Thread Rating:
  • 0 Vote(s) - 0 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery Hindi my best stories
#7
फौजी की बीवी ने मौज करा दी
************************

दोस्तो, मेरा नाम साहिल है, मेरे पापा एक आर्मी मैन हैं, हम सब एक फौजी कालोनी में रहते हैं।
पापा की जॉब की वजह से हम सब करीब करीब आधे से ज़्यादा हिंदुस्तान घूम चुके हैं। जहाँ भी पापा की ट्रान्सफर होती, पापा हमें अपने साथ ही वहाँ ले जाते।

ऐसे में एक बार पापा की पोस्टिंग पटियाला में हो गई, हम सब वहाँ शिफ्ट हो गए, सरकारी क्वाटर मिल गया।
हमारे पड़ोस में और भी बहुत से परिवार रहते थे, उन्हीं में से हमारे बिल्कुल बगल वाला क्वाटर अरुण अंकल का था। उनके परिवार में सिर्फ तीन लोग थे, अरुण अंकल उनकी पत्नी शालू और उनकी नन्ही बेटी गीतिका।

हमारे वहाँ आने के थोड़े ही दिनों में अरुण अंकल की फॅमिली से हमारी काफी घनिष्ठता हो गई, आंटी अक्सर मुझसे घर बाज़ार के काम करवाती रहती।
करीब डेढ़ साल हमारे परिवार एक दूसरे के साथ रहे, मैंने कभी भी आंटी से कोई गलत बात नहीं की।

आंटी देखने में अच्छी सुंदर थी, गोरी चिट्टी थी, बदन भी अच्छा सुंदर था, मोटी तो नहीं थी, मगर पतली दुबली भी नहीं थी, मैंने कई बार उनके नाम की मुट्ठ भी मारी थी, मगर फिर भी उनके सामने मैं बिल्कुल शरीफ बना रहा। आंटी भी मुझसे बहुत स्नेह करती थी।
जब अंकल की पोस्टिंग बाहर की हो गई, पहले तो लगा कि ये क्वाटर छोड़ कर चले जाएंगे, मगर बाद में अंकल ने मना कर दिया कि गीतिका भी कॉलेज जाने लगी थी, तो आंटी वहीं रहेंगी, सिर्फ अंकल ड्यूटी पर जाएंगे।

शुरू शुरू में तो ठीक था, मगर फिर धीरे धीरे मेरे मन में ये विचार आने लगे कि अंकल तो बाहर चले गए, अब आंटी की सेक्स की कमी कैसे पूरी होती होगी।
क्या करती होगी वो जब उसकी चूत में आग लगती होगी।

मैंने यह जानने का फैसला किया और अक्सर शालू आंटी के घर में तांक झांक करने लगा। और रात को जब तक वो बत्ती बंद करके सो न जाती, मैं इसी चक्कर में रहता कि किसी तरह से उनके बेडरूम में होने वाली हर गतिविधि को मैं देख सकूँ।

मगर ऐसा संभव न हो सका। जब कभी उनके घर जाता तो साड़ी या नाईटी में उनके बूब्स और चूतड़ देखता तो दिल करता के पकड़ के दबा दूँ, मगर हिम्मत न कर पाता।

ऐसे ही दिन बीतते गए।

एक दिन मैं उनके घर गया, आंटी घर में नहीं दिखी, मैंने गीतिका से पूछा, वो बोली- मम्मी पोट्टी कर रही हैं।
मैं बैठ कर इंतज़ार करने लगा।

हमारे फौजी क्वाटरों में लेटरीन और बाथरूम अलग अलग होते हैं, बाथरूम बिल्कुल मेरे सामने ही था।
तभी मैंने देखा, लेटरीन का दरवाजा खुला और शालू आंटी बिल्कुल नंगी लेटरीन से बाहर निकली और बाथरूम में घुस गई, उन्होंने मेरी तरफ ध्यान ही नहीं दिया।

उनको एकदम से बिल्कुल नंगी देखने का तो मैंने सोचा ही नहीं था।
मेरी तो हालत खराब हो गई, मैं उठ कर वापिस अपने घर आ गया।

बार बार मेरी आंखों के सामने आंटी का नंगा बदन आ रहा था, गोल गोल दूध से सफ़ेद बोबे, पतली कटीली कमर और गोरे गोरे मोटे चूतड़, और सबसे प्यारी छोटे से झांट के गुच्छे में छिपी उनकी चूत।

मुझे और कुछ नहीं सूझा तो मैं बाथरूम में गया और सबसे पहले आंटी के नाम की मुट्ठ मारी, जब मेरा पानी छूटा तब जाकर चैन आया।

शाम को जब मैं बाहर खड़ा था तो आंटी भी बाहर आई, मुझे देखा तो मुझे बुलाया, मैं उनके घर गया।
आंटी ने मुझे सोफ़े पे बिठाया और पूछा- आज सुबह तुम आए थे?
मैंने कहा- जी!

‘कब?’ आंटी ने पूछा।
‘जी, जब आप टॉइलेट में थी।’
आंटी ने फिर पूछा- तो, उसके बाद?
मैंने कहा- जी उसके बाद आप टॉइलेट से निकल कर बाथरूम में चली गईं।

‘तो तुमने सब देखा?’ आंटी ने पूछा।
‘जी, सब देखा…’ मैंने कहा।
‘देखो, तुम एक अच्छे लड़के हो, किसी को बताना मत!’ आंटी ने कहा।

मैंने सोचा कि यह मौका अच्छा है, बात खुली हुई है, अपना पपलू फिट करके देखता हूँ, अगर बात बन गई, तो चूत चोदने का जुगाड़ हो जाएगा।
मैंने आंटी से कहा- अरे नहीं, ऐसी बातें किसी को बताने वाली थोड़े ही होती हैं, मगर इतना ज़रूर है कि ऐसा नज़ारा मैंने ज़िंदगी में पहली बार देखा है और बार बार देखने की तमन्ना है।

मेरे सर पे काम सवार हो गया था और मैंने अपने दिल की बात साफ साफ आंटी से कह दी।
वो बोली- देखो वो एक घटना थी, मेरी बेख्याली से घट गई, आज तुम उसे फिर से देखने को कह रहे हो, कल को कुछ और कहोगे, ऐसा नहीं हो सकता, चलो जाओ यहाँ से!’ आंटी थोड़ा सख्ती से बोली।

मैं जाने के लिए उठा, मगर पता नहीं क्या हुआ और मैं एकदम आंटी पर टूट पड़ा, उन्हें दीवान पर गिरा कर मैं उनके ऊपर ही लेट गया- ओह शालू, मेरी जान, आई लव यू, मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता,
प्लीज़ मान जाओ मेरी बात, मैं तुम्हें बहुत सुख दूँगा, और अंकल भी तो नहीं है, तुम्हें भी ज़रूरत होती होगी, मान जाओ, यार प्लीज़ मान जाओ’!
मैं एक ही सांस में सब कह गया।

आंटी पहले तो मेरा विरोध कर रही थी, फिर नीचे लेटी लेटी बोली- यह संभव नहीं है, मैं तुम्हारे अंकल को क्या जवाब दूँगी।
मतलब आंटी भी चाहती थी।

मैंने कहा- अंकल को बताने की ज़रूरत ही क्या है, जो भी है हम दोनों के ही बीच है।
आंटी बोली- देखो किसी से कहना मत, वरना मैं सब कहीं बदनाम हो जाऊँगी, मुझे बदनामी से बहुत डर लगता है।

मैंने अपने हाथों में आंटी के दोनों बूब्स कस कर पकड़े और उन्हें दबाते हुये बोला- चिंता मत करो डार्लिंग, मैं कभी भी किसी से भी नहीं कहूँगा।
और यह कहते कहते मैंने अपने होंठों से आंटी के होंठों को चूम लिया।

पहले एक चुंबन लिया, फिर दूसरा और तीसरी बार तो आंटी ने अपने हाथों से मेरा सर पकड़ा और खुद अपने होंठों में मेरे होंठ लेकर
चूस गई।
हाँ यह बात अलग है कि मुझे इस बात का यकीन ही नहीं हो रहा था कि आंटी इतनी जल्दी मान जाएगी।

मैंने आंटी को अपनी बाहों में ज़ोर से कस लिया, अपनी जीभ निकाली और आंटी के होंठों पर घुमाई।
आंटी बोली- होंठों पे मत घुमा… मेरे मुँह में दे।

मैंने क्या देनी थी, आंटी ने खुद ही जीभ अपने होंठों में पकड़ी और अंदर को चूस गई, और क्या खींच खींच कर चूसी, सच में मज़ा आ गया, दोनों भुक्खड़ों की तरह एक दूसरे के चेहरे को चूम चाट रहे थे।

मुझे पहले कभी चूत नहीं मिली थी, मैं तो आज तक मुट्ठ मार कर ही काम चला रहा था, आंटी को 2 महीने से लंड की प्यास थी।

एक दूसरे को अच्छी तरह से चूम चाट कर हम थोड़ा संयत हुये। आंटी ने मुझे उठाया, और खुद भी खड़ी हो गई, उसके बाद उसने अपनी नाईटी उतार दी, नाईटी के नीचे से वो बिल्कुल नंगी थी, नंगा गोरा बदन मेरे सामने था, मैंने आंटी को उसकी कमर से पकड़ा और अपने पास खींचा, मैं दीवान पे बैठ गया, और आंटी के दोनों नंगे बोबों को अपने हाथों से पकड़ कर दबाया।

आंटी ने खुद मेरा सर अपनी तरफ खींचा और अपना एक बोबा मेरे मुँह से लगाया- उस दिन यही देखा था न तुमने, लो अब जी भर के पियो इसे!मैंने आंटी का बोबा मुँह में लेकर चूसा, दूध तो नहीं था, मगर बोबा चूसना मर्द को वैसे ही बहुत अच्छा लगता है।

फिर आंटी ने दूसरा बोबा मेरे मुँह से लगाया- इसे भी पियो!
मैंने वो बोबा भी चूसा।

मेरे मन में एक सवाल था, मैंने आंटी से पूछ ही लिया- आंटी ये बताओ, आपको क्या सूझा मेरे साथ ये सब करने का?
वो बोली- क्यों, क्या मैं अंधी हूँ, जब तुम मेरे घर आते हो, मेरे बदन पे यहाँ वहाँ देखते हो, क्या मुझे पता नहीं चलता, तुम्हारे मन में क्या चल रहा है, मुझे सब पता होता था।

‘तो क्या उस दिन जो हुआ, वो भी आपको पता था?’ मैंने पूछा।
‘बिल्कुल, यह कोई इत्तेफाक नहीं था कि मैं नंगी हालत में तुम्हारे सामने लेटरीन से बाथरूम में गई, मैंने जान बूझ कर तुम्हें वो नज़ारा दिखाया था, मगर तुम तो उठ कर ही चले गए, बाद में मैं बाथरूम से भी बाहर आई थी, मगर तुम थे ही नहीं, डरपोक कहीं के भाग ही गए!’ आंटी बोली।

‘तो अगर मैं उस दिन बैठा रहता तो?’ मैंने पूछा।
आंटी बोली- ये जो अब हो रहा है, उस दिन हो जाता!
आंटी बोली- चल अब बातें मत बना और मुझे भी दर्शन करा।

मैंने पहले अपनी टीशर्ट उतारी और फिर जीन्स, मेरी चड्डी आंटी ने खुद ही खींच के उतार दी, पत्थर की तरह तना हुआ मेरा लंड बाहर आ गया।
आंटी ने एकदम से उसे अपने हाथों में पकड़ लिया- अरे वाह, क्या बात है!
आंटी बोली।

पहले उसने लंड की चमड़ी पीछे हटा कर टोपा बाहर निकाला और फिर नीचे आँड से लेकर ऊपर तक अपनी जीभ की नोक से चाटा, मेरे तो सारे बदन में झुंझुनाहट सी हो गई।
मुझे कुछ नहीं करना पड़ा, आंटी ने खुद ही मुँह में मेरा लंड लिया और चूसने लगी।

आँखें बंद करके कितनी देर उसने मेरा लंड चूसा, फिर मुझसे बोली- मेरी चाटेगा?
मैंने कहा- कभी पहले चाटी तो नहीं, पर बड़ी इच्छा है चाटने की, ज़रूर चाटूंगा।
‘तो क्या पहले कभी किया है या नहीं?’ आंटी ने पूछा।

मैंने कहा- कहाँ आंटी, आज तक कभी मौका ही नहीं मिला।
‘कितने साल का हो गया है?’ आंटी ने पूछा।
मैंने कहा- 24 का!

आंटी हंस के बोली- तो अब तक क्या करता रहा?
मैंने कहा- आपके नाम की मुट्ठ मारता रहा।

आंटी ने एक चपत मेरे चूतड़ पर मारी और बोली- धत्त, हाथ से नहीं करते, कमजोरी आती है, इससे बेहतर है के किसी चौड़े मुँह वाली बोतल में कर लो, कमर चलाओ, हाथ मत चलाओ!

कह कर आंटी मेरे ऊपर आ गई और मेरे मुँह के पास अपनी चूत लाकर, अपनी उँगलियों से उसके दोनों होंठ खोल कर बोली- लो चाटो इसे!

मैंने अपनी जीभ से उसकी चूत को चाटा।
‘अरे ऐसे नहीं, अच्छी तरह से जैसे कुल्फी चाटते हो, अभी ऐसा लग रहा है, बाद में बहुत टेस्टी लगेगी, अच्छी तरह से अंदर तक जीभ डाल कर चाटो!’

मैं उसके कहे मुताबिक चाटने लगा।
पहले वो अपनी चूत का चना मेरे होंठों पर रगड़ रही थी, फिर मेरे मुँह के ऊपर ही बैठ गई, मैं अपनी जीभ उसकी चूत के सुराख के अंदर तक डाल कर चाट रहा था, यही नहीं उसने तो अपनी गांड भी चटवाई मुझसे।

उसकी चूत का पानी मेरे मुँह पर लग रहा था और बहुत सारा तो मैं पी भी गया।

जैसे जैसे मैं उसकी चूत चाट रहा रहा, और उसको मज़ा आ रहा था, वैसे वैसे वो अपनी चूत मेरे मुँह पर रगड़ रही थी, अपने दोनों हाथों से अपने बूब्स दबा रही थी और अपनी मुँह से तड़प और सिसकारियाँ निकाल रही थी।

उसे देख कर लग रहा था कि वो आनन्द के सातवे आसमान पर थी। मुझे तो यह भी लगा कि शायद वो मेरी चटाई से ही झड़ जाएगी, मगर नहीं, उसका पूरा कंट्रोल था खुद पर!

उसने अपनी पूरी तसल्ली से चूत चटवाई, फिर नीचे उतर गई।

मेरे मुँह से उतारने के बाद उसने मुझसे पूछा- कैसे करोगे?
मैंने कहा- जैसे तुमको अच्छा लगे।
वो बोली- मुझे तो हर तरह से अच्छा लगता है, पर तुम्हारा पहली बार है इसलिए, सीधे स्टाइल से ही शुरू करते हैं, मैं नीचे तुम ऊपर, बाद में स्टाइल बदल लेंगे!
मैंने कहा- ठीक है।

वो दीवान पे सीधी लेट गई और जब मैं उसके ऊपर आया तो उसने अपनी टाँगें फैला कर मुझे बीच में ले लिया। उसने खुद मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत पर रखा और मुझे धक्का मारने को कहा।
मैंने धक्का मारा मगर लंड अंदर नहीं गया, वो बोली- ऐसे नहीं इसे प्यार से अंदर डालो।

मैंने बड़े आराम से दबाव बनाया और मेरा लंड उसकी चूत में घुस गया।
सच कहूँ मैने तो अपनी आँखें बंद कर ली, पहली बार किसी की चूत में लंड घुसाने के सुख मिला था मुझे, कितनी खुशी हुई मुझे, शब्दों में ब्यान नहीं कर सकता।

ब्लू फिल्में तो बहुत सी देखी थी, मगर सच में सेक्स करने का मज़ा ही कुछ और होता है।

मैं धीरे धीरे अपनी कमर चलाने लगा, लंड अंदर बाहर होने लगा और पूरा का पूरा लंड मैंने आंटी की चूत में डाल दिया।
‘आह, मज़ा आ गया शालू!’ मैंने कहा।
‘अच्छा, आंटी से सीधा शालू?’ वो बोली।
मैंने कहा- जानेमन, अब तुम मेरी आंटी नहीं, गर्लफ्रेंड बन गई हो, अब जिसे चोद रहे हो, उसे तो आंटी नहीं कह सकते।

आंटी ने अपने दोनों हाथों से मेरी कमर पकड़ी और बोली- ओ के, मेरे बॉयफ्रेंड, चल अब अपना ज़ोर दिखा!
आंटी ने कहा और मैं अपनी पूरी ताकत से अपना लंड आंटी के चू’त के अंदर बाहर करने लगा।

आंटी बोली- इस तरह जैसे तुम इतना ज़ोर लगा रहे हो, इस से तुम भी जल्दी थक जाओगे और मुझे भी चोट पहुँचती है, तुम्हारा लंड मेरे अंदर जा कर ज़ोर से लगता है, आराम से धीरे धीरे अपने लंड से मुझे रगड़ते हुये सेक्स करो ताकि हम दोनों को मज़ा भी भरपूर आए, और तुम बिना थके ज़्यादा देर तक मेरे साथ सेक्स कर सको।

मैंने वैसे करने लगा।
आंटी ने मुझे और भी बहुत सी सेक्स की बातें बताई।
फिर मैंने आंटी को घोड़ी बना कर भी चोदा।

उसके बाद आंटी बोली- अब तुम नीचे आओ और मैं ऊपर आऊँगी।
मैं नीचे लेट गया तो आंटी ऊपर आई और मेरा लंड पहले तो उसने चूसा, फिर अपनी चूत में ले लिया।
‘तुम्हें लंड चूसना अच्छा लगता है?’ मैंने पूछा।
तो आंटी बोली- अच्छा लगता है, मेरा बस चले तो चबा के खा जाऊँ इसे, कुदरत ने यह सबसे प्यारी चीज़ बनाई है, बिना चूसे अगर सेक्स करूँ, तो मुझे लगता है कि सेक्स ही नहीं किया।

और आंटी फिर धीरे धीरे मेरे ऊपर उठने बैठने लगी। इस पोज में आंटी की चूत और भी टाइट लग रही थी।

मैंने कहा- शालू, अब तुम्हारी चूत बहुत टाइट लग रही है।
वो बोली- अभी देखना, 2 मिनट में तुम्हारा पानी निकलवा दूँगी।
आंटी मेरे ऊपर झुक गई, उसके दोनों बूब्स मेरे चेहरे के ऊपर झूल रहे थे, मैंने उनसे खेलना शुरू कर दिया, कभी दबाता तो कभी चूसता, आंटी अपनी कमर का ज़ोर दिखा रही थी।

उसने सच ही कहा थी, एक मिनट बाद ही मुझे लगने लगा कि मेरा तो अब पानी निकलने वाला है, मैंने आंटी से कहा- शालू मेरा तो होने वाला है। कहा निकालु? ????????

आंटी ने कहा नेहि रुको अन्दर मत गिराना।
फिर एकदम से मेरा लंड अपनी चूत से निकाला और हाथ में पकड़ के हिलाने लगी।
बहुत सारा माल, आंटी के पेट पर, मेरी जांघों पर और बिस्तर पर गिर गया।

आंटी ने मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया, और जैसे आखरी बूंद तक वो चूस चूस कर पी गई, और उसके बाद मेरी जांघों पे गिरा मेरा माल भी चाट गई।

मैंने कहा- अगर मैं तुम्हारे मुँह में माल छुड़वाता तो क्या सारा पी जाती?
वो बोली- क्यों नहीं, ज़रूर पीती, बल्कि अगली बार मेरे मुँह में ही गिराना।

‘तुम्हारा हो गया था क्या?’ मैंने पूछा।
‘हाँ, मेरा तो तभी हो गया था जब तुम चाट रहे थे।’ वो बोली।
उसके थोड़ी देर बाद हम दोनों साथ साथ नंगे लेटे रहे, फिर मैं उठ कर कपड़े पहन कर अपने घर आ गया और वो वैसे ही नंगी लेटी रही।

उसके बाद तो जो गाड़ी चलाई हमने कि पूछो मत, आज इस बात को 10 महीने से भी ऊपर हो गए हैं, और आज भी हमारा प्यार, मोहब्बत, इश्क या काम वासना जो भी आप कहें, बड़े मज़े से चल रहा है।
Like Reply


Messages In This Thread
Hindi my best stories - by Pagol premi - 18-01-2021, 09:36 PM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 18-01-2021, 10:30 PM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 18-01-2021, 10:44 PM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 18-01-2021, 10:57 PM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 18-01-2021, 11:10 PM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 18-01-2021, 11:20 PM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 18-01-2021, 11:36 PM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 18-01-2021, 11:53 PM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 19-01-2021, 12:16 AM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 19-01-2021, 09:30 PM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 19-01-2021, 09:41 PM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 19-01-2021, 09:54 PM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 19-01-2021, 10:05 PM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 19-01-2021, 10:17 PM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 19-01-2021, 10:36 PM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 19-01-2021, 10:52 PM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 19-01-2021, 11:16 PM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 19-01-2021, 11:42 PM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 20-01-2021, 12:00 AM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 20-01-2021, 12:20 AM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 20-01-2021, 10:29 PM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 20-01-2021, 10:38 PM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 20-01-2021, 10:45 PM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 20-01-2021, 11:02 PM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 20-01-2021, 11:12 PM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 20-01-2021, 11:30 PM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 20-01-2021, 11:47 PM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 20-01-2021, 11:58 PM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 21-01-2021, 12:17 AM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 21-01-2021, 12:24 AM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 21-01-2021, 12:40 AM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 21-01-2021, 12:49 AM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 21-01-2021, 12:56 AM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 21-01-2021, 01:22 AM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 21-01-2021, 09:50 PM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 21-01-2021, 10:02 PM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 21-01-2021, 10:12 PM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 21-01-2021, 10:23 PM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 21-01-2021, 10:39 PM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 21-01-2021, 10:50 PM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 21-01-2021, 11:11 PM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 21-01-2021, 11:30 PM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 21-01-2021, 11:40 PM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 21-01-2021, 11:48 PM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 21-01-2021, 11:57 PM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 22-01-2021, 12:20 AM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 23-01-2021, 11:21 PM
RE: Hindi my best stories - by bhavna - 23-01-2021, 11:36 PM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 23-01-2021, 11:42 PM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 23-01-2021, 11:54 PM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 24-01-2021, 12:11 AM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 24-01-2021, 10:23 PM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 24-01-2021, 10:39 PM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 24-01-2021, 11:07 PM
RE: Hindi my best stories - by Pagol premi - 24-01-2021, 11:22 PM



Users browsing this thread: 4 Guest(s)