20-01-2021, 12:20 AM
पड़ोसन भाभी को ब्लू फिल्म दिखा कर चोदा-
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दोस्तो, मेरा नाम संजीव शाह है और मैं बिहार के सारण जिला का रहने वाला हूँ.
मेरी हाईट 5 फुट 8 इंच है और उम्र 26 साल की है. लड़कियों को बता दूं कि मेरे लंड का साईज 6 इंच है.
यह मेरे पहले अनुभव पर आधारित एक सेक्स कहानी है और ये आज से एक साल पहले की हॉट सेक्सी भाबी की चुदाई कहानी है.
यह सेक्स कहानी मेरे बगल की भाभी की चुदाई को लेकर है.
इसमें मैंने लिखा है कि कैसे मैंने भाभी को मोबाईल में ब्लू फिल्म दिखा कर उन्हें चुदाई के लिए राजी किया था.
ये उन दिनों की बात है, जब मैं तीन साल के बाद पंजाब से अपने घर आया था.
मैं घर आने पर सबसे पहले अपने नानी और नाना जी से मिलने जाया करता हूं.
मैं नानी और नाना जी से मिलने के बाद मैं अपने कामों में व्यस्त था.
उस दिन मैं अपने पड़ोसी के घर के बगल से गुजर रहा था, तो मेरी नजर एक औरत पर पड़ी.
मैं उसे देख कर दंग रह गया वो बड़ी ही मस्त औरत थी.
मुझे नहीं मालूम था कि वो कौन है, इससे पहले मैंने उसे कभी नहीं देखा था.
मैं अपने घर वापस आ गया.
दो दिन बाद मुकेश भैया मेरे घर आए. मुकेश भैया वही हैं, जिनके घर में मैंने वो मस्त आईटम देखा था.
मैंने भैया से पूछा कि आपके घर में वो महिला कौन हैं?
भैया ने हंसते हुए बताया- अरे संजीव, वो तुम्हारी भाभी हैं.
मैं चौंक गया.
फिर भैया बोले- तुम तो कभी मेरे घर आते ही नहीं हो, तो तुम्हें कैसे पता चलेगा कि मेरे घर में कौन कौन है. अरे भाई … कभी कभी टाइम निकाल कर मेरे घर भी आया करो.
मैंने भैया से सॉरी कहा कि भैया पंजाब से आने के बाद इधर-उधर के चक्कर में टाइम ही नहीं मिलता है, पर अबकी बार जरूर आऊंगा.
तब तक मेरी मां आईं और भैया से बातें करने लगीं.
मैं अपने काम से बाजार चला गया.
शाम को जब मैं मार्किट से वापस आया, तो मेरी मां ने मुझे बोला कि अगले सप्ताह पड़ोस वाले भैया की बहन की शादी है और तुमको उनके कामों में हाथ बंटाना है.
मैंने मां से कहा- ठीक है, मैं उनके घर चला जाऊंगा.
उस समय मुझे मुकेश भैया वाली भाभी की मस्त जवानी ही याद आ रही थी.
अगले दिन मैं उनके घर गया, तो पाया कि उनके घर तो बहुत सारी औरतें आयी हुई थीं.
मैं घर के अन्दर गया, तो भाभी मेरे करीब आकर पूछने लगीं- मैं आपको पहचान नहीं पाई, आप कौन है?
मैं बोला- मैं आपका पड़ोसी हूँ.
ये सुनकर उन्होंने कहा- अरे हां, मुझे आपके भैया ने आपके बारे में बताया था. आप पंजाब में से आए हैं न?
मैंने हामी भरी.
भाभी ने मुझे बैठने के लिए एक स्टूल दिया.
मैं बैठ गया.
भाभी बोलीं- आप बैठिये, आपके भैया अभी आते ही हैं. वो किसी काम से बाजार तक गए हैं.
थोड़ी देर बाद भैया भी आ गए, कहीं गए हुए थे. भैया बोले- अरे संजीव, तू कब आया?
मैंने बोला- बस भैया अभी अभी आया हूँ.
भैया ने भाभी को बुला कर कहा- अरे शशिकला, ये वही संजीव है, अपना पड़ोसी, जिसके बारे में मैंने तुम्हें बताया था.
भाभी ने मेरे पास आकर न पहचान पाने के फिर से एक बार सॉरी कहा.
तो मैंने कहा- कोई बात नहीं भाभी.
थोड़ी देर बाद भैया और मैं सामान खरीदने चले गए.
दोस्तो, जब से मैंने शशिकला भाभी को देखा था, तो मेरे मन में उसी समय से भाभी के संग चुदाई की वासना जाग उठी थी.
भाभी की चूचियां बहुत मस्त थीं.
कसी हुई साड़ी के ऊपर से इतनी अच्छी भरी हुई लग रही थीं, कि बस पूछो मत … मैं सोचने लगा कि ऊपर से इतनी गदर चूचियां हैं, तो बिना कपड़े के कितनी अच्छी लगती होंगी.
बस उस दिन जब घर आया तो मुझसे रुका ही न गया और मैं शशिकला भाभी की चूचियां याद करके दो बार मुठ मार चुका था.
अब मैं रोज ही सुबह से भैया के घर चला जाता था और भाभी की मस्त जवानी को अपनी आंखों से चोद कर मजा लेने लगा था.
उसके बाद धीरे धीरे शादी का दिन भी नजदीक आ रहा था.
शादी के दो दिन पहले भी मैं भाभी के घर में था.
मैं जानता था कि भैया मार्किट गए हैं, फिर भी मैं भाभी से बोला- भाभी, भैया कहां गए हैं?
उन्होंने हंस कर कहा- आपके भैया कुछ लेने मार्केट गए हैं. क्या बिना भैया के आपका मन नहीं लगता है. मैं भी तो आपकी भाभी हूँ … मुझे बताइए न कि आप कैसे हैं क्या चल रहा है … मुझसे बात कीजिए न!
मैंने उनकी तरफ देखते हुए कहा- ऐसी कोई बात नहीं है भाभी, मैं तो आपसे बात करने के लिए हमेशा ही रेडी हूँ, बस आपके मिजाज से जरा परिचित नहीं था इसलिए कम बोलता था.
भाभी ने कहा- हम्म … कोई बात नहीं अब तो बताओ कि आप कैसे हैं?
मैंने- मैं ठीक हूँ भाभी.
भाभी ने कहा- ओके आप बैठो, मैं आपके लिए कुछ खाने को लाती हूँ.
मैंने कहा- वैसे तो जरूरत नहीं है भाभी … मगर आप कहेंगी कि मेरे हाथ कुछ खाने शर्मा रहे हो, तो मैं मना नहीं करूंगा.
भाभी हंस दीं और मेरे लिए वो एक प्लेट में मिठाई ले आईं.
दोस्तो, मैं आपको इधर एक बात बता दूँ कि भैया की शादी को काफी समय हो गया था.
इधर मैंने पंजाब से तीन साल बाद आने के कारण उनकी पत्नी यानि शशिकला भाभी को अब तक नहीं देखा था.
भैया की शादी के तीन साल बाद भी उनको कोई बच्चा नहीं हुआ था.
मैं सोचने लगा कि क्या चक्कर है. भाभी को बच्चा क्यों नहीं हुआ.
खैर … उस दिन भाभी से मेरी काफी देर तक बातचीत हुई और मुझे उनका व्यवहार काफी पसंद आया. मैं उनसे एक ही दिन में मजाक करने लगा था.
फिर भैया की बहन की शादी वाले दिन मैं सुबह से लेकर पूरी रात उन्हीं के घर रहा था.
उस दौरान भाभी से कुछ ज्यादा ही हंसी-मजाक होने लगा था.
रात के समय शादी की पूरी विधि हो रही थी. घर के सभी लोग कुर्सी लगा कर बैठे थे और शादी देख रहे थे.
मैं भी वहीं बैठ कर देख मोबाइल चला रहा था.
तभी भाभी मेरे पास आईं और मेरा मोबाइल छीन कर मेरा मोबाइल चैक करने लगीं.
मैं उनसे अपना मोबाइल लेने की कोशिश करने लगा, मगर भाभी ने नहीं लेने दिया.
कुछ पल बाद भाभी मेरे बगल में आकर मेरे कान में धीरे से बोलीं- बी एफ है क्या मोबाइल में!
मैं तो उनकी बात सुनकर दंग रह गया और मुंडी नीचे किए हुए बोला- मैं ये सब नहीं रखता.
वो ‘हुंह … लो अपना सड़ा सा मोबाइल.’ कह कर मेरा मोबाइल मुझे देकर चली गईं.
कसम से दोस्तो, मैं उस दिन से भाभी को चोदने के लिए बेचैन था कि कब भाभी को चोद दूं.
शादी खत्म हुई और धीरे धीरे सारे रिश्तेदार अपने अपने घर चले गए.
चार दिन बाद मैं उनके घर गया और भैया भाभी से बातें करके वहां से अपने घर आने लगा.
भैया ने कहा- संजीव मैं मार्किट से मटन ले कर आता हूं, तुम थोड़ी देर रुको. फिर चले जाना.
मैं रुक गया.
थोड़ी देर भाभी से हंसी मजाक करने के बाद बातों ही बातों में मैंने भाभी से उनका नंबर मांग लिया.
आधा घंटे बाद भैया वापस आए और मुझसे बोले- तुमको रात को खाना मेरे घर पर खाना है.
मैंने कहा- ठीक है.
उस दिन मैं उनके घर खाना खाया, खाना खाते समय भाभी की चुचियों को खूब गौर से देख रहा था.
मुझे न जाने क्यों ऐसा लगा कि भाभी खुद ही मुझे अपनी चूचियां दिखाने का प्रयास कर रही थीं.
मैं उस दिन भैया के साथ डिनर करने लगा.
भैया ने व्हिस्की की बोतल खोली और दो गिलास बनाने लगे.
मैं कुछ नहीं बोला.
उस दिन मटन के साथ दारू का मजा लेते समय मुझे भाभी की चूचियाँ ही गर्म करती रहीं.
भैया ने जल्दी जल्दी पांच पैग लगा लिए और एकदम से टल्ली हो गए.
जबकि मैंने सिर्फ दो ही पैग लिए थे.
भाभी भैया को नशे में टल्ली देख कर मेरे पास आईं और बड़बड़ाने लगीं- बस इनको तो दारू के नशे में मजा आता है. पीने के बाद इनको मेरी तो जैसे कुछ चिंता ही नहीं रहती है.
मुझे भी हल्का सुरूर था. मैंने उनकी चूचियों को घूरते हुए कहा- क्या हुआ भाभी … भैया आपकी सेवा नहीं करते क्या?
भाभी ने मेरी आंखों में झांका और उदास स्वर में कहा- यही तो दिक्कत है.
मैंने उसी समय देखा कि उनका पल्लू नीचे गिर गया था और वो अपने पल्लू को ठीक करने के लिए कुछ भी जतन नहीं कर रही थीं.
मैं अपने लंड को सहलाते हुए उनके गहरे गले से झांकती चूचियों का मजा लेने लगा.
उस दिन भाभी ने मेरे पास यूं ही बैठ कर अपना पल्लू गिराए हुए ही कहा- आज मुझे भी पीने का मन है.
मैंने देखा कि भाभी ने मेरा गिलास उठाया और एक ही झटके में पूरा पी गईं.
मैं उनके इस रूप को देख कर मस्त हो गया.
कुछ ही देर में भाभी ने दो पैग खींचे और मटन की चाप उठाकर ऐसे चूसने लगीं कि जैसे लंड चूस रही हों.
मैंने पूछा- भाभी चूसने में मजा आ रहा है?
भाभी बोलीं- हां मुझे तो आदत है चूसने की.
मैंने कहा- फिर चूस कर क्या करती हो आप!
भाभी ने चाप को जोर से चूसा और बोलीं- जब चूसने वाली चीज में दम ही नहीं बचेगा, तो मैं क्या उखाड़ लूंगी.
हम दोनों लंड चुसाई की बात को दोअर्थी भाषा में कर रहे थे. मेरा लंड खड़ा होने लगा था.
उधर भाभी की आंखों में नशा और वासना दोनों दिख रहे थे.
तभी भैया कुनमुनाए, तो भाभी उनको सहारा देकर कमरे में ले गईं और मैं उनके घर से चला आया.
दूसरे मेरे मन में अचानक शादी वाली रात कि बात याद आयी कि भाभी ने मुझसे बीएफ के लिए पूछा था.
मैंने उस पर गौर किया और कल भाभी का रूप याद करके मैं कड़ियां जोड़ने लगा तो मुझे भाभी की चुदाई करने की सम्भावना नजर आने लगी.
उसी समय भाभी को फ़ोन किया मैंने कि भाभी भैया कहां हैं?
भाभी ने कहा कि वे दुकान चले गए हैं.
जैसा कि मैंने आपको बताया था कि गांव से दूर उनकी स्टेशनरी की दुकान थी.
मैंने पूछा- अरे इसका मतलब तो वो शायद शाम तक ही वापस आएंगे?
भाभी बोलीं- हां.
मैंने कहा- तो फिर मुझे आपसे ही मिलना पड़ेगा.
भाभी बोलीं- हां हां आ जाओ. मुझे भी तुमसे बात करके अच्छा लगेगा.
मैं ये सुनकर बहुत खुश हुआ और अपने मोबाइल में सनी लियोनी की ढेर सारी ब्लू फिल्म डाउनलोड करके भाभी के घर आ गया.
मैंने देखा कि भाभी नाइटी में चूल्हे के पास खाना बना रही थीं. मैं भाभी के बगल में कुर्सी लगा कर बैठ गया.
भाभी बोलीं- क्या बात है आज बड़े खुश नजर आ रहे हो?
मैं भाभी से बोला- हां भाभी आपको कुछ दिखाने लाया था. क्या आप देखिएगा?
भाभी ने कहा- क्या!
मैंने एक ब्लू-फिल्म लगा कर भाभी के सामने मोबाइल कर दिया. भाभी बड़ी गौर से ब्लू-फिल्म में सनी लियोनी को लंड चूसते हुए देख रही थीं.
थोड़ी देर लंड चुसाई देखने के बाद भाभी की आंखों में वासना दिखने लगी.
उनकी हालत देख कर मेरे लंड ने भी विकराल रूप धारण कर लिया.
मुझसे रहा नहीं जा रहा था, तो मैं भाभी से बोला- भाभी एक बात बोलूं .. आप बुरा तो नहीं मानियेगा!
भाभी ने मेरे फूलते लंड की तरफ देखते हुए कहा कि क्या बोलिए ना.
मैंने पूछा- सनी की चुदाई कैसी लग रही है!
हॉट सेक्सी भाबी चुदासी सी बोलीं- अभी चुदाई किधर शुरू हुई है, अभी तो कुतिया लंड चूस रही है. बड़ी मस्त छिनाल है साली.
ये कह कर भाभी अपनी चुत पर हाथ फेरने लगीं.
मैंने डरते डरते धीरे से कहा- भाभी एक बार मैं भी आपके साथ चुदाई करना चाहता हूँ.
थोड़ी देर तक भाभी ने कुछ नहीं कहा, तो फिर मैंने हिम्मत करके फिर से वही बात कही.
भाभी ने कहा- नहीं, ये सब नहीं करना है .. किसी को मालूम चल जाएगा.
मैं समझ गया कि हॉट सेक्सी भाबी चुदने को राजी तो हैं, मगर कुछ नाटक कर रही हैं.
बहुत देर तक भाभी को मनाने के बाद भाभी मान गईं.
मैंने भाभी को अपनी ओर खींचा, तो वो बोलीं- इधर नहीं … कोई भी आ सकता है.
उनकी बात ठीक थी. गांव के माहौल में किसी को आने जाने से रोका नहीं जा सकता था.
भाभी के घर के बगल में एक उन्हीं का एक टूटा हुआ टपरा टाइप का कमरा था, जिसमें फ़ालतू सामान रखा रहता था.
उधर उनकी एक चारपाई भी पड़ी थी.
उन्होंने उसी टूटे हुए टपरे में मुझे जाकर इन्तजार करने के लिए बोला.
मैं झट से उसमें चला गया.
थोड़ी देर बाद भाभी हाथ में एक बाल्टी लेकर आ गईं. वो इधर उधर देख कर मेरे पास आ गईं.
जैसे ही भाभी आईं, तो मैंने उन्हें अपनी बांहों में भर लिया और भाभी की चूचियों को अपने हाथों से जोर जोर से दबाने लगा.
भाभी खुद भी गर्म थीं. उन्होंने मेरे पैन्ट के अन्दर हाथ डाल दिया और वो अपने हाथों से मेरे लंड को खूब जोर जोर से दबाने लगीं.
मेरा 6 इंच का लंड बिल्कुल टाइट हो गया.
मैं भाभी से बोला- भाभी, अब मुझसे रहा नहीं जाता है, पहले एक बार जल्दी से ले लूं … बाकी का खेल तसल्ली से करूंगा.
भाभी ने कहा- हां आज मुझे भी कुछ खुटका सा लग रहा है. आज तुम जल्दी से खड़े खड़े ही कर लो. वो भी बिना कपड़े उतारे हुए … क्योंकि न जाने मुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि आज तुम्हारे भैया जल्दी घर वापस आ जाएंगे.
मैंने कहा- ठीक है.
मैंने भाभी की नाइटी नीचे से ऊपर अपने हाथों से पकड़ कर एक हाथ से उनकी चड्डी थोड़ी सी नीचे कर दी. फिर अपनी पैंट की चैन खोली और अपना लंड निकाल कर भाभी की चूत पर सैट कर दिया.
भाभी की चूत एकदम चिकनी थी. मुझे कुछ लगा तो मैंने भाभी से पूछा- चूत की झांटें कब साफ़ की थीं, ऊपर से नीचे तक एकदम मखमल की तरह चिकनी लग रही है.
भाभी हंस दीं और बोलीं- चिकनी और खुरदुरी को छोड़ो … जल्दी से धकापेल कर दो.
मैंने भी भाभी की चूत पर अपना लंड सैट करने के बाद धीरे से धक्का दिया, तो भाभी की चूत में मेरे लंड का टोपा अन्दर चला गया.
मेरा लंड जैसे ही थोड़ा सा चुत के अन्दर गया तो भाभी की कराह निकल गई और उनकी आंखों से आंसू बहने लगे.
मगर भाभी ने अपने होंठ दबा कर लंड का मीता दर्द सहन कर लिया.
मैंने थोड़ा लंड बाहर खींच कर इस बार कुछ जोर से धक्का दे मारा.
मेरा आधा लंड भाभी की चूत में चला गया.
और भाभी दर्द से तड़फ उठीं. वो मुझे धक्का देकर हटाने लगीं.
मगर मैंने उनको कस कर पकड़ लिया और जोर जोर से उनकी बुर में अपना लंड अन्दर बाहर करने लगा.
भाभी को मैंने झुका दिया था इसलिए मेरा लंड मस्ती से भाभी की चुत में चलने लगा था. कसम से क्या मजा आ रहा था.
मेरे जोर जोर से धक्का मारते हुए ही भाभी एकदम से हांफने लगी थीं.
वो कह रही थीं कि आह … अब रहने दो संजीव … बाकी कल दिन में आराम से करेंगे. अभी मुझे बहुत दर्द हो रहा है प्लीज … अपना निकाल लो.
लेकिन मैं कहां मानने वाला था. मैंने तो चुदाई की स्पीड को और बढ़ा दिया.
अब हालत ये हो गई थी कि भाभी जितना मना करतीं कि छोड़ दो, उतना ही मैं अपना लंड और तेजी से अन्दर बाहर करने लगता.
ऐसे करते करते काफी देर हो गयी थी. भाभी अब तक झड़ चुकी थीं.
अब मेरे लंड का माल गिरने वाला था,
तो मैं भाभी से बोला- मेरा माल गिरने वाला है कहा निकालु ???????
भाभी ने कहा- पूरा अन्दर ही गिरा दो, यही तो मुझे चाहिए.
मैंने दो-तीन झटके तेज तेज मारे और भाभी की चुत के अन्दर ही झड़ गया.
उसके बाद भाभी सीधी हुईं और उनकी नाइटी नीचे को हो गई.
उन्होंने पैंटी को नाइटी के अन्दर डाल कर चुत पौंछी और मुझे उधर ही हांफता छोड़ कर अपने घर के अन्दर चली गईं.
कुछ देर बाद मैंने भी अपनी पैन्ट की चैन लगाई और अपने घर आ गया.
उसके बाद दूसरे दिन भाभी का फोन आया कि आज दोपहर को आ जाना.
मैंने कहा- ठीक है.
फिर उसके बाद मैं भाभी के घर गया, तो देखा भाभी कोई कपड़ा सिलाई कर रही थीं.
मैं अन्दर गया, तो भाभी ने मुझे देखा, तो बिना कुछ बोले तुरंत उठ कर बाहर की बढ़ गईं.
बाहर एक बार उन्होंने इधर उधर देखा और मेन दरवाजा बाहर से बंद करके पीछे से अन्दर आकर अपने रूम में चली गईं.
मैं भी पीछे से उनके कमरे में घुस गया और भाभी को पीछे से पकड़ लिया.
भाभी उस दिन लाल साड़ी पहने हुई थीं. बड़ी कयामत माल लग रही थीं.
मैंने भाभी को अपनी तरफ किया और उनको किस करने लगा.
भाभी भी मुझे किस कर रही थीं.
उसके बाद मैंने भाभी की साड़ी को खोल दिया और उनकी ठोड़ी पाकर कर उन्हें किस करने लगा.
आज भाभी के मुँह से मस्त आवाजें आने लगीं. फिर मैंने उनके ब्लाउज को भी खोल दिया और तब तक भाभी ने खुद अपने पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया.
उनका पेटीकोट नीचे गिर गया और ब्लाउज चूचियों पर झूल गया.
मैंने देखा कि भाभी ऊपर से तो नंगी थीं, पर नीचे चड्डी पहनी हुई थी.
केवल चड्डी में भाभी की मस्त जवानी को देख कर मुझसे रहा ही नहीं गया और मैंने भाभी की पैंटी में अपनी उंगलिया फंसा दीं.
भाभी ने मुझे चूमा और मैंने उनकी चड्डी नीचे कर दी.
तब तक भाभी ने खुद अपनी चूचियों पर लटका ब्लाउज भी हटा कर अलग कर दिया.
अब भाभी मेरे सामने पहली बार बिना किसी कपड़े के एकदम नंगी खड़ी थीं. मैं भाभी को नंगी देख कर पागल हो रहा था.
भाभी ने हंस कर कहा- क्या कभी नंगी लड़की नहीं देखी!
मैंने कहा- भाभी तुम एक शोला हो … तुम्हारे सामने तो जन्नत की हूर भी फेल है.
भाभी हंस पड़ीं और उसके बाद उन्होंने मेरे सारे कपड़े अपने हाथों से उतार दिए.
हम दोनों नंगे हो कर बेड पर लेट गए.
मैं भाभी को ऊपर से लेकर नीचे तक किस करने लगा और भाभी मछली की तरह छटपटाने लगीं.
जैसे ही मैं भाभी की चूत के पास गया, तो मेरा लंड पूरा टाइट हो चुका था और भाभी की चूत में घुस जाने के लिए बेचैन था.
मैंने भाभी की दोनों टांगों को अपने कंधे पर रख कर अपना लंड भाभी की चूत में आधा डाल दिया.
भाभी की चीख निकल गई.
और मैंने बिना रुके तेजी से दूसरा झटका मार दिया और अपना लंड अन्दर डाल दिया.
भाभी ने कहा- संजीव थोड़ा धीरे धीरे चोदो … बहुत दर्द हो रहा है.
मगर मैं अपनी मस्ती में भाभी की चुत चोदे जा रहा था.
थोड़ी देर बाद मैंने भाभी को उठा कर घुटने के बल आगे की तरफ झुका दिया और पीछे जाकर भाभी की गांड पर अपना लंड रगड़ने लगा.
भाभी ने कहा- मेरी हालत खराब हो गई है … तुम गांड के चक्कर में हो … प्लीज आगे के छेद से काम चला लो.
लेकिन मैं नहीं माना. मैंने कहा कि भाभी कल का किसने देखा आज मौक़ा है भाभी, गांड भी खुलवा ही लो. भैया के बस का कुछ नहीं है. यदि होता तो अब तक एकाध पैदा कर देते.
ये कहते हुए मैंने अपना लंड भाभी की गांड में डाल दिया.
लेकिन उनकी गांड बहुत टाइट थी … तो मेरा लंड आधा ही अन्दर गया था.
उधर भाभी जोर जोर से चिल्लाने लगीं- आह मार दिया हरामी … साले निकाल ले … मुझे नहीं खुलवानी.
मैं भाभी से बोला- भाभी चुप रहो, कोई आवाज सुन लेगा … तो दिक्कत हम दोनों को होगी.
मेरी इस बात से भाभी एकदम से शान्त हो गईं और मैं तेजी से भाभी की गांड मारने लगा.
कुछ ही ठोकरों में भाभी का दर्द जाता रहा और वो हूँ हूँ करके लंड लेने लगी.
मुझे भी मजा आने लगा था, तो मैं भाभी की गांड मारते वक्त उनकी दोनों चूचियों को खूब मसल रहा था.
दस मिनट भाभी की गांड मारने के बाद मैंने भाभी को फिर से सीधा लिटा दिया और न्यूड भाभी की दोनों टांगों को उनके सर तक कर दिया.
इस समय भाभी की लपलप करती हुई चुत बड़ी मस्त लग रही थी.
मैंने अगले ही पल अपना लंड भाभी की चुत में पेल दिया और खूब तेजी से उनको चोदने लगा.
चुत में लंड लेने से भाभी को भी राहत मिल गई और वो भी मस्ती भरी आवाजें लेने लगीं.
काफी देर तक चुत चोदने पर मुझे लगा कि अब मेरा माल गिरने वाला है, तो मैंने भाभी से बोला- मेरा माल गिरने वाला है … जल्दी बोलो क्या करूँ?
भाभी ने धीरे से कहा- साले तुझसे किस लिए चुद रही हूँ तुझे मालूम नहीं है क्या … तुम पूरा वीर्य अन्दर ही टपका दो.
मैं उनकी बात सुनकर आश्वस्त हुआ और कुछ तेज झटके मारने के बाद मैं भाभी की चुत के अन्दर ही रस टपका कर उनके ऊपर ही लेट गया.
भाभी भी पूरी तरह से निढाल हो गई थीं.
उनके मुँह से आवाज तक नहीं आ रही थी.
वो बस तेजी से सांसें लिए जा रही थीं.
कुछ मिनट बाद हम दोनों सीधे लेट गए और चिपक कर नंगे ही सो गए.
हम दोनों 2 बजे तक सोते रहे.
शाम को हम दोनों उठे और साथ में नहाने चले गए.
नहाते हुए वहां भी मैंने भाभी की चुदाई की और फिर से कमरे में आ गए.
मैंने बड़े प्रेम से तौलिये से न्यूड भाभी का पूरा बदन पौंछा और भाभी ने मेरा बदन पौंछा.
बिना कपड़े पहने कुछ देर हम दोनों वैसे ही बैठे रहे.
मैं भाभी को किस करने लगा और भाभी ने मेरा लंड को अपने हाथों से हिलाने लगीं.
इससे मेरा लंड चोदने के लिए फिर से तैयार हो गया.
मैंने भाभी को देखा तो उन्होंने आंख दबा कर रजामंदी दे दी. मैंने भाभी को पलंग के सहारे झुका कर घोड़ी बना दिया और पीछे से भाभी की चूत में अपना लंड डाल कर उन्हें चोदने लगा.
अब तक बार बार चुदाई होने से हम दोनों का स्खलन मानो थम सा गया था.
काफी देर तक भाभी की चुत चोदने के बाद मैंने उनकी चूत में ही माल गिरा दिया और पलंग पर बैठ गया.
भाभी भी मेरे बगल में बैठ गईं.
दस मिनट आराम करने के बाद भाभी उठीं और नंगी ही रसोई में चली गईं.
वो चाय बनाने लगीं, तो मैं भी किचन में आ गया और फिर से न्यूड भाभी को पीछे से पकड़ लिया.
भाभी बोलीं- क्या बात है बड़ी जल्दी रेडी हो जाते हो? अब क्या मेरी जान लेकर ही मानोगे.
मैंने हंस कर धीरे से भाभी को बिना कुछ कहे उनकी गांड में अपना लंड डाल दिया.
भाभी आह करके बोलने लगीं- अरे रहने दो … चाय गिर जाएगी.
मैंने बिना हिल-डुल किए वैसे ही भाभी की गांड में अपना लंड फंसा दिया और भाभी को कसके अपने हाथों से पकड़े रहा.
भाभी बोलीं- चलो चाय बन गई.
मैंने उनकी गांड में से अपना लंड बाहर निकाला और हम दोनों पलंग पर बैठ कर चाय पीने लगे.
उसके बाद भाभी और मैंने कपड़े पहन लिए क्योंकि शाम काफी गहरा गई थी और भैया का आने का समय हो गया था.
भाभी बोलीं- तुम्हारे भैया के आने का समय हो गया है.
मैंने उनकी बात समझते हुए उनको एक किस किया और अपने घर आ गया.
उस दिन से आज तक जब भी मैं पंजाब से आता हूं तो भाभी और मेरे बीच चुदाई होती रहती है. मेरी चुदाई से भाभी को एक लड़का भी पैदा हो गया था.
समाप्त
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दोस्तो, मेरा नाम संजीव शाह है और मैं बिहार के सारण जिला का रहने वाला हूँ.
मेरी हाईट 5 फुट 8 इंच है और उम्र 26 साल की है. लड़कियों को बता दूं कि मेरे लंड का साईज 6 इंच है.
यह मेरे पहले अनुभव पर आधारित एक सेक्स कहानी है और ये आज से एक साल पहले की हॉट सेक्सी भाबी की चुदाई कहानी है.
यह सेक्स कहानी मेरे बगल की भाभी की चुदाई को लेकर है.
इसमें मैंने लिखा है कि कैसे मैंने भाभी को मोबाईल में ब्लू फिल्म दिखा कर उन्हें चुदाई के लिए राजी किया था.
ये उन दिनों की बात है, जब मैं तीन साल के बाद पंजाब से अपने घर आया था.
मैं घर आने पर सबसे पहले अपने नानी और नाना जी से मिलने जाया करता हूं.
मैं नानी और नाना जी से मिलने के बाद मैं अपने कामों में व्यस्त था.
उस दिन मैं अपने पड़ोसी के घर के बगल से गुजर रहा था, तो मेरी नजर एक औरत पर पड़ी.
मैं उसे देख कर दंग रह गया वो बड़ी ही मस्त औरत थी.
मुझे नहीं मालूम था कि वो कौन है, इससे पहले मैंने उसे कभी नहीं देखा था.
मैं अपने घर वापस आ गया.
दो दिन बाद मुकेश भैया मेरे घर आए. मुकेश भैया वही हैं, जिनके घर में मैंने वो मस्त आईटम देखा था.
मैंने भैया से पूछा कि आपके घर में वो महिला कौन हैं?
भैया ने हंसते हुए बताया- अरे संजीव, वो तुम्हारी भाभी हैं.
मैं चौंक गया.
फिर भैया बोले- तुम तो कभी मेरे घर आते ही नहीं हो, तो तुम्हें कैसे पता चलेगा कि मेरे घर में कौन कौन है. अरे भाई … कभी कभी टाइम निकाल कर मेरे घर भी आया करो.
मैंने भैया से सॉरी कहा कि भैया पंजाब से आने के बाद इधर-उधर के चक्कर में टाइम ही नहीं मिलता है, पर अबकी बार जरूर आऊंगा.
तब तक मेरी मां आईं और भैया से बातें करने लगीं.
मैं अपने काम से बाजार चला गया.
शाम को जब मैं मार्किट से वापस आया, तो मेरी मां ने मुझे बोला कि अगले सप्ताह पड़ोस वाले भैया की बहन की शादी है और तुमको उनके कामों में हाथ बंटाना है.
मैंने मां से कहा- ठीक है, मैं उनके घर चला जाऊंगा.
उस समय मुझे मुकेश भैया वाली भाभी की मस्त जवानी ही याद आ रही थी.
अगले दिन मैं उनके घर गया, तो पाया कि उनके घर तो बहुत सारी औरतें आयी हुई थीं.
मैं घर के अन्दर गया, तो भाभी मेरे करीब आकर पूछने लगीं- मैं आपको पहचान नहीं पाई, आप कौन है?
मैं बोला- मैं आपका पड़ोसी हूँ.
ये सुनकर उन्होंने कहा- अरे हां, मुझे आपके भैया ने आपके बारे में बताया था. आप पंजाब में से आए हैं न?
मैंने हामी भरी.
भाभी ने मुझे बैठने के लिए एक स्टूल दिया.
मैं बैठ गया.
भाभी बोलीं- आप बैठिये, आपके भैया अभी आते ही हैं. वो किसी काम से बाजार तक गए हैं.
थोड़ी देर बाद भैया भी आ गए, कहीं गए हुए थे. भैया बोले- अरे संजीव, तू कब आया?
मैंने बोला- बस भैया अभी अभी आया हूँ.
भैया ने भाभी को बुला कर कहा- अरे शशिकला, ये वही संजीव है, अपना पड़ोसी, जिसके बारे में मैंने तुम्हें बताया था.
भाभी ने मेरे पास आकर न पहचान पाने के फिर से एक बार सॉरी कहा.
तो मैंने कहा- कोई बात नहीं भाभी.
थोड़ी देर बाद भैया और मैं सामान खरीदने चले गए.
दोस्तो, जब से मैंने शशिकला भाभी को देखा था, तो मेरे मन में उसी समय से भाभी के संग चुदाई की वासना जाग उठी थी.
भाभी की चूचियां बहुत मस्त थीं.
कसी हुई साड़ी के ऊपर से इतनी अच्छी भरी हुई लग रही थीं, कि बस पूछो मत … मैं सोचने लगा कि ऊपर से इतनी गदर चूचियां हैं, तो बिना कपड़े के कितनी अच्छी लगती होंगी.
बस उस दिन जब घर आया तो मुझसे रुका ही न गया और मैं शशिकला भाभी की चूचियां याद करके दो बार मुठ मार चुका था.
अब मैं रोज ही सुबह से भैया के घर चला जाता था और भाभी की मस्त जवानी को अपनी आंखों से चोद कर मजा लेने लगा था.
उसके बाद धीरे धीरे शादी का दिन भी नजदीक आ रहा था.
शादी के दो दिन पहले भी मैं भाभी के घर में था.
मैं जानता था कि भैया मार्किट गए हैं, फिर भी मैं भाभी से बोला- भाभी, भैया कहां गए हैं?
उन्होंने हंस कर कहा- आपके भैया कुछ लेने मार्केट गए हैं. क्या बिना भैया के आपका मन नहीं लगता है. मैं भी तो आपकी भाभी हूँ … मुझे बताइए न कि आप कैसे हैं क्या चल रहा है … मुझसे बात कीजिए न!
मैंने उनकी तरफ देखते हुए कहा- ऐसी कोई बात नहीं है भाभी, मैं तो आपसे बात करने के लिए हमेशा ही रेडी हूँ, बस आपके मिजाज से जरा परिचित नहीं था इसलिए कम बोलता था.
भाभी ने कहा- हम्म … कोई बात नहीं अब तो बताओ कि आप कैसे हैं?
मैंने- मैं ठीक हूँ भाभी.
भाभी ने कहा- ओके आप बैठो, मैं आपके लिए कुछ खाने को लाती हूँ.
मैंने कहा- वैसे तो जरूरत नहीं है भाभी … मगर आप कहेंगी कि मेरे हाथ कुछ खाने शर्मा रहे हो, तो मैं मना नहीं करूंगा.
भाभी हंस दीं और मेरे लिए वो एक प्लेट में मिठाई ले आईं.
दोस्तो, मैं आपको इधर एक बात बता दूँ कि भैया की शादी को काफी समय हो गया था.
इधर मैंने पंजाब से तीन साल बाद आने के कारण उनकी पत्नी यानि शशिकला भाभी को अब तक नहीं देखा था.
भैया की शादी के तीन साल बाद भी उनको कोई बच्चा नहीं हुआ था.
मैं सोचने लगा कि क्या चक्कर है. भाभी को बच्चा क्यों नहीं हुआ.
खैर … उस दिन भाभी से मेरी काफी देर तक बातचीत हुई और मुझे उनका व्यवहार काफी पसंद आया. मैं उनसे एक ही दिन में मजाक करने लगा था.
फिर भैया की बहन की शादी वाले दिन मैं सुबह से लेकर पूरी रात उन्हीं के घर रहा था.
उस दौरान भाभी से कुछ ज्यादा ही हंसी-मजाक होने लगा था.
रात के समय शादी की पूरी विधि हो रही थी. घर के सभी लोग कुर्सी लगा कर बैठे थे और शादी देख रहे थे.
मैं भी वहीं बैठ कर देख मोबाइल चला रहा था.
तभी भाभी मेरे पास आईं और मेरा मोबाइल छीन कर मेरा मोबाइल चैक करने लगीं.
मैं उनसे अपना मोबाइल लेने की कोशिश करने लगा, मगर भाभी ने नहीं लेने दिया.
कुछ पल बाद भाभी मेरे बगल में आकर मेरे कान में धीरे से बोलीं- बी एफ है क्या मोबाइल में!
मैं तो उनकी बात सुनकर दंग रह गया और मुंडी नीचे किए हुए बोला- मैं ये सब नहीं रखता.
वो ‘हुंह … लो अपना सड़ा सा मोबाइल.’ कह कर मेरा मोबाइल मुझे देकर चली गईं.
कसम से दोस्तो, मैं उस दिन से भाभी को चोदने के लिए बेचैन था कि कब भाभी को चोद दूं.
शादी खत्म हुई और धीरे धीरे सारे रिश्तेदार अपने अपने घर चले गए.
चार दिन बाद मैं उनके घर गया और भैया भाभी से बातें करके वहां से अपने घर आने लगा.
भैया ने कहा- संजीव मैं मार्किट से मटन ले कर आता हूं, तुम थोड़ी देर रुको. फिर चले जाना.
मैं रुक गया.
थोड़ी देर भाभी से हंसी मजाक करने के बाद बातों ही बातों में मैंने भाभी से उनका नंबर मांग लिया.
आधा घंटे बाद भैया वापस आए और मुझसे बोले- तुमको रात को खाना मेरे घर पर खाना है.
मैंने कहा- ठीक है.
उस दिन मैं उनके घर खाना खाया, खाना खाते समय भाभी की चुचियों को खूब गौर से देख रहा था.
मुझे न जाने क्यों ऐसा लगा कि भाभी खुद ही मुझे अपनी चूचियां दिखाने का प्रयास कर रही थीं.
मैं उस दिन भैया के साथ डिनर करने लगा.
भैया ने व्हिस्की की बोतल खोली और दो गिलास बनाने लगे.
मैं कुछ नहीं बोला.
उस दिन मटन के साथ दारू का मजा लेते समय मुझे भाभी की चूचियाँ ही गर्म करती रहीं.
भैया ने जल्दी जल्दी पांच पैग लगा लिए और एकदम से टल्ली हो गए.
जबकि मैंने सिर्फ दो ही पैग लिए थे.
भाभी भैया को नशे में टल्ली देख कर मेरे पास आईं और बड़बड़ाने लगीं- बस इनको तो दारू के नशे में मजा आता है. पीने के बाद इनको मेरी तो जैसे कुछ चिंता ही नहीं रहती है.
मुझे भी हल्का सुरूर था. मैंने उनकी चूचियों को घूरते हुए कहा- क्या हुआ भाभी … भैया आपकी सेवा नहीं करते क्या?
भाभी ने मेरी आंखों में झांका और उदास स्वर में कहा- यही तो दिक्कत है.
मैंने उसी समय देखा कि उनका पल्लू नीचे गिर गया था और वो अपने पल्लू को ठीक करने के लिए कुछ भी जतन नहीं कर रही थीं.
मैं अपने लंड को सहलाते हुए उनके गहरे गले से झांकती चूचियों का मजा लेने लगा.
उस दिन भाभी ने मेरे पास यूं ही बैठ कर अपना पल्लू गिराए हुए ही कहा- आज मुझे भी पीने का मन है.
मैंने देखा कि भाभी ने मेरा गिलास उठाया और एक ही झटके में पूरा पी गईं.
मैं उनके इस रूप को देख कर मस्त हो गया.
कुछ ही देर में भाभी ने दो पैग खींचे और मटन की चाप उठाकर ऐसे चूसने लगीं कि जैसे लंड चूस रही हों.
मैंने पूछा- भाभी चूसने में मजा आ रहा है?
भाभी बोलीं- हां मुझे तो आदत है चूसने की.
मैंने कहा- फिर चूस कर क्या करती हो आप!
भाभी ने चाप को जोर से चूसा और बोलीं- जब चूसने वाली चीज में दम ही नहीं बचेगा, तो मैं क्या उखाड़ लूंगी.
हम दोनों लंड चुसाई की बात को दोअर्थी भाषा में कर रहे थे. मेरा लंड खड़ा होने लगा था.
उधर भाभी की आंखों में नशा और वासना दोनों दिख रहे थे.
तभी भैया कुनमुनाए, तो भाभी उनको सहारा देकर कमरे में ले गईं और मैं उनके घर से चला आया.
दूसरे मेरे मन में अचानक शादी वाली रात कि बात याद आयी कि भाभी ने मुझसे बीएफ के लिए पूछा था.
मैंने उस पर गौर किया और कल भाभी का रूप याद करके मैं कड़ियां जोड़ने लगा तो मुझे भाभी की चुदाई करने की सम्भावना नजर आने लगी.
उसी समय भाभी को फ़ोन किया मैंने कि भाभी भैया कहां हैं?
भाभी ने कहा कि वे दुकान चले गए हैं.
जैसा कि मैंने आपको बताया था कि गांव से दूर उनकी स्टेशनरी की दुकान थी.
मैंने पूछा- अरे इसका मतलब तो वो शायद शाम तक ही वापस आएंगे?
भाभी बोलीं- हां.
मैंने कहा- तो फिर मुझे आपसे ही मिलना पड़ेगा.
भाभी बोलीं- हां हां आ जाओ. मुझे भी तुमसे बात करके अच्छा लगेगा.
मैं ये सुनकर बहुत खुश हुआ और अपने मोबाइल में सनी लियोनी की ढेर सारी ब्लू फिल्म डाउनलोड करके भाभी के घर आ गया.
मैंने देखा कि भाभी नाइटी में चूल्हे के पास खाना बना रही थीं. मैं भाभी के बगल में कुर्सी लगा कर बैठ गया.
भाभी बोलीं- क्या बात है आज बड़े खुश नजर आ रहे हो?
मैं भाभी से बोला- हां भाभी आपको कुछ दिखाने लाया था. क्या आप देखिएगा?
भाभी ने कहा- क्या!
मैंने एक ब्लू-फिल्म लगा कर भाभी के सामने मोबाइल कर दिया. भाभी बड़ी गौर से ब्लू-फिल्म में सनी लियोनी को लंड चूसते हुए देख रही थीं.
थोड़ी देर लंड चुसाई देखने के बाद भाभी की आंखों में वासना दिखने लगी.
उनकी हालत देख कर मेरे लंड ने भी विकराल रूप धारण कर लिया.
मुझसे रहा नहीं जा रहा था, तो मैं भाभी से बोला- भाभी एक बात बोलूं .. आप बुरा तो नहीं मानियेगा!
भाभी ने मेरे फूलते लंड की तरफ देखते हुए कहा कि क्या बोलिए ना.
मैंने पूछा- सनी की चुदाई कैसी लग रही है!
हॉट सेक्सी भाबी चुदासी सी बोलीं- अभी चुदाई किधर शुरू हुई है, अभी तो कुतिया लंड चूस रही है. बड़ी मस्त छिनाल है साली.
ये कह कर भाभी अपनी चुत पर हाथ फेरने लगीं.
मैंने डरते डरते धीरे से कहा- भाभी एक बार मैं भी आपके साथ चुदाई करना चाहता हूँ.
थोड़ी देर तक भाभी ने कुछ नहीं कहा, तो फिर मैंने हिम्मत करके फिर से वही बात कही.
भाभी ने कहा- नहीं, ये सब नहीं करना है .. किसी को मालूम चल जाएगा.
मैं समझ गया कि हॉट सेक्सी भाबी चुदने को राजी तो हैं, मगर कुछ नाटक कर रही हैं.
बहुत देर तक भाभी को मनाने के बाद भाभी मान गईं.
मैंने भाभी को अपनी ओर खींचा, तो वो बोलीं- इधर नहीं … कोई भी आ सकता है.
उनकी बात ठीक थी. गांव के माहौल में किसी को आने जाने से रोका नहीं जा सकता था.
भाभी के घर के बगल में एक उन्हीं का एक टूटा हुआ टपरा टाइप का कमरा था, जिसमें फ़ालतू सामान रखा रहता था.
उधर उनकी एक चारपाई भी पड़ी थी.
उन्होंने उसी टूटे हुए टपरे में मुझे जाकर इन्तजार करने के लिए बोला.
मैं झट से उसमें चला गया.
थोड़ी देर बाद भाभी हाथ में एक बाल्टी लेकर आ गईं. वो इधर उधर देख कर मेरे पास आ गईं.
जैसे ही भाभी आईं, तो मैंने उन्हें अपनी बांहों में भर लिया और भाभी की चूचियों को अपने हाथों से जोर जोर से दबाने लगा.
भाभी खुद भी गर्म थीं. उन्होंने मेरे पैन्ट के अन्दर हाथ डाल दिया और वो अपने हाथों से मेरे लंड को खूब जोर जोर से दबाने लगीं.
मेरा 6 इंच का लंड बिल्कुल टाइट हो गया.
मैं भाभी से बोला- भाभी, अब मुझसे रहा नहीं जाता है, पहले एक बार जल्दी से ले लूं … बाकी का खेल तसल्ली से करूंगा.
भाभी ने कहा- हां आज मुझे भी कुछ खुटका सा लग रहा है. आज तुम जल्दी से खड़े खड़े ही कर लो. वो भी बिना कपड़े उतारे हुए … क्योंकि न जाने मुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि आज तुम्हारे भैया जल्दी घर वापस आ जाएंगे.
मैंने कहा- ठीक है.
मैंने भाभी की नाइटी नीचे से ऊपर अपने हाथों से पकड़ कर एक हाथ से उनकी चड्डी थोड़ी सी नीचे कर दी. फिर अपनी पैंट की चैन खोली और अपना लंड निकाल कर भाभी की चूत पर सैट कर दिया.
भाभी की चूत एकदम चिकनी थी. मुझे कुछ लगा तो मैंने भाभी से पूछा- चूत की झांटें कब साफ़ की थीं, ऊपर से नीचे तक एकदम मखमल की तरह चिकनी लग रही है.
भाभी हंस दीं और बोलीं- चिकनी और खुरदुरी को छोड़ो … जल्दी से धकापेल कर दो.
मैंने भी भाभी की चूत पर अपना लंड सैट करने के बाद धीरे से धक्का दिया, तो भाभी की चूत में मेरे लंड का टोपा अन्दर चला गया.
मेरा लंड जैसे ही थोड़ा सा चुत के अन्दर गया तो भाभी की कराह निकल गई और उनकी आंखों से आंसू बहने लगे.
मगर भाभी ने अपने होंठ दबा कर लंड का मीता दर्द सहन कर लिया.
मैंने थोड़ा लंड बाहर खींच कर इस बार कुछ जोर से धक्का दे मारा.
मेरा आधा लंड भाभी की चूत में चला गया.
और भाभी दर्द से तड़फ उठीं. वो मुझे धक्का देकर हटाने लगीं.
मगर मैंने उनको कस कर पकड़ लिया और जोर जोर से उनकी बुर में अपना लंड अन्दर बाहर करने लगा.
भाभी को मैंने झुका दिया था इसलिए मेरा लंड मस्ती से भाभी की चुत में चलने लगा था. कसम से क्या मजा आ रहा था.
मेरे जोर जोर से धक्का मारते हुए ही भाभी एकदम से हांफने लगी थीं.
वो कह रही थीं कि आह … अब रहने दो संजीव … बाकी कल दिन में आराम से करेंगे. अभी मुझे बहुत दर्द हो रहा है प्लीज … अपना निकाल लो.
लेकिन मैं कहां मानने वाला था. मैंने तो चुदाई की स्पीड को और बढ़ा दिया.
अब हालत ये हो गई थी कि भाभी जितना मना करतीं कि छोड़ दो, उतना ही मैं अपना लंड और तेजी से अन्दर बाहर करने लगता.
ऐसे करते करते काफी देर हो गयी थी. भाभी अब तक झड़ चुकी थीं.
अब मेरे लंड का माल गिरने वाला था,
तो मैं भाभी से बोला- मेरा माल गिरने वाला है कहा निकालु ???????
भाभी ने कहा- पूरा अन्दर ही गिरा दो, यही तो मुझे चाहिए.
मैंने दो-तीन झटके तेज तेज मारे और भाभी की चुत के अन्दर ही झड़ गया.
उसके बाद भाभी सीधी हुईं और उनकी नाइटी नीचे को हो गई.
उन्होंने पैंटी को नाइटी के अन्दर डाल कर चुत पौंछी और मुझे उधर ही हांफता छोड़ कर अपने घर के अन्दर चली गईं.
कुछ देर बाद मैंने भी अपनी पैन्ट की चैन लगाई और अपने घर आ गया.
उसके बाद दूसरे दिन भाभी का फोन आया कि आज दोपहर को आ जाना.
मैंने कहा- ठीक है.
फिर उसके बाद मैं भाभी के घर गया, तो देखा भाभी कोई कपड़ा सिलाई कर रही थीं.
मैं अन्दर गया, तो भाभी ने मुझे देखा, तो बिना कुछ बोले तुरंत उठ कर बाहर की बढ़ गईं.
बाहर एक बार उन्होंने इधर उधर देखा और मेन दरवाजा बाहर से बंद करके पीछे से अन्दर आकर अपने रूम में चली गईं.
मैं भी पीछे से उनके कमरे में घुस गया और भाभी को पीछे से पकड़ लिया.
भाभी उस दिन लाल साड़ी पहने हुई थीं. बड़ी कयामत माल लग रही थीं.
मैंने भाभी को अपनी तरफ किया और उनको किस करने लगा.
भाभी भी मुझे किस कर रही थीं.
उसके बाद मैंने भाभी की साड़ी को खोल दिया और उनकी ठोड़ी पाकर कर उन्हें किस करने लगा.
आज भाभी के मुँह से मस्त आवाजें आने लगीं. फिर मैंने उनके ब्लाउज को भी खोल दिया और तब तक भाभी ने खुद अपने पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया.
उनका पेटीकोट नीचे गिर गया और ब्लाउज चूचियों पर झूल गया.
मैंने देखा कि भाभी ऊपर से तो नंगी थीं, पर नीचे चड्डी पहनी हुई थी.
केवल चड्डी में भाभी की मस्त जवानी को देख कर मुझसे रहा ही नहीं गया और मैंने भाभी की पैंटी में अपनी उंगलिया फंसा दीं.
भाभी ने मुझे चूमा और मैंने उनकी चड्डी नीचे कर दी.
तब तक भाभी ने खुद अपनी चूचियों पर लटका ब्लाउज भी हटा कर अलग कर दिया.
अब भाभी मेरे सामने पहली बार बिना किसी कपड़े के एकदम नंगी खड़ी थीं. मैं भाभी को नंगी देख कर पागल हो रहा था.
भाभी ने हंस कर कहा- क्या कभी नंगी लड़की नहीं देखी!
मैंने कहा- भाभी तुम एक शोला हो … तुम्हारे सामने तो जन्नत की हूर भी फेल है.
भाभी हंस पड़ीं और उसके बाद उन्होंने मेरे सारे कपड़े अपने हाथों से उतार दिए.
हम दोनों नंगे हो कर बेड पर लेट गए.
मैं भाभी को ऊपर से लेकर नीचे तक किस करने लगा और भाभी मछली की तरह छटपटाने लगीं.
जैसे ही मैं भाभी की चूत के पास गया, तो मेरा लंड पूरा टाइट हो चुका था और भाभी की चूत में घुस जाने के लिए बेचैन था.
मैंने भाभी की दोनों टांगों को अपने कंधे पर रख कर अपना लंड भाभी की चूत में आधा डाल दिया.
भाभी की चीख निकल गई.
और मैंने बिना रुके तेजी से दूसरा झटका मार दिया और अपना लंड अन्दर डाल दिया.
भाभी ने कहा- संजीव थोड़ा धीरे धीरे चोदो … बहुत दर्द हो रहा है.
मगर मैं अपनी मस्ती में भाभी की चुत चोदे जा रहा था.
थोड़ी देर बाद मैंने भाभी को उठा कर घुटने के बल आगे की तरफ झुका दिया और पीछे जाकर भाभी की गांड पर अपना लंड रगड़ने लगा.
भाभी ने कहा- मेरी हालत खराब हो गई है … तुम गांड के चक्कर में हो … प्लीज आगे के छेद से काम चला लो.
लेकिन मैं नहीं माना. मैंने कहा कि भाभी कल का किसने देखा आज मौक़ा है भाभी, गांड भी खुलवा ही लो. भैया के बस का कुछ नहीं है. यदि होता तो अब तक एकाध पैदा कर देते.
ये कहते हुए मैंने अपना लंड भाभी की गांड में डाल दिया.
लेकिन उनकी गांड बहुत टाइट थी … तो मेरा लंड आधा ही अन्दर गया था.
उधर भाभी जोर जोर से चिल्लाने लगीं- आह मार दिया हरामी … साले निकाल ले … मुझे नहीं खुलवानी.
मैं भाभी से बोला- भाभी चुप रहो, कोई आवाज सुन लेगा … तो दिक्कत हम दोनों को होगी.
मेरी इस बात से भाभी एकदम से शान्त हो गईं और मैं तेजी से भाभी की गांड मारने लगा.
कुछ ही ठोकरों में भाभी का दर्द जाता रहा और वो हूँ हूँ करके लंड लेने लगी.
मुझे भी मजा आने लगा था, तो मैं भाभी की गांड मारते वक्त उनकी दोनों चूचियों को खूब मसल रहा था.
दस मिनट भाभी की गांड मारने के बाद मैंने भाभी को फिर से सीधा लिटा दिया और न्यूड भाभी की दोनों टांगों को उनके सर तक कर दिया.
इस समय भाभी की लपलप करती हुई चुत बड़ी मस्त लग रही थी.
मैंने अगले ही पल अपना लंड भाभी की चुत में पेल दिया और खूब तेजी से उनको चोदने लगा.
चुत में लंड लेने से भाभी को भी राहत मिल गई और वो भी मस्ती भरी आवाजें लेने लगीं.
काफी देर तक चुत चोदने पर मुझे लगा कि अब मेरा माल गिरने वाला है, तो मैंने भाभी से बोला- मेरा माल गिरने वाला है … जल्दी बोलो क्या करूँ?
भाभी ने धीरे से कहा- साले तुझसे किस लिए चुद रही हूँ तुझे मालूम नहीं है क्या … तुम पूरा वीर्य अन्दर ही टपका दो.
मैं उनकी बात सुनकर आश्वस्त हुआ और कुछ तेज झटके मारने के बाद मैं भाभी की चुत के अन्दर ही रस टपका कर उनके ऊपर ही लेट गया.
भाभी भी पूरी तरह से निढाल हो गई थीं.
उनके मुँह से आवाज तक नहीं आ रही थी.
वो बस तेजी से सांसें लिए जा रही थीं.
कुछ मिनट बाद हम दोनों सीधे लेट गए और चिपक कर नंगे ही सो गए.
हम दोनों 2 बजे तक सोते रहे.
शाम को हम दोनों उठे और साथ में नहाने चले गए.
नहाते हुए वहां भी मैंने भाभी की चुदाई की और फिर से कमरे में आ गए.
मैंने बड़े प्रेम से तौलिये से न्यूड भाभी का पूरा बदन पौंछा और भाभी ने मेरा बदन पौंछा.
बिना कपड़े पहने कुछ देर हम दोनों वैसे ही बैठे रहे.
मैं भाभी को किस करने लगा और भाभी ने मेरा लंड को अपने हाथों से हिलाने लगीं.
इससे मेरा लंड चोदने के लिए फिर से तैयार हो गया.
मैंने भाभी को देखा तो उन्होंने आंख दबा कर रजामंदी दे दी. मैंने भाभी को पलंग के सहारे झुका कर घोड़ी बना दिया और पीछे से भाभी की चूत में अपना लंड डाल कर उन्हें चोदने लगा.
अब तक बार बार चुदाई होने से हम दोनों का स्खलन मानो थम सा गया था.
काफी देर तक भाभी की चुत चोदने के बाद मैंने उनकी चूत में ही माल गिरा दिया और पलंग पर बैठ गया.
भाभी भी मेरे बगल में बैठ गईं.
दस मिनट आराम करने के बाद भाभी उठीं और नंगी ही रसोई में चली गईं.
वो चाय बनाने लगीं, तो मैं भी किचन में आ गया और फिर से न्यूड भाभी को पीछे से पकड़ लिया.
भाभी बोलीं- क्या बात है बड़ी जल्दी रेडी हो जाते हो? अब क्या मेरी जान लेकर ही मानोगे.
मैंने हंस कर धीरे से भाभी को बिना कुछ कहे उनकी गांड में अपना लंड डाल दिया.
भाभी आह करके बोलने लगीं- अरे रहने दो … चाय गिर जाएगी.
मैंने बिना हिल-डुल किए वैसे ही भाभी की गांड में अपना लंड फंसा दिया और भाभी को कसके अपने हाथों से पकड़े रहा.
भाभी बोलीं- चलो चाय बन गई.
मैंने उनकी गांड में से अपना लंड बाहर निकाला और हम दोनों पलंग पर बैठ कर चाय पीने लगे.
उसके बाद भाभी और मैंने कपड़े पहन लिए क्योंकि शाम काफी गहरा गई थी और भैया का आने का समय हो गया था.
भाभी बोलीं- तुम्हारे भैया के आने का समय हो गया है.
मैंने उनकी बात समझते हुए उनको एक किस किया और अपने घर आ गया.
उस दिन से आज तक जब भी मैं पंजाब से आता हूं तो भाभी और मेरे बीच चुदाई होती रहती है. मेरी चुदाई से भाभी को एक लड़का भी पैदा हो गया था.
समाप्त
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