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गाँव की डॉक्टर साहिबा ( पुरी कहनी )
#58
एक चमकीली धूप की सुबह की किरणों के साथ काव्या की नीन्द खुली. काव्या को काफी फ्रेश महसूस हो रहा था एक दम तरो ताजा. शहर की ट्रैफ़िक के शोर गुल से दूर गाँव में पक्षियों की चह चह की आवाज के साथ काव्या को लगा कि उसका दिन काफी शानदार जाने वाला है. अब काव्या के फ्रेश और नहाने के बाद काव्या एक फुल बिना आस्तीन का यानी बिना बाजू की ब्लाउज काले रंग की और डार्क ओरेंज रंग की साड़ी पहन कर काव्या डाइनिंग टेबल पर बैठ गयी. काव्या की दादी भी पास में ही बैठी थी. नजमा ने तुरंत नाश्ता लगा दिया. जैसे ही नजमा ने काव्या को देखा मानो उसके तो होश ही उड़ गये. कि काव्या ने इतना सेक्सी सी साड़ी पहनी है मानो नजमा के अन्दर एक आग सी लग गयी काव्या की बिना बाजू वाले ब्लाउज को देख कर और उसका गौरा बदन से आती सेक्सी सी महक से पर नजमा ने खुद को शान्त किया और कोने में खड़ी हो गयी उसकी जहा औकात थी इस हवेली में. काव्या और उसकी दादी दोनों नाश्ता कर रहे थे और कुछ नयी पुरानी बाते कर रहे थे तभी उसकी दादी ने पूछा काव्या बेटी आज का प्लान है आज क्या करोगी अपनी कोई नॉवेल या बुक लायी हो.


काव्या - नहीं दादी आज तो प्लान नजमा के साथ गाँव घूमने का है नजमा ने ही मुझको बोला था कि वो यहा की औरतों के साथ जान पहचान भी करवाएगी. क्यों नजमा...नजमा फिर हा में सर हिलाती है.


दादी - बेटी तेरे चाचा आपको गाँव घुमा देगे इसके साथ घुमना कहा जरूरी है..... अब दादी की आवाज में कठोर पन था और लग रहा था मानो कि वो नहीं चाहती हो की काव्या कही हवेली के बाहर जाये वो भी इस नजमा के साथ तो बिलकुल नहीं.


दादी - क्या हुआ काव्या तुमको कोई खास काम है क्या गाँव में. जरूरी हो तो बोल दो.


काव्या - नजमा को देखते हुए नहीं दादी ऐसा कुछ नहीं है पर मेरे पास गाँव में रहने के लिये दिन कम है फिर हॉस्पिटल भी जॉइन करना है वापस और रणधीर अंकल का भी पता नही कब आयेगे वो भी. इसलिये सोचा कि थोड़ा गाँव ही घूम लू.


दादी काव्या की किसी भी बात को दादी ना नहीं बोलना चाहती थी पर दादी ने दिल पर पत्थर रख कर सिर्फ काव्या की खुशी के लिये हाँ बोल दिया पर एक शर्त रखी कि तुम वापस 2 घण्टे में वापस आ जाना. मुझको कुछ काम है काव्या बेटी तुमसे और अपना ध्याना रखना. दादी जानती थी कि अगर रणधीर को पता चल गया कि काव्या पैदल गाँव घुमने गयी है वो भी इस घटिया औरत नजमा के साथ तो वो बहुत बहस करेगा आ कर. अब काव्या दादी की 2 घण्टे वालीं बात सुन कर काफी आश्चर्य में आ गयी पर वो एक डॉक्टर थी उसको अपनी दादी के हाव भाव कुछ कुछ समझ आ रहे थे इसलिये उसने कोई भी कारण या क्यों नही पूछा और हाँ बोल कर बाहर आ गयी पिछे पिछे नजमा भी आ गयी सारे बर्तन जमा कर रसोई में.


नजमा - मैडम चलो आपको सबसे पहले तो गाँव की नदी दिखाने ले जाती हूँ आपको देख कर बहुत सुकून मिलेगा.


काव्या - देख लो नजमा ताई तुम ही जानों सबसे बढिया क्या है मेरे पास तो सिर्फ 2 घण्टे है उसमें ही अधिकतर कवर करना है.

हाँ चलो मैडम, नजमा को ताई शब्द सुन कर मानो एक अलग सी ताकत आ गयी हो. नजमा को कोई इज़्ज़त नहीं देता था उसको लोग नाम से बुला ले वो ही बड़ी बात थी. पर वो काफी खुश हो गयी.


काव्या को गाँव के कुछ लोग ऐसे गुर रहे थे मानो अभी उसका बिना बाहों वाला ब्लाउज और साड़ी निकाल कर उसका यही रोड के बीचो बीच उसका बलात्कार कर दे. साली को मसल के रख दे. पर किसी में इतनी हिम्मत नहीं होती कि वो ऐसा कुछ कर पाये. थोड़ा आगे चलते चलते दो रास्ते आ गये. एक रास्ता बिलकुल कच्चा था और एक बिलकुल सही था.


नजमा - मैडम ये दोनों रास्ते नदी की तरफ जा रहे है बोलो आप कौनसा रास्ते से जाना पसन्द करोगी.

काव्या - मैं क्या कोई भी यह सही वाले रास्ते से जाना पसन्द करेगा.


पर यह सुन कर नजमा को थोड़ा गुस्सा सा आ गया वो बोली नहीं मैडम रास्ते में क्या रखा है हम तो ये कच्चे वाले रास्ते से जाते है. यह सुन कर काव्या को काफी अजीब लगा वो अब तो यह सही वाले रास्ते से जाना चाहती थी. पर नजमा को ये कच्चे रास्ते से जाना था.


चलो अब आपको बताते है कि राज क्या है इन दोनों पक्के और कच्चे रास्ते का दरसल जो पक्का वाला रास्ता था वहां गाँव के ऊंची हि*दू जाति के पढ़े लिखे धनवान लोग रहते थे. जिनके घर भी काफी बड़े थे और गाँव मैं बहुत मान सम्मान और इज्जत थी. और जहां इज़्ज़त है वहां नजमा जैसी औरतों का क्या काम. उसको वहां की कोई भी औरत बोलती भी नहीं है ना ही उसको उस कॉलोनी में ज्यादा घुसने भी नही दिया जाता था. घर में तो बहुत दूर की बात. और जो कच्चा वाला रास्ता था वहां पर गाँव के लेबर क्लास लोग, नीची जाति के लोग रहते है और उसके आगे मुस्ल*म एरिया था. वेसे तो वहां पर भी नजमा की कोई सम्मान नहीं करता था सिर्फ चार-पाँच लोगों को छोड़ कर. पर वह एरिया नजमा को पसन्द था.


काव्या - नहीं नजमा ताई मैं तो यही से जाऊँगी. मुझको रास्ता भी सही लग रहा है और यहा से आते जाते लोग भी.


नजमा - ठीक है मैडम आप जैसा कहे..... आखिर कार नजमा थी तो नौकरानी ही और वो काव्या को बताती भी कैसे की जहां उसको रोड की कुतिया जितनी भी इज़्ज़त नहीं मिलती उसको वहां जाना पड़ रहा है....
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RE: गाँव की डॉक्टर साहिबा ( पुरी कहनी ) - by THANOS RAJA - 20-01-2021, 10:13 PM



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