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Adultery मायके का जायका
#49
....मैं अपनी लहंगे को ठीक करती हुई खरी हुई और वापस रूम के तरफ लौट चली, वह सिपाही भी पिछे पिछे चला आ रहा था,वह कमिना भी ठिक ईतने ही पिछे था कि अगर मै थोरी भी रूकती तो पिछे से उसका धक्का लगना पक्की थी।मैं थोरी तेज चलने लगी तो मेरी कुल्हे औररे गांड ऊपर निचे हो रहे थे,मैं उस सिपाही कि नजरे अपने गांड पर महसुस कर रही थी। अभी हम लोग दरवाजे के पास पहूंचे भी नही थे कि एक मोटरसाइकिल वहां आकर रूकी और दो आदमी बाईक से ऊतर कर झप से अंदर चले गए।पिछे पिछे मैं भी अंदर वापस आ गई और वह सिपाही भी। भितर में सीमा अपने जगह पर ही खरी हुई भितरी रुम के अधखुले किवाड़ को देख रही थी,और सहमी हुई थी,भीतर से अब साफ साफ और तेज आवाज आने लगी थी,आवाज साफ साफ मिल रही थी..त तोहनी के ईनका पहचानतक
कि,ओह का मजाक करत हईं सरकार ई त हिरोइन हई ..।कौन लाघन होटल वाला ईहां के नईखे जानत,दु बार हमनी के साथे भी सुहाग रात मनईले ह ई ऊषा रानी अभी आने वाले कि आवाज थी, फिर उसकी आवाज आई का रे बुरचोदी तोहार मुंह में लौरा घचसल बा कचछ बोलत काहे नईखे।ई का बोली छिनरी लागता कही से मोप सौदा भईल ह दूगो और माल बा एकरा साथे,कहतिया पुजा करे जातानी सब लोग,नया टेम्पु के पुजा ला ।जी सर टेम्पु त एकर भतार खरिदलस ह,बात त सहिए बा,लेकिन टेम्पू खरिदला त महिना से ऊपर भईल,अब जा के पुजा के याद आईल बा ।मामला कुछ त बा कहते हुए दरोगा बाहर आया,उसके साथ और लोग ,ऊषा भाभी सहित बाहर आ गए।रमेश भैया और दामू के तरफ देख के आगंतुकों में से एक आदमी दरोगा से कुछ हल्के आवाज में बोला।उस आदमी कि बात सुन ,दरोगा रमेश भैया और दामू के तरफ देख गुर्राहट भरे आवाज में बोला,अरे बहीनचोद ,ए हो तोहनी जा भीतर बैठ ,हम तहकीकात कर लेब,तब तोहरा से सच झूठ उगलवा लेहव ,और फिर बैठे दोनो सिपाहियों को ऊसने ईशारे कर रमेश भैया और दामू को भितर भेज कर हम दोनो अर्थात मुझे और सीमा की ओर ताकता हुआ नजदीक आने  लगा साथ में ऊषा भाभी भी मुंह लटकाए हुए आ रही थी। पहले वह सीमा की ओर अपने हाथ में पकरे डंडे के उपर अपने दूसरे हथेली से सहलाता हुआ बरे आत्मिय स्वर में पुछा ,केया नाम है तुम्हारी, सीमा डरी सहमी हुई बिना कुछ बोले दरोगा के तरफ ताकती रही, कुछ क्षण बाद जबाब न मिलने पर ईस बार कुछ करे लहजे में बोला,एई बोलती काहे नही ,बाप के नाम न मालूम है,तोहार मतारी भी तोहनी के ऐसन धंधा करे वाली बा।जी.जी..ईई  देखी हमार माय बाप के बिच में ना लाईं।फिर लहजा बदल के धीमे स्वरमें थरथराती आवाज में बोली,जी मेरा नाम सीमा है और मेरे पीता जी श्री....होत्री है,और सर मैं विवाहित हूं,अभी मैके आई हुई हूं,यह मेरी ऊषा भाभी के तरफ ईशारा करते हुए बोली जी यह मेरी भाभी है।अब वह दरोगा मेरी तरफ घुमा और पहले कुछ क्षण तक मेरे को घुर घुर कर देखता रहा और फिर बदले और फिर मुझसे वही सवाल केया नाम है तुम्हारी, जी मीरा,और तेरे बाप का।जीईई जी श्री.... प्रसाद।फिर पूछा तो तुम भी अपने मायके ही आई होगी।मैं मन ही मन यह सोचते हुए ऊत्साहित होते हुए कि शायद ईसे हमारी बात पर विश्वास हो गया है ,चेहरे पर मुश्कान के साथ बोली हमलोग सच कह रहे हैं,धाम पर जा रहे हैं।ठीक है ओ छोटे बाबू जरा..थाना को वायरलेस तो किजिये. और फिर ईनके घर पर खबर देकर किसी को बुलवाईए।मैं तो कुछ नही बोली और उषा भाभी के तरफ देखने लगी।मुझे और कुछ नही बोल पा रही थी।ऊषा भाभी दरोगा से गिरगिराते हुए बोली,सर ई सब का कौन जरूरत है बगल में हमारे मामाजी का घर है वहीं से किसी को बुलवाईए न,हमार टेम्पो से चल जाई और बुलवा लिहीं। ठिक बा,छोटे बाबू जाईं जा के बुला लाईं आउर हां देखब ठिक से लाएब,और यह कहते हुऊ उसने कथित छोटे बाबु को बांइ आंख मारते हुए देखी।दरोगा फिर भाभी कि तरफ देखते हुए ऊन्हे अपन साथ चलने का ईशारा कर वापस रूम के तरफ बढ चला।पिछे पिछे ऊषाभाभी भी रुम के अंदर चली गई।भीतर से धीमी आवाजेऔ आ रही थी पर स्पस्ट कुछ भी नही थे।थोरी देर में टेम्पो आकर रुकी।टेम्पो के रूकते ही एक सिपाही दौरता हुआ बाहर चला गया।और फिर जो मैं देखी ऊसे देखते ही मैं समझ गई कि तार से गिरे तो खजूर में अटके वाली बबात ना तो हो गई।मैं देखी एक करीब पैंतीस चालीस केआयु कि महिला सिर्फ साड़ी लपेटे हुए जिनसे उसकी बरी बरी चूंचियां लगभग नंगी ही थी चली आ रही थी छोटे दरोगा के साथ,जिसके एक हाथ का पंजा ऊस औरत कि एक चूंची पर चल रहा था और दूसरे हाथ को ऊस औरत के पुष्ट,गोल ऊभरे गांड पर रखे हुए था।भितर आकर जब ऊस औरत कि नजर हम दोनो और सिपाही पर परी तो पहले तो ठिठकी फिर अपने सारी का पल्लु संभालने के लिए छोटे दारोगा के हाथ को अपने चूंची पर से हटाना चाही,मगर छोटे दरोगा ने उस औरत के हाथ को अलग टरते हुए डपटते हुए बोला जादा छिनरपन ना दिखाई,ऊंहा पर त तीन जने संगे लौरा बुर के खेलत रही आ ईहां झांपत हई।और फि वह दोनो भितर जहां ऊषाभाभी,दामु और बरा दरोगा था चले गए।भितर कुछ देर सन्नाटा रहा फिर लगा जैसे ऊषाभाभी कुछ कह रही थी फिर ऊस औरत ने फुसफुसाहट भरे स्वर में कुछ बोली और फिर थोरी जोरसे बोली, अरे कुछो नईखे हो अब ईंहा के एही चाहतानी त हमनी के का करी,एही जा एक दू घन्टा रूक जाई आ हम त बरले बानी, यह आवाज़ स्पष्ट सुनाई दी।पर मेरे ध्यान मे ऊस समय रमेह भैया के बारे में सोच रही थीं जो टेम्पो लेकर गए थे आखिर वह और वह सिपाही जो बाहर गया था,अभी तक लौटे केयों नही।करीब पन्द्रह बिस मिनट के बखद भितर से छोटा दरोगा बाहर निकला और मुझे और सीमा को अंदर आने को कहा।भीतर जाते ही सामने ऊषाभाभी पर नजर परी जो एक तरफ मूंह बनाए हुए खरी थी,वह औरत जो अभी आई थी अब कमर से उपर एक दम नंगी थी और ऊसकी बरी बरी चूंचियां लटक रही थी सारी का अधिकांश भाग नीचे गिरा हुआ था।सारी कि गांठ ईह तरह बंधी हुई थी कि एकटांग नंगु नजर आ रही थी।मेरी और सीमा दोनो भीतर पहूँच कर नजरे नीची कर खरीं हो गई।बरे दरोगा ने ऊस औरत को हम दोनो के तरफ ईशारा करते हुए बोला आ एकनी सब के।ना सर ईहां के कंबो नईखे देखले बानी,हम कभिओ ईनका घरे माने ससुराल नईखे गेल बानी त हम महल्रा वाली के कैसे पहचान बताई सन् कहते हुए उस औरत ने ऊषाभाभी के तरफ उंगली दिखाई।अब मेरे समझ में आ रही थी बल्कि समझ गई थी कि आगंतुक महिला और कोई नही बल्कि ऊषाभाभी कि मामी है।उधर दरोगा अब अपनी आंखें तरेरते हुए एक सिपाही से बोला,ओए दौलत सिंह ला त ऊ बहानचोद के सामने उहे बताई अब।कुछ क्षण बाद ही दो सिपाहियों के बीच चलते हुए रमेश भैया अंदर आए।ऊनके तरफ ईशारा करते हुए दरोगा ने ऊषाभाभी के मामी से पुछा,ईनका के पहचानु ले कि न।मामी ने ईनकार में सर हिलाया।ऊषाभाभी को ना में सर हिलाते देख ,सभी मौजूद सिपाही, छोटा दरोगा सहित सभी हो हो कर हंसने लगे।फिर बरे दरोगा ने उषाभाभी के कथित मामी के नंगे स्तनो पर अपने हाथ में पकरे डन्डे से हल्का सा टहोका देते हुए कहा,तू कईसन ममानी बारू जे आपन दमाद के नइखन पहचानुतारीस।फिर छोटा दरोगा से कहा चल जा रिपोर्ट बनाव,तीन गो रंडी आपन दुगो दलाल के साथ धराईल बा।
यह सुनते ही हम सब के सब एक दूसरे को देखने लगे।आखिर में रमेश भैया दरोगा से बोले,सर हमारी शादी के दो साल ही गुजरे हैं,कभी मामी जी से मिलने का मौका नही मिला था,मामाजी का नाम जानते थे,कभी मिले नही थे।शादी के समय बहुत लोग रहता है न।और सर,हमारे पास कुछ रूपया है,आप ले लीजिए और हमलोगों को जाने दीजिये,और यह कहकर जेब से हजार हजार के दो नोट दरोगा के तरफ बढाने लगे।
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RE: मायके का जायका - by Meerachatwani111 - 14-01-2021, 11:04 PM



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