14-01-2021, 05:34 PM
Update 33
सुबह का वक़्त था घड़ी में ७ बज रहे थे रामू आंगन में चारपाई पर सोया हुआ था, बेला भी वहीं नीचे गद्दे पर सो रही थी और सविता बाथरूम में नहा रही थी
धन्नो अपनी बहू लता के साथ रसोई में नाश्ता बना रही थी और भीमा कुन्वे की खुदाई की मशीन लेने के लिए शहर गया हुआ था
अचानक धन्नो के कमरे से बहुत जोर से कुछ गिरने की आवाज आई
धन्नो - लता मेरे कमरे से कुछ आवाज हुई। कहीं बिल्ली ने कुछ गिरा तो नहीं दिया। मै देखकर आती हूं
लता - जी मां जी
धन्नो फिर जैसे ही अपने कमरे में घुसी तो उसने देखा कि उसका पति नीचे ज़मीन पर गिरा पड़ा है और मुंह से खून की उल्टियां कर रहा है
धन्नो चिल्लाते हुए - हे भगवान
धन्नो ने फिर अपने पति को नीचे ज़मीन से उठाकर बिस्तर पर लेटाया। लता भी कमरे में आ चुकी थी
प्यारेलाल - मेरा समय आ गया है धन्नो
ये सुनते ही धन्नो की आंखों से आंसुओ की बरसात होने लगी और लता भी रोने लगी थी
धन्नो - ये आप क्या बोल रहे हैं कुछ नहीं होगा आपको
प्यारेलाल - मेरी बात ध्यान से सुनो धन्नो , मैंने एक चिठ्ठी लिखी है रामू के नाम , मुझसे वादा करो कि तुम वो चिठ्ठी रामू को अपने हाथों से दोगी।
धन्नो रोते हुए - हां दूंगी।
प्यारेलाल - कुछ राज़ लिखे हैं उसमे जो रामू को जान लेना चाहिए और कुछ राज़ मेरी मौत के साथ दफन हो जाएंगे। वो चिट्ठी मैंने अलमीरा में रखी है
और इतना बोलते ही प्यारेलाल ने एक जोर से सांस ली और फिर उसकी सांस अचानक रुक गई।
फिर धन्नो और लता चीख चीखकर रोने लगे। उन दोनों की चीखों की आवाज सुनकर रामू और बेला जाग गए और सविता भी जल्दी से नहाकर सीधा कमरे में आ गई
कुछ है देर में पूरे घर में बस रोने की चीखें गूंज रही थी। फिर धीरे धीरे गांव वाले आना शुरू हो गए थे
कुछ देर बाद भीमा भी शहर से कुन्वे की खुदाई की मशीन लेके अपने घर की तरफ आ रहा था। जैसे ही उसने अपने घर के बाहर गांव वाले देखे तो वो समझ गया और भागते हुए घर के अंदर आया और अपने बापू को देखकर रोने लगा।
कुछ देर बाद रामू , भीमा कुछ गांव वालों के साथ शव उठकर नदी पर ले गए जहां भीमा ने अपने बापू को अंतिम विदाई दी।
रात हो चुकी था भीमा और रामू को घर आते आते। घर में सब भूखे ही सो गए थे
ऐसे ही दिन बीत गए और अब रामू , सविता और बेला के अपने घर आने का समय हो गया था
सुबह सुबह बस पकड़कर रामू अपनी मां और बहन के साथ वहां से अपने गांव के तरफ निकल गया।
धन्नो ने वो चिठ्ठी नहीं दी रामू को जो उसके पति ने रामू के लिए लिखा था उसमे कुछ ऐसा लिखा था जो धन्नो कभी नहीं चाहती थी कि रामू को पता चले।
लता ने कई बार सोचा कि वो रामू को बता दे उस चिठ्ठी के बारे में पर लता अपनी सास के खिलाफ नहीं जाना चाहती थी पर लता के मन में था कि रामू ने क्या कुछ नहीं किया उसके लिए और फिर भी वो उसके साथ विश्वासघात कर रही है
सुबह का वक़्त था घड़ी में ७ बज रहे थे रामू आंगन में चारपाई पर सोया हुआ था, बेला भी वहीं नीचे गद्दे पर सो रही थी और सविता बाथरूम में नहा रही थी
धन्नो अपनी बहू लता के साथ रसोई में नाश्ता बना रही थी और भीमा कुन्वे की खुदाई की मशीन लेने के लिए शहर गया हुआ था
अचानक धन्नो के कमरे से बहुत जोर से कुछ गिरने की आवाज आई
धन्नो - लता मेरे कमरे से कुछ आवाज हुई। कहीं बिल्ली ने कुछ गिरा तो नहीं दिया। मै देखकर आती हूं
लता - जी मां जी
धन्नो फिर जैसे ही अपने कमरे में घुसी तो उसने देखा कि उसका पति नीचे ज़मीन पर गिरा पड़ा है और मुंह से खून की उल्टियां कर रहा है
धन्नो चिल्लाते हुए - हे भगवान
धन्नो ने फिर अपने पति को नीचे ज़मीन से उठाकर बिस्तर पर लेटाया। लता भी कमरे में आ चुकी थी
प्यारेलाल - मेरा समय आ गया है धन्नो
ये सुनते ही धन्नो की आंखों से आंसुओ की बरसात होने लगी और लता भी रोने लगी थी
धन्नो - ये आप क्या बोल रहे हैं कुछ नहीं होगा आपको
प्यारेलाल - मेरी बात ध्यान से सुनो धन्नो , मैंने एक चिठ्ठी लिखी है रामू के नाम , मुझसे वादा करो कि तुम वो चिठ्ठी रामू को अपने हाथों से दोगी।
धन्नो रोते हुए - हां दूंगी।
प्यारेलाल - कुछ राज़ लिखे हैं उसमे जो रामू को जान लेना चाहिए और कुछ राज़ मेरी मौत के साथ दफन हो जाएंगे। वो चिट्ठी मैंने अलमीरा में रखी है
और इतना बोलते ही प्यारेलाल ने एक जोर से सांस ली और फिर उसकी सांस अचानक रुक गई।
फिर धन्नो और लता चीख चीखकर रोने लगे। उन दोनों की चीखों की आवाज सुनकर रामू और बेला जाग गए और सविता भी जल्दी से नहाकर सीधा कमरे में आ गई
कुछ है देर में पूरे घर में बस रोने की चीखें गूंज रही थी। फिर धीरे धीरे गांव वाले आना शुरू हो गए थे
कुछ देर बाद भीमा भी शहर से कुन्वे की खुदाई की मशीन लेके अपने घर की तरफ आ रहा था। जैसे ही उसने अपने घर के बाहर गांव वाले देखे तो वो समझ गया और भागते हुए घर के अंदर आया और अपने बापू को देखकर रोने लगा।
कुछ देर बाद रामू , भीमा कुछ गांव वालों के साथ शव उठकर नदी पर ले गए जहां भीमा ने अपने बापू को अंतिम विदाई दी।
रात हो चुकी था भीमा और रामू को घर आते आते। घर में सब भूखे ही सो गए थे
ऐसे ही दिन बीत गए और अब रामू , सविता और बेला के अपने घर आने का समय हो गया था
सुबह सुबह बस पकड़कर रामू अपनी मां और बहन के साथ वहां से अपने गांव के तरफ निकल गया।
धन्नो ने वो चिठ्ठी नहीं दी रामू को जो उसके पति ने रामू के लिए लिखा था उसमे कुछ ऐसा लिखा था जो धन्नो कभी नहीं चाहती थी कि रामू को पता चले।
लता ने कई बार सोचा कि वो रामू को बता दे उस चिठ्ठी के बारे में पर लता अपनी सास के खिलाफ नहीं जाना चाहती थी पर लता के मन में था कि रामू ने क्या कुछ नहीं किया उसके लिए और फिर भी वो उसके साथ विश्वासघात कर रही है