14-01-2021, 05:35 PM
Update 34
रामू अपनी मां और बहन के साथ अपने घर आ चुका था। घड़ी में सुबह के १० बज रहे थे
रामू फिर अपने खेतों में काम करने चला गया।
रामू ने खेतों में काम जल्दी से खत्म किया क्योंकि उसने चम्पा को मिलने बुलाया था अपने गन्ने के खेत में।
फिर रामू अपने गन्ने के खेत में आ गया और उस जगह की तरफ चल दिया जहां हमेशा चम्पा उसका इंतज़ार कर रही होती थी। जैसे ही चम्पा की नजर रामू पर पड़ी उसने भागकर रामू को अपनी बाहों में कैद कर लिया और उसको बेतहाशा चूमने लगी
रामू - लगता है बड़े दिनों से प्यासी है मेरी जंगली बिल्ली
चम्पा उदास होती हुई - रामू शायद मेरा साथ तुम्हारे साथ बस यहीं तक था
रामू - क्या हुआ मेरी रानी ऐसे क्यों बोल रही है
चम्पा - तुमने सुना नहीं क्या? मेरी शादी तय हो गई है
रामू - तय हुई है ना बस। हुई तो नहीं
चम्पा - तो
रामू - तुझे उस बूढ़े आदमी से शादी करनी है या नहीं ?
चम्पा - नहीं। पर भइया ने मेरा रिश्ता पक्का कर दिया है उस बूढ़े आदमी के साथ
रामू - चम्पा तू घर जा और बस अपनी सुहागरात की तयारी कर
चम्पा - क्या तू मुझसे शादी करेगा रामू? तेरा दिमाग तो ठीक है
रामू - हां मै तुमसे शादी करूंगा और मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि गांव के लोग क्या सोचेंगे
चम्पा - ये कभी नहीं हो सकता। बात वो नहीं है रामू की मै तुझसे उम्र में ६ साल बड़ी हूं
रामू - तो क्या बात है ?
चम्पा - पहले मुझे उस बूढ़े आदमी से बचा।
रामू - ठीक है
चम्पा फिर वहां से अपने घर की तरफ निकल जाती है
रामू फिर शाम तक अपने खेतों में काम करता रहा और फिर खेतों से अपने घर की तरफ चल दिया।
घर में आकर रामू खाना खाता है फिर सविता उसके लिए दूध लेकर आती है
सविता - लल्ला मै क्या बोल रही थी कि आज मै आंगन में ही गद्दा बिछा कर सो जाती हूं वो क्या है ना लल्ला मेरा आज यहीं आंगन में सोने का मन कर रहा है। जबसे आंगन में सोने की आदत लगी है तबसे बस आंगन में ही नींद आती है। लल्ला क्या मै सो सकती हूं आंगन में?
रामू - हां मां क्यों नहीं आप कहीं पर भी सो। ये आपका ही घर है मै कौन होता हूं जो तुम्हे यहां आंगन में सोने से रोक लूंगा और मां मैंने तुझे कितनी बार कहा है हर बात पर मुझसे इजाजत मत लिया कर।
सविता - अरे लल्ला तू ही इस घर का मर्द है तू समझता क्यों नहीं!
रामू - मां तुम्हारी बातें बड़ी जटिल लगती हैं मुझे कुछ समझ में नहीं आता।
सविता - मै समझाती हूं सुन , इस दुनिया में शुरू से ही मर्द ने औरत पर राज किया है क्यो मै बताती हूं। औरत एक नदी की तरह होती है जिसे हमेशा अपनी सीमा में रहना चाहिए और अगर सीमा के बाहर गई तो बर्बादी लाती है और तुम मर्द हमेशा से हम औरतों की सीमाएं यानी कि मर्यादाएं निर्धारित करते हो और यही होना चाहिए। हर औरत को मर्दों के बनाए हुए नियमो का पालन करना चाहिए। उनका हक है हमपर। मर्दों का काम कठिन है क्योंकि तुम लोगों को हमारे मन की बात पढ़नी होती है। हम औरतें बहुत बातें अपने मन में रखती हैं और उम्मीद करती है कि तुम इन्हे पूरा करो इसलिए हमारी कुछ ज़रूरतें होती है जिसको पढ़ना तुम्हारा काम है और पूरा करना भी।
रामू - मां ये तुम क्या कह रही हो मुझे तुम्हारे ऊपर काबू रखना होगा और एक औरत के तौर पर मै तुम्हारी मर्यादा निर्धारित करूं और अगर तुम गलती करोगी फिर मै क्या करूंगा ? तुम्हे मारूंगा ?
सविता - हां क्यों नहीं औरत को हमेशा माथे पर चढ़ाओगे तो गड़बड़ हो जाएगी । अगर तुम्हे लगता है कि वो अपनी औकात भूल रही है तो तुम उसके साथ जो भी करो वो जायज है। उसको उसकी मर्यादा में लाने के लिए जो कुछ भी करना पड़े तुम करोगे। ये बातें आजकल की लड़कियां नहीं समझती।
रामू - तुम तो बेहद पुराने ख्यालों की बात कर रही हो मां , अब जमाना बदल गया है
सविता - औरत के लिए ज़माना कभी नहीं बदलता लल्ला और ये बात तुम्हे कोई नहीं बोलेगा। लल्ला मै चाहती हूं कि तुम एक असली मर्द बनो, औरतों पर राज करना सीख गए ना तो ज़िन्दगी भर खुश रहोगे।
रामू - मां मुझे नींद आ रही है
सविता - ठीक है सो जाओ। दूध पी लिया ना
रामू - हां मां ये लो
फिर सविता ग्लास लेकर रसोई में चली गई और रामू चारपाई पर सो गया
सुबह जब रामू की नींद खुली तो उसका मुंह उसकी मां सविता की बड़ी बड़ी चूचियों की मोटी दरार में घुसा हुआ था। रामू ने झटके से अपना मुंह पीछे किया तो उसने देखा कि उसकी मां की साड़ी का पल्लू उसकी पहाड़ जैसी छाती से हटा हुआ था और ब्लाउज के दो बटन भी खुले हुए थे ये देख रामू ने अपना सर जोर से झटका और सीधा बाथरूम से घुस गया
रामू का दिमाग एकदम ठनकता है क्योंकि ये घटना उसके साथ लगातार दूसरी बार हुई थी पहली बार जब वो धन्नो मौसी के घर नीचे गद्दे पर सो रहा था और दूसरी बार आज और जबकि आज रात तो वो चारपाई पर सोया था तो नीचे गाद्दे पर कैसे आया? उसने अपने माथा झटका और बिना कुछ सोचे नहाने लग गया।
जब रामू बाथरूम से नहा कर बाहर आया तो सविता उसके लिए नाश्ता बना रही थी।
रामू नाश्ता करके अपने खेतों की तरफ निकल गया और अपने खेत में पहुंचकर उसने देखा कि कोई लड़का छुप - छुपकर हरिया चाचा के आम के बगीचे से झांक रहा है रामू को बड़ी हैरत हुई उसका लगा कोई साला गांव का लड़का होगा जो हौरिया चाचा के आम के बगीचे से आम तोड़ने आया होगा।
रामू जैसे ही उस लड़के को भगाने के लिए हरिया चाचा के आम के बगीचे की तरफ बढ़ा तो वो लड़का रामू को ठीक से नज़र आया वो लड़का बेहद पतला और कमसिन सा था जिसने अपना पजामा नीचे किया हुआ था और अपनी लुल्ली को जोर जोर से हिला रहा था ये लड़का और कोई नहीं। ज़हीर ही था।
रामू ज़हीर के पास पहुंच के पीछे से उसके मुंह पार हाथ रख दिया जिससे ज़हीर की चीख दब गई।
रामू धीरे से - बहन के लौड़े। तेरी मां को चोदु
रामू इतना ही बोला था कि उसको सामने से किसी के सिसकने की आवाज आई
रामू ने जब सामने की तरफ देखा तो उसके होश उड़ गए काटो तो खून नहीं ऐसी हालत हो गई
आम के पेड़ के नीचे हरिया चाचा अपने मोटे लन्ड से ज़हीर की अम्मी रुबीना की चूत को दनादन पेल रहा था
रामू - तेरी जात का पैदा मारू तो ये गुल खिलाती है तेरी अम्मी हरिया चाचा के खेत में।
ज़हीर - धीरे बोलो रामू भाई , पहले यहां से चलो मैं तुम्हें समझाता हूं
रामू फिर ज़हीर को अपने खेत में लेकर आया।
रामू - रण्डी के पिल्ले बोल अब ये चुदाई कबसे चल रही है तेरी अम्मी और हरिया चाचा के बीच और तू साले हिजड़े के जने अपनी अम्मी को ही चुदाते देख अपनी लुल्ली हिला रहा था बहन के लौड़े।
ज़हीर डर गया था इसलिए वो सब सच सच बोल द्देता है - रामू भाई मुझे सच में नहीं पता कि अम्मी हरिया चाचा से कितने सालों से चुदवा रही है मैंने तो पिछले हफ्ते ही अपनी अम्मी और हरिया चाचा की रासलीला देखी है
रामू - तेरी मां को चोदु और तू क्या कर रहा था देखकर। भाग यहां से बहन के लौड़े।
ऐसा बोलते है रामू घुमा के एक लात ज़हीर की गान्ड पर मारता है और ज़हीर अपनी गान्ड दबाकर वहां से भाग जाता है।
रामू - अब देखना हरिया चाचा कैसे मै इस बात का फायदा उठाकर अपनी चम्पा का रिश्ता तुड़वाता हूं उस बूढ़े आदमी से।
रामू फिर अपने खेतों में काम करने लगा।
रामू अपनी मां और बहन के साथ अपने घर आ चुका था। घड़ी में सुबह के १० बज रहे थे
रामू फिर अपने खेतों में काम करने चला गया।
रामू ने खेतों में काम जल्दी से खत्म किया क्योंकि उसने चम्पा को मिलने बुलाया था अपने गन्ने के खेत में।
फिर रामू अपने गन्ने के खेत में आ गया और उस जगह की तरफ चल दिया जहां हमेशा चम्पा उसका इंतज़ार कर रही होती थी। जैसे ही चम्पा की नजर रामू पर पड़ी उसने भागकर रामू को अपनी बाहों में कैद कर लिया और उसको बेतहाशा चूमने लगी
रामू - लगता है बड़े दिनों से प्यासी है मेरी जंगली बिल्ली
चम्पा उदास होती हुई - रामू शायद मेरा साथ तुम्हारे साथ बस यहीं तक था
रामू - क्या हुआ मेरी रानी ऐसे क्यों बोल रही है
चम्पा - तुमने सुना नहीं क्या? मेरी शादी तय हो गई है
रामू - तय हुई है ना बस। हुई तो नहीं
चम्पा - तो
रामू - तुझे उस बूढ़े आदमी से शादी करनी है या नहीं ?
चम्पा - नहीं। पर भइया ने मेरा रिश्ता पक्का कर दिया है उस बूढ़े आदमी के साथ
रामू - चम्पा तू घर जा और बस अपनी सुहागरात की तयारी कर
चम्पा - क्या तू मुझसे शादी करेगा रामू? तेरा दिमाग तो ठीक है
रामू - हां मै तुमसे शादी करूंगा और मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि गांव के लोग क्या सोचेंगे
चम्पा - ये कभी नहीं हो सकता। बात वो नहीं है रामू की मै तुझसे उम्र में ६ साल बड़ी हूं
रामू - तो क्या बात है ?
चम्पा - पहले मुझे उस बूढ़े आदमी से बचा।
रामू - ठीक है
चम्पा फिर वहां से अपने घर की तरफ निकल जाती है
रामू फिर शाम तक अपने खेतों में काम करता रहा और फिर खेतों से अपने घर की तरफ चल दिया।
घर में आकर रामू खाना खाता है फिर सविता उसके लिए दूध लेकर आती है
सविता - लल्ला मै क्या बोल रही थी कि आज मै आंगन में ही गद्दा बिछा कर सो जाती हूं वो क्या है ना लल्ला मेरा आज यहीं आंगन में सोने का मन कर रहा है। जबसे आंगन में सोने की आदत लगी है तबसे बस आंगन में ही नींद आती है। लल्ला क्या मै सो सकती हूं आंगन में?
रामू - हां मां क्यों नहीं आप कहीं पर भी सो। ये आपका ही घर है मै कौन होता हूं जो तुम्हे यहां आंगन में सोने से रोक लूंगा और मां मैंने तुझे कितनी बार कहा है हर बात पर मुझसे इजाजत मत लिया कर।
सविता - अरे लल्ला तू ही इस घर का मर्द है तू समझता क्यों नहीं!
रामू - मां तुम्हारी बातें बड़ी जटिल लगती हैं मुझे कुछ समझ में नहीं आता।
सविता - मै समझाती हूं सुन , इस दुनिया में शुरू से ही मर्द ने औरत पर राज किया है क्यो मै बताती हूं। औरत एक नदी की तरह होती है जिसे हमेशा अपनी सीमा में रहना चाहिए और अगर सीमा के बाहर गई तो बर्बादी लाती है और तुम मर्द हमेशा से हम औरतों की सीमाएं यानी कि मर्यादाएं निर्धारित करते हो और यही होना चाहिए। हर औरत को मर्दों के बनाए हुए नियमो का पालन करना चाहिए। उनका हक है हमपर। मर्दों का काम कठिन है क्योंकि तुम लोगों को हमारे मन की बात पढ़नी होती है। हम औरतें बहुत बातें अपने मन में रखती हैं और उम्मीद करती है कि तुम इन्हे पूरा करो इसलिए हमारी कुछ ज़रूरतें होती है जिसको पढ़ना तुम्हारा काम है और पूरा करना भी।
रामू - मां ये तुम क्या कह रही हो मुझे तुम्हारे ऊपर काबू रखना होगा और एक औरत के तौर पर मै तुम्हारी मर्यादा निर्धारित करूं और अगर तुम गलती करोगी फिर मै क्या करूंगा ? तुम्हे मारूंगा ?
सविता - हां क्यों नहीं औरत को हमेशा माथे पर चढ़ाओगे तो गड़बड़ हो जाएगी । अगर तुम्हे लगता है कि वो अपनी औकात भूल रही है तो तुम उसके साथ जो भी करो वो जायज है। उसको उसकी मर्यादा में लाने के लिए जो कुछ भी करना पड़े तुम करोगे। ये बातें आजकल की लड़कियां नहीं समझती।
रामू - तुम तो बेहद पुराने ख्यालों की बात कर रही हो मां , अब जमाना बदल गया है
सविता - औरत के लिए ज़माना कभी नहीं बदलता लल्ला और ये बात तुम्हे कोई नहीं बोलेगा। लल्ला मै चाहती हूं कि तुम एक असली मर्द बनो, औरतों पर राज करना सीख गए ना तो ज़िन्दगी भर खुश रहोगे।
रामू - मां मुझे नींद आ रही है
सविता - ठीक है सो जाओ। दूध पी लिया ना
रामू - हां मां ये लो
फिर सविता ग्लास लेकर रसोई में चली गई और रामू चारपाई पर सो गया
सुबह जब रामू की नींद खुली तो उसका मुंह उसकी मां सविता की बड़ी बड़ी चूचियों की मोटी दरार में घुसा हुआ था। रामू ने झटके से अपना मुंह पीछे किया तो उसने देखा कि उसकी मां की साड़ी का पल्लू उसकी पहाड़ जैसी छाती से हटा हुआ था और ब्लाउज के दो बटन भी खुले हुए थे ये देख रामू ने अपना सर जोर से झटका और सीधा बाथरूम से घुस गया
रामू का दिमाग एकदम ठनकता है क्योंकि ये घटना उसके साथ लगातार दूसरी बार हुई थी पहली बार जब वो धन्नो मौसी के घर नीचे गद्दे पर सो रहा था और दूसरी बार आज और जबकि आज रात तो वो चारपाई पर सोया था तो नीचे गाद्दे पर कैसे आया? उसने अपने माथा झटका और बिना कुछ सोचे नहाने लग गया।
जब रामू बाथरूम से नहा कर बाहर आया तो सविता उसके लिए नाश्ता बना रही थी।
रामू नाश्ता करके अपने खेतों की तरफ निकल गया और अपने खेत में पहुंचकर उसने देखा कि कोई लड़का छुप - छुपकर हरिया चाचा के आम के बगीचे से झांक रहा है रामू को बड़ी हैरत हुई उसका लगा कोई साला गांव का लड़का होगा जो हौरिया चाचा के आम के बगीचे से आम तोड़ने आया होगा।
रामू जैसे ही उस लड़के को भगाने के लिए हरिया चाचा के आम के बगीचे की तरफ बढ़ा तो वो लड़का रामू को ठीक से नज़र आया वो लड़का बेहद पतला और कमसिन सा था जिसने अपना पजामा नीचे किया हुआ था और अपनी लुल्ली को जोर जोर से हिला रहा था ये लड़का और कोई नहीं। ज़हीर ही था।
रामू ज़हीर के पास पहुंच के पीछे से उसके मुंह पार हाथ रख दिया जिससे ज़हीर की चीख दब गई।
रामू धीरे से - बहन के लौड़े। तेरी मां को चोदु
रामू इतना ही बोला था कि उसको सामने से किसी के सिसकने की आवाज आई
रामू ने जब सामने की तरफ देखा तो उसके होश उड़ गए काटो तो खून नहीं ऐसी हालत हो गई
आम के पेड़ के नीचे हरिया चाचा अपने मोटे लन्ड से ज़हीर की अम्मी रुबीना की चूत को दनादन पेल रहा था
रामू - तेरी जात का पैदा मारू तो ये गुल खिलाती है तेरी अम्मी हरिया चाचा के खेत में।
ज़हीर - धीरे बोलो रामू भाई , पहले यहां से चलो मैं तुम्हें समझाता हूं
रामू फिर ज़हीर को अपने खेत में लेकर आया।
रामू - रण्डी के पिल्ले बोल अब ये चुदाई कबसे चल रही है तेरी अम्मी और हरिया चाचा के बीच और तू साले हिजड़े के जने अपनी अम्मी को ही चुदाते देख अपनी लुल्ली हिला रहा था बहन के लौड़े।
ज़हीर डर गया था इसलिए वो सब सच सच बोल द्देता है - रामू भाई मुझे सच में नहीं पता कि अम्मी हरिया चाचा से कितने सालों से चुदवा रही है मैंने तो पिछले हफ्ते ही अपनी अम्मी और हरिया चाचा की रासलीला देखी है
रामू - तेरी मां को चोदु और तू क्या कर रहा था देखकर। भाग यहां से बहन के लौड़े।
ऐसा बोलते है रामू घुमा के एक लात ज़हीर की गान्ड पर मारता है और ज़हीर अपनी गान्ड दबाकर वहां से भाग जाता है।
रामू - अब देखना हरिया चाचा कैसे मै इस बात का फायदा उठाकर अपनी चम्पा का रिश्ता तुड़वाता हूं उस बूढ़े आदमी से।
रामू फिर अपने खेतों में काम करने लगा।