14-01-2021, 05:32 PM
Update 31
माला अपने कमरे में सोने की कोशिश कर रही थी पर नींद उसके आंखों से कोसों दूर थी। दिल ही दिल में माला को बड़ा दुख हो रहा था गलती आखिर माला की भी थी उसने अपने दिल में इतने राज़ जो दबा रखे थे अगर जग्गू को वो बातें पता होती तो वो बेला से कभी प्यार करने की गलती नहीं करता।
माला ने फैसला किया कि उसे अपनी ज़िन्दगी की किताब के कुछ पन्नों को जग्गू के सामने खोलना पड़ेगा।
माला अपने तकिए के नीचे से एक तस्वीर लेकर जग्गू के कमरे की तरफ बढ़ती है। जग्गू का कमरा अंदर से बंद था और कमरे के अंदर से जग्गू के रोने की आवाज माला को साफ सुनाई दे रही थी
माला - जग्गू बेटा दरवाज़ा खोलो
जग्गू चीखते हुए - चली जाओ मां मुझे तुम्हारी शक्ल भी नहीं देखनी।
माला - बेटा मेरी बात सुन ले। उसके बाद तू जैसा बोलेगा तेरी मां वैसा ही करेगी
जग्गू - चली जाओ मां, मैंने बोला ना मुझे कुछ नहीं सुनना।
माला - तू कहेगा तो मै तेरे लिए बेला का हाथ मांग लूंगी सविता और रामू से पर उससे पहले तुझे मेरी बात सुननी पड़ेगी।
माला के मुंह से ये बात सुनते ही जग्गू चुप हो जाता है और धीरे से अपने बिस्तर से उठकर दरवाज़ा खोलता है और फिर बिना कुछ बोले वापस बिस्तर पर आकर बैठ जाता है
माला भी बिस्तर पर जग्गू के बगल में आकर बैठ जाती है
जग्गू - बोलो मां क्या बोलना है तुम्हे
माला धीरे से - बेला तेरी बहन है जग्गू
जग्गू - ये क्या बेहूदा बात कर रही हो मां
माला - देख बेटा मै अपनी ज़िन्दगी के कुछ राज़ तुझे बताने आई हूं बेला तेरी सगी बहन नहीं है पर रिश्ते में वो तेरी बहन लगती है
जग्गू - कैसे मां और इस बात का क्या सबूत है आपके पास कि बेला मेरी बहन लगती है रिश्ते में। तुम कुछ भी बकती रहोगी और मै मान लूंगा
माला - तू बचपन में हमेशा मुझसे पूछता था ना कि तेरे बापू कौन है।
जग्गू - कौन?
माला अपने हाथ से वो तस्वीर जग्गू के हाथ में थमाकर - ये हैं तेरे बापू
जग्गू उस तस्वीर को देखकर - मां मैंने इन्हे कहीं देखा है इनकी तस्वीर मैंने किसी के घर देखी है
माला - रामू के घर तुमने इनकी तस्वीर को देखा होगा।
जग्गू को याद आता है कि रामू के कमरे में ये तस्वीर उसने देखी है
जग्गू - मतलब रामू की बापू ही मेरे बापू थे ये कैसे हो सकता है मां । मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा।
माला - मुरली ही तुम्हारे बापू थे वो कहानी झूठी थी कि तुम्हारे बापू किसी बाजारू औरत के साथ भाग गए थे। दरअसल बेटा मैंने कई साल रामू के बापू मुरली की रखैल के रूप में अपनी ज़िन्दगी गुजारी है और तुम उसी का नतीजा हो हालांकि मै और मुरली एक दूसरे से प्यार करते थे पर इस दुनिया में शादीशुदा मर्द से प्यार करने वाली औरत को दुनिया रखैल का ही दर्जा देती है ये राज़ तुम्हारे बापू मुरली के जाने के बाद मैंने दफन कर दिया था पर अगर मै ये बात तुम्हे नहीं बताती तो तुम पाप कर बैठते। अब समझे बेला रिश्ते में तुम्हारी बहन कैसे लगती है
माला के मुंह से ये बात सुनकर जग्गू की ऐसी हालत हो गई थी जैसे काटो तो खून नहीं
जग्गू - मां मुझे अकेला छोड़ दो।
माला - ठीक है बेटा पर ध्यान रहे रामू और बेला तुम्हारे भाई और बहन है उनके लिए कभी कुछ गलत मत सोचना और सविता काकी तुम्हारी बड़ी मां हैं वो तुम्हारी मां समान हैं और जितना सविता ने मेरे लिए किया है उतना शायद मेरे किसी अपने ने भी नहीं किया बेटा। सविता ने मेरे लिए क्या कुछ नहीं किया और मैं उसके पीठ पीछे उसके ही पति मुरली से प्यार कर बैठी। रामू का परिवार तुम्हारा भी परिवार है जग्गू बेटा
जग्गू - सच मां।
माला - सच बेटा। बस हवेली वालों से दूर रहना उन्होंने ही मेरी ज़िन्दगी उजाड़ी है
जग्गू - क्या ? पर कैसे मां ?
माला - कुछ राज़ को राज़ ही रहने दो बेटा। और अब बेला के प्रति अपनी सोच में परिवर्तन लाओ
जग्गू - मै कोशिश करूंगा मां।
फिर माला वहां से चली जाती है और अपने कमरे मे आकर सो जाती है और जग्गू भी यही सब सोच सोचकर सो जाता है
माला अपने कमरे में सोने की कोशिश कर रही थी पर नींद उसके आंखों से कोसों दूर थी। दिल ही दिल में माला को बड़ा दुख हो रहा था गलती आखिर माला की भी थी उसने अपने दिल में इतने राज़ जो दबा रखे थे अगर जग्गू को वो बातें पता होती तो वो बेला से कभी प्यार करने की गलती नहीं करता।
माला ने फैसला किया कि उसे अपनी ज़िन्दगी की किताब के कुछ पन्नों को जग्गू के सामने खोलना पड़ेगा।
माला अपने तकिए के नीचे से एक तस्वीर लेकर जग्गू के कमरे की तरफ बढ़ती है। जग्गू का कमरा अंदर से बंद था और कमरे के अंदर से जग्गू के रोने की आवाज माला को साफ सुनाई दे रही थी
माला - जग्गू बेटा दरवाज़ा खोलो
जग्गू चीखते हुए - चली जाओ मां मुझे तुम्हारी शक्ल भी नहीं देखनी।
माला - बेटा मेरी बात सुन ले। उसके बाद तू जैसा बोलेगा तेरी मां वैसा ही करेगी
जग्गू - चली जाओ मां, मैंने बोला ना मुझे कुछ नहीं सुनना।
माला - तू कहेगा तो मै तेरे लिए बेला का हाथ मांग लूंगी सविता और रामू से पर उससे पहले तुझे मेरी बात सुननी पड़ेगी।
माला के मुंह से ये बात सुनते ही जग्गू चुप हो जाता है और धीरे से अपने बिस्तर से उठकर दरवाज़ा खोलता है और फिर बिना कुछ बोले वापस बिस्तर पर आकर बैठ जाता है
माला भी बिस्तर पर जग्गू के बगल में आकर बैठ जाती है
जग्गू - बोलो मां क्या बोलना है तुम्हे
माला धीरे से - बेला तेरी बहन है जग्गू
जग्गू - ये क्या बेहूदा बात कर रही हो मां
माला - देख बेटा मै अपनी ज़िन्दगी के कुछ राज़ तुझे बताने आई हूं बेला तेरी सगी बहन नहीं है पर रिश्ते में वो तेरी बहन लगती है
जग्गू - कैसे मां और इस बात का क्या सबूत है आपके पास कि बेला मेरी बहन लगती है रिश्ते में। तुम कुछ भी बकती रहोगी और मै मान लूंगा
माला - तू बचपन में हमेशा मुझसे पूछता था ना कि तेरे बापू कौन है।
जग्गू - कौन?
माला अपने हाथ से वो तस्वीर जग्गू के हाथ में थमाकर - ये हैं तेरे बापू
जग्गू उस तस्वीर को देखकर - मां मैंने इन्हे कहीं देखा है इनकी तस्वीर मैंने किसी के घर देखी है
माला - रामू के घर तुमने इनकी तस्वीर को देखा होगा।
जग्गू को याद आता है कि रामू के कमरे में ये तस्वीर उसने देखी है
जग्गू - मतलब रामू की बापू ही मेरे बापू थे ये कैसे हो सकता है मां । मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा।
माला - मुरली ही तुम्हारे बापू थे वो कहानी झूठी थी कि तुम्हारे बापू किसी बाजारू औरत के साथ भाग गए थे। दरअसल बेटा मैंने कई साल रामू के बापू मुरली की रखैल के रूप में अपनी ज़िन्दगी गुजारी है और तुम उसी का नतीजा हो हालांकि मै और मुरली एक दूसरे से प्यार करते थे पर इस दुनिया में शादीशुदा मर्द से प्यार करने वाली औरत को दुनिया रखैल का ही दर्जा देती है ये राज़ तुम्हारे बापू मुरली के जाने के बाद मैंने दफन कर दिया था पर अगर मै ये बात तुम्हे नहीं बताती तो तुम पाप कर बैठते। अब समझे बेला रिश्ते में तुम्हारी बहन कैसे लगती है
माला के मुंह से ये बात सुनकर जग्गू की ऐसी हालत हो गई थी जैसे काटो तो खून नहीं
जग्गू - मां मुझे अकेला छोड़ दो।
माला - ठीक है बेटा पर ध्यान रहे रामू और बेला तुम्हारे भाई और बहन है उनके लिए कभी कुछ गलत मत सोचना और सविता काकी तुम्हारी बड़ी मां हैं वो तुम्हारी मां समान हैं और जितना सविता ने मेरे लिए किया है उतना शायद मेरे किसी अपने ने भी नहीं किया बेटा। सविता ने मेरे लिए क्या कुछ नहीं किया और मैं उसके पीठ पीछे उसके ही पति मुरली से प्यार कर बैठी। रामू का परिवार तुम्हारा भी परिवार है जग्गू बेटा
जग्गू - सच मां।
माला - सच बेटा। बस हवेली वालों से दूर रहना उन्होंने ही मेरी ज़िन्दगी उजाड़ी है
जग्गू - क्या ? पर कैसे मां ?
माला - कुछ राज़ को राज़ ही रहने दो बेटा। और अब बेला के प्रति अपनी सोच में परिवर्तन लाओ
जग्गू - मै कोशिश करूंगा मां।
फिर माला वहां से चली जाती है और अपने कमरे मे आकर सो जाती है और जग्गू भी यही सब सोच सोचकर सो जाता है