20-01-2021, 03:18 PM
अब काव्या भी थोड़ा सही महसुस नहीं कर रही थी बीजू और रफीक के बीच में, उसको इन दोनों की बकवास के बीच में कुछ भी मजा नहीं आ रहा था I उसको बस सुबह की सुलेमान की गंदी हरकते और रफीक की बात याद आ रही थी कि वो मेरे रूम में आखिर कर क्या रहा था ? किसकी परमिशन से वो मेरे कमरे में आया था अगर मैंने रणधीर अंकल को बता दिया तो क्या हाल करेगे रफीक का. आपको हम रणधीर अग्रवाल के बारे में बता देते है रणधीर काव्या के पिता जी का सगा छोटा भाई था l रणधीर के पिताजी यानी काव्या के दादाजी के गुजरने के बाद रणधीर ने ही पूरे गाँव की जमीदार का काम सम्भाल रखा था l रणधीर अग्रवाल की उम्र 48 साल होगी l रणधीर भी काफी बलिष्ठ था. रणधीर की शादी उषा अग्रवाल से हुई थी पर किसी कारणों से उषा शहर में ही रहती थी उषा को गाँव में रहना पसन्द भी नहीं था और वेसे भी उसकी सरकारी नौकरी होने की वज़ह से उसको शहर में ही रहना होता था. रणधीर हर सप्ताह उषा से मिलने जाता था. अभी भी उषा के पास है इसलिए वो काव्या को लेने नहीं आ पाया था. रणधीर का खौफ था पूरे गाँव में एक तो वो सरपंच था गांव का ऊपर से उसने गाँव के अधिकतर किसानो और गरीबों को ब्याज पर रूपया दे रखा था. इसलिए गांव का कोई भी आदमी रणधीर से नहीं उलझता और ना ही बहस करता था. रणधीर को गाँव के कुछ लोगों से काफी नफरत थी उनमे से एक रहीम चाचा भी थे जो उसके हवेली के पास ही रहता था. जब भी रणधीर घर पर होता तो रहीम की हिम्मत नहीं होती कि वो नजमा को चोदने हवेली आ जाये या हवेली के आसपास भी दिखे और अपनी गंध फैलाये. रणधीर को कोई औलाद नहीं थी ऐसा नहीं कि वो नहीं कर सकता था पर उषा और रणधीर ने मिलकर कोई औलाद नहीं करने का निर्णय लिया था शायद कुछ कारण ही रहा होगा या कोई ऐसा राज जो अभी तक कोई नहीं जानता होगा. पर कुछ भी बोलो रणधीर ने काव्या को बचपन से खिलाया था रणधीर काव्या को अपनी बेटी ही मानता था यहां तक उसने अपनी सारी प्रॉपर्टी भी वसीयत में काव्या के नाम कर दी थी उसके मरने के बाद सारी प्रॉपर्टी काव्या की ही होगी. रणधीर काफी समझदारी था वो गाँव के बाकी लोगों के मुकाबले थोड़ा ज्यादा पढ़ा लिखा था. रणधीर के साथ उसके बाउंसर, नौकर या वसुली करने वाले दो और लोग थे गोतम यादव और रमेश सिंह जो रणधीर के पीछे ही घूमते थे रणधीर के सभी आदेश मानते थे सभी जगह वसूली भी वहीं करने जाते थे. गोतम यादव इसकी बॉडी ठीक थी ये हर जगह अपना दिमाग लगाता था गोतम को मार से ज्यादा प्यार से काम निकालने में भरोसा रखता था वहीं रमेश सिंह मानो चलता फिरता सांड या बॉडी बिल्डर था. रमेश को गुस्सा काफी आता था बात-बात पर गालियां देता था. रमेश अपने सारे काम मार कर और डरा धमका कर ही करवाता था पर इन दोनों की हवेली में कोई एंट्री या हवेली आने की इजाजत नहीं थी इनकी क्या पूरे गाँव मैं किसी भी आदमी या औरत को हवेली में आने की इजाजत नहीं थी. चलो अब आते है वापस काव्या के पास.... काव्या सोच ही रही थी कि तभी रफीक बीजू को लेकर वहाँ से निकल जाता है बीजू को जाने की तो कोई इच्छा नहीं थी पर रफीक की जलन और ऊपर रणधीर का डर यही सोच के बीजू को लेकर निकल गया. अब काव्या काफी सही महसूस कर रही है उसको घुटन से राहत मिल गयी थी.
नजमा - क्या हुआ मैडम क्या सोच में खो गयी हमारा गाँव आपको अच्छा नहीं लगा क्या ?
काव्या - नहीं ऐसा कुछ नहीं है मैं तो बस के सफर से काफी थक गयी थी वहीं सोच रही थी और वेसे भी ये गाँव मेरा भी है मुझको क्यों नहीं अच्छा लगेगा.
काव्या मन में क्या में नजमा से पूछ लू की रफीक मेरे कमरे में कैसे आया था क्यों आया था ? और ये सुलेमान कैसा इन्सान है ? सही में उसकी बीवी को कोई मुसीबत है या नहीं. तभी काव्या को ध्यान आता है कि नजमा क्या सोचेंगी मेरे बारे में की मैं उसके बेटे के बारे क्या पूछ रही हू कहीं उसे कुछ गलत लग गया तो. चलो बाद में खुद ही पता लगा लुंगी.
नजमा - क्या मैडम आप भी इतना सफर करके थक गयी. चलो आपका मूड फ्रेस करने के लिए कल में आपको गाँव घूमती हू आप भी देखना की हमारा गाँव कितना सुन्दर है.
काव्या यह सुन कर काफी खुश भी हुई और उसको अच्छा भी लगा पर
काव्या - नहीं नहीं तुम कहां परेशान होगी नजमा मेरे रणधीर अंकल घुमा देगे उन्होंने मुझे मेरे लास्ट जन्म दिन पर बोला था तुम आओ मैं तुमको पूरा गाँव और खेतों में घुमाता हु.
नजमा - हाँ पर खुली जीप में घूमने से ज्यादा मजा आयेगा पर मेरे साथ भी मजा आयेगा वो तुम्हें सारी जगह नहीं ले जा पायेगे और तुम बाकी औरतों से भी कैसे मिल पाओगी सेठ जी के साथ और वेसे भी सेठ जी कल कहा आने वाले है वो तो परसों आयेगे फिर भी मैडम जी आपकी मर्जी...!
नजमा की गाँव में कोई इज्जत या सम्मान नहीं करता था सभी गाँव की औरते उसको अपने पास भी नहीं भटकने देती थी. नजमा तो काव्या के दादाजी की वज़ह से अभी तक इस गाँव में थी वो भी हवेली की नौकरानी बन के वरना गाँव वाले तो कबसे निकाल देते. नजमा चाहती थी कि काव्या के साथ गाँव घूम कर वो गाँव के औरतों के बीच थोड़ी इज़्ज़त बना सके. पर काव्या को भी एक कामवाली के साथ गाँव घुमना अजीब लग रहा था पर वो नजमा को ना नहीं बोल पायी उसकी शक्ल देख कर फिर भी उसने हामी भर दी और वहा से उठ कर अपने कमरे में चली गयी. काव्या को ये भी अजीब लगा कि उसके रणधीर अंकल ना ही उसको लेने आये ना ही उसको अब तुरंत मिलने आ रहे है फिर उसने सोचा होगा कुछ जरूरी काम इसलिए नहीं आ पाये होगे. यही सब आज के दिन की बाते सोच कर काव्या सो गयी.
नजमा - क्या हुआ मैडम क्या सोच में खो गयी हमारा गाँव आपको अच्छा नहीं लगा क्या ?
काव्या - नहीं ऐसा कुछ नहीं है मैं तो बस के सफर से काफी थक गयी थी वहीं सोच रही थी और वेसे भी ये गाँव मेरा भी है मुझको क्यों नहीं अच्छा लगेगा.
काव्या मन में क्या में नजमा से पूछ लू की रफीक मेरे कमरे में कैसे आया था क्यों आया था ? और ये सुलेमान कैसा इन्सान है ? सही में उसकी बीवी को कोई मुसीबत है या नहीं. तभी काव्या को ध्यान आता है कि नजमा क्या सोचेंगी मेरे बारे में की मैं उसके बेटे के बारे क्या पूछ रही हू कहीं उसे कुछ गलत लग गया तो. चलो बाद में खुद ही पता लगा लुंगी.
नजमा - क्या मैडम आप भी इतना सफर करके थक गयी. चलो आपका मूड फ्रेस करने के लिए कल में आपको गाँव घूमती हू आप भी देखना की हमारा गाँव कितना सुन्दर है.
काव्या यह सुन कर काफी खुश भी हुई और उसको अच्छा भी लगा पर
काव्या - नहीं नहीं तुम कहां परेशान होगी नजमा मेरे रणधीर अंकल घुमा देगे उन्होंने मुझे मेरे लास्ट जन्म दिन पर बोला था तुम आओ मैं तुमको पूरा गाँव और खेतों में घुमाता हु.
नजमा - हाँ पर खुली जीप में घूमने से ज्यादा मजा आयेगा पर मेरे साथ भी मजा आयेगा वो तुम्हें सारी जगह नहीं ले जा पायेगे और तुम बाकी औरतों से भी कैसे मिल पाओगी सेठ जी के साथ और वेसे भी सेठ जी कल कहा आने वाले है वो तो परसों आयेगे फिर भी मैडम जी आपकी मर्जी...!
नजमा की गाँव में कोई इज्जत या सम्मान नहीं करता था सभी गाँव की औरते उसको अपने पास भी नहीं भटकने देती थी. नजमा तो काव्या के दादाजी की वज़ह से अभी तक इस गाँव में थी वो भी हवेली की नौकरानी बन के वरना गाँव वाले तो कबसे निकाल देते. नजमा चाहती थी कि काव्या के साथ गाँव घूम कर वो गाँव के औरतों के बीच थोड़ी इज़्ज़त बना सके. पर काव्या को भी एक कामवाली के साथ गाँव घुमना अजीब लग रहा था पर वो नजमा को ना नहीं बोल पायी उसकी शक्ल देख कर फिर भी उसने हामी भर दी और वहा से उठ कर अपने कमरे में चली गयी. काव्या को ये भी अजीब लगा कि उसके रणधीर अंकल ना ही उसको लेने आये ना ही उसको अब तुरंत मिलने आ रहे है फिर उसने सोचा होगा कुछ जरूरी काम इसलिए नहीं आ पाये होगे. यही सब आज के दिन की बाते सोच कर काव्या सो गयी.