20-01-2021, 12:00 AM
दोस्त की बीवी की चुदाई की कहानी-
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हैलो, सभी प्यारे लंडधारी और चुत गांड का छेद खोले हुए लड़कियां, भाभियां और आंटियां आपको लंड उठाकर मेरा नमस्कार.
मेरी प्यासी भाभी सेक्सी कहानी थोड़ी लम्बी है लेकिन मुझे उम्मीद है कि आपको इतना अधिक मजा आएगा कि आप दो बार झड़ जाएंगे या जाएंगी.
मैं अन्तर्वासना जैसी विश्वप्रसिद्ध हिंदी सेक्स कहानी की साईट का पिछले पांच वर्ष से फैन हूँ.
मेरा नाम अनुज जोशी है और मैं गुजरात का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र अभी छब्बीस साल की है.
चूंकि ऊपरवाले ने इतना सेक्सी ढांचा दिया है कि कोई भी लड़की या भाभी मुझे एक बार देख कर तृप्त ही नहीं हो पाती है. उसे मुझे दुबारा देखना ही पड़ता है.
यह बात मैं फैंक नहीं रहा हूँ, बल्कि मैंने खुद भी इस बात को कई बार परखा है.
मेरा लंड भी ख़ासा स्मार्ट है. लम्बा मोटा और मजबूत टिकाऊ टाइप का लंड है, जिसकी चुत में घुस गया, तो समझो एक ही चुदाई में उसका दो-तीन बार पानी निकाले बिना बाहर नहीं निकलता है.
मैंने अपने लंड की इसी टिकाऊ ताकत के दम पर अब तक बाईस छेद चोद लिए हैं. इनमें कई को तो मैं अभी भी चोद रहा हूँ.
जिनको मैंने अब तक चोदा है उनमें शादीशुदा महिलाएं, कमसिन लौंडियाएं भांति भांति की मारवाड़ी आंटियां, ,., चच्चियां और मस्त भाभियों को बड़ी ही बेदर्दी से चोदा है.
उनकी चुत चुसाई की है, उनके दूध चूसे हैं और उनसे अपना लंड चुसवाया है.
मैं आज यहां अपनी पहली सेक्स कहानी लिख रहा हूँ, मुझे उम्मीद है कि आपको पसंद आएगी.
मेरा एक दोस्त है उसका नाम सोहेल है. सोहेल मेरा बचपन का दोस्त है और उसके साथ मेरे खूब बनती रही थी.
बदनसीबी से सोहेल एक गरीब परिवार से था. उसके अब्बू यूपी से गुजरात आए थे, जिस कारण उसके सारे रिश्तेदार यूपी में ही हैं.
सोहेल की अम्मी की तबियत ठीक नहीं रहती थी और वो घर के कामकाज में खुद को बड़ी मजबूर महसूस करने लगी थीं.
इसी सबके चलते सोहेल की शादी हो गई.
उसकी बीवी का नाम शबाना था और वो काफी सेक्सी थी.
शबाना की उम्र चौबीस साल की थी. उसकी खूबसूरत जवानी को मैं चाहे जितने मादक अंदाज में लिखना भी चाहूँ, तब भी शायद पूरा नहीं लिख पाऊंगा.
शबाना बेहद हॉट किस्म की जन्नत की हूर जैसी परी थी. एकदम मक्खन सी चिकनी त्वचा और 34-30-36 के जानलेवा फिगर की मीठी जलेबी सी शोला थी वो!
उसकी 5 फिट 1 इंच की हाईट एकदम गोल चाँद सा मुस्कुरता मुखड़ा, भरा हुआ बदन, गुलाब से रस से भरे हुए होंठ, झील सी गहरी नशीली आंखें, जो किसी को एक ही बार में घायल कर दें.
इसके अलावा लौंडों की जिधर सबसे पहली नजर जाती है, उस इलाके को देखो तो मानो दो नारियल आधे आधे काट कर सीने पर टांक दिए गए हों; जो उसके चुस्त कुर्ती से बाहर निकल भागने को आतुर से दिखते थे.
मुझे शबाना को देख कर बड़ा रश्क होता था कि ये सोहेल को मिल गई है. मगर मेरा नसीब जोरदार निकला.
हुआ यूं कि अचानक एक दिन सोहेल के अब्बू का इंतकाल हो गया और सोहेल के सर पर घर चलाने की जिम्मेदारी आ गई.
वो तो पहले से ही काफी तंगहाल था और ऐसे में उसकी माली हालत उसको और भी बुरी स्थिति में ले आई थी.
अपने अब्बू के जाने के बाद उसने तमाम जगह हाथ पैर मारे, जिससे उसका विदेश जाने का फैसला हो गया.
उधर उसे अकेले ही जाना था. उसके घर पर उसकी बीवी और अम्मी ही रह गई थीं.
जाने से पहले सोहेल मुझसे मिला और उसने मुझसे कहा- तुम ही मेरे परिवार का ध्यान रखने वाले हो. प्लीज़ तुम मेरी अम्मी और शबाना का ध्यान रखना. उनके टच में बने रहना और मैं भी फोन से उनकी बात तुम तक पहुंचाता रहूंगा.
मैं उसे दिलासा दिलाया.
वो कुछ ही दिनों में सऊदी अरब चला गया.
मैं एक दो दिन में जब तक सोहेल की अम्मी को फोन करके उनके हाल चाल जानता रहता था.
सोहेल के जाने के बीस दिन बाद उसकी अम्मी का फोन आया कि उनको कुछ सामान की जरूरत है. तुम सामान दिला जाओ, मेरी हालत बाहर निकलने की नहीं है.
मैं झट से उनके घर गया और अम्मी की दी हुई लिस्ट का सामान बाजार से लाकर उनके घर देने गया.
उधर सामान लेने के लिए शबाना आई थी. उसको देख कर मेरा दिल खुशगवार हो उठा.
मैंने उससे हैलो बोला.
उसने भी मुझसे मुस्कुरा कर हैलो कहा.
उसने चाय के लिए रुकने का कहा, मगर उसी समय मुझे एक जरूरी काम से जाना था, सो मैं रुक ही न सका.
फिर एक दिन सोहेल का फोन आया उसने मुझसे कहा कि उसके घर में शबाना को बुखार चढ़ गया और उसकी हालत बहुत खराब हो गई है. अम्मी की हालत चलने लायक नहीं है, वो बिस्तर पर हैं.
उसका फोन सुनकर मैं तुरंत सोहेल के घर जाना चाहता था. मगर मेरी बदनसीबी थी कि मैं उस समय शहर से बाहर था.
मैंने उससे अपनी पोजीशन बताई और उससे कहा कि मैं शाम तक उधर पहुंच जाऊंगा. तुम भाभी से शाम को रेडी रहने के लिए बोल दो.
उसने हामी भर दी और फोन रख दिया.
मैं शाम को शबाना के घर चला गया.
शबाना मेरे साथ डॉक्टर के पास चलने को तैयार थी. वो इस वक्त कयामत को भी मात दे रही थी.
हालांकि बुखार के चलते उसके चेहरे पर थकान दिख रही थी. मगर उसकी हसीन जवानी अब भी खिली हुई थी.
मैंने उससे पूछा- कैसी हो भाभी? बुखार कैसा है?
भाभी ने कहा- जल्दी से किसी अस्पताल ले चलो.
मैंने पूछा- कौन से अस्पताल?
शबाना- जो भी अच्छा हो. मुझे जानकारी नहीं है.
मैंने ओके कहा और उसे अपने साथ बाइक पर बिठा कर एक सरकारी अस्पताल लिवा ले गया.
उस अस्पताल में मरीजों की काफी भीड़ थी, जिस वजह से हम दोनों को रात के करीब दस बज गए.
जब हमारा नम्बर आया, तो मैं शबाना का हाथ पकड़ कर उसे डॉक्टर के केबिन के अन्दर ले कर गया.
मैंने आज पहली बार शबाना का नाजुक हाथ अपने हाथ में लिया था. मुझे एक सनसनी सी आ गई.
कुछ दवाएं और एक इंजेक्शन लगने के बीस मिनट बाद शबाना मेरे साथ बाहर आ गई और हम लोग घर जाने के लिए निकलने लगे.
अब तक शबाना काफी सामान्य हो चली थी. शायद इंजेक्शन के कारण उसे काफी आराम मिल गया था.
तभी शबाना बोली- मुझे बहुत तेज भूख लगी है.
मैं उसे पास के रेस्तरां में ले गया और उसकी इच्छानुसार कुछ खाना और मुसम्मी का रस पिलाया.
वो काफी खुश नजर आने लगी थी. इसका एक कारण ये भी था कि वो काफी दिन बाद अपने घर बाहर निकली थी.
फिर जैसे ही हम दोनों घर के लिए वापस निकले तो हल्की हल्की बारिश शुरू हो गई.
मैंने शबाना से पूछा- बारिश आने लगी है. रुक जाएं या चलें?
वो बोली- अभी बारिश काफी कम है, घर ही निकल चलते हैं. हमको वैसे भी काफी देर हो गई है. घर पर अम्मी भी अकेली होंगी. उनका खाना वगैरह भी देखना है.
मैंने ओके कहा और उसे बाइक पर बिठा कर घर की तरफ चल दिया.
रास्ते में हल्की बारिश ने भी हम दोनों को पूरी तरह से भीगो दिया था. मैं जल्दी के चक्कर में बाइक को फुल स्पीड से चला रहा था. जिस वजह से शबाना ने मुझे कंधे से पकड़ा हुआ था, ताकि वो गिर न जाए.
उसका यूं मुझे पकड़ कर बैठना मुझे गर्म किये दे रहा था. मेरा लंड भी खड़ा होने लगा था.
कुछ ही देर बाद हम दोनों घर पहुंच गए. मैंने शबाना को घर छोड़ा और अपने घर के लिए बाइक मोड़ने लगा.
शबाना ने मेरा हाथ पकड़ते हुए मुझे रोका और गहरी आवाज में बोली- आप आज यहीं रुक जाओ न … बारिश भी तेज हो रही है और काफी देर भी हो गई है. सुबह चले जाना.
उसकी उस तरह की आवाज ने मुझ पर जैसे जादू कर दिया था.
मैंने एक पल सोचा और सर हिलाते हुए हामी भर दी.
मैंने फोन करके अपने घर पर बोल दिया कि आज मैं बाहर बारिश में फंस गया हूँ इसलिए अपने एक दोस्त के घर ही रुक गया हूँ.
फिर शबाना मेरे लिए अन्दर से एक तौलिया लेकर आ गई और मुझे देते हुए बोली- जब तक आप अपने बदन को पौंछिये, तब तक मैं आपके लिए कपड़े लाती हूँ.
मैंने देखा कि शबाना ने अपने बालों पर भी एक तौलिया रखा हुआ था. वो मुझे तौलिया थमा कर अन्दर चली गई.
मैंने भी अपने सारे कपड़े उतारे और सारे बदन को तौलिये से रगड़ कर सुखाने लगा.
कुछ ही देर बाद शबाना मेरे लिए सोहेल की एक टी-शर्ट और लोअर ले आई थी.
मैंने देखा कि शबाना ने भी अपने कपड़े बदल लिए थे और वो एक बेहद दिलकश नाइटी में मेरे सामने खड़ी थी.
मैं उस वक्त एकदम नंगा था और मैंने कमर से नीचे तौलिया को बांधा हुआ था, जिसमें से मेरा लंड फनफनाने की पोजीशन में खड़ा होने लगा था और तौलिया के ऊपर से ही अपना डीलडौल दिखा रहा था.
मेरे सामने शबाना के तने हुए मम्मे उसकी नाइटी से इतने खतरनाक लग रहे थे कि लंड की तो मां चुदना तय हो गई थी.
मैं बस उसी की तरफ देखने लगा.
वो भी मेरे चौड़े नग्न सीने को देखे जा रही थी.
तभी मैंने उसके हाथ से टी-शर्ट ली और अपने बदन पर पहनने की कोशिश करने लगा.
मैंने देखा इस दौरान उसकी निगाहें मेरे जिस्म पर लगी थीं.
मैं भी जानबूझकर अपना सर टी-शर्ट में फंसाए हुए छिपकर उसकी आंखों को पढ़ने की कोशिश करता रहा.
उसकी मदमस्त चूचियां मुझ पर कामवासना हावी कर रही थीं.
तभी शबाना मुड़ते हुए बोली- मैं अम्मी को देख कर अभी आती हूँ.
मैंने कुछ नहीं कहा और उसकी ठुमकती गांड को देखते हुए उसे आंखों से चोदने का जतन करने लगा.
अगले एक मिनट बाद ही शबाना फिर से मेरे करीब आ गई थी. तब तक मैंने लोअर पहन लिया था. बिना चड्डी के लोअर पहनने से नतीजा ये हुआ कि पहले से ही तन्नाया हुआ लंड चुस्त लोअर में से साफ़ साफ़ औकात दिखाने लगा.
शबाना मेरे लौड़े को देखने लगी और मैं उसके सीने पर उभरे ज्वालामुखी देख रहा था.
मेरी आंखों में वासना के डोरे तैरने लगे थे.
आज से पहले मैंने शबाना को इस रूप में कभी नहीं देखा था.
वो तो पहले से ही मेरे दिल पर छाई हुई थी और अब तो जैसे उसकी जवानी चिल्ला चिल्ला कर मुझसे कह रही थी कि आ जाओ सनम और मुझ प्यासी परी को चोद कर तृप्त कर दो.
मैंने देखा कि शबाना की नजरें भी मेरे लंड को बेताबी से देखे जा रही थी, जो हर पल अपना रौद्र रूप लेता जा रहा था और लोअर को फाड़ कर बाहर आने को बेताब दिख रहा था.
तभी अचानक उसने मुझसे टोकते हुए कहा- क्या हुआ … आप ऐसे क्या देख रहे हो?
मैंने थरथराती आवाज में शबाना से कहा- एक सेक्सी हुस्न को देख रहा हूँ. भाभीजान आप बहुत खूबसूरत हो.
मेरी इस बात पर शबाना कुछ नहीं बोली और उसने अपना सर नीचे झुका लिया.
मैं प्यासी भाभी सेक्सी शबाना की इस खामोशी से कुछ मदहोश सा हो गया था.
इसी मदहोशी के आलम में मैं आगे बढ़ा और शबाना के दोनों गालों को अपने हाथों में लेकर उसके माथे पर एक बोसा ले लिया.
दोस्तो, ये मेरा अनुभव है कि जब भी आप किसी के माथे पर चुम्बन करते हैं, तो आप ये तय मानिए कि वो लड़की पूरी तरह से खुद को आपके हवाले कर देगी.
मैंने शबाना के माथे का बोसा लिया और उसकी आंखों में आखें डालकर उसे देखने लगा.
शबाना- ये गलत है.
मगर मैंने उसकी किसी बात का उत्तर देना उचित नहीं समझा बस उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर उसे चूमने लगा.
उसकी गर्दन पर किस किये फिर उसकी कान की लौ को चूसा और गालों को सहलाते हुए उसे अपने से जकड़े रखा.
इस दौरान उसकी तरफ से न तो सहयोग मिला और न ही विरोध हो रहा था.
बस उसके मुँह से ‘ये गलत है ये गलत है ..’ की आवाज निकलती रही.
अभी बमुश्किल पांच मिनट ही बीते होंगे कि शबाना का जिस्म ढीला पड़ने लगा और वो मेरे मुँह में अपनी जुबान डाल बैठी.
बस समझो सूखी लकड़ियों के ढेर में मानो पैट्रोल पड़ गया था.
शबाना भाभी की जीभ जैसे ही मेरे मुँह में चलने लगी मेरी समझ में आ गया कि माल टूट कर टपक गया है और अब इसकी चुत में लंड की सख्त जरूरत आन पड़ी है.
हम दोनों एक दूसरे से चिपके हुए बेतहाशा चुम्बनों का मजा ले दे रहे थे.
तभी मुझे ख्याल आया कि सोहेल की अम्मी बगल वाले कमरे में हैं और उनको हमारी आवाजों से इस कामलीला का पता चल सकता है.
मैंने शबाना के कान में कहा- बाजू के कमरे में अम्मी हैं न!
शबाना को भी जैसे कुछ याद आया; वो बोली- वे रोज नींद की दवाई लेती हैं, मैंने उन्हें दूध से नींद की गोली दे दी थी मगर तब भी हम दोनों को ऊपर मेरे कमरे में चलना चाहिए.
उसके मुँह से नींद की गोली देने की बात सुनकर मैं समझ गया था कि शबाना भाभी को मेरे लंड का कितनी बेचैनी से इन्तजार था कि उसने सारी व्यवस्था पहले से ही कर रखी थी.
उसी ने मुझे घर रुक जाने के लिए कहा था और उसी ने सेक्सी नाइटी पहन कर मुझे गर्म कर दिया था.
मैंने मुस्कुराते हुए उससे कहा- चलो कमरे में चलते हैं.
वो मेरी बांहों में झूल गई और मादक स्वर में बोली- मुझे उठा कर ले चलो.
आह कितना सेक्स था उसकी आवाज में!
मैंने झट से उसे अपनी गोद में उठाने के लिए हाथ बढ़ाए; तो वो लपक कर मेरी कमर में अपनी दोनों टांगें डालकर मेरे लंड पर अपनी चुत अड़ा कर लटक गई.
उसे इस तरह से अपनी गोद में लेने से मुझे बड़ी ही लज्जत महसूस हुई और मैंने उसके गाल पर एक लव बाईट ले लिया.
वो कराहते हुए बोली- आह … क्या कच्चा ही खा जाओगे जान!
मैंने कहा- हां … आज तुझे सालम ही खाने का दिन है मेरी जान.
वो इठला कर बोली- खा लेना खा लेना … मैं भी कहां छोड़ने वाली हूँ.
कमरे में आते समय उसने खुद से अपनी नाइटी की डोरी खोल दी थी, जिससे उसकी नाइटी के अन्दर से उसकी सुर्ख लाल रंग जालीदार ब्रा में से झांकते सफ़ेद मक्खनी उरोज मुझे पागल किये दे रहे थे.
वो लगातार मुझे छाती पर चूमे जा रही थी.
मैं भी बार बार उसकी चूचियों पर अपना मुँह रगड़ कर उसकी गोलाइयों की नर्मी का मजा ले रहा था.
उसकी गांड के नीचे मेरे दोनों हाथ जमे हुए थे, जिससे उसके मलाईदार चूतड़ों का स्पर्श मुझे लगातार गर्म कर रहा था.
मैं उसकी गांड को सहलाते हुए कोशिश कर रहा था कि उसकी चुत को अपने अंगूठे से कुरेद सकूँ. मगर पोजीशन कुछ ऐसी थी कि मैं वो मजा न ले सका.
एक मिनट बाद हम दोनों सोहेल और शबाना के बेडरूम में आ गए थे.
मैंने शबाना की बिस्तर पर लिटाया और उसी के ऊपर छा गया.
हम दोनों एक बार फिर से नाग नागिन से लिपट कर चूमाचाटी करने लगे.
मैंने अब तक शबाना भाभी की नाइटी को हटा दिया.
और मैं उसकी मादक चूचियों की रसीली आभा को देखकर बहुत ही ज्यादा कामुक हो उठा था.
मैंने उसकी एक चूची को अपने हाथ से पकड़ा तो अहसास हुआ कि वाकयी भाभी की चूचियां बहुत बड़ी और मस्त हैं.
ब्रा के ऊपर से मैंने उसकी एक चूची के निप्पल को अपने होंठों में दबा लिया और दूसरे हाथ से उसकी दूसरी चूची को मसलने लगा.
इससे शबाना भाभी को मजा आने लगा और वो कामुक आवाजों के साथ मेरे मुँह से अपनी चूची को चुसवाने का मजा लेने लगी.
फिर उसी ने अपने हाथ से ब्रा को नीचे करके मेरे मुँह में अपनी चूची दे दी और सीत्कारते हुए कहने लगी- आह अन्नू … खा जाओ मेरी चूची को आह कितना मजा आ रहा है! आह … चूस लो पूरा निचोड़ लो इसे.
मैं उसकी इन आवाजों को सुनकर और भी ज्यादा कामुक हो गया था और बारी बारी से उसकी दोनों चूचियों को मसलता चूसता हुआ मजा लेने लगा.
कुछ देर तक यूं ही चूचियां चुसवाने के बाद शबाना ने मेरे कान में कहा- पूरा मजा इधर से लेने का इरादा है क्या?
मुझे एकदम से कुछ याद आया और मैं वासना से उसकी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए नीचे की ओर सरकने लगा.
नीचे शबाना भाभी की पैंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी. उसकी गीली हो चुकी पैंटी से एक मस्त मदन रस की महक मुझे मदहोश कर रही थी.
मुझसे रुका ही न गया और मैंने उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चुत पर जीभ फेर दी.
‘याल्ला मर गई .. आह आह!’ शबाना की मादक आवाजें निरंतर गूंजने लगी थीं और मेरी जीभ बदस्तूर अपना काम उसकी चुत पर करने में लगी थी.
एक मिनट बाद ही मैंने शबाना भाभी की पैंटी की इलास्टिक में उंगलियां फंसाईं और पैंटी को नीचे खींच दिया.
आह क्या जन्नती नजारा था. एकदम सफाचट चुत मक्खन की तरह गोरी और मासूम कमसिन बुर की मानिंद रो रही थी.
उसकी गुलाबी रंगत पर ओस की बूंदों सी चमक थी, जो प्री-कम की बूंदों के चलते पूरी चुत को अलग ही छटा दे रही थी.
मैंने एक उंगली से भाभी की चुत की चिपकी हुई फांकों को अलग करने का प्रयास किया ही था कि चुत का दाना किलबिलाने लगा और मेरे होंठों ने अपनी जिद छोड़ दी.
उसी पल शबाना भाभी की चुत का दाना मेरे होंठों के बीच दब गया और मैंने सर उठा कर उस दाने के मां चोद दी.
दाना ऊपर को खींचा तो शबाना भाभी की एक मीठी कराह के ससाथ उनकी गांड ने ऊपर उठ कर अपनी चुत के दाने की पैरवी की.
वो सिसिया कर बोली- याल्ला … क्या कर रहे हो … मैं मर जाऊंगी.
मैंने कहा- आज मारने के लिए ही तो पकड़ा ही मेरी शब्बो.
मेरे मुँह से शब्बो सुनकर भाभी मस्त हो गई और खुद ही गांड उठाते हुए मेरे मुँह पर अपनी चुत अड़ा दी- लो मेरे राजा चूस लो इस निगोड़ी को. आह आज मुझे खा ही जाओ.
मैंने भाभी की चुत का पूरा मानमर्दन जीभ और दो उंगलियों से किया और कोई दो ही मिनट में भाभी झड़ गई.
मैं उसकी चुत से निकला ये गर्म और नमकीन पाकशर्बत पीता चला गया.
भाभी भी अपनी चुत की रबड़ी पूरी खाली करने के बाद बिस्तर पर निढाल गिर गई मगर मैं उसकी चुत को चाटने में लगा रहा.
फिर मैं भी शांत होकर लेट गया.
कोई दस मिनट बाद मैं उठ कर खड़ा हुआ और अपने सारे कपड़े निकाल कर सिर्फ एक चड्डी में आ गया.
मैंने शबाना भाभी को बिस्तर से उठाकर खड़ा किया. उसने बोझिल आंखों से मेरी तरफ देखा और मुझसे अपनी पीठ सटा कर चिपक गई.
मैंने अपने हाथ आगे किये और शबाना भाभी की दोनों चूचियों को दबाते हुए उसकी गर्दन पर चूमना चालू कर दिया.
दोस्तो, जब भी आप किसी लड़की की पीठ को अपने सीने से चिपका कर उसकी चूचियों को दबाते और सहलाते हो, तो उस लड़की को इससे बड़ा मजा आता है.
शबाना भी मुझसे इसी तरह का सुख ले रही थी.
मैं उसे यूं ही प्यार कर रहा था और शबाना अपनी गांड की दरार में मेरे लंड को रगड़ कर मजा ले रही थी.
उसका जवान जिस्म फिर से गर्म होने लगा था. वो बार बार अपनी गांड को मेरे लंड पर धक्का दे रही थी.
फिर उसका हाथ पीछे को आया और उसने मेरे लंड को पकड़ लिया. शबाना बोली- याखुदआ … ये क्या बला है?
मैंने कहा- क्या है … नाम लो न मेरी शब्बो.
शबाना- ये आपका वो है.
मैं- क्या वो है साफ़ कहो न जान.
शबाना- ये आपका लंड है और ये इतना बड़ा कैसे है?
मैंने- क्यों सोहेल का नहीं पकड़ा था क्या कभी?
शबाना- अरे यार … तभी तो कह रही हूँ कि उसका तो इतना बड़ा नहीं था.
अब तक वो पलट कर मेरे सामने आ गई थी और मेरे लंड को मुट्ठी में पकड़ कर दबाने लगी.
वो मस्त हो रही थी. मैंने कहा- इसे खोल कर देखो न!
शबाना ने मेरी चड्डी को नीचे खींचा तो लंड एकदम से उसकी नाक पर लगा.
वो आउच कह कर एकदम से घबरा गई.
उसने लंड की लम्बाई देखी, तो उसके मुँह से निकल गया- हाय खुदआ … आज तो मेरी मौत पक्की है.’
मैंने पूछा- क्यों क्या हुआ?
वो लंड हिला कर बोली- ये क्या है?
मैंने कहा- तुम बताओ न!
वो दो मेरे दो बार पूछने के बाद बोली- अन्नू तुम्हारा लंड बहुत बड़ा है.
मैंने पूछा- सोहेल का कितना बड़ा है?
वो बोली- इससे आधा लम्बा और काफी पतला.
मैंने उससे कहा- अब इसे प्यार तो करो!
उसने खामोशी से घुटनों के बल बैठते हुए मेरे लंड को सहलाया और उसकी चमड़ी को आगे पीछे करके गुलाबी सुपारे को अपने सामने कर लिया.
फिर उसने एक बार मेरी तरफ देखा, तो मैं उसे चूसने के इशारा किया.
शबाना ने अगले ही पल अपनी जीभ मेरे लंड के सुपारे पर फिरा दी और लंड मुँह में भर लिया.
आह … क्या मस्त अहसास था. मेरे दोस्त की बीवी मेरी भाभी मेरा लंड चूस रही थी.
काफी मस्ती से शबाना भाभी मेरे लंड को अपने गले अंतिम छोर तक ले जाकर चूसती रही.
फिर जब मैं झड़ने को हुआ तो मैंने उसे हटने को कहा.
मगर वो बोली- आज मुझे मत रोको. मुझे तुम्हारा अमृत पीना है.
मैं चुप हो गया और शबाना भाभी अपनी पूरी शिद्दत से लंड चुसाई का मजा लेती देती रही.
कुछ देर बाद मेरे लंड ने जबाव दे दिया और वीर्य की तेज पिचकारियां शबाना के हलक में एक के बाद एक उतरती चली गईं.
शबाना भाभी ने भी मेरे लंड के रस को पूरी तरह से चूस लिया था और वीर्य को चटखारे लेकर मजा ले रही थी.
मैंने झड़ने के बाद उसे उठाया और उसे चूमते हुए पूछा- कैसा लगा?
शबाना- बेहद लजीज. बेहद गाढ़ा और नमकीन.
मैं खुश हो गया. सच में दोस्तो … मैं अपने लंड को कई बार चुसवाया था मगर आज जैसा मजा पहले कही नहीं आया था.
अब हम दोनों फिर से एक बार बिस्तर पर आ गए थे. हमारी चूमाचाटी के दस मिनट के बक्फे ने हम दोनों को फिर से गर्म कर दिया था और अब चुदाई की बेला आ गई थी.
शबाना बोली- अन्नू, मेरी जान तुम आज मुझे इतना चोदो कि मेरी जन्मों की प्यास बुझ जाए.
मैंने उसकी बात का सम्मान किया और उसे चुदाई की पोजीशन में लिटा दिया.
मैं उसकी टांगों को फैला कर चुत के मुहाने पर लंड का सुपारा टिका कर बैठ गया.
वो गांड उठाते हुए जल्दी पेलने का इशारा करते हुए कह रही थी- अब देर न करो राजा आज मेरी इस बंजर जमीन को सींच दो .. मैं बहुत प्यासी हूँ.
मैंने कहा- झेल लेना, कुछ दर्द हो सकता है.
वो बोली- पेलो तो … मुझे कोई परवाह नहीं आज चाहे खूना-खच्ची ही क्यों न हो जाए … मगर तुम रुकना मत.
उसका ये कहना था कि मैंने लौड़े को चुत की फांकों को चीरते हुए अन्दर पेल दिया.
‘उईल्ला … मर गईईई … बहुत मोटा है.’
मैं रुक कर उसे देखने लगा. उसकी आंखें बंद हो गई थीं और दांत भिंचे हुए थे. उसने बिस्तर की चादर को अपनी दोनों मुट्ठियों से खींचा हुआ था.
मैं रुका तो उसने बिना आंखें खोले कहा- क्या पूरा चला गया?
मैंने कहा- अभी कहां शब्बो रानी.
शबाना भाभी- तो रुको मत … पूरा पेल दो.
मैंने जरा सा जर्क देकर लंड को बाहर खींचा और एक तेज प्रहार कर दिया.
मेरा पूरा लंड शबाना भाभी की चुत फाड़ता हुआ अन्दर पेवस्त हो गया.
उसकी चीख निकलने ही वाली थी कि उसी पल मैंने उसके होंठों पर अपने होंठों का ढक्कन लगा दिया.
एक मिनट का दौर यूं ही रुकने का रहा फिर शबाना भाभी का दर्द कुछ कम हुआ तो उसने गांड हिला कर संकेत दिया. बस हम दोनों की चुदाई की दुरंतो एक्सप्रेस अपनी फुल स्पीड से दौड़ पड़ी. कुछ ही पलों बाद मेरे झटके इतनी तेजी से लगने लगे थे कि आप यूं समझिये कि एक सेकंड में तीन धक्के की रफ्तार शबाना की चुत का भोसड़ा बना रही थी.
शबाना भाभी भी नीचे अपनी गांड उठाते हुए चिल्ला रही थी- आह मजा आ रहा है या अल्लाह इतना सुख तो मुझे अब तक कभी नहीं मिला था … आह और तेज चोदो अन्नू तुम्हारा लंड मेरी बच्चेदानी तक चोट कर रहा है. सच में तुम असली मर्द हो आह चोदो.
इसी तरह की मादक और कामुक आवाजों के साथ दस मिनट तक धकापेल चुदाई का मंजर हम दोनों को लस्त पस्त करता रहा. हम दोनों एक दूसरे से मानो होड़ में लगे हुए थे. तभी शबाना झड़ गई और मैं उसकी चुत में लंड पेलता रहा.
कुछ देर बाद मैंने शबाना से कहा- शब्बो घोड़ी बनेगी?
शबाना भाभी तुरंत उठ कर घोड़ी बन गई और मैंने पीछे से उसकी चुत में लंड पेल दिया. मैंने अपने हाथ से उसे झुका दिया और उसकी गांड पकड़ कर उसकी दबादब चुदाई करने लगा.
कमरे में शबाना भाभी की मादक आवाजें गूँज रही थीं और बाहर तेज बारिश हो रही थी.
बरसते पानी में लौंडिया चोदने का मजा ही कुछ और होता है.
शबाना भाभी बहुत तेज चीखते हुए चुद रही थी- आह चोदो मेरे राजा और तेज चोदो साली चुत को फाड़ दो … कुतिया बहुत सताती है! आह तुम एक बड़े चोदू हो! आह … आज से तुम ही मेरी चूत के मालिक हो. तुम ही मेरे शौहर हो अब से मेरी चुत तुम्हारी है मालिक मैं आपकी रंडी हूँ. आह चोद दो!
शबाना की उत्तेजना में उसके मुँह से निकलती ऐसी बातों से मुझे भी बड़ा जोश आ रहा था और मैं पूरी मस्ती से उसकी चुत चुदाई में लगा हुआ था.
कुछ पल बाद मैंने शबाना से कहा- चल मेरी शब्बो रानी, अब पोजिशन बदल ले.
वो मेरी बात समझ गई. मैं बिस्तर पर लेट गया और वो मेरे लंड पर अपनी चुत फंसा कर कूदने लगी.
मेरे दोस्त की बीवी नंगी मेरे लंड पर कूद रही थी.
उसके मुँह से अंटशंट कुछ भी निकला जा रहा था- आह मेरे सरताज आह चोद दो मुझे … आह मैं आपकी दासी बन कर रहूंगी … आह रखैल बन कर रहूँगी आह मेरी चुत फाड़ दो … इतना मोटा तगड़ा लंड मुझे आज तक नहीं मिला. आह अल्लाह मैं तेरा शुक्रिया अदा करती हूँ आह सनम चोद दो मुझे … आह मुझे रोज तुमसे ही चुदवाना है.
इसी तरह की आवाजों के बाद शबाना फिर से झड़ने की कगार पर आ गई थी.
मैं भी अब तक अपने चरम पर आ गया था.
मैंने शबाना से पूछा- वीर्य किधर लोगी? चुत के अन्दर या मुह मे ??
वो बोली- मुँह में तो एकबार ले चुकी हूँ अब तो आप मेरी इस सूखी जमीन की ही सिंचाई कर दो. अभि वाच्चा नही होगा।
मैंने ये सुनते ही बिना लंड निकाले उसे अपने नीचे लिया और ताबड़तोड़ धक्के मारते हुए अपनी धार उसकी चुत में छोड़ना शुरू कर दी.
मेरे वीर्य ने निकलना शुरू किया ही था कि शबाना ने अपनी दोनों टांगों से मुझे जकड़ लिया.
मैंने भी अपना माल छोड़ना शुरू कर दिया था.
हम दोनों को इस समय कोई होश ही नहीं था बस न जाने किस ध्यान में मग्न एक दूसरे से एकाकार हो गए थे.
एक के बाद एक आठ दस पिचकारियों ने शबाना की चुत की इतनी ज्यादा सिंचाई कर दी थी कि वीर्य ने बाहर निकलना शुरू कर दिया था.
शबाना ने अपनी आंखों से मुझे देखा और मुस्कुरा दी.
मैंने पूछा- कैसा लगा जान?
वो- सच में आज तक इतना सुख कभी नहीं मिला.
मैंने पूछा- सबसे ज्यादा किस चीज में मजा आया?
उसकी बात सुनने लायक थी.
शबाना ने कहा- जब तुम्हारे लंड के सुपारे की चमड़ी आगे पीछे होकर मेरी चुत की फांकों से रगड़ती थी तब मुझे जन्नती मजा मिल रहा था. आज से मैं तुम्हारी हुई अन्नू मुझे हमेशा चोदते रहना.
उसकी बात का मर्म ये था कि ओपरेशन किये हुए लंड से इतना सुख कभी नहीं मिलता है. जितना नेचुरल लंड से चुदाई का सुख मिलता है.
मैंने उसे चूम लिया और उसकी चुदाई करते रहने का वायदा कर दिया.
हम दोनों ने उस रात तीन बार चुदाई का सुख लिया.।
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हैलो, सभी प्यारे लंडधारी और चुत गांड का छेद खोले हुए लड़कियां, भाभियां और आंटियां आपको लंड उठाकर मेरा नमस्कार.
मेरी प्यासी भाभी सेक्सी कहानी थोड़ी लम्बी है लेकिन मुझे उम्मीद है कि आपको इतना अधिक मजा आएगा कि आप दो बार झड़ जाएंगे या जाएंगी.
मैं अन्तर्वासना जैसी विश्वप्रसिद्ध हिंदी सेक्स कहानी की साईट का पिछले पांच वर्ष से फैन हूँ.
मेरा नाम अनुज जोशी है और मैं गुजरात का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र अभी छब्बीस साल की है.
चूंकि ऊपरवाले ने इतना सेक्सी ढांचा दिया है कि कोई भी लड़की या भाभी मुझे एक बार देख कर तृप्त ही नहीं हो पाती है. उसे मुझे दुबारा देखना ही पड़ता है.
यह बात मैं फैंक नहीं रहा हूँ, बल्कि मैंने खुद भी इस बात को कई बार परखा है.
मेरा लंड भी ख़ासा स्मार्ट है. लम्बा मोटा और मजबूत टिकाऊ टाइप का लंड है, जिसकी चुत में घुस गया, तो समझो एक ही चुदाई में उसका दो-तीन बार पानी निकाले बिना बाहर नहीं निकलता है.
मैंने अपने लंड की इसी टिकाऊ ताकत के दम पर अब तक बाईस छेद चोद लिए हैं. इनमें कई को तो मैं अभी भी चोद रहा हूँ.
जिनको मैंने अब तक चोदा है उनमें शादीशुदा महिलाएं, कमसिन लौंडियाएं भांति भांति की मारवाड़ी आंटियां, ,., चच्चियां और मस्त भाभियों को बड़ी ही बेदर्दी से चोदा है.
उनकी चुत चुसाई की है, उनके दूध चूसे हैं और उनसे अपना लंड चुसवाया है.
मैं आज यहां अपनी पहली सेक्स कहानी लिख रहा हूँ, मुझे उम्मीद है कि आपको पसंद आएगी.
मेरा एक दोस्त है उसका नाम सोहेल है. सोहेल मेरा बचपन का दोस्त है और उसके साथ मेरे खूब बनती रही थी.
बदनसीबी से सोहेल एक गरीब परिवार से था. उसके अब्बू यूपी से गुजरात आए थे, जिस कारण उसके सारे रिश्तेदार यूपी में ही हैं.
सोहेल की अम्मी की तबियत ठीक नहीं रहती थी और वो घर के कामकाज में खुद को बड़ी मजबूर महसूस करने लगी थीं.
इसी सबके चलते सोहेल की शादी हो गई.
उसकी बीवी का नाम शबाना था और वो काफी सेक्सी थी.
शबाना की उम्र चौबीस साल की थी. उसकी खूबसूरत जवानी को मैं चाहे जितने मादक अंदाज में लिखना भी चाहूँ, तब भी शायद पूरा नहीं लिख पाऊंगा.
शबाना बेहद हॉट किस्म की जन्नत की हूर जैसी परी थी. एकदम मक्खन सी चिकनी त्वचा और 34-30-36 के जानलेवा फिगर की मीठी जलेबी सी शोला थी वो!
उसकी 5 फिट 1 इंच की हाईट एकदम गोल चाँद सा मुस्कुरता मुखड़ा, भरा हुआ बदन, गुलाब से रस से भरे हुए होंठ, झील सी गहरी नशीली आंखें, जो किसी को एक ही बार में घायल कर दें.
इसके अलावा लौंडों की जिधर सबसे पहली नजर जाती है, उस इलाके को देखो तो मानो दो नारियल आधे आधे काट कर सीने पर टांक दिए गए हों; जो उसके चुस्त कुर्ती से बाहर निकल भागने को आतुर से दिखते थे.
मुझे शबाना को देख कर बड़ा रश्क होता था कि ये सोहेल को मिल गई है. मगर मेरा नसीब जोरदार निकला.
हुआ यूं कि अचानक एक दिन सोहेल के अब्बू का इंतकाल हो गया और सोहेल के सर पर घर चलाने की जिम्मेदारी आ गई.
वो तो पहले से ही काफी तंगहाल था और ऐसे में उसकी माली हालत उसको और भी बुरी स्थिति में ले आई थी.
अपने अब्बू के जाने के बाद उसने तमाम जगह हाथ पैर मारे, जिससे उसका विदेश जाने का फैसला हो गया.
उधर उसे अकेले ही जाना था. उसके घर पर उसकी बीवी और अम्मी ही रह गई थीं.
जाने से पहले सोहेल मुझसे मिला और उसने मुझसे कहा- तुम ही मेरे परिवार का ध्यान रखने वाले हो. प्लीज़ तुम मेरी अम्मी और शबाना का ध्यान रखना. उनके टच में बने रहना और मैं भी फोन से उनकी बात तुम तक पहुंचाता रहूंगा.
मैं उसे दिलासा दिलाया.
वो कुछ ही दिनों में सऊदी अरब चला गया.
मैं एक दो दिन में जब तक सोहेल की अम्मी को फोन करके उनके हाल चाल जानता रहता था.
सोहेल के जाने के बीस दिन बाद उसकी अम्मी का फोन आया कि उनको कुछ सामान की जरूरत है. तुम सामान दिला जाओ, मेरी हालत बाहर निकलने की नहीं है.
मैं झट से उनके घर गया और अम्मी की दी हुई लिस्ट का सामान बाजार से लाकर उनके घर देने गया.
उधर सामान लेने के लिए शबाना आई थी. उसको देख कर मेरा दिल खुशगवार हो उठा.
मैंने उससे हैलो बोला.
उसने भी मुझसे मुस्कुरा कर हैलो कहा.
उसने चाय के लिए रुकने का कहा, मगर उसी समय मुझे एक जरूरी काम से जाना था, सो मैं रुक ही न सका.
फिर एक दिन सोहेल का फोन आया उसने मुझसे कहा कि उसके घर में शबाना को बुखार चढ़ गया और उसकी हालत बहुत खराब हो गई है. अम्मी की हालत चलने लायक नहीं है, वो बिस्तर पर हैं.
उसका फोन सुनकर मैं तुरंत सोहेल के घर जाना चाहता था. मगर मेरी बदनसीबी थी कि मैं उस समय शहर से बाहर था.
मैंने उससे अपनी पोजीशन बताई और उससे कहा कि मैं शाम तक उधर पहुंच जाऊंगा. तुम भाभी से शाम को रेडी रहने के लिए बोल दो.
उसने हामी भर दी और फोन रख दिया.
मैं शाम को शबाना के घर चला गया.
शबाना मेरे साथ डॉक्टर के पास चलने को तैयार थी. वो इस वक्त कयामत को भी मात दे रही थी.
हालांकि बुखार के चलते उसके चेहरे पर थकान दिख रही थी. मगर उसकी हसीन जवानी अब भी खिली हुई थी.
मैंने उससे पूछा- कैसी हो भाभी? बुखार कैसा है?
भाभी ने कहा- जल्दी से किसी अस्पताल ले चलो.
मैंने पूछा- कौन से अस्पताल?
शबाना- जो भी अच्छा हो. मुझे जानकारी नहीं है.
मैंने ओके कहा और उसे अपने साथ बाइक पर बिठा कर एक सरकारी अस्पताल लिवा ले गया.
उस अस्पताल में मरीजों की काफी भीड़ थी, जिस वजह से हम दोनों को रात के करीब दस बज गए.
जब हमारा नम्बर आया, तो मैं शबाना का हाथ पकड़ कर उसे डॉक्टर के केबिन के अन्दर ले कर गया.
मैंने आज पहली बार शबाना का नाजुक हाथ अपने हाथ में लिया था. मुझे एक सनसनी सी आ गई.
कुछ दवाएं और एक इंजेक्शन लगने के बीस मिनट बाद शबाना मेरे साथ बाहर आ गई और हम लोग घर जाने के लिए निकलने लगे.
अब तक शबाना काफी सामान्य हो चली थी. शायद इंजेक्शन के कारण उसे काफी आराम मिल गया था.
तभी शबाना बोली- मुझे बहुत तेज भूख लगी है.
मैं उसे पास के रेस्तरां में ले गया और उसकी इच्छानुसार कुछ खाना और मुसम्मी का रस पिलाया.
वो काफी खुश नजर आने लगी थी. इसका एक कारण ये भी था कि वो काफी दिन बाद अपने घर बाहर निकली थी.
फिर जैसे ही हम दोनों घर के लिए वापस निकले तो हल्की हल्की बारिश शुरू हो गई.
मैंने शबाना से पूछा- बारिश आने लगी है. रुक जाएं या चलें?
वो बोली- अभी बारिश काफी कम है, घर ही निकल चलते हैं. हमको वैसे भी काफी देर हो गई है. घर पर अम्मी भी अकेली होंगी. उनका खाना वगैरह भी देखना है.
मैंने ओके कहा और उसे बाइक पर बिठा कर घर की तरफ चल दिया.
रास्ते में हल्की बारिश ने भी हम दोनों को पूरी तरह से भीगो दिया था. मैं जल्दी के चक्कर में बाइक को फुल स्पीड से चला रहा था. जिस वजह से शबाना ने मुझे कंधे से पकड़ा हुआ था, ताकि वो गिर न जाए.
उसका यूं मुझे पकड़ कर बैठना मुझे गर्म किये दे रहा था. मेरा लंड भी खड़ा होने लगा था.
कुछ ही देर बाद हम दोनों घर पहुंच गए. मैंने शबाना को घर छोड़ा और अपने घर के लिए बाइक मोड़ने लगा.
शबाना ने मेरा हाथ पकड़ते हुए मुझे रोका और गहरी आवाज में बोली- आप आज यहीं रुक जाओ न … बारिश भी तेज हो रही है और काफी देर भी हो गई है. सुबह चले जाना.
उसकी उस तरह की आवाज ने मुझ पर जैसे जादू कर दिया था.
मैंने एक पल सोचा और सर हिलाते हुए हामी भर दी.
मैंने फोन करके अपने घर पर बोल दिया कि आज मैं बाहर बारिश में फंस गया हूँ इसलिए अपने एक दोस्त के घर ही रुक गया हूँ.
फिर शबाना मेरे लिए अन्दर से एक तौलिया लेकर आ गई और मुझे देते हुए बोली- जब तक आप अपने बदन को पौंछिये, तब तक मैं आपके लिए कपड़े लाती हूँ.
मैंने देखा कि शबाना ने अपने बालों पर भी एक तौलिया रखा हुआ था. वो मुझे तौलिया थमा कर अन्दर चली गई.
मैंने भी अपने सारे कपड़े उतारे और सारे बदन को तौलिये से रगड़ कर सुखाने लगा.
कुछ ही देर बाद शबाना मेरे लिए सोहेल की एक टी-शर्ट और लोअर ले आई थी.
मैंने देखा कि शबाना ने भी अपने कपड़े बदल लिए थे और वो एक बेहद दिलकश नाइटी में मेरे सामने खड़ी थी.
मैं उस वक्त एकदम नंगा था और मैंने कमर से नीचे तौलिया को बांधा हुआ था, जिसमें से मेरा लंड फनफनाने की पोजीशन में खड़ा होने लगा था और तौलिया के ऊपर से ही अपना डीलडौल दिखा रहा था.
मेरे सामने शबाना के तने हुए मम्मे उसकी नाइटी से इतने खतरनाक लग रहे थे कि लंड की तो मां चुदना तय हो गई थी.
मैं बस उसी की तरफ देखने लगा.
वो भी मेरे चौड़े नग्न सीने को देखे जा रही थी.
तभी मैंने उसके हाथ से टी-शर्ट ली और अपने बदन पर पहनने की कोशिश करने लगा.
मैंने देखा इस दौरान उसकी निगाहें मेरे जिस्म पर लगी थीं.
मैं भी जानबूझकर अपना सर टी-शर्ट में फंसाए हुए छिपकर उसकी आंखों को पढ़ने की कोशिश करता रहा.
उसकी मदमस्त चूचियां मुझ पर कामवासना हावी कर रही थीं.
तभी शबाना मुड़ते हुए बोली- मैं अम्मी को देख कर अभी आती हूँ.
मैंने कुछ नहीं कहा और उसकी ठुमकती गांड को देखते हुए उसे आंखों से चोदने का जतन करने लगा.
अगले एक मिनट बाद ही शबाना फिर से मेरे करीब आ गई थी. तब तक मैंने लोअर पहन लिया था. बिना चड्डी के लोअर पहनने से नतीजा ये हुआ कि पहले से ही तन्नाया हुआ लंड चुस्त लोअर में से साफ़ साफ़ औकात दिखाने लगा.
शबाना मेरे लौड़े को देखने लगी और मैं उसके सीने पर उभरे ज्वालामुखी देख रहा था.
मेरी आंखों में वासना के डोरे तैरने लगे थे.
आज से पहले मैंने शबाना को इस रूप में कभी नहीं देखा था.
वो तो पहले से ही मेरे दिल पर छाई हुई थी और अब तो जैसे उसकी जवानी चिल्ला चिल्ला कर मुझसे कह रही थी कि आ जाओ सनम और मुझ प्यासी परी को चोद कर तृप्त कर दो.
मैंने देखा कि शबाना की नजरें भी मेरे लंड को बेताबी से देखे जा रही थी, जो हर पल अपना रौद्र रूप लेता जा रहा था और लोअर को फाड़ कर बाहर आने को बेताब दिख रहा था.
तभी अचानक उसने मुझसे टोकते हुए कहा- क्या हुआ … आप ऐसे क्या देख रहे हो?
मैंने थरथराती आवाज में शबाना से कहा- एक सेक्सी हुस्न को देख रहा हूँ. भाभीजान आप बहुत खूबसूरत हो.
मेरी इस बात पर शबाना कुछ नहीं बोली और उसने अपना सर नीचे झुका लिया.
मैं प्यासी भाभी सेक्सी शबाना की इस खामोशी से कुछ मदहोश सा हो गया था.
इसी मदहोशी के आलम में मैं आगे बढ़ा और शबाना के दोनों गालों को अपने हाथों में लेकर उसके माथे पर एक बोसा ले लिया.
दोस्तो, ये मेरा अनुभव है कि जब भी आप किसी के माथे पर चुम्बन करते हैं, तो आप ये तय मानिए कि वो लड़की पूरी तरह से खुद को आपके हवाले कर देगी.
मैंने शबाना के माथे का बोसा लिया और उसकी आंखों में आखें डालकर उसे देखने लगा.
शबाना- ये गलत है.
मगर मैंने उसकी किसी बात का उत्तर देना उचित नहीं समझा बस उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर उसे चूमने लगा.
उसकी गर्दन पर किस किये फिर उसकी कान की लौ को चूसा और गालों को सहलाते हुए उसे अपने से जकड़े रखा.
इस दौरान उसकी तरफ से न तो सहयोग मिला और न ही विरोध हो रहा था.
बस उसके मुँह से ‘ये गलत है ये गलत है ..’ की आवाज निकलती रही.
अभी बमुश्किल पांच मिनट ही बीते होंगे कि शबाना का जिस्म ढीला पड़ने लगा और वो मेरे मुँह में अपनी जुबान डाल बैठी.
बस समझो सूखी लकड़ियों के ढेर में मानो पैट्रोल पड़ गया था.
शबाना भाभी की जीभ जैसे ही मेरे मुँह में चलने लगी मेरी समझ में आ गया कि माल टूट कर टपक गया है और अब इसकी चुत में लंड की सख्त जरूरत आन पड़ी है.
हम दोनों एक दूसरे से चिपके हुए बेतहाशा चुम्बनों का मजा ले दे रहे थे.
तभी मुझे ख्याल आया कि सोहेल की अम्मी बगल वाले कमरे में हैं और उनको हमारी आवाजों से इस कामलीला का पता चल सकता है.
मैंने शबाना के कान में कहा- बाजू के कमरे में अम्मी हैं न!
शबाना को भी जैसे कुछ याद आया; वो बोली- वे रोज नींद की दवाई लेती हैं, मैंने उन्हें दूध से नींद की गोली दे दी थी मगर तब भी हम दोनों को ऊपर मेरे कमरे में चलना चाहिए.
उसके मुँह से नींद की गोली देने की बात सुनकर मैं समझ गया था कि शबाना भाभी को मेरे लंड का कितनी बेचैनी से इन्तजार था कि उसने सारी व्यवस्था पहले से ही कर रखी थी.
उसी ने मुझे घर रुक जाने के लिए कहा था और उसी ने सेक्सी नाइटी पहन कर मुझे गर्म कर दिया था.
मैंने मुस्कुराते हुए उससे कहा- चलो कमरे में चलते हैं.
वो मेरी बांहों में झूल गई और मादक स्वर में बोली- मुझे उठा कर ले चलो.
आह कितना सेक्स था उसकी आवाज में!
मैंने झट से उसे अपनी गोद में उठाने के लिए हाथ बढ़ाए; तो वो लपक कर मेरी कमर में अपनी दोनों टांगें डालकर मेरे लंड पर अपनी चुत अड़ा कर लटक गई.
उसे इस तरह से अपनी गोद में लेने से मुझे बड़ी ही लज्जत महसूस हुई और मैंने उसके गाल पर एक लव बाईट ले लिया.
वो कराहते हुए बोली- आह … क्या कच्चा ही खा जाओगे जान!
मैंने कहा- हां … आज तुझे सालम ही खाने का दिन है मेरी जान.
वो इठला कर बोली- खा लेना खा लेना … मैं भी कहां छोड़ने वाली हूँ.
कमरे में आते समय उसने खुद से अपनी नाइटी की डोरी खोल दी थी, जिससे उसकी नाइटी के अन्दर से उसकी सुर्ख लाल रंग जालीदार ब्रा में से झांकते सफ़ेद मक्खनी उरोज मुझे पागल किये दे रहे थे.
वो लगातार मुझे छाती पर चूमे जा रही थी.
मैं भी बार बार उसकी चूचियों पर अपना मुँह रगड़ कर उसकी गोलाइयों की नर्मी का मजा ले रहा था.
उसकी गांड के नीचे मेरे दोनों हाथ जमे हुए थे, जिससे उसके मलाईदार चूतड़ों का स्पर्श मुझे लगातार गर्म कर रहा था.
मैं उसकी गांड को सहलाते हुए कोशिश कर रहा था कि उसकी चुत को अपने अंगूठे से कुरेद सकूँ. मगर पोजीशन कुछ ऐसी थी कि मैं वो मजा न ले सका.
एक मिनट बाद हम दोनों सोहेल और शबाना के बेडरूम में आ गए थे.
मैंने शबाना की बिस्तर पर लिटाया और उसी के ऊपर छा गया.
हम दोनों एक बार फिर से नाग नागिन से लिपट कर चूमाचाटी करने लगे.
मैंने अब तक शबाना भाभी की नाइटी को हटा दिया.
और मैं उसकी मादक चूचियों की रसीली आभा को देखकर बहुत ही ज्यादा कामुक हो उठा था.
मैंने उसकी एक चूची को अपने हाथ से पकड़ा तो अहसास हुआ कि वाकयी भाभी की चूचियां बहुत बड़ी और मस्त हैं.
ब्रा के ऊपर से मैंने उसकी एक चूची के निप्पल को अपने होंठों में दबा लिया और दूसरे हाथ से उसकी दूसरी चूची को मसलने लगा.
इससे शबाना भाभी को मजा आने लगा और वो कामुक आवाजों के साथ मेरे मुँह से अपनी चूची को चुसवाने का मजा लेने लगी.
फिर उसी ने अपने हाथ से ब्रा को नीचे करके मेरे मुँह में अपनी चूची दे दी और सीत्कारते हुए कहने लगी- आह अन्नू … खा जाओ मेरी चूची को आह कितना मजा आ रहा है! आह … चूस लो पूरा निचोड़ लो इसे.
मैं उसकी इन आवाजों को सुनकर और भी ज्यादा कामुक हो गया था और बारी बारी से उसकी दोनों चूचियों को मसलता चूसता हुआ मजा लेने लगा.
कुछ देर तक यूं ही चूचियां चुसवाने के बाद शबाना ने मेरे कान में कहा- पूरा मजा इधर से लेने का इरादा है क्या?
मुझे एकदम से कुछ याद आया और मैं वासना से उसकी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए नीचे की ओर सरकने लगा.
नीचे शबाना भाभी की पैंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी. उसकी गीली हो चुकी पैंटी से एक मस्त मदन रस की महक मुझे मदहोश कर रही थी.
मुझसे रुका ही न गया और मैंने उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चुत पर जीभ फेर दी.
‘याल्ला मर गई .. आह आह!’ शबाना की मादक आवाजें निरंतर गूंजने लगी थीं और मेरी जीभ बदस्तूर अपना काम उसकी चुत पर करने में लगी थी.
एक मिनट बाद ही मैंने शबाना भाभी की पैंटी की इलास्टिक में उंगलियां फंसाईं और पैंटी को नीचे खींच दिया.
आह क्या जन्नती नजारा था. एकदम सफाचट चुत मक्खन की तरह गोरी और मासूम कमसिन बुर की मानिंद रो रही थी.
उसकी गुलाबी रंगत पर ओस की बूंदों सी चमक थी, जो प्री-कम की बूंदों के चलते पूरी चुत को अलग ही छटा दे रही थी.
मैंने एक उंगली से भाभी की चुत की चिपकी हुई फांकों को अलग करने का प्रयास किया ही था कि चुत का दाना किलबिलाने लगा और मेरे होंठों ने अपनी जिद छोड़ दी.
उसी पल शबाना भाभी की चुत का दाना मेरे होंठों के बीच दब गया और मैंने सर उठा कर उस दाने के मां चोद दी.
दाना ऊपर को खींचा तो शबाना भाभी की एक मीठी कराह के ससाथ उनकी गांड ने ऊपर उठ कर अपनी चुत के दाने की पैरवी की.
वो सिसिया कर बोली- याल्ला … क्या कर रहे हो … मैं मर जाऊंगी.
मैंने कहा- आज मारने के लिए ही तो पकड़ा ही मेरी शब्बो.
मेरे मुँह से शब्बो सुनकर भाभी मस्त हो गई और खुद ही गांड उठाते हुए मेरे मुँह पर अपनी चुत अड़ा दी- लो मेरे राजा चूस लो इस निगोड़ी को. आह आज मुझे खा ही जाओ.
मैंने भाभी की चुत का पूरा मानमर्दन जीभ और दो उंगलियों से किया और कोई दो ही मिनट में भाभी झड़ गई.
मैं उसकी चुत से निकला ये गर्म और नमकीन पाकशर्बत पीता चला गया.
भाभी भी अपनी चुत की रबड़ी पूरी खाली करने के बाद बिस्तर पर निढाल गिर गई मगर मैं उसकी चुत को चाटने में लगा रहा.
फिर मैं भी शांत होकर लेट गया.
कोई दस मिनट बाद मैं उठ कर खड़ा हुआ और अपने सारे कपड़े निकाल कर सिर्फ एक चड्डी में आ गया.
मैंने शबाना भाभी को बिस्तर से उठाकर खड़ा किया. उसने बोझिल आंखों से मेरी तरफ देखा और मुझसे अपनी पीठ सटा कर चिपक गई.
मैंने अपने हाथ आगे किये और शबाना भाभी की दोनों चूचियों को दबाते हुए उसकी गर्दन पर चूमना चालू कर दिया.
दोस्तो, जब भी आप किसी लड़की की पीठ को अपने सीने से चिपका कर उसकी चूचियों को दबाते और सहलाते हो, तो उस लड़की को इससे बड़ा मजा आता है.
शबाना भी मुझसे इसी तरह का सुख ले रही थी.
मैं उसे यूं ही प्यार कर रहा था और शबाना अपनी गांड की दरार में मेरे लंड को रगड़ कर मजा ले रही थी.
उसका जवान जिस्म फिर से गर्म होने लगा था. वो बार बार अपनी गांड को मेरे लंड पर धक्का दे रही थी.
फिर उसका हाथ पीछे को आया और उसने मेरे लंड को पकड़ लिया. शबाना बोली- याखुदआ … ये क्या बला है?
मैंने कहा- क्या है … नाम लो न मेरी शब्बो.
शबाना- ये आपका वो है.
मैं- क्या वो है साफ़ कहो न जान.
शबाना- ये आपका लंड है और ये इतना बड़ा कैसे है?
मैंने- क्यों सोहेल का नहीं पकड़ा था क्या कभी?
शबाना- अरे यार … तभी तो कह रही हूँ कि उसका तो इतना बड़ा नहीं था.
अब तक वो पलट कर मेरे सामने आ गई थी और मेरे लंड को मुट्ठी में पकड़ कर दबाने लगी.
वो मस्त हो रही थी. मैंने कहा- इसे खोल कर देखो न!
शबाना ने मेरी चड्डी को नीचे खींचा तो लंड एकदम से उसकी नाक पर लगा.
वो आउच कह कर एकदम से घबरा गई.
उसने लंड की लम्बाई देखी, तो उसके मुँह से निकल गया- हाय खुदआ … आज तो मेरी मौत पक्की है.’
मैंने पूछा- क्यों क्या हुआ?
वो लंड हिला कर बोली- ये क्या है?
मैंने कहा- तुम बताओ न!
वो दो मेरे दो बार पूछने के बाद बोली- अन्नू तुम्हारा लंड बहुत बड़ा है.
मैंने पूछा- सोहेल का कितना बड़ा है?
वो बोली- इससे आधा लम्बा और काफी पतला.
मैंने उससे कहा- अब इसे प्यार तो करो!
उसने खामोशी से घुटनों के बल बैठते हुए मेरे लंड को सहलाया और उसकी चमड़ी को आगे पीछे करके गुलाबी सुपारे को अपने सामने कर लिया.
फिर उसने एक बार मेरी तरफ देखा, तो मैं उसे चूसने के इशारा किया.
शबाना ने अगले ही पल अपनी जीभ मेरे लंड के सुपारे पर फिरा दी और लंड मुँह में भर लिया.
आह … क्या मस्त अहसास था. मेरे दोस्त की बीवी मेरी भाभी मेरा लंड चूस रही थी.
काफी मस्ती से शबाना भाभी मेरे लंड को अपने गले अंतिम छोर तक ले जाकर चूसती रही.
फिर जब मैं झड़ने को हुआ तो मैंने उसे हटने को कहा.
मगर वो बोली- आज मुझे मत रोको. मुझे तुम्हारा अमृत पीना है.
मैं चुप हो गया और शबाना भाभी अपनी पूरी शिद्दत से लंड चुसाई का मजा लेती देती रही.
कुछ देर बाद मेरे लंड ने जबाव दे दिया और वीर्य की तेज पिचकारियां शबाना के हलक में एक के बाद एक उतरती चली गईं.
शबाना भाभी ने भी मेरे लंड के रस को पूरी तरह से चूस लिया था और वीर्य को चटखारे लेकर मजा ले रही थी.
मैंने झड़ने के बाद उसे उठाया और उसे चूमते हुए पूछा- कैसा लगा?
शबाना- बेहद लजीज. बेहद गाढ़ा और नमकीन.
मैं खुश हो गया. सच में दोस्तो … मैं अपने लंड को कई बार चुसवाया था मगर आज जैसा मजा पहले कही नहीं आया था.
अब हम दोनों फिर से एक बार बिस्तर पर आ गए थे. हमारी चूमाचाटी के दस मिनट के बक्फे ने हम दोनों को फिर से गर्म कर दिया था और अब चुदाई की बेला आ गई थी.
शबाना बोली- अन्नू, मेरी जान तुम आज मुझे इतना चोदो कि मेरी जन्मों की प्यास बुझ जाए.
मैंने उसकी बात का सम्मान किया और उसे चुदाई की पोजीशन में लिटा दिया.
मैं उसकी टांगों को फैला कर चुत के मुहाने पर लंड का सुपारा टिका कर बैठ गया.
वो गांड उठाते हुए जल्दी पेलने का इशारा करते हुए कह रही थी- अब देर न करो राजा आज मेरी इस बंजर जमीन को सींच दो .. मैं बहुत प्यासी हूँ.
मैंने कहा- झेल लेना, कुछ दर्द हो सकता है.
वो बोली- पेलो तो … मुझे कोई परवाह नहीं आज चाहे खूना-खच्ची ही क्यों न हो जाए … मगर तुम रुकना मत.
उसका ये कहना था कि मैंने लौड़े को चुत की फांकों को चीरते हुए अन्दर पेल दिया.
‘उईल्ला … मर गईईई … बहुत मोटा है.’
मैं रुक कर उसे देखने लगा. उसकी आंखें बंद हो गई थीं और दांत भिंचे हुए थे. उसने बिस्तर की चादर को अपनी दोनों मुट्ठियों से खींचा हुआ था.
मैं रुका तो उसने बिना आंखें खोले कहा- क्या पूरा चला गया?
मैंने कहा- अभी कहां शब्बो रानी.
शबाना भाभी- तो रुको मत … पूरा पेल दो.
मैंने जरा सा जर्क देकर लंड को बाहर खींचा और एक तेज प्रहार कर दिया.
मेरा पूरा लंड शबाना भाभी की चुत फाड़ता हुआ अन्दर पेवस्त हो गया.
उसकी चीख निकलने ही वाली थी कि उसी पल मैंने उसके होंठों पर अपने होंठों का ढक्कन लगा दिया.
एक मिनट का दौर यूं ही रुकने का रहा फिर शबाना भाभी का दर्द कुछ कम हुआ तो उसने गांड हिला कर संकेत दिया. बस हम दोनों की चुदाई की दुरंतो एक्सप्रेस अपनी फुल स्पीड से दौड़ पड़ी. कुछ ही पलों बाद मेरे झटके इतनी तेजी से लगने लगे थे कि आप यूं समझिये कि एक सेकंड में तीन धक्के की रफ्तार शबाना की चुत का भोसड़ा बना रही थी.
शबाना भाभी भी नीचे अपनी गांड उठाते हुए चिल्ला रही थी- आह मजा आ रहा है या अल्लाह इतना सुख तो मुझे अब तक कभी नहीं मिला था … आह और तेज चोदो अन्नू तुम्हारा लंड मेरी बच्चेदानी तक चोट कर रहा है. सच में तुम असली मर्द हो आह चोदो.
इसी तरह की मादक और कामुक आवाजों के साथ दस मिनट तक धकापेल चुदाई का मंजर हम दोनों को लस्त पस्त करता रहा. हम दोनों एक दूसरे से मानो होड़ में लगे हुए थे. तभी शबाना झड़ गई और मैं उसकी चुत में लंड पेलता रहा.
कुछ देर बाद मैंने शबाना से कहा- शब्बो घोड़ी बनेगी?
शबाना भाभी तुरंत उठ कर घोड़ी बन गई और मैंने पीछे से उसकी चुत में लंड पेल दिया. मैंने अपने हाथ से उसे झुका दिया और उसकी गांड पकड़ कर उसकी दबादब चुदाई करने लगा.
कमरे में शबाना भाभी की मादक आवाजें गूँज रही थीं और बाहर तेज बारिश हो रही थी.
बरसते पानी में लौंडिया चोदने का मजा ही कुछ और होता है.
शबाना भाभी बहुत तेज चीखते हुए चुद रही थी- आह चोदो मेरे राजा और तेज चोदो साली चुत को फाड़ दो … कुतिया बहुत सताती है! आह तुम एक बड़े चोदू हो! आह … आज से तुम ही मेरी चूत के मालिक हो. तुम ही मेरे शौहर हो अब से मेरी चुत तुम्हारी है मालिक मैं आपकी रंडी हूँ. आह चोद दो!
शबाना की उत्तेजना में उसके मुँह से निकलती ऐसी बातों से मुझे भी बड़ा जोश आ रहा था और मैं पूरी मस्ती से उसकी चुत चुदाई में लगा हुआ था.
कुछ पल बाद मैंने शबाना से कहा- चल मेरी शब्बो रानी, अब पोजिशन बदल ले.
वो मेरी बात समझ गई. मैं बिस्तर पर लेट गया और वो मेरे लंड पर अपनी चुत फंसा कर कूदने लगी.
मेरे दोस्त की बीवी नंगी मेरे लंड पर कूद रही थी.
उसके मुँह से अंटशंट कुछ भी निकला जा रहा था- आह मेरे सरताज आह चोद दो मुझे … आह मैं आपकी दासी बन कर रहूंगी … आह रखैल बन कर रहूँगी आह मेरी चुत फाड़ दो … इतना मोटा तगड़ा लंड मुझे आज तक नहीं मिला. आह अल्लाह मैं तेरा शुक्रिया अदा करती हूँ आह सनम चोद दो मुझे … आह मुझे रोज तुमसे ही चुदवाना है.
इसी तरह की आवाजों के बाद शबाना फिर से झड़ने की कगार पर आ गई थी.
मैं भी अब तक अपने चरम पर आ गया था.
मैंने शबाना से पूछा- वीर्य किधर लोगी? चुत के अन्दर या मुह मे ??
वो बोली- मुँह में तो एकबार ले चुकी हूँ अब तो आप मेरी इस सूखी जमीन की ही सिंचाई कर दो. अभि वाच्चा नही होगा।
मैंने ये सुनते ही बिना लंड निकाले उसे अपने नीचे लिया और ताबड़तोड़ धक्के मारते हुए अपनी धार उसकी चुत में छोड़ना शुरू कर दी.
मेरे वीर्य ने निकलना शुरू किया ही था कि शबाना ने अपनी दोनों टांगों से मुझे जकड़ लिया.
मैंने भी अपना माल छोड़ना शुरू कर दिया था.
हम दोनों को इस समय कोई होश ही नहीं था बस न जाने किस ध्यान में मग्न एक दूसरे से एकाकार हो गए थे.
एक के बाद एक आठ दस पिचकारियों ने शबाना की चुत की इतनी ज्यादा सिंचाई कर दी थी कि वीर्य ने बाहर निकलना शुरू कर दिया था.
शबाना ने अपनी आंखों से मुझे देखा और मुस्कुरा दी.
मैंने पूछा- कैसा लगा जान?
वो- सच में आज तक इतना सुख कभी नहीं मिला.
मैंने पूछा- सबसे ज्यादा किस चीज में मजा आया?
उसकी बात सुनने लायक थी.
शबाना ने कहा- जब तुम्हारे लंड के सुपारे की चमड़ी आगे पीछे होकर मेरी चुत की फांकों से रगड़ती थी तब मुझे जन्नती मजा मिल रहा था. आज से मैं तुम्हारी हुई अन्नू मुझे हमेशा चोदते रहना.
उसकी बात का मर्म ये था कि ओपरेशन किये हुए लंड से इतना सुख कभी नहीं मिलता है. जितना नेचुरल लंड से चुदाई का सुख मिलता है.
मैंने उसे चूम लिया और उसकी चुदाई करते रहने का वायदा कर दिया.
हम दोनों ने उस रात तीन बार चुदाई का सुख लिया.।