैंने देखा नहीं पीछे से मंटू मेरे पीछे पहुँच गया और मेरी पतली कमर कस के उसने दबोच लिया और एक हाथ से मेरे गाल को दबा दिया , मेरा मुंह खुल गया , और गुझिया मेरे मुंह में , ...
लेकिन मैं इतनी जल्दी हार नहीं मानने वाली थी , आधी तो मेरे मुंह के अंदर चला गया पर बाकी मैंने अपने होंठ से ही बंटू के ,
भाभी के होंठों से खाने का स्वाद कौन देवर मना करता , ... पर आधी आधी में , भी डेढ़ गुझिया तो मेरे पेट में चली ही गयी , और यही हाल ठंडाई का हुआ , ...
मंटू मुझे पीछे से कस के दबोचे था और अब उसका खूंटा एकदम खड़ा था , ... उन फिल्म वाले लड़कों से २२ नहीं तो २० रहा ही होगा , ...
और मारे शरारत के मैंने अपने बड़े बड़े चूतड़ कस के उस खड़े खूंटे पर रगड़ रही थी ,
मंटू ने पेटीकोट में फंसे मेरे आँचल को निकाल दिया और एक झटके में साडी
अनुज ने जग में रखे हुए लाल रंग को देख लिया था और उसने बंटू को इशारा किया , ... बस
मंटू तो कस के मुझे पकडे ही था , बंटू खड़ा हुआ आराम से मेरी एकदम कसी चिपकी चोली को अंगूठे एक ऊँगली से जबरन थोड़ा सा फैलाया , मेरा पूरा क्लीवेज दिख रहा था ,
बस पूरे जग का लाल रंग मेरे जोबन पर धीरे धीरे ,
यहाँ नहीं , आँगन में चलो मैं कहती रही पर वो सब पूरे जग का रंग मेरे ब्लाउज के अंदर डाल के माने
और मैं वो तीनो उसके बाद आँगन में
मैंने वही बात कही जो उस दिन अनुज कह रहा था
" भाभी आप तीन और मैं अकेले "
और उन तीनों ने वही जवाब दिया जो उस दिन मैंने दिया था ,
" घबड़ाइये मत भाभी , हम लोग आप को बाँट लेंगे एक के पास एक ही हिस्सा आएगा , "
और मेरे गाल मेरे देवर के अनुज के हिस्से में
और बंटू और मंटू ने मेरे दोनों उभार बाँट लिए , पहले तो थोड़ी देर दोनों थोड़ा झिझकते रहे चोली के ऊपर से , चोली के ऊपर के हिस्से में , बहुत हुआ तो जरा सा क्लीवेज में हलका सा ,
लेकिन उन दोनों से ज्यादा मैं गरमा रही थी और मैं जानती थी अपने ससुराल वाले लड़कों को कैसे गरम किया जाता है ,
उनकी बहनों का नाम लेकर , और मैंने बंटू और मंटू दोनों की बहनों का नाम ले ले कर , ...
अनजाने में मेरी आँखों के सामने मंटू का खूंटा नजर आ रहा था ,
एक तो दोनों बारमूडा पहने थे वो कर बंटू , और बंटू का भी , हाथ से स्साला छिपाने की कोशिश कर रहा था
पर इश्क , मुश्क और खड़ा लंड कहीं छिपाने से छिपता है , और कैसे ललचायी नजर से वो सब मेरे उभार देख रहे थे ,
और मेरा हाथ खुद अपने उभारों पर टहल रहा था , हलके हलके छू रहा था , सहला रहा था , मैंने कस के एक बार दबा दिया ,
जैसे वो लड़के दबा रहे हों , ... मैंने अपनी ऊँगली से निप्स खुद दो चार बार फ्लिक किये और वो एकदम टनाटन , ... एक तो आज मैंने ब्रा भी नहीं पहनी थी , घर में कोई था भी नहीं , ... बस थोड़ी मस्ती , और ब्लाउज भी ऐसा दो साल पहले भी मुझे टाइट होता था , ... लो कट था , लाल रंग का ,
और साडी भी एकदम ट्रांसपैरेंट वाली , ... झलकौवा , ... मुझे क्या मालूम था की ये सब आ जाएंगे , अनुज ने कोई फोन वोन भी नहीं किया था वरना मैं , ...
मैं ठंडाई बना रही थी लेकिन मेरा एक हाथ बार खुद मेरे उभारों पर , और अब मैं चुटकी में लेकर निप्स को बार बार , ...
और लग रहा था की वो फिल्म वाले , .. और उन लड़कों की जगह बंटू और मंटू नजर आ रहे थे , ...
लेकिन बार बार मैं ये भी सोच रही थी जैसे हम लोगों ने अनुज को टुन्न करके , भांग वाली गुझिया और ठण्डाई , ... बस वही ट्रिक , ..और एक बार वो तीनों टुन्न हो हाय तो मैं अकेले ही झेल लुंगी , ...
और जैसे अनुज की ज्यादा हिम्मत नहीं पड़ती वैसे ही ये भी होंगे ,...
उन सबके पास जाने के पहले मैंने एक जग में खूब गाढ़ा लाल रंग भी भर लिया , होली की शुरुआत मैंने समझ लिया था भाभी को ही करनी पड़ती है , और ढेर सारे रंग की पुड़िया , पेण्ट अपने पेटीकोट में खोंस ली थी ,
हो जाय होली , साले देवरों की ले लुंगी आज , ...
और मैंने एक बार आँचल ठीक कर लिया , मतलब बस एक पतले छल्ले की तरह दोनों उभारों के बीच में और पीछे , पेटी कोट में खोंस लिया जिससे ब्लाउज टाइट रहे और आँचल खुल के नीचे न गिरे , ... पर इसका असर ये हुआ , की मेरे दोनों चोली फाड़ते उभार अब एकदम साफ़ दिख रहे थे और उभार ही नहीं निप्स भी , ...
मैंने बस वही अनुज के साथ की हुयी ट्रिक ट्राई की ,
ट्रे झुक के उन तीनो के सामने रखा और एक गुझिया बंटू को खिलाने की कोशिश करते बोली
" देखो भाभी के रहते हुए देवर अपने हाथ का इस्तेमाल करें , ... आज तो तुम सबको मेरे हाथ से खाना होगा , ... "
पर काठ की हांडी एक बार ही चढ़ती है , और मेरी ट्रिक उन सबों को पता चल गयी थीं ,
बंटू बोला ,
" भाभी आप एकदम सही कहती हैं , लेकिन तीन तीन देवरों के सामने रहते हुए भाभी को अपने हाथ का इस्तेमाल करना पड़े , ये भी तो हम देवरों के लिए शर्म की बात है , हम लोग खाएंगे , ... लेकिन पहले आप ,...
मैंने देखा नहीं पीछे से मंटू मेरे पीछे पहुँच गया और मेरी पतली कमर कस के उसने दबोच लिया और एक हाथ से मेरे गाल को दबा दिया , मेरा मुंह खुल गया , और गुझिया मेरे मुंह में , ...
लेकिन मैं इतनी जल्दी हार नहीं मानने वाली थी , आधी तो मेरे मुंह के अंदर चला गया पर बाकी मैंने अपने होंठ से ही बंटू के ,
भाभी के होंठों से खाने का स्वाद कौन देवर मना करता , ... पर आधी आधी में , भी डेढ़ गुझिया तो मेरे पेट में चली ही गयी , और यही हाल ठंडाई का हुआ , ...
मंटू मुझे पीछे से कस के दबोचे था और अब उसका खूंटा एकदम खड़ा था , ... उन फिल्म वाले लड़कों से २२ नहीं तो २० रहा ही होगा , ...
और मारे शरारत के मैंने अपने बड़े बड़े चूतड़ कस के उस खड़े खूंटे पर रगड़ रही थी ,
मंटू ने पेटीकोट में फंसे मेरे आँचल को निकाल दिया और एक झटके में साडी
अनुज ने जग में रखे हुए लाल रंग को देख लिया था और उसने बंटू को इशारा किया , ... बस
मंटू तो कस के मुझे पकडे ही था , बंटू खड़ा हुआ आराम से मेरी एकदम कसी चिपकी चोली को अंगूठे एक ऊँगली से जबरन थोड़ा सा फैलाया , मेरा पूरा क्लीवेज दिख रहा था ,
बस पूरे जग का लाल रंग मेरे जोबन पर धीरे धीरे ,
यहाँ नहीं , आँगन में चलो मैं कहती रही पर वो सब पूरे जग का रंग मेरे ब्लाउज के अंदर डाल के माने
और मैं वो तीनो उसके बाद आँगन में
मैंने वही बात कही जो उस दिन अनुज कह रहा था
" भाभी आप तीन और मैं अकेले "
और उन तीनों ने वही जवाब दिया जो उस दिन मैंने दिया था ,
" घबड़ाइये मत भाभी , हम लोग आप को बाँट लेंगे एक के पास एक ही हिस्सा आएगा , "
और मेरे गाल मेरे देवर के अनुज के हिस्से में
और बंटू और मंटू ने मेरे दोनों उभार बाँट लिए , पहले तो थोड़ी देर दोनों थोड़ा झिझकते रहे चोली के ऊपर से , चोली के ऊपर के हिस्से में , बहुत हुआ तो जरा सा क्लीवेज में हलका सा ,
लेकिन उन दोनों से ज्यादा मैं गरमा रही थी और मैं जानती थी अपने ससुराल वाले लड़कों को कैसे गरम किया जाता है ,
उनकी बहनों का नाम लेकर , और मैंने बंटू और मंटू दोनों की बहनों का नाम ले ले कर , ...