18-01-2021, 10:30 PM
चाची की चूत और मेरे लंड की गर्मी
****************************
नमस्कार मित्रो! मैं तानु उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर के एक छोटे गांव का रहने वाला हूं. गाँव का नाम मैं नहीं बता सकता यहां पर!
चूंकि हमारे वहां पर रोजगार के अधिक साधन नहीं है इसलिए मैं दिल्ली जैसे बड़े शहर में रहकर कमाई करता हूं.
मैंने अन्तर्वासना पर बहुत सारी कहानियां पढ़ी हैं. मैंने कई बार अपनी स्टोरी बताने की सोची लेकिन मुझे समय नहीं मिल पा रहा था.
फिर धीरे धीरे मैंने ये स्टोरी पूरी की और आज आपके सामने अपनी पहली चुदाई की शुरूआत की चाची Xxx कहानी बताऊंगा.
मैं दिल्ली में शुरूआत के समय कुछ दिन अकेले रहा.
मगर कुछ दिन दिल्ली में रहने बाद मैं जॉब छोड़कर घर वापस आ गया.
मुझे वहां का पानी सूट नहीं कर रहा था. इसलिए कुछ दिन मैं घर पर ही रहा.
कुछ दिन घर पर रहने के बाद जब वापस जाने लगा तो मेरे पड़ोसी मनमोहन जी बोले कि मैं उनके साथ ही रहूं.
मनमोहन जी का दिल्ली में अपना मकान था लेकिन वो अक्सर गांव में अपनी जायदाद को संभालने आ जाया करते थे.
मेरे घर वाले भी इस बात पर राजी हो गये क्योंकि दिल्ली जैसे शहर में अकेले रहना कोई समझदारी वाली बात नहीं है. अगर कहीं बीमार वगैरह पड़ गये तो फिर कोई संभालने के लिए भी नहीं मिलता वहां।
मैं अंकल के साथ दिल्ली शिफ्ट होने को राजी हो गया. अंकल पहले ही दिल्ली आ गये. दो दिन बाद मैं भी अपना सामान लेकर पहुंचा. उनके घर पहुंचकर मैंने दरवाजा नॉक किया.
जब दरवाजा खुला तो सामने का नजारा देखकर मेरा मुंह भी हल्का सा खुला ही रह गया.
मनमोहन जी अंकल की बीवी यानि कि मेरी आंटी सामने थी.
वो उम्र में उनसे बहुत छोटी लग रही थीं.
उनका नाम मैं यहां पर नहीं बता सकता हूं.
उन्होंने अपने आप को ऐसे मेंटेन किया था कि पता नहीं लग रहा था कि वो एक आंटी की उम्र की हैं. दो बच्चे, वो भी इतने बड़े हो जाने के बाद भी खुद को इतना मेंटेन करना बहुत मुश्किल होता है.
उनकी उम्र 40 के करीब थी लेकिन देखने वाला उनकी उम्र 30 साल या 32 साल से ज्यादा बता ही नहीं सकता था.
उनके बच्चे मेरे से 7-8 साल छोटे थे. उनकी बेटी 19 साल की थी.
मैं उनके घर में शिफ्ट हो गया और फिर धीरे धीरे उन लोगों के साथ घुल मिल गया. धीरे धीरे मैं उनकी बेटी की ओर आकर्षित होने लगा क्योंकि उसकी जवानी की कली ने अब खिलना शुरू कर दिया था.
इधर चाची को भी मेरी नजरों का निशाना मालूम पड़ गया था. वो जान गयी थी कि उनकी बेटी पर मेरी निगाह है.
इसलिए चाची ने अब मेरे ऊपर ज्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया.
वो अब मुझे रिझाने की कोशिश करने लगी थी ताकि मेरा ध्यान उनकी बेटी से हटकर उन पर आ जाये.
अब मेरा ज्यादा समय चाची के साथ बीतने लगा. सुबह वो दोनों बच्चे कॉलेज चले जाते थे और अंकल काम पर निकल जाते थे. अभी मैंने जॉब करना शुरू नहीं किया था. पहली जॉब छोड़ने के बाद अभी दूसरी नहीं मिली थी.
अब मेरा मन भी चाची की चुदाई करने का कर रहा था. मगर सीधे मुंह कहने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी. इस तरह दो हफ्ते गुजर गये थे.
मैंने नोटिस किया तो पाया कि चाचा शायद अब चाची की चुदाई नहीं कर रहे थे. मैंने कभी उनके बीच में ऐसा खास तालमेल नहीं देखा कि जिससे पता लगे कि इनकी सेक्स लाइफ में अभी भी कुछ बचा हुआ है.
इधर चाची की जवानी उम्र के साथ और ज्यादा नशीली होती जा रही थी.
एक तो उनको चाचा का लंड नहीं मिल रहा था और ऊपर से मेरे जैसा जवान लड़का घर में था.
एक पुरानी चूत जवान लंड के लिए भले कैसे न तड़पती?
धीरे धीरे फिर मैंने चाची के साथ छेड़छाड़ शुरू की.
मैं जानता था कि चाची चुदना चाह रही है लेकिन वो खुद से पहल कभी नहीं करेगी.
शायद वो चाहती थी कि मैं ही पहल करूं ताकि कुसूर उनका न निकले.
एक दिन की बात है कि घर में हम दोनों अकेले ही थे.
उस दिन मुझे चाची के अंदर की जवानी की आग कुछ ज्यादा ही धधकती मालूम पड़ रही थी.
उस दिन उनकी चाल-ढाल बदली हुई थी.
उनके बदन में एक अलग ही लचक आ गयी थी. गांड भी बाकी दिनों से ज्यादा मटक रही थी और साड़ी भी ऐसी बांधी थी कि पतली कमर के मुझे भरपूर दर्शन हो सकें. ऊपर की ओर उनकी चूचियों की घाटी पर उन्होंने पल्लू भी नहीं डाला हुआ था.
सुबह से ही मैं उनके स्तनों के उभार को देखकर गर्म हो रहा था. मन कर रहा था कि आज खुद ही आगे बढ़कर उसको बेड पर लिटा लूं और उसको नंगी करके चोद दूं.
मगर फिर चाची ने खुद ही चुदाई का प्रोग्राम सेट कर दिया.
व दोपहर का खाना बनाकर अपने रूम में जाने लगी और मुझसे बोलीं कि उनके पैर और कमर में बहुत दर्द हो रहा है और रूम में आकर मुझे उनकी मालिश करने के लिए कहा.
अब मैं तो था ही इसी इंतजार में कि कोई मौका फंसे चाची की चूत मारने का. इससे अच्छा मौका मुझे भी नहीं मिलने वाला था. मैं भी तुरंत तैयार हो गया.
जब मैं उनके रूम में पहुंचा तो चाची बेड पर लेटी हुई थीं और मुझे आकर मालिश करने को कहा. मैंने तेल की शीशी ली और बेड पर उनके बगल में बैठकर मालिश करने लगा.
उनकी साड़ी का पल्लू एक तरफ गिरा हुआ था और ब्लाउज के हुक पीठ पर कसे हुए मेरी नजरों के सामने थे. पेट के बल लेटी हुई चाची की गोल गोल उठी हुई गांड देखकर मेरा मन उसके चूतड़ों को भींचने का कर रहा था.
कमर पर मालिश करते हुए मेरे हाथ उसकी पतली कमर पर नीचे तक जाने की कोशिश कर रहे थे. चाची कुछ नहीं बोल रही थी और बस सिर के नीचे हाथ दबाये हुए लेटी हुई थी.
कुछ देर बाद उसने बालो- तानु, मेरे ब्लाउज के हुक खोलकर थोड़ी पीठ की मालिश भी कर दे.
अब मैं एकदम से सकपका गया. वैसे तो मैं खुद ही चाची की चूत मारना चाह रहा था लेकिन उसके ब्लाउज खोलने की बात कहने पर न जाने क्यों मेरे हाथ कांपने लगे.
फिर मैंने धीरे धीरे उसके ब्लाउज के हुक खोल दिये और ब्लाउज के दोनों पल्ले अपनी अपनी साइड में नीचे तक जा खिसके. अब चाची की चूचियों के उभार मुझे नीचे दबे हुए दिख रहे थे.
अब मैंने धीरे धीरे उनकी पीठ की मालिश शुरू की.
दोस्तो, पीठ क्या मखमल का बिछौना थी. जैसे मलाई पर हाथ फिरा रहा था.
कुछ देर में ही मेरी हिम्मत बढ़ने लगी थी. अब मेरे हाथ चाची की चूचियों के उभारों तक नीचे पहुंचने लगे थे.
मेरी उंगलियां उसकी चूचियों की जड़ के हिस्से को छूकर आ रही थीं.
मेरा लंड टनटना चुका था और झटके लग रहे थे.
दोस्तो, जैसे जैसे लंड में रक्त प्रवाह प्रबल होता जाता है वैसे वैसे मर्द की वासना भी बेकाबू होती जाती है.
अब मेरे मन में ख्याल आने लगे थे कि चाची अब चाहे न चाहे मगर अब मैं इसको नंगी करके चोद ही दूंगा. इसकी चूत को रगड़कर चोदूंगा. इसकी सारी चुदास मिटा दूंगा.
मैंने अब चूचियों को जानबूझकर छेड़ना शुरू कर दिया. वो कुछ नहीं बोल रही थी.
अब मैं धीरे धीरे उसकी चूचियों के आधे हिस्से तक हाथ ले जाने लगा. उसके आगे हाथ पहुंच ही नहीं रहे थे क्योंकि बाकी का आधा हिस्सा बेड पर दबा हुआ था.
चूचियों को दबाने लगा तो चाची बोली- क्यों गर्म कर रहा है, फिर तू मुझे संभाल नहीं पायेगा.
मैं वासना भरे स्वर में बोला- हाय चाची … एक बार अपनी सेवा करने का मौका तो दो, ऐसी खातिरदारी करूंगा कि मेरी कायल हो जाओगी.
इस पर वो कुछ न बोली और पलटकर उसने सीधी करवट ले ली.
अब वो पीठ के बल थी. उसका ब्लाउज उसकी चूचियों से आध उठ चुका था. उसने मेरी ओर देखा और अपने दोनों हाथों को दोनों चूचियों पर रखकर अपना ब्लाउज उठा दिया.
उसके दोनों आम अब मेरे सामने नग्न थे.
नंगी चूचियां देखकर मेरा तो मुंह खुला का खुला रह गया. गला सूखने लगा. उसकी गोरी चूचियों पर उसके भूरे रंग के खूबसूरत निप्पल मटर के दाने के समान उठे हुए थे.
एक बार मेरी नजर चूचियों पर जा रही थी और एक बार चाची की आंखों में. वो जैसे कह रही थी- आ जा … पी ले इनका रस.
मुझसे भी रहा न गया और मैंने नीचे झुक कर चाची की एक चूची को मुंह में ले लिया. उसको चूसा और फिर अगले ही पल दूसरी को मुंह में भर लिया.
मेरी हालत ऐसी थी जैसे किसी भूखे को बरसों बाद खाना नसीब हुआ हो. दोनों चूचियों को बहुत तेजी से बारी बारी चूस रहा था.
चाची मेरे बालों को सहलाने लगी थी.
मैं अब उसके स्तनों को दबाते हुए पीने लगा. अब मैंने एक चूची पर फोकस किया और दूसरी को दबाने लगा.
चाची गर्म होने लगी.
फिर मैंने दूसरी को मुंह में लिया और पहली को दबाने लगा.
चाची मेरे सिर को अपने सीने में दबाने लगी.
काफी देर तक उसकी चूचियों को पीने के बाद मैंने चाची के होंठों को चूसना शुरू किया और वो भी मेरा पूरा साथ देने लगी.
उसने मेरे हाथ को पकड़ कर अपनी नाभि के नीचे साड़ी के ऊपर रखवा दिया और खुलवाने का इशारा करने लगी.
मैं समझ गया और नीचे ही नीचे उसकी साड़ी को पेटीकोट से निकाल दिया.
किस करने के बाद वो उठी और उसने अपनी साड़ी पूरी तरह से खोलकर एक तरफ कर दी. अब वो पेटीकोट में थी.
चाची ने नाड़ा खोला और पेटीकोट भी निकाल दिया.
नीचे चाची ने लाल पैंटी पहनी थी.
चाची की चूत उस पैंटी में अलग ही उभरी और फूली हुई सी दिख रही थी. पैंटी काफी टाइट थी और चूत के दोनों होंठ अपनी शेप दिखा रहे थे.
मैंने फिर से चाची को बेड पर पटक लिया और उसके 34डी के चूचे दबाते हुए उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा और उसके होंठों को खाने लगा.
अब वो अपनी जांघों को भींचने लगी थी. उसकी चूत को मजा आ रहा था.
कुछ देर तक हम होंठों के रसपान में डूबे रहे और फिर मैंने भी अपने कपड़े निकाल दिये. अब मैं पूरा नंगा था. मेरे लंड का हाल कामरस ने बेहाल कर दिया था. नीचे का साजो सामान सब भीग गया था.
अब मैंने चाची की पैंटी पर मुंह रखा और चूत को मुंह में लेकर जैसे खाने लगा.
चाची की चूत से रिस रहा रस इतनी मादक गंध वाला था कि मुझे नशा सा होने लगा.
मैं उसकी पैंटी को ही चूसने लगा. उसकी चूत के रस को पैंटी में से ही चूस कर मुंह में खींच रहा था.
अब चाची से रहा न गया तो उसने अपनी पैंटी उतार दी और अपनी चूत मेरे सामने नंगी कर दी.
उसकी फूली हुई सांवली चूत देखकर मैं उस पर टूट पड़ा और तेज तेज चाटने लगा.
चाची की सिसकारियां निकलने लगीं- आह्हह … तानु … ऊईई … आह्ह … और चूस … आह्ह … बहुत दिनों बाद चूत पर किसी मर्द की जीभ लगी है … आह्ह चूस … और जोर से … आह्ह … मर गयी मैं … उम्म … आह्ह!
चाची के मुंह से निकलते कामुक शब्द मुझे वहशी बना रहे थे.
मैंने उसकी चूत से जीभ निकाली और दो उंगली डालकर चोदने लगा.
चाची उचक गयी और मैंने उसकी चूची को जोर से भींचकर उसकी निप्पल को मसल दिया.
वो जोर से कराह उठी.
अब मैंने उसको उठाया और खुद घुटनों के बल खड़ा होकर उसके मुंह के सामने लंड कर दिया. उसके होंठों पर लंड को रगड़ने लगा और फिर उसको मुंह खोलने के लिए कहा.
चाची ने थोड़ा नखरा किया तो मैंने रिक्वेस्ट की.
फिर उसने मुंह खोला तो मैंने धीरे से पूरा लंड उसके मुंह में दे दिया और उसके मुंह को चोदने लगा.
वो भी मेरा साथ देने लगी. लंड को चूसने लगी.
कुछ देर तक लंड चुसवाने के बाद मुझसे रुकना मुश्किल हो गया और मैंने चाची की टांगों को फैला लिया.
इतने में ही चाची ने मेरे लंड को पकड़ लिया और उसकी मुठ मारते हुए सिसकार कर बोली- आह्ह … चोद दे ना तानु … जल्दी से चोद दे मुझे … मेरी प्यास मिटा दे … इतना बड़ा लंड है तेरा … मैं तो रोक नहीं पा रही हूं खुद को … तेरे चाचा का तो इसका आधा है.
चाची Xxx की तड़प देखकर मैंने सोचा कि इसका और मजा लिया जाना चाहिए. मैंने उसकी चूत पर लंड को रख दिया और उसके ऊपर लेटकर उसके होंठों को चूसने लगा.
अब चूत पर लंड लगते ही चाची जैसे मेरे होंठों को खाने ही लगी. ऐसा लग रहा था जैसे वो मुझे अपने अंदर ही डाल लेगी. उसके दांत मेरे होंठों को काटने लगे थे. नीचे से वो खुद अपनी चूत को मेरे लंड पर घिसा रही थी.
जब उससे बर्दाश्त न हुआ तो वो पागलों की तरह चिल्लाने लगी.
मैंने उसके मुंह पर हाथ रख लिया. वो मेरे हाथ को ही चूमने लगी. मैंने उसके मुंह में उंगली दे दी और वो उसको लंड की तरह ही चूसने लगी.
चाची की चुदास देखकर मेरा तो वैसे ही छूटने को हो गया था. मैंने सोचा कि अब देर करना ठीक नहीं है वर्ना चाची का पता नहीं क्या हाल होगा.
फिर मैंने उसकी चूत पर लंड को सेट किया और धीरे से एक धक्का दे दिया.
उसकी गर्म चिकनी चूत तो जैसे इसी पल के इंतजार में थी. उसकी चूत ने मेरे लंड का मुंह खोलकर स्वागत किया और पहले ही धक्के में लगभग आधा लंड चाची की चूत में उतर गया.
एकदम से चाची के मुंह से आह्ह … निकल गयी और उसने मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया.
मैंने दूसरा धक्का दिया और चाची के ऊपर लेट गया. मेरा लंड लगभग पूरा अंदर घुसने को हो गया था.
अब मैंने उसके होंठों को चूसना शुरू किया और धीरे धीरे उसकी चूत में लंड के धक्के लगाने लगा.
चाची की पकड़ मेरी पीठ पर बढ़ती ही जा रही थी. इतनी Xxx चुदासी औरत मैंने तो पोर्न फिल्मों में भी नहीं देखी थी.
उसने अपनी टांगों को मेरी गांड पर लपेट लिया और चूत को उचका उचका कर चुदने लगी. इतने से भी उसका मन नहीं भरा तो उसने उठकर मुझे नीचे पटका और खुद मेरे ऊपर आ गयी.
मेरे लंड को अपने हाथ से चूत में सेट किया और लंड को अंदर तक घुसवा कर उस पर उछलने लगी.
वो एक हाथ से अपनी चूत के दाने को मसल रही थी और दूसरे से उसने मेरे कंधे को थामा हुआ था.
मैंने उसके स्तनों को भींचना शुरू कर दिया और अब उसको और ज्यादा मजा आने लगा.
मेरे आनंद का भी ठिकाना ही नहीं था. चाची की गांड जब मेरी जांघों पर लगती थी तो पट-पट की आवाज हो रही थी.
अब लंड Xxx चाची की चूत में पूरी गहराई तक उतर रहा था और उसके चेहरे पर आनंद के साथ ही हल्का दर्द भी झलक रहा था. इन भावों के साथ उसको चुदते हुए देखकर मैं धीरे धीरे स्खलन की ओर बढ़ रहा था.
दस बारह मिनट की चुदाई के बाद ही मेरा निकलने को हो गया और मैंने चाची की गांड को हाथों से थामकर तेजी से उसकी चूत में झटके देने शुरू कर दिये.
वो भी और ज्यादा जोर से कूदने लगी.
इस तरह से पूरे जोश में चुदाई की स्पीड बढ़ाते हुए हम जल्दी ही चरम सीमा तक पहुंच गये.
मैने बोला चाची कहा निकालु ????? आन्दर या बाहर? ??????
चाची बोली आन्दर हि निकाल दे,, डार मत बाच्चा नेहि होगा।
फिर मेरे लंड से एकदम वीर्य की धार निकल कर चाची की चूत में जाने लगी. उसी वक्त चाची की चूत ने भी पानी छोड़ दिया और हम दोनों साथ में ही झड़ गये.मेरा सारा लावा चाची की चूत में खाली हो गया. फिर हम ऐसे ही एक दूसरे से चिपक कर लेट गये.
चाची की चूत मारकर मैंने अपनी पहली चुदाई का सुख ले लिया था और वो सुख सच में स्वर्ग जैसा था.
उस दिन के बाद तो फिर चाची की चुदाई करना रोज का ही सिलसिला हो गया था. घर के सब लोग चले जाते थे और मैं और चाची अकेले घर में पति पत्नी की तरह रहते थे.
चाची ने फिर मुझे सेक्स की बारीकियां सिखायीं कि किसी को गर्म कैसे किया जाता है और अधेड़ उम्र की औरतों को परम सुख कैसे दिया जाता है.
हम दोनों चुदाई के खूब मजे ले रहे हे।
****************************
नमस्कार मित्रो! मैं तानु उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर के एक छोटे गांव का रहने वाला हूं. गाँव का नाम मैं नहीं बता सकता यहां पर!
चूंकि हमारे वहां पर रोजगार के अधिक साधन नहीं है इसलिए मैं दिल्ली जैसे बड़े शहर में रहकर कमाई करता हूं.
मैंने अन्तर्वासना पर बहुत सारी कहानियां पढ़ी हैं. मैंने कई बार अपनी स्टोरी बताने की सोची लेकिन मुझे समय नहीं मिल पा रहा था.
फिर धीरे धीरे मैंने ये स्टोरी पूरी की और आज आपके सामने अपनी पहली चुदाई की शुरूआत की चाची Xxx कहानी बताऊंगा.
मैं दिल्ली में शुरूआत के समय कुछ दिन अकेले रहा.
मगर कुछ दिन दिल्ली में रहने बाद मैं जॉब छोड़कर घर वापस आ गया.
मुझे वहां का पानी सूट नहीं कर रहा था. इसलिए कुछ दिन मैं घर पर ही रहा.
कुछ दिन घर पर रहने के बाद जब वापस जाने लगा तो मेरे पड़ोसी मनमोहन जी बोले कि मैं उनके साथ ही रहूं.
मनमोहन जी का दिल्ली में अपना मकान था लेकिन वो अक्सर गांव में अपनी जायदाद को संभालने आ जाया करते थे.
मेरे घर वाले भी इस बात पर राजी हो गये क्योंकि दिल्ली जैसे शहर में अकेले रहना कोई समझदारी वाली बात नहीं है. अगर कहीं बीमार वगैरह पड़ गये तो फिर कोई संभालने के लिए भी नहीं मिलता वहां।
मैं अंकल के साथ दिल्ली शिफ्ट होने को राजी हो गया. अंकल पहले ही दिल्ली आ गये. दो दिन बाद मैं भी अपना सामान लेकर पहुंचा. उनके घर पहुंचकर मैंने दरवाजा नॉक किया.
जब दरवाजा खुला तो सामने का नजारा देखकर मेरा मुंह भी हल्का सा खुला ही रह गया.
मनमोहन जी अंकल की बीवी यानि कि मेरी आंटी सामने थी.
वो उम्र में उनसे बहुत छोटी लग रही थीं.
उनका नाम मैं यहां पर नहीं बता सकता हूं.
उन्होंने अपने आप को ऐसे मेंटेन किया था कि पता नहीं लग रहा था कि वो एक आंटी की उम्र की हैं. दो बच्चे, वो भी इतने बड़े हो जाने के बाद भी खुद को इतना मेंटेन करना बहुत मुश्किल होता है.
उनकी उम्र 40 के करीब थी लेकिन देखने वाला उनकी उम्र 30 साल या 32 साल से ज्यादा बता ही नहीं सकता था.
उनके बच्चे मेरे से 7-8 साल छोटे थे. उनकी बेटी 19 साल की थी.
मैं उनके घर में शिफ्ट हो गया और फिर धीरे धीरे उन लोगों के साथ घुल मिल गया. धीरे धीरे मैं उनकी बेटी की ओर आकर्षित होने लगा क्योंकि उसकी जवानी की कली ने अब खिलना शुरू कर दिया था.
इधर चाची को भी मेरी नजरों का निशाना मालूम पड़ गया था. वो जान गयी थी कि उनकी बेटी पर मेरी निगाह है.
इसलिए चाची ने अब मेरे ऊपर ज्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया.
वो अब मुझे रिझाने की कोशिश करने लगी थी ताकि मेरा ध्यान उनकी बेटी से हटकर उन पर आ जाये.
अब मेरा ज्यादा समय चाची के साथ बीतने लगा. सुबह वो दोनों बच्चे कॉलेज चले जाते थे और अंकल काम पर निकल जाते थे. अभी मैंने जॉब करना शुरू नहीं किया था. पहली जॉब छोड़ने के बाद अभी दूसरी नहीं मिली थी.
अब मेरा मन भी चाची की चुदाई करने का कर रहा था. मगर सीधे मुंह कहने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी. इस तरह दो हफ्ते गुजर गये थे.
मैंने नोटिस किया तो पाया कि चाचा शायद अब चाची की चुदाई नहीं कर रहे थे. मैंने कभी उनके बीच में ऐसा खास तालमेल नहीं देखा कि जिससे पता लगे कि इनकी सेक्स लाइफ में अभी भी कुछ बचा हुआ है.
इधर चाची की जवानी उम्र के साथ और ज्यादा नशीली होती जा रही थी.
एक तो उनको चाचा का लंड नहीं मिल रहा था और ऊपर से मेरे जैसा जवान लड़का घर में था.
एक पुरानी चूत जवान लंड के लिए भले कैसे न तड़पती?
धीरे धीरे फिर मैंने चाची के साथ छेड़छाड़ शुरू की.
मैं जानता था कि चाची चुदना चाह रही है लेकिन वो खुद से पहल कभी नहीं करेगी.
शायद वो चाहती थी कि मैं ही पहल करूं ताकि कुसूर उनका न निकले.
एक दिन की बात है कि घर में हम दोनों अकेले ही थे.
उस दिन मुझे चाची के अंदर की जवानी की आग कुछ ज्यादा ही धधकती मालूम पड़ रही थी.
उस दिन उनकी चाल-ढाल बदली हुई थी.
उनके बदन में एक अलग ही लचक आ गयी थी. गांड भी बाकी दिनों से ज्यादा मटक रही थी और साड़ी भी ऐसी बांधी थी कि पतली कमर के मुझे भरपूर दर्शन हो सकें. ऊपर की ओर उनकी चूचियों की घाटी पर उन्होंने पल्लू भी नहीं डाला हुआ था.
सुबह से ही मैं उनके स्तनों के उभार को देखकर गर्म हो रहा था. मन कर रहा था कि आज खुद ही आगे बढ़कर उसको बेड पर लिटा लूं और उसको नंगी करके चोद दूं.
मगर फिर चाची ने खुद ही चुदाई का प्रोग्राम सेट कर दिया.
व दोपहर का खाना बनाकर अपने रूम में जाने लगी और मुझसे बोलीं कि उनके पैर और कमर में बहुत दर्द हो रहा है और रूम में आकर मुझे उनकी मालिश करने के लिए कहा.
अब मैं तो था ही इसी इंतजार में कि कोई मौका फंसे चाची की चूत मारने का. इससे अच्छा मौका मुझे भी नहीं मिलने वाला था. मैं भी तुरंत तैयार हो गया.
जब मैं उनके रूम में पहुंचा तो चाची बेड पर लेटी हुई थीं और मुझे आकर मालिश करने को कहा. मैंने तेल की शीशी ली और बेड पर उनके बगल में बैठकर मालिश करने लगा.
उनकी साड़ी का पल्लू एक तरफ गिरा हुआ था और ब्लाउज के हुक पीठ पर कसे हुए मेरी नजरों के सामने थे. पेट के बल लेटी हुई चाची की गोल गोल उठी हुई गांड देखकर मेरा मन उसके चूतड़ों को भींचने का कर रहा था.
कमर पर मालिश करते हुए मेरे हाथ उसकी पतली कमर पर नीचे तक जाने की कोशिश कर रहे थे. चाची कुछ नहीं बोल रही थी और बस सिर के नीचे हाथ दबाये हुए लेटी हुई थी.
कुछ देर बाद उसने बालो- तानु, मेरे ब्लाउज के हुक खोलकर थोड़ी पीठ की मालिश भी कर दे.
अब मैं एकदम से सकपका गया. वैसे तो मैं खुद ही चाची की चूत मारना चाह रहा था लेकिन उसके ब्लाउज खोलने की बात कहने पर न जाने क्यों मेरे हाथ कांपने लगे.
फिर मैंने धीरे धीरे उसके ब्लाउज के हुक खोल दिये और ब्लाउज के दोनों पल्ले अपनी अपनी साइड में नीचे तक जा खिसके. अब चाची की चूचियों के उभार मुझे नीचे दबे हुए दिख रहे थे.
अब मैंने धीरे धीरे उनकी पीठ की मालिश शुरू की.
दोस्तो, पीठ क्या मखमल का बिछौना थी. जैसे मलाई पर हाथ फिरा रहा था.
कुछ देर में ही मेरी हिम्मत बढ़ने लगी थी. अब मेरे हाथ चाची की चूचियों के उभारों तक नीचे पहुंचने लगे थे.
मेरी उंगलियां उसकी चूचियों की जड़ के हिस्से को छूकर आ रही थीं.
मेरा लंड टनटना चुका था और झटके लग रहे थे.
दोस्तो, जैसे जैसे लंड में रक्त प्रवाह प्रबल होता जाता है वैसे वैसे मर्द की वासना भी बेकाबू होती जाती है.
अब मेरे मन में ख्याल आने लगे थे कि चाची अब चाहे न चाहे मगर अब मैं इसको नंगी करके चोद ही दूंगा. इसकी चूत को रगड़कर चोदूंगा. इसकी सारी चुदास मिटा दूंगा.
मैंने अब चूचियों को जानबूझकर छेड़ना शुरू कर दिया. वो कुछ नहीं बोल रही थी.
अब मैं धीरे धीरे उसकी चूचियों के आधे हिस्से तक हाथ ले जाने लगा. उसके आगे हाथ पहुंच ही नहीं रहे थे क्योंकि बाकी का आधा हिस्सा बेड पर दबा हुआ था.
चूचियों को दबाने लगा तो चाची बोली- क्यों गर्म कर रहा है, फिर तू मुझे संभाल नहीं पायेगा.
मैं वासना भरे स्वर में बोला- हाय चाची … एक बार अपनी सेवा करने का मौका तो दो, ऐसी खातिरदारी करूंगा कि मेरी कायल हो जाओगी.
इस पर वो कुछ न बोली और पलटकर उसने सीधी करवट ले ली.
अब वो पीठ के बल थी. उसका ब्लाउज उसकी चूचियों से आध उठ चुका था. उसने मेरी ओर देखा और अपने दोनों हाथों को दोनों चूचियों पर रखकर अपना ब्लाउज उठा दिया.
उसके दोनों आम अब मेरे सामने नग्न थे.
नंगी चूचियां देखकर मेरा तो मुंह खुला का खुला रह गया. गला सूखने लगा. उसकी गोरी चूचियों पर उसके भूरे रंग के खूबसूरत निप्पल मटर के दाने के समान उठे हुए थे.
एक बार मेरी नजर चूचियों पर जा रही थी और एक बार चाची की आंखों में. वो जैसे कह रही थी- आ जा … पी ले इनका रस.
मुझसे भी रहा न गया और मैंने नीचे झुक कर चाची की एक चूची को मुंह में ले लिया. उसको चूसा और फिर अगले ही पल दूसरी को मुंह में भर लिया.
मेरी हालत ऐसी थी जैसे किसी भूखे को बरसों बाद खाना नसीब हुआ हो. दोनों चूचियों को बहुत तेजी से बारी बारी चूस रहा था.
चाची मेरे बालों को सहलाने लगी थी.
मैं अब उसके स्तनों को दबाते हुए पीने लगा. अब मैंने एक चूची पर फोकस किया और दूसरी को दबाने लगा.
चाची गर्म होने लगी.
फिर मैंने दूसरी को मुंह में लिया और पहली को दबाने लगा.
चाची मेरे सिर को अपने सीने में दबाने लगी.
काफी देर तक उसकी चूचियों को पीने के बाद मैंने चाची के होंठों को चूसना शुरू किया और वो भी मेरा पूरा साथ देने लगी.
उसने मेरे हाथ को पकड़ कर अपनी नाभि के नीचे साड़ी के ऊपर रखवा दिया और खुलवाने का इशारा करने लगी.
मैं समझ गया और नीचे ही नीचे उसकी साड़ी को पेटीकोट से निकाल दिया.
किस करने के बाद वो उठी और उसने अपनी साड़ी पूरी तरह से खोलकर एक तरफ कर दी. अब वो पेटीकोट में थी.
चाची ने नाड़ा खोला और पेटीकोट भी निकाल दिया.
नीचे चाची ने लाल पैंटी पहनी थी.
चाची की चूत उस पैंटी में अलग ही उभरी और फूली हुई सी दिख रही थी. पैंटी काफी टाइट थी और चूत के दोनों होंठ अपनी शेप दिखा रहे थे.
मैंने फिर से चाची को बेड पर पटक लिया और उसके 34डी के चूचे दबाते हुए उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा और उसके होंठों को खाने लगा.
अब वो अपनी जांघों को भींचने लगी थी. उसकी चूत को मजा आ रहा था.
कुछ देर तक हम होंठों के रसपान में डूबे रहे और फिर मैंने भी अपने कपड़े निकाल दिये. अब मैं पूरा नंगा था. मेरे लंड का हाल कामरस ने बेहाल कर दिया था. नीचे का साजो सामान सब भीग गया था.
अब मैंने चाची की पैंटी पर मुंह रखा और चूत को मुंह में लेकर जैसे खाने लगा.
चाची की चूत से रिस रहा रस इतनी मादक गंध वाला था कि मुझे नशा सा होने लगा.
मैं उसकी पैंटी को ही चूसने लगा. उसकी चूत के रस को पैंटी में से ही चूस कर मुंह में खींच रहा था.
अब चाची से रहा न गया तो उसने अपनी पैंटी उतार दी और अपनी चूत मेरे सामने नंगी कर दी.
उसकी फूली हुई सांवली चूत देखकर मैं उस पर टूट पड़ा और तेज तेज चाटने लगा.
चाची की सिसकारियां निकलने लगीं- आह्हह … तानु … ऊईई … आह्ह … और चूस … आह्ह … बहुत दिनों बाद चूत पर किसी मर्द की जीभ लगी है … आह्ह चूस … और जोर से … आह्ह … मर गयी मैं … उम्म … आह्ह!
चाची के मुंह से निकलते कामुक शब्द मुझे वहशी बना रहे थे.
मैंने उसकी चूत से जीभ निकाली और दो उंगली डालकर चोदने लगा.
चाची उचक गयी और मैंने उसकी चूची को जोर से भींचकर उसकी निप्पल को मसल दिया.
वो जोर से कराह उठी.
अब मैंने उसको उठाया और खुद घुटनों के बल खड़ा होकर उसके मुंह के सामने लंड कर दिया. उसके होंठों पर लंड को रगड़ने लगा और फिर उसको मुंह खोलने के लिए कहा.
चाची ने थोड़ा नखरा किया तो मैंने रिक्वेस्ट की.
फिर उसने मुंह खोला तो मैंने धीरे से पूरा लंड उसके मुंह में दे दिया और उसके मुंह को चोदने लगा.
वो भी मेरा साथ देने लगी. लंड को चूसने लगी.
कुछ देर तक लंड चुसवाने के बाद मुझसे रुकना मुश्किल हो गया और मैंने चाची की टांगों को फैला लिया.
इतने में ही चाची ने मेरे लंड को पकड़ लिया और उसकी मुठ मारते हुए सिसकार कर बोली- आह्ह … चोद दे ना तानु … जल्दी से चोद दे मुझे … मेरी प्यास मिटा दे … इतना बड़ा लंड है तेरा … मैं तो रोक नहीं पा रही हूं खुद को … तेरे चाचा का तो इसका आधा है.
चाची Xxx की तड़प देखकर मैंने सोचा कि इसका और मजा लिया जाना चाहिए. मैंने उसकी चूत पर लंड को रख दिया और उसके ऊपर लेटकर उसके होंठों को चूसने लगा.
अब चूत पर लंड लगते ही चाची जैसे मेरे होंठों को खाने ही लगी. ऐसा लग रहा था जैसे वो मुझे अपने अंदर ही डाल लेगी. उसके दांत मेरे होंठों को काटने लगे थे. नीचे से वो खुद अपनी चूत को मेरे लंड पर घिसा रही थी.
जब उससे बर्दाश्त न हुआ तो वो पागलों की तरह चिल्लाने लगी.
मैंने उसके मुंह पर हाथ रख लिया. वो मेरे हाथ को ही चूमने लगी. मैंने उसके मुंह में उंगली दे दी और वो उसको लंड की तरह ही चूसने लगी.
चाची की चुदास देखकर मेरा तो वैसे ही छूटने को हो गया था. मैंने सोचा कि अब देर करना ठीक नहीं है वर्ना चाची का पता नहीं क्या हाल होगा.
फिर मैंने उसकी चूत पर लंड को सेट किया और धीरे से एक धक्का दे दिया.
उसकी गर्म चिकनी चूत तो जैसे इसी पल के इंतजार में थी. उसकी चूत ने मेरे लंड का मुंह खोलकर स्वागत किया और पहले ही धक्के में लगभग आधा लंड चाची की चूत में उतर गया.
एकदम से चाची के मुंह से आह्ह … निकल गयी और उसने मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया.
मैंने दूसरा धक्का दिया और चाची के ऊपर लेट गया. मेरा लंड लगभग पूरा अंदर घुसने को हो गया था.
अब मैंने उसके होंठों को चूसना शुरू किया और धीरे धीरे उसकी चूत में लंड के धक्के लगाने लगा.
चाची की पकड़ मेरी पीठ पर बढ़ती ही जा रही थी. इतनी Xxx चुदासी औरत मैंने तो पोर्न फिल्मों में भी नहीं देखी थी.
उसने अपनी टांगों को मेरी गांड पर लपेट लिया और चूत को उचका उचका कर चुदने लगी. इतने से भी उसका मन नहीं भरा तो उसने उठकर मुझे नीचे पटका और खुद मेरे ऊपर आ गयी.
मेरे लंड को अपने हाथ से चूत में सेट किया और लंड को अंदर तक घुसवा कर उस पर उछलने लगी.
वो एक हाथ से अपनी चूत के दाने को मसल रही थी और दूसरे से उसने मेरे कंधे को थामा हुआ था.
मैंने उसके स्तनों को भींचना शुरू कर दिया और अब उसको और ज्यादा मजा आने लगा.
मेरे आनंद का भी ठिकाना ही नहीं था. चाची की गांड जब मेरी जांघों पर लगती थी तो पट-पट की आवाज हो रही थी.
अब लंड Xxx चाची की चूत में पूरी गहराई तक उतर रहा था और उसके चेहरे पर आनंद के साथ ही हल्का दर्द भी झलक रहा था. इन भावों के साथ उसको चुदते हुए देखकर मैं धीरे धीरे स्खलन की ओर बढ़ रहा था.
दस बारह मिनट की चुदाई के बाद ही मेरा निकलने को हो गया और मैंने चाची की गांड को हाथों से थामकर तेजी से उसकी चूत में झटके देने शुरू कर दिये.
वो भी और ज्यादा जोर से कूदने लगी.
इस तरह से पूरे जोश में चुदाई की स्पीड बढ़ाते हुए हम जल्दी ही चरम सीमा तक पहुंच गये.
मैने बोला चाची कहा निकालु ????? आन्दर या बाहर? ??????
चाची बोली आन्दर हि निकाल दे,, डार मत बाच्चा नेहि होगा।
फिर मेरे लंड से एकदम वीर्य की धार निकल कर चाची की चूत में जाने लगी. उसी वक्त चाची की चूत ने भी पानी छोड़ दिया और हम दोनों साथ में ही झड़ गये.मेरा सारा लावा चाची की चूत में खाली हो गया. फिर हम ऐसे ही एक दूसरे से चिपक कर लेट गये.
चाची की चूत मारकर मैंने अपनी पहली चुदाई का सुख ले लिया था और वो सुख सच में स्वर्ग जैसा था.
उस दिन के बाद तो फिर चाची की चुदाई करना रोज का ही सिलसिला हो गया था. घर के सब लोग चले जाते थे और मैं और चाची अकेले घर में पति पत्नी की तरह रहते थे.
चाची ने फिर मुझे सेक्स की बारीकियां सिखायीं कि किसी को गर्म कैसे किया जाता है और अधेड़ उम्र की औरतों को परम सुख कैसे दिया जाता है.
हम दोनों चुदाई के खूब मजे ले रहे हे।