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Adultery चुदक्कड़ गाँव की रासलीला
#37
Update 35



रामू फिर शाम को अपने खेत से घर आया तो उसने देखा कि उसकी धन्नो मौसी आई हुई थी



सविता - अरे रामू तू आ गया । तू बैठकर बातें कर अपनी मौसी के साथ मै तेरे लिए दूध गरम करके लाती हूं



सविता उठकर रसोई में चली जाती है



रामू - मौसी तुम और यहां ?



धन्नो - अरे बेटा वो भीमा और लता को एकांत में थोड़ा समय चाहिए था इसलिए मैंने सोचा की यहां आ जाती हूं



रामू - पर मौसी अभी मौसा जी को मरे कुछ दिन ही हुए हैं और भइया भाभी को एकांत में समय चाहिए, मुझे कुछ समझ नहीं आया।



धन्नो - अरे बेटा वो ज़िंदा थे तो भी एक लाश की तरह ही थे। मै तो कहती हूं अच्छा हुआ उन्हें ऐसी ज़िन्दगी से शांति मिल गई



रामू - पर मौसी



धन्नो - देख बेटा किसी के जाने से कोई अपनी ज़िन्दगी तो जीना नहीं छोड़ सकता ना



रामू - हां मौसी वो तो है। मौसी मुझे माफ़ कर दो उस दिन मैंने आप पर हाथ उठाया



धन्नो - नहीं बेटा तुमने बिलकुल सही किया था अगर उस दिन तुमने मेरे ऊपर हाथ नहीं उठाया होता तो मेरी आंखें कभी खुलती ही नहीं



रामू - और मौसी उस रात जो हम दोनों के बीच हुआ उसके लिए भी....



धन्नो - बस इससे आगे कुछ मत बोलना, उसमे तुम्हारी कोई गलती नहीं थी। चुप हो जाओ सविता आ रही है बाकी बातें हम रात में एकांत में करेंगे।



रामू - जी मौसी



रामू हाथ मुंह धोकर दूध पीता है और फिर कुछ देर बाद सब खाना खाने आंगन में बैठ जाते हैं



खाना खाने के बाद सविता आंगन में गद्दा बिछा देती है धन्नो के लिए और खुद बेला के कमरे में जाकर सो जाती है बेला के साथ।



रामू अपनी चारपाई लगा रहा होता है तभी धन्नो रामू से बोलती है।



धन्नो - रामू मेरे साथ यहीं गद्दे पर सो जा बाबू , मुझे बहुत सर्दी लग रही है



रामू अपनी थूक गटकते हुए - पर मौसी मेरी पीठ अकड़ जाती है गद्दे पर।



धन्नो - चल झूठे चुपचाप आकर अपनी मौसी को गर्मी दे जल्दी नहीं तो तेरी मौसी की तबीयत खराब हो जाएगी। तू चाहता है क्या तेरी मौसी की तबीयत खराब हो जाए ?



रामू झट से नीचे गद्दे पर आकर रजाई ओढ़ लेता है। रामू और धन्नो एक ही रजाई ओढ़े हुए थे। रामू जैसे ही रजाई में आता है वैसे ही धन्नो रामू को अपने जिस्म से चिपका लेती है।



रामू - मौसी ये क्या कर रही हो ?



धन्नो के हाथ रामू के पजामे के अंदर पहुंच गए थे। वो उसके लन्ड को हल्के हल्के हाथों से सहलाने लगी थी



धन्नो - उस दिन तुमने मुझे अधूरा छोड़ दिया था और आज में उसी का हिसाब लेने आई हूं



धन्नो अपने होंठों से रामू के गालों को चूमते हुए बोल रही थी



रामू - उसके लिए मै शर्मिंदा हूं मौसी, ये मै नहीं कर सकता तुम रिश्ते में मेरी मौसी हो मतलब मां जैसी



इतना बोलते ही रामू उठकर खड़ा हो गया



धन्नो - नहीं बेटा, तुम गलत सोच रहे हो। मै तुम्हारी मौसी नहीं हूं बेटा



रामू - क्या ? तुम कहना क्या चाहती हो



धन्नो - यहां नहीं तुम मुझे कहीं एकांत में ले चलो फिर मैं तुम्हे सच्चाई बताती हूं



रामू फिर धन्नो का हाथ पकड़ के अपने खेतों में बनी झोपड़ी के अंदर ले आया



रामू - अब बोलो मौसी क्या बोलना चाहती हो



धन्नो - तू ये चिठ्ठी पढ़ ले बेटा। ये चिठ्ठी मेरे पति ने मरने से पहले तेरे लिए लिखी थी



रामू - क्या लिखा है इसमें



धन्नो - तू खुद ही पढ़ ले बेटा



रामू जल्दी से उस चिठ्ठी को पढ़ने लगता है



प्रिय रामू बेटा।



मै इस चिठ्ठी के माध्यम से तुम्हे कुछ राज़ की बातें बताना चाहता हूं जो सिर्फ धन्नो, मुझे , तुम्हारे बापू मुरली और तुम्हारी मां सविता को पता है



दरअसल बात ये है कि मै और धन्नो तुम्हारे मौसा और मौसी नहीं हैं बल्कि इस दुनिया में कोई तुम्हारे मौसा मौसी थे ही नहीं। मै और धन्नो तो तुम्हारे बापू और मां के घर के नौकर नौकरानी थे



यही सच है बेटा। तुम्हारे मां बापू के बड़े एहसान है हमारे परिवार पर और हमारा परिवार मरते दम तक तुम्हारे परिवार के नमक का कर्ज अदा करते रहेगा। अपना मन में किसी के लिए नफरत के बीज को मत पनपने देना रामू बेटा



मेरे परिवार का ख्याल रखना रामू बेटा।



रामू - ये क्या है धन्नो मौसी ? बोल दो ये सब झूठ है



धन्नो रोती हुई - ये सच है रामू बेटा



रामू ने तुरंत उस चिट्ठी को फाड़ दिया और गुस्से में अपने घर की तरफ चल दिया



कुछ देर बाद जब धन्नो घर पहुंची तो रामू आंगन में चारपाई पर सो रहा था और धन्नो सुबकती हुई नीचे गद्दे पर रजाई ओढ़कर सो गई
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RE: चुदक्कड़ गाँव की रासलीला - by Tyler herro - 14-01-2021, 05:36 PM



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