21-01-2021, 10:39 PM
नंगी मम्मी पापा की चुदाई देखी
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हम सभी एक रूम में सोते थे. एक रात मेरी आंख खुली तो देखा कि अंधेरे में मेरी मां पापा का लंड चूस रही थी. उस दिन से मेरा नजरिया बदल गया. अब मैं भी अपनी मां के बदन के मजे …
दोस्तो, मेरा नाम पवन है और मैं आपको एक कहानी बताना चाहता हूं जो मेरे और मेरी मां शीला (बदला हुआ नाम) के बारे में है. यह एक रीयल स्टोरी है. मैंने मां-बेटे की चुदाई की कहानियों को कई बार पढ़ा था. मुझे पहले इस तरह की घटनाओं पर यकीन नहीं होता था जब तक कि इस तरह की घटना मेरे साथ नहीं हुई थी.
कहानी आगे बढ़ाने से पहले मैं आपको अपने बारे में बता देता हूं. मैं अभी 36 साल का हूं. ये कहानी तब की है जब मैं केवल 20 साल का था. उस वक्त मैंने अपने कॉलेज में एडमिशन लिया था. मेरे घर पर हम लोग 4 सदस्य थे.
मेरे पापा 50 साल के थे और मां 42 साल की थी. मेरी बड़ी दीदी थी जो 22 साल की थी. मेरी दीदी भी कॉलेज में पढ़ रही थी. उस वक्त मेरे पिता जी एक कंपनी में काम करते थे. मेरी मां घर का काम देखा करती थी.
हम लोग उस वक्त औरंगाबाद में एक किराये के मकान में रहा करते थे. मकान दो कमरे का छोटा सा घर था. एक रूम में हम सब लोग रहते थे और दूसरे में हम रसोई का काम कर लेते थे. छोटा सा बाथरूम था लेकिन काम चल जाता था.
अब मैं आपको अपनी मां के बारे में बताता हूं. मेरी मां ने केवल चौथी कक्षा तक पढ़ाई की थी. आप यूं कह सकते हैं कि मेरी मां को पढ़ना लिखना नहीं आता था. वह एक गांव की सीधी सादी महिला थी जो घर के काम के अलावा किसी चीज के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानती थी.
मेरी मां का रंग सांवला है. उसके नैन नक्श बहुत ही तीखे हैं. उनकी हाइट 4 फीट और 10 इंच की है. उसका बदन औसत सा है. मगर मेरी मां की चूचियां काफी मोटी और मांसल हैं.
हमारा घर छोटा था तो हम लोग सब एक ही रूम में सो जाते थे. पलंग पर मां और दीदी सोती थी. उनके बाजू में ही बिछौना लगा कर मैं और पापा सो जाते थे. मेरे पापा को शराब पीने की आदत थी. वो अक्सर मेरी मां के साथ मारपीट भी करते थे.
हम दोनों भाई बहन और यहां तक कि मेरी मां भी मेरे पापा से बहुत डरती थी. उनके सामने सब चुप ही रहते थे. मां भी चुपचाप मार खा लेती थी लेकिन कुछ बोल नहीं पाती थी.
एक रात की बात है कि हम लोग रोज की तरह सोये हुए थे. रात को अचानक ही मेरी आंख खुल गयी. मैंने बिना हिला डुले हुए देखा तो सामने का नजारा देख कर मेरे होश ही उड़ गये.
मेरे पापा पलंग के साथ में नंगे होकर खड़े हुए थे. मेरी मां मेरे पापा का लंड चूस रही थी. मेरे पापा मेरी दीदी के बोबे पर हल्की हल्की मसाज दे रहे थे. मगर दीदी गहरी नींद में थी और उसको कुछ पता नहीं चल रहा था.
मां मेरे पापा के हाथ को दीदी की चूचियों से बार बार हटा रही थी. पापा फिर से दीदी की चूचियों को छेड़ने लगते थे. ये नजारा देख कर मेरा लंड भी एकदम से टाइट हो गया और उछलने लगा.
उस समय रूम में ज्यादा रोशनी नहीं थी. बाहर से हल्की रोशनी आ रही थी जिसमें उन दोनों की हरकत का साफ साफ पता लग रहा था. मैं मां के बदन को देखने लगा. अंधेरा होने के कारण कुछ ज्यादा दिखाई नहीं पड़ रहा था लेकिन मां की चूचियां लटकती हुई दिख गयी थीं. उनकी चूची सच में ही बहुत मोटी थी जो किसी बड़ी फुटबाल के जैसे झूलती हुई दिख रही थीं.
उस रात के बाद से ही मां की ओर से मेरा देखने का नजरिया बदल गया था. अब मैं अपनी मां को नंगी देखने की कोशिश करने लगा था. जब भी मां बाथरूम में नहाने के लिए जाती थी तो मैं उन पर नजर जमाये रहता था. उनकी चूचियों को घूरता रहता था.
कई बार मैंने मां की चूचियों की घाटी को देखा था. मैं कई बार घर में अकेला होने पर मुठ मारने लगा था. अपनी मां की मोटी चूचियों और उनके नंगे बदन के बारे में सोच कर लंड को रगड़ता था और फिर वीर्य छोड़ कर सुकून मिलता था. मुझे सेक्स को लेकर आकर्षण तो था लेकिन अब ये आकर्षण मेरा जुनून बन गया था.
हर रात में अपने बिस्तर पर लेटा हुआ सोने का नाटक करने लगा था. मुझे हर रात इसी बात का इंतजार रहता था कि पापा और मां का सेक्स देखने का मौका मिलेगा. हर रात में इसी उम्मीद में गुजार देता था.
कई बार मैंने कोशिश की कि पापा और मां की पूरी चुदाई देखने का मौका मिल जाये लेकिन ऐसा अभी नहीं हो रहा था. शायद अभी सही वक्त नहीं आया था. एक दो बार मैंने पापा को मेरी मां के मुंह में लंड देकर चुसवाते हुए देखा लेकिन चुदाई नहीं देख पाया था.
ऐसे ही दिन बीतते गये और 6 महीने गुजर गये. उसके बाद हम लोगों अपना मकान बदलने का विचार किया. हमने एक दूसरा मकान किराये पर ले लिया. उस मकान में तीन कमरे थे.
नये मकान के तीनों ही कमरे एक सीधी लाइन में थे. पहले एक हॉल था और उसके बाद एक रसोई बनी हुई थी और तीसरा फिर एक रूम था अंदर की ओर.
इस मकान में आने के बाद हम लोगों के सोने की जगह भी बदल गयी थी. यहां पर रसोई अलग से थी. बाहर वाला हॉल भी काफी बड़ा था जिसमें काफी जगह थी. यहां पर आने के बाद मैं और मेरी बहन हॉल में सोते थे जबकि मां और पापा अंदर वाले बेडरूम में सोते थे.
घर बदलने के बाद अब एक और समस्या हो गयी थी. अब तो मुझे रात में उन दोनों की चुदाई देखने का मौका भी नहीं मिलने वाला था. मैं यही सोच कर परेशान रहने लगा था कि यहां तो कुछ देखने का चान्स ही नहीं मिल रहा है.
मैं सोच रहा था कि इससे अच्छा तो पुराना ही मकान था. वहां पर एक साथ सोते थे तो कुछ देख ही लिया करता था. कई दिनों तक मैं इसी ताक में रहा कि उन दोनों की चुदाई देखने को मिल जाये.
एक दिन मैंने पाया कि उनके रूम का दरवाजा खुला हुआ था. मैंने वहीं पर झांक कर देखा. मगर अंदर तो सब शांत था. मैंने थोड़ा इंतजार करने की सोची. मैं आधे घंटे तक वहीं खड़ा रहा लेकिन मां और पापा दोनों गहरी नींद में सो रहे थे.
कई दिन मैंने ऐसे ही चुदाई देखने की उम्मीद में कई रातें बर्बाद कर दीं. मैंने पाया कि रात में पापा और मां चुदाई नहीं कर रहे हैं. मेरे पापा नशे में पड़े रहते थे और मां सोई रहती थी.
फिर मैंने ठान लिया कि मैं पता करके रहूंगा कि ये दोनों सेक्स कब करते हैं. फिर मुझे पता चला कि पापा रात में नहीं बल्कि दिन में चुदाई करते हैं. रात को तो वो दारू पीकर नशे में पड़े रहते हैं. दिन में जब मैं और दीदी बाहर होते थे तो वो उस समय में चुदाई करते होंगे ऐसा मुझे लगने लगा था.
4 बजे मैं ट्यूशन पर चला जाता था. पापा दो बजे घर में आ जाते थे. घर में रहते हुए तो मैंने कभी उनको मां के साथ नहीं देखा था. जब 4 बजे मैं चला जाता था तो उसके बाद का मुझे पता नहीं था. मेरी बहन शाम को 5 बजे के आस पास आ जाती थी.
फिर 5.30 बजे तक मैं भी आ जाता था. मैंने अंदाजा लगा लिया कि पापा मेरी मां की चुदाई 2 से 3 के बीच में ही करते होंगे. फिर मैंने सोचा कि इन दोनों की चुदाई के बीच में सबसे बड़ा रोड़ा तो मैं ही हूं.
मेरे रहते तो मैं कभी इन दोनों का सेक्स नहीं देख पाऊंगा. इसलिए मैंने एक एक्सट्रा क्लास का बहाना कर लिया. मैंने मां को कह दिया कि मैंने पढ़ाई के लिए एक और क्लास ले ली है.
मैं अब हर रोज 2 बजे ही क्लास के लिए बाहर निकल जाता था. उस वक्त पापा घर पर आ रहे होते थे और मैं घर से जा रहा होता था. मैं उनको एक माहौल देना चाहता था.
एक दिन ऐसे ही मैंने बीच में आकर देखा कि हमारे घर के सारे खिड़की दरवाजे बंद थे. मुझे समझते देर नहीं लगी कि अंदर अवश्य ही मां और पापा की चुदाई चालू है. मगर मैं कुछ भी देख नहीं पाता था.
फिर मैंने मौका पाकर घर के सभी खिड़की और दरवाजों में एक-एक छेद कर दिया ताकि मैं किसी तरह से पापा और मां की चुदाई का मजा ले सकूं. अब वो दिन आ गया जब मुझे मेरी मां के नंगे बदन का मजा मिलने वाला था और उनको सेक्स करते हुए देखने का मजा मिलना था.
उस दिन जब मैं बीच में ही चुपके से वापस आया तो वैसे ही पहले की तरह घर के सभी खिड़की और दरवाजे बंद थे. मैंने घर के दूसरी ओर जाकर खिड़की में बने छेद से अंदर झांका तो देखा कि मेरी मां नंगी होकर अपने घुटनों के बल बैठी हुई थी.
मेरे पापा भी बिल्कुल नंगे थे और मेरी मां ने मेरे पापा के मोटे लंड को मुंह में भर रखा था. वो मेरे पापा का लंड मजा लेकर चूस रही थी. जब पापा ने लंड को मां के मुंह से बाहर निकाला तो मैंने देखा कि पापा का लंड 7 या 8 इंच लम्बा था.
यहां पर मैं ये देख कर हैरान हुआ कि मेरे पापा के लंड में पूरा तनाव नहीं था. वो ढीला सा लग रहा था और पूरी तरह से खड़ा नहीं हो रहा था. इतनी देर तक मां मेरे पापा के लंड को चूसती रही लेकिन उनका लंड वैसा का वैसा रहा. उसमें कड़ापन नहीं आ रहा था.
मेरी मां के बड़े बड़े गुब्बारे आपस में टकरा रहे थे. वो मेरे पापा के लंड को खड़ा करने की कोशिश कर रही थी. वो बार बार उनके लंड को हाथ में लेकर हिला रही थी. कभी मुंह से झटके मारती और कभी फिर से जोर जोर से हिलाने लगती.
बड़ी मुश्किल से जाकर लगभग 15 मिनट के बाद मेरे पापा का लंड खड़ा हुआ. लंड को टाइट होता देख कर मेरी मां फुर्ती से पापा की ओर झुक कर अपनी चूत को दिखाने लगी. मेरे पापा ने मेरी मां की गांड पर हाथ रख कर उनकी गांड के छेद के नीचे मेरी मां की गदराई हुई सी काली चूत को हाथ से फैला दिया.
चूत को हाथ से फैला कर उन्होंने अपने लंड को मेरी मां की चूत के मुख पर टिका दिया. फिर मेरी मां की पीठ के ऊपर झुक कर उनकी चूचियों को जोर जोर से दबाने और मसलने लगे.
मेरी मां भी मेरे पापा के लंड की ओर अपनी गांड को धकेलने लगी. मां की चूत भी पापा का लंड अंदर लेने के लिए उतावली हो रही थी. पापा मेरी मां की पीठ पर पीछे से चूम रहे थे और उसकी चूचियों को दबाते हुए उसकी चूत पर लंड को घिस रहे थे.
फिर उन्होंने दोबारा से लंड को चूत पर रखा और एक झटके से लंड को अंदर घुसा दिया. मेरी मां के मुंह से ऊंह ऊंह की आवाज होने लगी. पापा ने मां की चूत को चोदना शुरू कर दिया. पापा उनकी चूत में लंड देकर आगे पीछे हिलने लगे. मगर पापा से ज्यादा तो मां हिल रही थी.
मैं इस चुदाई का पूरा मजा लेना चाहता था. इसलिए मैं हर एक एंगल से उनकी चुदाई का मजा लेने के लिए दूसरी खिड़की पर गया और वहां से देखा. आगे से मैंने मां की चूचियों को हिलते हुए देखा. उसकी मोटी मोटी चूची फुटबाल के जैसे आगे पीछे डोल रही थी.
उसके बाद मैं तीसरी खिड़की पर वापस आया. वहां से देखा तो पापा की काली गांड दिख रही थी. वो मेरी मां के ऊपर झुके हुए थे और अपने चूतड़ों को जोर जोर से मां की चूत की ओर धकेल कर उनकी चुदाई कर रहे थे.
इस वक्त मां भी पूरी गर्म हो गयी थी. वो मेरे पापा की गांड पर हाथ से दबाते हुए उनको अपनी चूत की ओर खींच रही थी. उसके मुंह से मस्त सेक्सी आवाजें आ रही थी- आह्ह … आह्ह … अम्म … ओह्ह .. और करो … आह्ह … मजा आ रहा है.
ऐसे ही लगभग 10 मिनट तक उनकी चुदाई चली होगी, इस दौरान मैं अलग अलग खिड़की से जाकर उनकी चुदाई का मजा लेता रहा. फिर पापा एकदम से रुकते चले गये. उनका वीर्य छूट कर मां की चूत में ही निकल गया था. वो दो मिनट मां को पकड़े रहे और फिर लंड को निकाल कर एक ओर बेड पर लेट गये.
अब मां उठी और बाथरूम में चली गयी. पापा भी उठ गये और उन्होंने अपने कपड़े उठा कर अपने कपड़े पहनना शुरू किया और फिर दरवाजे की ओर जाने लगे. मैं भी वहां से निकल लिया. कुछ देर के बाद मैं दोबारा उस तरफ आया तो वहां पर कोई नहीं था.
फिर मैं थोड़ी देर के बाद घर आ गया. मैंने बेल बजाई तो मां ने दरवाजा खोला. उसके बाद वो अंदर चली गयी. उनके रूम का दरवाजा खुला हुआ था. मां की गांड देख कर मेरा मन कर रहा था उनको अभी नंगी कर लूं.
मगर अभी यह सब नहीं हो सकता था. अंदर रूम में पापा भी थे और मैं अभी ये नहीं सोच पा रहा था कि मां के साथ शुरूआत कैसे करूं. उस दिन के बाद से मैंने मां को गर्म करने की प्लानिंग शुरू कर दी.
बार बार मेरी आंखों के सामने वही नजारा आ जाता था जब पापा मेरी मां को पीछे से चोद रहे थे और मेरी मां की मोटी मोटी चूचियां हवा में झूल रही थीं. उनके चेहरे पर वो उत्तेजना वाले भाव बहुत मस्त लग रहे थे.
मैं भी इसी तरह अपनी मां की चुदाई करने के सपने देखने लगा था. मैं सही मौके की तलाश में था. मैं अपनी मां के दूधों का दीवाना हो गया था. अब किसी भी तरह मैं मां के नंगे बदन के मजे लेना चाहता था.
में मैंने आपको बताया था कि एक रात में मैंने अपनी मां को अपने पापा का लंड चूसते हुए देख लिया था. उस दिन के बाद से मेरा आकर्षण मेरी मां के नंगे बदन के लिए बढ़ गया था.
उनकी चुदाई देखने के लिए मैंने बहुत कोशिश की लेकिन मैं सफल नहीं हो पाया. उसके बाद हम लोग एक दूसरे घर में शिफ्ट हो गये थे. वहां पर जाने के बाद भी मुझे मौका नहीं मिला और मैंने एक तरकीब निकाली.
मैंने अपने घर के सारे खिड़की दरवाजे में छेद कर लिया. एक दिन दोपहर के समय में मैंने अपनी मां और पापा को चुदाई करते हुए देख लिया. उस दिन के बाद से मैं अपनी मां की चुदाई वैसे ही करने के सपने देखने लगा.
दिन बीत रहे थे और इसी बीच मेरे पापा की अकाल मृत्यु हो गयी. उनका एक्सीडेंट हुआ था जिसके बाद सिर में चोट लगने के बाद वो बच नहीं पाये. पापा की मौत के बाद अब घर की जिम्मेदारी मेरे कंधों पर आ गयी थी. मुझसे बड़ी मेरी बहन थी लेकिन घर तो मुझे ही चलाना था.
अब मुझे घर चलाने के लिए पैसा भी कमाना था. मैंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी और अब मैं नौकरी करने लग गया. अब तो घर का सारा माहौल बदल गया था. घर में आमदनी तो कम थी लेकिन पापा का डर अब खत्म हो गया था.
घर की जिम्मेदारी मेरे ऊपर आने के बाद अब घर के सारे छोटे बड़े फैसले मुझसे पूछ कर ही किये जाते थे. मेरी मां अब मेरे साथ ऐसे रहती थी जैसे मैं उनका पति हूं. वो हर बात में मुझसे ही पूछा करती थी.
अब पैसे की कमी थी तो हम बड़े घर का किराया नहीं दे सकते थे इसलिए हम तीनों लोगों ने फिर से एक सस्ता और छोटा घर किराये पर लेने का सोचा. उस बड़े मकान का खर्च हम अब और नहीं उठा सकते थे.
जल्दी हमने एक छोटा घर तलाश लिया. वह घर बहुत ही छोटा था जिसमें केवल एक ही रूम था. छोटे घर में शिफ्ट होने के बाद हम तीनों एक ही रूम में सोते थे. मैं पलंग पर सोता था. मेरी बगल में मां सो जाती थी और दीदी नीचे सो जाती थी.
चूंकि मां अब मेरी बगल में ही सोती थी तो मैं अब अपनी मां के बदन के मजे आसानी से ले सकते था. मैं उनके बदन को देखता रहता था. एक रात की बात है कि मैं लेटा हुआ था. अभी मुझे गहरी नींद नहीं आई थी.
कुछ देर के बाद मुझे कुछ हलचल सी होती हुई दिखाई दी. मैंने मुंडी घुमा कर देखा तो मां का हाथ हिलता हुआ दिखाई दिया. मैंने ध्यान से देखा तो मां का हाथ सामने की ओर था.
उनकी पीठ मेरी तरफ थी और उनका हाथ लगातार चल रहा था. मुझे पता चल गया कि मां अपनी चूत में उंगली कर रही है. ये देख कर ही मेरा लंड खड़ा हो गया. मां को पता नहीं चल रहा था कि मैं ये सब देख रहा हूं क्योंकि उनका मुंह दूसरी ओर था.
मैंने भी अपना लंड अपने कच्छे से बाहर निकाल लिया और अपने लंड को हिलाते हुए उसकी मुठ मारने लगा. मां की हरकत देख कर मेरा लंड पूरे जोश में आ गया था. मैं सोच रहा था कि आज तो मां की चूत चोदने का बहुत ही अच्छा मौका मेरे हाथ लग गया है.
मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था और मन कर रहा था की मां की चूत में लंड दे दूं. मैंने अपने हाथ से मां का वह हाथ पकड़ लिया जिससे वह अपनी चूत को सहला रही थी.
जैसे ही मैंने उनके हाथ को पकड़ा तो वो एकदम से चौंक गयी. उन्होंने मेरे हाथ को एकदम से झटक दिया. उन्होंने झटके से अपनी साड़ी को नीचे किया और मेरी तरफ घूमी तो उनका हाथ गलती से मेरे खड़े हुए लंड पर जा लगा.
गलती से मेरे लंड को उन्होंने पकड़ लिया था. जब उनको ये अहसास हुआ कि मेरा लंड उनके हाथ में आ गया है तो उन्होंने उसे एकदम से ऐसे छोड़ा जैसे कि उनके हाथ में सांप आ गया हो.
उन्होंने धीमी आवाज में मुझसे पूछा- ये क्या है, क्या कर रहा था तू?
मैंने कहा- जो आप कर रही हो, मैं भी वही कर रहा हूं.
उन्होंने नीचे की ओर देखा तो मेरा लंड झटके दे रहा था.
वो बोली- इसको ढक ले हरामी.
मगर मैंने उनकी बात नहीं सुनी और लंड को हिलाता रहा. आज तो मुझे मां के सामने मुठ मारने में मजा आ रहा था. मैं उनको गर्म कर देना चाह रहा था लेकिन उत्तेजना में मेरे लंड से वीर्य छूट गया.
मेरा मुंह मां की ओर था. जैसे मेरे लंड से वीर्य का फव्वारा छूटा तो पिचकारी सीधे मां के पेट और हाथ पर जाकर गिरी.
वो गुस्से से बोली- हो गया नालायक? मैं तेरी मां हूं. जरा भी शर्म नहीं रही तेरे अंदर.
उत्तेजना में मैंने वीर्य तो निकाल दिया था लेकिन मुझे अब अपने आप पर शर्म भी आ रही थी. मैं अपनी पैंट को ऊपर करने लगा.
मां ने बाथरूम की ओर इशारा किया और धीमे से कहा- जा, जाकर धो ले.
मैं वैसे ही बिना पैंट पहने हुए उठ कर बाथरूम की ओर भागा. मुझे अब काफी सॉरी फील हो रहा था. समझ नहीं आ रहा था कि मां का सामना कैसे करूं. अंदर जाकर मैंने लंड को धोया और सोचने लगा कि मां के सामने कैसे जाऊं.
किसी तरह मैं बाहर आया और मुंह नीचे करके चुपचाप आकर बेड पर लेट गया. मां ने भी अपना पेट और हाथ साफ कर लिया था.
उन्होंने मेरे कंधे पर हाथ रखा और बोली- कोई बात नहीं, तुम्हारी उम्र में ये सब हो जाता है.
फिर उन्होंने मेरे सिर को अपनी गोद में रख लिया और मेरे बालों में हाथ फिराने लगी.
वो बोली- देख बेटा, ये सब अभी ठीक नहीं है तेरे लिये. हम लोगों के पास अभी और भी कई परेशानियां हैं. मैं तो तेरे पापा के साथ ये सब करती थी. तेरे पापा ने ही मुझे ये आदत लगाई थी. मैं तेरी मां हूं, मां के साथ ये सब करना ठीक नहीं है. पाप लगता है. अभी तो मैं तुझे माफ कर दे रही हूं, मगर आगे से तू ये ध्यान रखना. चल अब सो जा.
मैंने उनकी गोद में सिर रखा हुआ था जिसके कारण मुझे उनकी धड़कन भी सुनाई दे रही थी. उनके मांसल बूब्स मेरे चेहरे से टकरा रहे थे. ये सब की फीलिंग लेकर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया था. शायद मां को भी इस बात की भनक लग गयी थी कि मेरा लंड खड़ा हो गया है. मगर वो कुछ नहीं बोली और सो गयी.
अगले दिन से सब बदल गया था. मां अब मुझसे दूर दूर रहने लगी थी. रात को सोने वाली जगह भी बदल गयी थी. अब मैं अकेला ही पलंग पर सोने लगा था. नीचे मां और उनके बाजू में दीदी सोती थी. मैं रोज रात को मां को देख कर मुठ मारता था.
मां के बदन को देखते हुए मुठ मारने में मुझे बहुत मजा आता था. एक रात को मां काफी गहरी नींद में सो रही थी. नींद गहरी होने के कारण उनकी साड़ी का ख्याल भी उनको नहीं था. उनकी साड़ी घुटनों तक ऊपर सरक आयी थी.
मां की साड़ी उठी हुई देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया. मैंने ऐसे ही लेटे हुए अपने एक हाथ को नीचे लटका लिया. मैं एक हाथ से अपने लंड की मुठ मार रहा था. मैंने नीचे वाले हाथ से उनकी साड़ी को धीरे धीरे करके और ऊपर तक उठा दिया.
जैसे जैसे साड़ी उठ रही थी मेरी उत्तेजना और बढ़ रही थी. एक पल आया जब मां की साड़ी उनके पेट पर पहुंच गयी और मां की चूत मुझे दिख गयी. पहली बार मैंने अपनी मां की चूत को इतने करीब से देखा था.
मैंने तेजी से मुठ मारना शुरू कर दिया. फिर लगने लगा कि मेरी वीर्य छूट जायेगा. मैं अभी और मजा लेना चाहता था अपनी मां के मस्त बदन का. मैंने मुठ मारना बंद कर दिया. मैंने धीरे धीरे से उनकी चूत को छूकर देखा, उनकी चूत बहुत ही मुलायम सी थी.
हल्के हाथ से मैंने मां की चूत को सहलाना शुरू कर दिया. साथ में मैं इस बात का ध्यान भी रख रहा था कि कहीं मां की नींद न टूट जाये और सारा मजा बेकार हो जाये. मैं आहिस्ता से उनकी चूत को धीरे धीरे छेड़ता रहा. मेरा लंड पूरा फटने को हो रहा था.
अब मुझसे रुका न जा रहा था. मैंने हाथ फेरते हुए अपनी बड़ी उंगली को उनकी चूत में सरकाने की कोशिश की. धीरे धीरे बहुत ही आराम से मैंने मां की चूत में उंगली दे दी.
मैं अब और ज्यादा हिम्मत के साथ उनकी चूत में उंगली को चलाने भी लगा. बहुत मजा आ रहा था चूत में उंगली चलाते हुए. ऐसा लग रहा था कि मैं किसी मक्खन से भरी कटोरी में उंगली चला रहा हूं. एक-दो मिनट तक मैं ऐसे ही उनकी चूत में उंगली करता रहा.
फिर मैंने देखा कि उसकी चूत से गीला सा पदार्थ निकलने लगा. ये देख कर मेरा जोश और बढ़ गया. मैंने अपनी दूसरी उंगली भी धीरे उसकी चूत में डाल दी. मैंने बड़ी ही सावधानी के साथ उनकी चूत में उंगली चलाना शुरू किया.
इस वक्त मां की सांसें बहुत ही तेजी के साथ चलना शुरू हो गयी थीं. मुझे पक्का यकीन हो गया था कि शायद मां कोई सपना देख रही है. सपने में शायद वो किसी से अपनी चूत चुदवा रही होगी. इसीलिये वो चूत में दो दो उंगली डाले जाने पर भी नहीं जाग रही थी. मेरी हिम्मत अब काफी बढ़ गयी थी.
अब मैंने बहुत ही सावधानी से मां के पैरों को फैलाना चालू किया. मैं धीरे से नीचे उतर आया. मैंने उनके पैरों को फैला कर अपने लंड को हाथ में लेकर उनकी चूत पर लगा कर देखा.
जैसे ही चूत पर लंड लगा तो मैं पागल सा हो गया. मुझे इतना मजा आया कि मैं आप लोगों को बता नहीं सकता हूं. मैंने अपने फनफनाते लंड को उनकी चूत पर थोड़ा और दबाया. मुझे और मजा आया. ऐसे ही मैं उनकी चूत पर लंड को रगड़ कर आनंद लेता रहा.
मां की चूत का चिपचिपा पानी मेरे लंड पर लगने से मेरा लंड भी चिकना हो गया था. अब मैं अपनी मां की चूत में लंड डालने के लिए और ज्यादा नहीं रुक सकता था. मैं किसी भी कीमत पर उनकी चूत में अपने लंड को अंदर डाल देना चाह रहा था. हिम्मत करके मैंने लंड को अंदर दे दिया.
लंड जैसे ही अंदर गया मुझे ऐसा मजा मिला कि मैं जैसे हवा में उड़ने लगा. उनकी चूत अंदर से बहुत गर्म थी. मुझे उस वक्त बहुत खुशी मिल रही थी जैसे मैं कोई लड़ाई जीत गया हूं.
जिस चूत से मैं दुनिया में आया था उसी चूत में लंड डाल कर मजा लेने का अहसास निराला लग रहा था मुझे. इस तरह बड़े ही आराम से अब मैं धीरे धीरे अपने लंड को अपनी मां की चूत के अंदर चलाने लगा. लंड को अंदर बाहर करते हुए मुझे इतना मजा आ रहा था जिसको लिखने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं.
यह मेरी जिन्दगी का पहला सेक्स था, वो भी मेरी सगी मां के साथ. अब मेरी स्पीड बढ़ने लगी थी. अब मैं और ज्यादा देर नहीं टिक सकता था. मैं झड़ने के करीब पहुंच गया क्योंकि उत्तेजना बहुत ज्यादा हो गयी थी.
फनफनाते हुए मेरे लंड ने इतनी जोर से पिचकारी छोड़ी कि मां की चूत में वीर्य की धार अंदर तक जा लगी होगी. हाथ से मुठ मारते हुए मेरे लंड से 1-2 पिचकारी ही जोर से निकलती थी. जब मां की चूत में वीर्य निकला तो लंड ने 5-6 पिचकारी जोर जोर से मारी. मुझे बहुत आनंद मिल रहा था.
मैंने अपना सारा माल अपनी मां की चूत के अंदर ही निकाल दिया. उनका चेहरा देखते हुए मुझे बहुत मजा मिल रहा था और मेरे लंड में झटके लग रहे थे और मैंने पूरा माल बूंद बूंद तक निचोड़ कर अपनी मां की चूत में पूरा का पूरा खाली कर दिया था.
मां का चेहरा देखने में बहुत प्यारा लग रहा था. मेरा मन कर रहा था कि उनके होंठों को चूस लूं. मगर उस वक्त मैं ऐसा करता तो वह जाग जाती. दीदी भी बगल में ही सो रही थी. इसलिए मैंने ऐसा करना ठीक नहीं जाना.
उसके बाद मैं उठ गया और ऊपर बेड पर आकर लेट गया. मैंने नीचे झांक कर देखा तो मेरी मां की चूत से मेरा वीर्य रिस कर नीचे टपक रहा था. मुझे ये देख कर बहुत खुशी हुई.
उसके बाद मैं लेट गया और अपनी कामयाबी पर मन ही मन खुश होता रहा. मैंने मां के चेहरे की ओर देखा तो उनके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आ गयी थी. फिर मैं भी सोचते सोचते सो गया.
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हम सभी एक रूम में सोते थे. एक रात मेरी आंख खुली तो देखा कि अंधेरे में मेरी मां पापा का लंड चूस रही थी. उस दिन से मेरा नजरिया बदल गया. अब मैं भी अपनी मां के बदन के मजे …
दोस्तो, मेरा नाम पवन है और मैं आपको एक कहानी बताना चाहता हूं जो मेरे और मेरी मां शीला (बदला हुआ नाम) के बारे में है. यह एक रीयल स्टोरी है. मैंने मां-बेटे की चुदाई की कहानियों को कई बार पढ़ा था. मुझे पहले इस तरह की घटनाओं पर यकीन नहीं होता था जब तक कि इस तरह की घटना मेरे साथ नहीं हुई थी.
कहानी आगे बढ़ाने से पहले मैं आपको अपने बारे में बता देता हूं. मैं अभी 36 साल का हूं. ये कहानी तब की है जब मैं केवल 20 साल का था. उस वक्त मैंने अपने कॉलेज में एडमिशन लिया था. मेरे घर पर हम लोग 4 सदस्य थे.
मेरे पापा 50 साल के थे और मां 42 साल की थी. मेरी बड़ी दीदी थी जो 22 साल की थी. मेरी दीदी भी कॉलेज में पढ़ रही थी. उस वक्त मेरे पिता जी एक कंपनी में काम करते थे. मेरी मां घर का काम देखा करती थी.
हम लोग उस वक्त औरंगाबाद में एक किराये के मकान में रहा करते थे. मकान दो कमरे का छोटा सा घर था. एक रूम में हम सब लोग रहते थे और दूसरे में हम रसोई का काम कर लेते थे. छोटा सा बाथरूम था लेकिन काम चल जाता था.
अब मैं आपको अपनी मां के बारे में बताता हूं. मेरी मां ने केवल चौथी कक्षा तक पढ़ाई की थी. आप यूं कह सकते हैं कि मेरी मां को पढ़ना लिखना नहीं आता था. वह एक गांव की सीधी सादी महिला थी जो घर के काम के अलावा किसी चीज के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानती थी.
मेरी मां का रंग सांवला है. उसके नैन नक्श बहुत ही तीखे हैं. उनकी हाइट 4 फीट और 10 इंच की है. उसका बदन औसत सा है. मगर मेरी मां की चूचियां काफी मोटी और मांसल हैं.
हमारा घर छोटा था तो हम लोग सब एक ही रूम में सो जाते थे. पलंग पर मां और दीदी सोती थी. उनके बाजू में ही बिछौना लगा कर मैं और पापा सो जाते थे. मेरे पापा को शराब पीने की आदत थी. वो अक्सर मेरी मां के साथ मारपीट भी करते थे.
हम दोनों भाई बहन और यहां तक कि मेरी मां भी मेरे पापा से बहुत डरती थी. उनके सामने सब चुप ही रहते थे. मां भी चुपचाप मार खा लेती थी लेकिन कुछ बोल नहीं पाती थी.
एक रात की बात है कि हम लोग रोज की तरह सोये हुए थे. रात को अचानक ही मेरी आंख खुल गयी. मैंने बिना हिला डुले हुए देखा तो सामने का नजारा देख कर मेरे होश ही उड़ गये.
मेरे पापा पलंग के साथ में नंगे होकर खड़े हुए थे. मेरी मां मेरे पापा का लंड चूस रही थी. मेरे पापा मेरी दीदी के बोबे पर हल्की हल्की मसाज दे रहे थे. मगर दीदी गहरी नींद में थी और उसको कुछ पता नहीं चल रहा था.
मां मेरे पापा के हाथ को दीदी की चूचियों से बार बार हटा रही थी. पापा फिर से दीदी की चूचियों को छेड़ने लगते थे. ये नजारा देख कर मेरा लंड भी एकदम से टाइट हो गया और उछलने लगा.
उस समय रूम में ज्यादा रोशनी नहीं थी. बाहर से हल्की रोशनी आ रही थी जिसमें उन दोनों की हरकत का साफ साफ पता लग रहा था. मैं मां के बदन को देखने लगा. अंधेरा होने के कारण कुछ ज्यादा दिखाई नहीं पड़ रहा था लेकिन मां की चूचियां लटकती हुई दिख गयी थीं. उनकी चूची सच में ही बहुत मोटी थी जो किसी बड़ी फुटबाल के जैसे झूलती हुई दिख रही थीं.
उस रात के बाद से ही मां की ओर से मेरा देखने का नजरिया बदल गया था. अब मैं अपनी मां को नंगी देखने की कोशिश करने लगा था. जब भी मां बाथरूम में नहाने के लिए जाती थी तो मैं उन पर नजर जमाये रहता था. उनकी चूचियों को घूरता रहता था.
कई बार मैंने मां की चूचियों की घाटी को देखा था. मैं कई बार घर में अकेला होने पर मुठ मारने लगा था. अपनी मां की मोटी चूचियों और उनके नंगे बदन के बारे में सोच कर लंड को रगड़ता था और फिर वीर्य छोड़ कर सुकून मिलता था. मुझे सेक्स को लेकर आकर्षण तो था लेकिन अब ये आकर्षण मेरा जुनून बन गया था.
हर रात में अपने बिस्तर पर लेटा हुआ सोने का नाटक करने लगा था. मुझे हर रात इसी बात का इंतजार रहता था कि पापा और मां का सेक्स देखने का मौका मिलेगा. हर रात में इसी उम्मीद में गुजार देता था.
कई बार मैंने कोशिश की कि पापा और मां की पूरी चुदाई देखने का मौका मिल जाये लेकिन ऐसा अभी नहीं हो रहा था. शायद अभी सही वक्त नहीं आया था. एक दो बार मैंने पापा को मेरी मां के मुंह में लंड देकर चुसवाते हुए देखा लेकिन चुदाई नहीं देख पाया था.
ऐसे ही दिन बीतते गये और 6 महीने गुजर गये. उसके बाद हम लोगों अपना मकान बदलने का विचार किया. हमने एक दूसरा मकान किराये पर ले लिया. उस मकान में तीन कमरे थे.
नये मकान के तीनों ही कमरे एक सीधी लाइन में थे. पहले एक हॉल था और उसके बाद एक रसोई बनी हुई थी और तीसरा फिर एक रूम था अंदर की ओर.
इस मकान में आने के बाद हम लोगों के सोने की जगह भी बदल गयी थी. यहां पर रसोई अलग से थी. बाहर वाला हॉल भी काफी बड़ा था जिसमें काफी जगह थी. यहां पर आने के बाद मैं और मेरी बहन हॉल में सोते थे जबकि मां और पापा अंदर वाले बेडरूम में सोते थे.
घर बदलने के बाद अब एक और समस्या हो गयी थी. अब तो मुझे रात में उन दोनों की चुदाई देखने का मौका भी नहीं मिलने वाला था. मैं यही सोच कर परेशान रहने लगा था कि यहां तो कुछ देखने का चान्स ही नहीं मिल रहा है.
मैं सोच रहा था कि इससे अच्छा तो पुराना ही मकान था. वहां पर एक साथ सोते थे तो कुछ देख ही लिया करता था. कई दिनों तक मैं इसी ताक में रहा कि उन दोनों की चुदाई देखने को मिल जाये.
एक दिन मैंने पाया कि उनके रूम का दरवाजा खुला हुआ था. मैंने वहीं पर झांक कर देखा. मगर अंदर तो सब शांत था. मैंने थोड़ा इंतजार करने की सोची. मैं आधे घंटे तक वहीं खड़ा रहा लेकिन मां और पापा दोनों गहरी नींद में सो रहे थे.
कई दिन मैंने ऐसे ही चुदाई देखने की उम्मीद में कई रातें बर्बाद कर दीं. मैंने पाया कि रात में पापा और मां चुदाई नहीं कर रहे हैं. मेरे पापा नशे में पड़े रहते थे और मां सोई रहती थी.
फिर मैंने ठान लिया कि मैं पता करके रहूंगा कि ये दोनों सेक्स कब करते हैं. फिर मुझे पता चला कि पापा रात में नहीं बल्कि दिन में चुदाई करते हैं. रात को तो वो दारू पीकर नशे में पड़े रहते हैं. दिन में जब मैं और दीदी बाहर होते थे तो वो उस समय में चुदाई करते होंगे ऐसा मुझे लगने लगा था.
4 बजे मैं ट्यूशन पर चला जाता था. पापा दो बजे घर में आ जाते थे. घर में रहते हुए तो मैंने कभी उनको मां के साथ नहीं देखा था. जब 4 बजे मैं चला जाता था तो उसके बाद का मुझे पता नहीं था. मेरी बहन शाम को 5 बजे के आस पास आ जाती थी.
फिर 5.30 बजे तक मैं भी आ जाता था. मैंने अंदाजा लगा लिया कि पापा मेरी मां की चुदाई 2 से 3 के बीच में ही करते होंगे. फिर मैंने सोचा कि इन दोनों की चुदाई के बीच में सबसे बड़ा रोड़ा तो मैं ही हूं.
मेरे रहते तो मैं कभी इन दोनों का सेक्स नहीं देख पाऊंगा. इसलिए मैंने एक एक्सट्रा क्लास का बहाना कर लिया. मैंने मां को कह दिया कि मैंने पढ़ाई के लिए एक और क्लास ले ली है.
मैं अब हर रोज 2 बजे ही क्लास के लिए बाहर निकल जाता था. उस वक्त पापा घर पर आ रहे होते थे और मैं घर से जा रहा होता था. मैं उनको एक माहौल देना चाहता था.
एक दिन ऐसे ही मैंने बीच में आकर देखा कि हमारे घर के सारे खिड़की दरवाजे बंद थे. मुझे समझते देर नहीं लगी कि अंदर अवश्य ही मां और पापा की चुदाई चालू है. मगर मैं कुछ भी देख नहीं पाता था.
फिर मैंने मौका पाकर घर के सभी खिड़की और दरवाजों में एक-एक छेद कर दिया ताकि मैं किसी तरह से पापा और मां की चुदाई का मजा ले सकूं. अब वो दिन आ गया जब मुझे मेरी मां के नंगे बदन का मजा मिलने वाला था और उनको सेक्स करते हुए देखने का मजा मिलना था.
उस दिन जब मैं बीच में ही चुपके से वापस आया तो वैसे ही पहले की तरह घर के सभी खिड़की और दरवाजे बंद थे. मैंने घर के दूसरी ओर जाकर खिड़की में बने छेद से अंदर झांका तो देखा कि मेरी मां नंगी होकर अपने घुटनों के बल बैठी हुई थी.
मेरे पापा भी बिल्कुल नंगे थे और मेरी मां ने मेरे पापा के मोटे लंड को मुंह में भर रखा था. वो मेरे पापा का लंड मजा लेकर चूस रही थी. जब पापा ने लंड को मां के मुंह से बाहर निकाला तो मैंने देखा कि पापा का लंड 7 या 8 इंच लम्बा था.
यहां पर मैं ये देख कर हैरान हुआ कि मेरे पापा के लंड में पूरा तनाव नहीं था. वो ढीला सा लग रहा था और पूरी तरह से खड़ा नहीं हो रहा था. इतनी देर तक मां मेरे पापा के लंड को चूसती रही लेकिन उनका लंड वैसा का वैसा रहा. उसमें कड़ापन नहीं आ रहा था.
मेरी मां के बड़े बड़े गुब्बारे आपस में टकरा रहे थे. वो मेरे पापा के लंड को खड़ा करने की कोशिश कर रही थी. वो बार बार उनके लंड को हाथ में लेकर हिला रही थी. कभी मुंह से झटके मारती और कभी फिर से जोर जोर से हिलाने लगती.
बड़ी मुश्किल से जाकर लगभग 15 मिनट के बाद मेरे पापा का लंड खड़ा हुआ. लंड को टाइट होता देख कर मेरी मां फुर्ती से पापा की ओर झुक कर अपनी चूत को दिखाने लगी. मेरे पापा ने मेरी मां की गांड पर हाथ रख कर उनकी गांड के छेद के नीचे मेरी मां की गदराई हुई सी काली चूत को हाथ से फैला दिया.
चूत को हाथ से फैला कर उन्होंने अपने लंड को मेरी मां की चूत के मुख पर टिका दिया. फिर मेरी मां की पीठ के ऊपर झुक कर उनकी चूचियों को जोर जोर से दबाने और मसलने लगे.
मेरी मां भी मेरे पापा के लंड की ओर अपनी गांड को धकेलने लगी. मां की चूत भी पापा का लंड अंदर लेने के लिए उतावली हो रही थी. पापा मेरी मां की पीठ पर पीछे से चूम रहे थे और उसकी चूचियों को दबाते हुए उसकी चूत पर लंड को घिस रहे थे.
फिर उन्होंने दोबारा से लंड को चूत पर रखा और एक झटके से लंड को अंदर घुसा दिया. मेरी मां के मुंह से ऊंह ऊंह की आवाज होने लगी. पापा ने मां की चूत को चोदना शुरू कर दिया. पापा उनकी चूत में लंड देकर आगे पीछे हिलने लगे. मगर पापा से ज्यादा तो मां हिल रही थी.
मैं इस चुदाई का पूरा मजा लेना चाहता था. इसलिए मैं हर एक एंगल से उनकी चुदाई का मजा लेने के लिए दूसरी खिड़की पर गया और वहां से देखा. आगे से मैंने मां की चूचियों को हिलते हुए देखा. उसकी मोटी मोटी चूची फुटबाल के जैसे आगे पीछे डोल रही थी.
उसके बाद मैं तीसरी खिड़की पर वापस आया. वहां से देखा तो पापा की काली गांड दिख रही थी. वो मेरी मां के ऊपर झुके हुए थे और अपने चूतड़ों को जोर जोर से मां की चूत की ओर धकेल कर उनकी चुदाई कर रहे थे.
इस वक्त मां भी पूरी गर्म हो गयी थी. वो मेरे पापा की गांड पर हाथ से दबाते हुए उनको अपनी चूत की ओर खींच रही थी. उसके मुंह से मस्त सेक्सी आवाजें आ रही थी- आह्ह … आह्ह … अम्म … ओह्ह .. और करो … आह्ह … मजा आ रहा है.
ऐसे ही लगभग 10 मिनट तक उनकी चुदाई चली होगी, इस दौरान मैं अलग अलग खिड़की से जाकर उनकी चुदाई का मजा लेता रहा. फिर पापा एकदम से रुकते चले गये. उनका वीर्य छूट कर मां की चूत में ही निकल गया था. वो दो मिनट मां को पकड़े रहे और फिर लंड को निकाल कर एक ओर बेड पर लेट गये.
अब मां उठी और बाथरूम में चली गयी. पापा भी उठ गये और उन्होंने अपने कपड़े उठा कर अपने कपड़े पहनना शुरू किया और फिर दरवाजे की ओर जाने लगे. मैं भी वहां से निकल लिया. कुछ देर के बाद मैं दोबारा उस तरफ आया तो वहां पर कोई नहीं था.
फिर मैं थोड़ी देर के बाद घर आ गया. मैंने बेल बजाई तो मां ने दरवाजा खोला. उसके बाद वो अंदर चली गयी. उनके रूम का दरवाजा खुला हुआ था. मां की गांड देख कर मेरा मन कर रहा था उनको अभी नंगी कर लूं.
मगर अभी यह सब नहीं हो सकता था. अंदर रूम में पापा भी थे और मैं अभी ये नहीं सोच पा रहा था कि मां के साथ शुरूआत कैसे करूं. उस दिन के बाद से मैंने मां को गर्म करने की प्लानिंग शुरू कर दी.
बार बार मेरी आंखों के सामने वही नजारा आ जाता था जब पापा मेरी मां को पीछे से चोद रहे थे और मेरी मां की मोटी मोटी चूचियां हवा में झूल रही थीं. उनके चेहरे पर वो उत्तेजना वाले भाव बहुत मस्त लग रहे थे.
मैं भी इसी तरह अपनी मां की चुदाई करने के सपने देखने लगा था. मैं सही मौके की तलाश में था. मैं अपनी मां के दूधों का दीवाना हो गया था. अब किसी भी तरह मैं मां के नंगे बदन के मजे लेना चाहता था.
में मैंने आपको बताया था कि एक रात में मैंने अपनी मां को अपने पापा का लंड चूसते हुए देख लिया था. उस दिन के बाद से मेरा आकर्षण मेरी मां के नंगे बदन के लिए बढ़ गया था.
उनकी चुदाई देखने के लिए मैंने बहुत कोशिश की लेकिन मैं सफल नहीं हो पाया. उसके बाद हम लोग एक दूसरे घर में शिफ्ट हो गये थे. वहां पर जाने के बाद भी मुझे मौका नहीं मिला और मैंने एक तरकीब निकाली.
मैंने अपने घर के सारे खिड़की दरवाजे में छेद कर लिया. एक दिन दोपहर के समय में मैंने अपनी मां और पापा को चुदाई करते हुए देख लिया. उस दिन के बाद से मैं अपनी मां की चुदाई वैसे ही करने के सपने देखने लगा.
दिन बीत रहे थे और इसी बीच मेरे पापा की अकाल मृत्यु हो गयी. उनका एक्सीडेंट हुआ था जिसके बाद सिर में चोट लगने के बाद वो बच नहीं पाये. पापा की मौत के बाद अब घर की जिम्मेदारी मेरे कंधों पर आ गयी थी. मुझसे बड़ी मेरी बहन थी लेकिन घर तो मुझे ही चलाना था.
अब मुझे घर चलाने के लिए पैसा भी कमाना था. मैंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी और अब मैं नौकरी करने लग गया. अब तो घर का सारा माहौल बदल गया था. घर में आमदनी तो कम थी लेकिन पापा का डर अब खत्म हो गया था.
घर की जिम्मेदारी मेरे ऊपर आने के बाद अब घर के सारे छोटे बड़े फैसले मुझसे पूछ कर ही किये जाते थे. मेरी मां अब मेरे साथ ऐसे रहती थी जैसे मैं उनका पति हूं. वो हर बात में मुझसे ही पूछा करती थी.
अब पैसे की कमी थी तो हम बड़े घर का किराया नहीं दे सकते थे इसलिए हम तीनों लोगों ने फिर से एक सस्ता और छोटा घर किराये पर लेने का सोचा. उस बड़े मकान का खर्च हम अब और नहीं उठा सकते थे.
जल्दी हमने एक छोटा घर तलाश लिया. वह घर बहुत ही छोटा था जिसमें केवल एक ही रूम था. छोटे घर में शिफ्ट होने के बाद हम तीनों एक ही रूम में सोते थे. मैं पलंग पर सोता था. मेरी बगल में मां सो जाती थी और दीदी नीचे सो जाती थी.
चूंकि मां अब मेरी बगल में ही सोती थी तो मैं अब अपनी मां के बदन के मजे आसानी से ले सकते था. मैं उनके बदन को देखता रहता था. एक रात की बात है कि मैं लेटा हुआ था. अभी मुझे गहरी नींद नहीं आई थी.
कुछ देर के बाद मुझे कुछ हलचल सी होती हुई दिखाई दी. मैंने मुंडी घुमा कर देखा तो मां का हाथ हिलता हुआ दिखाई दिया. मैंने ध्यान से देखा तो मां का हाथ सामने की ओर था.
उनकी पीठ मेरी तरफ थी और उनका हाथ लगातार चल रहा था. मुझे पता चल गया कि मां अपनी चूत में उंगली कर रही है. ये देख कर ही मेरा लंड खड़ा हो गया. मां को पता नहीं चल रहा था कि मैं ये सब देख रहा हूं क्योंकि उनका मुंह दूसरी ओर था.
मैंने भी अपना लंड अपने कच्छे से बाहर निकाल लिया और अपने लंड को हिलाते हुए उसकी मुठ मारने लगा. मां की हरकत देख कर मेरा लंड पूरे जोश में आ गया था. मैं सोच रहा था कि आज तो मां की चूत चोदने का बहुत ही अच्छा मौका मेरे हाथ लग गया है.
मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था और मन कर रहा था की मां की चूत में लंड दे दूं. मैंने अपने हाथ से मां का वह हाथ पकड़ लिया जिससे वह अपनी चूत को सहला रही थी.
जैसे ही मैंने उनके हाथ को पकड़ा तो वो एकदम से चौंक गयी. उन्होंने मेरे हाथ को एकदम से झटक दिया. उन्होंने झटके से अपनी साड़ी को नीचे किया और मेरी तरफ घूमी तो उनका हाथ गलती से मेरे खड़े हुए लंड पर जा लगा.
गलती से मेरे लंड को उन्होंने पकड़ लिया था. जब उनको ये अहसास हुआ कि मेरा लंड उनके हाथ में आ गया है तो उन्होंने उसे एकदम से ऐसे छोड़ा जैसे कि उनके हाथ में सांप आ गया हो.
उन्होंने धीमी आवाज में मुझसे पूछा- ये क्या है, क्या कर रहा था तू?
मैंने कहा- जो आप कर रही हो, मैं भी वही कर रहा हूं.
उन्होंने नीचे की ओर देखा तो मेरा लंड झटके दे रहा था.
वो बोली- इसको ढक ले हरामी.
मगर मैंने उनकी बात नहीं सुनी और लंड को हिलाता रहा. आज तो मुझे मां के सामने मुठ मारने में मजा आ रहा था. मैं उनको गर्म कर देना चाह रहा था लेकिन उत्तेजना में मेरे लंड से वीर्य छूट गया.
मेरा मुंह मां की ओर था. जैसे मेरे लंड से वीर्य का फव्वारा छूटा तो पिचकारी सीधे मां के पेट और हाथ पर जाकर गिरी.
वो गुस्से से बोली- हो गया नालायक? मैं तेरी मां हूं. जरा भी शर्म नहीं रही तेरे अंदर.
उत्तेजना में मैंने वीर्य तो निकाल दिया था लेकिन मुझे अब अपने आप पर शर्म भी आ रही थी. मैं अपनी पैंट को ऊपर करने लगा.
मां ने बाथरूम की ओर इशारा किया और धीमे से कहा- जा, जाकर धो ले.
मैं वैसे ही बिना पैंट पहने हुए उठ कर बाथरूम की ओर भागा. मुझे अब काफी सॉरी फील हो रहा था. समझ नहीं आ रहा था कि मां का सामना कैसे करूं. अंदर जाकर मैंने लंड को धोया और सोचने लगा कि मां के सामने कैसे जाऊं.
किसी तरह मैं बाहर आया और मुंह नीचे करके चुपचाप आकर बेड पर लेट गया. मां ने भी अपना पेट और हाथ साफ कर लिया था.
उन्होंने मेरे कंधे पर हाथ रखा और बोली- कोई बात नहीं, तुम्हारी उम्र में ये सब हो जाता है.
फिर उन्होंने मेरे सिर को अपनी गोद में रख लिया और मेरे बालों में हाथ फिराने लगी.
वो बोली- देख बेटा, ये सब अभी ठीक नहीं है तेरे लिये. हम लोगों के पास अभी और भी कई परेशानियां हैं. मैं तो तेरे पापा के साथ ये सब करती थी. तेरे पापा ने ही मुझे ये आदत लगाई थी. मैं तेरी मां हूं, मां के साथ ये सब करना ठीक नहीं है. पाप लगता है. अभी तो मैं तुझे माफ कर दे रही हूं, मगर आगे से तू ये ध्यान रखना. चल अब सो जा.
मैंने उनकी गोद में सिर रखा हुआ था जिसके कारण मुझे उनकी धड़कन भी सुनाई दे रही थी. उनके मांसल बूब्स मेरे चेहरे से टकरा रहे थे. ये सब की फीलिंग लेकर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया था. शायद मां को भी इस बात की भनक लग गयी थी कि मेरा लंड खड़ा हो गया है. मगर वो कुछ नहीं बोली और सो गयी.
अगले दिन से सब बदल गया था. मां अब मुझसे दूर दूर रहने लगी थी. रात को सोने वाली जगह भी बदल गयी थी. अब मैं अकेला ही पलंग पर सोने लगा था. नीचे मां और उनके बाजू में दीदी सोती थी. मैं रोज रात को मां को देख कर मुठ मारता था.
मां के बदन को देखते हुए मुठ मारने में मुझे बहुत मजा आता था. एक रात को मां काफी गहरी नींद में सो रही थी. नींद गहरी होने के कारण उनकी साड़ी का ख्याल भी उनको नहीं था. उनकी साड़ी घुटनों तक ऊपर सरक आयी थी.
मां की साड़ी उठी हुई देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया. मैंने ऐसे ही लेटे हुए अपने एक हाथ को नीचे लटका लिया. मैं एक हाथ से अपने लंड की मुठ मार रहा था. मैंने नीचे वाले हाथ से उनकी साड़ी को धीरे धीरे करके और ऊपर तक उठा दिया.
जैसे जैसे साड़ी उठ रही थी मेरी उत्तेजना और बढ़ रही थी. एक पल आया जब मां की साड़ी उनके पेट पर पहुंच गयी और मां की चूत मुझे दिख गयी. पहली बार मैंने अपनी मां की चूत को इतने करीब से देखा था.
मैंने तेजी से मुठ मारना शुरू कर दिया. फिर लगने लगा कि मेरी वीर्य छूट जायेगा. मैं अभी और मजा लेना चाहता था अपनी मां के मस्त बदन का. मैंने मुठ मारना बंद कर दिया. मैंने धीरे धीरे से उनकी चूत को छूकर देखा, उनकी चूत बहुत ही मुलायम सी थी.
हल्के हाथ से मैंने मां की चूत को सहलाना शुरू कर दिया. साथ में मैं इस बात का ध्यान भी रख रहा था कि कहीं मां की नींद न टूट जाये और सारा मजा बेकार हो जाये. मैं आहिस्ता से उनकी चूत को धीरे धीरे छेड़ता रहा. मेरा लंड पूरा फटने को हो रहा था.
अब मुझसे रुका न जा रहा था. मैंने हाथ फेरते हुए अपनी बड़ी उंगली को उनकी चूत में सरकाने की कोशिश की. धीरे धीरे बहुत ही आराम से मैंने मां की चूत में उंगली दे दी.
मैं अब और ज्यादा हिम्मत के साथ उनकी चूत में उंगली को चलाने भी लगा. बहुत मजा आ रहा था चूत में उंगली चलाते हुए. ऐसा लग रहा था कि मैं किसी मक्खन से भरी कटोरी में उंगली चला रहा हूं. एक-दो मिनट तक मैं ऐसे ही उनकी चूत में उंगली करता रहा.
फिर मैंने देखा कि उसकी चूत से गीला सा पदार्थ निकलने लगा. ये देख कर मेरा जोश और बढ़ गया. मैंने अपनी दूसरी उंगली भी धीरे उसकी चूत में डाल दी. मैंने बड़ी ही सावधानी के साथ उनकी चूत में उंगली चलाना शुरू किया.
इस वक्त मां की सांसें बहुत ही तेजी के साथ चलना शुरू हो गयी थीं. मुझे पक्का यकीन हो गया था कि शायद मां कोई सपना देख रही है. सपने में शायद वो किसी से अपनी चूत चुदवा रही होगी. इसीलिये वो चूत में दो दो उंगली डाले जाने पर भी नहीं जाग रही थी. मेरी हिम्मत अब काफी बढ़ गयी थी.
अब मैंने बहुत ही सावधानी से मां के पैरों को फैलाना चालू किया. मैं धीरे से नीचे उतर आया. मैंने उनके पैरों को फैला कर अपने लंड को हाथ में लेकर उनकी चूत पर लगा कर देखा.
जैसे ही चूत पर लंड लगा तो मैं पागल सा हो गया. मुझे इतना मजा आया कि मैं आप लोगों को बता नहीं सकता हूं. मैंने अपने फनफनाते लंड को उनकी चूत पर थोड़ा और दबाया. मुझे और मजा आया. ऐसे ही मैं उनकी चूत पर लंड को रगड़ कर आनंद लेता रहा.
मां की चूत का चिपचिपा पानी मेरे लंड पर लगने से मेरा लंड भी चिकना हो गया था. अब मैं अपनी मां की चूत में लंड डालने के लिए और ज्यादा नहीं रुक सकता था. मैं किसी भी कीमत पर उनकी चूत में अपने लंड को अंदर डाल देना चाह रहा था. हिम्मत करके मैंने लंड को अंदर दे दिया.
लंड जैसे ही अंदर गया मुझे ऐसा मजा मिला कि मैं जैसे हवा में उड़ने लगा. उनकी चूत अंदर से बहुत गर्म थी. मुझे उस वक्त बहुत खुशी मिल रही थी जैसे मैं कोई लड़ाई जीत गया हूं.
जिस चूत से मैं दुनिया में आया था उसी चूत में लंड डाल कर मजा लेने का अहसास निराला लग रहा था मुझे. इस तरह बड़े ही आराम से अब मैं धीरे धीरे अपने लंड को अपनी मां की चूत के अंदर चलाने लगा. लंड को अंदर बाहर करते हुए मुझे इतना मजा आ रहा था जिसको लिखने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं.
यह मेरी जिन्दगी का पहला सेक्स था, वो भी मेरी सगी मां के साथ. अब मेरी स्पीड बढ़ने लगी थी. अब मैं और ज्यादा देर नहीं टिक सकता था. मैं झड़ने के करीब पहुंच गया क्योंकि उत्तेजना बहुत ज्यादा हो गयी थी.
फनफनाते हुए मेरे लंड ने इतनी जोर से पिचकारी छोड़ी कि मां की चूत में वीर्य की धार अंदर तक जा लगी होगी. हाथ से मुठ मारते हुए मेरे लंड से 1-2 पिचकारी ही जोर से निकलती थी. जब मां की चूत में वीर्य निकला तो लंड ने 5-6 पिचकारी जोर जोर से मारी. मुझे बहुत आनंद मिल रहा था.
मैंने अपना सारा माल अपनी मां की चूत के अंदर ही निकाल दिया. उनका चेहरा देखते हुए मुझे बहुत मजा मिल रहा था और मेरे लंड में झटके लग रहे थे और मैंने पूरा माल बूंद बूंद तक निचोड़ कर अपनी मां की चूत में पूरा का पूरा खाली कर दिया था.
मां का चेहरा देखने में बहुत प्यारा लग रहा था. मेरा मन कर रहा था कि उनके होंठों को चूस लूं. मगर उस वक्त मैं ऐसा करता तो वह जाग जाती. दीदी भी बगल में ही सो रही थी. इसलिए मैंने ऐसा करना ठीक नहीं जाना.
उसके बाद मैं उठ गया और ऊपर बेड पर आकर लेट गया. मैंने नीचे झांक कर देखा तो मेरी मां की चूत से मेरा वीर्य रिस कर नीचे टपक रहा था. मुझे ये देख कर बहुत खुशी हुई.
उसके बाद मैं लेट गया और अपनी कामयाबी पर मन ही मन खुश होता रहा. मैंने मां के चेहरे की ओर देखा तो उनके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आ गयी थी. फिर मैं भी सोचते सोचते सो गया.