24-03-2019, 04:17 PM
और ये कहते हुए भाभी ने ब्रा खोल के वापस कबर्ड में फेंक दी।
बात भाभी की सोलहो आना सही थी।
बिचारा, कितने दिनों से पीछे पड़ा था।
मैं एक-एक दिन जोड़ रही थी, हर महीने 14-15 चिट्ठियां और औसतन 246 मेसेज उसके आते थे,
और ये तब थे जब मैं किसी का जवाब नहीं देती थी।
जनाब कितने दिनों से मुझे कॉलेज छोड़ने लाने का काम करते थे, सारी लड़कियां उसका नाम लेकर चिढ़ाती थीं।
और आज तो वो सुबह से ही जोश में था वो।
जब मैं और भाभी सुबह छज्जे पे खड़े जीजू की राह देख रहे थे, तब होलियारों का लीडर बना वो,
मेरे नाम के एक से एक जोगीड़े गाता हुआ, और जो उसने रंग भरा गुब्बारा मारा सीधे मेरे बाएं उभार पे लगा, पूरी तेजी से, और मैं रंग से सराबोर हो गई।
एकदम अंदर तक।
“यार तेरेवाले का निशाना तो बहुत पक्का है, और ताकत भी बहुत है,
सोच ले जब तेरी जाँघों के बीच मारेगा तो क्या हालत होगी?”
भाभी ने चिढ़ाया।
और जब से जीजू गए थे, तब से भाभी उसकी वकालत कर रही थीं।
भाभी-
“यार अब तो तेरी गली का रास्ता खुल ही गया है, अपने वाले को दे दे ग्रीन सिग्नल।
अरे जीजू लोग तो होली दिवाली वाले हैं दो चार महीने में एक बार, लेकिन अब तो तेरी चिड़िया रोज चारा मांगेगी।
होली का दिन भी है, उस बिचारे का मन भी रह जाएगा, तेरा काम भी हो जाएगा…”
बात तो भाभी की सही थी।
लेकिन खुलकर हाँ करना खतरे से खाली नहीं था।
तबतक भाभी ने एक टाप निकालकर पकड़ा दिया मुझे, बहुत ही पतली, लो कट, एकदम खुली, टाइट टाप निकालकर पकड़ा दी मुझे-
“ले इसे पहन…”
मैं- “पर भाभी इसमें तो मैं साल भर पहले नहीं घुस पाती थी, अब कैसे?”
उनकी ओर देखकर मैंने अपनी परेशानी बतायी।
मेरे गदराए किशोर कड़े-कड़े मम्मों की ओर देखते भाभी हँस के बोलीं-
“मैं बताती हूँ कैसे घुसवाया जाता है?”
ब्रा तो उन्होंने पहले ही उतार फेंकी थी टाप की बटनें भी सारी, खुली, फोर्स करके मुझे पहनाया।
टाइट इतनी थी की लग रहा था कि मेरे टीन मम्मे उसे फाड़कर बाहर आ जाएंगे।
वैसे भी एकदम पतली सी थी, फिर टाइट इतनी कि उभार, कटाव, यहाँ तक की कबूतर की चोंचें उठाये झलक रही थीं। बटन बंद होने का सवाल ही नहीं था, और खुले टाप से गहरी गहराइयां दिख रही थी।
बल्कि मांसल गोलाइयां भी, कबूतर के रंगे पुते पंख, जो उसने गुब्बारा तो अभी भी खूब गाढ़ा, बाएं उभार पे,
भाभी ने स्कर्ट भी छोटी सी पहनाई, मुश्किल से डेढ़ दो बित्ते की, वो भी साइड से स्प्लिट,
गोरी चिकनी जांघें साफ दिख रही थीं।
साथ में काजल, मस्कारा, डार्क पैशन रेड लिपस्टिक,
ऊपर से भाभी मुझे अपनी साढ़े तीन इंच की हाई हील पहना के मानी।
भाभी ने छेड़ा-
“अरे यार तेरे मस्त चूतड़ अब खूब मटकेंगे…”
और चलने के पहले फिर, टिपिकल शैतानी, स्कर्ट उठाकर लेसी पैंटी के ऊपर दबाती दबोचती बोलीं-
“उस यार को झलक दिखला देना। अब तेरी इस बु… मेरा मतलब बुलबुल को परमानेंट चारे की जरूरत है। पटा ले उसे…”
“मैं समझ गई भाभी…”
मुश्कारते हुए बोली और छुड़ाते हुए चलने के लिए बढ़ी।
विनया के अठाइस मेसज आ चुके थे, और दस मेसेज, जीजू का खड़ा है आ जल्दी।
बाहर निकलने के पहले भाभी ने एक बार फिर रोक लिया और दोनों निपल्स को जोर से पिंच कर दिया और खींच दिया।
मैं मस्ती से सिहर उठी।
अब वो खूब जोश में खड़े, कड़े-कड़े, टाप से रगड़ रहे थे। खुल के झलक रहे थे।
बाहर होली का हंगामा मचा हुआ था।
शाम की सूखी होली शुरू हो गई थी, अबीर और गुलाल की होली।